12/17/25

Dark Matter In Hindi

 करोड़ों वर्षों की यात्रा के बाद जैसे-जैसे धरती पर मानव सभ्यता का विकास हुआ है, वैसे-वैसे हमें प्रकृति और विज्ञान के कई अनसुलझे पहलुओं, रहस्यों आदि के बारे में भी पता चलता गया है। समय के साथ-साथ वैज्ञानिकों ने विज्ञान के कई ऐसे रहस्यों से पर्दा उठाने का काम किया है जिसे आदिकाल में किसी चमत्कार या दैवीय शक्ति के रूप में देखा जाता था।

ब्रह्माण्ड का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा ऐसे पदार्थों से बना हुआ है, जिनका वैज्ञानिक अवलोकन नहीं कर पाते जिसे डार्क मैटर कहा जाता है। यह ऊर्जा या रौशनी प्रतिबिंबित नहीं करता। यह कहाँ पायी जाती हैं, यह पता लगना मुश्किल है, लेकिन वैज्ञानिक ऐसा कहते हैं कि तारों की गति से इनकी स्थिति का पता लग सकता है।

सन्न 1950 से जब दूसरे आकाश गंगाओं पर अध्ययन चालू हुआ तो वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की कि ब्रह्माण्ड में बहुत मात्रा में ऐसे पदार्थ मौजूद हैं जिन्हे खुली आँखों से देख पाना मुश्किल है। इस तरह से डार्क मैटर के सिद्धांत का अवलोकन चालू हुआ।

इस संसार और समस्त ब्रह्मांड में हर वस्तु पदार्थ से ही बनी है। पर वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी पहली ये है कि जब भौतिक चीज़े पदार्थ से बनी हुई हैं तो वह कौन सा पदार्थ है जिसके कारण ब्रह्मांड गतिशील है और ब्रह्मांड के खाली हिस्से में हो सकता है। इस वैज्ञानिक डार्क मैटर कहते हैं,

वैज्ञानिक सालों से डार्क मैटर को समझने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कहने को तो तीन चौथाई ब्रह्मांड उसी का बना है, पर देखने पर वह कहीं रत्ती भर भी दिखाई नहीं पडता।

ब्रह्मांड की अनंत आकाशगंगाओं के 90 प्रतिशत से ज्यादा पदार्थ अनजाने हैं। डार्क मैटर यानी ऐसे तत्व, जो न तो प्रकाश छोड़ते हैं, न सोखते हैं और ना ही परावर्तित करते हैं।

आज हमारी सभ्यता उस मुकाम पर पहुंच चुकी है, जहां हमारे रोवर्स करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों और उनके उपग्रहों की सतह पर भ्रमण कर रहे हैं। हमारे टेलीस्कोप अरबों प्रकाश वर्ष से सफर करके आ रही लाइट को डिटेक्ट कर पा रहे हैं। यही नहीं हमने तकनीक और गणित की आंखों से लंबे समय से रहस्य बने ब्लैक होल को भी देखने में समर्थता हासिल कर ली है।

इस अनंत असीमित ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाने की खोजबीन में हमें एक ऐसे रहस्य के बारे में पता चला, जिसने विज्ञान जगत को सख्ते में डाल दिया। हब्बल टेलीस्कोप की आंखें रोज की तरह ही ब्रह्मांड के ओर छोर पर नजरें गड़ाए हुई थीं।इस दौरान उसने कुछ ऐसा पाया, जो आगे आने वाले समय में हमारी ब्रह्मांड को लेकर पुरानी समझ को तोड़ने वाला था। ये रहस्य था डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का। हब्बल टेलीस्कोप से जो डाटा मिला, उसमें पता चला कि हमारे ब्रह्मांड का 95 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं दोनों रहस्यमयी पदार्थों से मिलकर बना है।ऐसे में हब्बल से आए इस डाटा का बारीकी से अध्ययन किया गया। अध्ययन में पता चला कि आज हमारा ब्रह्मांड जिस स्थिरता और व्यवस्थित ढंग से काम कर रहा है। उसके पीछे की वजह डार्क मैटर है। वहीं जिस तेजी से हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है और उसके भीतर की आकाशगंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही हैं, उसके पीछे की वजह डार्क एनर्जी है।

गजब का संयोग है सालों पहले एडविन हब्बल ने ही दुनिया को यूनिवर्स के थ्योरी ऑफ एक्सपेंशन के बारे में बताया था। वहीं सालों बाद उन्हीं के नाम के एक टेलीस्कोप ने उस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किया, जिस पदार्थ के चलते इस ब्रह्मांड की फैलने की गति में लगातार वृद्धि हो रही है।

हालांकि, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी आज भी कौतूहल का विषय बने हुए हैं। इनके बारे में हमारे पास अब तक कोई विकसित समझ नहीं है। ये दोनों ही पदार्थ प्रकाश का परावर्तन नहीं करते। इसके अलावा इनका द्रव्यमान भी काफी कम है।

डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की खोज होने से पहले ही अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कह दिया था कि 'ब्रह्मांड पूरी तरह खाली नहीं है। इसमें कई तरह के चौकाने वाले गुण हैं'।


हमारे इस ब्रह्मांड के ताने बाने को बुनने में डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की एक बहुत बड़ी भूमिका है। आज भले ही हम इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। वहीं दूसरी तरफ भविष्य ऐसी कई संभवनाओं को लेकर खड़ा है, जिसके बल पर कहा जा सकता है कि आगे आने वाले वक्तों में इन दोनों रहस्यमयी पदार्थों के विषय में काफी कुछ जाना जा सकेगा।

हमारी सभ्यता और तकनीक का जिस गति से निरंतर विकास हो रहा है। उसके आधार पर यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि हमारी उत्सुकता की आंखें एक दिन डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के रहस्य से भी पर्दा उठा देंगी।

शायद तब कई और अनभिज्ञ अनजाने रहस्य हमारी आंखों के सामने आएंगे, क्योंकि ब्रह्मांड और उसके भीतर के छुपे रहस्य असीमित हैं। वहीं इंसान के भीतर की प्रबल अकांक्षा भी उसी को जानने की है। महान खगोलवैज्ञानिक कार्ल सेगन ने कहा था - "ब्रह्मांड हमारे भीतर छुपा है। हम उसी से बने हैं। ये अनंत अंतरिक्ष खुद को हमारे जरिए ही जान रहा है। हम ब्रह्मांड को जानने का एक जरिया हैं।"

कुछ वैज्ञानिक घटनाओं की व्याख्या करने के लिए डार्क मैटर (Dark Matter) का सहारा लिया जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये आज एक पहेली बन चुका है.अगर आपकी अंतरिक्ष  (Space) में जरा सी भी दिलचस्पी है तो आपने डार्क मैटर (Dark Matter) का जरूर सुना होगा. अगर नहीं भी सुना तो आप जान लें कि यह खगोलविज्ञान का सबसे रहस्यमय शब्दों में से एक है. यह अपने नाम की तरह ही रहस्यमय है क्योंकि वैज्ञानिक इसके बारे में प्रमाणित रूप से कुछ नहीं जानते फिर मानते हैं कि इसका अस्तित्व होना ही चाहिए.

क्या है सबसे बड़ी समस्या डार्क मैटर के साथ

अगर यह है तो इसे अस्तित्व को कैसे समझा जाए. दरअसल अंतरिक्ष में सुदूर होने वाले पिंडों को वैज्ञानिक प्रकाश के माध्यम से समझते हैं. लेकिन डार्क मैटर साथ समस्या यह है कि ना तो यह प्रकाश अशोषित (Absorb) करता है, ना उत्सर्जित (Emit) करता है, ना उसे परावर्तित (Reflect) करता है न अपवर्तित (Refract) करता है.  यानि यह सामान्य पदार्थ की तरह बर्ताव नहीं करता है.

डार्क मैटर के बारे में कुछ व्याख्याएं भी हैं, लेकिन वे पुष्टि की प्रतीक्षा में हैं. लेकिन कई शोध बताते हैं कि अगर डार्क मैटर और डार्क एनर्जी है, तो ब्रह्माण्ड 63 प्रतिशत डार्क एनर्जी (ऊर्जा) से, 27 प्रतिशत डार्क मैटर से, और बाकी दिखाई देने वाले पदार्थों से बना है.

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