करोड़ों वर्षों की यात्रा के बाद जैसे-जैसे धरती पर मानव सभ्यता का विकास हुआ है, वैसे-वैसे हमें प्रकृति और विज्ञान के कई अनसुलझे पहलुओं, रहस्यों आदि के बारे में भी पता चलता गया है। समय के साथ-साथ वैज्ञानिकों ने विज्ञान के कई ऐसे रहस्यों से पर्दा उठाने का काम किया है जिसे आदिकाल में किसी चमत्कार या दैवीय शक्ति के रूप में देखा जाता था।
ब्रह्मांड कैसे अस्तित्व में आया और हमें दिखाई देने वाले ग्रहों, तारों और आकाश गंगाओं के अस्तित्व की वजह क्या है, इसकी सटीक व्याख्या अब तक नहीं हो पाई है.
जब भी हम दुनिया की बात करते हैं तो हमारा संदर्भ धरती से ही होता है. धरती ही इतनी बड़ी है कि इंसान को अभी तक पूरी तरह उसके बारे में ही जानकारी नहीं है, तो सोचिए कि ये पूरा ब्रह्मांड (How big is universe) कितना बड़ा होगा! क्या आपने कभी सोचा है कि ये दुनिया कितनी बड़ी है और इंसान को इस दुनिया के बारे में कितनी जानकारी है? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
नासा के अनुसार यूनिवर्स सब कुछ है, उसमें स्पेस है, मैटर है, ऊर्जा है, लाइट है, ग्रह हैं, आप हैं और छोटे से छोटे कण भी हैं. इस संसार में अनगिनत दुनिया हो सकती है, जिसे मल्टीवर्स कहते हैं. उसी प्रकार एक यूनिवर्स में लाखों गैलेक्सी हो सकती हैं. हमारी गैलेक्सी का नाम है मिल्की वे. उसमें हमारा एक सोलर सिस्टम है, पर ऐसे हजारों सोलर सिस्टम और भी हो सकते हैं. ऐसे में यूनिवर्स कितना बड़ा है, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. बिग थिंक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार धरती पर रहने वाले हम इंसानों ने फिलहाल दुनिया के बारे में सिर्फ 5 फीसदी चीजें जानी हैं, अभी भी 95 फीसदी चीजों को जानना बाकी है. ब्रह्मांड का ना ही आदि है, ना अंत है.
वैज्ञानिक ये मानते हैं कि दुनिया में सिर्फ़ हम ही नहीं, बहुत से ब्रह्मांड हैं. क्योंकि आकाश अनंत है. इसका कोई ओर-छोर नहीं. न हमने इसको पूरा देखा है, न जाना है, न समझा है.हमारी पृथ्वी सौरमंडल की सदस्य है. हमारा सौरमंडल, हमारे ब्रह्मांड का एक मामूली सा हिस्सा है. ये ब्रह्मांड, पृथ्वी से दिखने वाली आकाशगंगा का एक हिस्सा है.
ब्रह्मांड से पहले कुछ भी नहीं था. कहा जाता है कि करीब 13 अरब साल पहले ब्रह्मांड अस्तित्व में आया.पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मांड में अचानक कोई धमाका हुआ और सृष्टि की रचना हो गई. विज्ञान मे भी ब्रह्मांड को लेकर कई थ्योरीज हैं.
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के इस रहस्य को सुलझाने के लिये कई प्रयास किये गये। इसमें से सबसे प्रभावशाली सिद्धांत था बिग बैंग थ्योरी )Big bang theory). इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब साल पहले सिमटा हुआ था। इसमें हुए एक विस्फोट के कारण इसमें सिमटा हर एक कण फैलता गया जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांड की रचना हुई। यह घटना तेजी से फैलने वाले गुब्बारे की तरह थी, इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। प्रारंभ में, ब्रह्मांड में केवल ऊर्जा थी, इस ऊर्जा में से कुछ कणों में परिवर्तित होना शुरू हुआ, जो हाइड्रोजन (Hydrogen) और हीलियम (Helium) जैसे हल्के परमाणुओं में इकट्ठे हुए। इस तरह से हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे। इस थ्योरी से वैज्ञानिक ब्रह्मांड से जुड़े कई सवालों की व्याख्या करने में सफल हो पाये जैसे कि बड़े पैमाने पर अंतरिक्ष-समय की उल्लेखनीय समतलता क्या है और ब्रह्मांड के विपरीत पक्षों पर आकाशगंगाओं का वितरण कैसे हुआ आदि?
परन्तु कुछ सवाल ऐसे भी थे जो अनसुलझे थे जैसे कि इस महाविस्फोट के लिये ऊर्जा कहां से आई? ब्रह्मांड की उत्पत्ति ऊर्जा के एक रहस्यमय रूप के अस्तित्व पर निर्भर करती है जो लंबे समय से गायब थी और अचानक से अस्तित्व में आ गई। वैज्ञानिक इस सवाल का जबाव देने में असमर्थ थे कि महाविस्फोट के लिये ऊर्जा कहां से आई, इस विस्फोट के क्या कारण थे? इसके बाद एक नयी अवधारणा का विकास हुआ, जिसके अनुसार यह संभव है कि पहले से मौजूद ब्रह्मांड के विखंडन से हमारा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया होगा अर्थात मौजूद ब्रह्मांड के विखंडन से हुई उससे ही शायद महाविस्फोट के लिये ऊर्जा प्राप्त हुई होगी। इस अवधारणा को ‘बिग बाउंस’ (Big Bounce) कहा गया। इस नयी अवधारणा से ‘बिग बाउंस’ सिद्धांत को बल मिलता है जो हमारे ब्रह्मांड के जन्म के बारे में बतलाता है। इस विचार के अनुसार, ब्रह्मांड का जन्म न केवल एक बार हुआ है, बल्कि ये संभवतः संकुचन और विस्तार के अंतहीन चक्रों में कई बार उत्पन्न हो चुका है। ब्रह्मांड में विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया चलती रहती है और मौजूदा विस्तार इसका एक चरण मात्र है।बिग बाउंस ज्ञात ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए एक परिकल्पित ब्रह्मांड विज्ञान मॉडल है। यह मूल रूप से बिग बैंग के चक्रीय मॉडल या ऑसिलेटरी ब्रह्मांड (oscillatory universe) व्याख्या के एक चरण के रूप में सुझाया गया था, जहां नये ब्रह्मांड संबंधी घटना पुराने ब्रह्मांड के पतन का परिणाम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह "चक्रीय" सिद्धांत न केवल महाविस्फोट को समझाएगा, बल्कि अन्य ब्रह्मांडीय रहस्यों के साथ-साथ डार्क मैटर, डार्क एनर्जी और क्यों ब्रह्मांड का अभी भी विस्तार हो रहा है जैसे कई बड़े अनसुलझे रहस्यों से परदा उठायेगा।
विभिन्न धार्मिक समूहों द्वारा भी ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संबंध में भिन्न-भिन्न मत दिए गए हैं. इनमें से कुछ वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सिद्धान्तों को स्वीकार करते हैं, तो कुछ बिग बैंग सिद्धान्त के साथ अपने सिद्धान्तों का सामांजस्य बैठाने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं कुछ इसे अस्वीकार भी कर रहे हैं. धार्मिक ब्रह्मांड विज्ञान में ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास और अंत का धार्मिक दृष्टिकोण से विवरण दिया गया है। इसमें ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की कल्पना, उसका वर्तमान स्वरूप और अंत से संबंधित विश्वास शामिल हैं.
सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
-ऋग्वेद(10:129) सृष्टि सृजन का सूक्त
लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी यह श्रुति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी इसे रचित करते समय थी। सृष्टि की उत्पत्ति आज भी एक रहस्य है। सृष्टि के पहले क्या था ? इसकी रचना किसने, कब और क्यों की ? ऐसा क्या हुआ जिससे इस सृष्टि का निर्माण हुआ ? अनेकों अनसुलझे प्रश्न है जिनका एक निश्चित उत्तर किसी के पास नहीं है। कुछ सिद्धांत है जो कुछ प्रश्नों का उत्तर देते है और कुछ नये प्रश्न खड़े करते है। सभी प्रश्नों के उत्तर देने वाला सिद्धांत अभी तक सामने नहीं आया है। सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त सिद्धांत है महाविस्फोट सिद्धांत (The Bing Bang Theory)।
महाविस्फोट सिद्धांत(The Bing Bang Theory)
1929 में एडवीन हब्बल ने एक आश्चर्य जनक खोज की, उन्होने पाया की अंतरिक्ष में आप किसी भी दिशा में देखे आकाशगंगाये और अन्य आकाशीय पिंड तेजी से एक दूसरे से दूर हो रहे है। दूसरे शब्दों मे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।
शायद 10 से 15 अरब साल पूर्व , ब्रह्मांड के सभी कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की शक्ल में था। यह बिन्दु अत्यधिक घनत्व(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु(infinitesimally small ) था। ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल और समय के कोई मायने नहीं रहते है।* इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।आज महा विस्फोट के लगभग 14 अरब साल पश्चात की स्थिती देखे ! तारों के साथ उनका सौर मंडल बन चुका है। परमाणु मिलकर कठिन अणु बना चुके है। जिसमे कुछ कठिन अणु जीवन( उदा: Amino Acid) के मूलभूत कण है। यही नहीं काफी सारे तारे मर कर श्याम विवर(black hole) बन चुके है।ब्रह्मांड का अभी भी विस्तार हो रहा है, और विस्तार की गति बढ़ती जा रही है। विस्तार होते हुये ब्रह्मांड की तुलना आप एक गुब्बारे से कर सकते है, जिस तरह गुब्बारे को फुलाने पर उसकी सतह पर स्थित बिन्दु एक दूसरे से दूर होते जाते है उसी तरह आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर जा रही है। यह विस्तार कुछ इस तरह से हो रहा है जिसका कोई केन्द्र नहीं है, हर आकाश गंगा दूसरी आकाशगंगा से दूर जा रही है।
महा विस्फोट के सिद्धांत के अनुसार आकाशीय पिण्डो की एक दूसरे से दूर जाने की गति महा विस्फोट के बाद के समय और आज के समय की तुलना में कम है। इसे आगे बढाते हुये यह सिद्धांत कहता है कि भविष्य मे आकाशीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण इस विस्तार की गति पर रोक लगाने मे सक्षम हो जायेगा। इसी समय विपरीत प्रक्रिया का प्रारंभ होगा अर्थात संकुचन का। सभी आकाशीय पिंड एक दूसरे के नजदीक और नजदीक आते जायेंगे और अंत में एक बिन्दु के रुप में संकुचित हो जायेंगे। इसी पल एक और महा विस्फोट होगा और एक नया ब्रह्मांड बनेगा, विस्तार की प्रक्रिया एक बार और प्रारंभ होगी। यह प्रक्रिया अनादि काल से चल रही है, हमारा विश्व इस विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया में बने अनेकों विश्व में से एक है। इसके पहले भी अनेकों विश्व बने है और भविष्य में भी बनते रहेंगे। ब्रह्मांड के संकुचित होकर एक बिन्दु में बन जाने की प्रक्रिया को महा संकुचन(The Big Crunch) के नाम से जाना जाता है।हमारा विश्व भी एक ऐसे ही महा संकुचन में नष्ट हो जायेगा, जो एक महा विस्फोट के द्वारा नये ब्रह्मांड को जन्म देगा। यदि यह सिद्धांत सही है तब यह संकुचन की प्रक्रिया आज से 1 खरब 50 अरब वर्ष पश्चात प्रारंभ होगी।
महा विस्फोट का सिद्धांत सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत है लेकिन सभी वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं । वे मानते है कि ब्रह्मांड अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत। उनके अनुसार ब्रह्मांड का महा विस्फोट से प्रारंभ नहीं हुआ था ना इसका अंत महा संकुचन से होगा। यह सिद्धांत मानता है कि ब्रह्मांड का आज जैसा है वैसा ये हमेशा से था और हमेशा ऐसा ही रहेगा। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है।
हमारा universe billions of years पहले एक बहुत छोटे, Dense, और अविश्वसनीय रूप से गर्म स्थिति में था | जिसे Scientists “singularity” कहते हैं। फिर अचानक एक massive expansion हुई जिसे हम कहते हैं Big Bang. इस Event के साथ ही time, space, matter, energy—सब कुछ एक साथ उत्पन्न हुआ। इसके बाद universe धीरे धीरे cooled down हुआ, और धीरे‑धीरे atoms, stars, galaxies बने। यह journey हमें आज यहाँ तक ले आई है।ये सब modern cosmology यानी ब्रह्मांड-विज्ञान की सबसे accepted कहानी है, जिसे Big Bang Theory कहते हैं। इसके सबूत हमें physics, astronomy, और universe के structure से मिलते हैं ।1929 में Hubble ने दिखाया कि सभी galaxies हमसे दूर जा रही हैं और जितनी दूर galaxy, उतनी तेज भाग रही है। यह Hubble का law था — clear proof कि ब्रह्मांड Expand कर रहा है ।1965 में Penzias और Wilson ने accidentally पाया एक faint microwave radiation जो हर direction से आ रही थी। इसे interpret किया गया as the “afterglow” of Big Bang — universe के ~380,000 साल बाद की radiation, अभी भी पूरे cosmos में फैली हुई है । इस evidence की बाद COBE, WMAP, Planck जैसे satellites ने detailed maps बनाए, जिससे small temperature fluctuations (anisotropies) भी detect हुए — जो अब structure formation की seeds माने जाते हैं ।Big Bang से पहले क्या था? क्या quantum gravity unify हो सकती है? यह अभी भी theoretical debate है। Big Bounce, cyclic models, multiverse जैसे ideas explore हो रहे हैं ।
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