3/11/22

Digital Currency Vs Cryptocurrency in hindi

 डिजिटल होती दुनिया में हर चीज वर्चुअल होती जी रही है. डिजिटल पेंमेट की सुविधा ने लोगों की लाइफ को काफी आसान बना दिया है. डिजिटल होते इस वर्ल्ड में क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ गया है. दुनिया के हर एक देश की अपनी मुद्रा है. जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर और ब्रिटेन में पाउंड. लेकिन इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते. आइए अब समझ लेते हैं इस क्रिप्टो करेंसी का पूरा हिसाब.

 

कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी क्रिप्टो करेंसी एक इंडिपेंडेंट मुद्रा है. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती. जैसे रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं का संचालन देश की सरकारें करती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का संचलान कोई भी अथॉरिटी नहीं करती. यह एक डिजिटल करेंसी होती है. इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.

 

सबसे पहले साल 2009 में क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी, जो बिटकॉइन थी. जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था. शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन धीरे-धीरे इसकी कीमत आसमान छूने लगी और ये पूरी दुनिया में छा गया.

 

इस तेजी से आगे बढ़ते डिजिटल वर्ल्ड में करेंसी में भी डिजिटल रूप ले लिया है और इस डिजिटल करेंसी को ही Crypto currency कहा जाता है जैसे कि Bitcoin आपने Bitcoin का नाम बहुत बार सुना होगा लेकिन सवाल यह है की What is Crypto Currency? cryptocurrency meaning in hindi और ये कैसे काम करता है?  उसके बेनिफिट्स क्या-क्या होते हैं?


हम आम भाषा में कहें तो Cryptocurrency एक Digital पैसा प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है. यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ऑनलाइन रहती है. इस पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. ये Crypto Currency एक वर्चुअल करेंसी होती है जिसे 2009 में इंट्रोड्यूस किया गया था। सबसे पहली मोस्ट पॉपुलर Crypto Currency का नाम  BitCoin ही था। Crypto Currency कोई असली सिक्कों या नोट जैसी नहीं होती। यानी इस करेंसी को हम रुपयों की तरह हाथ में तो नहीं ले सकते या अपनी जेब में भी नहीं रख सकते।    लेकिन यह हमारे डिजिटल वॉलेट में सेव रहती है। इसे आप ऑनलाइन करेंसी भी कह सकते हैं क्योंकि ये केवल ऑनलाइन वॉलेट में ही रहती है। BitCoin  या Crypto Currency से होने वाला पेमेंट कंप्यूटर से होता है।

 

आप यह तो जानते ही हैं कि हमारे इंडियन रुपीस और इसी तरह यूरो, डॉलर जैसे करेंसी पर सरकार का पूरा अधिकार होता है लेकिन BitCoin जैसे Crypto Currency को कोई कंट्रोल नहीं कर सकता। इस वर्चुअल करंसी पर सरकार, अथॉरिटी, सेंट्रल बैंक या किसी देश की एजेंसी का कोई कंट्रोल नहीं होता है। यानी BitCoin ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम को फॉलो नहीं करता। बल्कि यह कंप्यूटर वॉलेट से दूसरे वॉलेट तक ट्रांसफर होता रहता है। ऐसा नहीं है कि केवल BitCoin ही एक ऐसी Crypto Currency है बल्कि ऐसी 5000 से भी ज्यादा अलग-अलग Crypto Currency मौजूद है।

कुछ पॉपुलर CryptoCurrency के नाम है :- बिटकॉइन के अलावा भी रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो कॉइन जैसी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं.  BitCoin     Ethereum    Binance Coin    Tether    Cardano    Polkadot    Ripple    LiteCoin    Chainlink    Stellar

इनमें आप इन्वेस्ट कर सकते हैं और BitCoin की तरह ही इन्हें भी आसानी से खरीद और बेच सकते हैं। हां, यह बात अलग है कि सबसे ज्यादा पॉपुलर Crypto Currency BitCoin ही है और यह कितनी पॉपुलर करेंसी है। इसका अंदाजा आपको इस बात से पता लग जाएगा कि अब दुनिया की बहुत सी कंपनियां BitCoin पेमेंट्स एक्सेप्ट करने लगी है और आगे ऐसे कंपनियों के नंबर बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में BitCoin का यूज करके आप Shopping Trading और Travelling सब कुछ किया जा सकता है

 

भारत में अभी इसकी स्थिति कैसी है ?


इंडिया में धीरे धीरे ही सही, लेकिन Bitcoin पेमेंट पॉपुलर हो रही है। इंडिया में इस धीमी स्पीड इसका अवैध होना था क्योंकि Crypto Currency को RBI के द्वारा बैन किया गया था, लेकिन अब मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया है यानी अब इंडिया में CryptoCurrency का यूज लीगल हो गया है और इसीलिए इंडिया में भी Crypto Currency यूजर्स की संख्या बढ़ने लगी है इंडिया में बाकी देशों की तरह बिटकॉइन जैसी Crypto Currency का तेजी से पॉपुलर नहीं होने का दूसरा बड़ा रीजन हमारा एक कांसेप्ट है कि अगर हमें इन्वेस्टमेंट करना हो तो हम FD, Mutual Funds, Shares और Gold में ही करते हैं जो गलत तो नहीं है लेकिन नए जमाने के इस नई करेंसी में इन्वेस्ट करने के अलग ही फायदे होते हैं। जैसे कि :- इसमें आप आसानी से फटाफट ट्रांजैक्शन कर सकते हैं इससे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन चुटकियों में पूरा किया जा सकता है। आपको ना के बराबर ट्रांसलेशन की फीस देनी पड़ेगी। इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता और यह ट्रांजैक्शन ज्यादा सिक्योर और कॉन्फिडेंशल होते हैं।

 

 

क्रिप्टो करेंसी के फायदे और नुकसान

क्रिप्टो करेंसी के कई फायदे हैं और इसके नुकसान भी हैं. पहला फायदा ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश ना के बराबर है. दूसरा ये कि इसकी कोई नियामक संस्था नहीं है. इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों असर इसपर नहीं पड़ता. क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफा अधिक होता है और ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव आपके माथे पर पसीना ला देगा.

एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच साल में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी एक ही दिन में बिना किसी चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गई थी. इसका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि वर्चुअल करेंसी होने के कारण इसमें सौदा जोखिम भरा होता है. इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है. इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं .

 

फायदा और नुकसान दोनों

2010 में एक बिट क्वाइन की कीमत सिर्फ 22 पैसे थे, लेकिन अब इसकी कीमत सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे। इस क्रिप्टो करेंसी के खतरे क्या हैं, उसे भी समझिए। इन सब खतरों के बीच, प्रश्न ये है कि आखिर भारत में इस करेंसी का क्या भविष्य है। क्या सरकार इसे बैन करने वाली है, या कानूनी मान्यता देगी? भारत में क्रिप्टो करेंसी बैन होगी या नहीं, इसका जवाब आने  वाले वक्त में मिलेगा, लेकिन दुनिया के कई देशों में ये बैन है। तो कहने का मतलब ये है कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि जितने इसके फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी हैं।

पूरे विश्व में क्रिप्टो करेंसी को लेकर लोगों के अलग-अलग मत तथा अलग-अलग विचार है तथा इसके आधार पूरा विश्व 2 भागों में बंटा हुआ है। कुछ लोग ऐसा चाहते है कि इस नई डिजिटल करेंसी के चलन को ओर ज्यादा बढ़ावा मिलना चाहिए तो वही दूसरी ओर कुछ लोग इस सिस्टम को खतरनाक बता रहे है लेकिन इन दोनों मतों के बावजूद क्रिप्टो करेंसी का चलन बढ़ते ही जा रहा है।

एक ओर जहां Bill Gates, AI Gore (नोबेल प्राइज विजेता), Richard Branson आदि क्रिप्टो करेंसी को सपोर्ट कर रहे है तो वही दूसरी ओर Waren Buffet, Paul Krugman, Richard Shiller जैसे लोग इसके विरोध में है तथा इसको एक पोंज़ी स्कीम बताते है जो भविष्य में आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती है।

हालाँकि कुछ Cryptocurrencies के तार आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हुए मिले है अतः भविष्य में इसके रेगुलेशन से सम्बंधित नियमों के आने की भी सम्भावना है।

अनेक भविष्यवादी इस बात का दावा करते है कि 2030 तक 25% से ज्यादा नेशनल करेंसी का स्थान क्रिप्टो करेंसी ले लेगी। जैसे-जैसे ज्यादा लोग इसको करेंसी के रूप में स्वीकार करना शुरू करेंगे वैसे-वैसे इसकी वैल्यू में भी वोलैटिलिटी बढ़ती जाएगी तथा इसकी वैल्यू में बहुत तेजी से उतार-चढाव आने जारी रहेंगे।

 

 

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में अंतर?

 

डिजिटल करेंसी अनिवार्य रूप से सरकार द्वारा जारी करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रूप है जबकि क्रिप्टोकरेंसी मूल्य का एक भंडार है, जो एन्क्रिप्शन के द्वारा सुरक्षित है। क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल संपत्ति कहलाती हैं जबकि डिजिटल करेंसी कोई डिजिटल संपत्ति नहीं है। लोगों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान जिन डिजिटल वॉलेट का उपयोग करना शुरू किया, उनमें डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी, दोनों हो सकते हैं लेकिन यह दोनों वास्तव में एक दूसरे से अदली-बदली नहीं जा सकती हैं।

डिजिटल करेंसी, मौजूदा पेपर मनी (नोट) का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। यह संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग की जा सकती है, जैसे- आपके बैंक खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से किसी और को भुगतान करना। सभी ऑनलाइन लेनदेन में डिजिटल करेंसी शामिल होती है। हालांकि, जब आप उस पैसे को बैंक या एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वह डिजिटल करेंसी, तरल नकदी में बदल जाती है।

क्रिप्टोक्यूरेंसी मूल्य का एक भंडार है, जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है। क्रिप्टोक्यूरेंसी निजी स्वामित्व में हैं और इन्हें उन्नत ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है। अभी तक अधिकांश देशों में क्रिप्टोक्यूरेंसी को नियमित नहीं किया गया है। हालांकि, डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक द्वारा नियमित होती है।

डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है लेकिन हैकिंग और चोरी की संभावना को कम करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग ऐप को मजबूत पासवर्ड तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है। यही बात डेबिट और क्रेडिट कार्डों पर भी लागू होती है, जिनसे डिजिटल करेंसी में लेनदेन किया जाता है।

 

क्रिप्टोकरेंसी को मजबूत एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित किया जाता है और क्रिप्टो में व्यापार करने के लिए उपयोगकर्ताओं के पास बैंक अकाउंट होना चाहिए, जिससे वह डिजिटल करेंसी (बैंक खाते में पैसे) से बदले ऑनलाइन तरीके से संबंधित मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी खरीदता है। इसे ऐसे समझिए कि आपके बैंक खाते में 100 रुपये हैं और आपने उन 100 रुपये का टिजिटल तरीके से कोई सामान (जिसकी मौजूदा कीमत 100 रुपये है) खरीदा है।

 

डिजिटल करेंसी

 

डिजिटल करेंसी भी दो तरह की होती है - रिटेल डिजिटल करेंसी का प्रयोग आम जनता और कंपनियां करती हैं.- होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के लिए होगा.

डिजिटल करेंसी के फायदे- तेज लेन-देन और नोट छापने की तुलना में कम खर्चीला- बाजार में करेंसी को सरकार बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाएगी- बैंक खाते की जरूरत नहीं और ऑफलाइन लेन-देन संभव होगा.- हर डिजिटल रुपये पर सरकार की नजर होगी और कोई गैरकानूनी लेन-देन नहीं हो पाएगा

 

 

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