बिजली फिटिंग सामग्री की सूची
हम अपने घर में वायरिंग की फिटिंग दो तरह से कर
सकते हैं एक अंडरग्राउंड होती है जो की दीवार के अंदर की जाती है. यह फिटिंग आप
दीवार के अंदर पाइप दबाकर कर सकते हैं. और एक सेटिंग होती है जो की दीवार के ऊपर
की जाती है यह फिटिंग बहुत ही आसान होती है और इसे कोई भी कर सकता है. अगर आपके घर
में अंडरग्राउंड सेटिंग नहीं है तो आप बाहर की सेटिंग कर सकते हैं इसके लिए आपको
फिटिंग पाइप की जरूरत पड़ेगी. जो कि आपको बाजार से आसानी से मिल जाएगी.
फिटिंग पाइप की मदद से आप अपने पूरे घर में तार
बिछा दे जहां पर आप को स्विच बोर्ड लगाना है और उस स्विच बोर्ड में कितने कनेक्शन
करने हैं उस हिसाब से आपको उस स्विच बोर्ड से उपकरण तक तार ले कर जाने हैं. इसके
अलावा आपको स्विच बोर्ड में क्या-क्या लगाना होगा उसकी सूची आपको नीचे दी गई है
यदि इलेक्ट्रिकल क्षेत्र में आप रुचि रखते
होंगे तो आप खुद से अपने घर की वायरिंग कर सकते हैं लेकिन यदि आपको पता नहीं है कि
हाउस वायरिंग करने के दौरान इलेक्ट्रिक बोर्ड में कौन-कौन-सा सामान लगता है तो इलेक्ट्रिक
बोर्ड में कौन-कौन-सा सामान लगता है?
यदि आप अपने बोर्ड की वायरिंग करना चाहते हैं
तो सबसे पहले उन सभी मटेरियल की लिस्ट बना लें जिसकी आपको वायरिंग में जरूरत है।
नीचे दिए जा रहे लिस्ट में से आप अपने जरूरत के मटेरियल की लिस्ट बना सकते हैं।
1.बोर्ड
शीट (Board Sheet)
इलेक्ट्रिक बोर्ड में सभी मटेरियल को जिस शीट
पर फिट किया जाता है उसे बोर्ड शीट कहते हैं। बोर्ड शीट साधारणतः चौकोर और चिकना
होता है। इलेक्ट्रिक बोर्ड शीट लकड़ी का भी होता है और मजबूत प्लाई का भी होता है।
इसमें से प्लाई वाला शीट मजबूत और आकर्षक होता है। सभी
मटेरियल को लगाने के लिए बोर्ड शीट में उचित नाप का काट-छांट करना पड़ता है। यदि
आपके पास बोर्ड के काट-छांट करने की व्यवस्था हो तो ठीक है, अन्यथा
आप मार्केट से अपने जरूरत के अनुसार कटिंग की हुई बोर्ड शीट भी खरीद सकते हैं।
2. सूचक
(Indicator)
आपके बिजली बोर्ड तक बिजली का सप्लाई पहुँच रहा
है या नहीं, इस
बात का पता लगाने के लिए बोर्ड में इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इंडिकेटर
का मतलब ही होता है सूचक,
अर्थात
बिजली के उपस्थिति या अनुपस्थिति के सूचक को इंडिकेटर कहते हैं।
3.फ्यूज
(Fuse)
किसी भी घर में एक निश्चित संख्या में ही
इलेक्ट्रिक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है जिस वजह से बिजली की खपत भी हमेशा लगभग
एक समान ही होता है। इसी वजह से आपके घर की वायरिंग में एक समय में दौड़ने वाला
करंट (एम्पेयर) भी लगभग फिक्स ही होता है। आप अपने इलेक्ट्रिक बोर्ड पर एक समय में
अधिकतम कितना लोड देंगे उसके अनुसार जरूरी एम्पेयर का फ्यूज आपको आपके इलेक्ट्रिक
बोर्ड में लगाना होता है। इलेक्ट्रिक
बोर्ड में फ्यूज लगाने का फायदा ये है कि यदि कभी भी आपके बोर्ड या उससे जुड़े हुए
उपकरण में किसी भी प्रकार की कोई शोर्टिंग होगी तो आपका फ्यूज जल जायेगा जिससे
आपके महंगे उपकरण जलने से बच जायेंगे। साथ ही यदि दुर्भाग्य से कभी उस बोर्ड या
उससे जुड़े हुए उपकरण से किसी को करंट लग जाए तो उस स्थिति में भी फ्यूज जल जायेगा
और उस इंसान की जान बच जायेगी। ऐसा
इसलिए क्योंकि किसी भी उपकरण में शोर्टिंग की स्थिति में या फिर करंट लगने की
स्थिति में एकाएक बिजली की खपत बढ़ जाती है जिस वजह से फ्यूज से होकर करंट भी
ज्यादा बहने लगता है जिसे फ्यूज बर्दाश्त नहीं कर पाता और जल जाता है। इस
फ्यूज का एक और फायदा ये है कि यदि बाद में आपके बोर्ड में कभी कोई फोल्ट आ जाये
तो फ्यूज को निकालकर पूरे बोर्ड का सप्लाई बंद किया जा सकता है। फ्यूज निकाल देने
के बाद बिना किसी डर के बोर्ड की मरम्मत की जा सकती है।
4. स्विच
(Switch)
जब किसी उपकरण का इस्तेमाल नहीं करना होता है
तो उसके प्लग को बोर्ड से बाहर किया जा सकता है। लेकिन बल्ब और पंखे का कनेक्शन तो
बोर्ड के अन्दर ही कर दिया जाता है इसलिए इस प्रकार से इसे ऑफ नहीं किया जा सकता।
इसे ऑफ करने के लिए बोर्ड में एक स्विच लगाना पड़ता है। आप
अपने बोर्ड में कितने उपकरण का इस्तेमाल करेंगे, इस आधार पर आप उतना अलग-अलग स्विच बोर्ड में
लगा सकते हैं।
5. 2 पिन
सॉकेट (2 pin socket)
इलेक्ट्रिक बोर्ड में 2 पिन
सॉकेट का इस्तेमाल एक्सटर्नल कनेक्शन करने के लिए किया जाता है। बल्ब और सीलिंग
फेन का कनेक्शन तो बोर्ड के अन्दर ही कर दिया जाता है लेकिन बहुत सारे उपकरण ऐसे होते
हैं जिनका बोर्ड में फिक्स कनेक्शन नहीं किया जा सकता। ऐसे
बाहरी उपकरण में एक कनेक्शन तार लगा होता है जिसमें एक प्लग लगा होता है। इसी प्लग
को लगाने के लिए इलेक्ट्रिक बोर्ड में 2 पिन सॉकेट लगाया जाता है। इसी 2 pin socket में
किसी भी उपकरण के प्लग को लगाकर उसका इस्तेमाल किया जाता है। बोर्ड में 2 पिन
सॉकेट के लिए भी एक स्विच लगाया जाता है ताकि बोर्ड से बिना प्लग को निकाले ही
किसी उपकरण को ऑन या ऑफ़ किया जा सके।
6. 5 पिन
सॉकेट (5 pin socket)
5 पिन
सॉकेट का काम भी ठीक 2 पिन
सॉकेट के जैसा ही है। 5 पिन
सॉकेट का इस्तेमाल भी एक्सटर्नल उपकरण के कनेक्शन के लिए ही किया जाता है और इसमें
भी बाहरी उपकरण के प्लग को ही लगाया जाता है। बोर्ड में 5 पिन
सॉकेट के लिए भी एक स्विच लगाया जाता है और आप जितना चाहें उतना सॉकेट बोर्ड में
लगा सकते हैं। 5 पिन
सॉकेट में प्लग लगाने के लिए 2-2 खाने बने होते हैं और किसी में भी प्लग को
लगाया जा सकता है। इसके बाद 5 pin socket का जो पांचवा होल होता है वो भू तार कनेक्शन के
लिए होता है। आपने आयरन के प्लग में 3 पिन लगा देखा होगा जिसमें 2 पिन
तो सप्लाई के लिए होता है लेकिन तीसरा पिन भू तार के लिए ही होता है। आयरन
के प्लग में 3 पिन
होने की वजह से उसे 2 पिन
वाले सॉकेट में नहीं लगाया जा सकता। जिस किसी भी उपकरण के प्लग में 3 पिन
होता है उसे सिर्फ 5 पिन
सॉकेट में ही लगाया जा सकता है। ये तीसरा पिन भू-तार के कनेक्शन के लिए होता है, यदि
आप भू-तार के बारे में नहीं जानते हैं तो नीचे वाला पोस्ट पढ़ सकते हैं।
7. बल्ब
होल्डर (Bulb holder)
इलेक्ट्रिक बोर्ड में बल्ब का कनेक्शन करने के
लिए बोर्ड बल्ब होल्डर की जरूरत पड़ती है,पहले तो बल्ब होल्डर को बोर्ड में फिक्स कर
दिया जाता हैफिर इसके बाद बाकी सभी मटेरियल लगाने के बाद बोर्ड को कस दिया जाता है
इसके बाद बाहर से ही इस bulb
holder में बल्ब को लगा दिया जाता है।
8.फैन
रेगुलेटर (fan regulator)
सीलिंग पंखा के स्पीड को नियंत्रित करने के लिए
फेन रेगुलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। सीलिंग फेन को छत से लटकाया जाता है और
बोर्ड में उसका इंटरनल कनेक्शन कर दिया जाता है।चूंकि सीलिंग पंखा को छत से लटकाया
जाता है इसलिए यदि पंखे में ही रेगुलेटर को लगा दिया जाये तो उसका इस्तेमाल करना
कठिन हो जायेगा। इसलिए सीलिंग फेन के रेगुलेटर को इलेक्ट्रिक बोर्ड में लगाया जाता
है ताकि आसानी से उसका इस्तेमाल किया जा सके।
9.तार (wire)
बोर्ड में इस्तेमाल किये जाने वाले सभी मटेरियल
का आपस में इलेक्ट्रिकल कनेक्शन करने के लिए कुछ मीटर तार का इस्तेमाल भी किया
जाता है। एक बात का ध्यान रहे कि इलेक्ट्रिक बोर्ड की वायरिंग में हमेशा कॉपर के
तार का ही इस्तेमाल करें। चूँकि
तार ही बिजली करंट के चलने का माध्यम होता है इसलिए इलेक्ट्रिक बोर्ड में हमेशा
उचित तार का इस्तेमाल करें। यदि आप पतले तार से बोर्ड की वायरिंग करेंगे तो कुछ
दिन बाद ही वो जल जाएगा। इसलिए पूरी कोशिश करें कि बोर्ड में हमेशा मजबूत और सिंगल
वायर का ही इस्तेमाल किया जाये।
किसी भी बोर्ड में आपको एक फ्यूज और एक पावर
इंडक्टर लगाना होगा इसके अलावा आपको कितने स्विच और सॉकेट लगाने हैं वह अपने हिसाब
से लगाएंगे आपके घर में कितने उपकरण है और आप उस स्विच बोर्ड से कितनी उपकरण तक
सप्लाई लेकर जाना चाहते हैं उस हिसाब से आप को स्विच बटन लगाने होंगे जैसे कि :-2 Bulb = 2 Switches,1 Fan = 1
Regulator,1 Socket =1 Switches तो आपको 3 Switches, 1 Regulator और 1 Socket आपको
लेन होंगे. और 1 Power
Indicator, 1 Fuse लाना है.
घर की वायरिंग या बिजली फिटिंग कैसे
करे
होम इलेक्ट्रिकल वायरिंग इन हिंदी? Switch Board Wiring Connection In
Hindi अगर
आप घर में Inverter का Connection भी
करना चाहते है तो आपके स्विच बोर्ड में आपको 4 तार लाने होंगे .वैसे 3 तार
से भी काम चल सकता है .अगर आप ग्राउंडिंग या अर्थिंग नहीं करना चाहते. बोर्ड तक
तार आने के बाद वायरिंग कैसे करे गे इसका Diagram नीचे देखे .
सभी के घरों में जो भी स्विच बोर्ड होता है
उसमें हमें एक सॉकेट और स्विच बटन और इंडिकेटर और एक फैन रेगुलेटर देखने को मिलता
है तो यहीं पर हमने इस बोर्ड में दिखाया है अगर आपके बोर्ड में इससे ज्यादा बटन
हैं. तो आप जो दूसरे बटन है .उन्हीं की तरह उनका भी कनेक्शन दूसरे उपकरण के साथ
में जैसे लाइट या पंखा के साथ में कर सकते हैं. तो इस बोर्ड में जो भी बटन या
इंडिकेटर हमने लगाया है उसका कनेक्शन कैसे करेंगे इसके बारे में नीचे आपको अलग-अलग
बताया गया है.
इलेक्ट्रिक बोर्ड कनेक्शन
सभी के घरों में जो भी स्विच बोर्ड होता है
उसमें हमें एक सॉकेट और स्विच बटन और इंडिकेटर और एक फैन रेगुलेटर देखने को मिलता
है
1. Electric
Switch Board में Fuse का कनेक्शन कैसे करे
किसी भी सर्किट में या स्विच बोर्ड में फ्यूज
होना बहुत ही जरुरी है. अगर कहीं पर कोई भी फॉल्ट होता है तो आप का फ्यूज उड़
जाएगा और आप के बोर्ड की सप्लाई बंद हो जाएगी जिससे आप.भारी नुकसान होने से बच
सकते हैं. तो सबसे पहले आप फ्यूज का कनेक्शन करेंगे और फ्यूज का कनेक्शन आप सीरीज
में करेंगे. जैसा की आपको पर चित्र में देख सकते हैं MAIN सप्लाई
की तार पहले फ्यूज के एक सिरे पर लगाई गई है और दूसरे सिरे से वह तार पूरे स्विच
बोर्ड में लेकर गए हैं. तो इसी तरह आपको कनेक्शन करना है.
2. Electric
Switch Board में Indicator का कनेक्शन कैसे करे
फ्यूज के बाद में होता है इंडिकेटर जिससे आपको
यह पता चलता है कि स्विच बोर्ड में बिजली या पावर आई है या नहीं. और इसका कनेक्शन
दोनों तारों के समानांतर होगा या यूं कहें कि दोनों तारों का कनेक्शन इंडिकेटर पर
होगा. तो दोनों तार आपको सीधे इंडिकेटर पर लगा देनी है.
3. लाल
तार Phase Wire का
कनेक्शन कंहा करे
लाल तार – फेस वायर जिसमें बिजली होती है उसका कनेक्शन आप
को बड़े ध्यान पूर्वक करना पड़ता है और इस कनेक्शन को करने से पहले आपको यह जानना
जरुरी है कि उस तार में बिजली है या नहीं. इस तार का कनेक्शन आप सभी स्विच बटन पर
करेंगे. क्योंकि जब हम किसी उपकरण की सप्लाई को बंद करते हैं तो उसका स्विच बटन
बंद कर देते हैं. अगर आपने इस तार का कनेक्शन सीधे उपकरण पर कर दिया और काली तार
का कनेक्शन आपने स्विच बटन पर किया तो आपके उपकरण की सप्लाई स्विच बंद करने के बाद
में भी बंद नहीं होगी तो इस बात का विशेष ध्यान रखें और इस तार का कनेक्शन स्विच
बटन पर करें.
4. काली
तार Neutral Wire का
कनेक्शन कंहा करे
न्यूट्रल वायर में किसी तरह की कोई सप्लाई नहीं
होती तो इसका कनेक्शन आपको सीधे उपकरण पर करना होगा. जैसा कि आपको पता है किसी भी
उपकरण में आपको दो तार मिलते हैं तो एक तार का कनेक्शन आप सीधे न्यूट्रल तार से
करेंगे और दूसरा कनेक्शन आप स्विच बटन पर करेंगे जिस पर आपको लाल तार की मेन
सप्लाई मिलेगी.
5. Earthing
Wire – Grounding Wire
इलेक्ट्रॉनिक के किसी भी उपकरण की हम सो
प्रतिशत गारंटी नहीं ले सकते कि वह खराब होगी या नहीं. लेकिन उस उपकरण में किसी
तरह की कोई भी दिक्कत आने पर हमें कोई नुकसान नहीं हो इसीलिए हम उस उपकरण की
अर्थीन या ग्राउंडिंग कर देते हैं. आपके घर में जितने भी बड़े बिजली के उपकरण हैं
जैसे की फ्रिज वाशिंग मशीन इत्यादि सभी में आपको अर्थिंग का एक अलग पॉइंट मिलता है
जो कि आपको Socket में
सबसे ऊपर देखने को मिलता है.ऊपर चित्र में आपको इस का कोई भी कनेक्शन नहीं दिखाया
गया है लेकिन अगर आप अपने घर में अर्थिंग करते हैं तो आपको वह तार सॉकेट के सबसे
ऊपर वाले पॉइंट जोकि सबसे बड़ा होता है उसके साथ में जोड़ने होगी. इसके बारे में
हम आपको अलग से एक पोस्ट में बताएंगे.
कौन से रंग का तार किस लिए होता है
अगर आप किसी भी बिजली के उपकरण की वायरिंग करना
चाहते हैं. तो आपको सभी प्रकार के तारों की जानकारी अच्छे से होनी चाहिए ताकि आप
एक अच्छे तरीके से अपने घर में वायरिंग कर सकें.
1. लाल
तार (Red Wire)
लाल तार को हम गर्म तार या फेस लाइन वाला तार
भी बोलते हैं. जिस में बिजली होती है. और इफ्तार का कनेक्शन हमेशा सभी सभी के ऊपर
किया जाता है. ताकि जब भी आप किसी उपकरण की बिजली को बंद करें तो उस पूरे उपकरण
में बिजली ना रहे. और इस तार को कभी भी नंगे हाथों से ना छुए .
2. काला
तार (Black Wire)
काला तार को हम ठंडे तार के रूप में भी जानते
हैं जिसमें किसी तरह की बिजली नहीं होती है. और इसका कनेक्शन सीधे उपकरण पर किया
जाता है.
3. हरा
तार (Green Wire)
भारत में हरे रंग के तार को अर्थिंग के लिए
इस्तेमाल में लिया जाता है. अगर आप किसी उपकरण के अर्थिंग वायर को देखेंगे तो उसका
रंग आपको हरा मिलेगा तो इसलिए आप अपने घर में भी हरे रंग का तार ही अर्थिंग में
लगाएं.
4. नीला
या पीला तार
इन्वर्टर का कनेक्शन करते समय आप नीले या पीले
रंग की तार का इस्तेमाल कर सकते हैं. जहां तक संभव हो आप नीले रंग की का तार का
इस्तेमाल करें वैसे इसके लिए कोई खास कारण नहीं है लेकिन नीले रंग का तार आसानी से
पहचान में आ जाता है.
इलेक्ट्रिसिटी वायरिंग या कनेक्शन
करते समय इन बातों का ध्यान रखें
हमेशा अपने घर में अर्थिंग तार का इस्तेमाल
करें जिससे की आपके उपकरण को और आपको भी किसी तरह के नुकसान का सामना ना करना
पड़े.
कभी भी लाल तार या मेन सप्लाई के तार को सीधा
ना छुएं. इस प्यार को आपके सिर्फ एक बार छूने से ही आप को भारी नुकसान हो सकता है.
तो काम करते समय हमेशा ही स्विच बोर्ड की सप्लाई को बंद रखें और हाथों पर दस्तानों
का इस्तेमाल करें.
किसी भी तार को नंगा ना छोड़े. चाहे वह स्विच
बोर्ड के अंदर हो या स्विच बोर्ड से बाहर किसी भी उपकरण का तार आप हमेशा उसे TAPE लगाकर
अच्छे से ढक दें.
किसी भी स्विच बटन के पेच को ढीला ने छोड़े उसे
अच्छी तरह Tight कर
दें.नहीं तो आप के स्विच बोर्ड में शॉर्ट सर्किट हो सकता है .
जितने भी उपकरण के कनेक्शन आप करेंगे वह सभी
सर्विस के ऊपर होनी चाहिए किसी भी उपकरण को सीधा ना जोड़ें.
Fault आने से कैसे बचें –
किसी भी तार में या उपकरण में Electrical fault आने
के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ा कारण होता है। किसी भी तार का insulation फेल
होना अगर आप अपनी तारों की ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित करेंगे तो आपके घर में Electrical fault आने
की संभावना उतनी ही कम होगी इसके लिए सबसे पहले आप अपने घर के सभी तारों की अच्छे
से फिटिंग करें। अगर आप ज्यादा महंगी फिटिंग नहीं कर सकते तो आप
इसके लिए Capping and
Cashing वायरिंग कर सकते हैं। यह काफी मजबूत और सस्ती
होती है।
वायरिंग में क्या – क्या दिक्कत आ सकती है।
वायरिंग में निम्न दिक्कतें आ सकती हैं।
Short
Circuit fault
Leakege
Circuit faults
फ्यूज का उड़ना
अर्थ होना
वायरिंग में क्या क्या फॉल्ट आ सकते है
How to find
fault in Wire in Hindi: ऐसी शायद ही कोई जगह होगी जहां पर तारों में
किसी प्रकार की कोई भी दिक्कत ना आए. बिजली का इस्तेमाल हर जगह किया जा रहा है और
इसके लिए वायरिंग को सही प्रकार से रखना बहुत ही अनिवार्य है ताकि है ज्यादा लंबे
समय तक बिना किसी दिक्कत के चलती रह सके. इसीलिए वायरिंग की फिटिंग की जाती है.
ताकि तारों को किसी प्रकार का कोई भी नुकसान ना हो और कोई भी तार कहीं से टूटे ना.
लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि किसी वजह से तारों में दिक्कत आ जाती है या कहीं से
तार टूट जाती है तो उस समय हमें उस तार को ठीक करना पड़ता है.
तो तारों में कहां पर क्या क्या दिक्कत आ सकती
है इसके बारे में इस पोस्ट में आपको बताया जाएगा. तारों में दिक्कत आने के कई कारण
हो सकते हैं जैसे कि आपने तारों को खुला छोड़ रखा है जिस पर वातावरण का प्रभाव पड़
रहा है और आप बहुत ही जल्दी खराब हो रही है. या तारों पर किसी प्रकार की कोई चोट
लग जाए जिसके कारण तार टूट जाती है या उसका इंसुलेशन चल जाता है तो इन्हीं सभी
दिक्कत को आप ठीक करें.
वायरिंग में क्या क्या दिक्कत आ सकती
है
तारों में दिक्कत आने के कई कारण हो सकते हैं.
लेकिन बहुत बार हमारे उपकरण के कारण ही तारों में दिक्कत आ जाती है. क्योंकि हमें
नहीं पता होता कि हमारा उपकरण कितना लोड ले रहा है और इसीलिए हम कई बार वहां पर
छोटी तार लगा देते हैं और वह जल जाती है. जिसके कारण शार्ट सर्किट हो सकता है.तो नीचे
आपको इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है.
1.शार्ट
सर्किट फॉल्ट
जब Phase की तार और न्यूट्रल वायर आपस में मिल जाए तो
इसे शार्ट सर्किट कहते हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि वायर पर किसी प्रकार
की चोट लग जाए और उसका इंसुलेशन छिल जाए . इंसुलेशन छिलने से दोनों का आपस में मिल
जाएंगी और शॉर्ट सर्किट हो जाएगा. इसके अलावा अगर अपने उपकरण पर उसके लोड के
अनुसार तार नहीं लगाई है. तो वह तार बहुत जल्दी गर्म हो जाएगी और इसका इंसुलेशन
पिघल जाएगा. और दोनों तार आपस में शार्ट हो जाएगी.
इस प्रकार के फाल्ट को चेक करने से पहले मेन
स्विच को बंद कर दें . इसके लिए आपको मल्टीमीटर का इस्तेमाल करना पड़ेगा.
मल्टीमीटर में आपको मल्टीमीटर को कंटीन्यूटी पर सेट करना है. और मल्टीमीटर के
दोनों टर्मिनल को फेज और न्यूट्रल दोनों वायर पर लगाना है. अगर मल्टीमीटर में
कंटीन्यूटी दिखाए तो इसका मतलब दोनों वायर आपस में शार्ट हो चुके हैं.
2.ओपन
सर्किट फॉल्ट
यह फॉल्ट ज्यादा बड़ा नहीं है. यदि आपके पूरे
घर में सप्लाई आ रही है और अगर स्विच ऑन करने पर कोई उपकरण नहीं चल रहा तो इसका
मतलब वहां पर ओपन सर्किट फॉल्ट हो गया है. ओपन सर्किट फॉल्ट होने के कई कारण हो
सकते हैं जैसे कि तारों का टूट जाना या तार स्विच में से खुल जाना. इस फॉल्ट का
पता करने के लिए आप मैगर या मल्टीमीटर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
3. लीकेज
सर्किट फॉल्ट
अगर फेज वायर न्यूट्रल या अर्थ की वायर के
संपर्क में आती है तो यह लीकेज सर्किट फॉल्ट होता है इस फॉल्ट को जानने के लिए एक
टेस्ट लैंप का इस्तेमाल किया जाता है टेस्ट लैंप के एक सिरे को न्यूट्रल वायर के
साथ में और दूसरे सिरे को अर्थ वायर के साथ में जोड़ देते हैं यदि लैंप थोड़ा सा
भी जले तो इसका मतलब सर्किट में लीकेज फॉल्ट है.
4. फ्यूज
का उड़ना
अगर किसी भी उपकरण का या हमारे घर के मेन स्विच
को ऑन करते ही फ्यूज उड़ जाता है तो इसका मतलब सर्किट में शॉर्ट सर्किट फॉल्ट है.
शार्ट सर्किट बोर्ड को पहले ढूंढना पड़ेगा जिसके बारे में ऊपर आपको बताया गया है
उसके बाद में ही आप अपने उपकरण या सर्किट की सप्लाई को चालू करें.
5. अर्थ
होना
यदि किसी मशीन मोटर या किसी भी उपकरण की बॉडी
को छूने पर करंट का झटका लगता है तो इसका मतलब उस मशीन या उपकरण की बॉडी के साथ
कोई फेज का वायर जुड़ गया है. इसका कारण ज्यादातर वायर की इंसुलेशन फेल होना होता
है. अगर वायर की इंसुलेशन कहीं से छिल जाए और वह उपकरण की बॉडी से Touch हो
जाए तो यह अर्थ होना कहलाता है. इस फॉल्ट का पता करने के लिए एक टेस्ट लैंप का
इस्तेमाल करना होता है टेस्ट लैंप के एक सिरे को अर्थ वायर के साथ में जोड़ दिया
जाता है और दूसरे वायर को उपकरण की बॉडी के साथ में लगाया जाता है अगर लैंप थोड़ा
सा भी जले तो इसका मतलब वह उपकरण अर्थ हो गया है.
घरेलू बिजली फिटिंग करते समय इन बातों का ध्यान
रखे
अगर आपके घर में किसी भी उपकरण में या किसी तार
में किसी प्रकार की कोई खराबी आ गई है तो सबसे पहले आप अपने घर की सप्लाई को बंद
करें. उसके बाद में यह पता करने की कोशिश करें कि खराबी क्या है ऊपर बताए गए फॉल्ट
में से अगर आपको कोई एक फॉल्ट पता लगता है तो आप उसे मल्टीमीटर की मदद से पता करने
की कोशिश करें. अगर आप बंद सप्लाई में पोर्ट को नहीं ढूंढ सकते तो पहले अपने घर की
सप्लाई को चालू करें और उसके बाद में जिस भी भाग में या तार में आपको फॉल्ट लग रहा
है उसको मल्टीमीटर से चेक करें या लाइन टेस्टर की मदद से चेक करें. नंगे हाथों कभी
भी बिजली का कोई भी कार्य न करें.
अगर कहीं से कोई भी तार टूट गई है या छिल गई है
तो उसे इंसुलेशन टेप की मदद से बिल्कुल अच्छे से मजबूती से जुड़ें और उस पर टेप
लगा दें. और अपनी बिजली की तारों को हमेशा सेट करके रखें कहीं भी कोई भी तार को
खुला ना छोड़ें. और अगर आपने कहीं पर बाहर खुले में तारों को नंगा छोड़ दिया है तो
उसे Conduit पाइप
की मदद से ढक दें. या Capping
& Cashing से उसे अच्छे से ढक दें ताकि उस पर वातावरण का
कोई भी प्रभाव ना पड़े और वह ज्यादा लंबे समय तक ठीक प्रकार काम करती रहे.
Fault आने
से कैसे बचें
किसी भी तार में या उपकरण में फॉल्ट आने के कई
कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण होता है किसी भी तार का इंसुलेशन फेल होना.
अगर आप अपनी तारों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित करेंगे तो आपके घर में फॉल्ट आने
की संभावना उतनी ही कम होगी. इसके लिए सबसे पहले आप अपने घर के सभी तारों की अच्छे
से फिटिंग करें.
अगर आप ज्यादा महंगी फिटिंग नहीं कर सकते तो आप
इसके लिए Capping &
Cashing वायरिंग कर सकते हैं यह काफी मजबूत और सस्ती
होती है. और इस वायरिंग से आपके घर की सभी तारे वातावरण के प्रभाव और किसी दूसरे
केमिकल के प्रभाव में आने से बचेगी . तो सबसे पहले आप अपने घर की सभी तारों को सही
ढंग से फिट करें.
घर की वायरिंग करते समय ध्यान रखने
वाली बातें
वायरिंग करने का तरीका: आज के समय में लगभग सभी
घरों में इलेक्ट्रिक उपकरणों के इस्तेमाल किये जाते हैं। इन उपकरणों को power supply देने
के लिए आपने भी बिजली का कनेक्शन जरूर ले रखा होगा। यदि आपने भी अपने घर में बिजली
कनेक्शन लिया होगा तो आपने अपने घर की वायरिंग जरूर करवाया होगा। यदि आपने अभी तक
अपने घर की वायरिंग नहीं करवाया है तो हो सकता है कि आप इसके लिए सोच रहे होंगे।
1) वायरिंग का नक्शा न बनाना
आप जब भी हाउस वायरिंग शुरू करें तो इसे शुरू
करने से पहले इस बात का अच्छी तरह से फैसला कर लें कि आपके घर में किस जगह पर
कौन-से मटेरियल का इस्तेमाल करना आसान और ज्यादा सुरक्षित होगा। मान लीजिये कि
आपका एक ही रूम है और वो छोटा है तो आप अपने घर के गेट पर ही तो board को
फिट नहीं कर देंगे न? इसलिए
wiring का
काम शुरू करने से पहले ही ये निश्चित कर लें कि कहाँ पर बिजली मीटर लगवाना है, कहाँ
पर बोर्ड फिटिंग किया जाना है और बोर्ड में कौन-कौन से मेटेरियल कितनी संख्या में
लगाना है? दूसरी
बात ये कि wire को एक
जगह से दूसरे जगह तक बिछाने के लिए किस रूट का उपयोग करें? मतलब
कि कहाँ से और किस तरह से तार को बिछाएं ताकि कम-से-कम तार की खपत भी हो और
वायरिंग भी देखने में अच्छा लगे। इसी
तरह से इस बात का भी फैसला करें कि घर में किस जगह पर बोर्ड को फिट किया जाये ताकि
आपको सहूलियत हो। Electric
board को
आप घर में वैसे जगह पर लगायें जहाँ पर आपातकालीन स्थिति में आप तुरंत पहुच सकें।
यहाँ नक्शा बनाने का तात्पर्य ये है कि आप अपने मन में अच्छी तरह से वायरिंग का
नक्शा बना लें ताकि बाद में आपको ज्यादा परेशान न होना पड़े।
2) Low
quality के मटेरियल का उपयोग करना
इलेक्ट्रिकल वायरिंग बार-बार नहीं किये जाते
हैं। इसलिए जब भी वायरिंग करें तो वो ऐसा होना चाहिए कि future में
उससे आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न आये। हालांकि, वायरिंग
में प्रयोग होने वाले सारे materials बहुत ही महंगे होते हैं और 2 room की
वायरिंग करवाने में भी हजारों रूपये खर्च हो सकते हैं। इसलिए अधिकांश लोग थोड़े से
रूपये बचाने के चक्कर में low
quality के ही सारे सामान खरीद लेते हैं जो कि समय से
पहले ही खराब होने लगते हैं। सस्ते
सामानों में अक्सर टूट-फूट की समस्या आ जाती है जिस वजह से घर का wiring असुरक्षित
हो जाता है और इसमें बाहरी नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब भी वायरिंग करवाएं
तो इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि उसमें इस्तेमाल किये जाने वाले सभी सामान किसी branded company के
हों और मजबूत हों। हमारे यहाँ आमतौर पर Anchor और Havells के मटेरियल के उपयोग किये जाते हैं जो कि बेहद
ही मजबूत और टिकाऊ माने जाते हैं और इनकी Life भी बेहतर होते हैं।
3) Low
quality के तार का इस्तेमाल करना
हमारे घरों की Wiring में चारों तरफ से जमकर पैसे खर्च हो जाते हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा खर्च wiring
के
लिए wires पर ही
हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बाकी सभी components तो कहीं-कहीं पर ही इस्तेमाल होते हैं लेकिन wire के
इस्तेमाल सभी जगह पर किये जाते हैं। साथ ही wire में महंगे धातु के इस्तेमाल भी किये जाते हैं
जिस वजह से ये महंगे होते हैं। कहने का तात्पर्य ये है कि आपका घर जितना बड़ा होगा
और आप जितने ज्यादा दूरी में कोई उपकरण इस्तेमाल करेंगे उतने ही ज्यादा लम्बाई के
वायर की आपको जरूरत पड़ेगी। दूसरी
वजह ये है कि इतने लम्बे पूरे तार में Copper (कॉपर) या Aluminium (एल्युमीनियम) जैसे महंगे धातु के इस्तेमाल किये
जाते हैं जिस वजह से ये बहुत ही महंगे हो जाते हैं और प्रति मीटर अच्छे क्वालिटी
के copper के
वायर की कीमत करीब 20
रूपये से भी ज्यादा पड़ जाते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पैसे बचाने के लिए
कोई भी घटिया क्वालिटी के तार का इस्तेमाल wiring में कर दिया जाए। यदि पहली बार में आप गलत वायर
से वायरिंग करते हैं तो बाद में कोई भी दिक्कत आने पर लम्बा-चौड़ा खर्च लग सकता है।
इसलिए पहली बार में ही अच्छे तार से wiring करें ताकि आगे चलकर उससे आपको कोई परेशानी न
आये।
जब भी आप wiring करें तो सिर्फ-और-सिर्फ copper यानि
कि ताम्बे के तार का ही इस्तेमाल करें। हालांकि ये एल्युमीनियम के तार की अपेक्षा 2-3 गुना
तक महंगा हो सकता है लेकिन यकीन मानिए ये आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है।
एल्युमीनियम के तार कॉपर के अपेक्षा कमजोर और ज्यादा लचीला होता है और 3-4 बार
गाँठ पड़ने से टूट भी जाता है लेकिन कॉपर का तार इतना कमजोर नहीं होता है। ज्यादा
समय हो जाने के बाद aluminium
के
वायर के छोर पर गंदगी जमा हो जाते हैं जिस वजह से वो सही से काम करना बंद कर देता
है। लेकिन वहीँ यदि बात करें कॉपर के wire की तो इसमें ऐसा कोई बात नहीं है। कॉपर के तार
बहुत लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं और हमेशा ही सही से काम करते हैं।
4) Wiring में insulation tape का
ज्यादा इस्तेमाल करना
वायरिंग के दौरान यदि एक बंडल का wire बीच
में ही ख़त्म हो जाता है या फिर किसी भी कारणवश जब wiring के बीच में 2 तार को आपस में जोड़ना होता है तब तार को छीलकर
उसे आपस में लपेट दिया जाता है और फिर उसके बाद उस तार के ऊपर टेप को अच्छे से
लपेट दिया जाता है। लेकिन बहुत सारे लोग tape का सही से इस्तेमाल करना नहीं जानते हैं और गलत
तरीके से उसका इस्तेमाल कर देते हैं। बहुत
सारे लोग wire को
आपस में लपेटने के समय ही ढीलापन छोड़ देते हैं जिस वजह से वहां से sparking होने
लगता है और वो हिस्सा गर्म होकर जलने लगता है। इस वजह से कभी-कभी आग लगने की भी
स्थिति बन जाती है। इसलिए पूरी कोशिश करें कि वायरिंग में टेप का इस्तेमाल
कम-से-कम करना पड़े और जहाँ भी उसका इस्तेमाल हो तो बहुत ही मजबूती से हो और किसी
भी तरह का कोई ढीलापन न हो।
5) बोर्ड
में Electrical Fuse और Indicator का
इस्तेमाल नहीं करना
Electric
board में
फ्यूज और इंडिकेटर का बहुत ही महत्त्व है। Fuse के इस्तेमाल से wiring सुरक्षित रहता है और जरूरत पड़ने पर पूरे घर के
बिजली सप्लाई को बंद भी किया जा सकता है। साथ ही Indicator के माध्यम से बिजली के उपस्थिति या अनुपस्थिति
का तुरंत पता चल जाता है। साथ ही इनके और भी बहुत सारे फायदे हैं। इसलिए जब भी wiring करें
अपने board में fuse और indicator का
इस्तेमाल जरूर करें।
6) Wiring में circuit breaker का
इस्तेमाल न करना
अकसर हमारे साथ आपातकालीन घटना घटते रहते हैं।
पता नहीं कब क्या हो जाए,
इस
बात की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे कई मौके आते हैं जब wiring की
कमजोरी या फिर हमारे ही छोटी सी गलतियों के वजह से हमें बिजली के झटके लग सकते हैं
और हम प्रवाहित बिजली में चिपके रह सकते हैं। तो ऐसे आपातकालीन स्थितियों के लिए
आप पहले से ही अपने घर के हरेक कमरे की wiring में एक ऑटोमेटिक सर्किट ब्रेकर जरूर लगवा लें। इससे
आपको फायदा ये होगा कि जब भी कभी ऐसे आपातकालीन समय आयेंगे तब ये ब्रेकर ज्यादा current प्रवाहित
होने के वजह से खुद ही स्टार्ट हो जायेंगे और फिर वायरिंग का circuit ब्रेक
हो जायेगा जिससे कि करंट का प्रवहन रूक जायेगा और पीड़ित लोग को कम नुकसान होगा और
उचित इलाज मिलने के बाद वो जल्दी ही ठीक हो जायेगा।
7) इलेक्ट्रिक
मीटर के बाद एक Changer जरूर
लगायें
वैसे तो उस तरीके से वायरिंग करें ही नहीं
जिससे कि बाद में उसकी मरम्मत करने की नौबत आये। लेकिन संयोगवश यदि ऐसी कोई नौबत
आये या फिर किसी भी वजह से आपको वायरिंग में कुछ बदलाव करने पड़ जाएँ तो उस समय
विद्युत् प्रवाहित वायरिंग के साथ काम करना सही नहीं होगा। इसके लिए आपको सबसे
पहले बिजली के पोल पर जाकर अपने connection wire को उतरना पड़ेगा जिससे कि आपके घर में supply आना
बंद हो जाये और आप बेहिचक मरम्मत का काम कर सकें। लेकिन
ये प्रक्रिया बहुत ही कठिन और खतरनाक है। इसलिए इलेक्ट्रॉनिक्स में इस समस्या को
देखते हुए Changer का
निर्माण किया गया है। Unit
meter से
निकले दोनों तार को इस चेंजर से जोड़ा जाता है और फिर इसी चेंजर के दूसरे भाग से output निकाला
जाता है जिसका wiring में
इस्तेमाल किया जाता है। इसका काम ये होता है कि जब इसे ऑफ किया जाता है तब ये
विद्युत् के प्रवाहन को रोक देता है जिससे कि आप बेफिक्र होकर वायरिंग में जो
चाहें बदलाव कर सकते हैं।
8) Wiring में
भू-तार का connection नहीं
करवाना
बहुत सारे उपकरण ऐसे होते हैं जिसके cabinet (कैबिनेट)
पर शॉर्टिंग या फिर कनेक्शन वायर के टूट जाने के वजह से बिजली के झटके आने लग जाते
हैं। ऐसी हालत में यदि इन उपकरणों को सप्लाई देकर छू लिया जाए तो इससे झटके लगने
से शारीरिक नुकसान भी पहुँच सकते हैं। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए ऐसे
सारे उपकरणों में ही एक विकल्प दिए हुए होते हैं जिसे भू-तार के नाम से जाना जाता
है। भू तार क्या है और ये किस तरह से हमारी रक्षा करता है इसके बारे में
विस्तारपूर्वक जानने के लिए हमारा भू तार क्या है पोस्ट जरूर पढ़ें।
9) बिजली
बोर्ड में एक ही 5-pin या 2-pin socket लगवाना
पहले हमारे इलेक्ट्रिक जरूरत बहुत ही कम हुआ
करते थे। लेकिन अब हमारे जरूरत असीमित हो गए हैं। हमलोग टीवी तो रूम में देखते ही
हैं लेकिन साथ-ही-साथ इससे भी ज्यादा उपकरणों का इस्तेमाल एक साथ करते हैं। तो ऐसे
में यदि आपके बिजली बोर्ड में इन सभी के plug को लगाने के लिए उचित संख्या में सॉकेट न हों
तो इसके लिए आपको अलग से एक एक्सटेंशन बोर्ड खरीदना पड़ सकता है। लेकिन
आपके बिजली बोर्ड में इतने जगह खाली रहते हैं कि आप उसी में 3-4
सॉकेट और लगवा सकते हैं और ये एक्सटेंशन बोर्ड से भी ज्यादा अच्छा विकल्प होगा।
इसलिए वायरिंग कराते समय ही इन छोटे-मोटे बातों का ध्यान जरूर रखें ताकि बाद में
ज्यादा खर्चे से बच सकें। वायरिंग करवाते समय ही अपने इलेक्ट्रिक बोर्ड में एक से
ज्यादा सॉकेट लगवा लें।
10) इलेक्ट्रिक
बोर्ड में पंखा रेगुलेटर नहीं लगाना
गर्मी के सीजन में आप अपने घर में electric fan का
इस्तेमाल हवा पाने के लिए जरूर करते होंगे। लेकिन बहुत बार ऐसा देखा गया है कि
हमारे घर में इतने ज्यादा voltage
होते
हैं कि पंखा चले रहने पर हमें ठंडक महसूस होने लगती है। लेकिन यदि पंखा न चलाया
जाये तो हमें गर्मी भी महसूस होती है। तो ऐसे स्थिति में न तो पंखा को बंद किया जा
सकता है और न ही उतने हाई वोल्टेज पर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस समस्या से निपटने के लिए हमें एक electronic fan regulator की
जरूरत पड़ती है। इस रेगुलेटर को बिजली के बोर्ड में लगाया जाता है और इसकी खासियत
ये होती है कि इसकी मदद से हमारे घर के वोल्टेज पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि
इसका इस्तेमाल बल्ब इत्यादि में भी किया जा सकता है लेकिन चूंकि इसे पंखे के लिए
बनाया जाता है इसलिए इसका इस्तेमाल सिर्फ पंखे में ही करना चाहिए। ज्यादातर
लोग हाउस वायरिंग करवाते समय रेगुलेटर लगवाना जरूरी नहीं समझते हैं और वो इसे
फालतू का समझते हैं। लेकिन ये बात बिल्कुल ही गलत है। बोर्ड में रेगुलेटर लगाना
उतना ही जरूरी है जितना जरूरी घर में पंखा लगाना है। इसलिए जब आप अपने घर की
वायरिंग करवाएं तो अपने सभी रूम के इलेक्ट्रिकल बोर्ड में रेगुलेटर जरूर लगवाएं।
लेकिन एक बात का ख़ास ध्यान रहे कि रेगुलेटर की सहायता से सिर्फ वोल्टेज को कम किया
जा सकता है, उसे
बढाया नहीं जा सकता है।
हमारे घर के उपकरण कितने वाट्स का
होता है?
1) Electric
Bulb power consumption: बल्ब कितने वाट का होता है?
बिजली आने से पहले हरेक घरों में अँधेरा होने
पर रात को दीया और लालटेन जलाया जाता था। लेकिन बिजली आने के बाद अब सभी घरों में
इलेक्ट्रिक बल्ब जलाया जाने लगा है। पहले बिजली कट जाने के बाद तो कम-से-कम लोग
दीया या लालटेन जला लिया करते थे लेकिन आज के समय में टेक्नोलॉजी ने हमें इतना कुछ
दे दिया है कि अब बिजली कट जाने के बाद भी लोगों को लालटेन जलाने की जरूरत नहीं
पड़ती है। आधुनिक इमरजेंसी लाइट की मदद से लोग बिजली कट जाने के बाद भी तेज प्रकाश
में घर को उजाला रख सकते हैं। लेकिन
क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रिक बल्ब कितने वाट का होता है? हरेक
बल्ब के ऊपर या उसके कवर पर उसका वाटेज लिखा होता है। पुराने समय में थॉमस ऐल्वा
एडीसन के आविष्कार किये गए 6-10 RS में आने वाला बल्ब जिसका प्रकाश पीला होता था
वो 100W (100 वाट)
का होता था। 100w का
बल्ब होने की वजह से ये बिजली की बहुत ज्यादा खपत करता था। लेकिन
आज के समय में उजला प्रकाश करने वाले बहुत सारे CFL और LED बल्ब आ चुके हैं जो थोड़े महंगे जरूर होते हैं
लेकिन उनके इस्तेमाल से हमारे बिजली बिल में भारी बचत होती है। छोटे से लेकर
बड़े-बड़े हॉल तक में इस्तेमाल करने के लिए 5 वाट से लेकर सैकड़ों वाट तक के led bulb का
निर्माण किया जा चुका है। लेकिन आमतौर पर हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले एलईडी
बल्ब 5 वाट, 7 वाट, 9 वाट, 14 वाट
तक के ही होते हैं।
इलेक्ट्रिक पंखा का इस्तेमाल गर्मियों के दिनों
में ठंडक पाने के लिए किया जाता है। बल्ब के बाद ये दूसरा इलेक्ट्रिक उपकरण है
जिसका इस्तेमाल हरेक घरों में किया जाता है। इलेक्ट्रिक फैन 3
प्रकार का होता है।
जिस पंखे को छत से लटकाया जाता है उसे सीलिंग
फैन कहते हैं। हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाला एक सामान्य सीलिंग पंखा 65W से
लेकर 75W तक का
होता है।
जिस पंखे को जमीन पर रखकर इस्तेमाल किया जाता
है उसे स्टैंड फैन कहते हैं। एक सामान्य स्टैंड पंखा भी 65 वाट
से 75 वाट
तक का हो सकता है।
टेबल फेन सबसे छोटा एसी फैन होता है जिसे शरीर
के लेवल पर रखा जाता है। टेबल पंखा 30w से लेकर ज्यादा वाट तक का हो सकता है।
3) Mobile Charger power consumption: मोबाइल का चार्जर कितने वाट्स का होता है?
आज से कुछ साल पहले तक स्मार्टफोन की जानकारी
हर किसी को नहीं थी। स्मार्टफोन से पहले लोग सिंपल मोबाइल फोन का ही इस्तेमाल करते
थे। लेकिन आज के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं तो कम-से-कम एक सिंपल
मोबाइल फ़ोन जरूर होगा। साथ ही हरेक मोबाइल को चार्ज करने के लिए उनके पास मोबाइल
का चार्जर भी जरूर होगा। सिंपल मोबाइल का चार्जर 5 वाट्स तक का होता है लेकिन ब्रांडेड मोबाइल या
स्मार्टफोन का चार्जर 5 वाट
से भी कम वाट का हो सकता है।
गुड नाइट मशीन एक छोटा-सा यन्त्र है जो इतना
छोटा होता है कि जेब में भी समा सकता है। मच्छर को भगाने के लिए गुड नाइट मशीन का
इस्तेमाल किया जाता है। ये मशीन एक जहरीली लिक्विड के साथ काम करता है जो सिर्फ
मच्छर या उसके जैसे ही कुछ छोटे-मोटे जीव के लिए नुकसानदायक होता है। गुड नाइट
मशीन 10
वाट्स तक का होता है। एक बात का ध्यान रहे कि गुड नाइट एक कंपनी का नाम है और इसका
मशीन ज्यादा प्रसिद्द है। नहीं तो और भी कंपनी मच्छर भगाने वाली मशीन बनाती है।
5) Electric Iron power consumption: इलेक्ट्रिक आयरन कितने वाट का होता है?
इलेक्ट्रिक आयरन का इस्तेमाल कपडे को प्रेस
करने के लिए किया जाता है। हालांकि आमतौर पर इसका इस्तेमाल अभी भी सभी घरों में
नहीं होता है लेकिन आने वाले समय में लगभग सभी घरों में इसका इस्तेमाल जरूर होगा।
इलेक्ट्रिक आयरन 2
प्रकार का होता है।
a) Automatic
iron: आटोमेटिक
आयरन कितने वाट का होता है?
यदि बिजली का वोल्टेज कम होगा तो आयरन कम गर्म
होगा लेकिन यदि बिजली का वोल्टेज ज्यादा होगा तो आयरन भी ज्यादा गर्म होगा। लेकिन
यदि इलेक्ट्रिक आयरन हद से ज्यादा गर्म हो जायेगा तो कपडा भी जल जायेगा। आटोमेटिक
आयरन की खूबी यही है कि जब आयरन हद से ज्यादा गर्म होने लगता है तो ये आटोमेटिक
रूप से बंद हो जाता है जिससे कपडे को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। एक सामान्य
आटोमेटिक आयरन 500W, 750W
और 1000W का
होता है।
b) Non
Automatic Iron power consumption: नॉन आटोमेटिक आयरन कितने वाट का होता है?
जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाने पर जो इलेक्ट्रिक
आयरन खुद से बंद नहीं होता है उसे नॉन-आटोमेटिक आयरन कहा जाता है। एक सामान्य
नॉन-आटोमेटिक आयरन 250
वाट्स से लेकर 500
वाट्स तक का हो सकता है।
6)
Television power consumption: टेलीविज़न कितने वाट्स का होता है?
टेलीविज़न का इस्तेमाल फिल्म देखने और गाना
सुनने के लिए किया जाता है। हालांकि ये सभी घरों में देखने को नहीं मिलता है लेकिन
फिर भी ये एक बहुत ही प्रसिद्द इलेक्ट्रिक उपकरण है। टेलीविज़न को संक्षिप्त रूप
में टीवी भी कहा जाता है। टेलीविज़न मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है।
a) Colour
Television: रंगीन टीवी कितने वाट्स का होता है?
रंगीन टेलीविज़न में किसी भी विडियो को सभी
प्राकृतिक रंगों के साथ देखा जा सकता है। कलर टेलीविज़न मार्केट में विभिन्न आकार
में उपलब्ध है। इनमें से 14 इंच, 19 इंच, 21 इंच
और 24 इंच
के टेलीविज़न सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहे हैं। एक कलर टीवी 65
वाट्स से लेकर ज्यादा वाट्स तक हो सकता है।
b) Black
White Television: सादा टीवी कितने वाट्स का होता है?
पुराने ज़माने में जब सबसे पहले टेलीविज़न आया था
तो उस समय उस पर सादा विडियो ही देखा जा सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय का
विज्ञान आज के जितना उन्नत नहीं था जिस वजह से कलर टीवी एक कल्पना मात्र था। एक
सादा टेलीविज़न 35
वाट्स से लेकर ज्यादा वाट्स तक का हो सकता है।
7) LED TV
power consumption: एलईडी टीवी कितने वाट्स का होता है?
एलईडी टीवी, टेलीविज़न का ही एक विकसित रूप है जो टेलीविज़न
के तुलना में बहुत हल्का होता है और साथ ही इसका रख-रखाव भी बहुत आसान होता है।
इतना ही नहीं, एलईडी
टीवी में टेलीविज़न के मुकाबले कुछ एडवांस विकल्प भी मिलते हैं। ये भी कलर टेलीविज़न
के तरह ही 14 इंच, 19 इंच, 21 इंच
और 24 इंच
का होता है। एक एलईडी टीवी 50 वाट्स से लेकर अधिकतम वाट्स तक हो सकते हैं।
8) DTH power
consumption: डीटीएच कितने वाट्स का होता है?
Dth एक
ऐसा उपकरण है जो सेटेलाईट द्वारा छोड़े जा रहे सिग्नल को पकड़कर उस पर प्रसारित किए
जा रहे चैनल हमें टेलीविज़न या एलईडी टीवी पर दिखाता है। डीटीएच को डिश टीवी और
सेट-टॉप-बॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। एक सामान्य डीटीएच 8 वाट
से 25 वाट
तक होता है।
9) DVD
Player power consumption: डीवीडी प्लेयर कितने वाट्स का होता है?
डीवीडी प्लेयर में डीवीडी या वीसीडी कैसेट
डिस्क लगाकर उसमें चल रहे विडियो या ऑडियो फाइल को टेलीविज़न पर देखा और सुना जाता
है। आज से कुछ साल पहले तक लोगों के घर में डीवीडी प्लेयर के माध्यम से ही फिल्म
देखा जाता था लेकिन डीटीएच के आ जाने के बाद इसका इस्तेमाल अब कम होने लगा है। एक
सामान्य डीवीडी प्लेयर 15 वाट
से अधिकतम वाट्स तक का हो सकता है।
वीसीडी प्लेयर में सिर्फ वीसीडी कैसेट डिस्क को
ही प्ले किया जा सकता है। देखने में ये भी डीवीडी प्लेयर जैसा ही लगता है लेकिन
दोनों के कैपेसिटी और परफॉरमेंस में अंतर होता है। वीसीडी में प्ले हो रहे विडियो
को भी टेलीविज़न या एलईडी टीवी पर देखा जा सकता है। वीसीडी प्लेयर भी डीवीडी प्लेयर
के जितना अर्थात 15 से
अधिकतम वाट्स का होता है।
11) Home
Theater power consumption: होम थिएटर कितने वाट्स का होता है?
वैसे तो आजकल मोबाइल और स्मार्टफोन में ही पूरी
दुनिया के मनोरंजन समा चुके हैं लेकिन होम थिएटर का जलवा आज भी उसी तरह से बरकरार
है जिस तरह से पहले था। होम थिएटर में लोग Mp3 गाने को मधुर आवाज में और डीजे की धुन पर सुन
सकते हैं। हालांकि होम थिएटर बहुत तरह का आता है। एक सामान्य घरों में 2
एम्पेयर ट्रांसफार्मर वाले होम थिएटर का इस्तेमाल अधिक तौर पर किया जाता है। एक
साधारण होम थिएटर भी 100
वाट्स के हो सकते हैं।
12)
Amplifier Machine power consumption: एम्पलीफायर बाजा कितने वाट्स का होता है?
एम्पलीफायर मशीन का इस्तेमाल भी गाना सुनने के
लिए ही किया जाता है। लेकिन होम थिएटर की तरह एम्पलीफायर में dj की
धुन में गाना नहीं सुना जा सकता है। हालांकि सामान्य तौर पर हमारे घरों में
इस्तेमाल किये जाने वाले एम्पलीफायर मशीन में भी ज्यादातर 2
एम्पेयर के ट्रांसफार्मर का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह का एम्पलीफायर मशीन
भी 100
वाट्स का होता है।
13) Room
Heater power consumption: रूम हीटर कितने वाट का होता है?
जिस तरह से गर्मियों में पंखे का इस्तेमाल किया
जाता है ठीक उसी प्रकार से ठंडी के समय में भी अपने रूम के वातावरण को गर्म बनाने
के लिए रूम हीटर का इस्तेमाल किया जाता है। रूम हीटर बहुत प्रकार का विभिन्न दामों
में आता है। एक आम इंसान के घर में इस्तेमाल होने वाला रूम हीटर आमतौर पर 400 वाट
से शुरू होता है और हजारों वाट तक आता है।
14) Mixer
Grinder power consumption: मिक्सर ग्राइंडर कितने वाट का होता है?
मसाला पीसने के लिए और खाद्य पदार्थ का पेस्ट
बनाने के लिए मिक्सर ग्राइंडर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि महंगा होने
के कारण अभी ये सभी आम लोगों तक नहीं पहुँच पाया है। एक सामान्य मिक्सर मशीन 500 वाट
से शुरू होता है।
15) Hand
Blender power consumption: हैण्ड ब्लेंडर कितने वाट का होता है?
हैण्ड ब्लेंडर भी एक तरह का मिक्सर ग्राइंडर
जैसा ही यन्त्र होता है। हैण्ड ब्लेंडर से भी खाद्य-पदार्थ का पेस्ट बनाया जाता है
और उनका मिश्रण किया जाता है। लेकिन इस यन्त्र का इस्तेमाल हाथ से किया जाता है
जबकि मिक्सर ग्राइंडर का इस्तेमाल स्थिर रखकर किया जाता है। एक सिंपल हैण्ड
ब्लेंडर 250 वाट
से शुरू होता है।
16) Water
Geyser/Heater: वाटर गीजर/हीटर कितने वाट का होता है?
Water heater
power consumption: पानी को गर्म करने के लिए वाटर गीजर का
इस्तेमाल किया जाता है। वाटर गीजर को वाटर हीटर के नाम से भी जाना जाता है। एक तो
ये महंगा होता है और ऊपर ज्यादा वाट का होने की वजह से ज्यादा बिजली की खपत करता
है जिस वजह से एक आम आदमी इसे खरीद नहीं सकते हैं। एक साधारण गीजर भी 500 वाट
से चालू होता है।
17) Electric
Stove power consumption: इलेक्ट्रिक चूल्हा कितने वाट का होता है?
जिस तरह से गैस के इस्तेमाल से गैस चूल्हा पर
खाना बनाया जाता है ठीक उसी तरह से बिजली के इस्तेमाल से भी इलेक्ट्रिक चूल्हा पर
खाना बनाया जाता है। इलेक्ट्रिक चूल्हा भी महंगा पड़ता है जिस वजह से ये अभी तक आम
लोगों तक नहीं पहुँच पाया है। एक साधारण इलेक्ट्रिक चूल्हा भी 1200 वाट
का होता है।
18) Domestic
Refrigerator: घरेलू फ्रिज कितने वाट्स का होता है?
Domestic
fridge power consumption: फ्रिज एक ऐसा उपकरण होता है जिसके अन्दर मनचाहे
तापमान का कृत्रिम ठंडा वातावरण पैदा किया जाता है। इस कृत्रिम ठन्डे वातावरण में
किसी भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को रखने पर वो पदार्थ ठंडा हो जाता है और
उसमें ताजगी बनी रहती है। एक घरेलू फ्रिज 100 वाट का भी होता है।
19) Washing
Machine power consumption: वाशिंग मशीन कितने वाट का होता है?
कपडे साफ़ करने वाली मशीन को वाशिंग मशीन कहते
हैं। एक साधारण वाशिंग मशीन 500 वाट का होता है।
20) Air
Conditioner power consumption: एयर कंडीशनर (एसी) कितने वाट का होता है?
किसी भी बंद क्षेत्र को पूरी तरह से ठंडा बनाने
के लिए एयर कंडीशनर का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे छोटा एसी भी 500 वाट
का होता है।
21) Fog
Machine power consumption: फोग मशीन कितने वाट का होता है?
जिस तरह से गुड नाईट मशीन से मच्छर को भगाया
जाता है ठीक उसी तरह से फोग मशीन से भी मच्छर को भगाया जाता है। लेकिन दोनों में
सबसे बड़ा अंतर ये है कि गुड नाइट मशीन एक छोटे से रूम में प्रभाव डालता है जबकि
फोग मशीन एक बहुत बड़े एरिया में अपना प्रभाव डालता है। इस मशीन से मच्छर से लेकर
बहुत सारे छोटे-छोटे जीव से भी कम समय में छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि अभी
ये मशीन नया है और महंगा भी है। एक सिंपल फोग मशीन भी 400 वाट
का होता है और इससे ज्यादा हजारों वाट का भी होता है।
घरेलू वायरिंग, सामान एवं कनेक्शन का ज्ञान 4
ReplyDeleteअपने अच्छी जनकरी दी
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