पैरामेडिक्स
का प्राथमिक लक्ष्य होता है कि त्वरित चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करना। वर्तमान
में यह शाखा संक्रामक एवं गैर संक्रामक रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण साबित हुई
है।
मेडिकल
सेक्टर से संबंधित मशीनों पर वर्क करने वाले टेक्नीशियन भी पेशेंट के लिए उतने ही
महत्वपूर्ण हैं, जितना कि एक डॉक्टर। इस तरह के टेक्नीशियंस की
मेडिकल सेक्टर में काफी कमी महसूस की जा रही है। अगर आप चाहें, तो इससे रिलेटेड कोर्स करके अच्छा करियर बना सकते हैं।
ट्रीटमेंट का फर्स्ट स्टेप
डॉक्टर
ट्रीटमेंट से पहले यह जानना चाहते हैं कि पेशेंट को किस तरह की बीमारी है और उसका
स्वरूप क्या है? इसके लिए वे एक्सरे, अल्ट्रासाउंड,
विभिन्न प्रकार के टेस्ट आदि की हेल्प लेते हैं। इसी तरह के कार्य
पैरामेडिकल फील्ड में किए जाते हैं।
कोर्स एवं एलिजिबिलिटी
पैरामेडिकल
से रिलेटेड कोर्स 6 माह से तीन साल तक के हैं। यहां सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री के कोर्सेज तो हैं ही, साथ ही
पीएचडी का ऑप्शन भी खुला है। इनमें बैचलर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी, बीएससी मेडिकल रेडिएशन टेक्नोलॉजी, एमएससी मेडिकल
लैब टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी आदि
प्रमुख कोर्स हैं। पैरामेडिकल से रिलेटेड शुरुआती कोर्सेज के लिए मिनिमम
क्वॉलिफिकेशन साइंस स्ट्रीम से सीनियर सेकंडरी है।
जॉब ऑप्शंस
इस
फील्ड से जुडे प्रोफेशनल्स की हॉस्पिटल्स, डायग्नोस्टिक सेंटर्स,
पॉलीक्लीनिक्स, नर्सिग होम्स, रिसर्च वर्क आदि में काफी डिमांड है। खुद का अपना क्लीनिक खोलकर अच्छी
इनकम की जा सकती है।
100 परसेंट ट्रीटमेंट के लिए
मेडिकल
सेक्टर में पैरामेडिकल से रिलेटेड एक्सपर्ट्स की डिमांड इसलिए बढ रही है, क्योंकि इसके यूज से पेशेंट की वास्तविक बीमारी, उसके
विस्तार और स्वरूप की सही जानकारी मिल जाती है। एकुरेट ट्रीटमेंट के लिए
एक्सपेरिमेंट नहीं करने पडते। शुरुआती स्टेज में ही गंभीर बीमारियों का पता चल
जाता है। लोगों में आ रही जागरूकता के चलते इसके प्रोफेशनल्स की डिमांड छोटे शहरों
और कस्बों तक महसूस की जाने लगी है।
क्या है पैरा मेडिकल
पैरामेडिकल
की कार्यशली एवं स्वरूप को देखते हुए इसे मेडिकल साइंस क्षेत्र में परिभाषित किया
जा सकता है। पैरामेडिकल का कोर्स कर चुके प्रोफेशनल्स का कार्य चिकित्सक से मिलता
जुलता है। यह प्रोफेशनल्स डायग्नोसिस, फिजियोथेरेपी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, मेडिकल
लैब टेक्नोलोजी आदि का कार्य करते हैं। पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स उपचार के दौरान
मेडिकल टीम का सपोर्ट करते हैं।
जरूरी स्किल्स
कूल
माइंड
सौम्य
स्वभाव
गुड
कम्यूनिकेशन स्किल्स
हौसला
बढाने की क्षमता
टाइम
मैनेजमेंट पर पकड
सीखने
की ललक
नए
प्रयोगों के प्रति सकारात्मक नजरिया
कौन से हैं कोर्स
B.Sc. MLT
(B.Sc in Medical Laboratory Technology) n Bachelor of Physio-Therapy (BPT)
Bachelor
of Occupational Therapy(BOT)
B.Sc.
Medical Radiation Technology (B.Sc.MRT)
B.Sc.
(Medical Imaging Technology)
B.Sc.
(Medical Radiography Technology)
M.Sc.
Medical Laboratory Technology
Diploma
in Physio-Therapy (DPT)
Diploma
in Medical Lab Technology (DMLT)
Diploma
in X-ray Tehnology
Certified
Course in Radiographic Assistantship (CRA)
एजूकेशनल क्वालिफिकेशन
पैरामेडिकल
से रिलेटेड विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स संचालित किए जाते हैं। अधिकतर कोर्स के लिए
अलग-अलग क्वालिफिकेशन निर्धारित हैं। कुछ संस्थान मेरिट तो कुछ संस्थान इंट्रेंस
एग्जामिनेशन आयोजित करते हैं। अधिक जानकारी के लिए पैरामेडिकल से रिलेटेड संस्थान
की वेबसाइट का अवलोकन किया जा सकता है।
प्रमुख संस्थान
* आखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, अंसारी नगर,
नई दिल्ली
* बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
* राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ सेंटर, बेंगलुरू
* जीएसवीएम मेडिकल कालेज, कानपुर
* सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, कानपुर
पैरामेडिकल के हॉट सेक्टर
पैरामेडिकल
शिक्षा में फिजियोथेरेपी, रेडियोग्राफी, मेडिकल लैब
टेक्नोलोजी, ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट, फार्मेसी,
ऑक्यूपेशनल थेरेपी तथा नर्सिग आदि ऐसे हॉट सेक्टर हैं, जिनकी डिमांड देश ही नहीं विदेशी में भी खूब है।
रेडियोग्राफी
रेडियोग्राफी
में रेडिएशन के माध्यम से डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है। इसमें एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रा साउंड तथा एमआरआई आदि शामिल
हैं। मेडिकल टीम के साथ एक रेडियोग्राफर कार्य करता है। एक रेडियोग्राफर की डिमांड
सरकारी या प्राइवेट चिकित्सालय, नर्सिग होम तथा डायग्नोस्टिक
सेंटर में हरदम रहती है।
साइंस
स्ट्रीम से बाहरवीं उत्तीर्ण स्टूडेंट बीएससी इन रेडियोग्राफी कोर्स कर सकते हैं।
इसके अलावा सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा कोर्स का भी ऑप्सन है।
मेडिकल लेबोरेटरी
मेडिकल
लेबोरेटरी टेक्नोलोजी को क्लीनिकल लेबोरेटरी साइंस भी कहते हैं। इसके अन्तर्गत डायग्नोसिस
तथा रोगों से संबंधित टेस्ट किए जाते हैं। जिससे चिकित्सक को उपचार करने में आसानी
रहती है। क्लीनिकल टेक्नोलोजी, ब्लड बैंक, माइक्र
ोबायोलोजी तथा इम्यूनोलोजी प्रमुख हैं। मेडिकल टेक्निशियन टेक्नोलोजिस्ट एवं
सुपरवाइजर के निर्देशन में लेबोरेटरी में रुटीन टेस्ट से संबंधित कार्य करते हैं।
यह प्रोफेशनल्स सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सालय, ब्लड डोनेशन
सेंटर, इमरजेंसी सेंटर तथा क्लीनिक में जॉब्स करते हैं।
ऑप्टोमेट्री
इसमें
मनुष्य के आंख की संरचना तथा उसकी कार्य विधि शामिल है। इसके अन्तर्गत आंखों के
प्रारंभिक लक्षण, लेंस का प्रयोग एवं अन्य परेशानियों को परखा जाता
है।
ऑप्टोमेट्रिक्स
में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद
नेत्र चिकित्सालय तथा क्लिनिक पर रोजगार आसानी से मिल जाता है। बैचलर ऑफ क्लीनिकल
ऑप्टोमेट्री, डिप्लोमा इन ऑप्थलमिक टेक्नीक प्रमुख कोर्स हैं।
रिहैबिलिटेशन
मनोविज्ञान
से रिलेटेड हायर एजुकेशन में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। दुर्घटना के बाद ठीक
होने के बाद कई बार रोगी को सामान्य जीवन जीने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों को
मानसिक रूप से मजबूत बनाने क ा कार्य रिहैबिलिटेशन सेंटर में किया जाता है।
सोचें, परखें फिर लें एडमिशन
किसी
भी पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन लेने से पहले स्टूडेंट स्वयं को परख ले कि उसमें
सौम्य स्वभाव और सहनशीलता जैसे गुण हैं कि नहीं। यदि गुण हैं तभी वह प्रवेश लें।
पैरामेडिकल से रिलेटेड कोई भी एक कोर्स पूरा करके हॉस्पिटल, नर्सिग होम, स्वास्थ्य कल्याण विभाग में रोजगार की
अपार संभावनाएं हैं। कॉरपोरेट हॉस्पिटलों के बढते ट्रेंड ने पैरामेडिकल
प्रोफेशनल्स की डिमांड बढा दी है।
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