मूंगफली में छुपा सेहत का राज
मूंगफली सेहत
का खजाना है. साथ ही यह वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत भी है. इसमें प्रोटीन
की मात्रा मांसाहार की तुलना में कई गुना अधिक होती है. १०० ग्राम कधी मूंगफली में
१ लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है.मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा २५ प्रतिशत से
भी अधिक होती है. साथ ही मूंगफली पाचन शक्ति बढाने में भी कारगर है. २५० ग्राम
भूनी मूंगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाये जाते हैं, वो २५० ग्राम
मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है. मूंगफली में न्यूट्रियंटस, मिनरल, एंटी-ऑक्सीडेंट
और विटामिन जैसे पदार्थ पाये जाते हैं, जो कि
स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभप्रद साबित होता है. इसमें मोनो इनसैचुरेटेड फैटी
एसिड पाये जाते हैं, जो कि एलडीएल या खराब कोलस्ट्रॉल को कम कर के
अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाते हैं. मूंगफली में प्रोटीन, चिकनाई और
शर्करा पायी जाती है. एक अंडे के मूल्य के बराबर मूंगफलियों में जितनी प्रोटीन व
ऊष्मा होती है, उतनी दूध व अंडे से संयुक्त रूप में भी नहीं
होती. इसकी प्रोटीन दूध से मिलती-जुलती है, चिकनाई घी से
मिलती है. मूंगफली के खाने से दूध, बादाम और घी की
पूर्ति हो जाती है. एक स्टडी के मुताबिक, जिन लोगों के
रक्त में ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल अधिक होता है, वे अगर मूंगफली
खायें, तो उनके ब्लड के लिपिड लेवल में
ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल १०.२ फीसदी कम हो जाता है. अगर आप सर्दी के मौसम में
मूंगफली खाएंगे तो आपका शरीर गर्म रहेगा. यह खांसी में उपयोगी है व फेफडे को बल
देती है. भोजन के बाद यदि ५० या १०० ग्राम मूंगफली प्रतिदिन खायी जाये, तो सेहत बनती
है, भोजन पचता है, शरीर में खून
की कमी पूरी होती है और मोटापा बढता है. इसे भोजन के साथ सब्जी, खीर, खिचडी आदि में
डालकर नित्य खाना चाहिए. मूंगफली में तेल का अंश होने से यह वायु की बीमारियों को
भी नष्ट करती है. मुट्ठी भर भुनी मूंगफलियां निश्चय ही पोषक तत्वों की दृष्टि से
लाभकारी हैं. मूंगफली में प्रोटीन, केलोरिज और
विटामिन के, इ, तथा बी होते
हैं, ये अच्छा पोषण प्रदान करते हैं. मूंगफली पाचन शक्ति
को बढाती है, रुचिकर होती है, लेकिन गरम
प्रकृति के व्यक्तियों को हानिकारक भी है. मूंगफली ज्यादा खाने से पित्त बढता है.
चने में
छिपा है सेहत और सुंदरता का राज
आयुर्वेद में यह कहा जाता है कि अगर आप
फुर्तीले बने रहना चाहते हैं तो चने का सेवन नियमित रूप से करना शुरू कर दीजिये।
बस एक मुट्ठी चना से आप स्वस्थ और ताकतवर बने रह सकते हैं।
चना बहुत पौष्टिक होता है। चना चाहे भूना हुआ हो या अंकुरित किया हुआ, इसे खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।
चना आपको सुंदर और तेज दिमाग वाला बनाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं। खून की कमी, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। बालों और त्वचा की सौंदर्य वृद्धि के लिए चने के आटे का प्रयोग हितकारी होता है।
चने में 27 और 28 फीसदी फॉस्फोरस और आयरन होता है। यह न केवल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं बल्कि हीमोग्लोबीन बढा कर किडनियों को भी नमक की अधिकता से साफ करते हैं। एक कटोरा चना खाने से 28 ग्राम रेशा आपके शरीर में जाता है , जिससे पेट संबन्धी सारी शिकायते दूर रहती हैं साथ ही कब्ज हो या फिर पेट का कैंसर, दोनों ही नहीं होते।
चने में अंकुरण के 7 दिन बाद तक मिनरल्स और विटामिन्स भर पूर मात्रा में रहते हैं। इन्हें 7 दिनों के अन्दर ही खा लेना अच्छा है। अंकुरित दाने सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुये दोनों तरीके से खाये जा सकते हैं, या आप इनसे अपनी मन पसन्द कोई डिश भी बनाकर खा सकते हैं। सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुये दोनों तरीके से खाये जा सकते हैं।
चने को गरीबों का बादाम कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चने से बालों का गिरना भी रूकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करते हैं। उबले चने को सिर्फ नमक के साथ मिला कर खाने से आपका वजन भी कम हो सकता है। वैसे भी कहा गया है कि `जो खाये चना वो रहे बना`|
चना बहुत पौष्टिक होता है। चना चाहे भूना हुआ हो या अंकुरित किया हुआ, इसे खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।
चना आपको सुंदर और तेज दिमाग वाला बनाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं। खून की कमी, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। बालों और त्वचा की सौंदर्य वृद्धि के लिए चने के आटे का प्रयोग हितकारी होता है।
चने में 27 और 28 फीसदी फॉस्फोरस और आयरन होता है। यह न केवल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं बल्कि हीमोग्लोबीन बढा कर किडनियों को भी नमक की अधिकता से साफ करते हैं। एक कटोरा चना खाने से 28 ग्राम रेशा आपके शरीर में जाता है , जिससे पेट संबन्धी सारी शिकायते दूर रहती हैं साथ ही कब्ज हो या फिर पेट का कैंसर, दोनों ही नहीं होते।
चने में अंकुरण के 7 दिन बाद तक मिनरल्स और विटामिन्स भर पूर मात्रा में रहते हैं। इन्हें 7 दिनों के अन्दर ही खा लेना अच्छा है। अंकुरित दाने सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुये दोनों तरीके से खाये जा सकते हैं, या आप इनसे अपनी मन पसन्द कोई डिश भी बनाकर खा सकते हैं। सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुये दोनों तरीके से खाये जा सकते हैं।
चने को गरीबों का बादाम कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चने से बालों का गिरना भी रूकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करते हैं। उबले चने को सिर्फ नमक के साथ मिला कर खाने से आपका वजन भी कम हो सकता है। वैसे भी कहा गया है कि `जो खाये चना वो रहे बना`|
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