2/13/22

पिता और पुत्र के बीच समस्याएँ

 कोई घर ऐसा नहीं होता जहां झगड़े नहीं होते, लेकिन झगड़ा अगर गंभीर हो जाये, तो उस घर का बुरा होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे में कई रिश्‍ते होते हैं, जो बेहद नाजुक होते हैं, तो कई रिश्‍ते होते तो प्रगाढ़ हैं, लेकिन छोटी-मोटी अनबन बनी रहती है। हम बात करेंगे पिता-पुत्र के रिश्‍ते की। पिता और पुत्र का रिश्ता विचारों की डोरी से बंधा होता है। एक-दूसरे के आपसी विचार न मिलने से धीरे-धीरे यह डोरी कमजोर होने लगती और अन्तत: एक ऐसी सिथति आ जाती है कि ये अनमोल रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है। हालांकि पिता-पुत्र के वैचारिक मनभेद की सिथति लगभग हर परिवार में देखने को मिलती है। लेकिन जब यह मनभेद की सिथति मतभेद के स्वरूप का उग्र रूप ले लेती है, तो पूरे परिवार में कलह के वातावरण से अशानित छा जाती है। वैसे इस मतभेद के बहुत सारे कारण हो सकते है जैसे आर्थिक पक्ष, सम्प्रेषण अन्तराल, समय का अभाव और जनरेसन गैप आदि।

 

पिता के साथ मनमुटाव का कारण क्या है?

 

आजकल की तेजी से बदलती जिंदगी के बीच पिता-पुत्र के बीच रिश्ते बिगड़ने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे कई उदाहरण देखने सुनने को मिलते रहते हैं। अगर आपने खुद भी इसका अनुभव किया है तो ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है कि आखिर पिता के साथ संबंध क्यों बिगड़ जाते हैंअपने पापा के साथ मनमुटाव होना आम बात है। इसकी वजह से संबंध खराब हो जाते हैं। हमें जन्म देने वालों के साथ अच्छा रिश्ता रखना चाहिए। अगर आप इस बात को समझते हैं तो पिता के साथ बिगड़े रिश्ते को सुधारें। हां, एक बार कोशिश करके जरूर देखें।

 

हम में से अधिकतर लोग संबंध सुधारने का प्रयास नहीं करते हैं। इसकी वजह से पिता के साथ रिश्ता टूट जाता है। इसलिए हम यहां पर कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिनकी मदद से पिता-पुत्र के बीच बिगड़े संबंधों को सुधारा जा सकता है।

 

father son conflicts Reason and Solutions In Hindi

बेवजह कुछ भी नहीं होता है। किसी न किसी वजह से पिता के साथ अनबन होती है। इसलिए सबसे पहले कारण को समझें। अगर आप कारण नहीं समझ पाएंगे या छिपाएंगे तो ऐसे में रिश्ता नहीं सुधरेगा। इसलिए गलती चाहे जिसकी भी हो अपनी ओर से रिश्ते को पटरी पर लाने की कोशिश करें।

 

कारण 1. क्या कॉलेज या करियर चुनने को लेकर अहसमति है?

अक्सर पिता और बेटे के बीच कॉलेज या करियर चुनने को लेकर असहमति देखने को मिलती है। कई ऐसे पिता हैं जो बेटे को अपनी मर्जी के अनुसार ही चलने को कहते हैं। मगर यहां पर अपने पिता को समझाने की कोशिश करें। उनको बताएं कि आप जो चुन रहे हैं वह बेहतर कैसे है?

अगर आप अपने गुस्सैल पिता को अपनी बातों से सहमत करा लेते हैं तो फिर बात बन सकती है। यदि आपने पिता की सहमति के बिना करियर चुना तो इस पर पछतावा न करें। बल्कि अपने चुने हुए फील्ड में बेहतर करके दिखाएं ताकि वह गर्व महसूस कर सकें।

 

कारण 2. आर्थिक कारणों को लेकर बहस

शिक्षा प्राप्त करने के बाद रोजगार की बारी आती है। हर पिता चाहता है कि उनका बेटा बड़ा होने के बाद घर की जिम्मेदारी उठाए। मगर नौकरी पाना इतना आसान नहीं। अगर जॉब मिल भी गई तो सैलरी कम पड़ती है। इसलिए अक्सर आर्थिक तंगी के कारण पिता-पुत्र के बीच बहस हो जाती है। मगर इस मुद्दे को दूर करने के लिए बहस करने की बजाय अपनी समस्या बताएं। साथ ही अपने पिता को समझाएं कि आप किस तरह से आगे बढ़ने की कोशिश में लगे हैं और आने वाले दिनों में इस समस्या को दूर करेंगे।

 

कारण 3. जमीन जायदाद को लेकर मनमुटाव

अगर आप इकलौती संतान हैं तो ठीक अन्यथा बड़ा होने के बाद जमीन जायदाद के बंटवारे को लेकर परिवार में झगड़ा होता है। इस बात को लेकर कई बार पिता के साथ बात बिगड़ जाती है। मगर जमीन जायदाद से ज्यादा जरूरी है संबंध बनाए रखना। इसलिए उनको कहें कि न ज्यादा चाहिए न कम, सबको बराबर हिस्सा दें। आप इस बात को जोर जबरदस्ती के साथ न कहें।

 

कारण 4. क्या आपकी गलत आदतों की वजह से परेशान हैं पिता?

हम कई बार गलत राह पर चले जाते हैं। मगर हमें इस बात का अहसास तक नहीं होता। हालांकि माता-पिता इस बात को समझाते हैं। लेकिन हम विरोध करने लगते हैं। इस वजह से भी हमारा रिश्ता पिता के साथ बिगड़ जाता है। लेकिन आपको इस बात को समझने की जरूरत है। हां, अगर आप गलत संगति में हैं तो उसको फौरन छोड़ दें। अगर आप सही रास्ते पर हैं तो अपने पिता को अपनी बात समझाएं।

 

कारण 5. प्रेम संबंधों की वजह से नाराजगी

पिता-पुत्र के बीच अक्सर इस बात को लेकर भी अनबन होती है। क्योंकि हमारे यहां प्रेम संबंधों को अपराध की तरह माना जाता है। अगर आपके पिता आपकी गर्लफ्रेंड के बारे में जान गए हैं तो उनसे छिपाए नहीं। इसके अलावा अगर आपने प्रेम विवाह करने के लिए बोल दिया है और इस वजह से नाराजगी है तो उनको अपनी इच्छा के बारे में बोलें। इसके बाद भी नहीं मानते हैं तो आप खुद के लिए फैसला ले सकते हैं।


पिता-पुत्र के बीच बिगड़ते रिश्ते के ऐसे कई कारण हो सकते हैं। हमे यहां पर हमने कुछ अहम कारण बताए हैं। 

 

जानिए किन वजहों से उम्र के एक पड़ाव पर पिता और पुत्र के बीच बढ़ने लगती हैं दूरियां


पिता और पुत्र का रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक बच्चे को जन्म भले ही मां देती हों लेकिन दुनिया दिखाने का काम पिता ही करते हैं। बचपन में शिशु पिता के साथ खेलता है, मस्ती करता है लेकिन कई सारे परिवारों में ऐसा होता है कि जैसे-जैसे पुत्र युवावस्था की दहलीज पर कदम रखता है पिता और पुत्र के बीच दूरियां आने लगती है। जबकि यह तो वो समय है जब पिता और पुत्र दोनों के बीच का रिश्ता और प्रगाढ़ होना चाहिए। रिश्ते में एक प्रकार का मैत्री भाव आना चाहिए जो कि कई सारे पिता-पुत्र के बीच होता भी है लेकिन अधिकांश घरों में यह लापता ही होता है जिस वजह से माताएं बेहद परेशान रहती हैं। अगली स्लाइड्स से जानिए किन कारणों से पिता और पुत्र के बीच दूरियां आ जाती हैं।

 

 

पीढ़ी अंतराल (Generation gap)

पिता और पुत्र की उम्र में एक पूरी पीढ़ी का अंतर होता है। ऐसे में जो दुनिया पिता ने अपनी युवावस्था में देखी होती है, वह दुनिया पुत्र नहीं देख रहा होता है जबकि जो दुनिया पुत्र देख रहा है वो पिता के समय से बहुत भिन्न है तो ऐसे में दोनों के बीच एक दूरी आ जाती है जिसे मिटाने के लिए बहुत जरूरी है कि वह एक दूसरे के समय को जानें और समझने का प्रयास करें नहीं तो उन दोनों के मन में एक ही बात चलती रहेगी कि वे एकदूसरे को नहीं समझते हैं।

                                               

रोक-टोक

जिस उम्र से पुत्र गुजर रहा होता है उसी उम्र से पिता भी गुजर चुके हैं तो ऐसे में उन्हें लगता है वे अनुभवी हैं, उम्र के इस पड़ाव पर बेटा किसी गलत दिशा में न चला जाए इसलिए वे उसे हर जगह जाने के लिए या हर काम के लिए हां नहीं कह पाते हैं। इस रोक-टोक में फिक्र छिपी होती है लेकिन पुत्र को लगता है कि पिता अभी भी उसे छोटा बच्चा ही समझते हैं इसलिए इतनी रोक-टोक कर रहे हैं। मन ही मन दूरियां बढ़ जाती है।

 

 

स्वभाव

मां और पिता का स्वभाव बहुत अलग होता है। मां जहांं बच्चों को डांटकर पुचकार लेती हैं वहीं पिता का स्वभाव ऐसा नहीं होता है। पिता को नारियल की उपमा दी गई है, बाहर से सख्त और अंदर से कोमल। ऐसे में पिता अपने प्रेम की अभिव्यक्ति नहीं कर पाते हैं और पुत्र को लगता है कि पिता को उससे कोई मतलब ही नहीं है, वो अपनी बातों को पिता से साझा करना भी छोड़ देता है क्योंकि वहां उसे कम्फर्ट नहीं मिल पाता है।

 

 

वैचारिक मतभेद

पिता और पुत्र के बीच वैचारिक मतभेद होना बहुत सामान्य बात है। वैचारिक मतभेद वैसे किसी भी रिश्ते में हो सकता है लेकिन पिता और पुत्र के रिश्ते में दोनों ही तरफ पुरुष हैं और पुरुषों में मेल ईगो बहुत जल्दी जाग जाता है। ऐसे में वे किसी बात को एक जगह छोड़कर खत्म नहीं करते हैं बल्कि उसकी गांठ बांध लेते हैं जो कि आगे चलकर दोनों के ही दुख का कारण बनती है।

 

  

जेनरेशन गैप की वजह से पेरेंट्स और बच्‍चों में बहुत अनबन हो जाती है।

How to reduce generation gap in family in hindi

 

बच्‍चों और पेरेंट्स के बीच जेनरेशन गैप की वजह से दूरियां आने का खतरा हमेशा बना रहता है। जेनरेशन गैप के कारण गल‍ती करने पर बच्‍चे अपने पेरेंट्स को ये कह कर चुप करवा देते हैं कि आप आज की जेनरेशन के तौर-तरीके नहीं जानते हैं। कहीं ना कहीं पेरेंट्स भी इस गैप की वजह से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। जेनरेशन गैप में बच्‍चों और पेरेंट्स के कल्‍चर के बीच में बहुत फर्क आ जाता है लेकिन फिर भी दोनों तरफ से यही कोशिश की जाती है कि इस गैप को कम कैसे किया जाए और रिश्‍ते में दूरियां आने से कैसे रोका जाएं।

 

​विचारों को खुला रखें

बच्‍चे अपने पेरेंट्स से अलग सोचते हैं। पेरेंट्स अच्‍छी तरह से इस बात को समझते हैं कि इस उम्र में बच्‍चे की सोच में क्‍या बदलाव आता है क्‍योंकि वो खुद इससे गुजर चुके होते हैं। बच्‍चों की सोच कई बार पेरेंट्स के लिए शॉकिंग भी हो सकती है इसलिए इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए ओपन माइंड रखना बहुत जरूरी है। खुद को बच्‍चों की जगह रखकर देखें और सोचें कि अगर आप उसकी उम्र में अब होते तो क्‍या और कैसे करते। अपने बच्‍चों को समझने के लिए आपको ओपन माइंड रहना पड़ेगा।

 

​बातचीत से बनेगी बात

बच्‍चों के साथ रोज बात करना बहुत जरूरी होता है। एक-दूसरे से दिनभर के बारे में पूछें। इससे आपको एक-दूसरे के बारे में जानने का मौका मिलेगा और आपके बीच का रिश्‍ता नॉर्मल बना रहेगा। बच्‍चों को यह महसूस होना चा‍हिए कि वो अपने पेरेंट्स से कुछ भी बात कर सकते हैं और कुछ भी शेयर कर सकते हैं। जब बच्‍चा खुद ही आपको सब कुछ बताएगा और आपसे कुछ नहीं छिपाएगा, तो आपको भी चिंता कम होगी।

 

​बात को सुनें और समझें

पेरेंट्स को बच्‍चों को भी बोलने का मौका देना चाहिए। जब बच्‍चा बोलता है तो उसे टोके नहीं और उसकी बात सुनें। बच्‍चे के विचारों और राय के बारे में जानकर आपको समझ आएगा कि वो क्‍या चाहता है। इससे आप दोनों एक-दूसरे से पहले से ज्‍यादा करीब आएंगे। जब आप बच्‍चे की बात ध्‍यान से सुनेंगे तो वो भी आपकी बात को तवज्‍जो देगा।

 

​खूब लुटाएं प्‍यार

प्‍यार एक ऐसा जरिया है जिससे हर मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है और किसी को भी अपने करीब लाया जा सकता है। अपने बच्‍चों को ये एहसास दिलाएं कि आप उसे कितना प्‍यार करते हैं। आपके प्‍यार और सपोर्ट से उसे काफी प्रोत्‍साहन मिलेगा और वो भी आपको प्‍यार करेंगे और आपकी बात को समझने की कोशिश करेंगे।

 

इसके अलावा किसी भी रिश्‍ते का आधार समझौता भी होता है। हर किसी की राय अलग होती है और अगर दोनों ही लोग अपनी-अपनी राय पर टिके रहें तो झगड़ा हो सकता है। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्‍चों के साथ जबरदस्‍ती ना करते हुए समझौता करने की आदत भी डालनी चाहिए।

No comments:

Post a Comment