5/15/21

घर बनाने का तरीका







 






























 



घर बनाना तो वैसे बहुत ही मुश्किल काम है और साथ पैसे बहुत खर्च होते है पर अगर आप को सही तरीके पता है तो आप घर को आसानी से और कम से कम पैसो में बना सकते हो इसके लिए आपको कुछ जरुरी बाते और तरीके आपको पता होना चाहिए

 

घर बनाने से पहले क्या करना चाहिए? – Before Construction

 

बजट और आवश्यकता के अनुसार खोजें संपत्ति (Search Property According to Budget & Requirement)

सभी असली कानूनी दस्तावेज के साथ खरीदें संपत्ति (Buy Property with All the Legal Documentation)

रजिस्ट्री या पावर ऑफ अटॉर्नी करवाए (Do Registry or Power of Attorney which is Applicable)

अपनी जरूरतों को पक्का करे (Confirm your Requirement)

परिवार के साथ करे चर्चा और राय ले (Discussion with Family)

नक्शा जरूर बनवाये (Making of Floor Plan)

घर की नींव से लेकर छत तक – Complete Steps

घर शुरू करने की तैयारी करे और ज़मीन को बराबर करवाए (Site Preparation and Leveling)

खुदाई करवाना शुरू करवाए और पीसीसी (Excavation and PCC)

मजबूत नींव डालें (Foundation)

खाली जगह पे मिट्टी भरे और ईंटो की जुड़ाई का काम शुरू करवाए (Back-filling & Brick work)

प्लिंथ बीम (Plinth Beam)

सही नाप का काँलम डलवाये (Column)

ईंटो की जुड़ाई शुरू करे (Brick Work)

दरवाजे और खिड़की पर लिंटेल बीम डलवाये (Lintel Over door & Window)

छत का लेंटर पे रखे ध्यान (Upper Floor Slab with Beam)

दरवाजा और खिड़की की चौखट तैयार करवाए (Door and window Framing)

बिजली का काम और प्लंबिंग का काम शुरू करवाए (Electrical & Plumbing)

प्लास्टर शुरू करे पर रखे ध्यान (Plaster)

टाइलें और पत्थर लगवाना शुरू करे (Tiles & Stone)

घर के अंदर के काम (Interior Work)

घर के बाहर के काम (Exterior work)

 

 

सस्ता घर कैसे बनवाये

अक्सर लोग बात करते हैं मेरे मकान बनने में बहुत अधिक पैसे खर्च हो गए या मकान बनाने में ज़रूरत से अधिक लागत आ गयी।आइये देखते हैं किन चीज़ों का ध्यान रख कर हम मकान बनवाने में लगभग 10-15% की बचत कर सकते हैं अक्सर लोग बना बनाया घर/फ्लैट या घर बनाने का ठेका दे देते हैं। ऐसे घरों में खर्च ज्‍यादा आता है और गुणवत्‍ता की गारंटी भी नहीं रहती है। इससे अच्‍छा है कि अपना घर खुद बनाया जाए जिससे यह मजबूती के साथ-साथ सस्‍ता भी पड़े।

 

खर्च कैसे कम करेंगे

मकान बनवाने के खर्चे को कम करना है तो आप किसी अच्छे आर्किटेक्ट/सिविल इंजीसे मकान का नक्शा बनवाये तथा मकान में लगने वाले मटेरियल का ब्यौरा ले लें इससे आपको पता चल जाएगा आपके मकान में कितना मटेरियल लगेगा। एक बार यह योजना बन गई तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि घर बनाने में कितनी ईंट, सीमेंट, सरिया और अन्‍य सामान लगेगा।ऐसा करके आप काफी बचत कर सकते हैं जिसका उदाहरण नीचे बताया जा रहा है

 

इस जानकारी का क्या फायदा होगा

जब आपको पता चल जाएगा आपके मकान में कितना मटेरियल लगेगा उस हिसाब से आप बड़े दुकानदारों से पूरा माल खरीदने की बात कर सकते हैं जिससे आपको पुरे सामान पर अच्छा खासा डिस्काउंट मिल जाएगा और निर्माण की हर स्टेप पर आप अपनी ज़रूरत का सामान मंगवाते रहेंगे और उसकी कीमत अदा करते रहेंगे 900 वर्ग फ़ीट(100 गज) मकान के लिए खर्च में कितना अंतर आ सकता है मान लीजिए आपके पास 900 वर्ग फ़ीट का प्लाट है जिस पर निर्माण करवाना है इस प्लाट पर 800वर्ग फ़ीट के एरिया में मकान बनेगा तथा शेष भाग खाली छोड़ दिया जाएगा इसलिए हम यहाँ 800वर्ग फ़ीट की बात करेंगे Cement-800 वर्ग फ़ीट  मेंं लगभग 600 बोरी सीमेंट की ज़रूरत पड़ेगी एक बोरी सीमेंट 340 के हिसाब से 204,000 की होगी और जब आप पूरे सीमेंट को एक बार में खरीदने का समझौता करेंगे तो दूकानदार कम से कम 8-10% तक का डिस्काउंट देगा जिससे आपको करीब 20,000 की बचत होगी इसी तरह जब आप सरिया ,बालू और अन्य सामान का भी एक बार में खरीदने का समझौता करेंगे तो दुकानदार आपको अच्छा खासा डिस्काउंट देगा जिससे पूरे मकान में लगभग 2 लाख रुपये की बचत की जा सकती है

 

आर्किटेक्ट का क्या फायदा होगा

जब कोई बिना नक्शा बनवाये और बिना किसी योजना के केवल मिस्त्री के भरोसे मकान बनवाता है तो कई बार ऐसा निर्माण हो जाता है जिसे बाद में तोड़ फोड़ कर सही करवाना पड़ता है जिससे लेबर,मटेरियल और दुबारा से निर्माण में अतिरिक्त खर्च आ जाता है लेकिन जब आर्किटेक्ट द्वारा बनाये गए नक़्शे के हिसाब से निर्माण करवाया जाता हो तो सबसे पहले तो आप अपने पूरे मकान की कल्पना कर सकते हैं बनने के बाद कैसा लगेगा और अनावश्यक तोड़ फोड़ से बच कर 20-25 हज़ार बचा सकते हैं,कभी कभी ये बचत लाख रुपये तक की भी हो जाती है

 

मज़दूरो तथा मिस्त्री की संख्या और होने वाले काम में बैलेंस बना के रखना

बिना योजना के मकान बनवाते समय मज़दूरो और मिस्त्री की संख्या का अंदाजा नही लग पाता।जहाँ पर 2 मज़दूर 1 मिस्त्री के साथ काम करवाया जा सकता है योजना के अभाव में वहां 4 मज़दूर 2 मिस्त्री काम कर रहे होते हैं लेकिन आर्किटेक्ट की सलाह से आप निर्माण की हर स्टेज पर काम करने वाले लेबर मिस्त्री की संख्या में संतुलन बना कर खर्च को कम कर लेंगे जो आपको अंत में काफी बचत करवाएगा

 

 खर्च को कम कैसे करें | Kam Budget Mein Ghar Kaise Banaye


घर मानव की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है. आज कल घर बनवाना बहुत महँगा हो गया हैं पर इतना महँगा नहीं कि जितना लोगों ने बना दिया है. अगर योजनाबद्ध तरीके से घर का निर्माण किया जाये तो कम बजट में भी घर का निर्माण किया जा सकता है. ऐसा करने पर लगभग 10 से 15 फीसदी पैसा हम लोग बचा सकते हैं. अक्सर लोग जमीन खरीद कर मकान बनाने का ठेका दे देते हैं. ऐसे में खर्चा ज्यादा आता है और उसकी गुणवत्ता की भी गारंटी नहीं रहती. इसलिए घर निर्माण से पहले योजना बनाना जरूरी है. आईये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण टिप्स के बारे में जो कम खर्च में घर बनाने में काम आयंगे

 

अगर आपको मकान बनाने के खर्चे को कम करना है तो आप किसी अच्छे सिविल इंजीनियर से सबसे पहले मकान का नक्शा बनवाएं और मकान के खर्चे का ब्योरा लें. इससे आपको पता चल जायेगा कि आपके मकान में कितनी कच्ची सामग्री लगने वाली है. इस स्थिति में आप सारा मैटेरियल एक साथ लेंगे तो डिस्काउंट मिलेगा.

 

आर्किटेक्ट/सिविल इंजिनियर से सलाह लें

जब कभी लोग बिना नक्शा बनवायें व बिना किसी योजना के केवल मिस्त्री के भरोसे पर मकान बनवातें हैं तो कई बार ऐसा निर्माण हो जाता है कि फिर बाद में उसको तोड़ फोड़ कर सही करवाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में आपका दुबारा खर्चा हो जाता है. जब आप किसी अच्छे आर्किटेक्ट या सिविल इंजिनियर के द्वारा मकान का नक्शा बनाकर मकान निर्माण करवाते हैं तो आप कल्पना कर सकते हैं कि मकान देखने में कैसा लगेगा और अनावश्यक तोड़ फोड़ का खर्चा भी बच सकता है.

 

निर्माण के बाद न करें बदलाव

हम लोग अपने घर का नक्शा तैयार करवा लेते हैं और उसके दवारा निर्माण कार्य करवाते हैं परंतु मन बदलने पर हम बाथरूम, बैडरूम और किचिन में बदलाव करते हैं जिससे खर्चा और अधिक बड़ जाता है. इससे बचने के लिए हमें घर के नक़्शे का 3 D मॉडल या 3 D नक्शा बनवा लेना चाहिए जिससे हम अपने घर का वास्तविक रूप देख सकते हैं.

 

कम दीवारों का उपयोग करें

घर बनाते समय याद रहे कि जितनी दीवारें कम होंगी उतना अच्छा होगा. इसके साथ ही याद रहे घर की अंदरुनी दीवारों की मोटाई बाहरी दीवारों से कम हो जिससे घर को स्पेसल लुक मिलने के साथ पैसों की भी बचत होगी.

 

वर्गाकार घर का निर्माण करवाएं

यदि आप अपने घर को कम बजट में बनाना चाहते हैं तो घर को वर्गाकार आकार में बनाना चाहिए. घर निर्माण करने वालों के अनुसार वर्गाकार डिजाईन में घर का निर्माण करने में लागत में काफी कमी आती है और हमारे बजट में ही घर निर्माण का कार्य पूरा हो सकता है.

 

अन्य ध्यान देने योग्य बातें | Low Cost House Construction In India

फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग करें, इसकी कीमत बाजार में 6-7 रुपये है. इस ईंट का उपयोग करने से इसमें वर्कर की ज्यादा जरुरत नहीं होती है और मोर्टार की भी ज्यादा जरुरत नहीं होती, इस प्रकार पैसा बचता है. इस ईंट के ऊपर प्लास्टर करने की भी आवश्यकता नहीं होती आप डायरेक्ट पी.ओ.पी. लगवा सकते हैं.

RCC चौखट का उपयोग कर सकते हैं.

मार्बल का उपयोग कम करें.

टॉयलेट और बाथरूम साथ में ही बनवाएं.

रेडीमेड RCC सेप्टिक टैंक का उपयोग करें. इससे लेबर कॉस्ट बचेगा.

इलेक्ट्रिक पॉइंट कम बनवाएं.

अगर बालकनी की जरुरत न हो तो मत बनवाइये.

 


  




















Building construction drawings knowledge in Hindi | मकान के सभी नक्शे की जानकारी

बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के लिए विभिन्न नक्शे की जानकारी (Building construction drawing types in hindi)

 

विभिन्न प्रकार के नक्शे (Drawings) बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में उपयोग किए जाते हैं जैसे कि वास्तुकला (Architectural) ड्राइंग, स्ट्रक्चरल, विधुत, प्लंबिंग ड्राइंग। ये नक्शे मकान के प्रत्येक भाग के निर्माण के लिए लेआउट योजना और डिटेल्स प्रदान करते हैं।

 

कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे अन्य लोगों को नक्शे से जरुरी दिशानिर्देश मिलती है क्योंकि यह डिजाइन इंजिनियर की विचारधारा और योजना को व्यक्त करता है। ड्राइंग का उपयोग सटीक मापने और निर्माण के लिए अन्य विवरणों को इंगित करने के लिए किया जाता है।

 

 बिल्डिंग के नक्शे के प्रकार (Building construction drawing types) :

 कंस्ट्रक्शन के लिए विभिन्न प्रकार के ड्राइंग का उपयोग किया जाता है। जिस उद्देश्य से उनका इस्तेमाल होता हैं, उसके आधार पर नक्शा 5 प्रकारों में विभाजित हैं:

आर्किटेक्चरल नक्शा (Architectural drawings) : वर्किंग प्लान (Working plan), एलिवेशन ड्राइंग (Elevation Drawing) etc.

संरचनात्मक नक्शा (Structural Drawing) : फूटिंग प्लान (Footing plan), कॉलम डिटेल्स (Column plan), शटरिंग प्लान (Shuttering plan) etc.

इलेक्ट्रिकल नक्शा (Electrical Drawing)

पाइपलाइन नक़्शा (Plumbing Drawing)

फिनिशिंग नक़्शा (Finishing Drawing)

 

1. वास्तुकला रेखाचित्र (Architectural drawings)

आर्किटेक्चरल ड्राइंग निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली अन्य सभी ड्राइंग का आधार होता है। इसमें प्रोजेक्ट के सभी विवरण जैसे साइट प्लान, बिल्डिंग की ऊँचाई, फ्लोर प्लान, अनुभाग और अन्य विवरण शामिल होते हैं।

इसका उपयोग योजना को धरातल पर उतारने के लिए किया जाता है। यह स्थान, साइट की स्थलाकृति, भूदृश्य उपयोगिता के बारे में जानकारी देता है।

 वर्किंग प्लान (Working plan)

 यह ड्राइंग भवन के क्षैतिज आयाम, दीवारों की मोटाई, रूम की लम्बाई-चौड़ाई और स्तंभों की जानकारी देता है। यह बिल्डिंग में आवश्यक संरचना जैसे खिड़कियां, दरवाजे और वेंटिलेटर को भी दर्शाता है।

  ऊंचाई ड्राइंग (Elevation Drawing)

 एलिवेशन ड्राइंग भवन की ऊंचाई, बाहरी सतह के आकार और सूरत की जानकारी दर्शाता है।

खंड चित्र (Section Drawing)

 सेक्शन ड्राइंग इमारत के विभिन्न घटकों की माप और ऊँचाई, संरचनात्मक अवयव के प्रकार जैसे स्लैब, निर्माण की सामग्री आदि को दर्शाता है। अगर इमारत को सीधा काट के देखा जाये तो वो कैसा लगेगा वो यही ड्राइंग बतलाता है।

 

2. संरचनात्मक ड्राइंग (Structural Drawing)

स्ट्रक्चरल ड्रॉइंग को भवन की रीढ़ की हड्डी की ड्राइंग कहा जा सकता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस प्रकार की ड्राइंग भवन के संरचनात्मक ढांचा के बारे में सभी जानकारी प्रदान करती है। बहुमंजिला इमारत के लिए ये बहुत आवश्यक है। इसमें कई प्रकार के ड्राइंग शामिल हैं।

 इसमें इमारतों के नियमों (building by laws) से सम्बंधित जानकारियां होती है। इसमें कोई चित्र नहीं होता है, बल्कि अन्य विवरण जैसे कंक्रीट मिश्रण का ग्रेड, सरिया और सीमेंट का ग्रेड, लैपिंग की लंबाई, पानी देने की अवधी, संक्षिप्त नाम और अन्य कार्य प्रक्रियाएँ होती है।

 खुदाई ड्राइंग (Excavation Drawing)

 यह ड्राइंग नींव के लिए खुदाई, फूटिंग प्लान और स्तंभ की ग्रिड लाइनों को दर्शाता है।  यह ड्राइंग स्तंभ की स्थिति और कॉलम में सरिया की जानकारी देता है।

 पाया बीम नक़्शा (Plinth Beam Layout)

यह ड्राइंग भवन में पाया के आयाम, स्थिति और प्लिंथ बीम में सरिया की जानकारी देता है।

 शटरिंग लेआउट (Shuttering plan)

यह ड्राइंग छत की बीम और छत की स्तिथि, लम्बाई-चौड़ाई, उसमें लगने वाले सरिया आदि की जानकारी देता है।

 

3. विद्युत नक्शा (Electrical Drawing)

इलेक्ट्रिकल ड्राइंग बिल्डिंग के पंखे, प्रकाश के लिए बल्ब, स्विच के स्थान और अन्य का विवरण दर्शाते हैं। यह विद्युत लोड गणना, बिजली की खपत, वायरिंग पथ और अन्य घटकों को दर्शाता है।

 

4. पाइपलाइन नक़्शा (Plumbing Drawing)

प्लंबिंग ड्राइंग में पानी की आपूर्ति प्रणाली के लिए पाइपिंग, टैप, सीवर और ड्रेनेज पाइप की जानकारी होती है।

 

 5. फिनिशिंग नक़्शा (Finishing Drawing)

फ़िनिशिंग ड्रॉइंग फर्श का स्वरूप, पेंट का रंग, सीलिंग शेप, प्लास्टरिंग आदि जैसे बिल्डिंग के हर कंपोनेंट के अंतिम कार्य को दर्शाती है। ये विवरण एलिवेशन ड्राइंग में भी दिए गए होते हैं।

किसी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक ड्राइंग का कोई तय नियम नहीं है। भवन के प्रकार और आवश्यकता के आधार पर नक्शे के प्रकार बनाए जाते हैं।


















भवन निर्माण से जुड़े कुछ जानकारिया

मकान बनवाने के दौरान बजट अधिक हो ही जाता है यह निर्माण कार्यो में साधारण सी बात है क्योकि अतिरिक्त कार्य बड़ते ही चले जाते है .. भवन निर्माण के लिए मटेरियल सहित ठेके पर काम करने वाले सही मिले तो ठीक है वरना ये ऐसे ऐसे चार्जस लेते है जिससे मकान बनवाने वाले की जेब अच्छी खासी ढीली हो जाती है पुरे पैसे देकर भी यदि कोई चीज सही नहीं मिलती हो बहुत अखरता है अब मैं बात करता हूँ भवन निर्माण की इस में एक तो जानकारी क आभाव की वजह से पुरे पैसे लेने के बाद भी निर्माण सामग्री सही क्वालिटी की नहीं मिल पाती है .

 

एक मकान बनवाने के दौरान ठेकेदार लेंटर नाप , सीडिया का नाप , सेप्टिक टेंक का नाप ,बाउंड्री वाल का नाप इसके अलावा भी ठेकेदार के पास बहुत से नाप होते है जिसे नाप कर वो आप का बजट बिगाड़ सकता है. ठेकेदार के नाप के आगे साइड इजीनियर और आर्कीटेक्ट भी नतमस्तक हो जाते है

 

भवन निर्माण के दौरान तकनिकी गलतिया एक सामान्य धटना है जो धटित होते रहती है इसमें गलती बिल्डिंग की डिज़ाइन की , इंजिनियर की लेबर की ,ठेकेदार की ,मटेरियल की क्वालिटी की या मौसम किसी की भी हो सकती है .सबसे महत्वपूर्ण यह है की उसे कैसे जल्द से जल्द निपटा जाय और समय रहते सुधारा जाये

 

यदि आप अपने प्लाट पर अपना स्वतंत्र मकान बनवा रहे है तो ध्यान रखे की पानी की व्यवस्था पहले से कर ले और कोशिश करे की जब भी आप अपने बनते हुए मकान को देखने जाये तो कुछ देर के लिए ही सही पाइप लेकर पानी की तराई जरुर करे ऐसा करने से आप को अपने मकान की निर्माण की बारिकिया दिखाई देगी और उसके गुण दोष आसानी से नजर

बरसात का मौसम नजदीक है और ऐसे में घरो में पानी के सीपेज की समस्या का निदान नहीं किया गया तो बिल्डिंग में किया गया पेंट ख़राब होने की सम्भावनाये है वैसे ऐसा अक्सर सटे हुए भवनों में होता है

मकान बनवाते समय सबसे महत्वपूर्ण कार्य यदि पुरे स्ट्रकचर में पानी पट्टी को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए ये पानी पट्टी ही दीवाल , छज्जे लेंटर से पानी के रिसाव को अन्दर आने से रोकती है

100 में से 70% लोग भवन निर्माण के बारे में कुछ ज्यादा जानते ही नहीं है और जो जानकारिया उन्हें मिलती है जो मकान बनवा चुके होते है उन के अनुभव के आधार पर मिल जाती है जो की एक घर बनवाने के लिए काफी नहीं होती है और इसी बात का फायदा कांट्रेक्टर और लेबर ठेकेदार उठाते है क्योकि वो जानते है की मकान बनवाने वाला ज्यादा कुछ नहीं जनता है इस सेक्टर की खासियत यह है की मकान बनवाने वाले का जो साइड इंजिनियर है भी अक्सर ठेकेदार का पक्ष लेते है

ईट---रेत---गिट्टी ---सीमेंट ---छड़ ....और लेबर ठेकेदार के अलावा एक मकान बनाने में कम से कम 100 से भी अधिक चीजे लगती है और इन को कम से कम 5 से 6 अलग अलग प्रकार के काम करने वाले कुशल कामगारों की जरूतर पड़ती है

अपने मकान में गार्डन हर कोई चाहता है ...अपार्टमेन्ट में तो यह संभव नहीं है ....स्वतन्त्र आवासीय परिसर में यह संभव है और सिर्फ एक तरीका है गार्डन के लिए ज्यादा से ज्यादा जगह छोड़ना ...पर महगी जमीनों में कौन ज्यादा जगह छोड़ता है ..इस का तरीका है की छत या टैरेस पर यह संभव है . यदि आप नया मकान बनवा रहे है तो आप बिल्डिंग के स्ट्रक्चर में इसे डिज़ाइन करे ऐसा करने से बिल्डिंग का लुक्क और भी बढ जायेगा

Electricians अकसर गलतिया करते है और खामियाजा मकान बनवाने वाले को भुगतना पड़ता है ... आप यदि मकान बनवा रहे है तो लेंटर में पाइप और प्लास्टर के पहले स्विच बोर्ड निर्धारित स्थान में ही लगे इस कार्य को गंभीरता से

मकान बनवाने के दौरान ध्यान रखे की फेन बॉक्स आप के लेंटर को कमजोर कर सकता है वैसे फेन बॉक्स की ऊंचाई 3' इंच की होती है और लेंटर की मोटाई लगभग 5' इंच तक की जाती है अब ये दो इंच में ही सारी गड़बड़िया होती है .

दुकानों में रैक बनवाना काफी खर्चीला होते जा रहा है.फ़िलहाल स्टेनलेस स्टील और ग्लास , प्लाई और लकड़ी , लोहा-टीन और एंगल, मार्बल, राजिम स्टोन ही प्रचलित है. इसमें सबसे आकर्षक लॉन्ग लाइफ मार्बल ही है पर यह किराए की दुकान के लिए उपयक्त नहीं किराये की दुकान के लिए टेनलेस स्टील और ग्लास लोगो की पहली पसंद बना हुआ है

भवन निर्माण के लिए बारिश का मौसम सबसे बढ़िया रहता है ..बस आप के पास मटेरियल का स्टाक होना चाहिए ...बस थोड़ी लेबर कास्ट बढ़ जाती है वो भी तापमान सामान्य रहने से मजदूरो के कार्य करने की छमता बढ़ ने की वजह से वसूल हो जाती

मकान के लेंटर की ऊंचाई सामान्यत 10 फुट रखी जाती है( फ्लोर से लेंटर के बिच की दुरी ) यदि आप नया मकान बनवा रहे है तो ध्यान रखे की आज कल मकानों में फाल सीलिंग का भी ट्रेंड ज्यादा चलन में है ऐसे में 10 फुट की उंचाई कुछ कम हो जाती है तो कोशिश करे की मकान के लेंटर की ऊंचाई 11.3" फुट होनी चाहिए .इसमें फाल सीलिंग की डिजाइन भी अच्छी लगती है और ऊंचाई भी कम नहीं होती है ..हालाकि लगत में थोड़ी बढोतरी हो जाती है

प्राया  तर हर भवन में सीढ़ी के पास का हिस्सा या सीढ़ी के निचे का भाग बेकार हो जाता है मकान ,दुकान बनवाते समय इस स्थान की प्लानिंग जरुर करे ,अलमारी ,स्टोर , शो केश ,बाथरूम ,स्टडी टेबल इन स्थानों पर आसानी से बनाये जा सकते है

 

मकान की छत

 

 

किसी भी भवन के निर्माण में प्रति वर्ग फीट 4-4.5 किलो सरिया का इस्तेमाल होता है। दो सरिया के बीच दो इंच की जगह बराबर रखी जाए तो बिल्डिंग को 100 वर्ष से अधिक तक सुरक्षित रखा जा सकता है। किसी भी भवन का निर्माण करते समय सरिया को आयताकार में रखना जरूरी है। इसका फायदा ये होता है किसी भी प्रकार का कंपन भवन में नहीं होता है। इससे दीवारें तो मजबूत रहती ही हैं,भवन भी पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।

जब कभी मकान की छत डाली जाती है तो वह बिना दीवारों के तो पड़ ही नहीं सकती है। इसलिये आवश्यक होता है कि पहले दीवारों की स्थिति जान ली जानी चाहिये। मज़बूत और सुरक्षित मकान तभी बन पाता है जब दीवारों के साथ बीच बीच में आरसीसी (Reinforced Cement Concrete) के कालम खड़े किये गये हों। इनकी जमीन में गहराई मकान की ऊँचाई की लगभग एक तिहाई हो, मोटाई कम से कम 9”x9” हो तथा दो कालमों के बीच की दूरी 12 फ़ीट से अधिक न हो।वरना जहाँ कालम की मोटाई बढ़ानी पड़ती है, वहीं बीम भी डालनी पड़ सकती है। आरसीसी के कालम में उपयोग होने वाली लोहे की छड़ें बनने वाले मकान के अनुसार आवश्यक गणना के उपरांत निकाली जाती हैं जिसमें कम से कम 10 सेमी वाली चार छड़ें होती हैं जिन्हें आपस में लोहे की छड़ से तैयार किये गये रिंग से बाँधकर खड़ा किया जाता है। रिंग की आपस में दूरी भी एक फ़ुट से अधिक नहीं होनी चाहिये।

दीवारें खड़ी हो जाने के बाद यह देखा जाता है कि कोई बडा सा हाल तो नहीं है या कमरे बहुत बड़े तो नहीं है। यदि ऐसा है तो छत को रोकने के लिये बीम का डालना अति आवश्यक हो जाता है। बीम कालम की तरह ही होती है, कालम जमीन पर खड़े किये जाते है और बीम इन्हीं कालमों के ऊपर क्षैतिज अवस्था में होती हैं। ये दो तरह की होती हैं एक गुप्त होती हैं जो छत में ही छुपी रहती है जिसे दो कालमों के बीच लोहे की अधिक छड़ें डालकर तैयार किया जाता है। यह बड़े कमरे अथवा छोटे हाल के लिये ठीक रहती हैं। दूसरी दिखाई देने वाली होती हैं जिन्हें आसानी से देखा जा सकता है। इन्हें परिस्थिति के अनुसार या तो छत के नीचे रखा जाता है अथवा छत के ऊपर।

इसके बाद नंबर आता है शटरिंग का।इसे कुछ लोग आम बोलचाल में ढूला बाँधना भी कहते हैं।इसमें सबसे पहले लोहे के गर्डर अथवा मज़बूत लकड़ी की बल्लियाँ एक दीवार से दूसरी दीवार तक इस तरह डाली जाती हैं जो डाली जाने वाली छत से थोडा नीचे हों। इसके लिये दीवारों में पहले से ही छेद अथवा रोपे छोड़ दिये जाते हैं जिनमें बल्लियाँ या गर्डर आसानी से फ़िट हो सके। इनकी आपस में इतनी दूरी रखी जाती है जिस पर लकड़ी की बनी फंटियां आसानी से बिछ सकें। गर्डर अथवा बल्लियाँ फ़िट करने के बाद लकड़ी की फंटियां बिछाई जाती हैं जो लगभग 3 फ़िट लंबीं, तीन इंच चौड़ी और एक इंच मोटी होती हैं। इन्हें इस तरह बिछाया जाता है कि छत पड़नेवाली कोई जगह ख़ाली न रहे न कहीं कोई दरार नज़र आये। फंटियों की बजाय लकड़ी के तख्ते या लोहे की विशेष रूप से निर्मित चादरें भी बिछाई जा सकती हैं। साथ ही साथ गर्डरों या बल्लियों के झुकाव को रोकने के लिये उनके नीचे कुछ बल्लियाँ खड़ी कर दी जाती ही हैं जिन्हें मुद्दे कहा जाता है। यदि छत में दिखाई देने वाली बीम डाली जानी है तो उसके लिये भी इसी समय तैयारी कर ली जाती है।

अब छत डालने वाले स्थान को समतल किया जाता है जिसमें पहले मिट्टी डाली जाती है उसके बाद ऊपर से रेत डाला जाता है ताकि छत मे डाला जाने वाला मसाला न चिपके।कुछ लोग छत को ऐसा करना चाहते हैं कि नीचे प्लास्टर ही न करना पड़े तो उसका भी प्रबंधं यहीं कर लिया जाता है।

इतना कर लेने के बाद लोहे की सरिया बिछाई जाती हैं। जहाँ बीम रहती हैं वहाँ बीम के हिंसाब से कुछ ज्यादा ही सरिया डाली जाती हैं। शेष हिस्से में चार चार इंच की दूरी पर ये सरिया देनें ओर से डाली जाती हैं। प्रयास होना चाहिये कि वे जितना ज्यादा लंबी डाली जा सके डालिये। जहाँ कालम हैं वहाँ विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। कालम की कुछ छड़ें छत के अंदर के लिये मोड़ देनी चाहिये। जितनी छड़ें मोड़ी जायें उतनी ही छड़ें छत से कालम की ओर ले जाकर ऊपर की ओर ले जानी चाहिये जिससे लगे की कोई छड़ मोड़ी ही नहीं गई है। अब ऊपर नीचे आ रही सरियों को तार की सहायता से बाँध दीजिये। ऐसा करने से सरिया अपनी जगह बनी रहेंगी। जब सरिये का जाल पूरा बिछ जाये तो जाल को थोडा ऊपर उठा दिया जाय ताकि छत डल जाने पर सरिया न ऊपर चमके और न नीचे ही नज़र आये। छत में कितना सरिया उपयोग होता है उसका मोटा हिसाब यह है कि 100 वर्ग फ़ीट में एक कुंतल सरिया लग जाता है।

यदि आप चाहते हैं कि बिजली के तार छत के अंदर ही रहें तो आप इसी समय तार डालने के लिये पाइप, फ़ैन बॉक्स आदि का प्रबंध करवा लीजिये। इसके अलावा यदि छत पर ही कोई बाथरूम बनवाना चाहते हैं तो सैनिटरी पाइप, नैनी ट्रैप आदि भी डलवा लीजिये, नहीं तो वह स्थान ऊँचा रखना पड़ेगा।

छत के चारों ओर छत की मोटाई के बराबर ऐसा प्रबंध कर दीजिये जिससे छत डाले पर छत का मसाला नीचे न गिरे।

अब यह छत मसाला डालने के लिये तैयार है।पानी का हल्का छिड़काव करने के बाद मसाला डालना शुरु कर देना चाहिये और उसे साथ के साथ फैलाते भी रहना चाहिये, वरना सेट हो जाने पर उसका फैलाना आसान नहीं होता है। सामान्य घरों में छत की मोटाई चार इंच रहती है तथा मसाले में यदि एक बोरी सिमेंट लिया जाता है तो तीन बोरी रोड़ी और तीन ही बोरी मोटे रेत की होनी चाहिये।

यह आवश्यक नहीं होता है कि छत में पड़े मसाले का घनत्व हर जगह समान हो। इसे समान करने के लिये सरफेस वाइब्रेटर की ज़रूरत होती है।इसे छत पर हर जगह घुमा दिया जाता है। जहाँ ज़रूरत होती है वहाँ मसाला डालकर सतह को समतल कर दिया जाता है।ऐसा करने से छत में कोई छिद्र आदि होगा तो वाइब्रेटर की सहायता से वह स्वत: भर भी जायेगा, वरना भविष्य में छत पर पड़ने वाले पानी को रिसने से रोक पाना बेहद मुश्किल होगा।

अगले दिन इसकी क्योरिंग या तराई करना अति आवश्यक होता है जो पानी डालकर की जाती है।अन्यथा छत में दरार पड़ जाने की संभावना रहती है। इसे लगातार 4–5 दिन तक करना पड़ता है।

10–12 दिन बाद आप इसकी सारी शटरिंग खोल डालिये।

 

मकान की छत बनवाते वक्त कुछ खास चीजों का ध्यान रखें।

 

सीमेंट ताज़ा होना चाहिए, ऐसा नहीं कि सीमेंट कई दिन पहले ही मंगा कर रख लिया जाए, ठीक मकान की छत लदने के एक दिन पहले सीमेंट मंगाना चाहिए, इसके अलावा सीमेंट पेपरबैग होना चाहिए। अच्छे ब्रांड का इस्तेमाल करें जैसे अल्ट्राटेक या एसीसी।

सरिया हमेशा ब्राण्डेड ही इस्तेमाल करें। जैसे टाटा स्टील या जिंदल पैंथर, लोकल सरिया कबाड़ से बनता है। जिसकी मियाद बहुत कम समय के लिए होती है। सरिये का टेस्ट सर्टिफिकेट अवश्य देखें।

इसके अलावा किसी अन्य इंजीनियर की मदद से अन्य मैटेरियल की जांच जरूर करवाएं। ताकि प्रोडक्ट की क्वालिटी की कमी से कोई समस्या न आये।

मसाले की मिक्सिंग पर खास ध्यान दें । इसके लिए आप इंजीनियर से सलाह लेलें की मिक्सिंग में रेशियो कितना कितना रहेगा। एवम मसाले को खूब मिक्स करवाएं अन्यथा छत की सेटिंग सही नहीँ होगी।

एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए और वो है छत की ढलान। यदि ढाल में कमी रह गई, या किसी एक स्थान पर पानी रुकने की जगह रह गई तो आप जीवन भर पानी निकालने के लिए परेशान होंगे।

 

 

मकान की नींव बनबाते समय किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए?

मकान का पूरा भार मकान की नींव ही वहन करती है। मकान की नींव उस भार को नींव के नीचे की जमीन की सतह पर ट्रांसफर करती इसलिए सबसे पहले नींव को जमीन के नीचे की कठिन(हार्ड रॉक या मुरुम) सतह तक खोदना चाहिए।जब तक यह हार्ड सतह (सरफेस) नहीं मिले खोदते रहना चाहिए।अगर यह 8/10 फुटसे भी नीचे हो तो फिर पाइल फाउंडेशन का सहारा लेना चाहिए। खैर मकान बनाना हो तो अच्छे आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजीनियर को नक्शा बनानेकी और घर के हर एक पहलू को इंस्पेक्ट करके पास करने की जिम्मेदारी सौंपे। आजकल घर बनाने की तकनीक काफी विकसित हो गयी है उसका फायदा लें।और जानकारी हासिल करनी हो तो जहां मकानों का निर्माण कार्य चल रहा हो,वहां नींव से लेकर शिखर की पानी की टंकी तक (ओवर हेड टैंक) बांधकाम का निरीक्षण करें।आपके ज्ञान में कई गुना वृद्धि होगी।यह ज्ञान आपको जीवन भर काम आएगा।अपना खुद का मजबूत तथा सुंदर मकान, सुरक्षित और आनंदी जीवन के लिए बहुत जरूरी होता है। और मकान यह मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।इसके बारे में सारी जानकारियां जहां संभव हो हासिल करते रहें,आगे बहुत काम आ सकता है।

 

घर बनाते समय छत की वाटर प्रूफिंग कैसे करें?

छत ढालने के समय कंक्रीट बनाने के दौरान सीमेंट के साथ केमिकल मिलाकर छत को वाटर प्रूफ किया जाता है।

 

बाजार में ऐसे कई उत्पाद मौजूद होते है जैसे- Dr.Fixit LW, Asian Paints, Nerolac Perma इत्यादि, जिसका 200 ml एक बैग सीमेंट में मिलाकर कंक्रीट बनाया जाता है।

 

 

घर बनवाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चा​हिए?

अपने आप से घर बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। यदि आपके पास एक भूमि और पर्याप्त निधि है, तो आप शुरू कर सकते हैं। कई लोग लागत बचाने के लिए खुद से अपना घर बनाना चाहते हैं। यह एक अच्छी पहल है। लेकिन इस खेल में सफल होने के लिए कुछ होमवर्क करना चाहिए।

 

बजट के भीतर घर बनाने में सफलता पाने के लिए और कार्य के क्रम के साथ-साथ निम्नलिखित बिंदु बहुत महत्वपूर्ण हैं।

 

ठेकेदारों या विक्रेताओं का चयन - एक सही सिविल ठेकेदार या विक्रेता का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। ठेकेदार संसाधनपूर्ण होना चाहिए और उसका एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। उसके पास पर्याप्त जनशक्ति, संयंत्र और मशीनरी और साख होनी चाहिए। उसके पास कम से कम तीन परियोजनाओं के समान प्रकार के काम के सफलतापूर्वक निष्पादन के लिए पिछला अनुभव होना चाहिए। यदि संभव हो तो ठेकेदारका काम चलने वाले स्थलों पर जा सकता है और उसके अपनी कारीगरी, श्रमशक्ति और मशीनरी आदि की जांच कर सकता है। एक अच्छा ठेकेदार का मकसद हमेशा सही समय में काम पूरा करना होता है। वह समय का मूल्य जानता है।

 

कार्य अनुसूची तैयार करना - किसी भी परियोजना के काम पर नज़र रखने के लिए यह एक बहुत ही उपयोगी कार्य है। जब भी किसी ठेकेदार या विक्रेता को कोई काम सौंपा जाता है, तो लिखित रूप में एक कार्य अनुसूची होनी चाहिए। इसे ठेकेदार द्वारा तैयार किया जाना चाहिए और इसे ग्राहक द्वारा सहमति दी जानी चाहिए। कार्य अनुसूची में, तिथियों के साथ प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए कार्य का विवरण और दिनों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए। काम शुरू करने से पहले इसे बनाया जाना चाहिए। कार्य की प्रगति के दौरान इस कार्य अनुसूची की समीक्षा हर हफ्ते ग्राहक और ठेकेदार द्वारा एक साथ की जानी है। यदि किसी कार्य में देरी होती है, तो उसके वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए उसका विश्लेषण और सत्यापन किया जाना चाहिए। सही निर्णय लेने में देरी के उचित कारणों को हल किया जाना चाहिए। यह अभ्यास एक अच्छा परिणाम देता है। यह सभी को अपडेट रखता है। प्रगति सहज हो जाती है। यह ग्राहक और ठेकेदार के बीच विरोधाभास कम बनाता है। इस प्रकार, एक अच्छा रिश्ता और बेहतर कारीगरी बनता है। यह किसी भी परियोजना के काम के लिए एक बहुत ही उपयोगी टेक्निक है।

 

ड्राइंग - निर्माण कार्य शुरू करने से कम से कम एक महीने पहले सभी काम करने वाले चित्र हाथ में तैयार होने चाहिए। संबंधित कार्य की ड्राइंग को पहले से प्राप्त करने के लिए इसे नियमित रूप से आर्किटेक्ट के साथ संवाद करना चाहिए। ड्राइंग में देरी के बारे में कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए। आवश्यक सुधारों के लिए किसी भी विसंगतियों की जांच के लिए कम से कम 20 दिन पहले ठेकेदार को आरेखण दिए जाने चाहिए। ड्राइंग में पाई गई किसी भी विसंगति को आर्किटेक्ट को सूचित किया जाना चाहिए और उसे संशोधित ड्राइंग देने के लिए कहना चाहिए।

 

बजट बनाना - एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य, निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक बजट तैयार करना है। धारणा या सुनवाई के लिए मत जाओ। इसकी गणना वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार और भविष्य के मूल्य वृद्धि के प्रावधानों के साथ की जानी चाहिए। यह संभावित खर्चों की एक स्पष्ट तस्वीर देता है और फंड की व्यवस्था करने में मदद करता है। अगर आपको लगता है कि बजट उपलब्ध फंड से अधिक है, तो आप बजट में कुछ आवश्यक सुधार या समायोजन कर सकते हैं। बजट नियंत्रण की रेखा है जो अनुचित खर्चों को नियंत्रित करने में मदद करती है।

 

 


 















नया मकान बनाते समय हमें कौन-कौन सी बाते ध्यान में रखना चाहिए?

पहले कई लोगों के नए बने घर देखो..फिर अपने घर का बेहतरीन नक्शा बनवाओ!

जिन कारणों से आपने पुराना घर तोड़ा है वो हमेशा दिमाग में रखो (घर का सड़क से नीचा होना, दरवाज़े खराब होना, पुरानी दीवारें, घर में दरारें, सुविधाओं की कमी)

छतों को कम से कम 11–11.5 फीट तक ऊंचा ज़रूर रखें ताकि नई सड़क बनने पर आपके पास भविष्य में घर को ऊंचा उठाने का प्रावधान रहे!

टैंकी भरने पर पानी का पता चले इस लिए निकासी पाइप किचन या किसी ऐसी जगह पर हो जहां से टैंकी भरने का पता चले!

पहले भरत (मिट्टी डाल कर) डाल कर घर को कुछ समय के लिए छोड़ना अच्छा माना जाता है ताकि मिट्टी जम जाए

कमरों व लॉबी में 3 फीट तक टाइल्स का बार्डर लगाने से रंग नहीं उतरता व सिलापन भी दूर होता है!

मिस्तरी अच्छा व अनुभवी होकई लोग इस में पैसे बचाने के चक्कर में गलत मिस्तरी लगा कर घर को अच्छा नहीं बना पाते

अपनी वाटर पाइपस की अच्छी तरह जांच करवा लें अगर वो गल गई है तो घर बनाने से पहले वो बदला लें

मैटीरियल ब्रांडिड व टिकाऊ लगाएं, घर बार-बार नहीं बनते! थोड़ा सा पैसा बचाने के चक्कर में आपको ज़िंदगी भर पछताना पड़ सकता है!

लकड़ी के दरवाज़े बनवाने से पहले 3–4 महीने तक लकड़ी को अच्छी तरह सुखा लें!

घर की चार दीवारी की दीवारें अगर गारे की मिट्टी की चिनाई वाली हैं तो उन्हें सीमेंट की चिनाई करवायें (अपनी तरफ की दीवारें)!

किचन को ओपन व लंबा-चौड़ा बनाएं ताकि खाना बनाते वक्त दिक्कतें न हों!

हर जगह एसी फीटिंग जरूर करवा लें ताकि बाद में तोड़ा-फोड़ी न हो

जो काम करवायें पूरा करवायेंबाद में मिस्तरी लगाने की सोच आने पर भी आपकी जायेगी न ही छोट-मोटे कामों के लिए मिस्तरी आएंगे!

जो भी काम करवायें दिल से करवायें व अपनी जेब का ध्यान रखें! लोग कभी खुश नहीं होंगे! रहना आप ने है! आप अपने घर की सुविधाओं से संतुष्ट व खुश होने चाहिए!

 

मकान की छतें

मकान की छतें मुख्य रूप से 6 प्रकार की होती हैं, जिसमें आरसीसी लेंटर, ईट वाला लेंटर, डाट ,टाइल वाला लेंटर, सीरकी वाली व पत्थर स्लेट वाली छत शामिल हैं। आरसीसी लेंटर की उम्र करीब 60 से 80 साल, ईंट वाले लेंटर की छत 50 से 60 साल,डाट वाली छत की उम्र 30 से 40 साल तक व टाइल बल्ले की छत की उम्र करीब 40 साल आंकी जाती है।

जब कभी मकान की छत डाली जाती है तो वह बिना दीवारों के तो पड़ ही नहीं सकती है। इसलिये आवश्यक होता है कि पहले दीवारों की स्थिति जान ली जानी चाहिये।

मज़बूत और सुरक्षित मकान तभी बन पाता है जब दीवारों के साथ बीच बीच में आरसीसी (Reinforced Cement Concrete) के कालम खड़े किये गये हों। इनकी जमीन में गहराई मकान की ऊँचाई की लगभग एक तिहाई हो, मोटाई कम से कम 9”x9” हो तथा दो कालमों के बीच की दूरी 12 फ़ीट से अधिक न हो।वरना जहाँ कालम की मोटाई बढ़ानी पड़ती है, वहीं बीम भी डालनी पड़ सकती है। आरसीसी के कालम में उपयोग होने वाली लोहे की छड़ें बनने वाले मकान के अनुसार आवश्यक गणना के उपरांत निकाली जाती हैं जिसमें कम से कम 10 सेमी वाली चार छड़ें होती हैं जिन्हें आपस में लोहे की छड़ से तैयार किये गये रिंग से बाँधकर खड़ा किया जाता है। रिंग की आपस में दूरी भी एक फ़ुट से अधिक नहीं होनी चाहिये।

दीवारें खड़ी हो जाने के बाद यह देखा जाता है कि कोई बडा सा हाल तो नहीं है या कमरे बहुत बड़े तो नहीं है। यदि ऐसा है तो छत को रोकने के लिये बीम का डालना अति आवश्यक हो जाता है। बीम कालम की तरह ही होती है, कालम जमीन पर खड़े किये जाते है और बीम इन्हीं कालमों के ऊपर क्षैतिज अवस्था में होती हैं। ये दो तरह की होती हैं एक गुप्त होती हैं जो छत में ही छुपी रहती है जिसे दो कालमों के बीच लोहे की अधिक छड़ें डालकर तैयार किया जाता है। यह बड़े कमरे अथवा छोटे हाल के लिये ठीक रहती हैं। दूसरी दिखाई देने वाली होती हैं जिन्हें आसानी से देखा जा सकता है। इन्हें परिस्थिति के अनुसार या तो छत के नीचे रखा जाता है अथवा छत के ऊपर।

इसके बाद नंबर आता है शटरिंग का।इसे कुछ लोग आम बोलचाल में ढूला बाँधना भी कहते हैं।इसमें सबसे पहले लोहे के गर्डर अथवा मज़बूत लकड़ी की बल्लियाँ एक दीवार से दूसरी दीवार तक इस तरह डाली जाती हैं जो डाली जाने वाली छत से थोडा नीचे हों। इसके लिये दीवारों में पहले से ही छेद अथवा रोपे छोड़ दिये जाते हैं जिनमें बल्लियाँ या गर्डर आसानी से फ़िट हो सके। इनकी आपस में इतनी दूरी रखी जाती है जिस पर लकड़ी की बनी फंटियां आसानी से बिछ सकें। गर्डर अथवा बल्लियाँ फ़िट करने के बाद लकड़ी की फंटियां बिछाई जाती हैं जो लगभग 3 फ़िट लंबीं, तीन इंच चौड़ी और एक इंच मोटी होती हैं। इन्हें इस तरह बिछाया जाता है कि छत पड़नेवाली कोई जगह ख़ाली न रहे न कहीं कोई दरार नज़र आये। फंटियों की बजाय लकड़ी के तख्ते या लोहे की विशेष रूप से निर्मित चादरें भी बिछाई जा सकती हैं। साथ ही साथ गर्डरों या बल्लियों के झुकाव को रोकने के लिये उनके नीचे कुछ बल्लियाँ खड़ी कर दी जाती ही हैं जिन्हें मुद्दे कहा जाता है। यदि छत में दिखाई देने वाली बीम डाली जानी है तो उसके लिये भी इसी समय तैयारी कर ली जाती है।

अब छत डालने वाले स्थान को समतल किया जाता है जिसमें पहले मिट्टी डाली जाती है उसके बाद ऊपर से रेत डाला जाता है ताकि छत मे डाला जाने वाला मसाला न चिपके।कुछ लोग छत को ऐसा करना चाहते हैं कि नीचे प्लास्टर ही न करना पड़े तो उसका भी प्रबंधं यहीं कर लिया जाता है।

इतना कर लेने के बाद लोहे की सरिया बिछाई जाती हैं। जहाँ बीम रहती हैं वहाँ बीम के हिंसाब से कुछ ज्यादा ही सरिया डाली जाती हैं। शेष हिस्से में चार चार इंच की दूरी पर ये सरिया देनें ओर से डाली जाती हैं। प्रयास होना चाहिये कि वे जितना ज्यादा लंबी डाली जा सके डालिये। जहाँ कालम हैं वहाँ विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। कालम की कुछ छड़ें छत के अंदर के लिये मोड़ देनी चाहिये। जितनी छड़ें मोड़ी जायें उतनी ही छड़ें छत से कालम की ओर ले जाकर ऊपर की ओर ले जानी चाहिये जिससे लगे की कोई छड़ मोड़ी ही नहीं गई है। अब ऊपर नीचे आ रही सरियों को तार की सहायता से बाँध दीजिये। ऐसा करने से सरिया अपनी जगह बनी रहेंगी। जब सरिये का जाल पूरा बिछ जाये तो जाल को थोडा ऊपर उठा दिया जाय ताकि छत डल जाने पर सरिया न ऊपर चमके और न नीचे ही नज़र आये। छत में कितना सरिया उपयोग होता है उसका मोटा हिसाब यह है कि 100 वर्ग फ़ीट में एक कुंतल सरिया लग जाता है।

यदि आप चाहते हैं कि बिजली के तार छत के अंदर ही रहें तो आप इसी समय तार डालने के लिये पाइप, फ़ैन बॉक्स आदि का प्रबंध करवा लीजिये। इसके अलावा यदि छत पर ही कोई बाथरूम बनवाना चाहते हैं तो सैनिटरी पाइप, नैनी ट्रैप आदि भी डलवा लीजिये, नहीं तो वह स्थान ऊँचा रखना पड़ेगा।

छत के चारों ओर छत की मोटाई के बराबर ऐसा प्रबंध कर दीजिये जिससे छत डाले पर छत का मसाला नीचे न गिरे।

अब यह छत मसाला डालने के लिये तैयार है।पानी का हल्का छिड़काव करने के बाद मसाला डालना शुरु कर देना चाहिये और उसे साथ के साथ फैलाते भी रहना चाहिये, वरना सेट हो जाने पर उसका फैलाना आसान नहीं होता है। सामान्य घरों में छत की मोटाई चार इंच रहती है तथा मसाले में यदि एक बोरी सिमेंट लिया जाता है तो तीन बोरी रोड़ी और तीन ही बोरी मोटे रेत की होनी चाहिये।

यह आवश्यक नहीं होता है कि छत में पड़े मसाले का घनत्व हर जगह समान हो। इसे समान करने के लिये सरफेस वाइब्रेटर की ज़रूरत होती है।इसे छत पर हर जगह घुमा दिया जाता है। जहाँ ज़रूरत होती है वहाँ मसाला डालकर सतह को समतल कर दिया जाता है।ऐसा करने से छत में कोई छिद्र आदि होगा तो वाइब्रेटर की सहायता से वह स्वत: भर भी जायेगा, वरना भविष्य में छत पर पड़ने वाले पानी को रिसने से रोक पाना बेहद मुश्किल होगा।

अगले दिन इसकी क्योरिंग या तराई करना अति आवश्यक होता है जो पानी डालकर की जाती है।अन्यथा छत में दरार पड़ जाने की संभावना रहती है। इसे लगातार 4–5 दिन तक करना पड़ता है।

10–12 दिन बाद आप इसकी सारी शटरिंग खोल डालिये।

 

मकान की छत बनवाते वक्त कुछ खास चीजों का ध्यान रखें।

 

सीमेंट ताज़ा होना चाहिए, ऐसा नहीं कि सीमेंट कई दिन पहले ही मंगा कर रख लिया जाए, ठीक मकान की छत लदने के एक दिन पहले सीमेंट मंगाना चाहिए, इसके अलावा सीमेंट पेपरबैग होना चाहिए। अच्छे ब्रांड का इस्तेमाल करें जैसे अल्ट्राटेक या एसीसी।

सरिया हमेशा ब्राण्डेड ही इस्तेमाल करें। जैसे टाटा स्टील या जिंदल पैंथर, लोकल सरिया कबाड़ से बनता है। जिसकी मियाद बहुत कम समय के लिए होती है। सरिये का टेस्ट सर्टिफिकेट अवश्य देखें।

इसके अलावा किसी अन्य इंजीनियर की मदद से अन्य मैटेरियल की जांच जरूर करवाएं। ताकि प्रोडक्ट की क्वालिटी की कमी से कोई समस्या न आये।

मसाले की मिक्सिंग पर खास ध्यान दें । इसके लिए आप इंजीनियर से सलाह लेलें की मिक्सिंग में रेशियो कितना कितना रहेगा। एवम मसाले को खूब मिक्स करवाएं अन्यथा छत की सेटिंग सही नहीँ होगी।

एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए और वो है छत की ढलान। यदि ढाल में कमी रह गई, या किसी एक स्थान पर पानी रुकने की जगह रह गई तो आप जीवन भर पानी निकालने के लिए परेशान होंगे।

 

 

मकान की नींव बनबाते समय किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए?

मकान का पूरा भार मकान की नींव ही वहन करती है। मकान की नींव उस भार को नींव के नीचे की जमीन की सतह पर ट्रांसफर करती इसलिए सबसे पहले नींव को जमीन के नीचे की कठिन(हार्ड रॉक या मुरुम) सतह तक खोदना चाहिए।जब तक यह हार्ड सतह (सरफेस) नहीं मिले खोदते रहना चाहिए।अगर यह 8/10 फुटसे भी नीचे हो तो फिर पाइल फाउंडेशन का सहारा लेना चाहिए। खैर मकान बनाना हो तो अच्छे आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजीनियर को नक्शा बनानेकी और घर के हर एक पहलू को इंस्पेक्ट करके पास करने की जिम्मेदारी सौंपे। आजकल घर बनाने की तकनीक काफी विकसित हो गयी है उसका फायदा लें।और जानकारी हासिल करनी हो तो जहां मकानों का निर्माण कार्य चल रहा हो,वहां नींव से लेकर शिखर की पानी की टंकी तक (ओवर हेड टैंक) बांधकाम का निरीक्षण करें।आपके ज्ञान में कई गुना वृद्धि होगी।यह ज्ञान आपको जीवन भर काम आएगा।अपना खुद का मजबूत तथा सुंदर मकान, सुरक्षित और आनंदी जीवन के लिए बहुत जरूरी होता है। और मकान यह मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।इसके बारे में सारी जानकारियां जहां संभव हो हासिल करते रहें,आगे बहुत काम आ सकता है।

 

 

घर बनाते समय छत की वाटर प्रूफिंग कैसे करें?

छत ढालने के समय कंक्रीट बनाने के दौरान सीमेंट के साथ केमिकल मिलाकर छत को वाटर प्रूफ किया जाता है। बाजार में ऐसे कई उत्पाद मौजूद होते है जैसे- Dr.Fixit LW, Asian Paints, Nerolac Perma इत्यादि, जिसका 200 ml एक बैग सीमेंट में मिलाकर कंक्रीट बनाया जाता है।

 

 

नया मकान बनाते समय हमें कौन-कौन सी बाते ध्यान में रखना चाहिए?

 

पहले कई लोगों के नए बने घर देखो..फिर अपने घर का बेहतरीन नक्शा बनवाओ!

जिन कारणों से आपने पुराना घर तोड़ा है वो हमेशा दिमाग में रखो (घर का सड़क से नीचा होना, दरवाज़े खराब होना, पुरानी दीवारें, घर में दरारें, सुविधाओं की कमी)

छतों को कम से कम 11–11.5 फीट तक ऊंचा ज़रूर रखें ताकि नई सड़क बनने पर आपके पास भविष्य में घर को ऊंचा उठाने का प्रावधान रहे!

टैंकी भरने पर पानी का पता चले इस लिए निकासी पाइप किचन या किसी ऐसी जगह पर हो जहां से टैंकी भरने का पता चले!

पहले भरत (मिट्टी डाल कर) डाल कर घर को कुछ समय के लिए छोड़ना अच्छा माना जाता है ताकि मिट्टी जम जाए

कमरों व लॉबी में 3 फीट तक टाइल्स का बार्डर लगाने से रंग नहीं उतरता व सिलापन भी दूर होता है!

मिस्तरी अच्छा व अनुभवी होकई लोग इस में पैसे बचाने के चक्कर में गलत मिस्तरी लगा कर घर को अच्छा नहीं बना पाते

अपनी वाटर पाइपस की अच्छी तरह जांच करवा लें अगर वो गल गई है तो घर बनाने से पहले वो बदला लें

मैटीरियल ब्रांडिड व टिकाऊ लगाएं, घर बार-बार नहीं बनते! थोड़ा सा पैसा बचाने के चक्कर में आपको ज़िंदगी भर पछताना पड़ सकता है!

लकड़ी के दरवाज़े बनवाने से पहले 3–4 महीने तक लकड़ी को अच्छी तरह सुखा लें!

घर की चार दीवारी की दीवारें अगर गारे की मिट्टी की चिनाई वाली हैं तो उन्हें सीमेंट की चिनाई करवायें (अपनी तरफ की दीवारें)!

किचन को ओपन व लंबा-चौड़ा बनाएं ताकि खाना बनाते वक्त दिक्कतें न हों!

हर जगह एसी फीटिंग जरूर करवा लें ताकि बाद में तोड़ा-फोड़ी न हो

जो काम करवायें पूरा करवायेंबाद में मिस्तरी लगाने की सोच आने पर भी आपकी रूह तक कांप जायेगी न ही छोट-मोटे कामों के लिए मिस्तरी आएंगे!

जो भी काम करवायें दिल से करवायें व अपनी जेब का ध्यान रखें! लोग कभी खुश नहीं होंगे! रहना आप ने है! आप अपने घर की सुविधाओं से संतुष्ट व खुश होने चाहिए!

 

                        

घर की छत बनवाते समय इन नियमों को जरूर रखें ध्यान

वास्तु शास्त्र का संबंध आपके घर के निर्माण से होता है. आमतौर पर देखा गया है कि लोग घर की दिशा, दरवाजे, रसोई, बाथरूम बनवाते वक्त तो वास्तु के नियमों का पालन करते हैं लेकिन छत को लेकर वास्तु के नियमों की अनदेखी कर जाती है. ऐसा नहीं करना चाहिए नहीं तो इसके नकारात्मक परिणाम आपको भुगतने पड़ सकते हैं.

 

छत मुख्‍यत: तीन प्रकार की होती है- सपाट छत, ढालू छत और गोल छत. अधिक वर्षावाले या बर्फबारी वाले क्षेत्रों में प्राय: ढालू छतें ही बनती हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कि घर की छत कैसी हो इसे लेकर वास्तु के नियम क्या कहते हैं.

 

जिन मकानों में सपाट छत होती है उन्हें इस बात विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनका ढलान किस तरफ है. ढलान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ होना चाहिए. जिनका पश्चिम या दक्षिणमुखी माकन हो उन्हें किसी ए किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर यह तय करना चाहिए कि ढलान किस तरफ हो.

कभी भी तिरछी छत न बनाएं इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

छत को हमेशा साफ-सुथरा रखें. छत पर पुराना सामान, कूड़ा नहीं पड़ा रहना चाहिए. अगर आपकी छत साफ सुथरी नहीं है तो नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं.

वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है. छत पर पानी का टैंक इस दिशा में लगाने से अन्य भागों की अपेक्षा यह भाग ऊंचा और भारी हो जाता है. घर की समृद्धि के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में पानी का टैंक लगाना चाहिए.

छत पर पौधे भी बहुत से लोग रखते हैं. छत पर उत्तर-पूर्व एवं पूर्व दिशा में छोटे पौधे जैसे तुलसी,गेंदा,लिली,हरीदूब,पुदीना,हल्दी आदि लगाने चाहिए. उत्तर दिशा में नीले रंग के फूल देने वाले पौधे लगाने चाहिए. भारी गमलों में ऊँचे पेड़ों को सदैव छत पर दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना उचित माना गया है. पश्चिम दिशा में सफ़ेद रंग के फूलों के पौधे जैसे चांदनी, मोगरा, चमेली आदि को लगाने चाहिए.

 

घर में अगर बनवाना चाहते हैं बेसमेंट तो पहले जान लें वास्तु के ये नियम

आजकल घरों में बेसमेंट बनाने का चलन बढ़ा है. खासकर जगह की कमी के कारण लोग घर में बेसमेंट बनवा लेते हैं. लेकिन ऐसा करते वक्त लोग वास्तु के नियमों की परवाह नहीं करते हैं लेकिन यह नुकसानदायक हो सकता है.

घर में अगर बेसमेंट बनवाना हो तो यह ध्यान रखें कि इसका निर्माण पूरे प्लॉट में नहीं करवाना चाहिए. प्लॉट के आधे क्षेत्र या इससे भी कम में ही बेसमेंट का निर्माण कराना चाहिए.

उत्तर और पूर्व दिशा बेसमेंट को बनवाने के लिए सबसे सही रहती हैं.

बेसमेंट का एंट्री गेट उत्तरी ईशान, पूर्वी ईशान, दक्षिण आग्नेय, पश्चिमी वायव्य  में होना चाहिए.

दक्षिण और पश्चिम दिशा में बेसमेंट कभी नहीं बनवाना चाहिए. यह परिवार के सदस्यों के लिए कष्टदायक हो सकता है.

अगर आपने ऐसा घर लिया जिसमें दक्षिण या पश्चिम दिशा में बेसमेंट बना है तो आप इसमें भारी सामान रखें या इसका गैराज के रूप में इस्तेमाल करें क्योंकि इन दोनों दिशाओ में भारी सामान रखना उचित माना गया है.

बेसमेंट की सीढ़ियां ईशान कोण या पूर्व दिशा में होनी चाहिेए.

बेसमेंट में सफेद, हल्का पीला,हरा या हल्का गुलाबी रंग का पेंट करवाना चाहिए और गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.

 

घर बनाने से पहले ध्यान रखें वास्तु की ये 10 बेहद खास बातें

1- परिवार के मुखिया और उसकी पत्नी का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम, या फिर पश्चिम-दक्षिण में हो. रसोई घर भी दक्षिण-पूर्व या फिर उत्तर-पश्चिम की ओर होना चाहिए.

2- पूजा घर और स्टडी रूम उत्तर-पूर्व की ओर हो.

3- घर के अंदर टॉयलेट नहीं होना चाहिए. लेकिन मजबूरी में बनाना पड़े तो उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाएं. सीढ़ियां दक्षिण-पश्चिम में बनी हों.

4- घर पुराने मलबे से न बनवाएं. इसमें निगेटिव ऊर्जा रहती है. पुरानी मलबे में कोयला, हड्डी, कपड़े हो सकते हैं जिससे हेर-फेर का भी चक्कर हो सकता है.

5- घर का मुंह, उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए. जिस प्लॉट पर घर बने वह कम से कम वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए.

6- हैंडपंप और वाटरटैंक उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए.

7- बिजली के मुख्य कनेक्शन, इनवर्टर या जनरेटर दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में होने चाहिए.

8- प्लॉट की खुदाई उत्तर-पूर्व से और भराई दक्षिण-पश्चिम से करें.

9- दक्षिण-पश्चिम का कोना 90 डिग्री का होना चाहिए.

10- मकान बनाने के बाद वास्तु पूजा या वास्तु शांति पूजा जरूर कराएं.

 

वास्तु शास्त्र वास्तु शास्त्र

यदि ज़मीन की मिट्टी लाल रंग की है तो किसी भी व्यापार के लिए यह ज़मीन शुभ मानी जाएगी। यदि काली मिट्टी वाली जमीन है तो घर का निर्माण सभी के लिए शुभ होता है। वास्तु शास्त्र की माने तो खरीदी गई ज़मीन के आस-पास यदि कोई पुराना कुआं हो या खंदहर हो तो शुभ नहीं माना जा सकता है। नई ज़मीन क्रय करते समय यह अवश्य जांच लें कि मकान का मुंह दक्षिण दिशा में नहीं हो। वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व मुखी घर का द्वार शुभ फलदाई माना जाता है। गड्ढे वाली जमीन में गृह निर्माण से जीवन में आर्थिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। ज़मीन के दक्षिणी हिस्से में जलस्त्रोत , जैसे नदी, , तालाब,, नाला या हेंडपंप नहीं होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में यह भी वर्जित है कि गृह निर्माण वाली जगह पर कांटेदार पेड़ नहीं होना चाहिए।

 

जमीन खरीदने से पहले आखिर कैसे करें वास्तु दोष की पहचान?

किसी भी भूमि के वास्तु दोष को पानी के प्रयोग से भी जांचते हैं. इसके लिए खरीदी जाने वाली भूमि या फिर निर्माण की जाने वाली भूमि पर निर्माण करने से पहले एक हाथ लंबा और एक हाथ चौड़ा गड्ढा खोद लें. इसके बाद उस गड्ढे को पूरा पानी से भर दें. उस समय यदि वह पानी जैसा का तैसा बना रहे तो समझिये कि वह भूमि शुभ है. लेकिन यदि उसी समय वह भूमि पूरा पानी सोख लें तो उसे अशुभ मानना चाहिए.

भूमि की जांच करने के लिए खरीदी जाने वाली भूमि या फिर निर्माण की जाने वाली भूमि पर निर्माण करने से पहले एक हाथ लंबा और एक हाथ चौड़ा गड्ढा खोद लें. इसमें शाम को लबालब पानी भर कर छोड़ दें. इसके बाद दूसरे दिन जाकर देखें यदि वहां पर आपको जल दिखाई दे तो भूमि को शुभ मानिए. यदि कीचड़ दिखाई दे तो सम और यदि जमीन सूखी मिले और उसमें दरार पड़ी हो

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घर का नक्शा कैसे बनाया?

अगर आप घर का नक्शा बनाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें:

 

सबसे पहले आपको ये तय करना है कि आपको अपने घर में क्या देना है जैसा कि 1 हॉल, 2 कामरे, 1 पूजा घर, 3 बाथरूम आदि।

हॉल (बेथक रूम) सबसे पहले मैं गेट के पास देना है जिससे की महमान ऐ तो कामरे के अंदर से होते हुए बेथक रूम न जाए।

हॉल में एक बाथरूम भी दिजिये जिस्से की महमान को ताजा होना है तो वो कामरे में एंट्री किए बिना ही हॉल की कॉमन बाथरूम का इस्तेमाल करे।

हॉल के बाद किचन दिजिये या फिर किचन के बाद बेडरूम।

किचन के साथ आप आंगन अटैच कर सकते हैं लेकिन मेरी मनिये तो आंगन अजीब कोई नी बनवाता है क्यों एक से बड़े सिंक एक गए है जो की आप किचन के प्लेटफॉर्म में ही फिट कर सकते हैं।

एक वाशिंग एरिया जो की आप किचन के पीछे या बेडरूम के बाद दे सकते हैं पीछे की तरफ।

 

 

मेने बहुत लोगो को देखा है की वो खुद ही नक्शा बनाने लगते हैं लेकिन मेरी सलाह मनिये तो आप घर का नक्शा खुद ही कभी मत बनाइए किसी सिविल इंजीनियर या आर्किटेक्ट को ही नक्शा बनने दिजिये।

 

घर बनाने से पहले जाने कितना खर्चा आता है || खुद से या ठेकेदार से बनवाने में क्या फायदा है?

घर बनवाना हर आदमी के लिए एक भारी काम होता है। तमाम सुविधाओं के बावजूद आज भी कई लोग तैयार घर लेने की बजाय अपनी देखरेख में ही घर बनवाना पसंद करते हैं। इसके लिए वे पहले प्लॉट खरीदते हैं, नक्शा पास कराते हैं, कॉन्ट्रैक्टर हायर करते हैं और फिर उस पर अपनी जरूरत और स्टाइल के मुताबिक अपने सपनों का घर बनवाते हैं।

 

अगर आप भी घर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट किसी बिल्डर को दे रहे हैं, तो उसके साथ लिखित एग्रीमेंट करना न भूलें...

 

रेडीमेड होम्स के मौजूदा दौर में भी कई लोग अपनी पसंद से घर बनवाना पसंद करते हैं। अगर आप भी अपना घर बनवा रहे हैं, तो सबसे पहले तो कॉन्ट्रैक्टर के साथ लिखित एग्रीमेंट करना न भूलें। यह एग्रीमेंट आप दो तरह से कर सकते हैं। पहला, कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट और दूसरा, लेबर एग्रीमेंट।

 

कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट

इसके तहत मकान बनवाने वाला व्यक्ति बिल्डर/कॉन्ट्रैक्टर के साथ एक समझौते पर साइन करता है, जिसमें मकान बनवाने की सारी जिम्मेदारी बिल्डर के हाथ में रहती है। जब मकान पूरी तरह तैयार हो जाता है, तब बिल्डर मकान की चाबी मकान मालिक को दे देता है। गौरतलब है कि इस दौरान मकान के निर्माण में ओनर की दखलंदाजी नहीं होती। वह पहले ही अपनी जरूरतों के बारे में कॉन्ट्रैक्टर को बता देता है और बाद में सिर्फ खर्चों को पूरा करता है।

 

लेबर कॉन्ट्रैक्ट

इस एग्रीमेंट के माध्यम से मकान बनवाने वाला व्यक्ति सिर्फ लेबर से जुड़ी सेवाएं लेता है। सारे मटीरियल की खरीदारी और व्यवस्था मालिक को ही करनी पड़ती है। कॉन्ट्रैक्टर सिर्फ लेबर की व्यवस्था करता है। गौर करने की बात यह है कि इसमें ओनर मकान बनाने की सारी प्रक्रिया पर खुद निगरानी रखते हैं और वे जिस तरह से चाहते हैं, वैसे लेबर को समय-समय पर हिदायत भी देते रहते हैं।

  

इस तरह आपके सामने घर बनवाने के लिए दो विकल्प मौजूद हो जाते हैं। अगर आप कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट करके मकान बनवाते हैं, तो आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होगी। पहले यह देख लें कि किन-किन मुद्दों पर सहमति के बारे में एग्रीमेंट में लिखा गया है। इसे तैयार करते समय लीगल एक्सपर्ट की राय जरूर लें। कागजात तैयार कराने से पहले दोनों पार्टियों को बारीकी से हुए समझौते को जरूर पढ़ लेना चाहिए। बेहतर होगा कि इस समझौते को दो हिस्सों में तैयार किया जाए। एक में सिर्फ मकान तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट हो और दूसरे में फिटिंग, फिक्सचर और फिनिशिंग से जुड़ीं शर्तें लिखी जाएं।

 

मटीरियल, समय सीमा, पेमेंट की किस्तें, क्वॉलिटी, डिमांड, पेनल्टी जैसी बातों का भी जिक्र करना चाहिए। ये सब बातें एग्रीमेंट में शामिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप बेमतलब की झिक-झिक से बच जाते हैं और तय शर्तों के पूरा न होने पर मुआवजा पाने के भी हकदार होते हैं।

 

मकान तैयार हो जाने पर फिटिंग, फिक्सिंग और फर्निशिंग आदि के लिए रेट और मटीरियल को लेकर आपको थोड़ा चूजी होना होगा। आपको अपने मकान में किस तरह का सामान लगवाना है, इस बारे में कॉन्ट्रैक्टर से पहले ही बातचीत कर लें। इनमें ग्रेनाइट, मार्बल, लाइट, ट्यूब, पाइप, विंडो, ग्रिल, बेसिन आदि का जिक्र शामिल है।

 

गौरतलब है कि सब कुछ आपके बजट, उपलब्ध संसाधनों, जरूरत और आपके टेस्ट पर निर्भर करता है, इसलिए कॉन्ट्रैक्ट में यह बात जरूर शामिल करें कि आप अपने मुताबिक कुछ बदलाव भी समय-समय पर करा सकते हैं। जैसे: अगर तय समझौते में मार्बल की कीमत 150 प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से है और पूरा एरिया 600 स्क्वायर फीट है, लेकिन आप इससे अच्छा मार्बल और वुडन फ्लोरिंग प्रयोग करना चाहते हैं, तो आप अपने हिसाब से सामान खरीदकर उसे लगवा सकते हैं और उसमें से उस मद पर कॉन्ट्रैक्टर को दी जाने वाली राशि घटाकर शेष भुगतान कर सकते हैं।

कुल मिलाकर, यह काम शुरुआत में भले ही बेकार लगे, लेकिन बदलती परिस्थितियों में यह सबसे जरूरी काम है। समय पड़ने पर यही लिखित कॉन्ट्रैक्ट आपको किसी भी परेशानी से बचाएगा।

मकान बनाने में कितना खर्चा आता है ?

रोटी-कपड़ा और मकान आदमी मूलभूत आवश्यकताएं हैं। रोटी और कपड़ा तो जैसे-तैसे आदमी जुटा लेता है, लेकिन महंगाई के इस दौर में अपने सिर पर छत बनाना टेडी खीर हो चला है। जमीन के दामों में बेतहाशा वृद्धि के बाद बिल्डिंग मटीरियल के लगातार बढ़ते दामों के चलते आम आदमी के लिए छत बनाना एक ख्वाब की तरह है।

 

कितना पैसा लगेगा, ये निर्भर करता है मकान की किस्म, निर्माण सामग्री की क्वालिटी आदि पर। भारत में घर बनाने की खर्च सामान्यतः रु. 1000 से 1500 प्रति स्क्वायर फुट निर्माण लागत आती है। इंटेरीर डेकोरेशन / डिज़ाइन अलग से। इसमें सभी तरह के खर्च जैसे- बिल्डिंग्स मैटेरियल्स (रेत, सीमेंट, ईंट आदि), कांट्रेक्टर और नक्शा बनाने का खर्च शामिल होता है। आपको इसकी सटीक जानकारी इंजिनियर द्वारा आपके घर के नक्शा के अनुरूप बनाये गए एस्टीमेट से मिलेगी.

 

घर बनाने का सामान की लिस्ट :

1.         सीमेंट (Cement)

2.         ईंट (Bricks)

3.         लोहे की छड़ (TMT Steel)

4.         रेत (Sand)

1.    पत्थर (Coarse Aggregates)

2.    लकड़ी/प्लाईवुड (Wood)

3.    नलसाजी पाइप (Plumbing fittings)

4.    इलेक्ट्रिकल तार और फिटिंग (Electrical fittings)

 

 



















100 गज जमीन कितने स्क्वायर फीट की होती है -

सामान्य बोलचाल कई भाषा में हम 100  स्क्वायर गज ( 100 वर्ग गज) को 100 गज बोल देते है जो की गणित के नियम के अनुसार गलत है . सही रूप में यह 100 वर्ग गज  होता है.1 वर्ग गज = 3 फीट * 3 फीट = 9 वर्ग फीट.तो , 100 वर्ग गज = 30 फीट * 30 फीट = 900 वर्ग फीट.100 वर्ग गज जमीन लम्बाई व चौड़ाई 10 गज * 10 गज होती है जो कई 30 फीट लम्बी और 30 फीट चौड़ी हो सकती है .

 

100गज के एक प्लाट पर मकान बनाने के लिए अनुमानत: 250 से 270 कट्टे सीमेंट, 25 से 30 हजार ईंट, 700 से 750 फुट बजरी, 1500 से 1800 फुट रेता और 10 से 15 क्विंटल सरिया लगता है। इन सबके अलावा लेबर, मिट्टी का भरत आदि


1 comment:

  1. मुझे ये बताने का कष्ट करें कि 30 फीट चौड़ी और 79 फीट के जमीन में बने घरके लिए लेंटर में कितना समान लगेगा

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