7/21/15

men sex problem in hindi

कोई भी दवा या उपचार लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद आवश्यक हैI केवल डॉक्टर ही आपको सही प्रकार से समस्या और समाधान बता सकने में सक्षम है

पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्याएं एवं उपचार

आमतौर पर महिलाएं सेक्स संबंधी समस्याओं से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि पुरूषों को यौन समस्याएं नहीं होती। पुरूषों में अकसर तनाव संबंधी समस्याओं के कारण यौन समस्याएं होती है। विटामिन बी के सेवन से पुरूष सेक्स संबंधी कई समस्याओं से अपना बचाव कर सकते हैं। बहरहाल, आइए जानते हैं पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याओं के बारे में।

पुरुषों में सेक्स समस्याओं की बात आते ही सबसे पहले उन लोगों पर ध्यान जाता है, जो चाह कर भी सेक्स में रुचि नहीं ले पाते हैं या जिनकी सेक्स करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती।

सेक्स क्षमता में कमी पुरुषों में आम समस्या बन चुकी है। इसके वास्तविक कारण होते हैं सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी। पुरुषों में 40 की उम्र के पार होने पर रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुड़ी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीड़ित हो जाते हैं। ये डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारणों से भी पनप सकता है। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन, अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।

यौन समस्याओं में सबसे आम समस्या है पुरुषों में शीघ्रपतन। सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है फिर चाहे उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत न भी हो।

ज्यादातर लोगों में सेक्स में दिलचस्पी खत्म होने का सबसे बड़ा कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पड़ना है। ये समस्या कई बार विटामिन बी के सेवन न करने से, कई बार बुरी आदतें व लाइफस्टाइल के कारण हो सकती है। कई लोगों में तनाव संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा होता है।

शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स के प्रति उदासीन होते हैं। मोटापा व्यक्ति को सेक्स से विचलित करता है। कई बीमारियां जैसे- हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं।

तनाव संबंधी समस्याएं या अत्यधिक व्यस्त रहने वाले लोगों का सेक्स जीवन भी उदासीन हो जाता है।

बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ये धारणा गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।

सेक्स इच्छा में कमी कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने, मूत्रनली से संबंधित रोग होने, तनाव होने और मानसिक समस्या के कारण हो सकते हैं।

बढ़ती उम्र में पुरूषों में सेक्स इच्छा तेज हो जाना भी एक समस्या है जिसका कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना है।

पुरूष अपनी यौन समस्याओं से निजात पाने के लिए विटामिन बी का सेवन कर, तनाव संबंधी समस्याओं को दूर कर और पौष्टिक आहार लेते हुए अपनी सही तरह से देखभाल कर सकते हैं।

पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्याएं
                    पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ ही सेक्स संबंधी समस्याओं की शुरुआत हो सकती है।
                    डायबिटीज व तनाव के कारण पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्या हो सकती है।
                    स्वस्थ खान-पान व हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए सेक्स संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है।
                    सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण सेक्स इच्छा में कमी महसूस की जाती है।


 टेस्टोस्टेरोन की कमी- सेक्स क्षमता में कमी पुरुषों में आम समस्या बन चुकी है। इसके वास्तविक कारण होते हैं सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी। पुरुषों में 40 की उम्र के पार होने पर रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुड़ी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीड़ित हो जाते हैं। ये डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारणों से भी पनप सकता है। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन, अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।

शीघ्रपतन- यौन समस्याओं में सबसे आम समस्या है पुरुषों में शीघ्रपतन। पुरूषों का स्त्री के सामने आते ही घबरा जाना, वीर्य निकल जाना इत्यादि भी सेक्स समस्याओं के अंतर्गत ही आता है। जिससे पुरूष स्त्री से दूर-दूर भागने लगते हैं और अपनी बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं। या फिर सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है फिर चाहे उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत न भी हो।


कमजोर मांसपेशियां - ज्यादातर लोगों में सेक्स में दिलचस्पी खत्म होने का सबसे बड़ा कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पड़ना है। ये समस्या कई बार विटामिन बी के सेवन न करने से, कई बार बुरी आदतें व लाइफस्टाइल के कारण हो सकती है। कई लोगों में तनाव संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा होता है।


सेक्स के प्रति उदासीन- शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स के प्रति उदासीन होते हैं। मोटापा व्यक्ति को सेक्स से विचलित करता है। कई बीमारियां जैसे- हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं। तनाव संबंधी समस्याएं या अत्यधिक व्यस्त रहने वाले लोगों का सेक्स जीवन भी उदासीन हो जाता है।

   
सेक्स शक्ति में कमी - बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ये धारणा गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।


दवाइयों का प्रयोग- सेक्स इच्छा में कमी कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने, मूत्रनली से संबंधित रोग होने, तनाव होने और मानसिक समस्या के कारण हो सकते हैं।
   


पुरुष सेक्स से मुंह क्यों फेरते हैं

कई बार देखा जाता है कि पुरुष भी यौन संबंध बनाने से इंकार करते हैं या सेक्स में उनकी रुचि नही होती है ऐसा होने की वजह आमतौर उनमें तनाव या यौन रोग होते हैं। लेकिन पुरुष अपनी कमियों को आसानी से स्वीकार नही कर पाते हैं। अक्सर ये देखने में आता है कि महिलाएं सेक्स संबंधी समस्याओं से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि पुरुषों को यौन समस्याएं नहीं होती। आइए जानते हैं पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्याओं के कारण कैसे पुरुष सेक्स से मुंह फेरते हैं-

पुरुषों में अक्सर शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है, सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है और उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत नही होते हुए भी वे असहाय महसूस करते हैं और कुछ नही कर पाते हैं।

सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण पुरुषों में सेक्स इच्छा में कमीं आती है। पुरुषों में उम्र बढने के साथ रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुडी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीडित हो जाते हैं। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।

कई बार देखा जाता है कि सेक्स इच्छा में कमी का कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पडना होता है। ये समस्या कई बार विटामिन बी की कमी से उत्पन्न हो जाती है।

यौन इच्छा में कमी का कारण डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारण भी हो सकते हैं। अत्यधिक व्यस्तता व मानसिक व शारीरिक थकान भी सेक्स इच्छा में कमी का एक कारण माना जाता है।

सेक्स इच्छा में कमी का कारण कई बार बुरी आदतें व लाइफ स्टाइल के गलत तरीके हो सकते हैं।
शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स से दूरी बना लेते हैं।

अत्यधिक मोटापा भी व्यक्ति को सेक्स के प्रति उदासीन कर देता है। हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं।

कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने व मूत्रनली से संबंधित रोग होने पर भी सेक्स इच्छा में कमी हो जाती है।

अक्सर लोगों को यह भ्रम होता है एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ऐसा नही है यदि आप उम्र के हिसाब से अपनी सेहत और खान-पान का ध्यान रखते हैं तो आप सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।

पुरूषों में सेक्स संबंधी आम समस्यार

पुरूषों मे समय से पहले शुक्राणुओं का बाहर आना एक आम समस्या है, जिसमें कि सेक्सुअल सेटिस्फेक्शन से पहले ही शुक्राणु शरीर के बाहर आ जाते हैं। कभी कभी ये सम्बन्धों के शुरूवाती दिनों में डर या एक्साइटमेंट की वजह से होता है।
यह समस्या अकसर युवा लड़को में होती है या उन पुरूषों में होती है जो अधिक उम्र के हो जाने के बाद सेक्स करते हैं। यह कभी कभी किसी बीमारी या शारीरिक समस्या की वजह से भी होता है। लेकिन इस समस्या पर थोड़ा सा विचार करके या डाक्टरी सलाह से इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
 पर्फारमेन्स एनज़ाइटी भी एक बड़ा कारण हो सकता है, जिससे बचने के लिए आप अपने पार्टनर से बात कर सकते है। याद रखें सेक्स का एहसास पुरूष व स्त्री दोनों के लिए ही एक सा होता है, इन बातों को आराम से सोचें और समस्या का समाधान खुद ही निकल आयेगा।

प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के तरीके:

खुद पर विश्वास रखें। ऐसा सोचें कि यह सब जितना आपके लिए नया है उतना ही आपके पार्टनर के लिए भी है। हो सके तो दोनों मिल कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करें। अगर ज़्यादा परेशानी है तो आप डॉक्टरी सलाह भी ले सकते हैं।

जब आपको लगे कि अराउज़ल का लेवल बहुत ज़्यादा है तो लम्बी सांसे लें व छोड़ें और कुछ बहुत ही बोरिंग सोचें। जब आपको लगे कि अराउज़ल का लेवल बहुत कम है तो भी न रूकें।
प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के लिए रूकें और फिर प्रक्रीया शुरू करें। इस प्रकार सेक्सुअल ऐक्ट का समय बढ़ता है।
जब आपको लगे कि यह प्रक्रिया पूरी होने वाली है तो पेनिस को बाहर निकालें और कुछ देर आराम करें ,इस प्रकार बार बार सेक्स स्टिमुलेशन की प्रक्रीया को लम्बे समय तक करके,सेक्स ऐक्ट का समय बढ़ाया जा सकता है।
 स्क्वीज़ मेथड से भी प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में पुरूष या स्त्री में से किसी एक को पेनिस के अन्तिम भाग को अंत के 10 से 20 सेकण्ड तक तेज़ी से रोके रखना चाहिए! इस प्रक्रिया में भी लगातार इजेकुलेशन करना चाहिए। रोकने व शुरू करने की प्रक्रीया को ही स्क्वीज़ मेथड कहते है।
प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के लिए डिसेन्सिटाइजिंग क्रीम का प्रयोग करें। इस क्रीम का प्रयोग टेस्टीस के अन्तिम भाग को डिसेन्सिटाइज़ करने के लिए किया जाता है। मोटे कन्डोम भी सेन्सिटिविटी को कम करते हैं और सेक्सुअल ऐक्ट का समय बढ़ाते  हैं।
फोरप्ले से भी प्रिमेच्योर इजेकुलेशन की सम्भावना कम हो जाती है।
सेक्स से पहले अपने पार्टनर को अराउज करें ा कोशिश करें जितना हो सके समय साथ में बितायें और एक दूसरे को मानसिक तौर पर खुश रखने की कोशिश करें।
प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के लिए मास्टर्बेशन
खुदसे ही तरह तरह के पोज़ अपनायें अपने एहसासों को जानें, इनसे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
याद रखें प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने और अच्छे सेक्स में थोड़ा समय लगता है, यहां वो प्रेक्टिस मेक्स ए मैन पर्फेक्ट स्लोगन बहुत ही सटीक बैठता है।
अगर इसके बाद भी आपको लगता है कि आपकी सेक्सुअल लाईफ ठीक नहीं है तो किसी सेक्स थेरेपिस्ट से सम्पर्क करें।

पुरूषों में नपुंसकता के लक्षण

•             शारीरिक रुप से स्वस्थ होते हुए भी हार्मोन्स में बदलाव के कारण नंपुसकता हो सकती है।
•             नपुंसकता की समस्या होने पर शर्माने की जगह इसका उपचार करवाएं।
•             नपुंसकता  की समस्या का सही उपचार लेने से पहले उचित टेस्ट जरूर करवाएं।
•             शरीर में फोलीक्यूलर स्टूमुलेटिंग हार्मोन की मात्रा कम होने से यह समस्या हो सकती है।

पुरुषों में बांझपन या नपुंसकता के लक्षण ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर नपुंसकता का कारण शरीर में उपलब्ध हार्मोंस में गड़बड़ी या इनकी कमी के कारण होती है।

हार्मोंस में बदलाव के कारण भी पुरुषों में यह समस्या हो सकती है। कई बार जो पुरूष हुष्ट-पुष्ट है किसी दुर्घटनावश वह नंपुसक भी हो सकता है। इसीलिए नपुंसकता के लक्षणों को जानना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी कुछ सामान्य सी बातों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरूष नंपुसक है या नहीं। आइए जानें पुरूषों में नपुंसकता के लक्षणों को।

 ऐसे पुरुष में नपुंसक होने के लक्षण मौजूद होते हैं, जो संभोग के समय में सही तरीके से यौन क्रियाएं नही कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है।

दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधे तौर पर ज्ञानेन्द्रियों से होता है, ऐसे में पुरुष कई बार इस बारे में जागरूक नहीं हो पाते तो कई बार संकोचवश डॉक्टर से इस बारे में परामर्श नहीं ले पातें। जिससे ये रोग बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। नपुंसक व्यक्ति की महिला साथी कभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती।

कुछ लोग नपुंसक नहीं भी होते लेकिन घबराहट और मन में डर या किसी मानसिक बीमारी आदि के कारण वे उत्तेजित नहीं   हो पाते। भविष्य में यही डर और घबराहट ऐसे पुरुषों को नपुंसक बना देता हैं और घबराहट के कारण यह अपनी पार्टनर से दूर-दूर रहने लगते हैं।

पुरूषों में बांझपन के लक्षण
•             जो पुरुष संभोग के दौरान सही तरीके से यौन क्रियाएं नहीं कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है तो उसमें कमी होती है। यह नपुसंकता का लक्षण भी है।
•             नपुंसकता होने पर पुरुष के लिंग में कठोरता या तो आती नहीं, आती है तो बहुत जल्दी शांत हो जाती है। संभोग के दौरान अचानक लिंग में कठोरता का कम होना।
•             दरअसल नपुंसकता का संबंध सीधेतौर पर ज्ञानेन्द्रियों(सेंसेज) से होता है। कुछ लोग तो संकोचवश या जागरुकता के अभाव में इस बारे में सही जानकारी नही ले पाते हैं।
•             हालांकि नंपुसकता अधिक उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा पाई जाती है। जिससे पुरुष महिलाओं के पास जाने से भी घबराने लगते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही यौन इच्छा में कमी होने लगती है।
•             जो पुरुष सेक्स क्रिया करने में रूचि नहीं रखते और जिनमें उत्तेजना नहीं होती वे पूर्ण नपुंसक होते हैं। जबकि जो पुरुष एक बार तो उत्तेजित होते हैं लेकिन घबराहट या किसी अन्य कारण से अक्स र जल्दी शांत हो जाते हैं उन्हें आंशिक नपुंसक कहा जाता है।
•             संभोग करने के दौरान या करने से पहले घबराहट होना। क्योंकि ऐसे लोगों में विश्वास की कमी होती है और उनके अंदर डर सा बना रहता है।
•             संभोग के दौरान जल्दी डिस्चार्ज हो जाना।
•             संभोग के दौरान अचानक लिंग में कठोरता का कम होना।
•             नपुंसकता के कारण पुरुष का लिंग सामान्य से छोटा हो जाता है जिससे पुरुष ठीक तरह से संभोग करने में असमर्थ होता है।
•             नपुंसक लोगों में आत्मभविश्वास की कमी होना। अक्सर ऐसे लोग भीड़ से घबराते हैं और महिलाओं से बात करने में दिक्कत होती है।
1.            नपुंसक व्यक्ति के अंडकोष छोटे हो जाते हैं।
2.            नपुंसकता के कारण व्यक्ति थकान महसूस करता है।
3.            आत्मभविश्वास की कमी होना।
4.            लोगों से बातचीत के दौरान घबराना।
5.            भीड़ में घबराना या महिलाओं से बात करने में झिझकना।
 •            नपुंसक व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे सही तरह से संभोग ना करने के कारण पीडि़त व्यक्ति बीमार रहने लगता है।
•             बांझपन के कारण व्यक्ति के प्रजनन अंग कमजो़र हो जाते हैं।
•             भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना दिया है। फास्ट फूड का ज्यादा प्रयोग और खान-पान में पोषक तत्वों की कमी इसका प्रमुख कारण है।

नपुंसकता क्या  है

एक पुरुष के लिंग में संभोग के लिये आवश्यक कठिनता प्राप्त नही होने को नपुंसकता कहते है.
 
पुरषों में शिश्न उन्नत नहीं होना या उसको उन्नत बनाए ना रख पाना.  चिकित्सीय भाषा में उत्थानक्षम होने के शिश्न के सामान्य कार्य में विकार आना. संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 30 लाख लोग इस हालत से प्रभावित होते है. शिश्न के उन्नत होने में बाधा और समयपूर्व विर्यस्खलन (जो संभोग के प्रारंभ के बाद लगभग 1मिनीट में होता है) ये दोनो विकार एक जैसे नही है.
 
शिश्न के उन्नत होने में बाधा आने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
 
नाड़ी (रक्त वाहिका) रोग
 जब रक्त लिंग के छड में एकत्र आता है, तब शिश्न उन्नत होता है.  रक्त वाहिनी रोग से लिंग में बह रहे खून की मात्रा या लिंग के खून की मात्रा को सीमित कर सकते हैं. दोनों से शिश्न के  उन्नत होने के साथ समस्या हो सकती हैं. रक्त वाहिकाओ को धमनियां (atherosclerosis) के सख्त बनने से या आघात से क्षतिग्रस्त हो सकती है. नपुंसकता होने का सबसे आम कारण, रक्त वाहिनी के रोग माना जाता रहा है.

तंत्रिका क्षति (न्युरोपटी)
  नसों का सामान्य रूप से काम करना, एक आदमी के शिश्न को उन्नत बनाने और बनाए रखने के लिये बहूत जरुरी हैं. को मधुमेह, उतकोमें एकाधिक काठिन्य, प्रोस्टेट सर्जरी या रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुचने द्वारा नसें क्षतिग्रस्त हो सकती है.

मनोवैज्ञानिक कारक
  मनोवैज्ञानिक कारण, जैसे अवसाद, चिंता अपराध, या डर से कभी कभी यौन समस्याएं पैदा हो सकती है. एक समय में, इन कारणो को नपुंसकता का प्रमुख कारण माना गया था.  अब डॉक्टरों को पता चाला है कि इस समस्या के साथ सबसे अधिक पुरुषों में शारीरिक कारणो से नपुंसकता होती है. हालांकि, शर्मिंदगी या "प्रदर्शन की चिंता" एक शारीरिक समस्या को बदतर बना सकती हैं.  मनोवैज्ञानिक कारणों से हुवी नपुंसकता अधिकांश युवा पुरुषों में अधिक पायी जाती है.

दवाएँ
  कई दवाए, यौन समारोह के साथ समस्याओं का कारण बन सकती है, उच्च रक्तचाप, अवसाद, हृदय रोग और प्रोस्टेट कैंसर के लिए दवाए इसमें शामिल है.

हार्मोन संबंधी समस्या
टेस्टोस्टेरोन, थायराइड हार्मोन और एक पीयूषिका प्रोलैक्टिन हार्मोन जैसे कुछ हार्मोनों के असामान्य स्तर, के कारण शिश्न के उन्नत होने और कामेच्छा के साथ हस्तक्षेप हो सकता हैं. ये नपुंसकता का एक असामान्य कारण है.

नपुंसकता का निदान

आपके  डॉक्टर आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेंगे, क्योंकि किसी भी चिकित्सा बिमारी के कारण ( रक्तवाहिका रोग, तंत्रिका संबंधी और हार्मोन संबंधी विकार) नपुंसकता हो  सकती है. क्योंकि  रक्त वाहनी रोग पूरे शरीर को प्रभावित करता हैइस रोग की वजह से नपुंसकता आये लोगों को हृदय रोग, आघात, पैरों में रक्त प्रवाह की कमी का भी एक  इतिहास होता है. तंत्रिका संबंधी समस्याओं से आयी नपुंसकता के साथ लोगों में मधुमेह और रीढ़ की हड्डी में चोट का इतिहास हो सकता हैं. इन समस्याओ के कारण, अकड़ना या पैरों में कमजोरी जैसे लक्षण शरीर के अन्य अंगो में भी दिख सकते है. पुरुषों में हार्मोन के असामान्य स्तर से कामेच्छा में आयी कमी अक्सर नपुंसकता का कारण होती है. इसके साथ आपके चिकित्सक आप ले रहे सामान्य दवाईया और हर्बल उपचारो की भी समीक्षा करेंगे.
 
डॉक्टर आपके यौन जीवन के बारे में पूछेंगेऔर आपके यौन संबंधों की गुणवत्ता के बारे में भी सवाल पुछेंगे.
 
डॉक्टर आपकी चिकित्सा समस्याओं के सबूत देखने के लिये आपकी, लिंग और अंडकोश  सहित जांच करेंगे. आपके रक्त का परिक्षण शर्करा (मधुमेह कि जाँच के लिये), कोलेस्ट्रॉल और कुछ हार्मोन के स्तर कि जांच करने के लिए किया जा सकता है.
 
कभी कभी, डॉक्टर अतिरिक्त परीक्षण, जैसे एक परिक्षण जिसको रात्रिकालीन पुरुष जननांग संबंधी सुजन अध्ययन कहा जाता है, करने को कह सकते हैं. सोते वक्त कितनी बार आपका शिश्न उन्नत होता है, ये  निर्धारित करने का यह एक तरीका है. एक  अन्य परीक्षण, जिसमें आपके लिंग में रक्त प्रवाह कितनी अच्छी तरह बह रहा है इसका मापन, लिंग  की रक्त वाहिकाओ का Doppler अल्ट्रासाउंड करके किया जाता है.
 
हालांकि  आपके चिकित्सक आपके नपुंसकता के विशेष कारण  देने के लिए सक्षम नहीं हो सकता है, समस्या के कारण को महत्व दिये बिना कई तरह के उपचार अच्छी तरह से काम करते है, इसलिये  व्यापक परीक्षण आवश्यक नहीं हो सकते.


पुरुषों के लिए अंतरंगता के मुद्दे

पुरुषों के लिए संबंधों में अंतरंगता के अनेक मुद्दे हैं, जो उनके आपसी रिश्‍ते को प्रभावित करता है। मजेदार बात है कि पत्नी से अंतरंगता के क्षणों की पुरुषों को हमेशा तलाश रहती हैं। पुरुष भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरह से अंतरंगता चाहता है। कई बार स्वास्थ्य से संबंधित चीजें भी आपको अंतरंगता के पल हासिल नहीं करने देती। अगर आपको आपकी पत्नी से दोनों तरह की अंतरंगता-शारीरिक और भावनात्मक मिल रही है और आप इसका आनंद उठा पा रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप अपने रिश्‍ते को सही दिशा में ले जा रहे हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो समझिए कि कहीं कुछ गड़बड़ है। पुरुषों के लिए अंतरंगता के ये मुद्दे क्या हैं और कैसे वह पत्नी से भावनात्मक और शारीरिक अंतरंगता के पल हासिल कर सकता है। आइये देखते हैं


इजहार करते रहें

कई बार आप या आपका पार्टनर अपनी भावनाओं को सही तरीके से प्रकट नहीं कर पाता। इसके कुछ लक्षणों को आप इस तरह से निबट सकते हैं। जैसे आप या आपका पार्टनर आई लव यू कहने में संक¨च करता है या ऐसा कहने से बचता है। इसका अर्थ यह हुआ कि वह प्रेम से केयरिंग से जुड़ी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाता। ऐसे में अंतरंगता के पल आत्मीयता लेकर नहीं आते। इसलिए बेहतर है कि पति पत्नी दोनों अपनी प्रेम भावनाओं का लगातार इजहार करते रहें।

  
डॉक्‍टरी सलाह सकती है काम

सेक्स संबंध के पूर्व केअनुभवों का भी अंतरंगता के क्षणों पर गहरा असर होता है। यदि पूर्व का कोई अनुभव इस तरह का रहा है, जिसमें उत्तेजना ना आना या जल्दी स्खलित हो जाना जैसी चीजें शामिल हैं, तो भी आप अंतरंगता के पलों का आनंद नहीं उठा सकते। यदि ऐसा है तो इसके लिए तुरंत डाक्‍टर की राय लेनी चाहिए। यदि आपकी पत्नी संभोग के दौरान दर्द महसूस करती है, या उसे पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है या वह सामान्य रूप से ही संभोग से भयभीत रहती है तो भी आप अंतरंगता के क्षणों को एन्ज्वाय नहीं कर सकते। इसके लिए अपने पार्टनर को दिल से पहले इस डर को निकालना जरूरी है। ऐसा आप डाक्टर से सलाह लेकर या बातचीत के जरिये कर सकते हैं।


चिंता न करें

संभोग के दौरान यदि आप किसी तरह के तनाव में हैं तो भी आप अंतरंगता के क्षणों का आनंद नहीं उठा सकते। इसलिए जब आप पार्टनर के साथ बैड पर हों तो अपने मन से हर तरह की चिंता निकाल देनी चाहिए। अन्यथा आप सेक्स संबंधों को एन्ज्‍वाय नहीं कर सकते। अंतरंग क्षणों के लिए आपका तनावरहित रहना बहुत जरूरी है।


साथी से करें बात

अपने पार्टनर से सीक्रेसी आपके रिष्तों को प्रभावित कर सकती है। यदि आप हर समय चीजों को अपने पार्टनर से छिपाते हैं तो सेक्स संबंधों के दौरान अंतरंगता के क्षण भी इससे प्रभावित होते हैं। लिहाजा कोशिश् करें कि अपने पार्टनर से अधिकर चीजें शेयर करें। यह शेयरिंग आपके रिश्‍तों को बेहतर बनाएगी।


भावनात्‍मक सुरक्षा है जरूरी

यदि आप अंतरंगता के पलों का आनंद उठाना चाहते हैं, तो उसका पहला नियम यह है कि आप अपने पार्टनर को भावनात्मक सुरक्षा का अहसास करवाएं। चीजों को उसके साथ डिस्कस करें। यदि कहीं भी कोई समस्या है तो उसे जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करें। ये ध्यान रखिए कि जब तक आपके पार्टनर से आपके भावनात्मक रिश्‍ते मजबूत नहीं होंगे तब तक आप षारीरिक अंतरंगता का आनंद नहीं उठा पाएंगे।

याद रखिये सेक्‍स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है, इसके लिए तन के साथ-साथ मन का भी स्‍वस्‍थ होना जरूरी है। इसलिए जब आप शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से इस क्रिया में शामिल नहीं होंगे, तब तक आप इसका संपूर्ण आनंद नहीं उठा पाएंगे।


लिंग तनाव समस्या से परेशान: क्या करें?        

1.            अपने साथी से संवाद
यदि आपको लगता है कि आपको लिंग के तनाव से जुडी समस्या है, तो अपने साथी से इस सन्दर्भ में बातचीत करना सही होगाI याद रखिये कि इस समस्या का प्रभाव आपके साथ साथ आपके पार्टनर पर भी पड़ता है, इसलिए उन्हें इस में शामिल रखना बेहतर हैI हम जानते हैं कि आपको ऐसा करने में संकोच महसूस होगा, लेकिन इस समस्या के संधान कि दिशा में पहला कदम यही हैI विशेषकर जब इस समस्या के पीछे का कारण शारीरिक कम और और मनोवैज्ञानिक ज़्यादा होI
2.            डॉक्टर से परामर्श
लिंग तनाव कि समस्या के 75 प्रतिशत मामले भौतिक होते हैं और इनका आसानी से उपचार हो जाता हैI इसलिए, सिर्फ संकोच और शर्म के चलते डॉक्टर को अपनी समस्या न बताकर आप अपना ही नुकसान करेंगेI डॉक्टर से सलाह लेकर आप न सिर्फ इस समस्या का कारण पता लगा सकेंगे, बल्कि इसका हल भी ढूँढ सकेंगेI डॉक्टर से मिलना इसलिए भी आवस्यक है क्यूंकि लिंग तनाव कि समस्या कई बारकिडनी,नाड़ी, न्यूरोलॉजिकल विकार, या डायबिटीज से भी जुडी हो सकती हैI डॉक्टर आपकी मदद अवश्य कर सकता है...
3.            समस्या कि जड़ तक पहुंचें
समस्या की सही पहचान उसके उपचार के लिए ज़रूरी हैI बढ़ती उम्र के साथ अक्सर रक्त वाहिनी से जुडी जटिलता इस समस्या का कारण बनती है जबकि कम उम्र के पुरुषों में ये समस्या अक्सर मानसिक तनाव, निराशा भाव, या प्रदर्शन के दबाव के चलते पायी जाती हैI कुछ दवाओं का साइड इफ़ेक्ट या टेस्टोस्टेरोन स्तर की कमी भी इसका कारण हो सकता हैI
4.            जीवन शैली में बदलाव
दिनचर्या में कुछ छोटे बदलाव लेकर आप इस समस्या के समाधान की और पहले कदम उठा सकते हैंI कई बार केवल धूम्रपान बंद करना, हल्का व्यायाम और तनाव का अंत ही इसके समाधान के लिए पर्याप्त रहता हैI जिन लोगों को इसके उपचार के लिए दवाइयों की ज़रूरत पड़ती है, जीवनशैली में बदलाव इस उपचार में और सहायक बन जाता हैI
5.            दवा लेना अच्छा विकल्प
बाजार में ऐसी कई दवाएं हैं जो लिंग के तनाव की समस्या के समाधान में कारगर सिद्ध हुई हैंI ये सभी लगभग एक ही तरीके से काम करती हैं: रक्त वाहिनियों का विस्तार करके लिंग में रक्त प्रवाह को बढाकरI इनमे से सबसे ज़्यादा आम दवा 'वायग्रा' हैI लेकिन ध्यान रहे- इनका साइड इफ़ेक्ट हो सकता हैI इसलिए ऐसी कोई दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक हैI
पढ़िए वायग्रा लेना कैसे परेशानी की वजह बन सकता हैI
6.            प्राकर्तिक नुस्के
कई सदियों से प्राकर्तिक उपचार जैसे एक्यूपंचर, गिंको बिलोबा और जिनसेंग के ज़रिये लिंग तनाव की समस्या का समाधान किया जाता रहा हैI लेकिन इनके असरदार होने का कोई पुख्ता तथ्य नहीं हैI इस तरह का कोई नुस्खा आजमाने से पहले बेहतर यही है की सुनिश्चित कर लिया जाये की पहले से कोई चिकित्सीय परिस्थिति तो नहींI
7.            लिंग पंप
मंगलभाषी लहजे से लिंग तनाव समस्या के लिए वैक्यूम पंप के नाम से जाने वाले लिंग पंप के भी अपने नुक्सान हैं, जैसे कभी कभी दर्द या खून निकल जानाI लेकिन मोटे तौर पर इन्हे सुरक्षित कहा जा सकता है और ये कारगर भी साबित हुए हैंI रक्त कोशिका सम्बंधित समस्या या रक्त विकार से पीड़ित पुरुषों को इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिएI भारत में यदि आपको ये पंप चाहिए, तो यह इंटरनेट से आर्डर किया जा सकता हैI इसे इंटेमल करना बिलकुल आसान है, लिंग को सिलिंडर के अंदर डालिये और पंप कीजिये, और आप तैयार है!
8.            पुरुष जानांग आरोपण
इसके कुछ स्वाभाविक नुकसान हैं, जैसे की यह एक महंगा उपचार है, इसमें इन्फेक्शन का खतरा है और आरोपण में गड़बड़ी होने की सम्भावना भी रहती हैI लेकिन जिन पुरुषों के पास कोई और विकल्प नहीं, उनके लिए ये इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का एक तरीका हैI ये आरोपण मोड जा सकने वाले या फुलाए जा सकने वाले हो सकते हैंI मोड़े जा सकने वाले आरोपण में आपको सिर्फ लिंग को सही जगह व्यवस्थित करना होता हैI हालाँकि इस आरोपण में लिंग हमेशा आधी कठोर स्थिति में रहता हैI ज़ाहिर रूप से ज़्यादा लोकप्रिय आरोपण है फुलाए जा सकने वाला जिसमे आप ज़रूरत के अनुसार लिंग को पंप करके तनाव की स्थिति में ला सकते हैंI लिंग आरोपण काफी जटिल और महंगी प्रक्रिया है लेकिन जिन पुरुषों ने इसे करवाया वो इससे काफी संतुष्ट हैंI भारत में ये उपचार अभी भी नया है लेकिन यह तेजी से पाने पाँव जमा रहा है

जानिए की लिंग तनाव की समस्या के संकेत क्या हैं

लिंग के तनाव में मुश्किल होना आपकी पौरुष पर सवालिया निशान नहीं है - इसका सम्बन्ध कुछ विशेष शारीरक और मनोवैज्ञानिक कारणों से हैI इस तरह की समस्या का सामना कभी न कभी लगभग हर पुरुष करता है, लेकिन यदि ये लगातार लम्बे समय तक होने लगे तो शायद ये लिंग तनाव की समस्या का संकेत हैI
इन संकेतों पर ध्यान दीजिये:
1.            आपका लिंग सख्त नहीं हो पा रहा
लिंग का समय समय पर सख्त न हो पाना बहुत असामान्य नहीं है, लेकिन जब ऐसा निरंतर होने लगे तो यह लिंग तनाव की समस्या, या कोई और चिकित्सीय विकार का संकेत हो सकता हैI और यदि किसी परिस्थिति में आपका लिंग सख्त हो पा रहा है (जैसे की हस्तमैथुन करते समय) और किसी परिस्थिति में ऐसा नहीं हो पा रहा (जैसे की अपने पार्टनर के साथ निर्वस्त्र होकर), तो समस्या मनोवैज्ञानिक होने की सम्भावना अधिक हैI
2.            लिंग के सख्त बने रहने में परेशानी
तो, यदि फोरप्ले के दौरान तो आपका लिंग सख्त हो पा रहा है और प्यार के खेल की शुरवात में आपका प्रदर्शन अच्छा है लेकिन जैसे जैसे बात आगे बढ़ती है, लिंग ढीला पड़ने लगता हैI हम समय से पहले स्खलन की बात नहीं कर रहे हैंI हम बात कर रहे हैं ओर्गास्मतक लिंग के तनाव न बने रह पाने कीI और अगर ऐसा ही कुछ हो रहा है तो आपके लिंग तक रक्तप्रवाह में शायद कुछ मुश्किल हो रही है जिसके फलस्वरूप लिंग सख्त नहीं बना रह पा रहाI शायद आपको लिंग के सख्त न हो पाने की समस्या हो रही हैI
3.            कई घंटो तक दर्द से भरा लिंग तनाव
इस प्रकार के लिंग तनाव को अंग्रेजी में 'प्रियपिस्म' कहा जाता हैI ये अक्सर दर्द से भरे होते हैं, और ये उस समय भी हो सकता है जब आपके दिमाग में दूर दूर तक सेक्स का ख्याल भी न होI इसकी वजह है लिंग तक आवश्यकता से अधिक रक्त प्रवाह होना और वापस उतने कारगर तरीके से न निकल पानाI
इस समस्या के चलते कोशिकाओं को नुक्सान पहुँचता है और आगे चलकर लिंग के तनाव में हमेशा मुश्किल हो सकती हैI इसके लिए जल्द से जल्द चिकित्सीय सहायता लेना ही सबसे अच्छा विकल्प हैI
4.            दर्द भरा लिंग तनाव सेक्स मुश्किल बनाता है 
ये सच है की लिंग अलग अलग आकारों के होते हैं और सख्त लिंग का कुछ कुछ मुड़ा हुआ होना भी असामान्य नहीं हैI लेकिन कुछ पुरुषों का लिंग सख्त होकर ज़्यादा मुड़ जाता है, इस हद तक कि सेक्स दोनों पार्टनर्स के लिए दर्द से भरा और मुश्किल हो जाता हैI ये 'पेरोनी' नमक विकार के चिन्ह हैं, जोकि लिंग कि लम्बाई के साथ बनी एक कोशिका के कारण होता हैI हालाँकि ज़्यादातर मामलों में इसका निवारण भी समय के साथ अपने आप हो जाता है, लेकिन यदि ये आपके सेक्स करने में मुश्किल पैदा कर रहा है तो डॉक्टर से मिलना अच्छा रहेगाI


Erectile dysfunction
क्‍या आपके लिंग में कड़ापन नहीं आता?  क्‍या आप संभोग के दौरान सफल नहीं हो पाते हैं, क्‍या आपके लिंग में कड़ा पन नहीं आता या आप के अंदर उत्‍तेजना काफी देर से पैदा होती है? पुरुषों की लव लाइफ के लिए लिंग में कड़ा पन न‍हीं आना खतरनाक साबित हो सकता है। इसे अंग्रेजी में इलेक्‍टाइल डाइस्‍फंशन कहते हैं। सीधे शब्‍दों में इसे नपुंसकता कहा जाता है। अगर ऐसा है, तो आप कुछ जरूरी बातों का पालन कर इससे काफी हद तक कम या खत्‍म कर अपनी पार्टनर को संतुष्‍ट कर सकते हैं। सबसे पहले हम बात करेंगे इसके पीछे के कारणों की।
लिंग में कड़ापन नहीं आने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
1. पत्‍नी से बिगड़ते संबंध: यदि आपकी पत्‍नी से आपके संबंध अच्‍छे नहीं हैं और आप दोनों के अंदर संभोग की चाहत खत्‍म हो चुकी है, तो धीरे-धीरे लिंग में कड़ापन आना कम होने लगता है। एक समय ऐसा आता है, जब आप चाह कर भी संभोग नहीं कर पाते। लिहाजा सेक्‍स लाइफ को लंबे समय तक बनाये रखने के लिए पति-पत्‍नी के बीच मधुर संबंध होना जरूरी है।
2. संभोग नहीं करना: मधुर संबंध होते हुए भी यदि आपने पत्‍नी से संभोग करना बंद कर दिया है या कम कर दिया है, तो टेस्‍टोस्‍टीरोन का बनना कम हो सकता है, जिस वजह से लिंग में कड़ापन आने में दिक्‍कत होने लगती है।
3. अन्‍य कारण: धूम्रपान करने, शराब पीने, जरूरत से ज्‍यादा मा‍नसिक तनाव, जरूरत से ज्‍यादा आलस्‍य, अवसादग्रस्‍त होने, आदि से भी लिंग में कड़ापन कम हो जाता है। इसके अलावा डायबटीज़, कोलेस्‍ट्रॉल, किडनी संबंधी बीमारियां और हाई व लो ब्‍लड प्रेशर भी नपुंसकता के कारण हो सकते हैं।
नपुंसकता का सबसे बड़ा दुष्‍प्रभाव शादी-शुदा जीवन पर पड़ता है। सबसे ज्‍यादा तलाक भी इसी के कारण होते हैं। यदि लिंग में कड़ापन आने से पहले, या कड़ापन आते ही वीर्य निकल जाता है, यदि संभोग शुरू करते ही वीर्य निकल जाता है, तो यह सभी नपुंसकता की निशानी हैं। यदि संभोग के दौरान आपका वीर्य निकलने से पहले ही आपके ब्‍लैडर में वापस चला जाता है, तो भी यह खतरनाक है। यदि आपके साथ ऐसा होता है, तो घबराने की बात नहीं है। आप बिना किसी संकोच के सीधे किसी अच्‍छे गुप्‍तरोग विशेषज्ञ की सलाह लें। इरेक्‍टाइल डाइस्‍फंशन में वियाग्रा या लेविट्रा जैसी दवाएं दी जाती हैं। ऐसा होने पर पत्‍नी के भरपूर सहयोग की जरूरत पड़ती है। यदि आपके पति के साथ ऐसी समस्‍याएं हैं, तो उनके मनोबल को गिरने मत दें। आप पहले की तरह ही उत्‍तेजक कपड़ों में उनके सामने जायें और उन्‍हें सेक्‍स के लिए प्रेरित करें। किस, फोरसेक्‍स, आदि जारी रखें। हो सकता है शुरू में विफलता हाथ लगे, लेकिन सही इलाज के बाद आपको सफलता जरूर मिल सकती है। इस बात को लेकर ज्‍यादा सोचने की जरूरत नहीं है। जरूरी नहीं है कि आपके लिंग में किसी विकृति की वजह से ऐसी समस्‍या आयी है। इसके कई अन्‍य कारण भी हो सकते हैं।
कैसे आती है उत्तेजना
पेनिस में इरेक्शन विचार से होता है, स्पर्श से होता है। दिमाग में एक सेक्स सेंटर है। जब वह उत्तेजित होता है तो मेसेज पेनिस की तरफ जाता है। बदन में खून का प्रवाह तेज हो जाता है। पूरे शरीर में पेनिस में खून का प्रवाह सबसे ज्यादा तेज होता है। इसी वजह से लिंग में उत्तेजना ओर स्त्रियों की योनि में गीलापन आता है। पेनिस के इरेक्शन के लिए योग्य हॉर्मोन का होना जरूरी है। पुरुषों में 60 साल के बाद और महिलाओं में 45 साल के बाद हॉर्मोन की कमी होने लगती है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
क्या है: सेक्स के दौरान या उससे पहले पेनिस में इरेक्शन (तनाव) के खत्म हो जाने को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या नपुंसकता कहते हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कई तरह का हो सकता है। हो सकता है, कुछ लोगों को बिल्कुल भी इरेक्शन न हो, कुछ लोगों को सेक्स के बारे में सोचने पर इरेक्शन हो जाता है, लेकिन जब सेक्स करने की बारी आती है, तो पेनिस में ढीलापन आ जाता है। इसी तरह कुछ लोगों में पेनिस वैजाइना के अंदर डालने के बाद भी इरेक्शन की कमी हो सकती है। इसके अलावा, घर्षण के दौरान भी अगर किसी का इरेक्शन कम हो जाता है, तो भी यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की निशानी है। इरेक्शन सेक्स पूरा हो जाने के बाद यानी इजैकुलेशन के बाद खत्म होना चाहिए। कई बार लोगों को वहम भी हो जाता है कि कहीं उन्हें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन तो नहीं। सीधी सी बात है कि आप जिस काम को करने की कोशिश कर रहे हैं, वह काम अगर संतुष्टिपूर्ण तरीके से कर पाते हैं तो सब ठीक है और नहीं कर पा रहे हैं तो समस्या हो सकती है। जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो सकता है।

वजह: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी। अगर किसी खास समय इरेक्शन होता है और सेक्स के समय नहीं होता, तो इसका मतलब यह समझना चाहिए कि समस्या मानसिक स्तर की है। खास समय इरेक्शन होने से मतलब है- सुबह सोकर उठने पर, पेशाब करते वक्त, मास्टरबेशन के दौरान या सेक्स के बारे में सोचने पर। अगर इन स्थितियों में भी इरेक्शन नहीं होता तो समझना चाहिए कि समस्या शारीरिक स्तर पर है। अगर समस्या मानसिक स्तर पर है तो साइकोथेरपी और डॉक्टरों द्वारा बताई गई कुछ सलाहों से समस्या सुलझ जाती है।

- शारीरिक वजह ये चार हो सकती हैं : चार छोटे एस (S) बड़े एस यानी सेक्स को प्रभावित करते हैं। ये हैं : शराब, स्मोकिंग, शुगर और स्ट्रेस।

- हॉर्मोंस डिस्ऑर्डर्स इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की एक खास वजह है।

- पेनिस के सख्त होने की वजह उसमें खून का बहाव होता है। जब कभी पेनिस में खून के बहाव में कमी आती है तो उसमें पूरी सख्ती नहीं आ पाती और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। कुछ लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि शुरू में तो पेनिस के अंदर ब्लड का फ्लो पूरा हो जाता है, लेकिन वैजाइना में एंटर करते वक्त ब्लड का यह फ्लो वापस लौटने लगता है और पेनिस की सख्ती कम होने लगती है।

- नर्वस सिस्टम में आई किसी कमी के चलते भी यह समस्या हो सकती है। यानी न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हो सकती हैं।

- हमारे दिमाग में सेक्स संबंधी बातों के लिए एक खास केंद्र होता है। इसी केंद्र की वजह से सेक्स संबंधी इच्छाएं नियंत्रित होती हैं और इंसान सेक्स कर पाता है। इस सेंटर में अगर कोई डिस्ऑर्डर है, तो भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है।

- कई बार लोगों के मन में सेक्स करने से पहले ही यह शक होता है कि कहीं वे ठीक तरह से सेक्स कर भी पाएंगे या नहीं। कहीं पेनिस धोखा न दे जाए। मन में ऐसी शंकाएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह बनती हैं। इसी डर की वजह से लॉन्ग-टर्म में व्यक्ति सेक्स से मन चुराने लगता है और उसकी इच्छा में कमी आने लगती है।

- डॉक्टरों का मानना है कि 80 फीसदी मामलों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक होती है, बाकी 20 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें इसके लिए मानसिक कारण जिम्मेदार होते हैं।

ट्रीटमेंट
पहले इस समस्या को आहार-विहार और कसरत करने से ठीक करने की कोशिश की जाती है, लेकिन जब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता तो कोई भी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले डॉक्टर समस्या की असली वजह का पता लगाते हैं। इसके लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। वजह के अनुसार आमतौर पर इलाज के तरीके ये हैं:

1. हॉर्मोन थेरपी : अगर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह हॉर्मोन की कमी है तो हॉर्मोन थेरपी की मदद से इसे दो से तीन महीने के अंदर ठीक कर दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

2. ब्लड सप्लाई : जब कभी पेनिस में आर्टरीज की ब्लॉकेज की वजह से ब्लड सप्लाई में कमी आती है, तो दवाओं की मदद से इस ब्लॉकेज को खत्म किया जाता है। इससे पेनिस में ब्लड की सप्लाई बढ़ जाती है और उसमें तनाव आने लगता है।

3. सेक्स थेरपी : कई मामलों में समस्या शारीरिक न होकर दिमाग में होती है। ऐसे मामलों में सेक्स थेरपी की मदद से मरीज को सेक्स संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाती है, जिससे वह अपने तरीकों में सुधार करके इस समस्या से बच सकता है।

4. वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा : वैक्यूम पंप, इंजेक्शन थेरपी और वायग्रा जैसे ड्रग्स की मदद से भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को दूर किया जा सकता है। वैसे कुछ डॉक्टरों का मानना है कि वैक्यूम पंप और इंजेक्शन थेरपी अब पुराने जमाने की बात हो चुकी हैं।

- वैक्यूम पंप : आजकल बाजार में कई तरह के वैक्यूम पंप मौजूद हैं। रोज अखबारों में इसके तमाम ऐड आते रहते हैं। इसकी मदद से बिना किसी साइड इफेक्ट के इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का हल निकाला जा सकता है। वैक्यूम पंप एक छोटा सा इंस्ट्रूमेंट होता है। इसकी मदद से पेनिस के चारों तरफ 100 एमएम (एचजी) से ज्यादा का वैक्यूम बनाया जाता है जिससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ने लगता है, और तीन मिनट के अंदर उसमें पूरी सख्ती आ जाती है। लगभग 80 फीसदी लोगों को इससे फायदा हो जाता है। चूंकि इसमें कोई दवा नहीं दी जाती है, इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। वैक्यूम पंप आमतौर पर उन लोगों के लिए है जो 50 की उम्र के आसपास पहुंच गए हैं। यंग लोगों को इसकी सलाह नहीं दी जाती है, फिर भी जो भी इसका इस्तेमाल करे, उसे डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

- वायग्रा : इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए वायग्रा का इस्तेमाल अच्छा ऑप्शन है, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी भी सूरत में बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए। वायग्रा में मौजद तत्व उस केमिकल को ब्लॉक कर देते हैं, जो पेनिस में होने वाले ब्लड फ्लो को रोकने के लिए जिम्मेदार है। इससे पेनिस में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है और फिर इरेक्शन आ जाता है। वायग्रा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को ठीक करने में फायदेमंद तो साबित होती है, लेकिन यह महज एक टेंपररी तरीका है। इससे समस्या की वजह ठीक नहीं होती।

इनका असर गोली लेने के चार घंटे तक रहता है। वायग्रा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। कई मामलों में इसे लेने के चलते मौत भी हुई हैं। गोली लेने के 15 मिनट बाद असर शुरू हो जाता है।

अगर हाई और लो ब्लडप्रेशर, हार्ट डिजीज, लीवर से संबंधित रोग, ल्यूकेमिया या कोई एलर्जी है तो वायग्रा लेने से पहले विशेष सावधानी रखें और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही चलें।

- सर्जरी : जब ऊपर दिए गए तरीके फेल हो जाते हैं, तो अंतिम तरीके के रूप में पेनिस की सर्जरी की जाती है।

प्रीमैच्योर इजैकुलेशन
प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या शीघ्रपतन पुरुषों का सबसे कॉमन डिस्ऑर्डर है। सेक्स के लिए तैयार होते वक्त, फोरप्ले के दौरान या पेनिट्रेशन के तुरंत बाद अगर सीमेन बाहर आ जाता है, तो इसका मतलब प्रीमैच्योर इजैकुलेशन है। ऐसी हालत में पुरुष अपनी महिला पार्टनर को पूरी तरह संतुष्ट किए बिना ही फारिग हो जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पुरुष का अपने इजैकुलेशन पर कोई अधिकार नहीं होता। आदर्श स्थिति यह होती है कि जब पुरुष की इच्छा हो, तब वह इजैकुलेट करे, लेकिन प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की स्थिति में ऐसा नहीं होता।

- सेरोटोनिन जैसे न्यूरो ट्रांसमिटर्स की कमी से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या हो सकती है।

- यूरेथेरा, प्रोस्टेट आदि में अगर कोई इंफेक्शन है, तो भी प्रीमैच्योर इजैकुलेशन हो सकता है।

- दिमाग में मौजूद सेक्स सेंटर एरिया में अगर कोई डिस्ऑर्डर है तो भी सीमेन का डिस्चार्ज तेजी से होता है।

- कुछ लोगों के पेनिस में उत्तेजना पैदा करने वाले न्यूरोट्रांसमिटर्स ज्यादा संख्या में होते हैं। इनकी वजह से ऐसे लोगों में टच करने के बाद उत्तेजना तेजी से आ जाती है और वे जल्दी क्लाइमैक्स पर पहुंच जाते हैं।

- कई बार एंग्जायटी, टेंशन और सीजोफ्रेनिया की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

दवाएं : प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की वजह को जानने के बाद उसके मुताबिक खाने की दवाएं दी जाती हैं। इनकी मदद से प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसमें करीब दो महीने का वक्त लगता है। इन दवाओं के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।

इंजेक्शन थेरपी: अगर खाने की दवाओं से काम नहीं चलता तो इंजेक्शन थेरपी दी जाती है। इनसे तीन मिनट के अंदर पेनिस हार्ड हो जाता है और यह हार्डनेस 30 मिनट तक बरकरार रहती है। इसकी मदद से कोई भी शख्स सही तरीके से सेक्स कर सकता है। ये इंजेक्शन कुछ दिनों तक दिए जाते हैं। इसके बाद खुद-ब-खुद उस शख्स का अपने इजैकुलेशन पर कंट्रोल होने लगता है और फिर इन इंजेक्शन को छोड़ा जा सकता है।

टोपिकल थेरपी : यह टेंपररी ट्रीटमेंट है। इसमें कुछ खास तरह की क्रीम का यूज किया जाता है। इन क्रीम की मदद से डिस्चार्ज का टाइम बढ़ जाता है। इनका भी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

सेक्स थेरपी : दवाओं के साथ मरीज को कुछ एक्सरसाइज भी सिखाई जाती हैं। ये हैं :

स्टॉप स्टार्ट टेक्निक : पार्टनर की मदद से या मास्टरबेशन के माध्यम से उत्तेजित हो जाएं। जब आपको ऐसा लगे कि आप क्लाइमैक्स तक पहुंचने वाले हैं, तुरंत रुक जाएं। खुद को कंट्रोल करें और सुनिश्चित करें कि इजैकुलेशन न हो। लंबी गहरी सांस लें और कुछ पलों के लिए रिलैक्स करें। कुछ पलों बाद फिर से पेनिस को उत्तेजित करना शुरू कर दें। जब क्लाइमैक्स पर पहुंचने वाले हों, तभी रोक लें और रिलैक्स करें। इस तरह बार बार दोहराएं। कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि शुरू करने और स्टॉप करने के बीच का समय धीरे धीरे ज्यादा हो रहा है। इसका मतलब है कि आप पहले के मुकाबले ज्यादा समय तक टिक रहे हैं। लगातार प्रैक्टिस करने से इजैकुलेशन कब हो इस पर काबू पाया जा सकता है।

कीजल एक्सरसरइज : कीजल एक्सरसाइज न सिर्फ प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को कंट्रोल करने में सहायक है, बल्कि प्रोस्टेट से संबंधित समस्याएं भी इससे ठीक की जा सकती हैं। इसके लिए पेशाब करते वक्त स्क्वीज, होल्ड, रिलीज पैटर्न अपनाना होता है। यानी पेशाब का फ्लो शुरू होते ही मसल्स का स्क्वीज करें, कुछ पलों के लिए रुकें और फिर से रिलीज कर दें। इस दौरान इस प्रॉसेस का बार बार दोहराएं। इन सेक्स एक्सरसाइज की प्रैक्टिस अगर कोई शख्स चार हफ्ते तक लगातार कर लेता है तो उसके बाद वह 8 से 10 मिनट तक बिना इजैकुलेशन के इरेक्शन बरकरार रख सकता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि काफी टाइम बाद सेक्स करने से भी व्यक्ति जल्दी स्खलित हो जाता है। ऐसे मामलों में इन एक्सरसाइजों को कर लिया जाए तो इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है।

मास्टरबेशन
सेक्स के दौरान पेनिस जो काम योनि में करता है, वही काम मास्टरबेशन के दौरान पेनिस मुट्ठी में करता है। मास्टरबेशन युवाओं का एक बेहद सामान्य व्यवहार है। जिन लोगों के पार्टनर नहीं हैं, उनके साथ-साथ मास्टरबेशन ऐसे लोगों में भी काफी कॉमन है, जिनका कोई सेक्सुअल पार्टनर है। जिन लोगों के सेक्सुअल पार्टनर नहीं हैं या जिनके पार्टनर्स की सेक्स में रुचि नहीं है, ऐसे लोग अपनी सेक्सुअल टेंशन को मास्टरबेशन की मदद से दूर कर सकते हैं। जो लोग प्रेग्नेंसी और एसटीडी के खतरों से बचना चाहते हैं, उनके लिए भी मास्टरबेशन उपयोगी है।

नॉर्मल: मास्टरबेशन बिल्कुल नॉर्मल है। सेक्स का सुख हासिल करने का यह बेहद सुरक्षित तरीका है और ताउम्र किया जा सकता है, लेकिन अगर यह रोजमर्रा की जिंदगी को ही प्रभावित करने लगे तो इसका सेहत और दिमाग दोनों पर गलत असर हो सकता है।

कुछ तथ्य
- सामान्य सेक्स के तीन तरीके होते हैं - पार्टनर के साथ सेक्स, मास्टरबेशन और नाइट फॉल। अगर पार्टनर से सेक्स कर रहे हें तो जाहिर है सीमेन बाहर आएगा। सेक्स नहीं करते, तो मास्टरबेशन के जरिये सीमेन बाहर आएगा। अगर कोई शख्स यह दोनों ही काम नहीं करता है तो उसका सीमेन नाइट फॉल के जरिये बाहर आएगा। सीमेन सातों दिन और चौबीसों घंटे बनता रहता है। सीमेन बनता रहता है, खाली होता रहता है।

- मास्टरबेशन करने से कोई शारीरिक या मानसिक कमजोरी नहीं आती।

- पेनिस में जितनी बार इरेक्शन होता है, उतनी बार मास्टरबेशन किया जा सकता है। इसकी कोई लिमिट नहीं है। हर किसी के लिए अलग-अलग दायरे हैं।

- इससे बाल गिरना, आंखों की कमजोरी, मुंहासे, वजन में कमी, नपुंसकता जैसी समस्याएं नहीं होतीं।

- सीमेन की क्वॉलिटी पर कोई असर नहीं होता। न तो सीमेन का कलर बदलता और न वह पतला होता है।

- इससे पेनिस के साइज पर भी कोई असर नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि मास्टरबेशन से पेनिस का टेढ़ापन, पतलापन, नसें दिखना जैसी समस्याएं हो जाती हैं, वे खुद भी भ्रम में हैं और दूसरों को भी भ्रमित कर रहे हैं।

- कुछ लोगों को लगता है कि मास्टरबेशन करने के तुरंत बाद उन्हें कुछ कमजोरी महसूस होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। यह मन का वहम है।

- मास्टरबेशन एड्स और रेप जैसी स्थितियों को रोकने का अच्छा तरीका है।

- कामसूत्र या आयुर्वेद में कहीं यह नहीं लिखा है कि मास्टरबेशन बीमारी है।

- 13-14 साल की उम्र में लड़कों को इसकी जरूरत होने लगती है। कुछ लोग शादी के बाद भी सेक्स के साथ-साथ मास्टरबेशन करते रहते हैं। यह बिल्कुल नॉर्मल है।

मिथ्स क्या हैं

1. पेनिस का साइज छोटा है तो सेक्स में दिक्कत होगी। बड़ा पेनिस मतलब सेक्स का ज्यादा मजा।

सचाई : छोटे पेनिस की बात नाकामयाब दिमाग में ही आती है। दुनिया में ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे पेनिस के स्टैंडर्ड साइज का पता किया सके। वैजाइना की सेक्सुअल लंबाई छह इंच होती है। इसमें से बाहरी एक तिहाई हिस्सा यानी दो इंच में ही ग्लांस तंतु होते हैं। अगर किसी महिला को उत्तेजित करना है, तो वह योनि के बाहरी एक तिहाई हिस्से से ही उत्तेजित हो जाएगी। जाहिर है, अगर उत्तेजित अवस्था में पुरुष का लिंग दो इंच या उससे ज्यादा है, तो वह महिला को संतुष्ट करने के लिए काफी है। ध्यान रखें, खुद और अपने पार्टनर की संतुष्टि के लिए महत्वपूर्ण चीज पेनिस की लंबाई नहीं होती, बल्कि यह होती है कि उसमें तनाव कैसा आता है और कितनी देर टिकता है। पेनिस की चौड़ाई का भी खास महत्व नहीं है। योनि इलास्टिक होती है। जितना पेनिस का साइज होगा, वह उतनी ही फैल जाएगी। बड़ा पेनिस किसी भी तरह से सेक्स में ज्यादा आनंद की वजह नहीं होता।

2. पेनिस में टेढ़ापन होना सेक्स की नजर से समस्या है।

सचाई : पेनिस में थोड़ा टेढ़ापन होता ही है। किसी भी शख्स का पेनिस बिल्कुल सीधा नहीं होता। यह या तो थोड़ा दायीं तरफ या फिर थोड़ा बायीं तरफ झुका होता है। इसकी वजह से पेनिस को वैजाइना में प्रवेश कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है। ध्यान रखें, घर में दाखिल होना महत्वपूर्ण है, थोड़े दायें होकर दाखिल हों या फिर बायें होकर या फिर सीधे। ऐसे मामलों में इलाज की जरूरत तब ही समझनी चाहिए योनि में पेनिस का प्रवेश कष्टदायक हो।

3. बाजार में तमाम तेल हैं, जिनकी मालिश करने से पेनिस को लंबा मोटा और ताकतवर बनाया जा सकता है। इसी तरह तमाम गोलियां, टॉनिक आदि लेने से सेक्स पावर बढ़ोतरी होती है।

सचाई : पेनिस पर बाजार में मिलने वाले टॉनिक का कोई असर नहीं होता, असर होता है उसके ऊपर बने सांड या घोड़े के चित्र का। इसी तरह जब पेनिस पर तेल की मालिश की जाती है, तो उस हाथ की स्नायु मजबूत होती हैं, जिससे तेल की मालिश की जाती है, लेकिन पेनिस की मसल्स पर इसका कोई भी असर नहीं होता।

4. पेनिस में नसें नजर आती हैं तो यह कमजोरी की निशानी है।

सचाई : पेनिस में अगर कभी नसें नजर आती भी हैं तो वे नॉर्मल हैं। उनका पेनिस की कमजोरी से कोई लेना देना नहीं है।

5. जिन लोगों के पेनिस सरकमसाइज्ड (इस स्थिति में पेनिस की फोरस्किन पीछे की तरफ रहती है और ग्लांस पेनिस हमेशा बाहर रहता है) हैं, वे सेक्स में ज्यादा कामयाब होते हैं।

सचाई : सरकमसाइज्ड पेनिस का सेक्स की संतुष्टि से कोई लेना-देना नहीं है। यह तब कराना चाहिए जब उत्तेजित अवस्था में पुरुष की फोरस्किन पीछे हटाने में दिक्कत हो।

6. सेक्स पावर बढ़ाने नुस्खे, गोलियां (आयुर्वेदिक और एलोपैथिक), मसाज ऑयल, शिलाजीत आदि बाजार में हैं। इनसे सेक्स पावर बढ़ाई जा सकती है।

सचाई : बाजार में आमतौर मिलने वाली ऐसी गोलियों और दवाओं से सेक्स पावर नहीं बढ़ती। आयुर्वेद के नियम कहते हैं कि मरीज को पहले डॉक्टर से मिलना चाहिए और फिर इलाज करना चाहिए। हर मरीज के लिए उसके हिसाब से दवा दी जाती है, दवाओं को जनरलाइज नहीं किया जा सकता।

एक पक्ष यह भी
यूथ्स की सेक्स समस्याओं पर एलोपैथी और आयुर्वेद की सोच में अंतर मिलता है। जहां एक तरफ एलोपैथी में माना जाता है कि सीमेन शरीर से बाहर निकलने से शरीर और दिमाग को कोई नुकसान नहीं होता, वहीं आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करने वाले लोग सीमेन के संरक्षण की बात करते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मुताबिक :

- महीने में दो से आठ बार तक नाइट फॉल स्वाभाविक है, लेकिन इससे ज्यादा होने लगे, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक है।

- मास्टरबेशन करने से याददाश्त कमजोर होती है। एकाग्रता और सेहत पर बुरा असर होता है।

- प्रीमैच्योर इजैकुलेशन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को आयुर्वेद में दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मरीज को खुद डॉक्टर से मिलकर इलाज कराना चाहिए। दरअसल, आयुर्वेद में मरीज विशेष के लक्षणों और हाल के हिसाब से दवा दी जाती है, जिनका फायदा होता है।

- बाजार में आयुर्वेद के नाम पर बिकने वाले मालिश करने के तेल, कैपसूल और ताकत की दवाएं जनरल होती हैं। इन बाजारू दवाओं से सेक्स पावर बढ़ाने या पेनिस को लंबा-मोटा करने में कोई मदद नहीं मिलती। ये चीजें आयुर्वेद को बदनाम करती हैं।

- विज्ञापनों और नीम-हकीमों से दूर रहें। तमाम नीम-हकीम आयुर्वेद के नाम पर युवकों को बेवकूफ बनाकर पैसा ठगते हैं। इनसे बचें और हमेशा किसी योग्य डॉक्टर से ही संपर्क करें।

- मर्यादित सेक्स करने से जिंदगी में यश बढ़ता है और परिवार में बढ़ोतरी होती है, जबकि अमर्यादित और बहुत ज्यादा सेक्स रोगों को बढ़ाता है।

- मल-मूत्र का वेग होने पर और व्रत, शोक और चिंता की स्थिति में सेक्स से परहेज करना चाहिए।

- जो चीजें शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करती हैं, वही चीजें सेक्स की पावर बढ़ाने में भी मददगार हैं। ऐसे में अगर आप स्वास्थ्य के नियमों का पालन कर रहे हैं और सेहतमंद खाना ले रहे हैं तो आपको सेक्स पावर बढ़ाने वाली चीजें अलग से लेने की कोई जरूरत नहीं है।

शीघ्र पतन कोई बिमारी नही है

शीघ्र पतन का मतलब है कि सेक्स के समय स्त्री के झड़ने से कहीं पहले झड़ जाना. इस स्थिति में क्योंकि स्त्री को ओर्गास्म नहीं होता है इसलिए उसकी सेक्स की चाहत अधूरी रह जाती है और सेक्स की अधूरी चाहत से चिडचिडापन बना रहता है, किसी काम में मन नहीं लगता और इस स्थिति में यदि किसी अन्य पुरुष उसकी और हाथ बढाये तो दूसरे पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध बन जाना स्वाभाविक है.
वैसे देखा जाय तो यह एक मानसिक रूप से ठीक हो जाने वाली बीमारी है नीम हकीम से अपना इलाज करवाना मतलब अपना धन और स्वस्थ्य से खिलवाड़ करना होता है.
टेंशन से दूर रहिये, यदि तम्बाकू और धूम्रपान का सेवन करते हो तो बंद कर दीजिये
खाने पीने में भिगोई हुई दालें, पनीर, दूध, हरी सब्जिया, सलाद आदि की मात्र बढा दीजिये
यदि हस्तमैथुन या सेक्स प्रतिदिन या एक दिन में अधिक बार करते हो तो ५ से ७ दिन में एक बार कर दीजिये. इस से यदि पहली बार जल्दी हो भी गया तो दूसरी बार का टाइम बढ़ जाएगा.
जल्दी उत्तेजित मत होइए, एवं जब लिंग खडा हो जाये तो उसको अंडरवेअर में ऊपर की ओर कर लीजिये,
देसी घी/नारियल का तेल/फेस क्रीम में से किसी की मालिश लिंग पर हलके हाथों से कीजिये और हाथ का मूवमेंट लिंग के जड़ से सुपाडे की ओर होना चाहिए.
अपने मन को सुदृढ़ कीजिये, ओर विचार कीजिये कि आपको अभी नहीं हो रहा है. कुछ देर ओर लगेगी……
दिन भर में १५ से २० गिलास पानी पीजिये, और कब्ज मत रहने दीजिये
अपने मन को दूसरी और मोड़ लीजिये ताकि उत्तेजना का असर कम हो जाए
एक बार लिंग के खडा होने के बाद कुछ देर को सेक्स क्रिया से दूर हो जाइए, इस तरह से जब लिंग बैठ कर फिर खडा होगा तो स्खलन का समय बढ़ जायेगा.

शीघ्रपतन की हकीकत

सेक्स क्रिया में मानवों के बीच शीघ्रपतन नामक शब्द काफी अहमियत रखता है. यदि इस शब्द की शाब्दिक व्याख्या करें तो शीघ्र गिर जाने को शीघ्रपतन कहते हैं।
लेकिन सेक्स के मामले में यह शब्द वीर्य के स्खलन के लिए, प्रयोग किया जाता है। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति  प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता (क्योंकि स्त्रियों में स्खलन की क्रिया नहीं पायी जाती), यह पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है।
सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। वीर्यपात की अवधि स्तम्भनशक्ति पर निर्भर होती है और स्तम्भन शक्ति वीर्य के गाढ़ेपन और यौनांग की शक्ति पर निर्भर होती है। स्तम्भन शक्ति का अभाव होना शीघ्रपतन है। बार-बार कामाग्नि की आंच (उष्णता) के प्रभाव से वीर्य पतला पड़ जाता है सो जल्दी निकल पड़ता है। ऐसी स्थिति में कामोत्तेजना का दबाव यौनांग सहन नहीं कर पाता और उत्तेजित होते ही वीर्यपात कर देता है। यह तो हुआ शारीरिक कारण, अब दूसरा कारण मानसिक होता है जो शीघ्रपतन की सबसे बड़ी वजह पाई गई है। एक और लेकिन कमजोर वजह और है वह है  हस्तमैथुन. हस्तमैथुन करने वाला जल्दी से जल्दी वीर्यपात करके कामोत्तेजना को शान्त कर हलका होना चाहता है और यह शान्ति पा कर ही वह हलकेपन तथा क्षणिक आनन्द का अनुभव करता है। इसके अलावा अनियमित सम्भोग, अप्राकृतिक तरीके से वीर्यनाश व अनियमित खान-पान आदि।

शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह बीमारी पुरुषों की मानसिक हालत पर भी निर्भर रहती है। मूलरूप से देखा जाय तो 95 फीसदी शीघ्रपतन के मामले मानसिक हालत की वजह से होते हैं और इसके पीछे उनमें पाई जाने वाली सेक्स अज्ञानता व शीघ्रपतन को बीमारी व शीघ्रपतन से
संबंधी बिज्ञापन होते हैं. कई बार तो इन विज्ञापनों से वीर्य स्खलन का समय इतना अधिक बता दिया जाता है जो मानव शक्ति से काफी परे होता है मसलन 20 मिनट से आधे घंटे तो कई बार इससे भी ज्यादा जबकि वर्तमान शोधों से पता चला है स्खलन का सामान्य समय तीन से चार मिनट का होता है. कई युवकों और पुरुषों को मूत्र के पहले या बाद में तथा शौच के लिए जोर लगाने पर धातु स्राव होता है या चिकने पानी जैसा पदार्थ किलता है, जिसमें चाशनी के तार की तरह लंबे तार बनते हैं। यह मूत्र प्रसेक पाश्वकीय ग्रंथि से निकलने वाला लसीला द्रव होता है, जो कामुक चिंतन करने पर बूंद-बूंद करके मूत्र मार्ग और स्त्री के योनि मार्ग से निकलता है, ताकि इन अंगों को चिकना कर सके। इसका एक ही इलाज है कि कामुकता और कामुक चिंतन कतई न करें। एक बात और पेशाब करते समय, पेशाब के साथ, पहले या बीच में चूने जैसा सफेद पदार्थ निकलता दिखाई देता है, वह वीर्य नहीं होता, बल्कि फास्फेट नामक एक तत्व होता है, जो अपच के कारण मूत्र मार्ग से निकलता है, पाचन क्रिया ठीक हो जाने व कब्ज खत्म हो जाने पर यह दिखाई नहीं देता है। धातु क्षीणता आज के अधिकांश युवकों की ज्वलंत समस्या है। कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में
कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।

दरअसल सेक्स के दौरान शीघ्रपतन होना एक सामान्य समस्या है। यह समस्या अधिकांशत: युवाओं के बीच कहते-सुनते देखा जा सकता है। एक अमेरिकी सर्वे के अनुसार दुनिया की 43 फीसदी महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरूष शीघ्रपतन की समस्या के शिकार हैं। हालांकि यह समस्या गर्भधारण या जनन के लिए बाधा उत्पन्न नहीं करती है, फिर भी यह एक स्वस्थ शरीर और अच्छे व्यक्ितत्व के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।इस समस्या से ग्रसित व्यक् ित के स्वभाव में सबसे पहले परिवर्तन आता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि इस परेशानी की वजह से पीडि़त व्यक्ित का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अक्सर सिरदर्द जैसे शारीरिक
समस्याओं से भी ग्रसित हो सकता है या कुछ समय के बाद सेक्स में अरूचि भी आ जाने की संभावना रहती है। इसके अलावा शारीरिक दुर्बलता भी हो सकती है। आज भी बहुत से लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जो लेते भी हैं वह इस समस्या को किसी के सामने रखने से डरते हैं। एक आकलन के अनुसार पुरूष का संभोग समय औसतन तीन मिनट का होता है। कुछ लोग दस मिनट तक संभोगरत रहने के बाद खुद को इस समस्या से बाहर मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बरक्स अगर आप एक दूसरे को संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं तो यह शीघ्रपतन माना जाता है। यह समस्या असाध्य नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके उपचार को लेकर लोगों में अनेक तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। जबकि सेक्स के कुछ तरीकों में परिवर्तन करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। सबसे पहले तो इस समस्या को भी एक आम शारीरिक परेशानी की तरह लें।

सेक्स के दौरान चरम पर आने से पहले सेक्स के विधियों में बदलाव करें। मसलन आप मुखमैथुन, गुदामैथुन आदि की ओर रूख कर सकते हैं। इसके बाद भी अपनी अवस्थाओं को बदलते रहने का प्रयास करते रहें। सेक्स के दौरान कुछ देर तक लंबी सांस जरूर लें। यह प्रक्रिया शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करती है। आपको मालूम होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी तक ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए अगर संभव हो सके तो बीच-बीच में त्वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थ जैसे ग्लूकोज, जूस, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थायित्व दे सकता है। ध्यान रखें, संभोग के दौरान इशारे में बात न करके सहज रूप से बात करें।डर, असुरक्षा, छुपकर सेक्स, शारीरिक व मानसिक परेशानी भी इस समस्या का एक कारण हो सकती है। इसलिए इससे बचने का प्रयत्न करें। इसके अलावे कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या के निजात के लिए सहायक हो सकता है। समस्या के गंभीर होने पर आप किसी अच्छे सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं।

शीघ्रपतन से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपने दिमाग से यह निकाल दें कि आप शीघ्रपतन के शिकार हैं और शीघ्रपतन कोई बीमारी है. शुरुआती दौर में अस्सी फीसदी लोग संभोग के दौरान शीघ्रपतन का शिकार होते है. इसलिये इसे बीमारी के रूप में न लें न ही विज्ञापनों से भ्रमित हो.
  

बेहतर sex-life के लिए आजमाएं इन घरेलू नुस्‍खों को

पुरुषों में कमजोरी की समस्या आजकल आम है। नपुंसकता, स्वप्नदोष, धातु दोष आदि ऐसी समस्याएं हैं जो वैवाहिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। असंयमित खान-पान या शरीर में पोषक तत्वों के कारण या अन्य गलत आदतों से  पुरुषों को दुर्बलता या कमजोरी की परेशानी होने लगती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बेहद साधारण घरेलू नुस्खे जिनसे आप इस समस्या से बहुत जल्द छुटकारा पा सकते हैं।

आंवला- 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी। इस प्रकार की परेशानी में आंवला बहुत फायदेमंद होता है। अत: प्रतिदिन रात्रि में गिलास में थोड़ा सा हुआ सुखा आंवले का चूर्ण लें और उसमें पानी भर दें। सुबह उठने के बाद इस पानी में हल्दी मिलाएं एवं छानकर पीएं। आंवले के चूर्ण में मिश्री पीसकर मिलाएं। इसके बाद प्रतिदिन रात को सोने से पहले करीब एक चम्मच इस मिश्रित चूर्ण का सेवन करें। इसके बाद थोड़ा सा पानी पीएं। जिन लोगों को अत्याधिक स्वप्नदोष होने की समस्या है, वे प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा खाएं।

सेब-  एक सेब में जितनी हो सके उतनी लौंग लगा दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग लगाकर दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग बोतल में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

अश्वगंधा- अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। चूर्ण को आधा चम्मच मात्रा में दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।

सोंठ- 4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है और सेक्स शक्ति को बढ़ाती है।

अजवायन- 100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी बोतल में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।
छुहारे- चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू और दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है।

गाजर- 1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250  ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्दूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकर शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है।

इमली-आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी बोतल में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है।

कौंच का बीज- 100 ग्राम कौंच के बीज और 100  ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है और नामर्दी दूर होती है।

चोबचीनी-100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।

प्याज-आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है।सफेद प्याज के रस को अदरक के रस के साथ मिलाकर शुद्ध शहद तथा देशी घी पांच-पांच ग्राम की मात्रा में लेकर एक साथ मिलाकर सुबह नियम से एक माह तक सेवन करें और लाभ देखें इससे यौन क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जाती है।

सेक्स इच्छा में कमी के कुछ कारण

हर व्यक्ति अपना वैवाहिक जीवन खुशहाल रखना चाहता है। जिसके लिए वह हर संभव प्रयास भी करता है। लेकिन कई बार व्यक्ति को कुछ ऐसी बीमारियां घेर लेती है जिससे वह न सिर्फ अनजान होता है बल्कि उसका वैवाहिक जीवन भी बिखर जाता है। व्यक्ति को विभिन्न आयु में सेक्स संबंधी रोग, सेक्स विकार, सेक्स हार्मोंन संबंधी समस्याएं आने लगती है।  सेक्स रोग और विकारों से बचने के लिए, लोग दवाओं का सेवन करते हैं लेकिन वे इस बात से अनजान रहते हैं कि दवाओं के सेवन से सेक्स हार्मोंस में गड़बड़ हो सकती है, जिससे कई बार सेक्स मे रूचि कम हो जाती है। बहरहाल, आइए जानें सेक्स इच्छा में कमी के कारणों को।
कई बार दवाओं के सेवन का सेक्स लाइफ पर प्रभाव पडता है। ऐसी कई दवाईयां है जिनके सेवन से सेक्स हार्मोन्स पर गहरा असर होता है। हालांकि आपकी सेक्स लाइफ के प्रति अरूची सिर्फ दवाओं की वजह से ही हो यह भी जरूरी नहीं।
कुछ ऐसी दवाईयां है जो आप अपनी आम बीमारियों को दूर करने के लिए लेते हैं लेकिन उन दवाओं के सेवन से आपकी सेक्स इच्छा में कमी आ सकती है। जैसे- उच्च रक्तचाप की दवाएं, हार्मोंन संबंधी दवाईयां, पेनकिलर्स, अस्थमा में ली जाने वाली दवाईयां, एंटी डिप्रेसेंट दवाएं, अल्सर के इलाज की दवाएं ऐसी हैं जिनके नियमित लेने से सेक्स में रूचि कम होने लगती हैं।
कई बार शीघ्रपतन के कारण भी सेक्स इच्छा में कमी होने लगती है। व्यक्ति अचानक से सेक्स के दौरान घबरा जाए तो जल्दी शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है।
कई बार सेक्स संबंधी भ्रम और मिथ भी सेक्स में कम रूचि होने का कारण बनते हैं। दोस्तों और अन्य माध्यमों से ली गई गलत जानकारियां, कुछ बुरे अनुभव, सेक्स के प्रति पूरी तरह से जागरूक न होने से भी सेक्स‍ इच्छा में कमी आने की संभावना रहती है।
परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ और भागदौड़ की जिंदगी में होने वाले तनाव के कारण भी सेक्स इच्छा में कमी आ जाती है।
प्रोस्टेट ग्रंथि के अधिक बढ़ जाने यानी सेक्स विकार से भी सेक्स हार्मोंस में बदलाव आता है।
शरीर में टेस्टोरॉन हार्मोंन के स्तर में कमी आने से सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है।
शरीर में सेक्स संबंधी कमजोरी आने से यानी शरीर में कोई रोग हो जाए तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव सेक्स शक्ति पर पड़ता है।
ये तमाम ऐसे कारण है जिनसे सेक्स इच्छा में कमी आ जाती है। कई बार महिला सेक्स विकार होने या फिर विभिन्न आयु में सेक्स संबंधी परेशानियों से सेक्स में व्यक्ति की रूचि कम हो जाती हैं। सेक्स संबंधी कोई भी विकार या रोग होने पर तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए और जल्द से जल्द उसका इलाज कराना चाहिए।

सेक्स समस्याओं के बारे में आपसी बातचीत

यह तो सभी जानते हैं संबंधों में एक-दूसरे का साथ बेहद जरूरी है। पति-पत्नी के आपसी संबंधों में जहां शारीरिक संबंध जरूरी होते हैं वहीं मानसिक जुड़ाव भी बहुत जरूरी है। मानसिक जुड़ाव के साथ-साथ शारीरिक जुड़ाव संबंधों को अधिक मधुर बनाता है। एक तरफ जहां पति-पत्नी के संबंधों में सेक्स का बहुत महत्व है यही सेक्सा समस्याओं को भी इनसे अलग रखकर नहीं देखा जा सकता।
आमतौर पर पति-पत्नी सेक्स समस्याओं के बारे में बात करने से कतराते हैं, नतीजन सेक्स समस्या बढ़ती जाती है। ऐसे में पति और पत्नी दोनों में इतनी आपसी समझ होनी चाहिए कि एक-दूसरे से कोई भी बातें छुपाए बिना ना रह सकें। इतना ही नहीं इस मामले में महिलाएं कभी पहल नहीं करती। ऐसे में पुरूषों को चाहिए कि उनका व्यवहार ऐसा हो कि उनकी पत्नी उनसे हर बात शेयर कर सकें। आइए जानें सेक्स समस्याओं के बारे में कैसे बात करें।
जब भी महिलाओं को सेक्स समस्या होती है वह बताने से हिचकती है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरूषों के साथ भी ऐसी ही स्थिति होती है। ऐसे में समस्या बढ़ने की आशंका बराबर बनी रहती है।
यदि आप चाहते हैं कि कोई भी सेक्स समस्या है उसे आप अपने साथी से शेयर करें तो उसके लिए जरूरी है कि आपका अपने साथी को जानना कि उसकी आपकी इस समस्यास या परेशानी पर क्या प्रतिक्रिया होगी।
यदि आप अपने साथी से अपनी सारी बातें शेयर करते हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने साथी से उन बातों को शेयर करने में भी सहज रहें जो आपने अब तक नहीं की है।

सेक्स समस्याओं के बारे में बातचीत के लिए उपाय कुछ उपाय

विश्वास जीते- यदि आप चाहते हैं कि आप अपने साथी से सभी समस्याओं खासकर सेक्स समस्याओं के बारे में बातचीत कर सकें तो आपको अपने साथी को विश्वास में लेना होगा। यदि आपका अपने साथी पर भरोसा है तो आप बेझिझक अपने साथी को अपनी समस्या से रूबरू करवा सकते हैं।
अपने साथी को समझे- यदि आपका साथी आपसे कुछ बात करने का इच्छुक है लेकिन कह नहीं पा रहा तो आपको चाहिए कि आप अपने साथी को दिलासा दिलाएं कि आप हरदम उसके साथ है इसीलिए कोई भी परेशानी है तो वह आपसे आराम से शेयर कर सकता है।

संवाद है जरूरी- किसी भी बात को अपने साथी को बताने के लिए जरूरी है कि आप अपने साथी से लगातार संवाद करते रहें। यदि आप दोनों के बीच अच्छी तरह से बातचीत होगी तो आप सहज रूप से अपनी बात कह सकेंगे।

प्यार जताएं- यदि आप अपने साथी को अपनी कोई सेक्स समस्या से रूबरू करवाने जा रहे हैं तो आप उसे सीधे-सपाट शब्दों  में ना कहें बल्कि उसके लिए थोड़ा समय लें और अपने साथी को बातचीत और प्यार से सहज करें। इसके बात सामान्य बातचीत के बाद ही अपनी समस्या बताएं।

इशारों को समझे- आपको अपने साथी को इस तरह तैयार करना होगा कि वह आपकी बात बिना कहे भी समझ जाएं। यदि आप कोई बात शेयर करना चाहते हैं या फिर आप परेशानी में है तो आपके बिना बताएं आपका साथी आपको समझ जाए और आपसे खुद आपकी परेशानी को जानना चाहें।

पति-पत्नी के बीच प्यार तभी बरकरार रह सकता है जब आपसी सामंजस्य हो और दोनों के बीच खुलापन हो। ताकि दोनों में से कोई भी अपनी बात बताते समय मन में कोई डर या शंका ना रखें।




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