7/23/15

डायबिटीज के लक्षण, कारण और इलाज

भारत में 2030 तक मधुमेह रोगियों की संख्या 10 करोड़ पहुंचने का अनुमान है। लगातार तनाव में रहने वाले लोग और खानपान का ध्यान न रखने वाले लोगों को मधुमेह होने का खतरा रहता है। भारत में 20 से 79 आयु वर्ग में हर छह में से एक शख्स मधुमेह से पीड़ित है। बच्चे, बूढ़े, युवा सब इसकी हिट लिस्ट में आ चुके हैं। मधुमेह रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या की वजह से भारत को मधुमेह के मामले में विश्व की राजधानी कहा जाने लगा है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है, यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं को मधुमेह ज्यादा हो रहा है।

डायब‌िटीज हमारी जीवनशैली की सबसे सामान्य बीमारियों में से एक है। आपकी आरामतलब जीवनशैली आपको कब इस रोग के कगार पर पहुंचा दे, पता ही नहीं चलेगा। दरअसल डायबिटीज या शुगर या मधुमेह लाइफस्टाइल संबंधी या वंशानुगत बीमारी है। जब पैंक्रियाज नामक ग्लैंड शरीर में इंसुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है, तो यह बीमारी हो जाती है। इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद करता है।

डायबीटीज खास तौर से दो तरह की होती है। पहली इंसुलिन आधारित डायबीटीज। इसमें इंसुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। इसके अलावा दूसरी है बिना इंसुलिन आधारित डायबीटीज। इसमें इंसुलिन कम मात्रा में बनता है या पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। इस तरह की डायबीटीज आमतौर पर वयस्कों में ही पाई जाती है और इंसुलिन आधारित डायबीटीज की तुलना में कम गंभीर होती है। डायबीटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं।













































डायबिटीज के कारण
- ज्यादा वजन।
- व्यायाम की कमी।
- परिवार में पहले से ही किसी को डायबिटीज हो।
- ज्यादा तनावग्रस्त रहने से।
- खानपान का ध्यान न रखने से।
डायबिटीज के कारण
वंशानुगत
मोटापा      
वायरल इन्फेक्शन
अग्नाशय में सुजन आ जाना.
मेंटल टेंशन
बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाओं का सेवन
खाने-पीने पर कंट्रोल की कमी

डायबिटीज के लक्षण
1.बार-बार बाथरूम के चक्कर
एक द‌िन में 20 से अधिक बार यूरिन, डायबिटीज का एक लक्षण हो सकती है। शरीर में जब ग्लूकोज अधिक हो जाता है तो किडनी अधिक सक्रिय हो जाती है और पेशाब अधिक होती है। इससे शरीर का सारा पानी यूरिन के रास्ते निकल जाता है और हर समय प्यास लगती है।
2.बहुत अधिक थकान होना
शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाने से यह समस्या होती है। डायबिटीज के दौरान रक्त कोशिकाओं में ग्लूकोज रहता है और इसका ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल नहीं हो पाता है, इसलिए इस रोग में थकान जल्दी होती है।
3.तेजी से वजन ग‌िरना
अगर बिना किसी कोशिश के भी आपका वजन तेजी से ग‌िर रहा है तो यह डायब‌िटीज का लक्षण हो सकता है। ऊर्जा की कमी के कारण इस स्थिति में फैट्स का इस्तेमाल ऊर्जा के रूप में होता है, ज‌िससे वजन तेजी से ग‌िरता है।
4.घाव भरने में देर
डायब‌िटीज के मरीजों को छोटा सा कट या रैशेज ठीक होने में भी काफी समय लग जाता है। इस रोग में प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है ज‌िससे ऐसा होता है।
5.देखने में द‌िक्कत
डायबिटीज की स्थिति में खून में इन्सुल‌िन अधिक बनता है जिससे देखने की क्षमता भी प्रभाव‌ित होती है। इससे आंखों का पावर बढ़ता हा या फिर धुंधला दिखाई देता है।

डायबिटीज के लक्षण
खुले में कहीं पेशाब करें और अगर उस पेशाब पर चीटियाँ आ जाएँ तो समझ लें की डायबिटीज है।
भूख ज्यादा लगना, शरीर का भार कम होते जाना, थकान महसूस होना.
घाव का ठीक होना, संक्रमण का बार बार होना.
शरीर के कोमल अंगों और गुप्तांगो के आसपास खुजली होना.
बार बार प्यास और अधिक बार पेशाब लगना.
बेहोश हो जाना.
आँखे कमजोर होना.
हाथ पैर सुन्न हो जाना या झनझनाहट होना.
सेक्स इच्छा में कमी आना
रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी आना और बार बार बीमार पड़ना.
मसूड़ों में सुजन, दांतों में अधिकतर दर्द रहना.
ब्लडप्रेशर बढ़ जाना.
शरीर में चुभन का एहसास होना.
ज्यादा भूख लगाना.
मेमोरी कमजोर पड़ जाना, एकाग्रता का आभाव, मानसिक और शारीरिक थकान रहना.
आंखों की रोशनी लगातार कम होना।
वजन बार-बार बढ़ना या कम होना।
हर समय कमजोरी महसूस होना।
चोट लगने पर जल्दी ठीक न होना।
त्वचा के रोग होना।
भूख बहुत ज्यादा बढ़ जाना।


सर्दियों में डायबिटीज

मौसम बदलने साथ ही हर बीमारी का रूप भी बदलता है। कहने को तो डायबिटीज एक आम बीमारी हो गई है लेकिन अब भी डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों को ठंड में डायबिटीज से बचने के तरीके नहीं पता। यही कारण है कि सर्दियों में मरीजों के लिए अपनी डायबिटीज को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और उनकी बीमारी बढ़ती चली जाती है।
अगर ब्लड शूगर लगातार बढ़ता रहे तो इससे किडनी खराब होने जैसी कई घातक बीमारियां भी हो सकती हैं। इसके अलावा सर्दियों में अगर ख्याल न रखा जाए तो डायबिटीज के मरीजों में हार्ट अटैक और दूसरी दिल की बीमारियां होने की संभावना चार गुणा तक बढ़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि इसके लक्षण जान कर फौरन इसका इलाज किया जाए।

डायबिटीज के इलाज

- सर्दियों में डायबिटीज के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। नहीं तो ये जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा साबित हो सकता है। इसके लिए तुरंत इलाज शुरू करें।
- सर्दियों में सैर पर अवश्य जाएं, लेकिन अत्यधिक ठंड में न जायें। डायबिटीज रोगी नंगे पैर कभी न चलें।
- डायबिटीज नियंत्रित करें, आंखों के डॉक्टर को दिखाएं, रेटिना की जांच से पता चलेगा कि रेटिनोपैथी तो नहीं है। ये सारी समस्याएं डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के कारण हो सकती हैं।
- सिर्फ योग से काम नहीं चलेगा, रोज व्यायाम के साथ दवा जरूरी है। डायबिटीज के मरीज को उपवास नहीं रखना चाहिए।
- शुगर फ्री मिठाइयां, आलू, चावल के मोह से बचें। उनके सेवन से उतनी ही कैलोरी और शुगर बढ़ती है। इस तरह के गलत प्रचार के छलावे में न आएं।
- सर्दियों में खाने का खास ख्याल रखें।
- फाइबर की एक संतुलित मात्रा भोजन में होनी चाहिए।
- 3 बार भारी भोजन करने की बजाय 4-5 बार हल्का खाना खाएं।
- जंक फूड बिल्कुल न खाएं।
- सोने से करीब दो घंटे पहले कुछ न खाएं।
हालांकि डायबिटीज को पूरी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि अपने डॉक्टर से सलाह लें और खासतौर से सर्दियों में समय समय पर शुगर लेवल का चेकअप करवाते रहें। थोड़ी सी सावधानी आपको सर्दियों में डायबिटीज की पीड़ा से दूर रख सकती है।

डायबिटीज का घरेलू उपचार

सबसे पहले रोगी को अधिक तेल, घी, अधिक मिर्च मसाले, मिठाइयां, मांस-मछली, शराब, धुम्रपान आदि यह सब छोड़ने होंगे।

एक छोटी कटोरी करेले का रस लें अब इसमें एक बड़ा चम्मच आंवले का रस डालकर मिला लें। डेढ़ महीने तक इसे रोजाना पिएं। इससे डायबिटीज में काफी सुधार आएगा।

करेला और जामुन के बीज तथा आंवले का चूर्ण सभी को  पीसकर बराबर मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण का एक बड़ा चम्मच सुबह, दोपहर तथा शाम को पानी के साथ  लें।

डायबिटीज के रोगियों को पके जामुन खाने चाहिए। इससे डायबिटीज के रोगियों को बहुत फायदा पहुंचेगा। जामुन कि गुठली का चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को दिन में दो बार छोटा आधा आधा चम्मच लेते रहें।

सुबह के समय खाली पेट एक कटोरी करेले का रस पिएं। रोजाना एक कटोरी करेले का रस पीने से डायबिटीज रोग जड़ से खत्म हो जाएगा।

चने और जौं का आटा समान  मात्रा में मिलाकर आटा तैयार करें। लम्बे समय तक इसी आटे कि रोटियाँ खाएं। इसके साथ करेले कि सब्जी खाने से जल्दी लाभ मिलता है।

रोजाना पेट में मिट्टी का लेप 30 मिनट तक  लगायें। मिट्टी साफ सुथरी होनी चाहिए। लेप बनाने के लिए मिट्टी जमीन से 15 cm कि गहराई से लें। लेप लगाने से पहले एक बार किसी प्राकृतिक चिकित्सक से सलाह जरुर लें।

डायबिटीज के रोगियों को प्राणयाम जरुर करना चाहिए इससे काफी लाभ मिलेगा।

ऊपर बताये गए तरीकों के द्वारा डायबिटीज को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है लेकिन डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो जाती है।

डायबिटीज है तो डाइट में करें ये बदलाव

अपनाएं हंसते-हंसते
सेब : हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने कहा है कि सेब खाने से टाइम टू डायबटीज का खतरा कम होता है।
जौ, जई : बॉडी के ब्लड शुगर को मेनटेन करता है।
एग व्हाइट : साफ-सुथरा प्रोटीन। शुगर के लेवल को बिल्कुल नहीं छेड़ता।
ग्रीन टी : शुगर के उछाल को 50 फीसदी तक कम करती है।
नींबू, संतरा,आंवला,स्ट्रॉबेरी : विटामिन सी वाली चीजें डायबटीज की दुश्मन होती हैं।
कद्दू के बीज, अखरोट, गाजर, शिमला मिर्च, मेथी, दालचीनी, किवी, जामुन, पिस्ता को अपनी फ्रेंड लिस्ट में शामिल कर लें।

इन्हें करें नमस्ते
शराब : पुरुष दो और महिलाएं एक से ज्यादा पैग लेने से बचें।
एनिमल प्रोटीन : इंसुलिन को डगमगाता है, अगर शुगर की दिक्कत है कम खाएं।
मीठा : कंट्रोल करें, पूरी तरह बंद करने की नौबत नहीं आएगी।
बड़ा खाना : दो या तीन बार पेट भर खाने की बजाए थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं।

डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए करें ये योगासन

योगासन न सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली के लिए जरूरी हैं बल्कि इनके नियमित अभ्यास से कई गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने में भी आसानी होती है। अब डायबिटीज को ही ले लें। इसे नियंत्रित रखने के लिए हम तरह-तरह की दवाएं लेते हैं, परहेज करते हैं और सावधानियां बरतते हैं लेकिन फिर भी कई बार इसे नियंत्रित करने में असफल होते हैं। ऐसे में कुछ ऐसे योगासन हैं जिनके निय‌मित अभ्यास से डायबिटीज को नियंत्रित रखने में आसानी होगी।

पश्चिमोत्तानासन
इस आसन से शरीर का पाचनतंत्र मजबूत होता है, पेट ठीक रहता है और शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता है जिससे व्यक्ति को डायबिटीज से लड़ने में आसानी होती है। इसे करने के लिए पैर सीधे फैलाकर बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस भरते हुए पैरों के तलवे को पकड़ने की कोशश करें। घुटने से माथा सटना चाहिए। फिर सांस छोड़ते हुए हाथ ऊपर करके सामान्य हो जाएं। इस आसन को दो से तीन बार दोहराएं।

सर्वांगासन
इसे करने से थॉयराइड और पैराथॉयराइड ग्रंथियों, जो मोटापे, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट का मेटाबॉलिज्म करती हैं, को मजबूती मिलती हैं। इसे करने के पहले सीधे लेट जाएं, फिर पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं। हाथों से कमर को सहारा दें। इस आसन में शरीर का सारा भार गर्दन पर पड़ना चाहिए। पैरों को सीधा रखें।

भ्रामरी और भ्रस्रिका प्राणायाम
प्राणायाम डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। खासतौर पर भ्रामरी और भ्रस्रिका प्राणायाम तो डायबिटिक लोगों को जरूर करने चाह‌िए। इनके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस लेवल कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन का मात्रा बढ़ती है। भ्रामरी करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अंगूठे से कान बंद करें और ऊपर की तीन उंगलियों को आंखों पर रखें। अब गहरी सांस लेते हुए गले से उच्चारण करें। भस्रिका प्राणायाम के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और उसे जल्दी-जल्दी छोड़ें। इस प्रक्रिया में मुंह बंद रखें और सांस की सारी प्रक्रिया नाक से ही करें।

भुजंगासन
भुजंगासन करने के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे सिर और छाती को ऊपर उठाएं। सांस को सामान्य रखते हुए क्षमतानुसार रुकें।

सूर्य नमस्कार
अगर आपके पास सभी आसनों को करने का पूरा समय नहीं है तो रोज दो से तीन बार सूर्य नमस्कार जरूर करें। सिर्फ इस आसन को करने से भी आप काफी हद तक इस रोग को नियंत्रित कर सकेंगे। इससे श्वास, पेट और प्रतिरोधी क्षमता को लाभ पहुंचता है।

डायबिटीज को कंट्रोल करने के तरीके

मधुमेह पीड़ित कोई भी रोगी यदि अनुशासित एवम  जीवन और डॉक्टर की सलाह पर अम्ल करके चलता है तो वह फिर से स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम हो सकता है. इस रोग को नियंत्रित करने के लिए मुख्यतः निम्नलिखित पॉइंट्स पर ध्यान देने की बड़ी आवश्यकता है :-

सम्पूर्ण जानकारी : इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को रोग से सम्बंधित सारी जानकारी होनी चाहिए और इसे वह डॉक्टर्स से, पुस्तकों से, ऑनलाइन वेबसाइटों आदि से प्राप्त का सकता है. जानकारी होने से रोगी निराश नहीं होता और वह उसे पता चल जाता है की अपनी दिनचर्या उसे किस प्रकार चलानी है जैसे की खाने-पीने का चयन, योग, व्यायाम, दवाई का सेवन इत्यादि कब और कैसे करने है.

खाने-पीने पर कंट्रोल :- खानपान का ध्यान न रखने वाले लोगों को मधुमेह होने का खतरा रहता है।

डायबिटिज वाले क्या खायेँ

आहार मेँ कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैँ जिन्हेँ अवश्य शामिल करना चाहिए जैसे- ओट्स, सोयाबीन, हरी चाय, जौँ तथा ईसबगोल।

ओट्स या ओटमील:-इसमेँ एक विशिष्ट प्रकार का फाइबर पाया जाता है जिसे वीटा ग्लूकोज कहते हैँ। यह घुलने वाला फाइबर होता है और शरीर को बुरे कोलेस्ट्रोल एलoडीoएलo से लड़ने मेँ मदद करता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह केवल बुरे कोलेस्ट्रोल को ही कम करता है और अच्छा कोलेस्ट्रोल एचoडीoएलo शरीर मेँ बरकरार रहता है। जिससे शरीर मेँ एलoडीo एलo और एचoडीoएलo कोलेस्ट्रोल के बीच बेहतर अनुपात रहता है।

सोयाबीन :- सोयाबीन शरीर को हाइपरकोले-स्ट्रोमिया से बचाता है और शरीर मेँ बुरे कोलेस्ट्रोल एलoडीoएलo को घटाता है।

हरी चाय :- कई शोधोँ से यह सिद्व हुआ है कि काली या हरी चाय पीने से शरीर मेँ कोलेस्ट्रोल का जमाव, रक्तचाप आदि नियंत्रित होते है। चाय मेँ फोलिक एसिड होता है जो कि इंसान को कैँसर तथा हृदय रोग से बचाता है ।

जौँ :- जौँ मेँ स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव पाए जाते हैँ। जौँ शरीर मेँ से 15 प्रतिशत तक बुरे कोलेस्ट्रोल को निकाल सकता है। जौँ मेँ भी बीटा ग्लूकोज पाया जाता है जो कि घुलने वाला फाबर है।


ईसबगोल :- ईसबगोल भी बेहद फायदेमंद होता है। यह भी शरीर का कोलेस्ट्रोल कम करता है। पेट ठीक रखने मेँ भी मददगार होता है।

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