रेलवे, कैसे होती है बहाली
भारतीय रेल में रोजगार के अवसर
भारतीय
रेल नौकरियां देने वाला देश का सबसे बड़ा संगठन है। रेलवे के शीर्षतम पदों पर
यूपीएससी द्वारा नियुक्तियां की जाती हैं। शेष सभी, जिनमें ग्रुप “सी” भी शामिल है के लिए, नियुक्तियां रेलवे खुद करता है, जिसके लिए देशभर में जोनल कार्यालय
स्थापित किए गए हैं। इस तरह यहां कुल 19 (उन्नीस)
रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) हैं जो अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संबंधित
क्षेत्रीय कर्मचारियों की भर्ती करते हैं। ये भर्तियां मांग के आधार पर की जाती
हैं, इसके लिए रोजगार अधिसूचना रोजगार
समाचार और अन्य समाचार पत्रों में विज्ञापन के रूप में जारी की जाती है। सामान्यतः
एक वर्ष में प्रत्येक आरआरबी इस प्रकार की दो अधिसूचनाएं जारी करता है।
समान
अवसर एवं समरूपता को ध्यान में रखते हुए रेलवे एवं इसके सभी भर्ती बोर्ड्स एक ही
तरह के आवेदन पत्रों का उपयोग करते हैं। नियुक्तियों के लिए चयन प्रक्रिया में
प्राप्त आवेदन पत्रों की छंटाई करके विभिन्न मानदंडों के आधार पर योग्य
अभ्यर्थियों की एक सूची बनाई जाती है। इसके बाद कॉल लेटर्स पर तिथि एवं परीक्षा
केंद्र अंकित करके उन्हें आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को भेज दिया जाता है। यह
लेटर्स परीक्षा के लगभग एक महीने पहले भेजे जाते हैं। साथ ही अस्वीकृत आवेदनों की
जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी जाती है।
चयन
परीक्षा आवश्यकतानुसार एक या दो चरण में संपन्न करवाई जा सकती है। ज्यादातर पदों
के लिए परीक्षाओं के बाद साक्षात्कार भी लिए जाते हैं। सफल अभ्यर्थियों से उनके
सभी जरूरी दस्तावेज सत्यापन के लिए मंगवाए जाते हैं।
हालांकि
रेलवे की नियुक्ति परीक्षाओं के नियम तथा पूरी जानकारी रेलवे भर्ती एवं नियंत्रण
बोर्ड नई दिल्ली द्वारा तय किए गए हैं, जिन्हें
आप भर्ती मंडलों की वेबसाइट पर देख सकते हैं
विभिन्न
प्रतियोगिता परीक्षाओं के माध्यम से भारतीय रेल कर्मचारियों की भर्ती की जाती है।
इन परीक्षाओं का आयोजन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और रेलवे भर्ती बोर्ड के
माध्यम से किया जाता है।
तीन स्तरों पर होती है नियुक्ति
ग्रुप
'ए', ग्रुप
'बी' एवं
ग्रुप 'सी'।
ग्रुप 'ए' अधिकारियों
की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के माध्यम से की जाती है। ग्रुप 'सी' से
सीधा प्रोन्नत कर ग्रुप 'बी' अधिकारी
बनाया जाता है। ग्रुप 'सी' के
तहत आने वाले पदों की नियुक्ति रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) के माध्यम से की जाती
है। इसके माध्यम से सभी रेलवे जोनों और रेलवे के अधीनस्थ उत्पादन इकाइयों के
विभिन्न पदों पर नियुक्ति की जाती है।
भर्ती प्रक्रिया दो भागों में
आरआरबी
विभिन्न पदों के लिए भर्ती प्रक्रियाएं आयोजित करता है। इसके तहत आने वाले पदों को
दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- टेक्निकल व नॉन टेक्निकल। इसके अलावा रेलवे
की सुरक्षा के लिए गठित रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के सब-इंस्पेक्टर और
कांस्टेबल के लिए भी भर्ती प्रक्रियाएं आयोजित करता है। इन सभी पदों की रिक्तियों
के लिए समय-समय पर रोजगार समाचार एवं राष्ट्रीय व क्षेत्रीय समाचार पत्रों में
विज्ञापन प्रकाशित किये जाते हैं। इसके अलावा संबंधित रेलवे भर्ती बोर्डों के
वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं।
टेक्निकल कैडर
इस
कैडर के तहत कई पद आते हैं जिसमें ड्राइवर, मोटरमैन, सिग्नलमैन, लोको पायलट आदि के पद आते हैं। इन सभी
पदों की भर्ती दो चरणों में किए जाते हैं। प्रथम चरण में लिखित परीक्षा होती है
जिसमें भाषा ज्ञान, सामान्य ज्ञान, सामान्य बुध्दिमता व अंकगणित से प्रश्न
पूछे जाते हैं। इसके अलावा लिखित परीक्षा के प्रश्न पत्र में टेक्निकल कैडर से भी
प्रश्न पूछे जाते हैं। लिखित परीक्षा का स्वरूप वस्तुनिष्ठ होता है। भाषा ज्ञान
में अंग्रेजी व हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़े प्रश्न रहते हैं। सामान्य ज्ञान
में स्कूली स्तर के पाठयक्रम पर आधारित प्रश्न और समसामयिक घटनाओं पर आधारित होते
हैं। सामान्य बुध्दिमता में तार्किक प्रश्न पूछे जाते हैं। अंकगणित में पूछे जाने
वाले प्रश्न भी स्कूली पाठयक्रम पर आधारित होता है। दूसरे चरण में लिखित परीक्षा
में उत्तीर्ण अभ्यर्थी को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। कुछ पदों के लिए
कौशल परीक्षण भी लिया जाता है। ऑपरेशनल सेफ्टी से जुड़े पदों के लिए मनोवैज्ञानिक
परीक्षण किया जाता है। उसके बाद अंतिम में मेडिकल परीक्षण में सफल अभ्यर्थी को
नियुक्त कर लिया जाता है।
नॉन-टेक्निकल कैडर
नॉन-टेक्निकल
कैडर में वे सभी पद आते हैं, जिसमें
तकनीक विशेष से खास सरोकार नहीं है। इसके तहत आने वाले प्रमुख पद हैं- सहायक
स्टेशन मास्टर (एएसएम), टिकट कलेक्टर, क्लर्क, गार्ड्स आदि। इसके लिए भी भर्ती दो चरणों में आयोजित किए जाते हैं-
लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार/मनोवैज्ञानिक परीक्षण।
लिखित
परीक्षा में भाषा ज्ञान, सामान्य ज्ञान, सामान्य बुध्दिमता व अंकगणित से प्रश्न
पूछे जाते हैं। इसके भी लिखित परीक्षा का स्वरूप वस्तुनिष्ठ होता है। भाषा ज्ञान
में अंग्रेजी व हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं, सामान्य
ज्ञान में स्कूली पाठयक्रम व समसामयिक घटनाओं पर आधारित प्रश्न, सामान्य बुध्दिमता में तार्किक प्रश्न
तथा अंकगणित होते है।
ग्रुप डी
अगर
ग्रुप डी के पदों की बात करें तो इनमें हेल्पर, खलासी, ट्रॉलीमैन, ट्रैकमैन इत्यादि का उल्लेख किया जा
सकता है। इनमें आठवीं पास युवा अप्लाई कर सकते हैं। चयन का आधार लिखित परीक्षा, साक्षात्कार हो सकता है। आयु सीमा 18 से 33 वर्ष के बीच हो सकती है।
अधिकांश
लोगों को यह जानकारी भी नहीं होगी कि रेलवे में बाकायदा सांस्कृतिक कोटा के
अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कलाकारों को भी चयन प्रयिा एवं उनके अनुभवों के आधार पर
नियुक्त किया जाता है। इनकी आयु सीमा 18 से 33 वर्ष हो सकती है और इनका कम से कम
दसवीं पास होना जरूरी है। इनके चयन में मान्यता प्राप्त संस्थान से संगीत, नृत्य, नाटक आदि में प्रमाणपत्र के अलावा लिखित चयन परीक्षा का भी सहारा
लिया जाता है।
रेलवे
सिस्टम में मौजूदा लगभग 350 स्कूल कार्यरत हैं जिनमें लगभग साढ़े पाँच हजार अध्यापक
हैं।इनकी भर्तियाँ टीजीटी, पीजीटी, क्रामंट टीचर, प्राइमरी टीचर, फिजीकल एजुकेशन इंस्ट्रक्टर अथवा लाइब्रेरियन के रूप में लिखित
परीक्षा के आधार पर की जाती है।
सैलरी व अन्य सुविधाएं : रेलवे कर्मचारियों को सैलरी भारत सरकार के नियमों के अनुरूप ही
मिलता है। इसके अलावा, अन्य सुविधाओं में ट्रैवलिंग अलाउंस, एजुकेशन व हाउसिंग, पेंशन, हेल्थ केयर,
मुफ्त रेलवे यात्रा के अलावा, अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं।
अगर देखा जाए तो समाज के प्रत्येक वर्ग और कम से
ज्यादा शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए रेलवे में रोजगार की कमी नहीं है। इसकी चयन
परीक्षा में सफल होने के लिए प्रेक्टिस और सैद्धांतिक ज्ञान का होना आवश्यक है।
रेलवे में कहां-कहां हैं जॉब्स
इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस: भारतीय रेलवे की यह ब्रांच ट्रांसपोटर्शन और
कॉमर्शियल से संबंधित कार्य करता है। यह ब्रांच दो डिविजंस में विभाजित हैं -
द्यकॉमर्शियल
डिविजन : इनकी जिम्मेदारी कॉमर्शियल डील करने की होती है। जैसे-टिकट चेकिंग, केटॅरिंग, ऐडमिनिस्ट्रेशन ऐंड स्टेशन मैनेजमेंट, रिजर्वेशन आदि।
ऑपरेशन डिविजन: ट्रेन की चेकिंग, वैगन को जोडना एवं हटाना आदि कार्य इस
डिविजन के जिम्मे होता है। यदि आप इस विभाग से जुड़ते हैं, तो प्रोन्नति के अनके अवसर आपके पास
होते हैं। प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के बाद आप असिस्टेंट कॉमर्शियल सुपरिटेंडेंट
(एसीएस) या असिस्टेंट ऑपरेशंस सुपरिटेंडेंट (एओएस) के पद पर प्रोमोट हो सकते हैं।
इंडियन रेलवे अकाउंट
सर्विस : जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, रेलवे की यह ब्रांच अकाउंटिंग और फाइनेंस विभाग से संबंधित होती है।
इस ब्रांच से जुडने के लिए फाइनेंस व अकाउंट की अच्छी नॉलेज बेहद जरूरी है।
इंडियन रेलवे पर्सनल
सर्विस : यह रेलवे का महत्वपूर्ण डिविजन है। इस डिविजन की जिम्मेदारी
रिक्रूटमेंट, प्रमोशन, टे्रनिंग, स्टॉफ वेलफेयर, ट्रांसफर और अनुशासन से संबंधित
कार्यवाई करने की होती है। अमूमन, इस
डिविजन से जुडने के बाद तीन वर्ष तक प्रोबेशन पीरियड पर काम करना पड़ता है।
रेलवे प्रोटेक्शन सर्विस : रेलवे की यह ब्रांच पैरा-मिलिट्री
फोर्स द्वारा ऑपरेट की जाती है। ट्रेनों के अंदर कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के
साथ-साथ रेलवे परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी इन्हीं के जिम्मे होती है।
रेलवे इंजीनियरिंग
सर्विस: रेलवे की यह एक महत्वपूर्ण ब्रांच है। रेलवे टै्रक्स, ब्रिज कंस्ट्रक्शन, रेलवे बिल्ंडिग्स की देख-रेख और
प्लॉनिंग करना इनका मुख्य काम है।
इंजीनियरिंग फील्ड में
भी हैं जॉब्स भरपूर : इंजीनियर्स के लिए भारतीय रेलवे के ग्रुप 'ए' में
जॉब की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। ये जॉब्स इन निम्न ब्रांचों में हैं...
द्यइंडियन
रेलवे सर्विस ऑफ मेकेनिकल इंजीनियर्स (आईआरएसएमई): इस ब्रांच के मेकेनिकल
इंजीनियर्स डीजल लोकोमोटिव्स और 'रोलिंग
स्टॉक' को मेंटेन करते हैं। साथ ही, इंजन रिपेयरिंग और मेंटीनेंस करने की
जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। इस ग्रुप से जुडने के लिए रिक्रूटमेंट प्रॉसेस दो
तरह के होते हैं। पहला, कम्बाइंड इंजीनियरिंग सर्विस परीक्षा
और दूसरा, रेलवे ऍप्रेंटिस एग्जामिनेशन। दोनों ही
एग्जाम संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित किए जाते हैं।
इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ सिग्नल इंजीनियर्स
(आईआरएसएसई) : इनके जिम्मे रेलवे का विस्तृत नेटवर्क फंक्शन होता है और इस फंक्शन
को और बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी अपडेट करने का दायित्व भी होता है। प्रोबेशन
पीरियड खत्म होने के बाद,
ये असिस्टेंट सिग्नल या टेलिकम्युनिकेशन
इंजीनियर्स के रूप में तैनात हो सकते हैं।
द्यइंडियन
रेलवे सर्विस ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (आईआरएसईई) : इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स का
कार्य विद्युतीकरण के प्रोजेक्ट को पूरा करना होता है। इसके साथ ही, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स लोकोमोटिव्स और
कोच रिपेयरिंग और मेंटीनेंस का कार्य करते हैं। इनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य पॉवर
डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क, पॉवर जेनरेशन, इलेक्ट्रिकल डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम आदि
को सुनिश्चित करना होता है।
इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ इंजीनियर्स (आईआरएसई) :
इस ब्रांच के ऑफिसर सिविल इंजीनियर्स होते हैं। ट्रैक रूट्स, रेलवे स्टेशन, ब्रिज और हाउसिंग कॉलोनियों को प्लान
करने की जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। साथ ही, इंजीनियर्स
रेल इंडिया टेक्निकल ऐंड इकोनॉमिक सर्विस लि. के अधीन प्रोजेक्ट पर देश या देश के
बाहर भी कार्य करते हैं।
इंडियन रेलवे स्टोर्स
सर्विस : इस ब्रांच का व्यय-प्लान पांच वर्ष के लिए होता है। इस विभाग की
जिम्मेदारी होती है विकास कार्यों के सिए मैटेरियल उपलब्ध करवाना । हालांकि स्टोर
कंट्रोलर का करियर प्रोफाइल दूसरे ब्रांचों से कुछ अलग होता है।
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