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Career in Biotechnology

दुनिया भर में बायोटेक्नोलॉजी या जैव प्रौद्योगिकी का जादू सिर पर चढ़कर बोल रहा है। जानवरों से इनसानों तक की क्लोनिंग के दावे, अधिक उपजाऊ नई रोगरोधी विभिन्न फसलों की किस्में, स्टेम सेल का उपयोग, जीनियागिरी से पीढ़ियों से चले आ रहे आनुवंशिक रोगों का अगली पीढ़ी में सफाया, क्लीनिकल रिसर्च इत्यादि असंख्या उदाहरणों का इस संदर्भ में जिक्र किया जा सकता है।
साइंस की दुनिया दिन-प्रतिदिन रोमांचक होती जा रही है। अब इसके बल पर भविष्य में होने वाली समस्याओं से लड़ने की तैयारी हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में लोगों को कुछ समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है, जैसे खाद्य पदार्थो की कमी, बीमारियों से लड़ने के लिए नई मेडिसिन इत्यादि, लेकिन अब इन समस्याओं को बायोटेक्नोलॉजी की मदद से सुलझाने की कोशिश हो रही है।

क्या है बायोटेक्नोलॉजी ?
बायोटेक्नोलॉजी एक रिसर्च आधारित विज्ञान है जो बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी का कांबिनेशन है। इसमें कई विषय जैसे कि जेनेटिक्स, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, विरोलॉजी, केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग, हेल्थ एंड मेडिसन, एग्रीकल्चर एंड एनीमल हसबेंडरी, क्रापिंग सिस्टम और क्राप मैनेजमेंट, इकोलॉजी, सेल बायोलॉजी और बायोस्टेटिस्टिक्स आदि। दिन-ब-दिन बायोटेक्नोलॉजी का क्षेत्र एडवांस होता जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा तकनीकी जानकारियां एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने के काम ने  कंप्यूटर की आवश्यकता को बढ़ाया है। ऐसे में बायोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटर के मिश्रण वाला क्षेत्र तेजी से उभर रहा है। इंटरनेट टूल, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और अन्य एडवांस मैथड में डीएनए सिक्वेंसिंग द्वारा जनरेट होने वाले डाटा को एकत्रित और विश्लेषित करने का काम किया जाता है। कंप्यूटर द्वारा बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शोधकार्य किए जा सकते हैं। बायोटेक्नोलॉजी की पॉपुलरिटी और ग्रोथ के बढ़ने की वजह से इस क्षेत्र में कई संभावनाएं बनी हैं।

विभिन्न जगहों पर इस्तेमाल
बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की दवाइंयों और खनिज धातुओं को परिष्कृत करने के काम में भी होता है। बायोटेक्नोलॉजी की सहायता से अधिक पैदावार देने वाली फसलें भी तैयार की जा रही हैं। वहीं इसका प्रयोग जीव-जंतुओं और पौधों में आनुवांशिक प्रवृत्तियां बदलने के लिए भी किया जाता है। बायोटेक्नोलॉजी की बदौलत चिकित्सा के क्षेत्र में कई नई खोजें हुई हैं। इसके अलावा फसलों को बीमारी और कीटाणुरोधी बनाने, ऊर्जा के अतिरिक्त संसाधन जुटाने, पर्यावरण को स्वच्छ रखने की नई तकनीक विकसित करने और ऐसे ही कई उपलब्धियां हासिल करने में मदद मिली है।

कैसे-कैसे कोर्स
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बायोटेक्नोलॉजी में बैचलर और पीजी स्तर के कोर्स उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में रिसर्च की सुविधा भी उपलब्ध है। बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक स्तर पर आप बीएससी, बीई और बीटेक कर सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर आप एमएससी, एमटेक के विकल्प भी आपके लिए मौजूद हैं। अंडरग्रेजुएट कोर्स में 12वीं के बाद दाखिला लिया जा  सकता है। इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए आपको विज्ञान का अभ्यर्थी होना चाहिए। आईआईटी संस्थानों में पांच साल का इंट्रीगेटेड एमटेक कोर्स उपलब्ध है, जो कि 12वीं के बाद किया जा सकता है।

योग्यता
बीएससी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से बायोलॉजी के साथ साइंस में बारहवीं पास होना जरूरी है।

कार्य
बायोटेक्नोलॉजिस्ट लिविंग ऑर्गनिज्म और प्रॉडक्ट को मोडिफाई कर इसका उपयोग ह्यूमन हेल्थ और ह्यूमन एनवॉयर्नमेंट के लिए करते हैं। वे तकनीक की मदद से बीजों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखने, पौधों को बीमारियों से बचाने, फसलों के उत्पादन और पौष्टिकता में वृद्धि के लिए भी कार्य करते हैं।

संभावनाएं
इस समय भारत में 300 से अधिक बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां हैं। फिलहाल ग्लोबल बायोटेक इंडस्ट्री में भारतीय बायोटेक इंडस्ट्री की हिस्सेदारी लगभग 1.1 फीसदी है। दरअसल, आज भारत केवल बायोटेक प्रॉडक्ट्स के लिए ही पसंदीदा स्पॉट नहीं है, बल्कि फॉर्मास्युटिकल, डाइग्नोसिस, रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट, ड्रग डिस्कवरी, बायोइन्फॉर्मेटिक, क्लिनिकल ट्रायल्स आदि के लिए भी हॉट डेस्टिनेशन के रूप में देखा जा रहा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, एशिया में बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च और डेवलॅपमेंट की अपार संभावनाएं हैं। अन्य क्षेत्रों की तरह भारत इस क्षेत्र में भी अगुआ बनने की राह पर है। वर्तमान समय में जैविक ईधन की मांग बढ़ी है, जिससे बायोटेक्नोलॉजी का महत्व बढ़ा है।

रोजगार
बायोटेक्नोलॉजी की बदौलत विभिन्न क्षेत्रों में आज बड़ी संख्या में ट्रेंड युवा कार्यरत है। इनमें हैल्थ एवं मेडिसिन, क्रॉपिंग सिस्टम एवं क्रॉप मेनेजमेंट, एग्रीकल्चर मृदा विज्ञान, पारिस्थितिकी, बायोस्टेटिक्स, सेल बायोलॉजी, सीड टेक्नोलॉजी, प्लांट फिजियोलॉजी आदि मुख्य हैं। इनके कार्यकलापों का उद्देश्य विभिन्न टीकों का विकास करना, रोगनाशक दवाओं को तैयार करना, डायग्नोस्टिक की नई तकनीकें विकसित करना इत्यादि है।
जहाँ तक रिसर्च के अतिरिक्त अन्य प्रकार के रोजगार का सवाल है तो औद्योगिक उत्पादन, बायोप्रोसेंसिंग आधारित उद्योग की प्लानिंग एवं प्रबंधन संबंधी कार्यकलाप, नामी फार्मास्यूटिकल कंपनियों के आर एंड डी विभागों के विभिन्न पदों पर दायित्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देना, कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में बायोटेक्नोलॉजी के संकायों में काम करना इत्यादि का खास तौर पर उल्लेख किया जा सकता है।

कहां मिलेगी जॉब
आप चाहें, तो बायोटेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्र में जॉब हासिल कर सकते हैं। जैसे- प्लांट और एग्रिकल्चर से जुड़े क्षेत्र, हेल्थ केयर डाइग्नोस्टिक, इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी,एनवॉयर्नमेंटल प्रोटेक्शन ऐंड बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन,टीचिंग ऐंड ट्रेनिंग आदि।

बायोटेक्नोलॉजी की उपयोगिता किस तरह से बढ़ रही है ?
इन दिनों बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग जहां प्लांट्स और एनिमल्स के संवर्धन के लिए किया जाता है, वहीं फूड प्रोडक्ट्स आदि की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। एंटिबॉयोटिक्स और इंसुलिन जैसी दवाओं के निर्माण में भी इसकी मदद ली जा रही है। मेडिकल साइंस में बायोटेक्नोलॉजी का फायदा फार्माकॉजिनॉमिक्स, मेडिसिन के उत्पादन, अनुवांशिक परीक्षण और जीन थेरेपी के लिए किया जाता है।

कोर्स के दौरान किन बातों पर ध्यान दिया जाता है ?
इस कोर्स में एडमिशन लेने के बाद स्टूडेंट्स को सबसे पहले इस फील्ड की विशेषताओं के बारे में बताया जाता है, ताकि इस संबंध में उनकी समझ विस्तृत हो सके। कोर्स के दौरान प्रैक्टिकल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। थ्योरी कोर्स पूरा होने के बाद प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए स्टूडेंट्स को हेल्थ सेंटर, बायोलॉजिकल रिसर्च फर्म, एग्रिकल्चर और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भेजा जाता है।

संस्थान के चयन में किस तरह की सावधानी जरूरी है?
संस्थान का चयन करते समय सबसे पहले यह जरूर पता करें कि जिस संस्थान या कॉलेज में आप एडमिशन लेने जा रहे हैं, वह मान्यता प्राप्त है कि नहीं ! यदि वह संबंधित संस्थान या बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, तो उसकी फैकल्टी कैसी है? वहां के टीचर्स कैसे हैं और प्रैक्टिकल वर्क के लिए किस तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। चूंकि यह क्षेत्र रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट से जुड़ा हुआ है, इसलिए प्रैक्टिकल का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

कोर्स करने के बाद शुरू में कितनी सैलरी मिल जाती है?
इस क्षेत्र में सैलरी कंपनी और आपके वर्क एक्सपीरियंस पर भी निर्भर है।

कोर्स करने के बाद किन-किन पदों पर नियुक्ति हो सकती है?
कोर्स करने के बाद फार्मा इंडस्ट्री, फूड इंडस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित लैब, एग्रिकल्चर फर्म और इससे संबंधित कंपनी में आप साइंटिस्ट, एनालिस्ट, एग्जीक्यूटिव और रिसर्चर के रूप में काम कर सकते हैं।

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