6/10/12

Will power



योग्यता और इच्छाशक्ति से तय होता है लक्ष्य
विचारक राबर्ट फ्रॉस्ट ने अपनी जिंदगी में जो कुछ भीसीखा है , उसका सार तीन शब्दों में देते हुए लिखा - ' जिंदगीचलती जाएगी। ' फ्रॉस्ट का यह दर्शन असल में सकारात्मकजीवन जीने का एक नजरिया है। आपने अपनी जिंदगीमुश्किलों से घेरकर भी किसी को भरपूर और भयरहित नींददे दी , किसी के तनाव को कम कर दिया , किसी चेहरे परहंसी ला दी , तो इससे ज्यादा सफल और सार्थक जीवन औरक्या हो सकता है।

अक्सर हम अपने जीवन में सिर्फ सफलता के बारे में सोचतेहैं। सफल होने की कामना करना बुरा नहीं है , पर यदि हमेंवह सफलता अच्छे उपायों से मिलती है , दूसरों को सुख पहुंचा कर और एक अच्छे लक्ष्य के रूप में मिलती है , तोही उसकी सार्थकता है। असल में सफलता की प्राप्ति में बहुत - सी बातों का योगदान होता है।

इसमें सबसे पहली और आवश्यक चीज है - लक्ष्य का निर्धारण। आप किस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं और कहांपहुंचना चाहते हैं , यह स्पष्ट कर लेना ही है लक्ष्य का निर्धारण। लक्ष्य निश्चित किए बिना ही गतिशील होने का कोईविशेष अर्थ नहीं है। उठाया हुआ कोई भी कदम तभी सार्थक और सफलता में सहयोगी हो सकता है जबकि पहलेआपका लक्ष्य सुस्पष्ट हो। निश्चित लक्ष्य के बिना सफलता की कामना एक दिवास्वप्न के समान है।

पर हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए ? इसके बारे में विलियम जेम्स ने लिखा है कि ' जीवन का सबसे बड़ा उपयोगइसे किसी ऐसी चीज में लगाने में है जो इसके बाद में भी रहे। ' हेनरी डेविड थोरौ ने कहा है कि ' किसी चीज कीकीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी जिंदगी खर्च करते हैं। '

पर सबसे आवश्यक है लक्ष्य का निर्धारण। लक्ष्य कैसे तय हो। इस बारे में एक कथा है। एक युवक एक गुरु के पासपहुंचा। युवक बड़ा बेचैन था , निरुत्साहित था। गुरु से बोला - ' मैं कुछ करना चाहता हूं। जीवन में कुछ बननाचाहता हूं पर मुझे सफलता नहीं मिलती। ' गुरु ने उससे कहा - ' यह बहुत अच्छी बात है कि तुम जीवन में कुछकरना चाहते हो। पर यह बताओ कि तुम क्या करना चाहते हो ?'

युवक ने कहा -' यह तो मुझे पता नहीं , पर कुछ तो करना चाहता हूं जिससे मुझे धन मिले , ख्याति मिले। ' गुरु नेफिर पूछा - ' तो यह बताओ कि तुम्हारी रुचियां क्या हैं ? तुम्हारे विचार में तुम क्या बन सकते हो ?' युवक ने कहा - ' मेरे पास ऐसा कोई विशेष ज्ञान या योग्यता नहीं है। अपनी खास रुचि के बारे में भी मैंने कभी सोचा नहीं। मुझेयह भी पता नहीं कि मैं क्या कर सकता हूं। मैं अब तक सदा इस उलझन में ही हूं कि मैं क्या करूं। ' तब गुरु ने कहा- ' और इस पर तुम कहते हो कि तुम्हें सफलता नहीं मिलती। जब तुम्हें पता नहीं कि तुम्हें कहां जाना है तो तुमकिस चीज की सफलता की अपेक्षा करते हो ?'

जो व्यक्ति अपने जीवन का लक्ष्य निश्चित कर लेता है और उसके लिए सदा उत्साहित रहता है वह एक रचनात्मक ,क्रियात्मक  निर्णयात्मक सृजन शक्ति बन जाता है। यह निश्चित है कि मनुष्य एक शक्ति संपन्न प्राणी है। हमारेभीतर अथाह शक्तियां छिपी पड़ी हैं। मन की शक्ति , विचार की शक्ति , संकल्प की शक्ति और विवेक की शक्ति।इनका हम जितना अधिक और जितना नियोजित , सुव्यवस्थित प्रयोग करेंगे , उतना ही इनका विकास होताजाएगा। हमारी दुर्बलता यही है कि ये शक्तियां बिखरी हुई रह जाती हैं और इनका सार्थक उपयोग हम नहीं करपाते हैं। इसीलिए बड़ी उपलब्धियों से हम वंचित रह जाते हैं।

एक युवक फिल्म अभिनेता बनने का दिन रात स्वप्न देखता है। एक डॉक्टर भी वह बनने की सोचता है। साथ हीसाथ बड़ा व्यापारी बनने के लिए वह जूतों की दुकान भी खोलकर बैठ जाता है। वह कहीं भी सफल कैसे हो सकताहै जब उसका लक्ष्य उसके अपने दिमाग में ही स्पष्ट नहीं है। जीवन में सफल होने के लिए यह आवश्यक है किसर्वप्रथम अपने लक्ष्य को निर्धारित करें। जीवन का लक्ष्य आपकी सामर्थ्य , इच्छा शक्ति एवं योग्यता पर आधारितहोना चाहिए।

अपनी इच्छाशक्ति को बढ़ाइए
 ‘जहाँ चाह वहाँ राह है’ यह एक पुरानी कहावत हैपरंतु इसमें बड़ा बल है। मनुष्य की जैसी अच्छी-बुरी इच्छा होती हैवह उसी के अनुसार अपनी समस्त शक्तियों को लगा देता है और उसमें सफल होता है। मनुष्य की जैसी इच्छा होती हैवह वैसा ही बनता जाता है। कविलेखकवक्तावकीलडॉक्टरइंजीनियर आदि बनने की इच्छा रखने वालाअपनी क्रियाओं को उसी दिशा में मोड़ देता है और अपनी सारी शक्तियों को एकाग्र करके उसमें लगा देता हैपरिणामस्वरूप वह वही बन जाता है।
हमारा भविष्य हमारे अपने हाथों में है। उसको बनाने वाले हम स्वयं ही हैं। यही समय हैजब हमें अपने मार्ग का निश्चय कर लेना चाहिएनहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा। हम स्वयं अपने भविष्य को अंधकारमय बनाते हैं। इच्छाशक्ति  एक ऐसी वस्तु हैजो आसानी से हमारे स्वभाव में  जाती है। इसलिए दृढ़ इच्छा करना सीखो और उस पर दृढ़ बने रहो। इस तरह से अपने अनिश्चित जीवन को निश्चित बना कर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो। मनुष्य को पिछड़ा हुआ और गिरी हुई परिस्थितियों में रखने वाली कोई वस्तु हैतो वह इच्छाशक्ति का अभाव हैजिसे हमें दूर करना है। यदि हमारी शक्तियाँ गुप्त पड़ी रहेंगीतो हम दूसरों के लिए कुछ करने में कैसे समर्थ होंगेपहले हमें अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाना चाहिएतभी हमें संतोष होगा कि यहाँ हम मुर्दो की तरह नहींबल्कि जिंदों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं



1 comment:

  1. for success clear vision is very necessary. difference between successul and unsuccessful person are their clearity in visions. thanks for this wonderful post. http://ignitingbrains.com

    ReplyDelete