दिल्ली
विश्वविद्यालय की पहचान उसके कॉलेजों और विभागों से हैं। दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में फैले इनके कुछ कॉलेजों का इतिहास जितना पुराना है, उतना विश्वविद्यालय का भी नहीं है। विश्वविद्यालय की स्थापना 90 साल पहले 1922 में हुई, पर जाकिर हुसैन, हिन्दू और स्टीफंस कॉलेज एक शिक्षण संस्थान के रूप में इससे पहले से अपनी पहचान कायम किए हुए हैं। 77 कॉलेजों में स्नातक स्तर के विभिन्न कोर्सेज छात्रों में करियर की मजबूत नींव तैयार करते हैं। ऐसे में जरूरत है उन कॉलेजों को जानने की, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के आधार स्तम्भ रहे हैं।
www.du.ac.in/
Offers courses in
arts, management, social sciences, fine arts, commerce, sciences and law.
कॉलेज जिन पर नाज है डीयू को
स्टीफंस कॉलेज
स्टीफंस
कॉलेज का इतिहास करीब 130 साल पुराना है। उन्नीसवीं शताब्दी के आठवें दशक में स्थापित इस कॉलेज ने आजादी के दौर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यहां इतिहास, अंग्रेजी ऑनर्स, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, भौतिकी और रसायनशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों के विभागों ने पढ़ाई के मामले में छात्रों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है। एक समय कहा जाता था कि इस कॉलेज में इतिहास ऑनर्स में दाखिला मिल गया, समझो आईएएस बन गए।
आज भी देश में राजनीति हो या नौकरशाही या फिर मीडिया जगत, यहां के कई पुराने छात्र शीर्ष पर कायम हैं। संसद भवन में विभिन्न जगहों से जीत कर आए करीब दर्जन भर सांसद इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं। आईएएस और आईपीएस की लिस्ट काफी लंबी है। केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, संदीप दीक्षित, शशि थरूर, अरुण शौरी, मुख्य चुनाव आयुक्त वाईएस कुरैशी जैसी कई हस्तियों के नाम इस कॉलेज से जुड़े हुए हैं। बेहतर संसाधन, नियमित पढ़ाई और बेहतर शैक्षिक माहौल छात्रों को कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।
हिन्दू कॉलेज
करीब
114 साल पुराना यह संस्थान छात्रों के बीच आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स और सोशल साइंस विषयों की पढ़ाई के लिए जाना जाता रहा है। यहां अंग्रेजी ऑनर्स, इतिहास, समाजशास्त्र, हिन्दी, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र जैसे कई विभाग खासे लोकप्रिय हैं। साइंस में लाइफ साइंस और फिजिकल साइंस, दोनों विषय अपनी अलग पहचान कायम किए हुए हैं। कॉलेज में अनुशासन, बेहतर शैक्षणिक माहौल और विभिन्न तरह की सोसायटीज छात्रों के व्यक्तित्व विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। क्रिकेट में गौतम गंभीर, अजय जडेजा, सबा करीम तो फिल्म में अजरुन रामपाल, विशाल भारद्वाज, इम्तियाज अली जैसे कई पुराने छात्र यहां की पहचान हैं।
एसआरसीसी
कॉमर्स
की शिक्षा के लिए देशभर में प्रतिष्ठित यह कॉलेज अपनी विशेष पहचान कायम किए हुए है। यहां कॉमर्स और अर्थशास्त्र की पढ़ाई के लिए देशभर से छात्र आते हैं। बड़ी फैकल्टी और विभाग छात्रों को आपसी प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता के लिए प्रेरित करते हैं। इस कॉलेज में इन दोनों कोर्स ने व्यवसाय जगत से लेकर राजनीति जगत तक कई हस्तियां दी हैं। भाजपा नेता अरुण जेटली, विजय गोयल, फिल्म निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा, नैसकॉम चेयरमैन प्रमोद भसीन आदि यहां के पुराने छात्र रहे हैं।
मिरांडा हाउस
लडकियों
के बीच आधुनिक शिक्षा के लिए यह कॉलेज 1948 से अपनी अलग पहचान बनाता रहा है। चाहे अंग्रेजी की पढ़ाई हो या फिर इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र और भूगोल, कॉलेज के विभिन्न विभाग छात्रों के बीच अपनी विशेष छाप छोड़ते रहे हैं। यहां साइंस की भी पढ़ाई होती है। भौतिकी, रसायनशास्त्र, बॉटनी और जूलॉजी ऑनर्स भी साइंस की मजबूत नींव प्रदान करते हैं। कॉलेज की नाट्य सोसायटी और वाद-विवाद समिति छात्रओं के व्यक्तित्व विकास में अहम् भूमिका निभाते रहे हैं। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित हों या फिर कम्युनिस्ट नेता वृंदा करात, फिल्म अभिनेत्री नंदिता दास हों या लेखिका उर्वशी बूटालिया, इस कॉलेज की पहचान हैं।
किरोड़ीमल कॉलेज (केएमसी)
आजादी के समय स्थापित यह कॉलेज छात्रों के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में उन्मुक्त माहौल प्रदान करता है। इसे बिग बी के कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि अमिताभ बच्चन ने एक दौर में यहां पढ़ाई की थी। कॉलेज की नाट्य सोसायटी कई छात्रों को अपने यहां अभिनेता और रंगमंच पर पहचान दिलाने में भूमिका निभाती रही है। यहां साइंस, आर्ट्स और सोशल साइंस, तीनों तरह के विषयों की पढ़ाई होती है। बच्चन के अलावा फिल्म उद्योग में सतीश कौशिक, सिंगर केके और राजनीति में नवीन पटनायक, मदनलाल खुराना आदि यहां के पुराने छात्र रहे हैं।
इंद्रप्रस्थ कॉलेज
कैम्पस
के कॉलेजों में आजादी की लड़ाई के समय से ही इंद्रप्रस्थ कॉलेज लड़कियों की शिक्षा के लिए विशेष तौर पर जाना जाता रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में यह लड़कियों का सबसे पुराना कॉलेज है, जहां मुख्य रूप से अंग्रेजी, हिन्दी ऑनर्स, दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान जैसे विभाग विशेष रूप से
लोकप्रिय हैं।
लड़कियों के व्यक्तित्व विकास में अग्रणी भूमिका निभाने के कारण ही यहां की छात्रएं देश-विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमा रही हैं। राजनीति में अंबिका सोनी हों या प्रशासन में उत्तराखंड की पहली महिला पुलिस महानिदेशक किरण चौधरी और फिल्म निर्माता कविता चौधरी यहां की छात्र रही हैं।
हंसराज कॉलेज
डीएवी ट्रस्ट की ओर से अपने संस्थापक के नाम पर स्थापित यह कॉलेज करीब 60 साल से शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान बनाता रहा है। यहां आर्ट्स, साइंस और सोशल साइंस, तीनों विषयों की पढ़ाई होती है। कॉलेज में साइंस और कॉमर्स जैसे विभाग खासे सुदृढ़ हैं। भौतिकी, रसायनशास्त्र और कंप्यूटर साइंस जैसे विभाग यहां छात्रों के बीच अपनी अलग छाप छोड़ते रहे हैं। संस्थान की पहचान इसके छात्रों से भी होती रही है। फिल्म जगत में शाहरुख खान, प्रवीण डबास, सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और सांसद नवीन जिन्दल यहां के छात्र रहे हैं।
रामजस कॉलेज
नॉर्थ कैम्पस के इस कॉलेज में आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स और सोशल साइंस जैसे विविध विषयों की पढ़ाई कराई जाती है। करीब 60 साल पुराना यह कॉलेज छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिए खुला माहौल प्रदान करता है। पढ़ाई-लिखाई में बंदिशें न होने के कारण ही यहां के छात्र कई मौकों पर अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। यहां भौतिकी के छात्र रहे प्रकाश झा आज एक सफल फिल्म निर्देशक व निर्माता हैं। फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं।
दौलतराम कॉलेज
1960 में स्थापित इस संस्थान को पहले प्रमिला कॉलेज के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसके संस्थापक दौलतराम के नाम पर इसका नामकरण किया गया। इसमें आर्ट्स और कॉमर्स के अलावा साइंस की पढ़ाई भी कराई जाती है। खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए कई सोसायटी सक्रिय हैं, जिनमें वुमंस डेवलपमेंट सेंटर, एनएसएस और एनसीसी प्रमुख हैं। कैम्पस में यह लड़कियों का ऐसा कॉलेज है, जहां लाइफ साइंस और उससे जुड़े विषयों में ऑनर्स कोर्स की पढ़ाई होती है, चाहे वह जूलॉजी हो या बॉटनी।
एलएसआर
दक्षिणी
दिल्ली में पढ़ाई के कारण लड़कियों के जिस कॉलेज को सबसे अधिक ख्याति मिलती रही है, उनमें एलएसआर सबसे ऊपर है। कॉलेज के अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, बीकॉम ऑनर्स, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र और मनोविज्ञान जैसे विभाग अपनी पढ़ाई के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं।
कॉलेज प्रोफेशनल कोर्स के रूप में लड़कियों के लिए बीएलएड और अंग्रेजी पत्रकारिता का कोर्स भी चलाता है। यहां की वाद-विवाद समिति लड़कियों को विश्वविद्यालय स्तर पर अलग पहचान दिलाती रही है। इसने महिला नौकरशाहों और प्रबंधकों की एक बड़ी जमात पैदा की है।
वेंकटेश्वर कॉलेज
कॉलेज में वैसे तो आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स और सोशल साइंस जैसे सभी विषयों की पढ़ाई होती है, पर यहां की पहचान साइंस के वे विभिन्न कोर्स हैं, जहां छात्रों में रिसर्च कार्य को बढ़ावा दिया जाता है। बेहतरीन लैब और पढ़ाई के लिए अनुशासित माहौल छात्रों को सदा आकर्षित करता रहा है।
जीसस एंड मैरी
चाणक्यपुरी स्थित यह कॉलेज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। इसमें लड़कियों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए माहौल प्रदान किया जाता है। यहां मुख्य रूप से आर्ट्स और साइंस की पढ़ाई कराई जाती है। अंग्रेजी, हिन्दी, इतिहास, मनोविज्ञान, राजनीतिशास्त्र के अलावा प्रोफेशनल कोर्स के रूप में बीएलएड की भी पढ़ाई होती है। छात्रओं के लिए बीकॉम ऑनर्स का भी कोर्स चल रहा है। स्टीफंस कॉलेज की तरह यहां भी विश्वविद्यालय से हट कर दाखिला प्रक्रिया अपनाई जाती है।
गार्गी
अतीत की प्रेरक हस्तियों को ध्यान में रख कर देश में महिलाओं के भविष्य निर्माण के लिए दक्षिणी दिल्ली में 1967 में एक और कॉलेज खुला, जिसका नाम रखा गया गार्गी कॉलेज। यह संस्थान छात्रओं को आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस के विभिन्न विषयों की पढ़ाई कराता है। दक्षिणी दिल्ली की लड़कियों को इसमें साइंस में एप्लाइड और पारंपरिक साइंस, दोनों तरह के विकल्प पढ़ने को मिल रहे हैं।
साइंस की पढ़ाई के लिए गार्गी कॉलेज आज एक महत्वपूर्ण संस्थान बन गया है। एप्लाइड मनोविज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, इतिहास, दर्शनशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, संस्कृत, बीए, बीकॉम, बिजनेस इकोनॉमिक्स, बीएलएड, बीएससी लाइफ साइंस, फिजिकल साइंस, बॉटनी, कैमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, भौतिकी और जूलॉजी विषयों की भी पढ़ाई यहां करवाई जाती है
कोर्स जो डीयू को बनाते हैं खास
दिल्ली
विश्वविद्यालय की पहचान उसकी शिक्षा की गुणवत्ता और यहां पढ़ाए जा रहे कोर्सेज से है, जो देशभर से आए छात्रों को आगे बढ़ने का मौका देते हैं। यहां 86 विभागों और 16 फैकल्टी के जरिए परम्परागत और नए, दोनों तरह के कोर्स चलाए जा रहे हैं। साइंस में जहां एक ओर बेसिक साइंस से जुड़े कोर्स छात्रों को आकर्षित करते हैं, वहीं इंटरडिसिप्लिनरी और प्रोफेशनल कोर्स भी नए स्वरूप में मौजूद हैं। कॉमर्स का भी यही हाल है। इसमें भी रोजगार की राह दिखाने वाले कई ऐसे कोर्स चलाए जा रहे हैं, जो परम्परागत बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स से हट कर हैं। आर्ट्स और समाज विज्ञान से भी ऐसे कोर्स जुड़े हैं, जो विभिन्न वर्ग से आए छात्रों को अपनी ओर खींचते हैं। स्नातक स्तर पर दाखिला लेने से पहले विश्वविद्यालय में चल रहे कोर्सेज के स्वरूपों को जानना जरूरी है।
साइंस के परम्परागत ऑनर्स कोर्स
साइंस के परम्परागत ऑनर्स कोर्स
बेसिक साइंस में भौतिकी, रसायनशास्त्र, भूगर्भ विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणिविज्ञान यानी जूलॉजी में ऑनर्स कोर्स ज्यादातर कॉलेजों में चलाए जा रहे हैं। 12वीं में लाइफ या मेडिकल साइंस की पृष्ठभूमि वाले छात्रों को जहां प्राणिविज्ञान या वनस्पति विज्ञान का कोर्स कॉलेजों में पढ़ने को मिल रहा है, वहीं फिजिकल साइंस के छात्रों को भौतिकी, रसायनशास्त्र, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, गणित, सांख्यिकी, ऑपरेशनल रिसर्च, भूगर्भ विज्ञान और एंथ्रोपोलॉजी जैसे कोर्स करवाए जाते हैं। यहां माइक्रोबायोलॉजी का कोर्स भी पांच कॉलेजों में खासा लोकप्रिय है। ऑनर्स कोर्स में एप्लाइड साइंस के तहत इंस्ट्रुमेंटेशन और फूड टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कई कॉलेजों में होती है।
जनरल साइंस
छात्रों
को जनरल साइंस के रूप में विभिन्न कॉलेजों में तरह-तरह के कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। जो छात्र उच्च शिक्षा या रिसर्च की ओर नहीं जाना चाहते, सिर्फ साइंस ग्रेजुएट बन कर रोजगार के बाजार में उतरना चाहते हैं, उनके लिए यहां लाइफ साइंस और फिजिकल साइंस में अलग-अलग ग्रुप बना कर कई तरह के कोर्स चलाए जा रहे हैं। देश के अन्य विश्वविद्यालयों में इतनी विविधता शायद ही देखने को मिले। इस तरह के कोर्स में यहां बीएससी इन लाइफ साइंस है। इसका विस्तार करते हुए कई कॉलेजों में बीएससी इन एप्लाइड लाइफ साइंस की भी पढ़ाई कराई जाती है।
फिजिकल
साइंस की कड़ी में बीएससी इन फिजिकल साइंस तो है ही, इसके अलावा बीएससी इन एप्लाइड फिजिकल साइंस भी है। इसमें कहीं-कहीं इंडस्ट्रियल कैमिस्ट्री के पेपर को जोड़ कर एक नई तरह का कोर्स तैयार किया गया है, जिसे नाम दिया गया है एप्लाइड फिजिकल साइंस विद इंडस्ट्रियल कैमिस्ट्री। गणित के छात्रों के लिए बीएससी जनरल इन मैथेमैटिकल साइंस का भी कोर्स है।
इंटरडिसिप्लिनरी साइंस
साइंस में भी अलग-अलग विषयों को मिला कर कई नए तरह के कोर्स तैयार किए गये हैं, जिनमें कहीं बायोकैमिस्ट्री है तो कहीं बायोमेडिकल साइंस और बायोलॉजिकल साइंस। वेंकटेश्वर कॉलेज में जहां बायोलॉजिकल साइंस का कोर्स चल रहा है, वहीं आचार्य नरेन्द्रदेव, भास्कराचार्य और शहीद राजगुरु कॉलेज में बायोमेडिकल साइंस का कोर्स करवाया जा रहा है। पांच कॉलेज जहां बायोकैमिस्ट्री के रूप में इंटरडिसिप्लनरी कोर्स चला रहे हैं, वहीं एक कॉलेज पॉलिमर साइंस पढ़ा रहा है।
बीसीए की जगह बीएससी कंप्यूटर साइंस
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बीसीए यानी बैचलर इन कंप्यूटर एप्लिकेशन का कोर्स चलाया जा रहा है, लेकिन डीयू में इसकी जगह 15 कॉलेजों में बीएससी ऑनर्स इन कंप्यूटर साइंस का कोर्स चलाया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो रोजगार और ज्ञान के स्तर पर कंप्यूटर साइंस ऑनर्स बीसीए जैसे कोर्स से बेहतर है। इस कोर्स को करने वाले छात्र एमसीए भी कर सकते हैं या कंप्यूटर इंडस्ट्री में स्नातक की डिग्री के बाद रोजगार तलाश सकते हैं। बीएससी कंप्यूटर साइंस वाले छात्रों को आगे बढ़ाने या उच्च शिक्षा के लिए यहां एमसीए यानी मास्टर इन कंप्यूटर एप्लिकेशन का कोर्स भी कंप्यूटर साइंस विभाग में चलाया जा रहा है, जिसमें देशभर के छात्रों को प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिले का मौका मिलता है।
बीएएससी फूड टेक्नोलॉजी
फूड टेक्नोलॉजी एक उभरता हुआ क्षेत्र है। फूड का संरक्षण किस तरह करें, उसे उपभोक्ता तक कैसे पहुंचाएं, फूड को बरबादी से बचाने और उसकी पैकेजिंग आदि की विधि इसमें बतायी जाती है। एप्लाइड साइंस के रूप में यह कोर्स भास्कराचार्य और राजगुरु कॉलेज में विशेष तौर पर चलाया जा रहा है।
पॉलिमर साइंस
यह कैमिस्ट्री की एप्लाइड ब्रांच है। इसमें पॉलिमर, पॉलिमर क्लॉथ, ऑप्टिकल फाइबर आदि के कैमिकल कंपोजिशन की जानकारी, उसे बनाने की विधि आदि के बारे में बताया जाता है। उद्योगों में बतौर ट्रेनिंग इंजीनियर के रूप में करियर की शुरुआत की जा सकती है। इसकी पढ़ाई भास्कराचार्य कॉलेज में होती है।
बीएससी एग्रो कैमिकल एंड पेस्ट कंट्रोल
स्पेशलाइज्ड कोर्स के रूप में इस कोर्स के तहत छात्रों को कीट की पहचान व उससे बचाव की अलग-अलग विधियों से भी रूबरू कराया जाता है। साथ ही प्रदूषण पर कैसे लगाम लगाई जाए, इसकी जानकारी दी जाती है। स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में इस स्पेशलाइज्ड कोर्स में दाखिला जून में 12वीं की मेरिट के आधार पर होता है। आवेदक बारहवीं कक्षा में भौतिकी, रसायनशास्त्र, बायोलॉजी व कोई एक भाषा के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए।
एमएससी इंटिग्रेटेड इन अर्थ साइंस
दिल्ली
विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर ही छात्रों को इंटिग्रेटेड कोर्स में दाखिला पाने का मौका मिलेगा। भूगर्भ विभाग ने पांच वर्षीय कोर्स एमएससी इंटिग्रेटेड इन अर्थ साइंस शुरू किया है। आईआईटी जेईई में बैठने वाले छात्रों को मेरिट के हिसाब से यहां दाखिला दिया जाएगा। इसके बाद भी अगर सीटें बची रहती हैं तो 12वीं बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 70 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले छात्रों को भी मेरिट के आधार पर दाखिला दिया जाएगा। इस कोर्स के लिए 25 सीटें हैं। कोर्स पूरा करने पर बीएससी और एमएससी, दोनों की डिग्री इसके तहत मिलेगी। यह कोर्स मुख्य तौर पर चार पार्ट का कॉम्बिनेशन है, जिसमें जियोलॉजी, मरीन साइंस, जियोफिजिक्स और मौसम विज्ञान शामिल है।
इंस्ट्रुमेंटेशन
विज्ञान
तथा रिसर्च में जो इंस्ट्रुमेंट इस्तेमाल में लाए जाते हैं, उनका गहन अध्ययन इस कोर्स के तहत होता है। यह कोर्स दिल्ली में राजगुरु तथा भास्कराचार्य कॉलेज में है। दाखिला 12वीं की मेरिट के आधार पर होता है।
बायोमेडिकल साइंस
यह कोर्स बायोलॉजी, मॉडर्न मेडिकल साइंस, बायो टेक्नोलॉजी, जेनेटिक्स, टॉक्सीकोलॉजी, फार्मोकोलॉजी आदि का कॉम्बिनेशन है। इसके विशेषज्ञों का इस्तेमाल फार्मेसी, लैब, मेडिकल इंडस्ट्री तथा रिसर्च आदि के क्षेत्र में होता है। इस कोर्स को करने के बाद छात्रों को मास्टर स्तर पर बायोटेक्नोलॉजी, बायोमेडिकल, जेनेटिक्स, जीनोमिक्स आदि में दाखिला मिल जाता है।
इंडस्ट्रियल कैमिस्ट्री
इसमें पहले वर्ष में साइंस के अन्य कोर्स की तरह ही फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है। अगले दो वर्ष में इंडस्ट्रियल कैमिस्ट्री की पढ़ाई होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय में इसकी पढ़ाई दो कॉलेजों, एआरएसडी और देशबंधु में होती है। इंडस्टियल कैमिस्ट्री और प्रोडक्शन कैमिस्ट्री के रूप में यह काम करने का अलग अवसर मुहैया कराता है।
बायोकैमिस्ट्री
इंटरडिसिप्लिनरी के रूप में विकसित यह कोर्स कैमिस्ट्री और बायो का कॉम्बिनेशन है। इसके विशेषज्ञों की मांग आज प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बतौर अध्यापक तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में है। यह कोर्स पांच कॉलेजों में है, जिनमें दौलतराम, देशबंधु, शिवाजी, वेंकटेश्वर और इंस्टीटय़ूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स शामिल हैं।
बायोलॉजिकल साइंस
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पहल पर यह कोर्स वेंकटेश्वर कॉलेज ने अपने छात्रों के लिए विशेष तौर पर तैयार किया है। यह कैमिस्ट्री, बायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर तथा बायोइंफोर्मेटिक्स आदि का कॉम्बिनेशन है। इसकी मांग विभिन्न रिसर्च क्षेत्रों में है और आगे चल कर बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी करियर बनाया जा सकता है।
माइक्रोबायोलॉजी
इसमें बैक्टीरिया, वायरस, फफूंदी आदि के पॉजिटिव तथा निगेटिव पहलू के बारे में अध्ययन किया जाता है। माइक्रो ऑर्गेनिज्म के बारे में बताया जाता है। माइक्रो बायोलॉजिस्ट के रूप में करियर के अलावा रिसर्च के क्षेत्र में भी इससे संबंधित ढेरों अवसर हैं।
आर्ट्स के कोर्स
बीएलएड
प्राइमरी और सीनियर सेकंडरी स्कूल में शिक्षक बनने के लिए अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग और कोर्स की जरूरत पड़ती है। कहीं दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है तो कहीं एलिमेंटरी टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स। इन सबसे हट कर दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने यहां चार वर्षीय बैचलर ऑफ एलिमेंटरी एजुकेशन का कोर्स तैयार किया है। इस कोर्स में छात्रों को बीए यानी स्नातक की डिग्री के साथ-साथ टीचर्स ट्रेनिंग की डिग्री भी दी जाती है।
इसे करने के बाद वह देश-विदेश के किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल में आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के योग्य हो जाते हैं। खास बात यह कि बीएलएड का कोर्स दिल्ली विश्वविद्यालय में सिर्फ लड़कियों के लिए चलाया गया है। आठ कॉलेजों में लड़कियों को दाखिले का मौका मिलता है। दाखिले के लिए 12वीं पास छात्रओं को प्रवेश परीक्षा देनी होती है। यह कोर्स लेडी श्रीराम कॉलेज, गार्गी, जीसस एंड मैरी, मिरांडा हाउस, माता सुन्दरी, अदिति महाविद्यालय और इंस्टीटय़ूट ऑफ इकोनॉमिक्स में कराया जा रहा है।
बीए वोकेशनल
इस नाम से कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में पांच कोर्स चलते हैं। बीए वोकेशनल के तहत इस कॉलेज में मैटीरियल मैनेजमेंट, टूरिज्म, ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन एंड सेक्टेरियल प्रैक्टिस, मैनेजमेंट एंड मार्केटिंग, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइज, ह्यूमन रिसोर्स मैनजमेंट एंड मार्केटिंग मैनेजमेंट एंड रिटेल बिजनेस जैसे कोर्स भी चल रहे हैं।
बीएमएमएमसी
मीडिया
से जुड़े कोर्सो की आज सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में बाढ़-सी आ गई है। इन सबके बीच ही इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन ने दस साल पहले बैचलर ऑफ मास मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन का कोर्स तैयार किया था। इसका पाठयक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी और अंग्रेजी पत्रकारिता के अन्य कोर्सेज से अलग है।
बीए इन फॉरेन लैंग्वेज
जर्मन,
स्पैनिश, इटैलियन, फ्रैंच में कोर्स दस साल पहले शुरू किया गया था। कोर्स छात्रों को चार विदेशी भाषाओं में अलग-अलग रूप से प्रशिक्षित करता है। तीन साल तक इन भाषाओं की संस्कृति व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी दी जाती है। 12वीं में महज 45 प्रतिशत अंक होने पर भी इसकी प्रवेश परीक्षा में बैठने दिया जाता है।
बीटेक/बीएस इन इनोवेशन विद मैथ्स व आईटी
दिल्ली
विश्वविद्यालय ने पिछले साल नए तरह का कोर्स बीएससी, बीटेक इन मैथ्स विद इनोवेशन चलाया था। इसमें छात्रों को प्रयोग आधारित नए तरह के विषय और पेपर पढ़ाए जा रहे हैं। इस साल से बीटेक इन ह्यूमेनिटीज का कोर्स भी चलाने की तैयारी है। जल्द ही इसमें दाखिले के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। बारहवीं के छात्रों को दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर मिलेगा।
कॉमर्स के कोर्स
कॉमर्स
में आज परम्परागत रूप से चल रहे बीकॉम ऑनर्स और बीकॉम प्रोग्राम, दोनों तरह के कोर्स ज्यादातर कॉलेजों में चलाए जा रहे हैं। नामचीन कॉलेज चाहे वह श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स हो, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन, हिन्दू हो या हंसराज, यहां बीकॉम ऑनर्स को प्रमुख रूप से चलाया जा रहा है। शहीद भगत सिंह, एसजीटीबी खालसा, पीजीडीएवी और गुरु गोबिन्द सिंह कॉलेज ऑफ कॉमर्स में भी बीकॉम ऑनर्स का बड़ा विभाग है। इसमें छात्रों के लिए एक ही कोर्स में अलग-अलग सेक्शन बने हुए हैं। जो छात्र उच्च शिक्षा में नहीं जाना चाहते, स्नातक स्तर पर कॉमर्स का सामान्य ज्ञान लेकर रोजगार करना चाहते हैं, उनके लिए बीकॉम प्रोग्राम का भी कोर्स प्रमुखता से चलाया जा रहा है।
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