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Academic & Professional course

12वीं के बाद आप एक ऐसे चौराहे पर खडे होते हैं, जहां आकर अक्सर कई दुविधाएं सामने होती हैं। क्या करें, क्या नहीं, किस विषय को चुनें, क्या बेहतर है और कितना स्कोप ? ऐसे तमाम सवाल परेशान करते हैं, तो आपको काउंसलर की मदद जरूर लेनी चाहिए। मार्गदर्शन  न मिलने के कारण हो सकता है कि आप गलत दिशा में कदम बढा लें और बाद में रिकवरी का भी मौका न मिले। ऐसी हालत में कुछ स्टूडेंट्स अपने मित्रों की देखा-देखी कोर्स का चुनाव कर लेते हैं या फिर अपने अभिभावक की इच्छा को अनमने ढंग से स्वीकार कर लेते हैं। काउंसलर की मदद से आप इस तरह की परेशानी से बच सकते हैं। कहने का आशय यह है कि जिन कैंडिडेट्स को एकेडमिक फील्ड में रुचि है, पढाई का शौक है, विषय को गहराई से समझने की भूख है, उनके लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। एकेडमिक में हैं बेहतर अवसर एकेडमिक फील्ड अच्छा है या प्रोफेशनल, अक्सर स्टूडेंट्स इसी उधेडबुन में रहते हैं।किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए आपकी रुचि, योग्यता और ईमानदार कोशिश ही रंग लाती है। इस कारण आप खुद निर्धारित करें कि आप किस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं
12वीं के बाद एकेडमिक के साथ-साथ तमाम प्रोफेशनल कोर्सेस भी प्राय: सभी कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। आप अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किसी का चुनाव कर सकते हैं:-

एकेडमिक कोर्सेज
एकेडमिक कोर्सो में बीए-ऑनर्स, बीए-प्रोग्राम, बीएससी-मैथ, बीएससी-बायो, बीएससी-एग्रिकल्चर जैसे कोर्स तीन वर्षीय कोर्स हैं, जिसके बाद दो वर्षीय एमए, एमएससी और आगे एमफिल, पीएचडी भी किया जा सकता है। बीए-ऑनर्स और प्रोग्राम में भी अनगिनत विषयों के विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, बीकॉम जैसा कोर्स भी किया जा सकता है। इसे पूरा करने के बाद प्रोफेशनल कॅरियर भी अपना सकते हैं या फिर चाहें, तो इसमें आगे एमकॉम भी कर सकते हैं। इसी तरह बारहवीं के बाद पांच वर्षीय एकीकृत लॉ कोर्स करके भी एडवोकेट या लीगल एडवाइजर के रूप में कॅरियर की शुरुआत की जा सकती है। वैसे, इसमें भी एलएलएम कर योग्यता बढ़ाई जा सकती है या फिर लॉ टीचर के रूप में कॅरियर का द्वार खोला जा सकता है।
कोर्स कॉम्बिनेशन पर दें ध्यान
अंडरग्रेजुएट कोर्स आपके कॅरियर की नींव निर्धारित करते हैं। ग्रेजुएशन के बाद ही आप एमए, एमफिल, रिसर्च या आगे की पढाई में बेहतर कर सकते हैं। इसलिए जिस विषय में रुचि है, उसे ही चुनें तो बेहतर होगा। इन दिनों इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, टीचिंग जैसे परंपरागत विषयों के साथ-साथ सैकडों नए विकल्प भी सामने आ गए हैं। ऐसे में एक या दो विषय में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की जो मजबूरी पहले थी, वह अब नहीं है। इस कारण विषय के चयन में इस बात का अवश्य ध्यान रखें। इससे बेहतर विकल्प मिलेंगे। जैसे, यदि इंग्लिश ऑनर्स में दाखिला लेने का मन बना रहे हैं, तो रुचि के अनुरूप इकोनॉमिक्स या एकाउंटेंसी ले सकते हैं। इससे फायदा यह होगा कि यदि इंग्लिश ऑनर्स में दाखिला न भी मिल पाए, तो दूसरे विषयों में दाखिला मिल सकता है। इसी तरह, साइंस की फील्ड भाती है, तो यहां भी आपको इसी फार्मूला पर अमल करना चाहिए। यदि साइंस से बीएससी करते हैं, तो उस विषय को वरीयता दें, जिसमें बीएससी के बाद बेहतर विकल्प हों। उदाहरण के लिए न्यूक्लियर साइंस, नैनो-टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री आदि में यदि बीएससी हैं, तो बिना बीटेक किए एमटेक कर सकते हैं। इसके अलावा इन दिनों कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, बॉयोटेक्नोलॉजी, फूड टेक्नोलॉजी और फिशरीज से संबंधित विषय भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। आप कॅरियर चुनते समय इन बातों का ध्यान रखेंगे, तो आगे बढने में परेशानी नहीं होगी। आप जिस फील्ड में कॅरियर बनाना चाहते हैं, सुनिश्चित करें कि संबंधित योग्यता आपमें हैं या नहीं!

प्रोफेशनल कोर्सेज
12वीं पीसीएम स्टूडेंट्स आईआईटी-जेईई, एआईईईई, राज्य इंजीनियरिंग परीक्षाओं आदि में शामिल होकर विभिन्न ब्रांचों में किसी एक में चार वर्षीय बीई-बीटेक कर सकते हैं और इंजीनियर बनने की राह आसान बना सकते हैं। उधर, 12वीं पीसीबी से करने वाले छात्र एआईपीएमटी, सीपीएमटी या अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षा देकर एमबीबीएस या समकक्ष कोर्स पूरा कर डॉक्टर के रूप में कॅरियर संवार सकते हैं। इसके अलावा, बीसीए यानि बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन कोर्स करके आईटी के क्षेत्र में भाग्य आजमाया जा सकता है या फिर चाहें तो इसके बाद एमसीए करके योग्यता और बढ़ा सकते हैं इसके अतिरिक्त, आप अपनी रुचि के अनुसार  ऑफ जर्नलिज्म कोर्स, डिजाइनिंग, एनिमेशन, मल्टीमीडिया, गेमिंग, हार्डवेयर-नेटवर्किंग, कम्प्यूटर अकाउंटिंग, फार्मेसी, क्लीनिकल रिसर्च, पैरामेडिकल आदि जैसे कोर्स करके भी आकर्षक कॅरियर की सीढियां चढ़ सकते हैं।

प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए ध्यान देने योग्य बातें
आर्थिक उदारीकरण के बाद युवाओं के पास नौकरी के बेहतर विकल्प मिल रहे हैं। यही कारण है कि  समय के साथ-साथ लोगों की सोच में भी काफी परिवर्तन हुए हैं। 
बदली सोच का ही परिणाम है कि अब बारहवीं के बाद ही युवा कॅरियर निर्धारित करनेलगे हैं। आज से कुछ वर्ष पहले तक यही सोच थी कि पहले पढाई कर लेंबाद में नौकरी के बारे में सोचेंगे। यह जुमला अब पूरीतरह गलत हो चुका है। अधिकतर स्टूडेंट्स के सामने सबसे बडा प्रश्न यही रहता है कि यदि  परंपरागत प्रोफेशनल कोर्स जैसेइंजीनियरिंगमेडिकलसीएसीएस आदि में एडमिशन नहीं मिल  पाया तो उसके बाद प्रोफेशनल और एकेडमिक कोर्स में सेक्या  बेहतर होगाकौन सा कॉलेज बेहतर है।
 अपनी क्षमता पहचानें
 प्रोफेशनल कोर्स में जाने से पहले आपको कुछ सवालों के जवाब खुद तलाशनें होंगे। क्या आपको अपनी परिस्थितियों औरपारिवारिक समस्याओं के चलते जॉब की सख्त आवश्यकता है? क्या आपका परिवार आर्थिक रूप से इतना सक्षम है किप्रोफेशनल शिक्षा के खर्च का वहन कर सके? अधिकतर स्टूडेंट्स पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं के चलते प्रोफेशनल कोर्सका चयन करते हैं, ताकि कुछ वर्षो की पढाई करने के बाद नौकरी का बेहतर विकल्प मिल सके। लेकिन कुछ कोर्स की फीसकाफी अधिक होती है। इस कारण आपके लिए बेहतर होगा कि कोर्स चुनने से पहले उसकी फीस, कैंपस प्लेसमेंट और घर कीआर्थिक स्थिति से भलीभांति अवगत हो जाएं।
 सभी कोर्स होते हैं बेहतर
कोई भी कोर्स खराब नहीं होता हैक्योंकि सभी क्षेत्रों में सभी तरह के लोगों की मांग रहती है। इस कारण सबसे पहले अपनालक्ष्य निर्धारित करें कि हमें यह कोर्स करना है। कोर्स का चयन करते समय कुछ बातों को ध्यान रखेंगेतो आप सही औरबेहतर कोर्स चुनने में सफल हो सकते हैं। सही कॅरियर चुनने से पहले आप अपनी रुचिआर्थिक स्थिति और आनेवाले समय मेंइनकी मांगों को अवश्य देखें। अब कॅरियर के क्षेत्र में मिलने वाले अवसरों का वर्गीकरण कुछ इस तरह से हो गया है कि हरकिसी के पास अपनी क्षमताओंरुचियों  रुझानों के मुताबिक कईतरह के कॅरियर ऑप्शन हैं। प्रोफेशनल कोर्स ने छात्रों को ढेरोंविकल्प दिए हैं। इंजीनियरिंगमेडिकलकंप्यूटर जैसे कई क्षेत्रों में तीन से पांच साल के कोर्सेज को पूरा करके बढिया सैलरीवाली सरकारी  प्राइवेट नौकरी पाई जा सकती है। आज देश में नित नई ऊंचाईयां छूते पूंजीनिवेश  विश्व अर्थव्यवस्था में बढरहे भारत के कद से बडे पैमाने पर सक्षम प्रोफेशनल्स की जरूरत पड रही है।
 नाम नहीं, पढाई देखें
अक्सर स्टूडेंट्स किसी संस्थान में इस कारण एडमिशन ले लेते हैं कि उसका नाम काफी है। अन्य संस्थानों की अपेक्षा काफीपैसे भी देने के लिए राजी हो जाते हैंलेकिन उन्हें पछतावा तब होता हैजब उस संस्थान में अपेक्षा के अनुरूप पढाई नहीं होतीहै। उस समय स्टूडेंट्स के पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता है। आप यदि किसी संस्थान में किसी तरह का कोर्स करना चाहतेहैंतो सबसे पहले उस संस्थान के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। जानकारी प्राप्त करने का बेहतर तरीका यह है कि आपउस संस्थान में पढ रहे स्टूडेंट्स से पढाई और फैकल्टी मेंबर्स के बारे में सही जानकारी लें। वहां के स्टूडेंट्स आपको सही बातबता देंगे। कुछ स्टूडेंट्स संस्थान के प्रोस्पेक्टस के आधार पर ही कैंपस प्लेसमेंट को सही मान लेते हैं। आपके लिए बेहतर होगाकि आप पिछले वर्ष पास किए गए स्टूडेंट्स की संख्या और नौकरी प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को देखकर ही कोई निर्णय लें।

परखें संस्थान की असलियत
अधिकतर स्टूडेंट्स इसे नजरअंदाज कर देते हैं। समस्या तब आती है, जब कोर्स करने के बाद उन्हें  नौकरी में समस्या आती है।उस समय उनके पास कोई विकल्प नहीं होता है। अगर आप भी इससे बचना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहले जिससंस्थान में एडमिशन ले रहे हैं, उसके बारे में अच्छी तरह से पता कर लें कि संबंधित संस्थान मान्यता प्राप्त है कि नहीं। पहलेइस मामले में पूरी तरह आश्वस्त हो जाएं, तभी एडमिशन लें, तो आपके लिए बेहतर होगा।


प्रोफेशनल बेरोजगार

प्रोफेशनल कोर्स कराने वाले कई कॉलेजों से मिली जानकारी के अनुसार एक छोटे शहर में हर साल  करीब 4 हजार स्टूडेंट ऎसेडिप्लोमा और डिग्री कोर्स के साथ पासआउट होते हैं। इनमें 10 से 15 प्रतिशत स्टूडेंट को ही उनकी चॉइस के अकॉर्डिüग जॉबमिलती है, बाकी या तो सैलेरी और कंपनी के स्टेंडर्ड को लेकर कंप्रोमाइज करते हैं या फिर यूं ही इंटरव्यू देते फिरते हैं।एम्पलॉयमेंट ऑफिस के अनुसार पिछले कुछ सालों से प्रोफेशनल कोर्स के डिप्लोमा-डिग्री वाले बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। प्रोफेशनल एजुकेशन एकतरह का इंवेस्टमेंट फेक्टर हो गया है। पायलट, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर हार्डवेयर, मैनेजमेंट जैसे कोर्स में करीब 8 से 10 लाखरूपए खर्च हो जाते हैं। इनके बाद कंपनियां दो से ढाई लाख रूपए सालाना का पैकेज देती हैं, जो कोर्स के लिए हुए खर्च के मुकाबले में काफी कम होता है। सैलरी पैकेज में कॉलेज की रैंक भी मायने रखती है।



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