6/10/12

Self Confidence


सफलता का पहला रहस्य आत्मविश्वास
आत्मविश्वास, आशा, इच्छाशक्ति, सफलता, उत्साह-Self Confidence, Hope, Will Power, Success, zeal
आत्मविश्वास (Self-confidence) वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के सम्पादन में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती। उसे कोई चिन्ता नहीं सताती। दूसरे व्यक्ति जिन सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है।
यदि आप कोई महान कार्य करना चाहते हैं तो सबसे पहले मन में स्वाधीनता के विचार भरिए। जिस मनुष्य का मन सन्देह, चिन्ता और भय से भरा हो, वह महान कार्य तो क्या, कोई सामान्य कार्य भी नहीं कर सकता। सन्देह और संशय आपके मन को कभी भी एकाग्र न होने देंगे। मन की एकाग्रता कार्य-सम्पादन के लिए आवश्यक शर्त है।
आत्मविश्वास वह अद्भुत शक्ति है जिसके बल पर एक अकेला मनुष्य हजारों विपत्तियों एवं शत्रुओं का सामना कर लेता है। निर्धन व्यक्तियों की सबसे बड़ी पूंजी और सबसे बड़ा मित्र आत्मविश्वास ही है। इस संसार में जितने भी महान कार्य हुए हैं या हो रहे हैं, उन सबका मूल कारण आत्मविश्वास ही है। संसार में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, यदि हम उनका जीवन इतिहास पढ़ें तो पाएंगे कि इन सभी में एक समानता थी और वह समानता थी- आत्मविश्वास की।
जब किसी व्यक्ति को यह अनुभव होने लगता है कि वह उन्नति कर रहा है, ऊंचा उठ रहा है, तब उसमें स्वतः आत्मविश्वास से पूर्ण बातें करने की शक्ति आ जाती है। उसे शंका पर विजय प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति के मुखमण्डल पर विजय का प्रकाश जगमगा रहा हो, सारा संसार उसका आदर करता है और उसकी विजय विश्वास में परिणत हो जाती है। आपने भी अनेक बार अनुभव किया होगा कि जो व्यक्ति आप पर अपनी शक्ति का प्रभाव डालते हैं, आप उनका विश्वास करने लगते हैं। इस सबका कारण उनका आत्मविश्वास है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है, वह स्वतः दिव्य दिखाई पड़ने लगता है, जिसके कारण हम उसकी ओर खिंच जाते हैं और उसकी शक्ति पर विश्वास करने लगते हैं।
स्वामी विवेकानंद का कथन है- ‘जिस मनुष्य में आत्मविश्वास नहीं है, वह बलवान होकर भी डरपोक है और विद्वान होकर भी मूर्ख है।अर्थात् वह व्यक्ति, जो सर्वगुण सम्पन्न और योग्य होता है, किन्तु अगर उसमें आत्मविश्वास हो, तो सफलता उससे हमेशा दूर ही रहती है। इसी आत्मविश्वास के सहारे मानव आज पाषाण युग से निरन्तर प्रगति की राह पर अग्रसर होते हुए इस समय रॉकेट युग में प्रवेश कर चुका है। तभी तो स्वेट मार्डेन कहते हैं, ‘सारी पढ़ाई, योग्यताएं, अनुभव, आत्मविश्वास के बिना वैसे ही हैं, जैसे डोरी के बिना माला के मोती।जिस व्यक्ति को अपने पर विश्वास होता है, वह हर असम्भव से कार्य को अपने परिश्रम और साहस से संभव बना लेता है। ठीक उसी तरह, जिस प्रकार एक कुशल सारथी एक उद्दंड घोड़े को अपने प्रयासें से अपने बस में करने में सफलता अर्जित कर लेता है।

इन सब में विश्वास, उत्साह के साथ एक और बात का होना आवश्यक होता है, और वह हैआशा।जी हां, हर कार्य को करने के पूर्व मन-मस्तिष्क में ये होना चाहिए कि हम जो कार्य कर रहे हैं या करने जा रहे हैं, उसमें पूर्ण रूप से सफलता मिलना लगभग निश्चित ही है। इस संबंध में मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा है, ‘आशा, उत्साह की जननी होती है क्योंकि आशा में तेजी है, शक्ति है, जीवन है और यही आशा तो ससार की संचालक शक्ति होती है।यदि आशा नहीं हो, तो फिर उत्साह विश्वास भी कभी-कभी क्षीण हो जाता  है। सफलता के लिये मनुष् का सर्वप्रथम अपने मन पर पूर्ण रूप से अधिकार होना चाहिए। उसके बाद उसको अपना सम्पूर्ण ध्यान अध्ययन की ओर ही केन्द्रित करके रखना चाहिए, क्योंकि विश्वास मानव मन का सच्चा सेनापति होता है, जो उसकी आत्म क्षमताएं अर्थात् शक्ति को निरन्तर बढ़ाते हुए उत्साह आशा को बनाये रखता है। जिन व्यक्तियों की इच्छाशक्ति बहुत अधिक दुर्बल अर्थात् आत्मविश्वास क्षीण हो जाता है। वे किसी सरल कार्य में भी सफलता प्राप्त करने में हमेशा वंचित रहते हैं। तभी तो विलियम जेम्स कहते हैं, ‘जीवन से कभी डरो मत और हमेशा विश्वास यही रखो कि यह जीवन जीने योग्य है और तुम्हारा यही विश्वास जीवन में तथ्यों के नये निर्माण में सच्चा सहायक साबित होगा।

जिस व्यक्ति के पास आत्मविश्वास का अभाव होगा, वह अन्य चीजों पर किस प्रकार विश्वास उत्पन्न कर सकता है और सफलता भी ऐसे अविश्वासी व्यक्तियों से हमेशा दूर रहती है। सफलता के लिए एकाग्रता का होना भी उतना ही आवश्यक है, जितना कि आत्मविश्वास। यही सूत्र हमें सफलता की ओर ले जाता है। अतः आशा, उत्साह और आत्मविश्वास तीनों में अगर समानता है, तब तो सफलता स्वयं कदम चूमती है। अगर परिश्रम पूर्ण लगन और संयम के साथ किया गया हो, तब सफलता मिनलर निश्चित है। हर कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए भी एकाग्रचित होना अत्यधिक आवश्यक है। अन्त में स्वेट मार्डन का यह कथन किऊंची से ऊंची चोटी पर पहुंचना हो, तो अपना सफर निचली से निचली सतह से प्रारम्भ करो और अपने काम से जिसका संबंध हो, ऐसी किसी भी बात को व्यर्थ और अनुपयोगी समझकर बेकार जाने दो, बल्कि उसका पूरी बारीकी के साथ अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त करो।ये सब तभी सम्भव है, जबकि आपके पास आत्मविश्वास की पूंजी हो।
सफलता हेतु आत्मविश्वासअनिवार्य हैं
हम सब में कुछ खास बात है। आप सबमें किसी किसी रूप मंे कोई कोई विशेषता है।दूसरों से अच्छाई है।हम अद्वितीय है, अनुपम है, खास है।
यह दुर्भाग्य की बात है कि हम अपनी खास बात को स्पष्ट रूप से नही जानते है। हम अपने को वक्त नही देते है। स्वयं की अनदेखी करते है। स्वयं को भुल जाते है। अपने को महत्व नही देते, अपनी विशेषता नही खोजते है।
परमात्मा ने, प्र्रकृति ने, अस्तित्व ने आपको, हमको, सबको सकारण बनाया है। हम उसी की योजना के अनुसार हेै। वह व्यर्थ कुछ नहीं करता हैं। फिर हम बेकार के कैसे हो सकते है?
हम उसी विराट के अंश है, चाहे कितने ही छोटे हो ,इसलिए याद करें:
मैं जानता हूँ
  • मैं जानता हूँ कि मैं एक विशिष्ट व्यक्ति हूँ। मेरे जैसा इस धरती पर कोई नहीं है, ही मेरे जितनी क्षमता किसी में है।
  • मैं अनुपम हूँ। मेरा जन्म एक विशेष लक्ष्य के लिए हुआ हैं
  • मैं अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग लोगों की भलाई के लिए करूँगा। मुझे विलक्षण योग्यता का वरदान मिला है एवं सफलता प्राप्ति के गुणों से मेरा व्यक्तित्व परिपूर्ण है।
  • मैं अपने व्यवहार द्वारा दूसरों को प्रभावित करता हूँ, इस प्रकार भावी पीढ़ी मुझ से प्रभावित होती है।
  • वर्तमान सोच एवं भावनाओं पर मेरा पूर्ण नियन्त्रण है यही मेरे व्यवहार और मेरे प्रति दूसरांे की प्रतिक्रिया तय करता है।
  • वास्तव में, अपने भविष्य के निर्माण और जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इसी की जरूरत है।
मुझे स्वयं पर विश्वास है। मैं जानता हूँ कि मै महानता के योग्य हूँ। मुझ में हैं कुछ खास बात।

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