प्राचीन
भारत के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का
श्रृंगार किया है वरन कला,
शिल्पकला एवं साहित्य को भी संपदित
किया है। अर्थ के क्षेत्र में जो स्थान
कौटिल्य का है, काम के क्षेत्र में वही स्थान महर्षि
वात्स्यायन का है। महर्षि वात्स्यायन का
कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है
खजुराहो से लेकर वात्सायन के कामसूत्र जैसी कृतियों में सेक्स के हर पहलू
पर रोशनी डाली गई है। स्वस्थ व सुखी जीवन के लिए संयमित सेक्स को उपयोगी बताया गया
है। सेक्स शरीर की एक जरुरत है और साथ ही
इंसान के जीवन चक्र को जारी रखने वाला जरिया भी। आम जीवन में सेक्स को लेकर बहुत
सारी भ्रांतियाँ हैं। जानकारी के अभाव में, परिस्थितियों
के कारण या फिर मनोविकार के कारण इंसान बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य करके सामाजिक
बहिष्कार का पात्र बन जाता है। काम एक
अत्यन्त शक्तिशाली मूल प्रवृत्ति है
काम ही जीवन का संपदन, जीवन का उद्गम,
उसके
अस्तित्व तथा उसकी गतिशीलता तथा नर-नारी
के पारस्परिक अकर्षण एवं सम्मोहन का रहस्य है। वास्तव में काम ही विवाह एवं
दाम्पत्य सुख-शांति की आधारशिला है। काम
का सम्मोहन ही नर-नारी को वैवाहिक-सूत्र में आबद्ध करता है। अतः विवाहित जीवन में आनन्द की निरन्तर
रस-वर्षा करते रहना ही कामसूत्र का वास्तविक
उद्देश्य है।
कामसूत्र
सिर्फ सेक्स नही है...
कामसूत्र
का नाम लेते ही आप चौंक जाते होंगे और अगर कोई आप से कामसूत्र पढ़ने के लिए कहें
तो एक बारगी आप जरूर कतरायेंगे. लेकिन हम आपको बता दें कि कामसूत्र कोई सेक्स की
किताब नहीं है, और ना ही कामशास्त्र है. हां इतना जरूर
है कि जिसने कामसूत्र नहीं पढा वे इसे कामशास्त्र या सेक्स की किताब जरूर मानते
है. लेकिन नहीं ये सच नहीं है.
कामसूत्र
सिर्फ सेक्स की किताब नहीं है बल्कि कामसूत्र में सेक्स के अलावा व्यक्ति की
जीवनशैली, पत्नी के कर्त्तव्य, गृहकला, नाट्यकला, सौंदर्यशास्त्र, चित्रकारी और वेश्याओं की जीवन शैली
आदि जीवन से जुड़ी सभी की जानकारी है.
संभोग
और प्रेम पर वात्स्यायन ने दुनिया का प्रथम और सर्वाधिक प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रंथ
लिखा 'कामसूत्र'. मूलत: रतिक्रीड़ा पर आधारित इस ग्रंथ
की दुनियाभर में कहीं न कहीं चर्चा होती रहती है. सात खंड के छत्तीस अध्यायों में 1250 श्लोक के इस ग्रंथ में संभोग तथा
रतिक्रीड़ा के आसनों पर आखिर ऐसा क्या लिखा है जो हर काल में प्रासंगिक बने रहने
की ताकत रखता है. इसके सूत्र आज भी उतने ही ताजा हैं जितने कि वात्स्यायन के काल
में रहे थे.
कामसूत्र
महज एक ग्रंथ अथवा कागजों का पुलिंदा मात्र नहीं है बल्कि यह रतिक्रीड़ा के अलावा
गृहस्थ जीवन को सही तरीके से जीने के उपाय बताता है. वास्तव में कामसूत्र प्रेम, सौंदर्य तथा जीवन के राग की संपूर्ण
किताब है.
कामसूत्र
का प्रेम
कामशास्त्र
या कामसूत्र में स्त्री और पुरुष की शारीरिक संरचना और मनोविज्ञान को अच्छी तरह
समझाया गया है इसीलिए यह ग्रंथ शिक्षा देता है कि प्रेम का आधार है संभोग और संभोग
का आधार है प्रेम. शरीर और मन दो अलग-अगल सत्ता होने के बावजूद दोनों एक दूसरे का
आधार हैं.
प्रेम
की उत्पत्ति सिर्फ मन या हृदय में ही नहीं होती शरीर में भी होती है. स्त्री-पुरुष
यदि एक दूसरे के शरीर से प्रेम नहीं करते हैं तो मन, हृदय या आत्मा से प्रेम करने का कोई महत्व नहीं. प्रेम की शुरुआत ही
शरीर से होती है. दो आत्माओं के एक दूसरे को देखने का कोई उपाय नहीं है. शरीर ही
शरीर को देखता है. स्त्री यदि संपूर्ण तरह से स्त्रेण चित्त है और पुरुष में
पौरुषत्व है तो दोनों एक-दूसरे के मोहपाश से बच नहीं सकते.
कामसूत्र
का सेक्स
वास्तव
में सेक्स या संभोग ही दाम्पत्य सुख-शांति की आधारशिला है. काम के सम्मोहन के कारण
ही स्त्री-पुरुष विवाह सूत्र में बँधने का तय करते हैं. अतः विवाहित जीवन में काम
के आनन्द की निरन्तर अनुभूति होते रहना ही कामसूत्र का उद्देश्य है. यदि
स्त्री-पुरुषों के बीच काम को लेकर उदासीनता है तो दाम्पत्य जीवन ऐसे होगा जैसे कि
एक ही ट्रेन में सफर कर रहे लेकिन अगल-अलग डिब्बों में.
कामसूत्र
यौन संबंधी जानकारियों का बेहतरीन खजाना है. कामसूत्र उन आसनों के लिए भी प्रसिद्ध
है जिनके चित्र या मू्र्ति देखने के लिए लोग खजुराहो या अजंता-एलोरा जाते हैं या
फिर चुपके से आसनों की सामग्री को बाजार से खरीदकर देखते हैं. दिमाग विकृत होता है
बाजार के उस गंदे साहित्य को पढ़ने से जिसे पश्चिमी मानसिकता के चलते बेचा जाता है, लेकिन कामसूत्र या कामशास्त्र आपको
उत्तेजित करने के बजाय सही ज्ञान देता है. कामसूत्र में संभोग के हर पहलू का वर्णन
कर मनो-शारीरिक प्रतिक्रियाओं की जो विवेचना प्रस्तुत की है वह अद्भुत और रोमांचक
है.
आज
के भागदौड़ से भरे जीवन में पति-पत्नी के संबंध औपचारिक ही रह गए हैं, लेकिन कामसूत्र का ज्ञान आपके वैवाहिक
जीवन को अंत तक तरोताजा बनाए रखने में सक्षम है. संभोग के आसनों से यौन सुख के साथ
ही व्यायाम के लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं. बस, जरूरत है तो इसे सही रूप में समझने की.
कामसूत्र
का सौंदर्यशास्त्र
नाट्य
शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि कहते हैं- संसार में जो कुछ भी शुभ, पवित्र और उज्ज्वल दर्शनीय है वह
श्रृंगार रस से प्रेरित है अर्थात काम की कमनीयता है. कामसूत्र कहता है कि स्त्रियों
को भी काम या जीवन की सभी कलाओं का ज्ञान होना चाहिए इसीलिए उन्होंने स्त्रियों के
लिए मुख्यत: 64 कलाओं में कुछ शर्त के साथ पारंगत
होने की शिक्षा दी है. स्त्री द्वारा 64
कलाओं का ज्ञान प्राप्त करने से ऐश्वर्य और सुख की वृद्धि होती है. पारंगत स्त्री
को कामसूत्र में गणिका कहा गया है. गणिका अर्थात गुणवती या कलावती.
जिन
चौंसठ कलाओं की चर्चा की गई है उनमें से ज्यादातर आज के युग अनुसार अप्रासंगिक
मानी जा सकती हैं, लेकिन कुछ कलाएं आज भी प्रासंगिक हैं
जैसे हर स्त्री गायन, वादन, नृत्य और चित्र में पारंगत हो सकती. अप्रासंगिक कलाएं- कल-पूर्जे
बनाना स्त्रियों का काम नहीं. इंद्रजाल, बाजीकरण, हाथ की सफाई, घुड़सवारी करना, बढ़ईगिरी और तीतर, बटेर अथवा भेड़ को लड़ाने की कला तो अब
बिल्कुल चलन से बाहर हो चुकी कलाएं हैं. खैर, जो
भी हो कहने का आशय यह है कि कामसूत्र सिर्फ संभोग की ही शिक्षा नहीं देता यह जीवन
के हर पहलुओं को छूता है.
संभोग
से समाधि
ऐसा
माना जाता है कि जब संभोग की चरम अवस्था होती है उस वक्त विचार खो जाते हैं. इस
अमनी दशा में जो आनंद की अनुभूति होती है वह समाधि के चरम आनंद की एक झलक मात्र
है. संभोग के अंतिम क्षण में होशपूर्ण रहने से ही पता चलता है कि ध्यान क्या है.
निर्विचार हो जाना ही समाधि की ओर रखा गया पहला कदम है.
अत:
संभोग की चर्चा से कतराना या उस पर लिखी गई श्रेष्ठ किताबों को न पढ़ना अर्थात एक
विषय में अशिक्षित रह जाना है. कामशास्त्र या कामसूत्र इसलिए लिखा गया था कि लोगों
में सेक्स के प्रति फैली भ्रांतियाँ दूर हों और वे इस शक्ति का अपने जीवन को सत्यम, शिवम और सुंदरम बनाने में अच्छे से
उपयोग कर सकें.
कामसूत्र
के मुताबिक स्त्रियों के लिए 64
कलाएं
पुरुष
के लिए आचार्य का संदेशआचार्य वात्स्यायन ने कामसूत्र की रचना इसलिए की थी ताकि
गृहस्थी से अनजान स्त्री-पुरुष इसके हर पक्ष को समझ सकें और इसका ज्ञान व
प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत ही इसमें प्रवेश करें। इससे तनाव से मुक्त एक
स्वस्थ्य गृहस्थी की रचना हो सकती है। लेकिन आजकल जिस तरह से पैसे के लेने-देन
(देहज प्रथा), स्टेटस(पैसे वालों को प्राथमिकता)
सिंबल, वासना या आकांक्षा (आकर्षण को प्यार
समझ प्रेम विवाह करना) जैसे कारण विवाह का आधार बन रहे हैं, जिससे गृहस्थी की सारी नींब ही कमजोर
पड़ रही है। आचार्य की यह 64 विद्या स्त्री पुरुष को व्यवहारिक
बनाने के उद्देश्य से बताए गए हैं।
पुरुष
को धर्म, अर्थ, दंडनीति आदि का अध्ययन करते हुए कामसूत्र से संबंधित सभी कलाओं का
अध्ययन करना चाहिए। वात्स्यान के अनुसार, कामशास्त्र
के ज्ञाता बहुत थोड़े से पुरुष होते हैं। वैसे व्याकरण या ज्योतिष एक शास्त्र है उसी तरह काम का भी एक शास्त्र है।
इसकी शिक्षा लेने वाले लोगों की संगत में आकर दूसरे लोग भी बिना पढ़े ही काम में
कुशल हो सकते हैं और यह जानना जरूरी है कि काम जीवन का बेहद महत्वपूर्ण पक्ष है।
इसकी शर्म, संकोच आदि की वजह से इसकी उपेक्षा जीवन
में कुंठा बढ़ाता है और गलत मार्ग की ओर प्रेरित करता है।
स्त्रियों
के लिए वात्स्यायन की शिक्षा
स्त्रियों
को काम की शिक्षा देना बेहद जरूरी है, क्योंकि
इस ज्ञान का प्रयोग पुरुषों से अधिक स्त्रियों के लिए जरूरी है। स्त्री को विवाह
से पहले पिता के घर में और विवाह के पश्चात पति की अनुमति से काम की शिक्षा लेनी
चाहिए। वात्स्यायन का मत है कि स्त्रियों को बिस्तर पर गणिका की तरह व्यवहार
करना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन में स्थिरता बनी रहती है। पति अन्य स्त्रियों की
ओर आकर्षित नहीं हो पाता और पत्नी के साथ उसके मधुर संबंध बने रहते हैं। इसलिए
स्त्रियों को यौन क्रिया का ज्ञान होना आवश्यक है ताकि वह कामकला में निपुण हो
सके और पति को अपने प्रेमपाश में बांध कर रख सके।
स्त्रियों
के लिए उचित यह है कि विश्वासपात्र व्यक्ति से एकांत में कामशास्त्र का ज्ञान व
प्रयोग सीखे। इसके पश्चात 64
प्रयोगों का अभ्यास कन्या को एकांत में अकेले करना चाहिए ताकि उन्हें इसमें निपुणता
हासिल हो।
कौन
लोग हो सकते हैं विश्वासपात्र?
आचार्य
वात्स्यान के अनुसार एक कन्या के लिए विश्वसनीय निर्देशक निन्नलिखित लोग हो
सकते हैं-
* धाय की ऐसी कन्या जो साथ में खेली हो
और विवाहित होने के पश्चात पुरुष समागम से परिचित हो* विवाहिता सखी, जिसे संभोग का आनंद प्राप्त हो चुका
हो। साथ में उसका सही बोलने वाली और मधुरबोलने वाली होना जरूरी हो ताकि वह काम का
सही-सही ज्ञान दे सके।* हम उम्र मौसी यानी मां की छोटी बहन* अधेड़ या बुढि़या
दासी* बड़ी बहन, ननद या भाभी
वात्स्यान
द्वारा स्त्रियों के लिए सुझाई गई कामसूत्र की 64 विद्याएं-गीत, वाद्य, नृत्य, चित्र बनाना,
बिंदी व तिलक लगाना सीखना, रंगोली बनाना, घरों को फूलों से सजाना, दांतों, वस्त्रों, केश, नख आदि को सलीके से रखना, घर
के फर्श को साफ रखना, बिस्तर बिछाना, जलतरंग बजाना, जलक्रीड़ा करना, नए सीखने के लिए हमेशा उत्साहित रहना,
माला
गूंथना सीखना, सिर के ऊपर से नीचे की ओर मालाएं
लटकाना व सिर के चारों ओर माला धारण करना, समय
एवं स्थान आदि के अनुरूप शरीर को वस्त्रादि से सजाना, शंख, अभ्रक आदि से वस्त्रों को सजाना, सुगंधित
पदार्थ का उचित प्रयोग, गहने बनाना, चमत्कारी व्यक्तित्व, सुंदरता बढ़ाने के नुस्खे अपनाना, बेहतरीन ढंग से काम करना, स्वादिष्ट भोजना बनाना, खाने के बाद की सामग्री जैसे पान, सोंठ, गीला चूर्ण आदि बनाना, सीना, बुनना और कढाई,
चीणा
व डमरू बजाना, धागों की सहायता से चित्रकारी बनाना, पहेलियां पूछना और हल करना, अंत्याक्षरी करना, ऐसी बातें जो शब्द व अर्ध की दृष्टि
से दोहराने में कठिन हो, पुस्तक पढना, नाटक व कहानियों का ज्ञान, काव्य का ज्ञान, लकड़ी के चौखटे, कुर्सी आदि की बुनाई, विभिन्न धातुओं की आकृतियां बनाना, काष्ठ कला, भवन निर्माण कला,
मूल्यवान
वस्तुओं व रत्नों की पहचान, धातुओं
का ज्ञान, मणियों व रंगों का ज्ञान, उद्यान लगाना, बटेर लडाने की विधि का ज्ञान, तोता मैना से बोलना व गाना सिखाना, पैरों से शरीर की मालिश, गुप्त अक्षरों का ज्ञान, कोड भाषा में बात करना, कई भाषाओं का ज्ञान, फूलों की गाडी बनाना, शुभ अशुभ शकुनों का फल बताना, यंत्र बनाना, सुनी हुई बात, पुस्तक आदि को स्मरण करना, मिलकर पढना, गूढ कविता को स्पष्ट करना, शब्दकोश का ज्ञान, छंद का ज्ञान, काव्य रचना, नकली रूप धरना, ढंग से वस्त्र पहनना, विशेष प्रकार के जुए, बच्चों के खिलौने बनाना,व्यवहार ज्ञान, विजयी होने का ज्ञान, व्यायाम संबंधी विद्या
आचार्य
वात्स्यायन का मत है कि इन कलाओं को जानने वाली नारी पति वियोग में भी इन कलाओं
की मदद से रहना सीख जाती है, उसका
पति उसके गुणों पर मोहित रहता है और अन्य स्त्रियों से संबंध नहीं बनाता, ऐसे स्त्री पुरुष का दांपत्य सदा सफल
रहता है।
नोट-
आज के संदर्भ में इनमें से कई कलाएं सीखने योग्य नहीं है, लेकिन इसका तात्पर्य व्यवहार कुशलता
से जरूर है। एक व्यवहार कुशल स्त्री अव्यवहारिक स्त्री से हमेशा श्रेष्ठ मानी
गई है और यही दांपत्य जीवन की सफलता का सबसे बड़ा राज है।
Source;-internet
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