GST लागू होने के शुरुवाती दौर में टैक्स भरने और हर महीने रिटर्न दाखिल करने में बहुत सारे कारोबारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इन्हीं मुश्किलों को समाप्त करने के लिए सरकार ने GST व्यवस्था को व्यवहारिक बनाने के क्रम में GST Composition Scheme लेकर आई. इस व्यवस्था से कारोबारी वर्ग का काम बहुत हद तक आसान हो सकता है. आइए जानते है की GST Composition Scheme से क्या – क्या लाभ प्राप्त होगा:
GST
Composition Scheme क्या
है?
जीएसटी
कंपोजिशन स्कीम- GST
Composition Scheme एक
ऐसी व्यवस्था है जिसे बिजनेस करने वालों को टैक्स व्यवस्था में राहत देने के एवं
उनकी मुश्किलें आसान करने के लिए लाइ गई है. इस व्यवस्था में टैक्स का एक फिक्स
रेट, एकमुश्त टैक्स पेमेंट और तीन में महीने
सिर्फ एक रिटर्न भरने की व्यवस्था है. जहां पहले कारोबारियों को हर महीने तीन – तीन रिटर्न, लेन – देन की बहुत सारी रसीदें कम्प्यूटर पर उपलोड करना और तमाम टेक्निकल
दिक्कतों के कारण व्यपारी वर्ग को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, वही इस व्यवस्था के लागू होते ही टैक्स
की व्यवस्था आसान हो गई है.
कौन
ले सकता है GST
Composition Scheme का
लाभ?
शुरुवाती
दौर में GST टैक्स सिस्टम की तमाम जटिलताओं से राहत
देने के लिए सरकार ने छोटे कारोबारियों को Composition Scheme अपनाने का विकल्प दिया है. आपको जानकारी होगी
की जिनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 40
लाख से अधिक है उन्हें GST
रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है.
पुरोत्तर राज्यों के व्यापरियों के लिए यह सीमा 20 लाख रूपये है. 40
लाख रूपये से अधिक टर्नओवर वाले कारोबार के लिए GST रजिस्ट्रेशन तो अनिवार्य है लेकिन वो चाहें तो GST की झंझट कम कर सकते हैं . साल में 1.5 करोड लाख तक का कारोबार करने वाले GST कंपोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं.
अपनी सुविधानुसार वे चाहें तो GST की
नार्मल स्कीम के तहत काम करें, चाहें
तो कम्पोजीशन स्कीम के तहत. यह व्यवस्था किसी पर जबरदस्ती थोपी नहीं गई है.
किसको GST कंपोजिशन स्कीम का फायदा कौन नहीं मिल सकता?
एक
राज्य से दूसरे राज्य के बीच व्यापार करने वाले
GST की छूट वाले सामान का कारोबार करने
वाले
तंबाकू, पान मसाला और आइसक्रीम से संबंधित
सामान बनाने वाले
रेस्टोरेंट
के अलावा किसी अन्य सेवा (सर्विस) का बिजनेस करने वाले
ई-कॉमर्स
के माध्यम से अपना मॉल बेचने वाले
सरकार
की ओर अन्य किसी अधिसूचित (नोटिफाई) सामान का बिजनेस करने वाले
GST कंपोजिशन स्कीम के फायदे
जीएसटी
कंपोजिशन स्कीम को अपनाने पर कारोबारियों को निम्नलिखित सुविधाएं मिलती है.. GST की सामान्य स्कीम के तहत कारोबार करने
वालों को हर महीने तीन तरह के रिटर्न भरने जरूरी होते हैं:
बिक्रियों(सेल्स) के लिए-GSTR -1
खरीदारियों के लिए- GSTR – 2
टैक्स का हिसाब करने के लिए- GSTR – 3
लेकिन
GST कंपोजिशन स्कीम लेने वालों को इस तरह
की हर महीने रिटर्न नही भरने हैं. इसके बजाय उन्हें हर तीन महीने में सिर्फ एक GSTR – 4 भरना पड़ता है. इस Quarterly Return में उन्हें हर तिमाही में होने वाले
कुल लेनदेन, कुल कमाई, उस पर टैक्स देनदारी और जमा किए गए GST टैक्स आदि की जानकारी देनी होगी.
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम क्या है? | GST Composition Scheme in Hindi
कौन ले सकता है जीएसटी कंपोजिशन स्कीम?
Who Can Opt
GST Composition Scheme
GST Tax
System की
तमाम जटिलताओं से राहत देने के लिए Government ने छोटे कारोबारियों को Composition Scheme अपनाने का विकल्प दिया है। साल में 1.5 करोड का कारोबार करने वाले जीएसटी
कंपोजिशन स्कीम का फायदा उठा सकते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह सीमा 75 लाख रुपए रखी गई है। अपनी सुविधानुसार
वे चाहें तो GST की Regular Scheme के तहत काम करें, चाहें तो Composition
Scheme के
तहत। बाद में जब कभी चाहें तो कंपोजिशन
स्कीम से रेगुलर स्कीम में जा सकते हैं।
Note1: पूर्वोत्तर के जिन राज्यों में Composition Scheme लेने की योग्यता में छूट मिली हुई है
वे हैं—-Arunachal
Pradesh, Assam, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Sikkim,
Tripura, और Himachal Pradesh।
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम कौन नहीं ले सकता?
Who are not eligible
For GST Composition Scheme?
अगर
आप नीचे दिए गए विकल्पों में से किसी Category में आते हैं तो आप GST Composition Scheme का फायदा नहीं ले सकते-
एक
राज्य से दूसरे राज्य के बीच व्यापार करने वाले| Inter-State Traders or suppliers
जीएसटी
की छूट वाले सामान का कारोबार करने वाले| Traders Of Exempted Goods
तंबाकू, पान मसाला और आइसक्रीम संबंधित सामान
बनाने वाले|
Manufacturers of ice cream and Tobacco products
ई
कॉमर्स के माध्यम से अपना माल बेचने वाले| supplying Goods Through E-Commerce
Casual
taxable person जोकि
कुछ समय के लिए किसी स्थान पर रहकर व्यापार करने आते हैं।
Non-resident
taxable person जोकि
भारत के नागरिक नहीं हैं,
लेकिन यहां कारोबार करते हैं।
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के फायदे
Benefits of
GST Composition Scheme
GST
Composition Scheme को
अपनाने पर करोबारियों को निम्नलिखित सुविधाएं मिलती हैं…
तीन
महीने में सिर्फ एक रिटर्न | One Return in each Quarter
जीएसटी
की सामान्य स्कीम के तहत कारोबार करने वालों को हर महीने GSTR-1 रिटर्न भरना होता है। लेकिन, GST Composition Scheme लेने वालों को तरह हर महीने ये Return नहीं भरने हैं। इसकी बजाय उन्हें हर
तीन महीने में सिर्फ एक GSTR-4 भरना पड़ता है। इस Quarterly Return में उन्हें हर तिमाही में होने वाले
कुल लेन-देन, कुल कमाई, उस पर टैक्स देनदारी और जमा किए गए GST टैक्स आदि की जानकारी देनी होगी।
हालांकि 1.5 करोड रुपए से कम टर्नओवर पर सामान्य
जीएसटी वालों को भी तीन महीने में एक बार जीएसटीआर 1 भरने की छूट है।
रसीदों
को अपलोड करने का झंझट नहीं | No Need to Upload Invoices
composition
scheme में
registered कारोबारियों को न तो अपनी बिक्रियों (Sales) और खरीदारियों (Purchases) का रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है और न ही
उनकी रसीदों (Invoices) को अपने रिटर्न के साथ upload करना होता है। इसके उलट GST की सामान्य स्कीम वालों को हर महीने GSTR-1 में अपनी सभी बिक्रियों का Details देना होता है और उनकी रसीदें भी upload करनी होती हैं।
एकमुश्त
टैक्स और निश्चित रेट|
Lump sum Tax with Fix Rate
Composition
Scheme लेने
वालों को अपने Return के साथ बीते तीन महीनों के दौरान हुई
कुल बिक्री पर एकमुश्त GST
जमा करना है। टैक्स भी एक Fix Rate पर जमा करना है। वस्तुओं का निर्माण या व्यापार करने
वालों (Manufacturers and
traders) को
अपनी कुल तिमाही बिक्री का 1 प्रतिशत GST चुकाना
होगा। 0.1 % CGST के रूप में केंद्र सरकार के खाते में
और 0.5 %, SGST के रूप में राज्य सरकार के खाते में
जमा होगा। रेस्टोरेंट चलाने वालों (Restaurant Operators) को अपनी कुल तिमाही कमाई का 5 प्रतिशत GST चुकाना होगा। 2.5% CGST के रूप में केंद्र सरकार के खाते में
और 2.5%, SGST के रूप में राज्य सरकार के खाते में
जमा होगा। रेस्टोरेंट के अलावा, अगर
आप किसी अन्य किस्म के सेवा कारोबार में हैं तो आपको 6%
GST चुकाना
होगा। इसमें 3% CGST के रूप में केंद्र सरकार के खाते में
और 3 %, SGST के रूप में राज्य सरकार के खाते में
जमा होगा।
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम से नुकसान
Disadvantages
of GST Composition Scheme
जीएसटी
कंपोजिशन स्कीम में आपको कुछ व्यावहारिक फायदे हैं तो थोड़े अार्थिक नुकसान भी हैं…
खरीदारियों
पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं
Can’t get
Input Tax Credit On purchases
GST
Composition Scheme में
खुद को रजिस्टर्ड कराने वालों को Input Tax Credit का फायदा नहीं मिल सकेगा। यानी कि आप
अपनी टैक्स देनदारी में Input
Tax Credit को Adjust करके कुल देनदारी कम नहीं कर सकते। इनपुट टैक्स क्रेडिट: माल खरीदने पर
जितना भी आपने GST चुकाया है, वह आपके Account में Input Tax Credit के रूप में दर्ज हो जाता है। इसे Input Tax Credit इसलिए कहते हैं, क्योंकि
यह आपके यहां लाए गए सामान (input) पर
लगा हुआ Tax होता है और यह Automatically आपके जीएसटी अकाउंट में Credit यानी जमा होती जाती है।
बिक्री
पर जीएसटी भी नहीं वसूल सकते
Cant ‘Charge
GST on Sales of Goods
अगर
आप GST Composition
Scheme के
तहत खुद को Registered कराते हैं तो आपके पास किसी सामान या
सेवा की बिक्री पर GST टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं होगा। आप Composition Dealer होने के आधार पर कोई composition tax भी वस्तुओं की बिक्री पर नहीं वसूल
सकते। इस तथ्य को नीचे दिए गए Example से
बेहतर समझ सकते हैं. An Example: आप
एक रेस्टोरेंट संचालक हैं और अपने कारोबार को GST Composition Scheme के
तहत Registered करवा रखा है। अब आप किसी ग्राहक को Service देते हैं और उसका बिल 200 रुपए का बना। Composition Scheme में होने के कारण आप इस पर न तो अलग से GST वसूल सकते हैं न कोई अन्य टैक्स। आप ग्राहक से सिर्फ 200 रुपए ही ले सकते हैं। बिल की इसी कीमत
के अंदर आपके हर तरह के Tax
शामिल होंगे। इसके उलट जो Normal GST Registered रेस्टोरेंट संचालक हैं, वे वे अपने ग्राहकों के बिल पर 12 फीसदी (Non AC) या
18 फीसदी (With AC) जीएसटी वसूल सकते हैे।
दूसरे राज्यों में माल भेज नहीं सकते
Cant’ Supply
goods to Other State
GST
Composition Scheme लेने
वाले अन्य राज्यों के लिए माल नहीं भेज सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो फिर उन्हें Composite Dealer नहीं माना जाएगा। उन्हें Normal GST Registration को अपनाना होगा। उसके हिसाब से हर
महीने सामान्य रिटर्न (GSTR-1)
भरना होगा। हालांकि, उन्हें दूसरे शहर या राज्य से अपने लिए
माल मंगाने की छूट होगी, बस माल भेजने की छूट नहीं है।
SEZ को माल सप्लाई नहीं कर सकते
Cant’ Supply
goods to SEZ?
Composition
Scheme में
होने पर आप विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में
मौजूद Business units को भी अपने माल की supply नहीं कर सकते, क्योंकि GST System में SEZ को की जाने वाली सप्लाई को अंतरराज्यीय आपूर्ति (inter-State supply) की कैटेगरी में रखा गया है। इन्हें
सिर्फ Normal GST Scheme में रजिस्टर्ड व्यापारी ही माल की Supply कर सकते हैंं।
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में कौन-कौन से रिटर्न भरने पड़ते हैं?
Which Returns
are filed in GST Composition Scheme
जो
व्यापारी GST Composition
Scheme लेते
हैं, उन्हें हर तीन महीने में GSTR-4 भरना पड़ता है। इसके बाद financial Year पूरा होने पर सालाना Return Form GSTR-9A भरना पड़ता है। इस प्रकार उन्हें कुल 5 Return भरने पड़ते हैं।
तिमाही रिटर्न जीएसटीआर-4 CMP 08 Form के बारे में | About GSTR-4 CMP 08 Form
GST
Composition Scheme लेने
वालों को हर तिमाही के बाद यह Return Form को
भरना पड़ता है। बीती तिमाही के दौरान जो भी वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री (Sale) होती हैं, उसकी जानकारी इसमें देनी होती है। साथ
में यह भी बताना पड़ता है कि आपकी Sale के
आधार पर कुल कितना GST बन रहा है। आपने कुल कितना Tax जमा किया है, यह भी भरना पड़ता है। तिमाही के बाद
आने वाले महीने की 18 तारीख तक इसे जमा कर सकते हैं।
रिटर्न
GSTR-4 जमा करने की अंतिम तिथि | Last Date to File GSTR-4
पहली
तिमाही (अप्रैल, मई, जून
) के लिए
For 1st
quarter (April, May, June) 18 July
दूसरी
तिमाही (जुलाई, अगस्त, सितंबर) के लिए
For 2nd
quarter (July, August, September) 18
October
तीसरी
तिमाही (अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर) के लिए
For3rd
quarter (October, November, December)
18 January
चौथी
तिमाही (जनवरी, फरवरी, मार्च) के लिए
For 4th
quarter(Jajnuary, February, March) 18
April
Note: तिमाही बीतने के बाद आपके GST Account में रिटर्न फॉर्म GSTR-4A शो करने लगता है। इसमें आपने जो भी
खरीदारियां (purchases) की होती हैं, उनका विवरण पहले से ही आपके खाते में
दर्ज हो चुका होता है। क्योंकि, आपको
माल बेचने वालों ने उनको अपने मासिक बिक्री (Monthly Sale) वाले रिटर्न फॉर्म GSTR-1
में दर्ज किया हुआ होता है। सही होने पर आप इन्हेंं मंजूर कर सकते हैं। किसी सौदे
के गलत होने पर खारिज भी कर सकते हैं।
सालाना
रिटर्न जीएसटीआर-9A के बारे में | About GSTR-9A
हर Financial Year पूरा होने के बाद आपको अपने सालभर की
की कुल बिक्री को बताने वाला सालाना रिटर्न भरना पडता है। इसे तुरंत बाद शुरू होने
वाले Financial Year में 31 December तक जमा करना अनिवार्य होता है। उदाहरण के लिए, आप जो भी कारोबार वित्तीय वर्ष 2017-18 (1 मार्च2017 से 31 अप्रैल 2018) के दौरान करेंगे, उनका सालाना GST Return form GSTR-9A वर्ष 2018 के 31 दिसंबर तक भरकर जमा करना होगा। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वार्षिक रिटर्न के लिए फॉर्म GSTR-9A फाइल करना वैकल्पिक था। लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में वार्षिक रिटर्न नए फॉर्म GSTR-4 में भरना होगा।
कैसे कराएं जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन?
How to Register
in GST Composition Scheme
GST
Composition Scheme में
रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको जीएसटी पोर्टल पर जाकर cmp-01 form भरना पड़ता है। इसके लिए आपको कुछ
सिंपल से Step अपनाने हैं
वेब
एड्रेस www.gst.gov.in पर जाकर जीएसटी पोर्टल खोलिए
Webpage में उपर की नीली पट्टी में मौजूद services ऑप्शन पर क्लिक करिए
इसमें
पहला विकल्प Registration
का मिलेगा, उस पर क्लिक करिए
रजिस्ट्रेशन
की प्रक्रिया शुरू करिए और form CMP-01
सेलेक्ट कर उसे भर दीजिए
क्या आप कंपोजिशन स्कीम के वास्तव में हकदार हैं?
Are you
eligible to opt the Composition Scheme?
Composition
scheme लेने
के पहले इस बात की ठीक से परख कर लें कि आप इसकी पात्रता (eligibility) रखते हैं कि नहीं। अगर बाद में कभी आप
गलत Registration के दोषी पाए गए तो GST Officer आप पर कार्रवाई भी कर सकता है। छोटे
स्तर के कारोबारी से अगर नियमों की जानकारी न होने के कारण ऐसी गलती होती है तो
उसे अतिरिक्त टैक्स की राशि (differential taxes) जमा करनी पड़ेगी। इस अतिरिक्त राशि पर penalty और ब्याज भी भरना पड़ेगा। अगर आप पर
जानबूझकर ऐसा करने की पुष्टि हुई तो बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।
कंपोजिशन स्कीम के लिए Apply कब?
option to
pay tax under composition
जिस
financial year के लिए आप Composition scheme लेना चाहते हैं उसके शुरू होने के पहले
यानी 31 मार्च तक इसके लिए Registration करा लेना होगा। इसके लिए आपको GST Portal पर जाकर ऑनलाइन FORM GST CMP-02 भरकर Apply करना होगा। अगर आप पहले से रजिस्टर्ड हैं तो भी Composition scheme के लिए 31 मार्च तक इससे जुड़ना होगा। हालांकि, वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कंपोजिशन स्कीम में
रजिस्ट्रेशन की तारीख सरकार ने, बढाकर
30 अप्रैल तक कर दी थी।
स्कीम से अलग होने का विकल्प
Withdraw
voluntarily
आप
जब चाहें Composition
Scheme से
अलग हो सकते हैं। इसके लिए आपको जीएसटी पोर्टल पर जाकर FORM GST CMP-04 भरकर जमा करना होगा। इसके साथ ही आपको
FORM GST ITC-01 में अपने पास स्टॉक मेें मौजूद
वस्तुओं का भी विवरण देना होगा। ताकि, आगे
उनकी बिक्री में सामान्य GST
Scheme के
फायदे आपको मिल सकें।
वित्तीय
वर्ष के बीच मे टर्नओवर पार करने पर…
Crossing the
turnover During the financial Year
अगर
आपने Composition Scheme ले रखी है और Financial Year के बीच में इसके लिए निर्धारित अधिकतम
टर्न ओवर 1.5 करोड रुपए को पार कर जाते हैं तो आपका
Composition Dealer का दर्जा खत्म हो जाएगा। जिस तारीख को
आपके turn over की यह सीमा पार होती है, उससे 7 दिन के अंदर खुद को composition scheme से हटाने के लिए Apply करना होगा। इसके लिए आपको Registration process में जाकर GST CMP-04 को भरना पड़ेगा।
Composition
Scheme से
हटने की तारीख (date of
withdrawal) से
आप अपने माल के स्टॉक पर सामान्य कारोबारी की तरह input tax credit पाने के हकदार बन जाएंगे। GST भी वसूल सकेंगे। इसके लिए आपको 30 दिन के अंदर FORM GST ITC-01 के माध्यम से अपने माल के स्टॉक की
सूची भी उपलब्ध करानी होगी।
बिल पर और बोर्ड पर भी सूचना देना जरूरी
Must Inform
in bills and Board also
GST
Composition Scheme के
तहत खुद को रजिस्टर्ड कराने वाले कारोबारियों को अपने संस्थान के गेट पर या किसी
प्रमुख जगह पर “composition
taxable person” का बोर्ड भी लगाना अनिवार्य है। यह
शर्त इस Scheme को अपनाने वाले सभी Categories के कारोबारियों पर लागू होती है। भले
ही वे चाहे वस्तुओं या सेवाओं का सिर्फ व्यापार करते हों या उनका निर्मांण करते
हों। आपको अपनी बिक्री के बिलों पर ऊपर “not eligible to collect tax on supplies” का उल्लेख भी करना होगा।
कौन सी स्कीम बेहतर? कंपोजिट या गैर कंपोजिट
Which is
Better? Composit Or Normal Scheme
समय
और झंझट के हिसाब से देखा जाए तो Composition Scheme बेहतर है। न आपको बार- बार रिटर्न भरने हैं, न रसीदें जमा करनी हैं, न
ज्यादा तकनीकी व्यवस्थाओं में उलझना है। पैसे के हिसाब से देखा जाए तो Normal Scheme बेहतर है। उसमें आपको अपनी खरीदों पर Input Tax Credit मिल जाती है और बिक्रियों पर GST वसूलने का अधिकार होता है, जिससे आखिरकार आप Composition के मुकाबले ज्यादा फायदे में होते हैं।
GST के तहत जानिए कंपोजीशन स्कीम के बारे में:
जीएसटी
कानून की धारा 10 के के तहत कंपोजीशन स्कीम के
प्रावधानों का प्रावधान है। यह एक ऐसा वैकल्पिक तरीका है जो छोटे करदाताओं के लिए
लागत को कम करने और पालन को आसान बनाने के लिए बनाया गया है। यह इस योजना के तहत
पंजीकृत किसी व्यवसाय या व्यक्ति को अपने कारोबार के विशिष्ट प्रतिशत पर कर का
भुगतान करने की अनुमति देता है। इसमें टैक्स को हर महीने नियमित के बजाय हर तिमाही
देना होगा। जीएसटी के तहत यह संरचना योजना 1.5
करोड़ रुपये से कम के टर्नओवर के करदाताओं के लिए सरकार द्वारा पेश की गई थी। यह
वे करदाता है जो सामान्य करदाता के रूप में पंजीकरण नहीं करना चाहते हैं। ऐसे
करदाता इस योजना के तहत पंजीकृत होने का विकल्प चुन सकते हैं और मामूली दर पर करों
का भुगतान कर सकते हैं।
यह
योजना क्यों शुरू की गई?
:
• छोटे करदाताओं के लिए सीमित अनुपालन
• करों की समय पर वसूली।
• सीमित कर देयता
• करदाताओं के लिए उच्च तरलता
• रिटर्न का त्वरित दाखिल करना
• रिकॉर्ड का आसान रखरखाव
• सरलीकृत चालान और अन्य दस्तावेज
संरचना
योजना के लिए पात्रता :
• निर्माताओं या व्यापारियों के लिए: कर योग्य 1.5 करोड़ तक की छूट, 1 अप्रैल 2019 से लागू
• पूर्वोत्तर राज्यों के निर्माताओं या
व्यापारियों के लिए: 75
लाख तक का कारोबार
• सेवा प्रदाता: 50 लाख तक का कारोबार
GST के तहत कंपोजिशन स्कीम की सीमा एक ही
पैन के तहत पंजीकृत सभी व्यवसायों के टर्नओवर पर आधारित है । यह ध्यान दिया जाना
चाहिए कि एक ही पैन के तहत आने वाले व्यवसायों को नियमित डीलरों या कंपोजिशन स्कीम
डीलरों के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है। इसे दोनों के संयोजन के रूप में
पंजीकृत नहीं किया जा सकता है।
कंपोजीशन
योजना नियम:
GST के तहत कंपोजीशन स्कीम के मामले में निम्नलिखित चीजों का पालन जरूरी हैं।
• इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया
जा सकता।
• रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत किए गए
लेन-देन के मामले में टैक्स का भुगतान सामान्य दरों पर किया जाना आवश्यक है।
• कंपोजीशन स्कीम के तहत विभिन्न
व्यवसायों को सामूहिक रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए।
• व्यापार के स्थान पर, ‘रचना कर योग्य व्यक्ति’ शब्द को हर नोटिस या साइनबोर्ड पर
अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
• जारी किए गए सप्लाई के प्रत्येक बिल पर
‘कंपोजिट टैक्सेबल पर्सन’ शब्द का उल्लेख किया जाना चाहिए।
• सामान की सप्लाई करने वाला पंजीकृत
व्यक्ति योजना के तहत 5 लाख रुपये तक की सेवाएं भी दे सकता
है।
जीएसटी
के तहत कंपोजिशन स्कीम नियमों में विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग फॉर्म जमा
करने की आवश्यकता होती है :
• फॉर्म जीएसटी सीएमपी -01: पूर्व-जीएसटी शासन के तहत पंजीकृत
लोगों के लिए निर्धारित तिथि से पहले या उक्त तिथि के 30 दिनों के भीतर दायर करना होगा।
• फॉर्म जीएसटी सीएमपी -02: जीएसटी के लिए सामान्य करदाताओं को
वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले दायर किया जाना चाहिए।
• फॉर्म GST CMP-03: इसमें पंजीकृत और अपंजीकृत व्यक्तियों से स्टॉक
और आवक सप्लाई की माहिती शामिल है। विकल्प के अभ्यास के 90 दिनों के भीतर दायर किया जाना है।
• फॉर्म जीएसटी सीएमपी -04: यह फॉर्म उस योजना से निकासी (withdrawal) का एक संकेत है जिसे घटना के होने के 7 दिनों के भीतर दर्ज किया जाना है।
• फॉर्म GST CMP-05: किसी उचित अधिकारी द्वारा नियमों या अधिनियम के
उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस, इस
तरह के किसी भी उल्लंघन पर दायर करने की आवश्यकता है।
• फॉर्म जीएसटी सीएमपी -06: यह फॉर्म 15 दिनों के भीतर आवश्यक कारण बताओ नोटिस
का जवाब है।
• फॉर्म जीएसटी सीएमपी -07: यह फॉर्म 30 दिनों के भीतर दाखिल किए जाने वाले
आदेश का एक मुद्दा है।
• फॉर्म जीएसटी REG-01: यह फॉर्म पंजीकरण के लिए है। कंपोजिशन
स्कीम के तहत और नियत तारीख से पहले दाखिल होना आवश्यक है।
• फॉर्म जीएसटी आईटीसी -01: स्टॉक, अर्ध-तैयार और तैयार माल में इनपुट की माहिती शामिल है। नियत तारीख
से वापस लेने के 30 दिन में।
• फॉर्म है फॉर्म GST ITC-03: वित्तीय वर्ष के शुरू होने के 60 दिनों के भीतर।
जीएसटी के तहत संरचना योजना के तहत कर की दरें :
• निर्माताओं और व्यापारियों : टर्नओवर
के 1%
• रेस्तरां (शराब नहीं परोसने वाले) : 5 %
• सेवा प्रदाता : 6 %
कुल
कर प्रतिशत उपरोक्त उल्लिखित सभी मामलों में CGST और SGST के बीच समान रूप से विभाजित है। एक
करदाता को कंपोजीशन स्कीम के लिए योग्यता प्रदर्शित करने के लिए GST पोर्टल पर एक घोषणा पत्र देना होगा। यह
प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रदान किया जाना चाहिए, वर्ष के मध्य में नहीं।
रिटर्न
स्कीम फाइलिंग :
फॉर्म GSTR-4 CMP 08 Form की कंपोजीशन : तिमाही में महीने की 18 वीं तारिख तक दाखिल की जाएगी।
फॉर्म
GSTR-9A: अगले वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक वार्षिक रिटर्न दाखिल किया
जाएगा।
स्कीम
बिलिंग :कंपोजिशन स्कीम के नियमों के अनुसार, डीलर
जीएसटी टैक्स चालान जारी नहीं कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्राहकों से कर
नहीं लिया जा सकता है और डीलर योजना के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर
सकते हैं। कर दायित्व करदाता के उपर है।
जीएसटी
के तहत कंपोजिशन स्कीम के नियमों के मुताबिक, डीलर
को सप्लाई का बिल जारी करना होगा। प्रत्येक बिल में अनिवार्य रूप से “संरचना कर योग्य व्यक्ति का उल्लेख
होना चाहिए, जो सप्लाई पर कर जमा करने के योग्य
नहीं है”।
इस
योजना के लाभ :
• जीएसटी के तहत कंपोजिशन स्कीम में एक
विकल्प है, जिसमें निर्धारित सीमा के तहत टर्नओवर
वाले एक पंजीकृत कर योग्य व्यक्ति, ऐसी
दरों पर कर का भुगतान कर सकता है जो निर्दिष्ट शर्तों के अधीन मौजूदा दर से कम है।
• आम तौर पर वार्षिक रिटर्न के अलावा हर
महीने 3 रिटर्न जमा करने होते हैं। निर्धारित
संख्या में रिटर्न न भरने पर जुर्माना लग सकता है। यह योजना पंजीकृत व्यक्तियों को
त्रैमासिक और वित्तीय वर्ष के अंत में समग्र रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देती है।
• स्कीम धारक को टैक्स इनवॉइस को एक
उपयुक्त विकल्प बनाते हुए जारी करने के बजाय बिल ऑफ सप्लाई जारी करना आवश्यक है।
पूरी प्रक्रिया को परेशानी मुक्त बनाने के लिए आवश्यक माहिती बहुत जरूरी हैं।
छोटे
करदाताओं के लिए कंपोजिशन स्कीम बेहद फायदेमंद है। यह योजना छोटे सप्लायर के हित
को सुनिश्चित करती है और प्रतिस्पर्धी सप्लाई बाजार के साथ योजना धारकों को एक
समान तक प्रदान करती है।
CMP-08 एक तिमाही स्टेटमेंट होता है जिसे
कंपोजीशन टैक्सपेयर्स को भरना होता है. SMS के
जरिए टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करना है GSTN ने
इसका भी तरीका बताया है.
SMS के जरिए GST रिटर्न भरने का तरीका
1. असेसी (assessee) को अपने मोबाइल में ‘NIL <space>C8<space>GSTIN<space>Return
Period’ टाइप
करना होगा और उसे 14409 पर भेजना होगा.
2. SMS भेजने के बाद टैक्सपेयर को 6 डिजिट का वेरिफिकेशन कोड उसके मोबाइल
पर आएगा
3. इस 6 डिजिट कोड को दोबारा 14409 पर
भेजना होगा ताकि NIL फॉर्म CMP-08 कंफर्म हो सके
4. GST पोर्टल टैक्सपेयर्स को मोबाइल, ई-मेल पर Application Reference Number (ARN) भेजेगा
5. टैक्सपेयर GST पोर्टल पर फॉर्म CMP-08 का स्टेटस देख सकता है, जहां
पर ये 'Filed' दिखेगा
6. अगर टैक्सपेयर ने बताए गए तरीके से SMS नहीं भेजा, तो उसका रिटर्न दाखिल नहीं होगा.
कौन
होते हैं कंपोजीशन टैक्सपेयर्स
1. ऐसे टैक्सपेयर्स जिनका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये या इससे कम होता है.
2. ऐसे टैक्सपेयर्स को 1 परसेंट, 5 परसेंट और 6 परसेंट की दर पर GST जमा करना होता है
3. मैन्यूफैक्चरर्स के लिए GST रेट 1 परसेंट, रेस्टोरेंट्स के लिए GST रेट 5 परसेंट और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए GST रेट 6 परसेंट होता है
4. इन टैक्सपेयर्स को केवल तिमाही आधार पर
ही टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है
5. ऐसे टैक्सपेयर्स को इनपुट टैक्स
क्रेडिट का फायदा नहीं मिलता है
6. ऐसे टैक्सपेयर्स टैक्स इनवॉयस भी जारी
नहीं कर सकते
फॉर्म CMP-08 क्या है? [What is CMP-08? In GST]
एक
कंपोजिशन डीलर फॉर्म CMP-08 का उपयोग करेगा, जो किसी दिए गए तिमाही के लिए देय अपने
स्वयं के कर निर्धारण का विवरण या सारांश घोषित करने के लिए एक विशेष Statement-in-challan है। यह कर का भुगतान करने के लिए चालान
के रूप में भी काम करता है। कंपोजीशन डीलर एक डीलर होता है, जिसे वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के
लिए निर्धारित कंपोजिशन स्कीम के तहत पंजीकृत किया गया होता है।फॉर्म CMP-08 के अलावा, एक कंपोजिशन डीलर को एक विशिष्ट
वित्तीय वर्ष के अंत के बाद फॉर्म GSTR-4 के संशोधित प्रारूप के माध्यम से 30 अप्रैल तक अपना वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा। जिन करदाताओं ने या तो फॉर्म GST REG-01 के माध्यम से कर योग्य व्यक्ति के रूप
में पंजीकृत किया है या जिन करदाताओं ने फॉर्म GST CMP-02 के माध्यम से Composition Levy का
विकल्प चुना है, उन्हें फॉर्म GST CMP-08 दाखिल करने की आवश्यकता है।फॉर्म GST CMP-08 को तिमाही आधार पर दाखिल किया जाना
है। फॉर्म जीएसटी सीएमपी -08 दाखिल करने की नियत तारीख इस महीने की
18 वीं तिमाही है या अधिसूचना के माध्यम
से सरकार द्वारा विस्तारित की गई है।
नियत तिथि के भीतर सीएमपी -08 दाखिल न करने पर क्या दंड है?
[What is the penalty for not filing
CMP-08 within the due date?]
यदि
करदाता नियत तारीख पर या उससे पहले अपनी रिटर्न प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो वह देरी (Late) के हर दिन के लिए प्रति दिन 200 रुपये का विलंब शुल्क का भुगतान करने
के लिए उत्तरदायी होगा। यानी सीजीएसटी के तहत प्रति दिन 100 रुपये और एसजीएसटी के तहत 100 रुपये प्रति दिन। IGST अधिनियम CGST और SGST अधिनियम के लिए देर से शुल्क के बराबर राशि निर्धारित करता है यानी
देरी के 200 रुपये प्रति दिन।
करदाता
के वास्तविक रिटर्न फाइलिंग की तारीख से शुरू होने की तारीख से लेट शुल्क शुल्क
अधिकतम 5,000 रुपये के अधीन होगा।
वित्त
वर्ष 2018-19 में कंपोजिशन टैक्सपेयरों के लिए
तिमाही आधार पर फॉर्म GSTR-4
भरना जरूरी था। हालांकि वित्त वर्ष 2019-20 में तिमाही आधार पर रिटर्न फाइल करने
की जरूरत नहीं है। केवल फॉर्म जीएसटी सीएमपी-08 में
हर तिमाही एक स्टेटमेंट फाइल करना होता है।
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