लॉकडाउन
को महामारी अधिनियम 1897 के तहत लागू किया जाता है. ये अधिनियम
पूरे भारत पर लागू होता है. इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी विकराल समस्या के दौरान
होता है. जब केंद्र या राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई संकट या बीमारी
देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों तक पहुंच रही है तो देश व राज्य दोनों
इस अधिनियम को लागू कर सकते हैं. इस अधिनियम की धारा 2 राज्य सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान
करती है. इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारें बीमारी की रोकथाम के लिए अस्थायी नियम
बना सकती हैं. सरकारें ऐसे सभी नियम बना सकती हैं जो बीमारी की रोकथाम में कारगर
साबित हो सकती हैं. इसी नियम के तहत सभी राज्यों में लॉकडाउन का आदेश दिया गया है.
- लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है . इसे किसी आपदा के समय सरकारी तौर पर
लागू किया जाता है. इसमें लोगों से घर में रहने का आह्वान और अनुरोध किया जाता है.
इसमें ज़रूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएं बंद कर दी जाती हैं. दफ़्तर, दुकानें, फ़ैक्टरियाँ और परिवहन सुविधा सब बंद कर दी जाती है. जहां संभव हो
वहां कर्मचारियों से घर से काम करने के लिए कहा जाता है.
- लॉकडाउन में सज़ा का प्रावधान होना
ज़रूरी नहीं है . एक तरह से लॉकडाउन को, बिना
सज़ा के प्रावधान वाला कर्फ़्यू कहा जा सकता है. अगर लोग इसमें बाहर निकलते हैं तो
पुलिस सिर्फ़ उन्हें समझाकर वापस भेज सकती है. उन्हें जेल या जुर्मान नहीं हो
सकता. हालांकि, सरकार लॉकडाउन में भी सख़्ती कर सकती
है.
लॉकडाउन
के क्या नियम हैं?
भारत
में डिजास्टर मैनेजमेंट कानून 2005
नियमों के तहत लॉकडाउन के मामलों से निबटा जाता है. लॉकडाउन के दौरान बिना
इमरजेंसी के घर से बाहर निकलने पर इन धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती
है.
धारा
188 के तहत मिलेगी सजा
लॉकडाउन
के दौरान अगर आप बिना किसी वजह सिर्फ तफरी मारने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो
धारा 188 के तहत आपको 1 महीने की जेल हो सकती है. इस धारा के
तहत आपको जुर्माना और जेल दोनों की सजा हो सकती है. जुर्माने की राशि 200 रुपये तक हो सकती है.
धारा
144 के तहत एक साल की सजा
दिल्ली
समेत कई शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई है. धारा 144 किसी भी जगह पर हालात बिगड़ने की
संभावना को देखते हुए लगाई जाती है. इस वजह से बिगड़ते हालात के कारण नागरिकों को
किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे.
धारा
144 लगे होने के बाद सड़क पर चार से
ज्यादा लोग एक साथ खड़े नहीं हो सकते.
अगर
कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है तो पुलिस उस
व्यक्ति को धारा 107 या धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर सकती है. इसके साथ
ही उसे एक साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है, इस
अपराध में जमानत हो सकती है.
भारत
में लोगों ने अब तक तीन लॉकडाउन देखा है. 23 मार्च 2020 से लॉकडाउन का पहला चरण 21 दिन
के लिए लागू हुआ था. फिर 15
अप्रैल से लॉकडाउन का दूसरा चरण लागू
हुआ और 3 मई से लॉकडाउन का तीसरा चरण लागू हो
गया है, जो 17 मई तक चलेगा.
लॉकडाउन पार्ट 3
कोरोना वायरस के जोखिम के आधार पर देश को तीन भागों रेड, ऑरेंज और ग्रीन में बांटा गया है। तीनों ही श्रेणियों में देश में अंतरराज्यीय यात्रा, विमान एवं ट्रेन सेवाएं 17 मई तक बंद रहेंगी। हालांकि, कुछ अन्य गतिविधियों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में वर्गीकरण के आधार पर अनुमति दी गई है। संक्रमण के मामलों के आधार पर जिलों को जोन में बांटा गया है। जहां 21 दिन से कोई मामला नहीं आया है, ऐसे जिलों को ग्रीन जोन में रखा गया है। नियंत्रित मामलों वाले जिले ऑरेंज जोन में और ज्यादा मामले वाले जिले रेड जोन में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, शुक्रवार को देश में 130 रेड जोन, 284 ऑरेंज जोन और 319 ग्रीन जोन जिले थे। सबसे ज्यादा 19 रेड जोन जिले उत्तर प्रदेश में और 14 महाराष्ट्र में हैं। दिल्ली के सभी जिले रेड जोन में हैं।
लॉकडाउन पार्ट 3
कोरोना वायरस के जोखिम के आधार पर देश को तीन भागों रेड, ऑरेंज और ग्रीन में बांटा गया है। तीनों ही श्रेणियों में देश में अंतरराज्यीय यात्रा, विमान एवं ट्रेन सेवाएं 17 मई तक बंद रहेंगी। हालांकि, कुछ अन्य गतिविधियों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में वर्गीकरण के आधार पर अनुमति दी गई है। संक्रमण के मामलों के आधार पर जिलों को जोन में बांटा गया है। जहां 21 दिन से कोई मामला नहीं आया है, ऐसे जिलों को ग्रीन जोन में रखा गया है। नियंत्रित मामलों वाले जिले ऑरेंज जोन में और ज्यादा मामले वाले जिले रेड जोन में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, शुक्रवार को देश में 130 रेड जोन, 284 ऑरेंज जोन और 319 ग्रीन जोन जिले थे। सबसे ज्यादा 19 रेड जोन जिले उत्तर प्रदेश में और 14 महाराष्ट्र में हैं। दिल्ली के सभी जिले रेड जोन में हैं।
good information
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