टीडीएस का Full Form
है ‘Tax Deducted at Source’. जिसका हिन्दी में मतलब है ‘स्रोत पर टैक्स कटौती’। आपकी कमाई का स्रोत कौन होता है, वो Company या संस्थान जहां आप काम करते हैं। या
फिर वो Firm जो
आपको आपकी किसी सेवा के बदले में Payment कर रही है। टीडीएस सिस्टम में होता यह
है कि ये सैलरी या पेमेंट देने वाले संस्थान, आपको payment देने से पहले ही आपका टैक्स काट लेते
हैं। बची हुई रकम आपको Salary या Payment के रूप में दे देते हैं। इस तरह आपकी कमाई के Source पर ही टैक्स की कटौती हो गई। तो इसलिए
इस व्यवस्था को टैक्सेशन की भाषा में ‘Tax Deducted at Source’ यानी ‘स्रोत पर कर कटौती’ का नाम दिया गया है। दरअसल ये Tax
Payment के कई तरीकों में से एक तरीका है। इसके
अलावा Advance Tax और self assessment
tax भी पेमेंट के
तरीके हैं।
आयकर की धारा 80 सी क्या है? कितनी टैक्स छूट मिलती है? Section 80C Deductions
आयकर
अधिनियम 1961 के तहत, एक निश्चित आय से अधिक कमाने वाले लोगों को इनकम टैक्स भरना होता है।
लेकिन, इस अधिनियम में कुछ ऐसे खर्चे और निवेश
तय किए गए हैं, जो अधिक आय का हिस्सा होने के बावजूद
टैक्स छूट के हकदार होते हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय तरीका है धारा 80 सी के तहत निवेश विकल्पों में पैसा
लगाना या इस छूट के लिए अधिकृत मदों में खर्च करना। इस लेख में हम जानेंगे कि धारा
80 सी क्या है? इससे आयकर में छूट पाने में क्या मदद
मिलती है? कितनी मिलती है, और कैसे मिलती है? और यह भी कि धारा 80 सी के तहत किन-किन विकल्पों में निवेश
किया जा सकता है।
धारा
80 सी क्या है?
What is
section 80 C
भारत
में टैक्स निर्धारण संबंधी जो भी कानून लागू हैं वे सभी आयकर अधिनियम 1961 के तहत हैं। यह अधिनियम कानून 1 अप्रैल 1962 को देश भर में प्रभावी हुआ था।
हालांकि हर साल सरकार इसमें जरूरत के हिसाब से परिवर्तन और संशोधन करती रहती है।
जरूरत पड़ने पर नए नियम भी जोडे जाते हैं।
यह
अधिनियम इस संबंध में दिशा-निर्देश देता है कि किस व्यक्ति या संस्था को किस हिसाब
से टैक्स चुकाना है, कैसे चुकाना है और न चुकाने के स्थिति
में क्या कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कि इनकम टैक्स छूट योग्य आय से ज्यादा
आय होने पर भी किन खर्चों और निवेशों पर आप इनकम टैक्स में अलग से छूट प्राप्त कर
सकते हैं।
ये
टैक्स चुकाने, टैक्स न चुकाने पर कार्रवाई, अतिरिक्त टैक्स छूट पाने वगैरह के नियम
कुल 298 धाराओं में बंटे हुए हैं। धारा 80सी भी इनमें से एक धारा है, जो यह बताती है कि किन-किन निवेश
उपायों में लगाए गए पैसों पर आपको टैक्स नहीं चुकाना है। और यह भी कि कुल कितने
निवेश पर आपको यह टैक्स छूट मिलेगी।
धारा
80 सी के तहत आयकर छूट की सीमा
Tax
Deduction Limit Through 80 C
आयकर
की धारा 80 सी के तहत फिलहाल 1.5 लाख रुपए के सालाना निवेश पर अतिरिक्त
टैक्स छूट पाने की सुविधा मिलती है।
बशर्ते कि ये 1.5 लाख रुपए उन निवेश विकल्पों में लगाए
गए हों, जिन्हें आयकर की धारा 80 सी के तहत निर्दिष्ट किया गया हो। और
यह छूट आपको उस छूट से अलग मिलती है, जोकि
आपको सरकार की ओर से जारी उस वर्ष के टैक्स स्लैब के हिसाब से मिलती है।
उदाहरण
के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान जो टैक्स स्लैब है, उसमें सामान्य करदाताओं को 2.5 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स
नहीं लगना है। तो, आपकी आमदनी का यह हिस्सा (शुरुआती 2.5 लाख रुपए) पहले ही टैक्स मुक्त है। अब
जो इस 2.5 लाख रुपए से उूपर की आमदनी है, उसमें धारा 80 सी या अन्य टैक्स छूट वाले निवेशों व
खर्चों को (उनकी तय लिमिट के अनुसार) भी बाहर करना है।
यहां
यह भी ध्यान रखने लायक है कि धारा 80 सी
के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश आप चाहें तो
किसी एक योजना में कर दें,
या फिर कई योजनाओं में। सारे निवेशों
को मिलाने के बाद उसमें से सिर्फ 1.5
लाख रुपए तक के हिस्से पर ही टैक्स छूट मिलेगी। ऐसा नहीं हो सकता कि सभी योजनाओं
में आप 1.5-1.5 लाख रुपए निवेश करके उनके टोटल पर
टैक्स छूट प्राप्त कर लें। 1.5
लाख रुपए से ज्यादा इन योजनाओं में जो भी निवेश होगा, उस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से
टैक्स की गणना होगी।
80 सी के तहत किन निवेशों पर मिलती है
टैक्स छूट
Which
investments are included under 80 C
आयकर
की धारा 80 सी के तहत निम्नलिखित निवेश विकल्पों
में हुए कुल 1.5 लाख रुपए तक के खर्चो या निवेश को
टैक्स छूट का लाभ मिलता है—
कर्मचारी
भविष्य निधि (ईपीएफ) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ)
Employees’
Provident Fund (PF) & Voluntary Provident Fund (VPF)
लोक
भविष्य निधि .पीपीएफ. योजना
Public
Provident Fund (PPF)
जीवन
बीमा प्रीमियम के लिए किया गया भुगतान
Payment For
Life Insurance Premiums
होम
लोन की किस्तों में मूल धन वाला हिस्सा
Home Loan
Principal Repayment
सुकन्या
समृद्धि योजना खाता में जमा
Sukanya
Samriddhi Account Scheme
राष्ट्रीय
बचत प्रमाणपत्रों में लगाया गया पैसा
National
Savings Certificate (NSC)
नेशनल
पेंशन सिस्टम में किया गया योगदान
Contributions
to National Pension System (NPS)
वरिष्ठ
नागरिक बचत योजना में किया गया निवेश
Senior
Citizen Savings Scheme 2004 (SCSS)
बैंक
में पांच साल के लिए की गई एफडी
Five-year
Bank Fixed Deposits (FDs)
पोस्ट
आॅफिस में पांच साल के लिए किया गया टर्म डिपॉजिट
Five-year
Post Office Time Deposit (POTD) Scheme
यूनिट
लिंक्ड लाइफ इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)
Unit-linked
Insurance Plan (Ulip)
2 बच्चों की पढाई की फीस (सिर्फ टयूशन
फीस वाला हिस्सा)
Payment of
Tuition Fees for two children
इक्विटी
लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएसएस)
Equity
Linked Savings Scheme (ELSS)
बुनियादी
निर्माण योजनाओं के संबंध में जारी बांड में निवेश
Investment
in Infrastructure Bonds
धारा
80 सी से टैक्स छूट की गणना का उदाहरण
An example
of tax deduction through 80 C
मान
लेते हैं कि राजीव एक प्राइवेट फर्म में मैनेजर है और उसे 50 हजार रुपए प्रति माह सेलरी मिलती है।
इस तरह से उसकी सालाना (12 महीने की) सेलरी मिली 6 लाख रुपए।
राजीव
की कुल सालाना आमदनी= 600000 रुपए
अब
चूंकि वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने सभी सेलरीड
कर्मचारियों को 40 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया
है। यानी कि कोई भी कर्मचारी अपनी सालाना सेलरी में से पहले एकमुश्त 40 हजार रुपए घटाकर टैक्स की गणना करेगा।
राजीव की सालाना सेलरी में से 40
हजार स्टैंडर्ड डिडक्शन घटाने पर बचे सिर्फ 600000-40000 .. 5 लाख 60 हजार
स्टैंडर्ड
डिडक्शन के बाद बची आमदनी= 560000
राजीव
को सालाना 2.5 लाख रुपए की सेलरी (0 फीसदी टैक्स दर) पर सरकारी टैक्स
स्लैब के हिसाब से टैक्स छूट अपने आप मिलेगी। तो
शून्य टैक्स वाला हिस्सा (2.5
लाख रुपए) घटाने पर राजीव की आमदनी बची— 560000-250000=310000 रुपए।
टैक्स
मुक्त आय घटाने पर बची आमदनी—310000
रुपए
ये
वह आमदनी है (3 लाख 10 हजार रुपए),
जिस पर राजीव का टैक्स कटना है। लेकिन, अब भी उसके पास इनकम टैक्स एक्ट की
धाराओं के हिसाब से विभिन्न निवेशों और खर्चों पर भी टैक्स छूट पाने का अधिकार है।
धारा 80 सी भी उनमें से एक है। इस सेक्शन में
उल्लेख किए गए निवेशों और खर्चों पर अधिकतम 1.50
लाख रुपए को टैक्स छूट अलग से मिल सकती है। बशर्ते कि उसने संबंधित वित्तीय वर्ष
के दौरान इस तरह के निवेश/खर्चे किए हों।
मान
लेते हैं कि राजीव ने ऐसे 3 निवेश किए हैं जो उसे सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट दिला सकते हैं—
1. राजीव के 6 हजार रुपए महीना ईपीएफ में कटा है, जो सालाना (12 महीने) के हिसाब से बैठता है — 72000 रुपए।
ईपीएफ
में निवेश— 72000 रुपए
2.राजीव ने जीवन बीमा करवा रखा है, जिसमें वह सालाना 50 हजार रुपए का प्रीमियम भरता है
जीवन
बीमा में निवेश — 50000 रुपए
3.राजीव ने अपनी बच्ची के नाम सुकन्या
समृद्धि खाता खुलवा रखा है,
जिसमें वह सालाना 60 हजार रुपए जमा करता है।
सुकन्या
समृद्धि योजना में निवेश—
60000 रुपए
तो
राजीव का धारा 80 सी के तहत हुए निवेश की कुल मात्रा हो
गई— (72000+ 50000+600000=
182000 रुपए।
सेक्शन
80 सी के तहत कुल निवेश—182000 रुपए
अब
नियमानुसार राजीव सेक्शन 80 सी के तहत हुए कुल निवेश (182000 रुपए) में से 1.5 लाख रुपए को भी टैक्स डिडक्शन (कर
कटौती) में शामिल कर सकता है। यानी कि उसे 1.5
लाख रुपए पर टैक्स छूट और मिल जाएगी। 3
लाख 10 हजार रुपए में से इन 1.50 लाख रुपयों को बाहर करने पर बचे- 1 लाख 60 हजार।
सेक्शन
80 सी के निवेश घटाने के बाद बची आमदनी—160000 रुपए
अब
अगर, राजीव ने किसी और सेक्शन के तहत टैक्स
मुक्त निवेशों या खर्चों में पैसा नहीं लगाया है तो उसे अपने 1 लाख रुपए 60 हजार रुपयों पर टैक्स का हिसाब लगाकर
सरकार को अदा करना होगा। अगर उसने अन्य
सेक्शन के तहत टैक्स मुक्त निवेशों में पैसा लगाया है तो फिर उनके लिए भी अतिरिक्त
करछूट प्राप्त कर सकता है। जैसे कि सेक्शन 80 डी
के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर, सेक्शन
80 ई के तहत एजुकेशन लोन पर किए गए
निवेशों पर कुछ तय लिमिट में इनकम टैक्स छूट मिलती है।
इनकम
टैक्स एक्ट में ऐसी तमाम धाराएं (Sections) हैं, जिनके हिसाब से निवेश करने पर आप अपनी 7 लाख तक की सालाना आमदनी को बिल्कुल
टैक्समुक्त रख सकते हैं।
आयकर की धारा 87 a क्या है? इससे टैक्स छूट कैसे मिलती है? section 87 a tax benefits
इनकम
टैक्स की गणना में अक्सर लोग टैक्स छूट और टैक्स कटौतियों पर ही फोकस करते हैं।
टैक्स गणना के दौरान एक छोटी, लेकिन
महत्वपूर्ण भूमिका टैक्स रिबेट की होती है, जो
छोटे करदाताओं को उनका इनकम टैक्स सीधा—सीधा
2500 रुपए तक कम कर देता है। भारत में यह
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87 a के
तहत यह सुविधा मिलती है। इस लेख में हम आयकर की धारा 87 a 2017-18 और इसके तहत मिलने वाले रिबेट यानी
टैक्स छूट को समझेंगे।
क्या
है आयकर की धारा 87 a ?
What is
Section 87a In Income Tax Act
आयकर
की धारा 87a, प्रत्येक ऐसे भारतीय नागरिकों को इनकम
टैक्स में 2500 रुपए तक की रिबेट (टैक्स गणना के बाद
की छूट) प्रदान करती है, जिनकी सालाना कुल आय (टैक्सेबल आय) 3.5 लाख रुपए तक हो (अधिक न हो)।
See also: आयकर की धारा 80 सी क्या है? इससे कितनी टैक्स छूट मिलती है?
See also: आयकर की धारा 80 डी क्या है? इससे कितनी टैक्स छूट मिलती है?
See also: बजट 2018-19 में टैक्स छूट संबंधी घोषणाएं
धारा
87 a में शामिल तथ्यों की व्याख्या
Explanation
of Terms of Section 87 a
इस
नियम को और इससे मिलने वाली टैक्स छूट को समझने के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर गौर
करें—
रिबेट
(Rebate) क्या होता है?
कुल
आमदनी (Total Income) से आशय?
धारा
87 ए से रिबेट के रूप में मिलती है टैक्स
छूट
Tax relief
as a rebate through section 87a
87 a के तहत 2500 रुपए की टैक्स छूट आपको टैक्स रिबेट के रूप में मिली है। टैक्स छूट
या टैक्स कटौती के रूप में नहीं। रिबेट यानी कि ऐसी टैक्स छूट जोकि इनकम टैक्स की
गणना होने के बाद कुल इनकम टैक्स में से कम कर दी जाती है। उदाहरण के लिए मान लेते
हैं कि आपकी सालाना आमदनी पर कुल 4000
रुपए टैक्स बन रहा है। तो धारा 87 a के
तहत आपको इस टैक्स देनदारी में से 2500 की
रिबेट (टैक्स कम करके) देना होगा। यानी कि आपको सिर्फ 1500 रुपए ही इनकम टैक्स देना है।
साढे
तीन लाख रुपए तक आमदनी पर ही 87 ए
का लाभ
Tax benefit
only when income under 3.5 lacs
धारा
87 a की टैक्स छूट की पात्रता का निर्धारण
करने में, उस व्यक्ति की Total Income यानी सकल आय 3.5 लाख रुपए तक होने की जरूरत बताई गई
है। यह Total income क्या है, इसको लेकर कई बार कन्फ्यूजन की स्थिति होती है। अक्सर लोग इसे करदाता
की कुल सकल सालाना आमदनी को मान बैठते हैं। दरअसल टैक्स की भाषा में कुल आमदनी (Total Icome) का मतलब है, वह आय जो टैक्स छूट और टैक्स कटौतियों
के बाद आपके हाथ मे बची है यानी कि जिस पर इनकम टैक्स की गणना की जा सकती है।
सिर्फ ऐसी 3.50 लाख रुपए तक की आय जिसकी हो, वह धारा 87ए के तहत टैक्स छूट लेने का पात्र है।
कुल
आमदनी और सकल कुल आमदनी में अंतर
Total Income
And Gross Total Income
एक
बात दिमाग में स्पष्ट रूप से बैठा लें—Total Income का अर्थ taxable
income से
है यानि कि पहले गैर टैक्स वाली आय (जैसे, कृषि
आय) और शून्य टैक्स स्लैब वाली बेसिक आय को निकालने के बाद, तथा
धारा 80C से धारा 80U तक की कटौती घटाने के बाद। कुछ लोग सकल आय (Total income) का अर्थ कटौती से पहले की आय से लगा
रहे हैं जो कि गलत है। यही Gross Total income (सकल कुल आय) व Total Income (सकल आय) में अंतर है।
सिर्फ
भारतीय नागरिक ही धारा 87ए के लाभ के पात्र
Only Indian
Citizen is allowed to get Benefit
धारा
87 a के तहत जो यह 25000 रुपए का रिबेट है, वह सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए ही
है। विदेशी नागरिकता वालों के लिए नहीं। विदेश की नागरिकता ले चुके भारतीय नागरिक
भी इस धारा के तहत टैक्स छूट लेने के लिए पात्र नहीं हैं। दरअसल सरकार ने रिबेट की
सुविधा छोटे भारतीय करदाताओं को राहत देने के मकसद से शुरू की है।
धारा
87 ए का सरचार्ज और सेस से संबंध
section 87a,
Surcharge And Cess
धारा
87 ए का लाभ लेने वाले व्यक्तियों पर
सरचार्ज लगने की नौबत ही नहीं हो सकती क्योंकि सरचार्ज सिर्फ बहुत बड़े करदाताओं
पर लगाया जाता है, जो कि फिलहाल कम से कम 50 लाख रुपए की कुल आमदनी वालों पर लगता
है। जबकि 87 ए का रिबेट सिर्फ 3.5 लाख की कुल टैक्सेबल आमदनी वालों के
लिए ही मान्य है।
लेकिन, सेस यानी कि एजुकेशन सेस चूंकि, हर करदाता को देना पड़ता है तो यह
रिबेट के साथ हो भी सकता है और नहीं भी। अगर आपकी टैक्सेबल इनकम पर जो इनकम टैक्स
की गणना बनी है, वह 2500 तक या इससे कम है तो इस पर पूरा का पूरा आपको रिबेट मिल जाएगा। यानी
कि आप पर इनकम टैक्स कुछ बचा ही नहीं। जब इनकम टैक्स ही नहीं बना तो उसके प्रतिशत
के रूप में सेस कहां बन पाएगा।
सेस
की गणना तो तब हो सकती है,
जबकि कुछ न कुछ इनकम टैक्स देने की
बारी आ रही हो।
टैक्स
की गणना में 87 ए का क्रम
Step of 87 a
in Tax Calculation
इनकम
टैक्स की गणना और अंतिम रूप से टैक्स देनदारी तय करने में आपको निम्नलिखित क्रम से
चलना पड़ता है-
बगैर
टैक्स योग्य आमदनी को बिल्कुल से बाहर रख दीजिए
टैक्स
स्लैब के हिसाब से मिली बेसिक टैक्स छूट को बाहर करें
सेक्शन
80 सी से सेक्शन यू तक की टैक्स कटौतियां
बाहर करें
इनकम
टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना कर लें
निकले
टैक्स में से सेक्शन 80 सी के तहत रिबेट को घटा दें
जो
बचा है, उसके प्रतिशत के रूप में सेस को निकाल
लें
इनकम
टैक्स में सेस को जोड लें,
यही आपकी टैक्स देनदारी है।
आयकर की धारा 80 डी क्या है? कितनी टैक्स छूट मिलती है? Section 80D Deductions
इनकम
टैक्स एक्ट की धारा 80 डी, हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिकल बीमा पर हुए निवेश और खर्चों पर टैक्स
छूट के संबंध में है। धारा 80 डी
के अनुसार, आप अपने और अपने परिवार के हेल्थ
इंश्योरेंस या मेडिकल बीमा पर हुए खर्चों में 25
हजार से 1 लाख रुपए तक (वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान लागू) की छूट प्राप्त कर सकते हैं।
यह
छूट उस छूट से अलग होती है,
जो आपको इनकम टैक्स स्लैब में टैक्स
मुक्त आय सीमा (वित्त वर्ष 2018-19) में
2.5 लाख रुपए, के हिसाब से मिलती है। यानी कि टैक्स
स्लैब की छूट को प्राप्त करने के बाद आप अपने और अपने हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अलग
से 1 लाख रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट
प्राप्त कर सकते हैं।
उल्लेखनीय
है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस पर कुल 60 हजार रुपए तक के खर्च को ही धारा 80 डी के हिसाब से टैक्स छूट के लिए
शामिल किया जा सकता था, जिसे बजट 2018 में बढाकर 1 लाख रुपए तक कर दिया गया है। यह छूट आपको किस हिसाब से मिल सकती है, आइए जानते हैं—
दो
प्रकार के मेडिकल बीमा खर्चों पर मिलती है टैक्स छूट
2 ways of
tax benefits on health insurance
धारा
80 डी के हिसाब से टैक्स छूट आपको
सीधे.सीधे 1 लाख रुपए पर नहीं मिल जाती। बल्कि,
दो
हिस्सों में बंटकर मिल सकती है—
25 हजार से 50 हजार तक आपके खुद के और अपने परिवार
(पति-पत्नी व बच्चे) के लिए कराए गए हेल्थ इंश्योरेंस के लिए।
25 हजार से 50 हजार तक अपने माता-पिता (चाहे वे आप
पर आश्रित हो या न हों) के लिए कराए गए
हेल्थ इंश्योरेंस के लिए
ये 25 से 50 हजार की टैक्स छूट और उसके 1
लाख तक पहुंचने का हिसाब हम नीचे दिए गए पैराग्राफ में बता रहे हैं।
Must See: धारा 80 सी क्या है?
इससे टैक्स बचत कितनी हो सकती है?
See also: आयकर की धारा 87 a क्या है? इससे कितनी टैक्स छूट मिलती है?
See also: बजट 2018-19 में टैक्स छूट संबंधी घोषणाएं| Tax Announces
खुद
और अपने परिवार के हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट
Benefits on
health Insurance of Self & family
खुद
या खुद के परिवार के हेल्थ इंश्योरेंस पर कब आपको 25 हजार पर टैक्स छूट मिलेगी और कब 50 हजार पर, इससे संबंधित नियम इस प्रकार हैं—
25 हजार पर टैक्स छूट कब?
सामान्य
रूप से (60 वर्ष से कम उम्र होने पर) आप खुद के
लिए या अपने परिवार (पति-पत्नी और बच्चों) के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान के 25 हजार रुपए पर टैक्स छूट प्राप्त कर
सकते हैं। इससे ज्यादा जो भुगतान किया है, उस
पर टैक्स स्लैब के हिसाब से आयकर गणना होगी।
50 हजार पर टैक्स छूट कब?
लेकिन, अगर आपकी खुद, या आपके परिवार का कोई सदस्य
(पति-पत्नी या संतान) में से कोई सीनियर सिटिजन (60 वर्ष या अधिक उम्र वाला) है तो आप हेल्थ इंश्योरेंस पर हुए 50 हजार तक के खर्च पर टैक्स छूट प्राप्त
कर सकते हैं। खर्च सीमा में यह बढोतरी वित्त वर्ष 2018-19 से लागू है,
, जिसकी घोषणा बजट
2018 के बजट में की गई थी।
माता-पिता
के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट
Tax benefits
on health Insurance of parents
अपने
माता-पिता या कानूनी अभिभावक के हेल्थ इंश्योरेंस भुगतान पर कब आपको 25 हजार पर टैक्स छूट मिलेगी और कब 50 हजार पर, इससे संबंधित नियम इस प्रकार हैं—
25 हजार पर टैक्स छूट कब?
अपने
माता-पिता .आश्रित हों या न हों. के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर किए गए भुगतान
के 25 हजार रुपए पर टैक्स छूट प्राप्त कर
सकते हैं। इससे ज्यादा जो भुगतान किया है, उस
पर टैक्स स्लैब के हिसाब से आयकर गणना होगी।
50 हजार पर टैक्स छूट कब?
लेकिन, अगर आपके माता-पिता में से कोई एक या
दोनों सीनियर सिटिजन (60 वर्ष या अधिक उम्र वाला) हैं तो आप
हेल्थ इंश्योरेंस पर हुए 50 हजार तक के खर्च पर टैक्स छूट प्राप्त
कर सकते हैं। खर्च सीमा में यह बढोतरी वित्त वर्ष 2018-19 से लागू है, जिसकी घोषणा बजट 2018 के
केंद्रीय बजट में की गई थी।
आयकर
की धारा 80 डी से टैक्स बचत की चार स्थितियां
4 option of
Tax Benefits Through Section 80D
उूपर
बताए गए नियमों से स्पष्ट होता है कि आप ज्यादा से ज्यादा कुल 1 लाख रुपए तक हेल्थ इंश्योरेंस प्राप्त
कर सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस पर अंतिम रूप से, किस स्थिति में, कितनी
टैक्स बचत आप कर सकते हैं,
इस संबंध में कुल चार तरह की स्थितियां
बनती हैं।
1 लाख तक के खर्च पर टैक्स बचत
आपकी
खुद की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो, या आपके परिवार क किसी सदस्य की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो। साथ ही साथ आपके
माता-पिता में से किसी एक,
या दोनों की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो तो आप 1 लाख रुपए तक के हेल्थ इंश्योरेंस
खर्च पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। (50
हजार तक अपने व अपने परिवार के लिए +50
हजार तक अपने माता-पिता के लिए)
75 हजार तक के खर्च पर टैक्स बचत
आपकी
और आपके परिवार के सभी सदस्य 60
वर्ष से कम उम्र के हों, लेकिन आपके माता-पिता में से किसी की
उम्र 60 वर्ष से अधिक हो तो आप 75 हजार रुपए तक के हेल्थ इंश्योरेंस पर
टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। (25
हजार तक अपने व अपने परिवार के लिए +50
हजार तक अपने माता-पिता के लिए)
50 हजार तक के खर्च पर टैक्स बचत
आप
और आपके परिवार के सभी सदस्य 60
वर्ष से कम उम्र के हैं और आपके माता-पिता भी 60 वर्ष से कम उम्र के हैं तो भी आप 50 हजार रुपए तक के हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट पा सकते हैं। (25 हजार तक अपने व अपने परिवार के लिए +25 हजार तक अपने माता-पिता के लिए)
आपकी
या आपके परिवार के किसी सदस्य की उम्र 60
वर्ष से अधिक है, और आपके माता-पिता नहीं हैं तो आप
अधिकतम 50 हजार रुपए तक टैक्स छूट ही प्राप्त कर
सकते हैं। (50 हजार तक अपने व अपने परिवार के लिए +00 (Nil) अपने माता-पिता के लिए)
25 हजार तक के खर्च पर टैक्स बचत
अगर
आप और आपके परिवार के सभी सदस्य 60
वर्ष से कम उम्र के हैं और आपके माता-पिता नहीं हैं तो आप अधिकतम 25 हजार रुपए के हेल्थ इंश्योरेंस भुगतान
पर ही टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैंं। (25
हजार तक अपने व अपने परिवार के लिए +00 (Nil) अपने माता-पिता के लिए)
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