जीएसटी (GST), भारत के कर
ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष
कर कानून है (Indirect Tax) है। जीएसटी एक
एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर
अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service
Tax), वैट
(Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक
ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा
अप्रत्यक्ष कर (Indirect
Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों
द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका
उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन
(बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर
संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर)
को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।
GST लागू होने से
पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी
वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी
जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर
सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की
व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।
आइए एक नजर में जानें इस टैक्स विशेष के बारे में...
1- जीएसटी लागू
होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम
ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल
ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट / सेल्स
टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स
खत्म हो जाएंगे.
2- जीएसटी लागू
होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे. पहला
सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जो केंद्र सरकार वसूलेगी. दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर
वसूलेगी. तीसरा होगा वह जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर
आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा. इसे
केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया
जाएगा.
4. जीएसटी लागू
होने से हर प्रकार की खरीद फरोख्त इस कर व्यवस्था के तहत आ जाएगी, जिससे लोगों के लिए करों की चोरी कर पाना आसान
नहीं होगा. कहा जा रहा है कि जीएसटी काले धन से निपटने के लिए एक मजबूत हथियार
साबित होगा.
5- सरकार के
अनुसार, जीएसटी आज़ादी के बाद टैक्स सुधार का सबसे बड़ा
कदम है. इससे जीडीपी में वृद्धि और रोज़गारों का सृजन होगा. 13वें केंद्रीय वित्त आयोग के अनुसार जीएसटी से कर
संकलन में हो रहे कई तरह के व्यर्थ के खर्चों को रोकने में भी इससे सहायता मिलेगी
और इससे राज्यों की आर्थिक हालात में सुधार होगा.
6- विश्व के लगभग 160 देशों में
जीएसटी की कराधान व्यवस्था लागू है. भारत में इसका विचार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार
द्वारा साल 2000 में लाया गया.
7- जानकारों की
राय में शुरुआती तीन सालों में जीएसटी महंगाई बढ़ाने वाला टैक्स साबित होगा, जैसा मलेशिया और अन्य देशों के उदाहरणों से
स्पष्ट है. अभी हम सारी सेवाओं पर लगभग 14.5 फीसदी सर्विस टैक्स दे रहे हैं, जो जीएसटी लागू होने पर 18% से 22% के बीच हो
जाएगा. यानी कि जीएसटी लागू होने के बाद सिनेमा हॉलों के टिकट, होटल का बिल, बैंकिंग सेवा, यात्रा टिकट
आदि महंगी हो जाएंगी.
क्या है जीएसटी?
जीएसटी का पूरा नाम है गुड्स एंड सर्विस टैक्स। यह एक अप्रत्यक्ष कर (इंडायरेक्ट टैक्स) है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर पूरे देश में एक समान टैक्स लगाया जाता है। जीएसटी लागू होने से पहले वस्तुओं और सेवाओं पर केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार के कई टैक्स लगाये जाते थे। इन टैक्स में प्रमुख थे: सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट / सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स, आदि। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से ये सभी टैक्स ख़त्म हो गये और इनकी जगह पूरे देश में सिर्फ एक टैक्स ‘जीएसटी’ लगने लगा। यानी “एक देश, एक कर, एक बाजार”।
कितने तरह के हैं जीएसटी
जीएसटी तीन तरह के हैं:
- सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी): सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जिसे केंद्र सरकार वसूल करती है।
- एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी): एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जिसे राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूल करती है।
- आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी): कोई कारोबार अगर एक से अधिक राज्यों के बीच होता है तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूल किया जाता है। इसे केंद्र सरकार वसूल करती है और सम्बंधित राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाता है।
जीएसटी व्यवस्था में टैक्स की दर
जीएसटी व्यवस्था में सभी वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दरों को 5 स्लैब में विभक्त किया गया है। 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। खाने-पीने की अहम चीजों पर 0% टैक्स होगा जबकि नुकसानदेह या लक्जरी वाली चीज़ों पर अधिक टैक्स रखा गया है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें
आप को
भरना होगा Part-A का Form GST REG-01. और देना होगा PAN, mobile number, and E-mail ID, उसके बाद सबमिट करना होगा अपना फॉर्म।
आप का PAN verified होगा GST Portal पर और Mobile number, and E-mail ID का सत्यपान one-time password (OTP) के द्वारा होगा।
आप को
एप्लिकेशन रेफ्रन्स नंबर आप के mobile और मैल द्वारा भेजा जाएगा।
अब आप को
एप्लिकेशन GST REG-01 के Part- B में application reference
number डालना है जो आप को मैल पर या मोबाइल inbox में प्राप्त हुआ है। सभी ज़रूरी मांगे हुए डॉकयुमेंट के साथ अब फॉर्म को
सबमिट कर दें।
Documents list –
Photographs:
Photographs of proprietor, partners, managing trustee, committee etc. and
authorized signatory
Constitution of
taxpayer: Partnership deed, registration certificate or other proof of
constitution
Proof of principal
/ additional place of business :
For own premises– मालिकाना हक़ दिखने वाला कोई दस्तावेज़ ownership of the
premises जैसे की latest
property tax receipt या फिर Municipal Khata copy या electricity bill कॉपी।
For rented or
leased premises – rent / lease agreement घर मालिक के documents
जैसे की property tax receipt या फिर Municipal
खाता कॉपी। या फिर electricity bill.
Bank account
related proof: बैंक खाते के पासबूक के पहले पाने की Scanned
copy और bank
statement।
Authorization
forms: इस के लिए website से इन्फॉर्मेशन
प्राप्त होगी।
अगर आप
नें Form GST REG-01 or Form GST REG-04 में बताई गयी सभी जानकारी सही सही प्रदान कर दी है तो, आप को registration certificate
फॉर्म सबमिट हो जाने के तीन दिन बाद प्राप्त हो जाएगी।
प्रदान
की गयी जानकारी गलत हुई या उसमें कोई त्रुटि हुई तो आप का registration application reject हो जाएगा।
यहां
कराना होगा जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST
Registration)
ट्रेडर्स
और कारोबारियों को www.gst.gov.in
पर जाकर अपने आप को एनरोल कराना होगा।
ट्रेडर्स
और कारोबारियों को अपना यूजर नाम (प्रॉविजनल आईडी) और पासवर्ड लेना होगा।
प्रॉविजनल आईडी और पासवर्ड आपको स्टेट वैट, सेंट्रल एक्साइज, सर्विस टैक्स
अथॉरिटी से मिलेगा।
मौजूदा
टैक्सपेयर्स उन्हें मिले प्रॉविजनल जीएसटीएन (गुड्स एंड सर्विस टैक्स
आइडेंटिफिकेशन) नंबर से एनरोल करा सकते हैं। जीएसटीएन नंबर को प्रॉविजनल आईडी भी
कहते हैं।
आपको
अपना मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी फीड करना होगा।
आपके फोन
नंबर पर ओटीपी आएगा उसे आपको फीड करना होगा।
आपको
अपनी जानकारी और स्कैन्ड फोटो अपलोड करनी होगी।
पैन
कार्ड, बैंक अकाउंट और आईएसएससी
कोड की जानकारी फीड करनी होगी।
ये सभी
जानकारी को फीड कर सबमिट कर दें।
सबमिट
करने के बाद आपके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर रजिस्ट्रेशन की जानकारी आ
जाएगी।
एसीईएस
पर भी कराना होगा रजिस्ट्रेशन (Register
at ACES Portal for Provisional ID)
जीएसटी
की वेबसाइट पर एनरोल कराने के बाद आपको यूजर नाम और पासवर्ड को ऑटोमेशन ऑफ सेंट्रल
एक्साइज एंड सर्विस टैक्स (एसीईएस) की वेबसाइट https://www.aces.gov.in पर भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
यहां आप अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
यदि आप
जीएसटी पर माइग्रेट नहीं करना चाहते तो एसीईएस पोर्टल पर कन्फर्म कर दें और रिटर्न
फाइल कर दें। ऐसा करने से आपकी आईडी और पासवर्ड कैंसल हो जाएगा। आप क्रेडिट
माइग्रेशन नहीं कर पाएंगे।
सेंट्रल
जीएसटी और स्टेट जीएसटी के लिए एक ही एनरोलमेंट नंबर होगा।
जीएसटी
में एनरोल नहीं करने से होंगे ये नुकसान
जीएसटी
में रजिस्ट्रेश नहीं कराने से ट्रेडर्स और कारोबारियों को वैट व्यवस्था में बकाया
टैक्स क्रेडिट, इनपुट
क्रेडिट का लाभ नहीं मिल पाएगा।
करोबारियों
और ट्रेडर्स को वैट रिफंड नहीं मिल पाएगा।
रिटर्न
फाइल करने से पहले आपको जीएसटी पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के
टैक्स रिटर्न फाइन नहीं कर पाएंगे।
अकाउंटिंग
और सिस्टम को नए टैक्स रेट के साथ अपग्रेड करा लें। सरकार इसके लिए ऐप और
सॉफ्टवेयर भी लाएगी जिसे कारोबारी डाउनलोड कर सकते हैं।
जीएसटी के नियम
छोटे
व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये देश की अर्थव्यव्स्था और औद्योगिक
विकास को गति देकर नौकरियां पैदा करते हैं। हालांकि, देश में बहुत से व्यवसाय नियमित रूप से रिटर्न फाइल
नहीं करते और न ही टैक्स अदा करते हैं। इसकी कुछ वजहें हो सकती हैं। मसलन, जानकारी का अभाव, परिस्थितिजन्य परेशानियां या
कारोबारियों की यह धारणा कि आकार, संचालन और कमाई के लिहाज
से उनका बिजनस बहुत छोटा है, इसलिए डेडलाइन मिस भी हो जाए तो
चलता है। यही वजह है कि उन्हें टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर टैक्स पेमेंट,
इंट्रेस्ट, लेट फी और पेनल्टीज की मांग करता
रहता है।
एक
व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के रूप में जीएसटी लागू होते ही मौजूदा अप्रत्यक्ष
कर खत्म हो जाएंगे और इसके लागू होते ही किसी व्यवसाय की सफलता और विश्वसनीयता इस
बात पर बहुत हद तक निर्भर हो जाएगी कि कारोबारी जीएसटी के नियमों का किस हद तक
पालन कर रहे हैं।
जीएसटी
सेल्फ-मॉनिटरिंग मेकनिजम पर काम करेगा। इस मॉडल के तहत वस्तु एवं सेवा मुहैया
करवाने वाले और प्राप्त करने वालों के बीच इनवॉइस की बड़ी भूमिका होगी। दोनों
इनवॉइस मैच करने और सप्लायर की ओर से टैक्स पे करने के बाद ही कन्ज्यूमर को इनपुट
टैक्स क्रेडिट मिल पाएगा।
ऐसे में
कोई भी ग्राहक वैसे वेंडरों के साथ ही बिजनस करना चाहेगा जो जीएसटी के नियम-कानून
का सही-सही पालन करता हो। इस तरह जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहक और दुकानदार या
सेवा प्रदाता के बीच का भावनात्मक रिश्ता बदल जाएगा और कानून पालन की अनिवार्यता
इस रिश्ते की जगह ले लेगी।
इस तरह
जीएसटी लागू होने पर टैक्स कानून का पालन नहीं करने से फाइन, इंट्रेस्ट और पेनल्टीज के
रूप में खर्चे बढ़ जाएंगे बल्कि आपके व्यवसाय पर भी असर होगा और कंप्लायंस रेटिंग
भी घट जाएगी। चलिए, जीएसटी के तहत फाइल होने वाले विभिन्न
प्रकार के रिटर्न्स के साथ-साथ इन्हें फाइल करते वक्त ध्यान रखने वाली बातों पर
गौर करें...
महीने की
10 तारीख को फॉर्म
जीएसटीआर-1
फॉर्म
जीएसटीआर-1 में
आपको हर महीने बेचे गए सामान या दी गई सेवाओं का विस्तृत जिक्र करना होगा।
रजिस्टर्ड डीलरों को सप्लाइज के हरेक इनवॉइस और ग्राहकों के लिए सामानों और सेवाओं
की कुल कर योग्य कीमत की जानकारी देनी होगी। अगर दूसरे राज्य के ग्राहक को की गई
आपूर्ति की कर योग्य कीमत 2.5 लाख रुपये से अधिक है तो हर
हरेक इनवॉइस का विवरण देना होगा।
11 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-2ए
जीएसटीआर-1 में सप्लायर की घोषणा के
आधार पर महीने की 11वीं तारीख को प्राप्तकर्ता के लिए
जीएसटीआर-2ए फॉर्म तैयार हो जाएगा। 11
से 15 तारीख के बीच इसमें संशोधन किया जा सकता है। रिटर्न
फाइल करने के नजरिए से यह अवधि काफी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि अगर इस दौरान आपने
जीएसटीआर-2ए में संशोधन नहीं किया तो आपकी इनपुट टैक्स
क्रेडिट एलिजिबलिटी पर असर पड़ सकता है। खास बात यह है कि नियमों का पालन करने और
समय की बचत करने में टेक्नॉलजी आपकी बहुत मददगार साबित होगी।
15 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-2
फॉर्म
जीएसटीआर-2ए
में दी गई जानकारी के अतिरिक्त कोई दावा करने के लिए 15
तारीख तक जीएसटीआर-2 फॉर्म जमा कर देना होगा। जीएसटीआर-2 में दी गई जानकारी के आधार पर आपके ई-क्रेडिट लेजर में आईटीसी क्रेडिट हो
जाएगा और इनवॉइस मैच होने पर यह पक्का हो जाएगा।
16 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-1ए
फॉर्म
जीएसटीआर-2 में
आप जो सुधार करेंगे, उन्हें आपके सप्लायर को फॉर्म जीएसटीआर-1ए के जरिए मुहैया कराया जाएगा। तब सप्लायर आपके संशोधनों को स्वीकार या
खारिज करेगा।
20 तारीख को जीएसटीआर-3
फॉर्म
जीएसटीआर-1 और
जीएसटीआर-2 के आधार पर 20 तारीख को
ऑटो-पॉप्युलेटेड रिटर्न जीएसटीआर-3 उपलब्ध हो जाएगा जिसे आप
पेमेंट के साथ जमा कर सकते हैं।
फॉर्म
जीएसटी एमआईएस-1 में
इनपुट टैक्स क्रेडिट की आखिरी स्वीकृति
फॉर्म
जीएसटीआर-3 में
मंथली रिटर्न फाइल करने की सही तारीख के बाद आंतरिक आपूर्ति और बाह्य आपूर्ति में
मिलान किया जाएगा। तब जीएसटी एमआईएस-1 में इनपुट टैक्स
क्रेडिट को आखिरी स्वीकृति मिलेगी। बिलों के मिलान के वक्त इनका सहारा लिया
जाएगा...सप्लायर का जीएसटीआईएन,रिसीपिअंट का जीएसटीआईएन,इनवॉइस या डेबिट नोट नंबर,इनवॉइस या डेबिट नोट डेट,टैक्सेबल वैल्यू ,टैक्स अमाउंट,इसी मिलान के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे पर विचार किया जाएगा।
निष्कर्ष
कुल
मिलाकर, जीएसटी के नियमों का पालन
एक दिन का काम नहीं है। जीएसटी के तहत रिटर्न साइकल मौजूदा रिवाजों को खत्म कर
देगा। अभी ज्यादातर छोटे कारोबारी अपनी खरीद और बिक्री का आकलन कर एक दिन में
रिटर्न तैयार कर लेते हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि
जीएसटी रिटर्न साइकल पूरे महीने चलने वाला है।
ऐसे फाइल करें GST रिटर्न
ऐसे फाइल करें GST रिटर्न, जानें किस बिजनेसमैन को भरना होगा कौन सा फॉर्म
जीएसटी रिटर्न के फॉर्म ट्रेडर, रिटेलर, होलसेलर और सप्लायर के लिए अलग-अलग हैं.
नया टैक्स ढांचा लागू होने के बाद अब सबसे बड़ी
समस्या टैक्स रिटर्न फाइल करने की है. व्यापारी वर्ग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि
आखिर जीएसटी टैक्स रिटर्न कैसे फाइल किया जाएगा?
आपको बता दें कि जीएसटी रिटर्न भरने के लिए आपको सबसे पहले ये जानना
होगा कि आपका बिजनेस किस कैटेगरी में आता है, क्योंकि जीएसटी रिटर्न के फॉर्म ट्रेडर, रिटेलर, होलसेलर और
सप्लायर के लिए अलग-अलग हैं. आज हम आपको GST रिटर्न के फॉर्म और हर महीने की कुछ ऐसी खास तारीखों के बारे में बता
रहे हैं, जिन डेट्स तक आपको जीएसटी फॉर्म जमा कराने
होंगे.
GSTR-1
जीएसटी रूल्स के मुताबिक सप्लायर को हर महीने की 10 तारीख को यह फॉर्म भरना होगा. इस फॉर्म में
सप्लायर को पिछले महीने में की गई सप्लाई की पूरी जानकारी देनी होगी. अगर ग्राहक
को की गई सप्लाई पर 2.5 लाख रुपए से
अधिक टैक्स बनता है और अगर ये सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इनवॉइस
जानकारी देनी होगी.
GSTR-2
हर महीने की 15 तारीख को यह
फॉर्म भरना होगा. इसमें ट्रेडर और दुकानदार को पिछले महीने सप्लायर से खरीदे गए
माल की जानकारी देनी होगी.
GSTR-3
यह फॉर्म ट्रेडर, दुकानदार, होलसेलर, रिटलेर को भरना होगा. इसमें पूरे महीने की सप्लाई और परचेज की डिटेल
भरनी होगी. यह मंथली रिटर्न है. आप इसको तब भरेंगे जब आपका महीने का बिजनेस 20 लाख से कम होगा. ट्रेडर को हर महीने की 20 तारीख को सप्लाई और परचेज की डिटेल सरकार को
देनी होगी.
GSTR-4
यह फॉर्म क्वार्टर के अगले महीने की 18 तारीख तक भरना होगा. इसमें मासिक 20 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर कारोबारी को पूरे क्वार्टर का
रिटर्न भरना होगा.
GSTR-5
यह फॉर्म भारत में ना रहने वाले, विदेश से आने वाले व्यापारियों के लिए है. इसे हर महीने की 20 तारीख को भरा जाना है.
GSTR-6
यह फॉर्म इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर भरेंगे. यह फॉर्म महीने के 13 तारीख को भरा जाना है. इसमें सर्विस देने वाले
व्यक्ति को पूरी जानकारी GST पोर्टल पर
अपलोड करनी होगी.
GSTR-7
कारोबारी को टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए जीएसटी में GSTR-7 फॉर्म भरना
होगा. यह ट्रेडर या कारोबारी को हर महीने की 10 तारीख को भरना होगा.
GSTR-8
इस फॉर्म के जरिए ई-कॉमर्स ऑपरेटर अपनी सप्लाई का ब्योरा देंगें और
टैक्स कलेक्टर अपनी टैक्स कलेक्ट की गई राशि बताएंगे. यह फॉर्म महीने के 10 तारीख भरा जाना है.
GSTR-9
इस फॉर्म को हर वह कारोबारी भरेगा जो टैक्सेबल लिमिट के दायरे में आता
है
जीएसटी में गलत रिटर्न भरना बनेगा मुसीबत
जीएसटी में रिटर्न भरते समय व्यापारियों को खासा
सतर्क रहना होगा, क्योंकि गलती
होने पर रिटर्न दोबारा फाइल करने की परम्परा खत्म हो जाएगी। इसकी जगह रिटर्न में
संशोधन किया जा सकता है। ये नई व्यवस्था भी टैक्स एक्सपर्ट्स और व्यापारियों के
लिए चुनौती से कम नहीं होगी। यानी मासिक रिटर्न फाइल करने के बाद कोई गलती होने पर
उसे नए सिरे से फाइल नहीं किया जा सकेगा। हां, रिटर्न में संशोधन जरूर किया जा सकता है। वो भी दूसरे महीने की बीस
तारीख के बाद। नया रिटर्न भरने पर करदाताओं को बहुत सतर्क रहना पड़ेगा। इनवायस,राजस्व, इनपुट इनवायस और दूसरी जानकारियों को भरते समय बेहद सावधानी बरतनी
पड़ेगी। अगर किसी महीने व्यापार शून्य रहा हो, तब भी रिटर्न अनिवार्य रूप से दाखिल करना होगा। ऐसे करदाता अपने
रिटर्न को निल फाइल करेंगे।
जीएसटी के पोर्टल पर रिटर्न और बिल बनाने का है ऑफलाइन टूल
जीएसटी के पोर्टल पर जीएसटी सॉफ्टवेयर टूल है जिसे कारोबारी अपने
कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकते हैं। ये सॉफ्टवेयर टूल एक्सल फॉरमेट और जावा
स्क्रिप्ट में है। इस एक्सल फॉरमेट पर आप अपने बिल बना सकते हैं। बिल की जानकारी
ऐक्सेल शीट में सेव करके इसे ही जीएसटी पोर्टल पर रिटर्न के साथ अपलोड कर सकते
हैं। सॉफ्टवेयर टूल पर कारोबारी अपनी रिटर्न ऑनलाइन मोबाइल के जरिए भी फाइल कर
सकते हैं।
जीएसटी के पोर्टल पर ऐसे अपलोड होगी रिटर्न
टैक्सपेयर्स को https://www.gst.gov.in/
पर लॉग इन करना
होगा। वेबसाइट पर सर्विस पर क्लिक करें। सर्विस के नीचे ‘रिटर्न’ का ऑप्शन आएगा। इस पर क्लिक करें। सिस्टम आपसे आपका यूजर नाम और
पासवर्ड मांगेगा। इसमें आप अपना यूजर नाम और पासवर्ड भरें। अपने जीएसटीआर-3B रिटर्न को
अपलोड कर दें।
GST TAX Invoice में क्या जानकारी देनी पड़ेगी?
आप जो Bill बनाएँगे उसमें
निम्न लीखीत जानकारी आपको देनी होगी।
- माल बेचने वाले का नाम, GSTIN, पता
- माल ख़रीदने वाले का नाम
- GSTIN
- पता
- माल Delivery
का पता
- Bill Number (बीजक क्रमांक)
- माल की जानकारी
- नाम (Product
Name)
- HSN Code
- माप की इकाई (Unit of measurement)
- मात्रा (Quantity)
- दर (Value)
- छूट (Discount)
- मूल्य (Gross
Value)
- कर की दरें (Tax Rates)
- कर (Tax)
क्या हस्तलिखीत बीजक (Invoice) मान्य होगा?
हस्तलीखीत बीजक मान्य होगा। आप चाहे तो कोई software इस्तेमाल कर
सकते हैं invoice बनाने के लिए
अथवा हाथ से लिखा हुआ invoice बना सकते हैं।
लेकीन दोनो ही मामलो में आपको बनाये गए बीजक में ऊपर दी गयी तमाम
जानकारी देनी होगी, तभी आपका बीजक
वैध माना जायेगा। इसके साथ ही आपको ये भी ध्यान में रखना होगा की बीजक क्रमांक
निरंतर हो। आप अपनी मर्ज़ी से क्रमांक बदल नहीं सकते। अगर आपने पिछला invoice number १ दिया है तो
अगला २ ही होना चाहीये। हालंकी हस्तलीखीत
बीजक मान्य है परंतु में आपको सलाह दूँगा की tax invoice software ही इस्तेमाल करें।
ITS SAFFICIENT KNOWLEDGE
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