7/26/12

Hepatitis


आम आदमी की भाषा में हेपेटाइटिस लिवर में होने वाली सूजन का नाम है। चिकित्सीय भाषा में ऐसी सूजन के सामान्य कारणों में हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी व ई को दोषी माना जाता है। इसमें वायरस के प्रभाव से लीवर काम करना बंद कर देता है और अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। हेपेटाइटिस होने के बाद इसके इलाज में कई जटिल स्थितियों का सामना करना पड़ा है, ऎसे में मरीज की मृत्यु की आशंका रहती है। लेकिन हेपेटाइटिस के टीके लगवाकर इसके होने की आशंका को नगण्य किया जा सकता है। नवजात शिशु के जन्म के बाद उसके तयशुदा समय पर हेपेटाइटिस के टीके लगवाना चाहिए। इसके अलावा लीवर के किसी अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, डायलिसिस के मरीज, पैरामेडिकल स्टाफ , लैब टेक्नीशियन, मुर्दाघर स्टाफ आदि लोगों के लिए हेपेटाइटिस के टीके लगवान जरूरी होता है। गौरतलब है कि हेपेटाइटिस सी के बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। ऎसे में बचाव के तरीकों से ही इसकी रोकथाम सम्भव है। इसके अलावा टीकों की पूरी खुराक लेना भी आवश्यक है। जैसे कि हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की तीन खुराक होती हैं-पहली दो खुराक पहले महीने में और तीसरी खुराक छह महीने बाद दी जाती है।

मुख्य लक्षण
पीलिया होना, आंखों और त्वचा का पीला होना, उल्टी आना , जी मिचलाना, निरन्तर थकावट महसूस होना, जोड़ों में दर्द, खाने में अरूचि, हल्का बुखार, कमजोरी, गहरे रंग का मूत्र आना और पेट दर्द जैसे लक्षण महसूस होने पर इसके होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
ऎसे पता करें
हेपेटाइटिस का वाइरस जब हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो जवाब में हमारा शरीर एंटीबॉडी उत्पन्न करता है जो कि एक प्रोटीन होता है। ऎसे में रक्त में एंटीबॉडी परीक्षण के जरिए हेपेटाइटिस का पता लगाया जा सकता है। 
चिकित्सक से लें परामर्श
हेपेटाइटिस के उपचार के लिए बाजार में दवाइयां उपलब्ध है और सही समय पर उपचार लेने पर हेपेटाइटिस से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस से संक्रमित हो सकते हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें और बताई गई दवाइयों का सेवन करें।
बचाव के अन्य उपाय
बच्चे की प्लानिंग करने से पहले और गर्भावस्था में हेपेटाइटिस की जांच कराएं, सुरक्षित यौन संबंध रखे।
संक्रमित व्यक्ति के रेजर, टूथब्रश व तौलिए का इस्तेमाल न करें।
यदि आप हेपेटाइटिस से संक्रमित हैं तो रक्त और अंगदान न करें।
शरीर पर टैटू अथवा छेदन के लिए साफ सुथरे औजार का उपयोग करे।
एक ही सुई का दुबारा इस्तेमाल न करे।

हेपेटाइटिस 'ए' 'बी' औरसी’  क्या है?

हेपेटाइटिस 'ए' : इसे संक्रामक और व्यापक (महामारी) रोग भी कहते हैं। यह टाइप छूत के रोग का है अतः एक रोगी से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है, जिसमें आहार व जल माध्यम का काम करते हैं। दूषित अन्न और प्रदूषित पर्यावरण इस रोग को फैलाने के मुख्य साधन हैं।इस रोग का प्रभाव एक माह तक बना रह सकता है। इसके प्रारम्भिक लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे ज्वर, ठण्ड लगना, उल्टी होना, भूख न लगना, तम्बाकू के प्रति अरुचि आदि। पीलिया होने के लगभग एक सप्ताह बाद पहले आँखों और फिर त्वचा का रंग पीला हो जाता है। पेशाब व मल का रंग भी पीला हो जाता है।
हेपेटाइटिस 'बी' : यह 'बी' टाइप के वायरस से होने वाली व्याधि है। इसे सीरम हेपेटाइटिस भी कहते हैं। यह रोग रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि से होने वाले स्राव के माध्यम से होता है।ड्रग्स लेने के आदि लोगों में या उन्मुक्त यौन सम्बन्ध और अन्य शारीरिक निकट सम्बन्ध रखने वालों को भी यह रोग हो जाता है। विशेषकर अप्राकृतिक संभोग करने वालों में यह रोग महामारी की तरह फैलता है।इस दृष्टि से टाइप 'ए' के मुकाबले टाइप 'बी' ज्यादा भयावह होता है। इस टाइप का प्रभाव यकृत (लीवर) पर ऐसा पड़ता है कि अधिकांश रोगी 'सिरोसिस ऑफ लीवर' के शिकार हो जाते हैं और 4-5 साल में मौत के मुँह में चले जाते हैं। अच्छा आचरण और उचित आहार-विहार का पालन करके ही इस भयानक रोग से बचा जा सकता है।
हेपेटाइटिस ‘सी’: एक संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी (HCV) की वजह से होता है और यकृत को प्रभावित करता है. हेपेटाइटिस सी वायरस आमतौर पर संक्रमित खून से संपर्क के माध्यम से फैलता है जो कि सर्वाधिक नसों के माध्यम से नशीली दवायें लेने के दौरान फैलता है।. शुरुआती संक्रमण के बाद अधिकांश लोगों में, यदि कोई हों, तो बहुत कम लक्षण होते हैं, हालांकि पीड़ितों में से 85% के यकृत में वायरस रह जाता है. इलाज के मानक देखभाल जैसे कि दवाइयों, पेजिन्टरफेरॉन और रिबावायरिन से स्थायी संक्रमण ठीक हो सकता है51% से ज्यादा पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. जिन्हें सिरोसिस या यकृत कैंसर हो जाता है, उन्हें यकृत के प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है तथा प्रत्यारोपण के बाद ही वायरस पूरी तरह से जाता है. किसी व्यक्ति के एक बार हेपेटाइटिस सी वायरस के संपर्क में आने के बाद, उसके रक्त में वायरस का पता लगाने में आमतौर पर एक से तीन सप्ताह का समय लग जाता है।

भारत में हेपेटाइटिस को रक्त जनित और भोजन/जलजनित दो वर्गो में बांटा जाता है। रक्त जनित में मुख्यत: हेपेटाइटिस बी व सी को रखा जाता है। संक्रमित भोजन व जल के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस ए व ई होते हैं। आज विश्व में प्रत्येक 12 में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित है। पूरे देश में हेपेटाइटिस के आंकड़े एकसमान नहीं हैं। देश के पूवरेत्तर राज्यों जैसे मणिपुर, मिजोरम आदि में जहां इंट्रावीनस (अंत:शिरा दवाओं) का इस्तेमाल अधिक होता है, वहां  इसके मामले अधिक देखने में आ रहे हैं। राज्य जहां एचआईवी पीड़ितों की संख्या अधिक है, वहां भी रक्तजनित हेपेटाइटिस के मामलों की अधिकता है। लिवर रोग की गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कई लोगों के लिवर पर  इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता, पर कुछ श्रेणियों में यह 20-30 वर्षो में लिवर सिरोसिस, लिवर का फेल होना और उसके कैंसर का कारण बन जाता है।
उपचार
हेपेटाइटिस बी के लिए दवाओं की दो श्रेणियां उपलब्ध हैं। एक मुंह से ली जाने वाली दवाएं हैं और दूसरी श्रेणी इंटरफेरोन दवाएं हैं। हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवाओं के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। यह वायरस दवाओं की अवधि और प्रकार पर निर्भर करता है। भारत में इसका टाइप 3 पाया जाता है, जो यौन संसर्ग या संक्रमित सुई या संक्रमित रक्त के शरीर में प्रवेश करने के कारण होता है। हेपेटाइटिस ए व ई को साफ-सफाई का ध्यान रख कर रोका जा सकता है।
 सावधानियां
हेपेटाइटिस सी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। दिल्ली, सिक्किम व कुछ अन्य राज्यों में नवजात शिशुओं में हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया है। सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले नवजात शिशु को जन्म के 48 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस सी का टीका दिया जाता है। भारत में केवल तीन राज्य हैं, जो इसका अनुसरण कर रहे हैं, जबकि शेष राज्य इसका अनुपालन नहीं कर रहे।  हेपेटाइटिस सी की कोई रोकथाम फिलहाल नहीं है। हेपेटाइटिस ए के लिए एक टीका है, लेकिन यह 1-2 वर्ष के बीच बच्चों को दिया जाता है। हेपेटाइटिस ई के लिए भी अभी तक कोई टीका नहीं है, लेकिन इसके टीके पर अभी काम हो रहा है। अभी इसकी बिक्री नहीं की जा रही, लेकिन अगले छ: महीने बाद  यह बाजार में आ जाएगी। ये टीके रोग से 95 से 96 प्रतिशत रोकथाम प्रदान करते हैं।
एचआईवी से खतरनाक  है यह वायरस
हेपेटाइटिस बी वायरस एचआईवी की तुलना में 50 से 100 गुना तक अधिक संक्रामक है। वयस्कों या बड़े बच्चों के इससे संक्रमित होने पर ठीक होने की संभावना अधिक होती है, पर छोटे बच्चों के इसके प्रभाव में आने पर इसके गंभीर रोग बनने की आशंका अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी के लिए एक प्रभावी दवा भी उपलब्ध है। हेपेटाइटिस बी टीके की 3 खुराकें इस वायरस के संक्रमण से सुरक्षा देती हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार सभी शिशुओं को हेपेटाइटिस बी का टीका दिया जाना चाहिए। बच्चों में आम तौर पर हेपेटाइटिस ए पाया जाता है, जो कि दूषित जल के संपर्क में आने से होता है। मानसून में या अत्याधिक गर्मी में बच्चों में लापरवाही वश संक्रमित पानी या वस्तु खाने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भवती मां से गर्भस्थ शिशु में भी हेपेटाइटिस बी का विस्तार होता है। गंभीर हेपेटाइटिस ए व ई जैसे मौखिक रूप से फैलने वाले रोगों की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता व टीकाकरण अपनाना चाहिए।
हेपेटाइटिस से बचने के सरल उपाय 
- रक्त जांच कराएं। नेगेटिव पाने पर डॉक्टर से टीके के बारे में बात करें। रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- गर्भवती महिलाएं हेपेटाइटिस बी की जांच कराएं।
- असुरक्षित यौन सम्पर्क से बचें।
- ड्रग्स न लें या सुइयों को शेयर न करें। किसी और के शेविंग ब्लेड का इस्तेमाल न करें। टैटू गुदवाते या टीका लगवाते समय डिस्पोजेबल सिरिंज का इस्तेमाल करें।
 तथ्य एक नजर..
- हेपेटाइटिस बी का वायरस एचआईवी से 100 गुना अधिक संक्रामक है। यह वायरस शरीर के बाहर भी कम से कम 7 दिन तक जीवित रह सकता है। 
- विश्व में प्रत्येक 12 में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित है।
- हेपेटाइटिस बी लार, वीर्य और योनि द्रव्य सहित अन्य शरीर द्रव्यों के माध्यम से भी फैल सकता है। 
- 10 में 9 वयस्कों में हेपेटाइटिस बी संक्रमण पहले छ: महीनों में स्वयं ठीक हो जाता है।
- यदि आपके परिवार का कोई सदस्य या यौन साथी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है तो आप स्वयं हेपेटाइटिस बी की जांच कराएं।
 Hepatitis is an inflammation of the liver, most commonly caused by a viral infection. There are five main hepatitis viruses, referred to as types A, B, C, D and E. These five types are of greatest concern because of the burden of illness and death they cause and the potential for outbreaks and epidemic spread. In particular, types B and C lead to chronic disease in hundreds of millions of people and, together, are the most common cause of liver cirrhosis and cancer.
Hepatitis A and E are typically caused by ingestion of contaminated food or water. Hepatitis B, C and D usually occur as a result of parental contact with infected body fluids. Common modes of transmission for these viruses include receipt of contaminated blood or blood products, invasive medical procedures using contaminated equipment and for hepatitis B transmission from mother to baby at birth, from family member to child, and also by sexual contact.

7/23/12

इंग्लिश बोलना कैसे सीखे

आज के समय में अंग्रेजी बोलना फैशन के साथ-साथ करियर की दृष्टि से भी काफी अहम हो गया है। साक्षात्कार से लेकर हर प्रतियोगी परीक्षा तक यह एक अहम भूमिका निभाता है। इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसी पढ़ाई के लिए अच्छी किताबें भी अंग्रेजी माध्यम में ही उपलब्ध हैं। उच्च शिक्षा के लिए भी अंग्रेजी जरूरी है, इसलिए जब हिंदी पट्टी, खास कर छोटे शहरों और गांवों के युवा बाहर निकलते हैं तो उन्हें अलग से इंग्लिश स्पोकन क्लासेज की सहायता लेनी पड़ती है।


ग्लोबल दुनिया में खुलती राहें
आज की दुनिया बडी तेजी से सपाट हो रही है। हर भाषा, समुदाय के लोग अपनी आर्थिक सामाजिक जरूरतों के चलते करीब आ रहे हैं। इस दौरान अंग्रेजी इन विपरीत संस्कृतियों के बीच सेतु का काम कर रही है। केवल कम्यूनिकेशन ही क्यों, जीवन के हर क्षेत्र में हो रहे हर छोटे बडे बदलावों को फायदे में तब्दील करने में भी अंग्रेजी उपयोगी बन रही है। चीन में हुए ओलंपिक का ही उदाहरण लें जहां आयोजन को सफल बनाने के लिए लाखों लोगों को इंग्लिश भाषा में पारंगत बनाया गया। क्या कैब ड्राइवर,क्या रेस्टोरेंट ऑनर, क्या सुरक्षाकर्मी सभी को इस दौरान फर्राटेदार इंग्लिश बोलना सिखाया गया।
भारत के पास है एज
अनेक पारंपरिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक वजहों से इंग्लिश विदेशी भाषा होकर भी हमारे लिए अंजान नहीं है, बल्कि यह तो आज हमारे आस-पास घरेलू भाषा की तरह इस्तेमाल होती है। देश के किसी भी कोने में चले जाएं, अंग्रेजी जानने समझने वाले लोग मिल ही जाएंगे। अंग्रेजी जानने वालों की इतनी बडी संख्या आज देश के लिए वरदान सरीखी है। जिसका मीठा फल हमें देश की तेज इकनॉमिक ग्रोथ के तौर पर मिल रहा है। बीपीओ, केपीओ/आईटी/ एकेडेमिक्स में इसकी साफ झलक देखी जा सकती है। इन क्षेत्रों में शानदार इंग्लिश की बदौलत युवा, देश के लिए रेवेन्यू पैदा कर रहे हैं।
इंग्लिश: स्कूल लेवल पर
माना जाता है कि निश्चित समय में चीजें अपनी शक्ल बदल लिया करती हैं। इंग्लिश की भी तासीर कुछ ऐसी ही है, जो प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर महज एक विषय के तौर पर पढाई?जाती है तो बीतते वक्त के साथ कॅरियर ग्रोथ की जरूरत में तब्दील हो जाती है। पर पहले ऐसा नहीं था यहां तक कि इंग्लिश की पढाई ही अमूमन कक्षा 6 से शुरू हुआ करती थी। इंग्लिश बोलने जानने वाले लोग भी कम ही थे। आज चीजें तेजी से बदली हैं। नतीजतन मदर लैंग्वेज न होने के बाद भी आज देश में अंग्रेजी समझने वालों की संख्या बढी है और शायद इसी के चलते विदेशों में भारतीय इंग्लिश के ग्राहक भी बढे हैं। कॉल सेंटर, ऑनलाइन ट्यूशन से लेकर इंटरनेशनल बिजनेस मीट तक में भारतीयों का यह हुनर सिर आंखों पर लिया जा रहा है। यह सब संभव हुआ प्राथमिक स्तर पर इंग्लिश लर्निग टीचिंग के मजबूत ढांचे के चलते। माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में तेज सरकारी प्रयास व मौजूदा संसाधन की बदौलत इंग्लिश आने वाले समय में बडे अवसरों को पैदा कर रही है।
सामाजिक बदलावों का प्रतीक
कोई कुछ भी कहे लेकिन अंग्रेजी भाषा समाज केताने बाने में फर्क ला रही है। यह सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा का कारण भी बन रही है। एक टीवी कॉमर्शियल में पहले अपनी कमजोर इंग्लिश से दरकिनार महसूस करने वाली मिसेज शर्मा जब फर्राटे से इंग्लिश बोलती हैं, तो वे एक ब्रांड के प्रचार के साथ साथ बदलते दौर की धारणाएं भी बयां कर जाती हैं। समझा जा सकता है कि आज सामाजिक संदर्भो में अंग्रेजी किस तरह प्रभावी हो रही है।
कंपटीशन में इंग्लिश
कार्यक्षेत्र में अंग्रेजी के बढे महत्व के चलते अमूमन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इंग्लिश नॉलेज को अनिवार्य?बना दिया गया है। आइएएस से लेकर रेलवे तक ज्यादातर परीक्षाओं में इंग्लिश, सफलता का बडा कंपोनेंट मानी जाती है। तो वहीं इंटरव्यू व जीडी में भी स्पोकन इंग्लिश के बगैर काम नहीं चलता। ऐसे में जरूरी है कि कॅरियर की ट्रेन पकडने से पहले अपना इंग्लिश का प्लेटफॉर्म मजबूत बनाएं।
इंटरव्यू, जीडी की राह
इन दिनों इंग्लिश, कॅरियर में कामयाबी पाने की बडी शर्त है। कंपटीशन में तो इसका महत्व है?ही, जॉब की अंतिम सीढी यानि इंटरव्यू में भी इसकी कम अहमियत नहीं है। जॉब के दौरान भी यह उतना ही काम आती है। बकौल विशेषज्ञ आज जॉब में तरक्की की गुंजाइश उस व्यक्ति के लिए सर्वाधिक है, जो इंग्लिश में फ्लूयंट है। इसके अलावा इन दिनों तमाम तरह के जॉब हैं, जहां आपकी इंग्लिश नॉलेज व स्पीकिंग को ही परखा जाता है। ज्यादातर आउटसोर्सिग से संबंधित काम इस दायरे में आते हैं।
ट्रांसलेटर
आज देश में सक्षम अनुवादकों की बहुत मांग है। इनकी जरूरत विदेश मंत्रालय, दूतावासों, शोध-संस्थानों से लेकर पब्लिेकशन हाउस तक सभी जगह होती है। यहां काम करके आप अंतरराष्ट्रीय हलकों में भी पहचान बना सकते हैं।
मीडिया
मीडिया मेअंग्रेजी पर पकड रखने वालों को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। यहां वेब, इलेक्ट्रानिक, प्रिंट जैसे माध्यमों में अच्छे इंग्लिश कंटेंट राइटर्स, प्रूफ रीडर्स, सब-एडीटर के लिए कई च्वाइसेस हैं। हिंदी अखबारों में भी काम करने के लिए अच्छी इंग्लिश आनी चाहिए।
आउटसोर्स वर्क
पूर्ण ग्लोबलाइजेशन की ओर बढती दुनिया में आउटसोर्सिग का चलन तेज हुआ है। इसके अंतर्गत विदेशी कंपनियां अपना अतिरिक्त काम संबंधित बीपीओ फर्मो के माध्यम से पूरा करती है। इन दिनों भारत इस क्षेत्र का बडा खिलाडी है जिसका बीपीओ साम्राज्य 50 बिलियन डॉलर के पार पहुंचने को है तो केपीओ सेक्टर में भी पंख लगे हैं।
टीचर व ट्रेनर
रोजगार के लिए अंग्रेजी के बढे महत्व के चलते देश में इंग्लिश के बेहतरीन अध्यापकों की मांग बढी है। इन दिनों ज्यादा से ज्यादा छात्र अंग्रेजी में अपना भविष्य संवारने के लिए पीजी स्पेशल कोर्सेस, शॉर्ट टर्म कार्सेस अटेंड कर रहे हैं। ऐसे में इंग्लिश विषय में पीजी, एमफिल लोगों के लिए इंग्लिश अध्यापन के क्षेत्र में पूरी संभावनाएं हैं। कॉलेजों, स्कूलों के अलावा प्राइवेट ट्यूशन, स्पीकिंग इंस्टीट्यूट्स में योग्य लोगों की दरकार है।
अंग्रेजी सीखने के आसान तरीके...
 कोई भी भाषा सीखने में जहाँ उसे दूसरे के द्वारा बोला हुआ या लिखा हुआ ठीक-ठीक समझने की जरूरत होती है, वहीं इंटरप्रिटेशन भी ठीक से आना चाहिए याने भाषा की समझ व उसकी अभिव्यक्ति दोनों ही जरूरी हैं।

हम अपनी मातृभाषा की सीख पर ध्यान देकर देखें तो हमें पता चलेगा कि हमने उसे अपनी फेमेली और आस-पड़ोस में दिन-रात सुनकर व बोलकर सीखा है। उसके लिए हमारे पैरेंट्स ने न कोई क्लास लगाई, न कोई टीचर रखा। इस तरह अंग्रेजी भी सीखी जा सकती है।

भाषा बोलने वालों का माहौल- अँग्रजी चूँकि हमारे यहाँ आम भाषा नहीं है तो उसका हमें ठीक मातृभाषा की तरह का माहौल तो नहीं मिल सकता, पर बहुत-कुछ वैसा ही हम निर्मित कर सकते हैं। पहले तो चौथी-पाँचवीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा का अभ्यास बहुत अच्छा कर लें। इसके बाद ऐसा स्कूल चुनें, जहाँ अंग्रेजी में पढ़ाई होती हो, तो आपको भाषा बार-बार सुनने को मिलेगी। स्कूल से आने पर जब भी टीवी देखें तो अंग्रेजी में चल रहे कार्यक्रम बार-बार ध्यान से सुनते रहें, भले ही उनकी बातें आप पूरी तरह न भी समझ पाएँ।

इसी तरह रेडियो या ट्रांजिस्टर पर भी अंग्रेजी न्यूज पेपर और दूसरे अंग्रेजी के कार्यक्रम सुनते रहें। याद रखें, भाषा सीखने का पहला कदम सुनते रहने से ही शुरू होता है। हिन्दी न्यूज पेपर के ठीक बाद यदि अंग्रेजी न्यूज पेपर भी टीवी पर उन्हीं दृश्यों के साथ देखेंगे तो निश्चित रूप से आपकी अंग्रेजी की समझ लगातार बढ़ती जाएगी।

माहौल में सुने हुए सेंटेस को खुद बोलने की प्रैक्टिसपहले तो सही रिफर्रेंस में आप सीन देखकर कोई बात सुनेंगे तो निःसंदेह बहुत-कुछ समझ में आएगा। सुने हुए छोटे-छोटे सेंटेंस बने तो नोट कर लें या याद रह जाएँ तो उन्हें बार-बार दोहराएँ। उन्हीं में नामों की जगह अपने घर के लोगों के नाम रखकर वैसे ही और वाक्य भी बोलें। याद रखें, अंग्रेजी भी अन्य भाषाओं की तरह पहले बोलना सीखनी चाहिए, लिखना व पढ़ना बाद में।

अपने भाई-बहनों और फ्रेड सर्कल के बीच डिस्कशन में बोलते रहने का अभ्यास बहुत करें। बोलने में थोड़ी गलती होगी तो उसकी परवाह न करें, क्योंकि मातृभाषा सीखते समय हमारे घर के बच्चे भी गलती करके सीखते हैं। हाँ, अगर ठीक बोलने में घर के किसी बड़े या अंग्रेजी ट्यूटर की भी मदद मिल सकती हो, तो बोलना जल्दी आ सकेगा और गलतियाँ भी कम होती जाएँगी।

वोकेब (शब्दकोश) बढ़ाएँयाद रखें भाषा की नींव शब्दों के साथ-साथ सेंटेंस हैं, पर सेंटेंस शब्दों के सही संयोग से ही बनते हैं तो हम लगातार नए शब्दों को सेंटेंस व सही रिफर्रेंस में सीखते चले जाएँ। किसी शब्द की केवल सही स्पेलिंग और मिनिंग याद कर लेना पर्याप्त नहीं है। उसका सही जगह उपयोग भी आना चाहिए। बेशक डिक्शनरी तो आपके पास होनी ही चाहिए, जिसमें से मिनिंग निकालें और याद करें।

शब्दों के अर्थ भी संदर्भ से जुड़कर बदलते रहते हैं, तो उन्हें वाक्यों में प्रयोग करना सीखना चाहिए व सही परिस्थिति से जोड़कर। तो, शब्द कोश की लगातार बढ़ोतरी से भाषा सीखने में उसी तरह मदद मिलती है जैसे किसी बिल्डिंग बनाने में लगातार मटेरियल लाना ही पड़ता है।

ग्रामरग्रामर पहले पढ़कर ही लेंग्वेज सीखी जाती हो, ऐसा नहीं है। हमने अपनी मातृभाषा भी बिना ग्रामर पढ़े समझने और बोलने की प्रैक्टिस करके ही सीखी थी। ग्रामर भले ही सीधे अंग्रेजी की प्रैक्टिस नहीं कराती, पर वह एक सही स्टेज पर सीखने में भी सहायक होती है और उसकी गलतियाँ भी दूर करती है। जैसे हम सामान्य रूप से चलना तो बचपन में गिरते-पड़ते सीख जाते हैं, पर सैनिक बनना चाहें तो मार्चिंग के लिए हमें नियम-कायदे सीखने ही होते हैं और उसकी प्रैक्टिस भी उतनी ही जरूरी है। इस तरह की ग्रामर 'वॉकिंग' सीखे हुए को 'मार्चिंग' सिखा देती है अतः बोलने प्रैक्टिस करते हुए ग्रामर का भी सहारा लें।
कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ? 
तो  आइये  सबसे  पहले  मैं  आपके  साथ  अंग्रेजी  बोलने  से  सम्बंधित  कुछ  myths share करता  हूँ :
English बोलने  के  लिए  grammar अच्छे  से  आना  चाहिए : यह  एक  बहुत  बड़ा  myth है , आप  ही  सोचिये  कि  जब  आपने  हिंदी  बोलना  सीखा  तो  क्या  आपको  संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि  के  बारे  में  पता  था ?  नहीं  पता  था , क्योंकि  उसकी  जरूरत  ही  नहीं  पड़ी  वो  तो  बस  आपने  दूसरों  को  देखकर -सुनकर  सीख  लिया . उसी  तरह  अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  भी  Grammar की  knowledge जरूरी  नहीं  है . English Medium school से अच्छी  शिक्षा मिलने  के  कारण  मैं  अच्छी  English बोल  लेता  हूँ , पर  यदि  आप  मेरा  Tenses का  test लें  तो  मेरा  पास  होना  भी  मुश्किल  होगा .:)
कुछ  ही  दिनों  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखा  जा  सकता  है : गलत ! अपनी  मात्र  भाषा  से  अलग  कोई  भी  भाषा  सीखने  में  समय  लगता  है . कितना  समय  लगेगा  यह person to person differ करेगा . पर  मेरा  मानना  है  कि  यदि  कोई  पहले  से  थोड़ी  बहुत  अंग्रेजी  जानता  है और  वो  dedicated होकर  effort करे  तो  6 महीने  में  अच्छी  अंग्रेजी  बोलना  सीख  सकता  है .और  यदि  आप  सीख  ही  रहे  हैं  तो  कामचलाऊ  मत  सीखिए , अच्छी  English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह  भी  गलत  है . अपने  घर  की  ही  बात  करूँ  तो  मेरे  बड़े  भैया  ने  Hindi Medium से  पढाई  की  है , पर  आज   वो  बतौर  Senior Consultant काम  करते  हैं  और  बहुत  अच्छी  English लिखते – बोलते  हैं . यदि  आपको  ऐसी  schooling नहीं  मिली  जहाँ  आप  अंग्रेजी बोलना  सीख  पाए  तो  उसपर  अफ़सोस  मत  कीजिये , जो  पहले  हुआ  वो  past है , present तो  आपके  हाथ  में  है  जो  चीज  आप  पहले  नहीं  सीख  पाए  वो  अब  सीख  सकते  हैं , in fact as an adult आप  अपनी  हर  उपलब्धि  या  नाकामयाबी  के  लिए  खुद   जिम्मेदार  हैं.
अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  अच्छी   vocabulary होना  जरूरी  है : नहीं , vocabulary जितनी  अच्छी  है  उतना  अच्छा   है , पर   generally आम -बोल  चाल  में  जितने  words बोले  जाते  हैं , वो  आपको  पहले   से  ही  पता  होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे.  दरअसल  हम  जो  words जानते  हैं  बस  उन्ही  को  सही  जगह  place करने  की  बात  होती  है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy  ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को  अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव   

1. अपना महौल English बनाएं  : किसी  भी  भाषा  को  सीखने  में  जो  एक  चीज  सबसे  महत्त्वपूर्ण  होती  है  वो  है  हमारा  environment, हमारा  माहौल .  आखिर  हम  अपनी  मात्र -भाषा  छोटी  सी  ही  उम्र   में  कैसे  बोलने  लगते  हैं :- क्योंकि   24X7 हम  ऐसे  माहौल  में  रहते  हैं  जहाँ  वही  भाषा  बोली  , पढ़ी, और  सुनी  जाती  है .  इसीलिए  अंग्रेजी  बोलना  सीखना  है  तो  हमें  यथा  संभव  अपने  माहौल  को  English बना  देना  चाहिए .  इसके  लिए  आप  ऐसा  कुछ  कर  सकते  हैं:
•         हिंदी  अखबार  की  जगह  English Newspaper पढना  शुरू  कीजिये .
•         हिंदी  गानों  की  जगह  अंग्रेजी  गाने  सुनिए .
•         अपने interest के English program / movies देखिये .
•         अपने  room को  जितना  English बना  सकते  हैं  बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English  books,Cds ..जैसे  भी   हो  जितना  भी  हो  make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते होंकुछ ऐसे  दोस्त   खोजिये  जो  आप   ही  की  तरह  अंग्रेजी  बोलना सीखना  चाहते  हैं .  अगर  आपके  घर  में  ही  कोई  ऐसा  है  तो  फिर  तो  और  भी  अच्छा  है . लेकिन  अगर  ना  हो  तो  ऐसे  लोगों  को  खोजिये , और  वो  जितना  आपके  घर  के  करीब  हों  उतना अच्छा  है . ऐसे दोस्तों  से  अधिक  से  अधिक  बात  करें  और  सिर्फ  English में . हाँ  ,चाहें  तो  आप  mobile पर  भी  यही  काम  कर  सकते  हैं .
 3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
 4. पहले  दिन  से  ही correct English बोलने  का  प्रयास  मत  करें : अगर  आप  ऐसा  करेंगे  तो   आप   इसी  बात  में  उलझे  रह  जायेंगे  की  आप  सही  बोल  रहे  हैं  या  गलत . पहला  एक -दो  महिना  बिना  किसी  tension के   जो  मुंह  में  आये  बोले , ये  ना  सोचें  कि  आप  grammatically correct हैं  या  नहीं .  जरूरी  है  कि  आप  धीरे -धीरे  अपनी  झिझक  को  मिटाएं  .
 5. English सीखने के लिए  Alert रहे : वैसे  तो  मैं  अपनी  spoken English का  श्रेय   अपने  school St.Paul’s को  देता हूँ  पर  अंग्रेजी  के लिए  अपनी  alertness की  वजह  से  भी  मैंने  बहुत  कुछ   सीखा  है . मैं  जब  TV पर  कोई  English program देखता  था  तो  ध्यान  देता  था  की  words को  कैसे  pronounce किया  जा रहा  है , और  किसी  word को  sentence में  कैसे  use  किया  जा रहा  है . इसके  आलावा  मैंने  नए  words सीखने  के  लिए  एक  diary भी  बनायीं  थी  जिसमे  मैं  newspaper पढ़ते  वक़्त जो  words नहीं  समझ  आते  थे  वो  लिखता  था , और  उसका use  कर  के एक  sentence भी  बनता  था , इससे  word की  meaning याद  रखने  में  आसानी  होती  थी .
6. बोल  कर  पढ़ें : हर  रोज  आप  अकेले  या  अपने  group में  तेज  आवाज़  में  English का  कोई  article या  story पढ़ें . बोल -बोल  कर   पढने  से  आपका  pronunciation सही  होगा , और  बोलने  में  आत्मविश्वास  भी  बढेगा .
 7. Mirror का use करें  : मैं  English बोलना  तो  जानता  था  पर  मेरे  अन्दर  भी  fluency की  कमी  थी , इसे ठीक  करने  के  लिए  मैं  अक्सर  अकेले  शीशे  के  सामने  खड़े  होकर   English में  बोला  करता  था . और  अभी  भी  अगर  मुझे  कोई  presentation या  interview देना  होता  है  तो  मैं  शीशे   के  सामने  एक -दो  बार  practice  करके  खुद  को  तैयार  करता  हूँ .  आप  भी  अपने  घर  में  मौजूद  mirror का  इस्तेमाल  अपनी  spoken English improve करने  के  लिए  कीजिये .  शीशे  के  सामने  बोलने  का  सबसे  बड़ा  फायदा  है  कि  आप  को  कोई  झिझक  नहीं  होगी  और  आप  खुद  को  improve कर  पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना  सीखेने  को  एक  enjoyment की  तरह  देखें  इसे अपने  लिए  बोझ  ना  बनाएं .  आराम  से  आपके  लिए  जो  speed comfortable हो  उस  speed से  आगे  बढें  . पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  है  कि  आप  अपने  प्रयत्न  एकदम  से  कम   कर  दें , बल्कि  जब  आप  इसे  enjoy करेंगे  तो  खुद -बखुद  इस  दिशा  में  आपके  efforts और  भी  बढ़  जायेंगे .  आप  ये  भी  सोचें  कि  जब  आप  fluently बोलने  लगेंगे  तब  कितना  अच्छा लगेगा  , आप  का  confidence भी  बढ़  जायेगा  और  आप  सफलता  की  तरफ  बढ़ने  लगेंगे .
 9. English में सोचना शुरू करें : जब  इंसान  मन  में  कुछ  सोचता  है  तो  naturally वो  अपनी  मात्र  भाषा  में  ही  सोचता  है . लेकिन  चूँकि  आप  English सीखने  के  लिए  committed हैं  तो  आप  जो  मन  में  सोचते  हैं  उसे  भी  English में  सोचें . यकीन  जानिये  आपके  ये  छोटे -छोटे  efforts आपको  तेजी  से  आपकी  मंजिल  तक  पंहुचा  देंगे .
10. ऐसी  चीजें   पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने  में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़  बना देंगे.
11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available  videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं.  सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं. 
12. Interest मत  loose कीजिये : अधिकतर  ऐसा  होता  है  कि  लोग  बड़े  जोशो -जूनून  के  साथ  English सीखना  शुरू  करते  हैं . वो  ज्यादातर  चीजें  करते  हैं  जो  मैंने  ऊपर  बतायीं , पर  दिक्कत  ये  आती  है  कि  हर  कोई  अपनी  comfort zone में  जाना  चाहता  है . आपकी  comfort zone Hindi है  इसलिए  आपको  कुछ  दिनों  बाद  दुबारा  वो  अपनी  तरफ  खींचेगी  और  ऊपर  से  आपका  माहौल  भी  उसी  को  support करेगा . इसलिए  आपको  यहाँ  पर  थोड़ी  हिम्मत  दिखानी  होगी , अपना  interest अपना  enthusiasm बनाये  रखना  होगा .  इसके  लिए  आप  English से  related अपनी  activities में  थोडा  innovation डालिए . For example : यदि  आप  रोज़ -रोज़  serious topics पर  conversation करने से  ऊब  गए  हों  तो  कोई  abstract topic, या  फ़िल्मी   मसाले  पर  बात  करें ,  कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप  एक -दो  दिन  का  break भी  ले  सकते  हैं , और  नए  जोश  के  साथ  फिर  से  अपने  mission पर  लग  सकते  हैं . पर  कुछ  ना  कुछ  कर  के  अपना  interest बनाये  रखें . वरना  आपका  सारा  effort waste चला  जायेगा .
Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी  बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना”  और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक  रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.
तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.
कुछ यूजफुल वेबसाइट्स 
पढ़ाई-लिखाई, रोजगार और कारोबार के क्षेत्र में अंग्रेजी का महत्व किसी से छिपा नहीं है। जिन लोगों को अंग्रेजी में परेशानी महसूस होती है, उनकी मदद के लिए इंटरनेट पर काफी कुछ है। अंग्रेजी सिखाने वाली ऐसी ही कुछ यूजफुल वेबसाइट्स के बारे में बता रहे हैं 
Dave's ESL Cafe (कक्षा 6 से 12 तक) 
जिन्हें ग्रामर के पेंच सुलझाने हैं, वे इसे जरूर आजमाएं क्योंकि यहां टेन्स और वर्ब्स की जटिलताओं को दर्जनों उदाहरण देकर समझाया गया है। बोल-चाल की भाषा, उच्चारण, लहजे वगैरह पर दर्जनों चैप्टर हैं जो सिखाते हैं कि लिखने और बोलने की भाषा में क्या फर्क हैं। अंग्रेजी बोलने के इच्छुक लोगों को भी यहां से मदद मिलेगी। अंग्रेजी मुहावरों, कहावतों, सवालों आदि का भी अच्छा-खासा भंडार मिलेगा। साइट पर बाईं ओर मौजूद Stuff for students सेक्शन में जाकर अपने मतलब के चैप्टर्स ढूंढ लें। यहां सवाल भी पूछे जा सकते हैं जिनके जवाब दूसरे यूजर देते हैं। वेबसाइट है : www.eslcafe.com 

About.com के ईमेल कोर्स (नर्सरी से आठवीं तक) 
इस मशहूर वेबसाइट पर दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी सिखाने की व्यवस्था है। यह ऐसे स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी है जो नियमित रूप से साइट पर जाकर चैप्टर्स नहीं पढ़ सकते। एक बार रजिस्ट्रेशन के बाद आपको रेग्युलर ईमेल मिलने लगते हैं जिनमें अंग्रेजी सीखने के टिप्स होते हैं। रजिस्ट्रेशन के वक्त आपको कई विकल्प दिखाई देते हैं, जिनमें अपनी जरूरत और पसंद के लिहाज से विकल्प चुन सकते हैं। ये Kenneth Beare नामक एक्सपर्ट के बनाए बेसिक लेवल के कोर्स हैं, जो अल्फाबेट के साथ शुरू होते हैं और धीरे-धीरे अडवांस लेवल तक जाते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए हर हफ्ते आपको एक ईमेल भेजी जाती है। वेबसाइट का पता है :www.esl.about.com 

Voice of America का क्लासरूम (तीसरी से आठवीं तक) 
अंग्रेजी बेहतर करने के लिए यहां विडियो देख सकते हैं। अंग्रेजी शब्दों और वाक्यों के सही उच्चारण भी यहां मिलेंगे। रोजमर्रा की जिंदगी में अंग्रेजी बोलने का अभ्यास करने के लिए ऐक्टिविटी सेक्शन में जाएं। यहां तीन अलग-अलग लेवल (बिगनर, इंटरमीडिएट और अडवांस्ड) में से अपने लिए सही लेवल चुनें और पढ़ाई शुरू करें। इस सेक्शन में अलग-अलग स्थितियों में बोली जाने वाली अंग्रेजी के उदाहरण हैं, मसलन बस स्टैंड पर, कॉफी होम में, रेस्तरां में, डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेना, टेलिफोन पर बातचीत। साइट है :voanews.com/learningenglish/theclassroom/home/ 

Private English Portal (नर्सरी से आठवीं तक) 
स्टीव फोर्ड नाम के इंग्लिश एक्सपर्ट अपनी वेबसाइट पर दर्जनों विडियो के जरिए अंग्रेजी की ट्रेनिंग देते हैं। अगर उच्चारण तेजी से किया जा रहा है और समझ में नहीं आया तो विडियो के साथ-साथ सब-टाइटल भी हैं। प्राइवेट इंग्लिश पोर्टल पर बेसिक से लेकर अडवांस इंग्लिश तक की ट्रेनिंग है। आप चाहें तो बिजनेस इंग्लिश और TOEFL/IELTS की तैयारी के लिए भी इंग्लिश लेसंस ले सकते हैं। स्टीव फोर्ड का अंदाज तो दिलचस्प है ही, अपने विडियो में वे छात्रों का हौसला भी बढ़ाते है। वेबसाइट है : privateenglishportal.com स्टीव के विडियो यूट्यूब पर भी हैं : youtube.com/user/PrivateEnglishPortal 

english-grammar-lessons.com (मिडल क्लासेज के लिए) 
सही टेन्स, वर्ब आदि का इस्तेमाल न कर पाना समस्या है, तो इस वेबसाइट के फ्री लेसन्स आजमाइए। यहां तीस के करीब ग्रामर लेसन्स हैं जिनके साथ दर्जनों एक्सर्साइज हैं। पियर्सन ब्राउन नाम के अंग्रेजी एक्सपर्ट और उनकी पत्नी कैरोलिन यह वेबसाइट चलाते हैं और उनके लेसन्स ईमेल के जरिए उपलब्ध हैं। ब्राउन दंपति अंग्रेजी की ट्रेनिंग के लिए कुछ और वेबसाइट भी चलाते हैं। ये हैं : 
carolinebrownlisteninglessons.com (अंग्रेजी सुनने का अभ्यास) 
carolinebrownenglishlessons.com (अंग्रेजी मुहावरे और कहावतें) 
hrenglish.com (कामकाज, दफ्तर संबंधी अंग्रेजी) 
effective-public-speaking.com (अंग्रेजी बोलने का अभ्यास) 
http://business-english.com/ (कारोबारी अंग्रेजी) 

Grammar Monster (तीसरी से छठी कक्षा के लिए) 
अंग्रेजी ग्रामर के Adverbs, adjectives, conjunctions, pronouns, verbs वगैरह को अच्छी तरह समझने के लिए यह सही ठिकाना है। यहां बेसिक इंग्लिश के कुछ पहलुओं को तीन हेडलाइंस के तहत विस्तार से कवर किया गया है - Punctuation Lessons, Eight Parts of Speech और Miscellaneous. पहले सेक्शन में जहां ब्रैकेट, कॉमा, डैश, सेमी-कोलन आदि का प्रयोग सीखते हैं, वहीं दूसरे सेक्शन में Adjectives, Adverbs, Conjunctions, Interjections, Nouns, Prepositions, Pronouns Verbs के कॉन्सेप्ट्स समझते हैं। तीसरे सेक्शन में Singular, Plural, Abbreviations, Vocative Case, Comparatives आदि की जानकारी दी गई है। वेबसाइट है : grammar-monster.com 

इंग्लिश पेज (अडवांस क्लासेज के लिए) 
जिन्हें अंग्रेजी की ठीकठाक जानकारी है, मगर जो इसमें अडवांस लेवल की दक्षता चाहते हैं, उन्हें यहां दिए गए ट्यूटोरियल्स पर नजर डालनी चाहिए। यहां इंग्लिश ग्रामर बुक, वीकली लेसन्स, रीडिंग रूम, लिसनिंग लाउंज, लैंग्वेज गेम्स जैसी उपयोगी सेवाएं हैं और अपने इंग्लिश ज्ञान को आजमाने के लिए दर्जनों एक्सर्साइज भी। वीकली लेसन्स में हर हफ्ते एक कॉन्सेप्ट से जुड़ी एक्सरसाइज को लिया जाता है। यहां डिक्शनरी भी हैं और स्टूडेंट्स का फोरम भी चलाया जाता है जहां आप सवालों के जवाब पूछ सकते हैं। पता है :englishpage.com 

इंग्लिश ग्रामर लेसन्स (प्राइमरी से अडवांस क्लास के लिए) 
यहां ढेरों अंग्रेजी ट्यूटोरियल्स पीडीएफ फाइलों के रूप में डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं। उन्हें डाउनलोड करना मजबूरी नहीं है। आप चाहें तो टेक्स्ट फॉर्मैट में वेबसाइट पर भी इन्हें पढ़ सकते हैं। सैंकड़ों पेज वाली इस वेबसाइट को इंटरनेट पर अंग्रेजी से जुड़ी एजुकेशनल सामग्री के सबसे अच्छे ठिकानों में गिना जा सकता है। ग्रामर के नियमों को और साफ करने के लिए आप Grammar rules review पर नजर डाल सकते हैं। साइट पर विडियो भी हैं, जिन्हें देखकर लगता नहीं कि अंग्रेजी इतनी जटिल भाषा है। वेबसाइट है :englishgrammar.org/lessons/
http://www.englishspeak.com/

7/8/12

Job Interview


इंटरव्यू का नाम सुनते ही मन में घबराहट होने लगती है। इंटरव्यू कैसा होगा, मेरा सिलेक्शन होगा कि नही, कौन सा सवाल पूछेंगे? यह सभी प्रश्न मन मेंउठने लगते हैं। घबराहट में अक्सर ऐसा भी होता है कि सही उत्तर जानते हुए भी आप गलत उत्तर दे देते हैं। इंटरव्यू में असफल होने पर कुछ लोग हताशभी हो जाते हैं।
बहुत सारे आवेदको लिए साक्षात्कार एक कठिन समय होता है। इंटरव्‍यू की तैयारी सही तरह से की जाए तो उसे सफलता पूर्वकसंपन्न किया जा सकता है। इंटरव्‍यू में जाने से पहले पहनावा,व्यक्तित्व,कार्य विवरण की पूर्ण जानकारी तथा नियोक्ता द्वाराकिये जा सकने वाले प्रश्नों की तैयारी आपके इंटरव्‍यू को 70% पूर्ण करती है। किसी भी इंटरव्‍यू  में चिंता करने के बजाए तैयारीपर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
इंटरव्यू के लिए अक्सर यंगस्टर्स कपड़ों से लेकर बायोडाटा तक की तैयारी का ध्यान रखते हैं। अगर इंटरव्‍यू पहली बार हो तो तैयारी बहुत मायने रखती है।

कुछ ऐसे टिप्स हैं जिन पर अगर आपने अमल किया तो आपका इंटरव्यू आपको सफलता दिलवा सकता है।
कंपनी के बारे में रि‍सर्च- जिस कंपनी में आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे है उसके बारे में जितनी भी जानकारी जुटा सकें जुटा लें। कंपनी के उत्पाद या सेवा के बारे में, कंपनी की ग्रोथ के बारे में। कंपनी की वेबसाइट से जरूरी जानकारी लें।
जवाबों की तैयारी- इंटरव्यू के दौरान कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके पूछे जाने की संभावना अधिक रहती है। जैसे आपने पहले कहां नौकरी की थी या आपके पास कितना व कैसा एक्‍सपीरि‍एंस है या अपने बारे में कुछ बताएं आदि। इन प्रश्नों के अलावा कुछ टेक्‍नि‍कल सवाल भी हो सकते हैं जिनका संबंध आपकी पढ़ाई से हो सकता है। इन सवालों के जवाब पहले से तैयार कर लें और हो सके तो एक बार इसकी तैयारी भी कर लें। याद रखें इंटरव्यू में बिना तैयारी के बिलकुल न जाएं।
चेक लिस्ट बनाएं- इंटरव्यू के दौरान लगने वाले कागजात, सर्टिफिकेट आदि की चेक लिस्ट बनाकर रखें। कई बार इंटरव्यू में प्रेजेंटेशन भी देना पड़ता है। ऐसे में इस प्रेजेंटेशन के लिए पहले से इसे सीडी व पेन ड्राइव में जरूर रख लें।
समय से पहले ही पहुंचे- इंटरव्यू के स्थान पर वक्त से पहले पहुंचें। हो सके तो आधा घंटा वहां बिताएं ताकि आप उस माहौल में अपने आपको सही तरीके से ढाल सकें और इंटरव्यू के दौरान आप नर्वस न हो।
पॉजि‍टि‍व रहें- मन में ऐसा कोई डाउट बिलकुल भी न रखें कि आप इंटरव्यू अच्छा नहीं दे पाएंगे। पॉजि‍टि‍व एप्रोच बनाए रखें।
कपड़ों का सि‍लेक्‍श- ज्‍यादातर इंटरव्यू के दौरान फॉर्मल कपड़े ही पसंद किए जाते हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपका पहनावा सबकुछ नहीं, पर बहुत कुछ है। इस कारण आपकी पर्सनलि‍टी को सूट करे, ऐसे ही फॉर्मल कपड़े सि‍लेक्‍ट करें।
रिज्यूमे को अपडेट करते रहें
जरूरी नहीं है कि आपका रिज्यूमे हर कंपनी में एक जैसा कारगर साबित हो। हर जॉब की जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव करते रहें। हर बार कंपनी को ध्यान में रखकर इसे अपडेट करना सही रहता है। दरअसल, कई कंपनियां अनुभव को अधिक महत्व देती हैं, तो कुछ एजुकेशनल बैकग्राउंड पर खासा जोर देती हैं।
कवर लेटर पर ध्यान दें
सिर्फ रिज्यूमे ही नहीं, कवर लेटर का भी इंप्रेशन पड़ता है। कई बार इसे नजरअंदाज करने का मतलब मौका गंवाना होता है। कवर लेटर के माध्यम से आप यह बताते हैं कि आप किस तरह उस ऑर्गनाइजेशन के फायदे के लिए काम करेंगे? इसमें स्पेलिंग और ग्रामर की गलतियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
खुशमिजाजी- आपका खुशमिजाज होना इंटरव्यू के दौरान के माहौल को काफी खुशनुमा बना देगा। इसके अलावा आपकी मधुर मुस्कान, हाथ मिलाने का तरीका, आंखें भी आपकी पर्सनालि‍टी का हिस्सा है और अगर इसका इस्तेमाल आपने सही तरीके से कर दिया तब आपका इंप्रेशन काफी अच्छा पड़ सकता है।

बीच में न टोकें- अक्सर यह देखने में आता है कि इंटरव्यू पेनल के मेम्‍बर्स एक से ज्यादा होते हैं। मेम्‍बर्स एक के बाद एक प्रश्न पूछते हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप सभी सदस्यों से मुखातिब होते हुए सवालों का जवाब दें और कभी भी इंटरव्यू लेने वाले को बीच में न टोकें।
झूठ न बोलें
अगर किसी सवाल का जवाब आपको मालूम नहीं है तो बेहतर है कि आप इस तथ्य को स्वीकार लें। अगर आप झूठी बातें बनाएंगे या फिर गोल-मोल बातें करेंगे तो इस बात की काफी आशंका है कि इंटरव्यू लेने वाले को तुरंत इसकी भनक लग जाएगी। यहां तक कि ऐसे उम्मीदवार से इंटरव्यू लेने वाले लोग और भी मुश्किल सवाल पूछने लगते हैं।
हल्का-फुल्का मजाक बुरा नहीं
इंटरव्यू देने जाने का मतलब यह नहीं है कि जब तक आपका इंटरव्यू हो, आप गंभीरता का चोला ओढ़े रहें। इंटरव्यू देने के दौरान अपने सेंस ऑफ ह्यूमर का थोड़ा-बहुत इस्तेमाल करना बुरा आइडिया नहीं है। इससे आपको अपनी पर्सनेलिटी के एक खबसूरत पक्ष से इंटरव्यू लेने वालों को रूबरू करवाने का मौका मिलेगा। पर, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इंटरव्यू के दौरान सामने वाले को लतीफे सुनाने लगें, बल्कि आपको कुछ ऐसा कहना है, जिससे सामने बैठे व्यक्ति के चेहरे पर खुद-ब-खुद मुस्कान आ जाए।
सामान्य बातों का रखें ध्यान
जिस तरह से आप किसी के सामने व्यवहार करते हैं, उससे आपके पालन-पोषण का काफी हद तक अनुमान लगता है। इसलिए बेहतर होगा कि इंटरव्यू देने के दौरान आप विनम्र बने रहें। अति-आत्मविश्वास को हमेशा नकारात्मक रूप में ही देखा जाता है। कोई भी बात विनम्रता से कहें,  इंटरव्यू के दौरान सामने बैठे पैनल से आई कॉन्टैक्ट बनाए रखना आसान नहीं है, पर ऐसा करके आप उन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकते हैं।
स्लैंग्स का इस्तेमाल न करें
इंटरव्यू के दौरान शब्दों का चुनाव सोच-समझ कर करें। आप अपनी बोली या व्यवहार में जिन शब्दों का उपयोग बेहद आसानी से करते हैं, संभव है इंटरव्यू बोर्ड में बैठे लोग उस शब्द का अर्थ ही न जानते हों। साथ ही इंटरव्यू में स्लैंग के उपयोग को उचित भी नहीं माना जाता। बेहतर होगा कि इंटरव्यू में आप फॉर्मल तरीके से ही बात करें।
ध्यान से सुनें
अगर कोई प्रश्न आप समझ नहीं पा रहे हैं तो बेहतर होगा कि तुरंत इंटरव्यू लेने वाले से फिर से प्रश्न पूछने की गुजारिश करें। किसी सवाल का अप्रासंगिक उत्तर देने से यह कहीं बेहतर विकल्प है।
जैसे हैं आप, वैसा करें व्यवहार
इंटरव्यू देने के दौरान कई लोग अपनी पर्सनेलिटी पर एक बिल्कुल नया आयाम ओढ़ लेते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वो निजी जिंदगी में वैसे होते ही नहीं। कई लोग अपने बोलने के तरीके को बदल लेते हैं तो कुछ ऐसी हरकतें करने लगते हैं, जो उनकी पर्सनेलिटी का हिस्सा है ही नहीं। बेहतर होगा कि आप अपनी पर्सनेलिटी के अनुरूप व्यवहार करें।
शिकायत न करें- इंटरव्यू में इस बात का ध्यान जरूर रखें कि अगर आप कोई नौकरी छोड़कर आए हैं, तो उस ऑर्गनाइजेशन की बुराई बिलकुल भी न करें।
इंटरव्यू समाप्त होने के बाद इंटरव्यू बोर्ड को धन्यवाद कहना न भूलें।

              जानें इंटरव्यू में अच्छे प्रदर्शन के मंत्र
इंटरव्यू देना और वह भी बिल्कुल परफेक्ट तरीके से देना आसान काम नहीं है। कई बार इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति की पर्सनेलिटी इतनी भारी-भरकम होती है कि अच्छी-से-अच्छी तैयारी के बाद भी कमरे में प्रवेश करते ही सारा आत्मविश्वास गायब हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि जब इंटरव्यू देने जाएं, पूरी तैयारी के साथ जाएं।
इंटरव्यू देने जा रहे हैं तो उससे पहले कुछ चीजों की जानकारी जरूर इकट्ठा कर लें। मसलन कंपनी का संक्षिप्त इतिहास और उसकी खासियत और साथ ही जिस प्रोफाइल के लिए आप इंटरव्यू देने जा रहे हैं, उसका पूरा विवरण। आप किसी कॉलेज में दाखिले के लिए इंटरव्यू दे रहे हैं या फिर किसी संस्थान में नौकरी के लिए, अपनी उम्मीदवारी पक्की करना चाहते हैं तो  इन बातों को कभी भी अनदेखा न करें:
सबसे पहले साक्षात्कार के पहनावे का चुनाव करना।

1
पहनावा- पुरुष वर्ग  को साक्षात्कार के लिए अपने व्‍यक्त्वि से मिलता हुआ पहनावा पहनना चाहिए। साक्षात्कार के लिएहल्‍के रंग के कपडे़ पहनना चाहिए। महिलाओं को सामान्य किस्म का पहनावा पहनना चाहिए।
2.साक्षात्कार के समय चेहरे पर मुस्कराहट और गर्मजोशी से साक्षात्काकर्ता से हाथ मिलाना एक  अच्छी शुरुआत होती है। ऐसीशुरुआत आपकी संभावनाओं को और प्रगाड़  बनाती है।
3.
साक्षात्कार
1. 
अपने बायोडाटा की पूर्ण जानकारी – अपने बॉयोडाटा को कई बार पढ़कर यह सुनियोजित कर ले की आपने जो लिखा है वहआत्मसाध किया है या नहीं। साक्षात्कारकर्ता के किसी भी प्रश्न जो की आपके बॉयोडाटा मे लिखा है और आपके वक्तव्य मेभिन्नता रखता है जटिलता उत्पन्न करता है। अपना बॉयोडाटा सरल एवं सारगर्भित बनाए। आपका बॉयोडाटा आपके कार्यअनुभव का दर्पण होता है। आप सुनिश्चित करें कि आपका लिखा हुआ हर शब्द आप जानते हैं।
2. 
कार्य अनुभव का विवरण -आप अपने कार्य विवरण को सम्पूर्णता और कुशलता के साथ सूचीबद्ध करके क्रमबद्ध तरीके सेलिखे, सबसे पहले अपना नाम लिखकर नीचे की लाइन में अपना उद्देश्य लिखे। उसके बाद अपना वर्तमान कार्य अनुभव कोक्रमबद्ध करके लिखे तथा उसमे सम्पूर्ण विवरण लिखे की आपका कार्य किस प्रकार का है। आप को किन-किन जिम्मेदारियोंको निर्ववहन करने के लिए कहा गया है। अपने वर्तमान कार्यकाल की समयावधि का उल्लेख भी सही तरीके से करें।
3.
अपेक्षित कार्य विवरण की जानकारी -साक्षात्कार पर जाने से पहले नियोक्ता द्वारा अपेक्षित कार्य विवरण को समझानाऔर उसके हिसाब से अपने को प्रस्तुत करना ही कला है। अपनी शिक्षा,कार्य अनुभव और अपनी कार्य क्षमता के अनुरूपसाक्षात्कार की तैयारी करना और साक्षात्कार मे उपस्थित होना ही बुद्धिमानी है। अपेक्षित कार्य विवरण को समझकर उपस्थितहोने पर साक्षात्‍कर्ता द्वारा पूछे जाने पर की “आप इस पद के लिए ही संभावित उम्मीदवार है कृपया अपने कथनों द्वारा सिद्धकरो” को भलीभांति समझाने के लिए अपेक्षित कार्य विवरण की गहन जानकारी होना अनिवार्य है। कंपनी के उत्पादों कीजानकारी और कंपनी की प्रतिद्वंदियों की जानकारी आपके कार्य ज्ञान को और अधिक प्रगाद बनती है।

4.
अपने संचार कौशल में सुधार-साक्षात्कार के समय शब्दों का चयन और संचार कौशल बहुत मायने रखता है। अपना पक्षप्रभावी रूप से रखने पर नियोक्ता पर अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। अपनी आवाज़ को सयमित रखते हुए सही शब्दों के चुनाव के साथवक्तव्य करना प्रभावी साक्षात्कार होता है और नियोक्ता आपको गंभीरता से सुनता है। हड़बड़ाहट मे बोलना अथवा तेजी सेबोलना अपरिपक्वता का परिचयक होता है। अपना बात खत्‍म होने पर नियोक्ता द्वारा प्रश्न पूछे जाने के मध्य में एक गहरीसांस लेकर अपना वाणी संतुलन  कर लेना चाहिए। कभी-कभी जब आप गलती से गंतव्य खो जाये तो तुरंत वक्तव्य सिमितकरने का प्रयास करे। आत्मविश्वास के साथ बोले गए चार शब्द ही नियोक्ता पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं।
5.
कैसी हो शारीरिक भाषा – इंटरव्‍यू में आपके शरीर की भाषा बहुत महत्व पूर्ण होती है। साक्षात्कार के समय नियोक्ता के आंखसे संपर्क बनाये रखना आपके विश्वास का परिचायक होता है। झुक कर बैठना भी आपके कमजोर  आत्मविश्वास को दर्शाताहै। आपके शरीर की भाषा के बारे में सोचो - अपने साक्षात्कार के शरीर की भाषा के बारे में पता करने का सबसे अच्छा तरीकाएक दर्पण के सामने अभ्यास है। इस तरह आपको विश्वास हो जाएगा कि आप अपनी नौकरी साक्षात्कार में सही संदेश भेज रहेहैं।
6.
सवालों की तैयारी - कैसे करें सवालों की तैयारी। ये सवाल बहुदा साक्षात्कार देने वाले के मन में आते हैं। 
सामान्तया कुछ प्रश्न बहुतायत में पूछे जाते है। 
-अपने बारे में बताओ।
- अपने दैनिक कार्य विवरण को समझाओ।
- आपकी टीम संरचना क्या है।
-आपके  भविष्य का क्या प्लान है।
-आपका वर्तमान कंपनी के साथ क्या भविष्य है।
-आप अपना वर्तमान काम क्यों छोड़ना चाहते है।
-आप हमारी कंपनी के बारे मे क्या जानते हैं।
-अपने कार्य काल में किसी कठिन परिस्थिति और उसका निवारण आपने कैसे किया,बताये।
                    नियोक्ता द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर न होने पर किसी भी तरह प्रश्न का उत्तर देने के बजाये यहकहे की मुझे इसकी पूर्ण जानकारी नहीं है गलत। उत्तर देना आपके पक्ष को कमजोर करता है। अपनी वर्तमान कंपनी के बारे मेबुराई करना भी आपके लिए नकारात्मक दृष्टिकोण बनता है, आपके सोच का विश्लेषण करने पर नियोक्ता को लगना चाहिएके उसने एक पॉजीटीव दृष्टिकोण वाले कर्मकार का चयन किया है आपकी। सकारात्मक सोच, आपका करियर के प्रति झुकावऔर कुछ करने के लगन का विश्लषण नियोक्ता द्वारा किये जाने पर आपके सफल होने के आसार बड़ा देता है। 
कैसे सामना करें इंटरव्यू
इंटरव्यू का नाम आते ही दिल में एक डर पैदा होने लगता है। इंटरव्यू के लिए आपको हर तरह से तैयार रहना पड़ता है। इंटरव्यू से पहले कई अनजाने सवाल सताने लगते हैं। 

कहते हैं कि 'वेल बिग्निंग इज हाफ डन' अगर आपने इंटरव्यू में शुरू से ही अपना विश्वास बनाए रखा और इंटरव्यू पेनल के शुरुआती सवालों का प्रभावशाली अंदाज में जवाब दे दिया तो मान लें कि आपकी सफलता की संभावनाएं प्रबल हैं।

इटरव्यू में जाने से पहले नीचे दिए गए टिप्स पर गौर करें। ये टिप्स आपके लिए बड़े मददगार साबित होंगे। टिप्स पढ़ने के बाद आप पाएंगे कि आपका आत्मविश्वास बढ़ गया है।

1. कहा जाता है कि पहला इंप्रेशन ही आखिरी इंप्रेशन होता है। इसलिए मेंटल लेवल पर तैयारी के साथ-साथ आप यह न भूल जाएं कि इंटरव्यू में आपकी बौद्धिक क्षमता के अलावा आपकी बॉडी लेंग्वेज को भी परखा जाएगा। वेल ड्रेस्ड होकर ही इंटरव्यू में जाएं क्योंकि इससे आप आत्मविश्वास से भर जाएंगे।
2. अपने साथ जरूरी कागजात जरूर ले जाएं। मसलन अपने सर्टिफिकेट, एकेडमिक एचीवमेंट और बायोडाटा जो आपने इंटरव्यू से पहले भेजा था, उसकी एक प्रति अवश्य ले जाएं।
3. अपने कागजात इंटरव्यू में तभी प्रस्तुत करें, जब आप से मांगें जाएं।
4. इंटरव्यू में लेट न हों। कम से कम पंद्रह मिनट पहले पहुंचने की कोशिश करें।
5. यदि किसी कारण न चाहते हुए भी इंटरव्यू में लेट हो जाएं तो उसके लिए सबसे पहले क्षमा मांगें और देर से आने के कारण का उल्लेख करें।
6. इंटरव्यू कक्ष में पहुंचते ही इंटरव्यू पैनल के सदस्यों का अभिवादन जरूर करें।
7. इंटरव्यू पैनल के हर सवाल को ध्यान से सुनें और यदि किसी सवाल को सुनने में कोई शक हो तो निम्रतापूर्वक उसे दोहराने के लिए कहें।
8. सवालों के जवाब विश्वास के साथ और संक्षेप में दें जब तक कि विस्तृत जानकारी देने के लिए न कहा जाए।
9. जिस संस्थान में इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, उसके बारे में मोटी जानकारी पहले ही जुटा लें।
10. जब आपसे पूछा जाए कि इस पद के लिए आपकी 'एक्सपेक्टेशन' क्या है तो इसका जवाब चतुराई से दें। सीधे ही कोई फिगर बताने से बेहतर होगा कि आप कहें कि 'एस पर द मार्केट स्टेंडर्ड'। इंटरव्यू पैनल के दोबारा पूछने पर आप अपने मुताबिक कोई फिगर बता सकते हैं।
11. इंटरव्यू के दौरान इंटरव्यू पैनल से आई कॉन्टेक्ट कायम रखें।
12. अगर किसी विषय में जानकारी नहीं है तो उसे स्वीकार कर लें।
13. कभी झूठ न बोलें। अगर इंटरव्यू पैनल ने आपका झूठ पकड़ लिया तो आपकी सारी इंप्रेशन खराब हो जाएगी।
 इंटरव्यू क्लियर करने के 4 फंडे
कई बार हमें लगता है कि इंटरव्यू तो अच्छा रहा लेकिन फिर भी जॉब नहीं मिला। दरअसल, इंटरव्यू के दौरान हम कई आसान सवालों के मुश्किल जवाब देदेते हैं। आइए मुश्किल खड़ी करने वाले ऐसे ही कुछ सवालों और उनके जवाब के बारे में बात करते हैं... 

सीन-1
 इंटरव्यू लेने वाला हमसे नौकरी बदलने का कारण पूछता है। तब हम या तो खुद का बचाव करते हैं या कोई बेतुका सा जवाब दे देते हैं।
तो क्या कहें? बचाव की बजाय साफ-साफ बताएं कि जॉब बदलना आपकी आदत नहीं है। बल्कि पुरानी कंपनियों में संतुष्ट नहीं थे। अब आप ऐसी कंपनी मेंकाम करना चाहते हैं जहां सैलरी तो अच्छी मिले ही, काम करने के मौके भी ज्यादा हों।
 सीन-2
 इंटरव्यू में यह सवाल भी आता है कि आपको नौकरी पर क्यों रखें? आप इस सवाल पर स्ट्रैंथ बता देते हैं। इस जवाब में कोई टेक्निकल फॉल्ट भी नहीं है।लेकिन इसका दूसरा जवाब भी हो सकता है।

तो क्या कहें? कहिए-आपका सवाल अच्छा है लेकिन मैं ऑडिशन इंटरव्यू में पार्टिसिपेट करना चाहता हूं। इससे आपको मेरी स्ट्रैंथ के बारे में पता चलजाएगा। ऑडिशन इंटरव्यू में आप जॉब मिलने से पहले काम करके दिखाते हैं। इससे मैनेजर ऑफर लेटर देने से पहले आपकी परफॉर्मेंस को जान जाता है।
 सीन-3
 फिर वह पूछता है कि आप इस कंपनी में कब तक रुकेंगे। आप कहते हैं, रिटायरमेंट तक। मगर, आज के माहौल में इस तरह के जवाब पर कोई यकीन नहींकरेगा।

तो क्या कहें? आपको कहना चाहिए, 'मैं यहां उस वक्त तक काम करूंगा, जब तक मैं कंपनी में अच्छा परफॉर्म कर सकूं और प्रोफेशनल ग्रोथ मिलती रहे।'
 सीन-4
 अंत में वह आपसे सैलरी के बारे में बात करता है। आप उल्टा उससे इस पोस्ट का बजट पूछते हैं। यह गलत तरीका है, जिससे इंटरव्यू लेने वाला इरीटेट होसकता है। तो क्या कहें? आपसे सैलरी के बारे में सवाल किया जाए तो एक या दो बार इसे टाल दें। मगर, जब अगली बार पूछा जाए तो आप कहें कि मेरीपोस्ट और वर्क प्रोफाइल को देखकर सैलरी तय कर दें।