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5/18/12

probation period

प्रोबेशन पीरियड खुद को साबित करने के दिन
नौकरियों की जानकारी देने वाली साइट्स को लेकर युवाओं की जितनी उत्सुकता दिखती है, उतने ही ज्यादा सवाल प्रोबेशन पीरियड को लेकर भी देखने को मिलते हैं। प्रोबेशन पीरियड का अर्थ, इस दौरान कंपनी की पॉलिसी और डॉक्यूमेंट्स संबंधी बातों के बारे में उम्मीदवारों में कई उलझनें भी देखने को मिलती हैं। जेनपेक्ट कंपनी के एचआर एग्जीक्यूटिव देवव्रत गांगुली के अनुसार ‘ऐसे उम्मीदवारों की भी कमी नहीं है, जो इसे महज औपचारिकता समझते हैं। हर कोई नौकरी की  सुरक्षा चाहता है, लेकिन यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि किसी कंपनी में उम्मीदवार को तभी कन्फर्म किया जाता है, जब वे प्रोबेशन पीरियड में पॉलिसी के मुताबिक अपना सर्वश्रेष्ठ देता है।’
दरअसल, प्रोबेशन पीरियड कर्मचारी और कंपनी दोनों के लिए अहम है। एक तरफ जहां कंपनी नौकरी पक्की करने से पहले निश्चित समयावधि में उम्मीदवार की उपयोगिता और योग्यता को परखती है, वहीं उम्मीदवार को भी खुद को परखने का मौका मिलता है। जाहिर है इस दौरान कर्मचारी का कार्य-प्रदर्शन और व्यवहार काफी मायने रखता है। नोएडा स्थित स्पाइक कॉम बीपीओ की सीनियर एचआर मैनेजर वंशिका अग्रवाल के मुताबिक ‘प्रोबेशन पीरियड तरक्की की चाबी है। बेहद वरिष्ठ पदों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सभी कंपनियों में विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों को सीधे कन्फर्म करने से पहले प्रोबेशन पर रखा जाता है। निजी ही नहीं, बल्कि सरकारी क्षेत्र की कंपनियां भी प्रोबेशन पर भर्ती करती हैं। इस संबंध में उम्मीदवार का कंपनी की कार्यस्थल संबंधी नीतियों को समझना अच्छा रहता है। 
पीरियड खत्म, पर नहीं हुए कन्फर्म..
कई बार ऐसा भी होता है कि निर्धारित प्रोबेशन अवधि खत्म होने पर कंपनी द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जाती, जिसके कारण पहली नौकरी कर रहे युवाओं में कुछ उलझनें पैदा हो जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं, स्वयं से यह न मानें कि कंपनी आपके काम से संतुष्ट नहीं है। देवव्रत गांगुली के मुताबिक ‘हर कंपनी की पॉलिसी होती है कि अगर कर्मचारी अपने प्रोबेशन के दौरान अच्छा नहीं करता तो उसे कॉन्ट्रेक्ट के नियमों के मुताबिक समयावधि पूरी होते ही बता दिया जाए।’ पर यदि कोई जानकारी नहीं दी गई है तो कुछ कारण भी हो सकते हैं।
हो सकता है कि कंपनी नए वित्तीय वर्ष में नौकरी कन्फर्म करने की कागजी प्रक्रिया करना चाहती हो या फिर किसी अन्य तरह के काम का दबाव कंपनी पर हो। यह कंपनी की नीतियों पर भी निर्भर करता है कि प्रोबेशन के कितने दिनों बाद कन्फर्मेशन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। नौकरी कन्फर्म होते ही नए सैलेरी स्लैब के हिसाब से अन्य महीनों का वेतन दे दिया जाता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि कन्फर्मेशन के बाद वेतन में बढ़ोतरी होगी ही। उम्मीदवार को यह ध्यान रखना चाहिए कि मात्र कन्फर्म होने की जानकारी न मिलने पर आप ज्यादा छुट्टी लेकर या काम के प्रति लापरवाही बरत कर अपना रिकॉर्ड खराब न करें। 
ऐसे बनेगा अच्छा रिपोर्ट कार्ड
खुद का आकलन करें:  प्रोबेशन पीरियड उम्मीदवार की योग्यता और व्यवहार कुशलता को परखने का समय होता है। इस दौरान आपके काम की लगातार मॉनिटरिंग होती रहती है।  बेहतर होगा कि खुद भी अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार करते रहें। सौंपे गए काम  को कितनी कुशलता से किया है, निर्धारित समयाविधि के दौरान किया है या नहीं, इन बातों का ध्यान रखें। कुछ खामियां पता चलने पर निराश न हों, बल्कि उन्हें दूर करने का प्रयास करें। 
ऑफिस पॉलिटिक्स या गॉसिप से रहें दूर: एक सर्वे के मुताबिक ऑफिस पॉलिटिक्स या गॉसिपिंग उम्मीदवार की कार्यकुशलता पर नकारात्मक असर डालती है। वर्कप्लेस पर अनावश्यक तनाव व नकारात्मक माहौल भी बनता है। फालतू की गॉसिपिंग के चक्कर में कई बार उम्मीदवार अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। कई बार लॉबी विशेष का हिस्सा बनने से अच्छी-खासी छवि भी बिगड़ जाती है। ऐसे में दफ्तर में उन लोगों से परहेज करें, जो पॉलिटिक्स में ही उलझे रहते हैं। एकदम बातचीत करना छोड़ देने से गलत संदेश भी जा सकता है। बेहतर होगा कि सामान्य व्यवहार रखते हुए अपने काम पर ही फोकस्ड रहें। 
अतिरिक्त कार्य करें: आपको जिस प्रोजेक्ट या एसाइनमेंट में शामिल किया जाता है, उसके प्रति पूरी जिम्मेदारी से काम करें। पर  खुद को उसी काम तक सीमित न रखें। शेष समय में अतिरिक्त काम करने की कोशिश भी करें। इससे अन्य कर्मियों में आपकी पहचान बनेगी और नया काम सीखने को मिलेगा।
वर्क कल्चर को समझों:  किसी भी कंपनी में अपनी जगह बनाने के लिए उस कंपनी के वर्क कल्चर के अनुसार खुद को ढालना आवश्यक है।  वंशिका अग्रवाल के मुताबिक ‘हमारे यहां कैंपस प्लेसमेंट के जरिए साल में दो बार प्रोबेशन पर भर्ती की जाती है, लेकिन कुछ ही छह महीने का प्रोबेशन पूरा कर पाते हैं। हर कोई वर्क कल्चर के तौर-तरीकों को जल्दी से अपना नहीं पाता। खासतौर पर पहली नौकरी में यह अधिक देखने को मिलता है।’ 
पूरा करें प्रोबेशन पीरियड: प्रोबेशन पीरियड के दौरान कुछ उम्मीदवार अच्छी नौकरी की ऑफर मिलने पर बिना कोई नोटिस पीरियड दिए कॉन्ट्रेक्ट तोड़ देते हैं, जो गलत है। प्रोबेशन पीरियड को अवश्य पूरा करें। कॉन्ट्रेक्ट बीच में छोड़ देने से कानूनी कार्रवाई हो सकती है, साथ ही इंडस्ट्री में ब्लैकलिस्टेड होने की आशंका भी बनी रहती है।
तो नहीं होगी प्रोबेशन पीरियड में दिक्कत
डॉक्यूमेंट्स संबंधी नीति से न घबराएं:  प्रोबेशन को लेकर हर कंपनी की अलग-अलग नीतियां हैं। कुछ कंपनियां भर्ती के समय डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी की बजाए ओरिजनल्स जमा करती हैं। ऐसे में कुछ उम्मीदवार नौकरी को ज्वॉइन ही नहीं करते और जो ज्वॉइन करते हैं, उनके मन में पहले दिन से ही कंपनी के प्रति अविश्वास की भावना पैदा हो जाती है, जिसका असर कार्यकुशलता पर पड़ता है।
देवव्रत गांगुली के मुताबिक, ‘कंपनी ऐसा इसलिए करती है, ताकि कर्मचारी प्रोबेशन पीरियड का उल्लंघन न करें यानी बीच में ही न छोड़ें। लिहाजा कर्मचारी को घबराने की जरूरत नहीं। अगर मन में तब भी कोई शंका हो तो एचआर विभाग से खुल कर बात करें और लिखित प्रावधानों को पढ़ें। यह महज औपचारिकता होती है। प्रोबेशन पीरियड में ही एक निश्चित समयावधि में डॉक्यूमेंट्स वापस दे दिए जाते हैं।
छुट्टी और अदायगी के नियम हो सकते हैं अलग:  प्रोबेशन और वास्तविक कर्मचारियों के लिए छुट्टी और अदायगी के नियम भी अलग-अलग हो सकते हैं। समस्या तब होती है, जब प्रोबेशन पर कार्यरत कर्मचारी अन्य की तरह छुट्टी लेते हैं या फिर मोबाइल या मेडिकल बिल का क्लेम करते हैं, जो कि नियमों के विरुद्ध हो सकता है। कई उम्मीदवार इस कारण बेवजह नाराज रहते हैं। जरूरी है कि ज्वॉइनिंग के समय ही  छुट्टियों और अन्य क्लेम के बार में जान लें।
एचआर से कम्युनिकेशन जरूरी: प्रोबेशन के कॉन्ट्रेक्ट से जुड़े नियमों में अगर कंपनी कुछ बदलाव करती है तो उसकी जानकारी के लिए हमेशा एचआर विभाग के संपर्क में रहें। वंशिका अग्रवाल के मुताबिक, ‘हो सकता है किसी कर्मचारी का प्रोबेशन पीरियड एक साल है, पर उसके बाद रखे गए कर्मचारियों का प्रोबेशन छह माह रखा गया है। ऐसे में जरूरी नहीं कि नया नियम पुराने कर्मचारियों पर भी लागू हो। बेहतर होगा कि एचआर विभाग से जानकारी ले लें।

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