2/12/22

Diabetes and Lifestyle in hindi

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों दावों की पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

आजकल भागदौड़ भरी जीवनशैली (Lifestyle) में अनियमित खान-पान की वजह से कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. डायबिटीज (Diabets) भी एक ऐसी बीमारी है जिसकी बड़ी वजह आपकी लाइफस्टाइल ही है. खासबात ये है कि डायबिटीज धीरे-धीरे आपके शरीर के दूसरे हिस्सों को प्रभावित करना शुरु कर देती है. इसीलिए डायबिटीज को साइलेंट किलर (Silent Killer) कहा जाता है. डायबिटीज होने पर आपकी आंखों (Eye), किडनी (kidney), लिवर (Liver), हार्ट (Heart) और पैरों में दिक्कत होने लगती है. पहले करीब 40 साल की उम्र के बाद ही डायबिटीज होता था, लेकिन अब बच्चों में भी डायबिटीज (Diabetes in Kids) की समस्या हो रही है.

 

कैसे होता है डायबिटीज (What is Diabetes)

जब शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन कम पहुंचता है तो खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारे शरीर में पाचक ग्रंथि से बनता है. इसका काम भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है. इंसुलिन से ही हमारे शरीर में शुगर की मात्रा कंट्रोल होती है. अगर किसी को डायबिटीज हो जाता है तो शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में मुश्किल होती है. ऐसी स्थिति में शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जो शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है.

 

सबसे पहले समझते हैं आखिर डायबिटीज की बीमारी होती क्यों है?

हमारी जीवनशैली और खान-पान की आदतों में अगर लंबे समय तक गड़बड़ी रहे तो हमारे शरीर के अंदर की कार्य प्रणाली भी गड़बड़ाने लगती है। कुछ ऐसा ही होता है डायबिटीज के केस में जब हमारे शरीर में पैक्रियाज (अग्नाश्य) इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कम कर देता है या बंद कर देता है तब हमारे ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। अगर इस स्तर को कंट्रोल ना किया जाए तो हम शुगर के रोगी बन जाते हैं।

 

दो तरह की होती है डायबिटीज

डायबिटीज दो तरह की होती है। टाइप-1 और टाइप-2, इनमें टाइप-1 डायबिटीज वह है जो हमें अनुवांशिक तौर पर होती है। यानी जब किसी के परिवार में मम्मी-पापा, दादी-दादा में से किसी को शुगर की बीमारी रही हो तो ऐसे व्यक्ति में इस बीमारी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यदि किसी व्यक्ति को वंशानुगत कारणों से डायबिटीज होती है तो इसे टाइप-1 डायबिटीज कहा जाता है। जबकि कुछ लोगों में गलत लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण यह बीमारी घर कर जाती है। इस स्थिति को टाइप-2 डायबिटीज कहते हैं। डायबिटीज टाइप-1की समस्या किसी बच्चे में जन्म से भी देखने को मिल सकती है। या बहुत कम उम्र में भी यह बच्चे को अपनी गिरफ्त में ले सकती है। इस स्थिति में शरीर के अंदर इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है।  ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वंशानुगत कारणों से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। यानी इसमें अपने ही शरीर की कुछ कोशिकाएं दूसरी कोशिकाओं के दुश्मन की तरह रिऐक्ट करती हैं और उन पर हमला करके उन्हें नष्ट कर देती हैं।डायबिटीज टाइप-1 में हमारे ही शरीर की कुछ कोशिकाएं हमारे पैक्रियाज यानी अग्नाश्य की कोशिकाओं पर हमला करके इंसुलिन के उत्पादन को बाधित कर देती हैं। इससे रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है।

 

डायबिटीज-2 इन कारणों से भी होती है

डायबिटीज टाइप-2 बहुत अधिक फैट, हाई बीपी, समय पर ना सोना, सुबह देर तक सोना, बहुत अधिक नशा करना और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण भी होती है। डायबिटीज टाइप-2 का एक कारण शरीर में इंसुलिन कम बनना भी होता है। ऐसा कुछ शारीरिक कारणों या गलत खान-पान के कारण भी हो सकता है। इंसुलिन कम बनने से रक्त में मौजूद कोशिकाएं इस हॉर्मोन के प्रति बहुत कम संवेदनशीलता दिखाती हैं। इस कारण भी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और व्यक्ति डायबिटीज टाइप-2 का शिकार हो जाता है।

 

शुगर इस तरह करती है परेशान

जब हमारा अग्नाश्य इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाता है तो शुगर या ग्लूकोज हमारे ब्लड में फ्लो नहीं करता। बल्कि ऊर्जा के रूप में शरीर में स्टोर हो जाता है। इसकी मात्रा बढ़ने लगती है तब हम कहते हैं फैट बढ़ रहा है। जब हमारे शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है और हम कुछ खा नहीं पाते हैं तब हमारा शरीर इस स्टोर फैट का उपयोग करता है। ताकि सभी अंग ठीक से काम करते रहें। लेकिन इंसुलिन के अभाव में शुगर कोशिकाओं में स्टोर ना होकर ब्लड में ही घूमती रहती है। इससे रक्त में मौजूद रेड ब्लड सेल और वाइड ब्लड सेल अपना काम नहीं कर पाती हैं। जिससे हमें जल्दी-जल्दी बीमारियां होने लगती हैं और मामूली बीमारी को ठीक होने में भी लंबा वक्त लग जाता है।

 

शुगर की बीमारी और इलाज का तरीका

किसी भी मरीज को यदि केवल शुगर की समस्या है तो उसके इलाज में उन लोगों के इलाज से अंतर होता है, जिन्हें शुगर या डायबिटीज के साथ ही दूसरी बीमारियां भी हों। एक बार शुगर हो जाने के बाद आप इसे केवल नियंत्रित कर सकते हैं, इससे मुक्ति नहीं पा सकते। इसलिए बेहतर है कि यह बीमारी होने से पहले जितना भी सजग रह सकें, रहें।

डायबिटीज टाइप-1 का इलाज करते समय पेशंट को समय-समय पर इंसुलिन देना होता है। क्योंकि इस स्थिति में शरीर में इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है। डायबिटीज टाइप-1 की बीमारी वंशानुगत होती है, इसलिए इस पर जीवनशैली में बदलावों के साथ नियंत्रण का प्रयास किया जाता है।

 

 

डायबिटीज के प्रकार (Cause And Types Of Diabetes)

 

आपने ज्यादातर लोगों से टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के बारे में सुना होगा. डायबिटीज ज्यादातर वंशानुगत और खराब जीवनशैली की वजह से होता है. इसमें टाइप-1 डायबिटीज वंशानुगत हो सकता है, तो वहीं टाइप-2 डायबिटीज की बड़ी वजह अनियमित जीवनशैली को माना जाता है. अगर आपके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को डायबिटीज है तो परिवार के किसी भी सदस्य को टाइप-1 डायबिटीज होने का खतरा हो सकता है. वहीं कम शारीरिक श्रम करने, नींद कम लेने, अनियमित खान-पान, ज्यादा फास्ट फूड और मीठा खाने से टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा हो जाता है.

 

डायबिटीज में फल और सब्जियां (Fruits And Vegetables In Diabetes)

 

हमारी डाइट का ब्लड शुगर लेवल पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में डायबिटीज के मरीज को अपनी डाइट (Diabetes Diet) का बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है. डायबिटीज होने पर आपको (Diabetes Patient) बड़ा सोच समझ कर फल और सब्जियों का चुनाव करना चाहिए. आपको डाइट में ऐसे फल और सब्जियां लेने चाहिए जिससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल (Control Diabetes) रहे. आपको लो शुगर वाले फल जिनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेट्री गुण अच्छी मात्रा में हो उन्हें अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए. ब्लड शुगर को मैनेज (Manage Blood Sugar Level) करने के लिए बिना स्टार्च वाली सब्जियां खानी चाहिए.

 

1- भिंडी (Ladyfinger)- डायबिटीज के मरीज के लिए भिंडी सब्जी का अच्छा ऑप्शन है. भिंडी में स्टार्च नहीं होता और घुलनशील फाइबर पाया जाता है.  भिंडी आसानी से पच जाती है. इससे ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है. भिंडी में मौजूद पोषक तत्व इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को बीमारियों से बचाते हैं.

2- गाजर (Carrot)- गाजर में भरपूर मात्रा में विटामिन ए और ढ़ेर सारे मिनरल्स पाए जाते हैं. डायबिटीज के मरीज को खाने में गाजर जरूर शामिल करनी चाहिए. ऐसे लोगों को सब्जी की बजाय सलाद के तौर पर कच्ची गाजर खानी चाहिए. गाजर में फाइबर काफी मात्रा में पाया जाता है. इससे बॉडी में धीरे-धीरे शुगर रिलीज होता है.

3- हरी सब्जियां (Green Vegetables)- डायबिटीज होने पर आपको खाने में हरी सब्जियां जरूर शामिल करनी चाहिए. आपको खाने में पालक, लौकी, तोरई, पत्तेदार सब्जियां और ब्रोकली शामिल करनी चाहिए. ये सब्जियां फाइबर से भरपूर होती हैं. ये सब्जियां डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं. इनमें विटामिन ए और सी काफी होता है. वहीं कैलोरीज की मात्रा बहुत कम होती है. ब्रोकली डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है. वजन घटाने में भी ब्रोकली मदद करती है.

4- पत्ता गोभी (Cabbage)- पत्ता गोभी भी डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है. पत्ता गोभी में स्टार्च की मात्रा बहुत कम होती है. पत्ता गोभी एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स से भरपूर है. इसमें फाइबर भी भरपूर होता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए पत्ता गोभी बहुत पायदेमंद है. आप सलाद या सब्जी के तौर पर पत्ता गोभी का इस्तेमाल कर सकते हैं.

5- खीरा (Cucumber) - खीरा खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. गर्मियों में खीरा खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. खीरा में पानी अच्छी मात्रा में होता है. खीरे में स्टार्च बिल्कुल नहीं होता है. वजन घटाने के लिए भी खीरा बहुत कारगर है. पेट को स्वस्थ रखने में भी खीरा मदद करता है.

6- सेब (Apple) - एप्पल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. रोज एक सेब खाने से शरीर बीमारियों से दूर रहता है. डायबिटीज के मरीज के लिए भी सेब बहुत अच्छा फल है. सेब में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार का फाइबर काफी होता है. जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. सेब खाने से पेट अच्छा रहता है और वजन भी कंट्रोल रहता है.

7- संतरा (Orange) - फलों में संतरा को सुपरफूड माना गया है. डायबिटीज के मरीज के लिए भी संतरा बहुत गुणकारी है. इसमें भरपूर फाइबर, विटामिन सी, फोलेट और पोटेशियम पाया जाता है. जिससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

8- आड़ू (Peach)- आड़ू फुल ऑफ फाइबर फूड है. आड़ू खाने से ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है. करीब 100 ग्राम आड़ू में 1.6 ग्राम फाइबर होता है. गर्मी और बारिश के मौसम में आड़ू आपको काफी मिल जाएगा. आड़ू पहाड़ों पर पाया जाने वाला फल है. शुगर के मरीज को आड़ू जरूर खाना चाहिए.

9- अमरूद (Guava) - अमरूद काफी सस्ता लेकिन सेहत के लिए फायदेमंद फल है. अमरुद में लो ग्लाइकैमिक इंडेक्स यानी जीआई होता है, जिससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. अमरूद में विटामिन सी, विटामिन ए, फॉलेट, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. डायबिटीज और हार्ट के मरीज के लिए अमरूद बहुत अच्छा फल साबित होता है.

5- कीवी (Kiwi) - कीवी खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है. खासबात ये है कि ये सभी सीजन में आसानी से मिल जाता है. कीवी में विटामिन ए और सी भरपूर होता है. एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर कीवी खाने से ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है. इससे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम करने में मदद मिलती है.

  

ब्लड शुगर को हमेशा रखें कंट्रोल

 

आज के दौर में डायबिटीज एक आम समस्या बन चुकी है और लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. बॉडी में ब्लड शुगर का लेवल ज्यादा या कम दोनों को खतरनाक माना जाता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपना ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रखें. अब सवाल यह है कि आखिर नॉर्मल बॉडी में उम्र के हिसाब में ब्लड शुगर का लेवल क्या होना चाहिए. चलिए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

हमारे खान-पान और रुटीन से बॉडी में शुगर का लेवल तय होता है, साथ ही उम्र के लिहाज से भी इसमें अंतर पाया जाता है. अगर आपने खाना तुरंत खाया है तो आपका ब्लड शुगर लेवल अलग होगा और फास्टिंग के वक्त यह अलग रहता है. साथ ही बढ़ती उम्र में शुगर लेवल का बढ़ना सामान्य बात है लेकिन उसको भी कंट्रोल रखने की जरूरत है.

अगर आप फास्टिंग पर हैं तो आपका ब्लड शुगर लेवल 70-100 mg/dl के बीच होना चाहिए. लेकिन अगर ये स्तर 100-126 mg/dl पर पहुंच जाए तो इसे प्री-डायबिटीज कंडीशन माना जाता है. इसके बाद अगर शुगर लेवल 130 mg/dl से ज्यादा पर पहुंच जाता है तो यह काफी खतरनाक माना जाता है.

 

खाने के बाद क्या होना चाहिए लेवल?

इसी तरह खाने के बाद शुगर लेवल बढ़ना तय है. अगर भोजन के 2 घंटे बाद आपका शुगर लेवल 130-140 mg/dl है तो यह सामान्य है. लेकिन इससे ज्यादा होने पर आपको डायबिटीज की शिकायत हो सकती है. भोजन के दो घंटे बाद भी अगर आपका शुगर लेवल 200-400 mg/dl है तो सावधानी बरतने की जरूरत है. इस हाई लेवल पर आपको हार्ट अटैक और किडनी फेलियर जैसी समस्या हो सकती है.

 

अगर उम्र के लिहाज से बात करें तो 6-12 साल की उम्र में फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर 80 से 180 mg/dl होना चाहिए. फिर लंच के बाद यह लेवल 140 mg/dL तक जा सकता है जबकि रात के खाने के बाद 100 से 180 mg/dl तक ब्लड शुगर लेवल सामान्य माना जाता है. इसके बाद अगर आपकी उम्र 13-19 साल है तो फास्टिंग शुगर लेवल 70 से 150 mg/dl रह सकता है. लंच के बाद यह 140 mg/dL और डिनर के बाद 90 से 150 mg/dl होना चाहिए. इसी तरह 20-26 साल उम्र वालों के लिए फास्टिंग के दौरान 100 से 180 mg/dl शुगर लेवल होना चाहिए. वहीं लंच के बाद यह  180 mg/dL तक जा सकता है. डिनर के बाद ब्लड शुगर लेवल 100 से 140 mg/dl होना चाहिए. अगर आपकी उम्र 27-32 साल है तो फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 100 mg/dl होना चाहिए. इसी तरह लंच के बाद यह लेवल 90-110 mg/dL पर जा सकता है. फिर डिनर के बाद का शुगर लेवल 100 से 140 mg/dl होना चाहिए. 33 से 40 साल की उम्र वालों का फास्टिंग शुगर लेवल 140 mg/dl से कम होना चाहिए. लंच के बाद शुगर लेवल 160 mg/dl से कम होना चाहिए, जबकि डिनर के बाद का लेवल 90 से 150 mg/dl होना चाहिए. आपकी उम्र अगर 40-50 साल है तो फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL हो सकता है. लंच के बाद रा लेवल 140 mg/dl से कम होना चाहिए. वहीं डिनर के बाद 150 mg/dl का ब्लड शुगर लेवल सामान्य श्रेणी में आता है. इसी तरह 50-60 साल की उम्र वालों के लिए फास्टिंग शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL होना चाहिए. लंच के बाद 140 mg/dl से कम शुगर लेवल होना जरूरी है और डिनर के बाद 150 mg/dl का ब्लड शुगर लेवल सामान्य माना जाता है.

 

 

How to Control Diabetes in Hindi

 

डायबिटीज होने पर शरीर बीमारियों का घर हो जाता है. इससे आपके शरीर में सभी अंगो पर असर पड़ता है. डायबिटीज होने पर खाने-पीने से लेकर लाइफस्टाइल हर चीज में आपको बहुत सतर्क रहना पड़ता है. अगर आपने डाइट में जरा सी लापरवाही की तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. डायबिटीज के मरीज को अपना वजन भी कंट्रोल में रखना चाहिए. आयुर्वेद में ऐसी कई दवाएं हैं जिनसे मधुमेह को नियंत्रण में किया जा सकता है. हालांकि कई बार लोगों को डायबिटीज होने के बारे में पता भी नहीं चल पाता है.

 

डायबिटीज़ के लक्षण (Symptoms Of Diabetes)

बहुत प्यास लगना

बार-बार टॉयलेट आना

बहुत भूख लगना

अचानक से वजन बढ़ना या कम होना

थकान

चिड़चिड़ापन

आंखों में धुंधलापन

घाव का देरी से भरना

स्किन इंफेक्शन

ओरल इंफेक्शन्स

वजाइनल इंफेक्शन्स

 

डायबिटीज में आयुर्वेदिक दवा (Home Remedies for Diabetes)

 

1- अंजीर के पत्ते- डायबिटीज के इलाज में अंजीर के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें मधुमेह विरोधी गुण होते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है. अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाने या पानी में उबाल कर पीने से मधुमेह कंट्रोल रहता है.

 

2- मेथी के दाने- डायबिटीज के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होती है. मेथी के बीज का सेवन करने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. आप एक चम्मच मेथी के बीज को रात भर एक ग्लास पानी में भिगोकर रख दे. सुबह खाली पेट इन बीजों और पानी को पी लें. इसके करीब 30 मिनट बाद तक कोई दूसरी चीज न खाएं. सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करने से ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

 

3- दालचीनी- मसालों में दालचीनी का उपयोग सभी के घरों में होता है. दालचीनी के कई फायदे हैं. स्वाद और खुशबू बढ़ाने के अलावा डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए भी दालचीनी का उपयोग किया जाता है. इसमें मधुमेह विरोधी गुण पाए जाते हैं. दालचीने के उपयोग से ब्लड शुगर लेवल कम करने में मदद मिलती है. इसके लिए आपको हर रोज आधा चम्मच दालचीनी पाउडर का सेवन करना चाहिए.

 

4- आंवला- विटामिन सी से भरपूर आंवला डायबिटीज में भी फायदेमंद है. आंवला में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं. आंवला खाने के 30 मिनट में ब्लड शुगर लेवल कम किया जा सकता है. आंवले के बीजों को पीसकर पाउडर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. इससे धीरे-धीरे शुगर लेवल भी कम हो जाता है.

 

5- जामुन के बीज- डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए जामुन के बीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है. जामुन की गुठलियों को अच्छी तरह सुखाकर पीस लें. इस चूर्ण को सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें. इससे डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. जामुन के सीजन पर आप इसे खूब खाएं. ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए फायेदमंद है.

 

 

डायबिटीज क्या है?

 

डायबिटीज (Diabetes) एक आजीवन रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज़ के शरीर के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत अधिक होता है। जब, व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। जैसा कि, इंसुलिन का बनना शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ का संचार करता है।  इसीलिए, जब इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता तो पीड़ित व्यक्ति के बॉडी मेटाबॉलिज्म (Body Metabolism) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

 

डायबिटीज़ के प्रकार कितने हैं ?

 

हम जो भोजन करते हैं उससे, शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और  ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अतिरिक्त ग्लूकोज नुकसानदायक साबित हो सकता है। आमतौर पर डायबिटीज़ 3 प्रकार का होता है-

 

    टाइप-1 डायबिटीज

    टाइप-2 डायबिटीज और

    जेस्टेशनल डायबिटीज, जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।

 

डायबिटीज के कारण क्या हैं ?

 

जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं-

 

    इंसुलिन की कमी

    परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना

    बढ़ती उम्र

    हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल

    एक्सरसाइज ना करने की आदत

    हार्मोन्स का असंतुलन

    हाई ब्लड प्रेशर

    खान-पान की ग़लत आदतें

 

डायबिटीज़ के लक्षण क्या हैं ?

 

 पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज  या टाइप-2 डायबिटीज का से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं-

 

    बहुत अधिक प्यास लगना

    बार-बार पेशाब आना

    भूख बहुत अधिक लगना

    अचानक से शरीर का वजह कम हो जाना या बढ़ जाना

    थकान

    चिड़चिड़ापन

    आंखों के आगे धुंधलापन

    घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना

    स्किन इंफेक्शन

    ओरल इंफेक्शन्स

    वजाइनल इंफेक्शन्स

 

 

डायबिटीज का निदान क्या है ?

 

डायबिटीज या मधुमेह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। डायबिटीज़ के निदान के लिए इस प्रकार के कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है-

 

1सी टेस्ट (A1C test or glycohaemoglobin test)

 

इस प्रकार का टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए किया जाता है। जिसमें, मरीज़ को हर 3 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना होता है और उसका एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल जांचा जाता है। ए1सी टेस्ट में 5 से 10 तक के अंकों में ब्लड में ग्लूकोज़ का स्तर मापा जाता है। अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा दिखाया जाता है तो वह नॉर्मल होता है। लेकिन अगर किसी का ए1सी लेवल 6.5% से अधिक दिखायी पड़ता है तो वह, डायबिटीज़ का मरीज़ कहलाता है।

 

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज  टेस्ट

 

हाई ब्लड शुगर की स्थिति को समझने के लिए यह सबसे आम ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को खाली पेट रहते हुए ब्लड सैम्पल देना पड़ता है। जिसके लिए 10-12 घंटों तक भूखे रहने के लिए कहा जाता है। उसके बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।

 

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट

 

इस टेस्ट में भी खाली पेट रहते ही ब्लड सैम्पल लिया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है।

 

 रैंडम ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट

 

इस प्रकार के टेस्ट में पीड़ित व्यक्ति के ब्लड सैम्पल की  4 बार जांच की जाती है। अगर ब्लड शुगर लेवल दो बार नॉर्मल से ज़्यादा पाया जाता है तो प्रेगनेंट महिला को  जेस्टेशनल डायबिटीज होने की पुष्टि की जाती है।

 

डायबिटीज़ का उपचार क्या है ?

 

 टाइप-1 डायबिटीज का कोई स्थायी उपचार नहीं है इसीलिए, व्यक्ति को पूरी ज़िंदगी टाइप-1 डायबिटीज का मरीज़ बनकर रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को इंसुलिन लेना पड़ता है जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। सही डायट की मदद से टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स दवाएं टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं।

 

डायबिटीज से बचाव के उपाय क्या हैं

 

डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है जिससे, आपको आजीवन परेशानियां हो सकती हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।  लेकिन, कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है।

 

    मीठा कम खाएं। शक्कर से भरी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से बचें।

    एक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें, सुबह-शाम टहलने जाएं।

    पानी ज़्यादा पीएं। मीठे शर्बत और सोडा वाले ड्रिंक्स पीने से बचें।

    आइसक्रीम, कैंडीज़ खाने से भी परहेज  करें।

    वजन घटाएं और नियंत्रण में रखें।

    स्मोकिंग और अल्कोहल लेने से परहेज करें।

    हाई फाइबर डायट खाएं,प्रोटीन का सेवन भी अधिक मात्रा में करें।

    विटामिन डी की कमी ना होने दें। क्योंकि, विटामिन डी की कमी से डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ता है।

 

 

 

 

भारत में डायबिटीज से हर उम्र के लोग पीड़ित हैं. अनहेल्दी फूट और बिजी लाइफस्टाइल की वजह से इस बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. मधुमेह कई दूसरी बीमारियों की जड़ है इसलिए मरीजों को अपने शरीर का खास ख्याल रखना चाहिए नही तो आगे चलकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

 

 

डायबिटीज के मरीज खाएं ये हेल्दी फूड्स

 

डायबिटीज (Diabetes) के मरीज को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी है, ऐसे में मधुमेह रोगी अपने डाइट में हेल्दी और नेचुरल फूड को शामिल करें जिससे वो इस बीमारी में भी स्वस्थ रह सकते हैं. आइए जानते हैं कि मधुमेह रोगी को किन 8 चीजों को खाना चाहिए.

 

1. दालचीनी

दालचीनी (Cinnamon) इंसुलिन एक्टिविटी (Insulin Activity) को ट्रिगर करता है और उसे बेहतर बनाने मदद करता है.

2. नीम

नीम (Neem) में ग्लाइकोसाइड्स (Glycosides) और ट्राइटरपेनॉइड (Triterpenoids) होते हैं. जो खून में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करते हैं.

3. हल्दी

हल्दी (Turmeric) में करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट (Curcumin Antioxidant) होता है जो डायबिटीज (Diabetes) में फायदा पहुंचाता है.

4. करेला

करेला (Bitter Gourd) भले ही खाने में तीखा लगता है लेकिन इसमें मौजूद कैराटीन और मोमोरडिसिन डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है.

5. अदरक

इंसुलिन सेक्रेशन (Insulin Secretion) को रेगुलेट करने में अदरक (Ginger) बेहत कारगर माना जाता है.

6. टमाटर

टमाटर (Tomato) विटामिन सी (Vitamin C) का रिच सोर्स है जो ब्ल्ड शुगर लेवन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है.

7. जामुन

जामुन के बीजों में जैम्बोलिन सबसे ज्यादा होता है जो बल्ड शुगर को कंट्रोल करता है.

8. मेथी के बीज

मेथी (Fenugreek) में घुलनशील फाइबर पाया जाता है. ये बॉडी में ग्लूकोज लेवल को बेहतर करता है.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें.)

 

 

 

हेल्दी फूड जो डायबिटीज को रखेंगे कंट्रोल

 

डायबिटीज के मरीजों को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। खान-पान की आदतें शुगर को बढ़ाने में बेहद जिम्मेदार होती हैं। खराब लाइफस्टाइल,(lifestyle) तनाव (Stress) और खान-पान (Foods and Drink) की खराबी से जन्म लेने वाली इस बीमारी में डाइट का चुनाव बेहद सोच-समझ कर किया जाता है। कुछ फूड्स ऐसे होते हैं जो डायबिटीज (Diabetes) के मरीज़ों की शुगर को बढ़ाने में जिम्मेदार होते हैं, इसलिए ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए डाइट (Diet)का ध्यान रखना जरूरी है।

 

बीन्स का करें सेवन: दाल, राजमा, चने की फलियां लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ हैं। इन फूड्स का सेवन करने से कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे रिलीज होता है जिससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने की संभावना कम होती है। हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली बीन्स को तीन महीने तक रोजाना एक कप खाने से (हीमोग्लोबिन A1c) HbA1c का स्तर आधा प्रतिशत कम हो जाता है।

 

सेब का करें सेवन: अक्सर लोगों का मानना है कि फलों का सेवन करने से शुगर बढ़ती है,लेकिन ये सिर्फ मिथ है। सेब ऐसा फूड है जिसके खाने से शुगर नहीं बढ़ती। सेब का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल रखता है। फाइबर, विटामिन सी और फैट फ्री सेब डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहतर स्नैक्स है।

 

बादाम का करें सेवन: बादाम ऐसा कुरकुरा मेवा है जो मैग्नीशियम से भरपूर हैं। ये एक ऐसा खनिज है जो शरीर को अपने इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करता है। ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने वाले इस खनीज को डेली डाइट में शामिल करें। बादाम मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मददगार हैं।

 

पालक का करें सेवन: डायबिटीज के मरीज शुगर को कंट्रोल करने के लिए डाइट में पालक का सेवन करें। एक कप पकी हुई हरी पत्तेदार सब्जी में 21 कैलोरी होती है और यह ब्लड शुगर के अनुकूल मैग्नीशियम और फाइबर से भरी होती है। पालक का सेवन आप उसका सूप बनाकर या फिर पालक पनीर की सब्जी बनाकर भी कर सकते हैं।

 

दलिया का सेवन करें: दलिया सिर्फ दिल की सेहत का ध्यान नहीं रखता बल्कि ब्लड शुगर को भी कंट्रोल रखता है। ओट्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो शुगर के मरीज़ों के लिए बेहतरीन फूड है।

 

 

 

लाइफस्टाइल में छिपा है मंत्र

 

भारत को डायबिटीज की राजधानी (World Capital for Diabetes) कहा जाता है क्योंकि दुनिया में इस बीमारी से पीड़ित लोग सबसे ज्यादा हैं. शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहां मधुमेह के मरीज न हों. इस रोग को आमतौर पर 'शुगर' भी कहा जाता है.

 

डायबिटीज (Diabetes) की मुख्य वजह हमारा लाइफस्टाइल है, डॉक्टर्स के मुताबिक अगर जीवन शैली में बदलाव लाया जाए और खाने-पीने पर कंट्रोल करें तो इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. भारत में ये रोग तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में मधुमेह को लेकर सतर्क होना बेहद जरूरी है.

 

हर उम्र के लोगों को खतरा

डायबिटीज (Diabetes) पहले अक्सर 40 साल से ऊपर के लोगों में पाया जाता था लेकिन अब हर एज ग्रुप इस बीमारी का शिकार है, पिछले कुछ सालों में युवाओं में मधुमेह की संख्या करीब 10 फीसदी तक बढ़ी है. इसलिए अगर आप यंग हैं तो ये जरा भी नहीं सोचें कि डायबिटीज आपको नहीं हो सकती है.

 

वजन जरूर कंट्रोल करें

डॉक्टर्स के मुताबिक डायबिटीज (Diabetes) को कंट्रोल करने का सबसे बेहतरीन उपाय अपने वजन को कंट्रोल करना है. पुरुष इस बात का ख्याल रखें की उनकी कमर 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं की कमर 80 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

 

डेली एक्सरसाइज बेहद जरूरी

डायबिटीज (Diabetes) से बचने के लिए सभी लोगों के लिए डेली एक्सरसाइज बेहद जरूरी है. अगर जिम में वर्कआउट करना मुमकिन न हो तो हर दिन कम से कम 30 मिनट तक पैदल चलना या टहलना शुरू कर दें. सीढ़ी चढ़ने से भी वजन कंट्रोल में रहता है.

बुरी आदतों से करें तौबा

डेली लाइफ की बुरी आदतों को छोड़कर या इससे बचकर भी डायबिटीज (Diabetes) पर काबू पाया जा सकता है तंबाकू, गुटखा, स्मोकिंग और शराब पीने से खुद को बचाएं क्योंकि ये सभी चीजें आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचाती है.

 

ब्लड शुगर टेस्ट करते रहें

जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें ऊपर लिखी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. इसके अलावा कम से कम हर हफ्ते होम किट के जरिए ब्लड शुगर टेस्ट जरूर करें और ग्लाइकोसिलेटेड हिमोग्लोबिन की हर 3 महीने में जांच जरूर करनी चाहिए.


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