1/12/22

Biological-Chemical-nuclear weapon in hindi












What is the difference between Nuclear Weapons and Chemical Weapons?

रासायनिक हथियार, मानवनिर्मित रसायन से बनता है और परमाणु हथियार एक विस्फोटक उपकरण है जो कि परमाणु प्रतिक्रियाओं से बनता है. परमाणु हथियार, रासायनिक हथियारों की तुलना में अधिक विनाशकारी और उसका प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है.

इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि रासायनिक और परमाणु हथियार दोनों ही विनाशकारी हथियार हैं. इन्हें सामूहिक विनाश का हथियार (Weapons of Mass Destruction, WMD) भी कहते हैं. ये अपरंपरागत हथियार (unconventional weapons) हैं जो अपने विनाशकारी शक्तियों के माध्यम से पूरे शहर और देशों को मिटा सकते हैं.

WMD तीन प्रकार के होते हैं: परमाणु हथियार (nuclear weapons), जैविक हथियार (biological weapons) और रासायनिक हथियार (chemical weapons).

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नागासाकी और हिरोशिमा में हुई बमबारी को सम्पूर्ण विश्व ने परमाणु हथियारों के कारण प्रलय को देखा है. मानव इतिहास में यह पहला और अंतिम उदाहरण था जब परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. यह जीवन और संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुक्सान का कारण बना और साथ ही विकिरण के कारण जनसंख्या में अनगिनत दुख लाया और इसका परिणाम कई दशकों तक देखा गया.

दुनिया में केवल 5 देशों के पास परमाणु हथियारों का वर्चस्व था यूएस (US), यूके (UK), रूस (Russia), चीन (China) और फ्रांस (France), लेकिन बाद में अन्य तीन देश भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी परमाणु शक्तियां बन गए.

 

रासायनिक हथियार क्या होते हैं?

एक रासायनिक हथियार मानवनिर्मित रासायन के उपयोग से बनता है. अर्थात रासायनिक हथियारों में उन हथियारों का इस्तेमाल होता है जो घातक रसायनों के उपयोग से बनते हैं और आबादी के लिए मुख्य तौर पर मौत और नुक्सान का कारण बनते हैं. इन हथियारों को समान रूप से खतरनाक माना गया है लेकिन यह किसी ढांचे को नष्ट नहीं कर सकते हैं. ये जीवन को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि रासायनिक युद्ध से सम्पूर्ण समुदाय को मारा या खत्म किया जा सकता है.

रासायनिक हथियारों में जहरीला रसायन होता है जो IEDs, mortars, मिसाइलों और अन्य एजेंटों का उपयोग कर प्रसारित किया जाता हैं. इन्हीं एजेंटों के कारण विस्फोट होता हैं और परिणामस्वरूप जहरीले रासायनिक हवा में फैल जाते हैं. इस रसायन से किसी भी व्यक्ति की झटके में मौत हो सकती है. इन रसायनिक हथियारों का प्रभाव तब तक रहता है जब तक हवा को साफ नहीं कर दिया गया हो. एक ठोस, तरल और गैसीय रूप में रासायनिक हथियार व्यापक रूप से असतत हो सकते हैं. रासायनिक हथियार का उदाहरण: मस्टर्ड गैस, सरीन, क्लोरीन, हाइड्रोजन साइनाइड और टीयर गैस.

 

परमाणु हथियार क्या होते हैं?

परमाणु हथियार रासायनिक हथियारों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि इनके विनाश की कोई सीमा नहीं होती है. क्या आप जानते हैं कि एक परमाणु हथियार जीवन और ढांचे के साथ-साथ उससे सम्बंधित हर चीज को नष्ट कर सकता है. परमाणु हथियार का परिनियोजन पूरे शहर को नष्ट कर सकता है और आसपास की चीजों को खत्म कर सकता है.

परमाणु हथियार में परमाणु विखंडन की प्रक्रिया होती है जिसके माध्यम से बड़े पैमाने पर यह विस्फोट करने में सक्षम होता है. इस प्रक्रिया में नाभिक (nucleus) का विभाजन होता है. विश्व में अभी तक दो बार परमाणु विस्फोट हुआ है. परमाणु हथियारों के प्रभाव दिनों, महीनों और यहां तक कि सदियों तक भी रह सकते हैं. परमाणु हथियार का उदाहरण: परमाणु बम, हाइड्रोजन बम, न्यूट्रॉन बम यूरेनियम, प्लूटोनियम आदि.

 

परमाणु और रासायनिक हथियारों का उपयोग

अब तक परमाणु हथियारों को दो बार उपयोग किया गया हैं. 6 अगस्त 1945 को “Little Boy” को हिरोशिमा में छोड़ दिया गया और 9 अगस्त 1945 को “Fat Man " को नागासाकी पर छोड़ दिया गया था. इन दोनों बम विस्फोटों के कारण लगभग 200,000 से अधिक मौतें हुई हैं. लेकिन इससे भी बदतर, इन दो बमों के लंबी दूरी के विकिरण के प्रभावों के कारण जापानीयों की कई पीढियां  प्रभावित हुई हैं.

रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किया गया था.  उस समय फ्रांस पहला देश था जो dianisidine chlorosulfonate युक्त बमों का इस्तेमाल करता था. 80  के दशक के दौरान इराक ने ईरान पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था. 1994 में, Matsumoto  आवासीय समुदाय में सरीन गैस का इस्तेमाल किया गया था और इसके अगले साल फिर से टोक्यो सबवे में इस्तेमाल किया गया था.

 

क्‍या होते हैं जैविक हथि‍यार?

जैविक हथि‍यार यानी बायोलॉजिकल वेपन, एक ऐसा हथ‍ियार जो बिना धमाके के किसी भी देश को तबाह कर सकता है. दु‍निया में पहली बार जैविक हथ‍ियार का प्रयोग 1397 में मंगोलियाई सेना ने किया था.  पिछले कुछ समय से चीन पर कोरोनावायरस को जैविक हथि‍यार की तरह इस्‍तेमाल करने का आरोप लग रहा है.  विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के मुताब‍िक, जब बैक्‍टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्‍वों का इस्‍तेमाल जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है तो इसे जैविक हथियार कहते हैं. इनका प्रयोग करके ही इंसान को नुकसान पहुंचाया जाता है. हालांकि इनमें से सबसे ज्‍यादा प्रयोग वायरस का होता है. जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। ये लोगों में ऐसी बीमारियां पैदा कर देते हैं कि वो या तो मरने लगते हैं, या अपंग हो जाते हैं या फिर मनोरोगी हो जाते हैं.

 

किन-किन देशों ने बनाए जैविक हथि‍यार?

अब तक जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं. पिछले 2 सालों से चीन पर कई बार आरोप लग चुके हैं कि उसने कोरोना को जैविक हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल किया. हालांकि, चीन ने हमेशा इस बात को नकारा है.

 

क्‍या चीन ने कोरोना को जैविक हथ‍ियार की तरह इस्‍तेमाल किया?

कई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन ने कोरोनावायरस को जैविक हथ‍ियार के तौर पर इस्‍तेमाल किया. इस पर अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन  ने हाल में अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट कहती है, लगातार जैविक हथ‍ियार को बनाने के लिए अपना इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मजबूत कर रहा है. चीन के सैन्‍य संस्‍थान कई तरह के टॉक्‍स‍िन पर काम कर रहे हैं. इनका दोहरा इस्‍तेमाल किया जा सकता है. अमेरिका इसे खतरनाक मानता है.


जैविक युद्ध क्या है?

वायरस से लड़े जाने वाला युद्ध जैविक या बायोलॉजिकल वॉर कहलाता है। जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। इन हथियारों से आशय उन कारकों से है, जो लोगों में बीमारियां पैदा कर दें। शिकार हुए लोग मरने लगें। अपंग या मनोरोगी हो जाएंं।

जैविक हथियारों का इस्तेमाल कब, कहां हुआ?

जैविक हथियारों का पहला इस्तेमाल 1347 में हुआ था। तब मंगोल सेना ने प्लेग से संक्रमित शव काफा (अब यूक्रेन के फ्यूडोसिया) के ब्लैक सी के तट पर फेंके थे। जहाजों से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर तब इटली लौटे। ब्लैक डेथ महामारी फैली। 4 साल में यूरोप में 2.5 करोड़ लोग मृत। 1710 में स्वीडन सेना से लड़ रही रूसी फौज ने एस्टोनिया के तालिन में घेरकर उन पर प्लेग संक्रमित शव फेंके थे। 1763 में ब्रिटिश सेना ने पिट्सबर्ग में डेलावेयर इंडियन को घेरकर चेचक वायरस से संक्रमित कंबल फेंके थे।

जर्मनी ने पहले विश्वयुद्ध में एन्थ्रेक्स नामक जैव का इस्तेमाल किया था। उसने दुश्मनों के घोड़ों व मवेशियों को संक्रमित करने के लिए गुप्त कार्यक्रम चलाया। सेंट पीटर्सबर्ग में प्लेग फैलाने की कोशिश की। जापान ने टाइफाइड वाले वाइरस को सोवियत की जल आपूर्ति वाले पाइपों में मिला दिया था। ये पहला युद्ध था, जब दोनों पक्षों ने जैव हथियार प्रयोग किए।

जैविक युद्ध रोकने के लिए दुनिया ने क्या प्रयास किए?

विश्व युद्ध में जैविक हथियारों के इस्तेमाल के बाद अधिकांश देशों इन पर रोक लगाने के लिए जिनेवा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। 1972 में बायोलॉजिकल वेपंस कन्वेंशन हुआ। ये 1975 में लागू हो गया।

क्या भारत ने ऐसे जैविक हथियार विकसित किए?

नहीं, भारत ने ऐसे किसी भी प्रकार के हथियार नहीं बनाए हैं। इन्हें विकसित करने वालों में जर्मनी, अमेरिका, रूस, चीन जैसे 17 देश शामिल हैं।

क्या कोरोना भी वैसा ही जैविक हथियार है?

कोरोना फैलने के साथ ही चीन पर बीते साल से ही आरोप लग रहे हैं कि उसने इस वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। हालांकि इसकी आज तक पुष्टि नहीं हो सकी।

पेंटागन रिपोर्ट में क्या था?

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक चीन लगातार अपना बायोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। उसके सैन्य संस्थान भी अलग-अलग तरह के टॉक्सिन पर काम कर रहे हैं जिनका दोहरा इस्तेमाल करता है। अमेरिका दोहरे इस्तेमाल को जैविक- खतरा मानता है।

 


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