10/7/21

ladkiyan aur shaadi

ससुराल ही तुम्हारा घर है। वहां की परंपराएं, रीति-रिवाज्ा तुम्हें अपनाने होंगे। शुरू में थोडा मुश्किल होगा, लेकिन धीरे-धीरे तुम उस परिवेश में ढल जाओगी। शिक्षा विनम्रता सिखाती है, इसे अहं का कारण मत बनने देना। लडकी के कंधों पर दो परिवारों का दारोमदार होता है, खुद को हर स्थिति के लिए मज्ाबूत बनाना।

 

दो घरों के फर्क को समझना। कभी भी मायके-ससुराल के बीच तुलना मत करना। सास कुछ भी कहें, यह न सोचना कि मैं पढी-लिखी सक्षम हूं, क्यों दबूं। हर रिश्ते में थोडा झुकना पडता है। ससुराल में सबसे मिल कर रहना, बडे-बुाुर्ग कुछ कहें, उनकी बात सुनना और उन्हें कभी पलट कर जवाब मत देना। धैर्य मत खोना, धीरे-धीरे सारे काम आ जाएंगे और बडे कुछ सिखाएं तो सीखना। हमेशा अपने परिवार को पहली प्राथमिकता देना।

 

बेटी अब ससुराल ही तुम्हारा असल घर है, तुम्हें हर हाल में वहीं निभाना होगा..। आज से 30-40 साल पहले बेटी विदा होती थी तो नसीहतों की पोटली से मां कुछ ऐसे ही शब्दों के हार चुन कर बेटी को पहनाती थी। लेकिन फिर समय ने करवट ली, लड़कियों की दुनिया बदली और इसी के साथ बदलीं मां की सीखें भी। पिछले तीन-चार दशक में समय तेज्ाी  से बदला है। स्त्रियों की दुनिया भी बहुत बदल गई है।

 

यदि अपनी आादी बहुत प्यारी है तो शादी नहीं करनी चाहिए। अहं छोडना। एक-दूसरे को माफ करने का गुण सीख लो तो दांपत्य के लिए अच्छा है। लडका-लडकी दोनों को मिले नसीहत जिस घर में वह जाती है, वहां शांति, संतुलन और मधुरता कायम करना उसका फज्र्ा है। पुरुष इसमें सपोर्ट कर सकता है, लेकिन स्त्री जननी है। वह आक्रामक न हो, शांति व धैर्य से काम ले, लडाई-झगडे न करे तो परिवार में सौहार्द रहता है। सही मायने में स्त्री ही घर बनाती है। संबंधों में अहं का टकराव नहीं होना चाहिए। हम बिना लडे-झगडे भी अपने ढंग से जी सकते हैं।

 

शादी के बाद कैसे नए रिश्तों में ढल जाए

चाहे लव मेरिज हो या अरेंज नई दुल्हन को नए माहौल में नए लोगों के साथ मधुर रिश्ता बनाने में कठिनाई महसूस तो होती ही है क्योंकि 22 से 26 वर्ष तक का समय भिन्न माहौल में अपने ही लोगों के साथ बिताया होता है।

उस समय रिश्ता अपने माता-पिता, बहन-भाइयों के बीच ही होती है जहां थोड़ी कमीबेशी चल जाती है पर ससुराल में सभी नए लोग होते हैं उनके साथ संबंध बनाने और उन्हें समझने में कुछ समय तो लगता है। उसके लिए धैर्य और  शान्त  रहने की आवश्यकता होती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि शादी की तैयारियों के साथ ही शादी के बाद आने वाले बदलाव की तैयार मन ही मन दुल्हन को कर लेनी चाहिए जैसे ससुराल में कौन -कौन हैं, किस आयु के हैं, थोड़ा बहुत उनके घर का वातावरण कैसा है। (अगर पता लग सके)। इसके लिए पहले से मन को तैयार कर लेना चाहिए। अगर दोनों तरफ से प्यार मिलता है तो संबंध आसानी से मधुर बन सकते हैं।

 

अक्सर मित्र और आस-पास के वातावरण में रहने वाले लोगों से सुना और देखा जाता है कि सास तो होती ही ऐसी है, ननद को भाभी का हंसना खेलना नहीं भाता, सास हर बात पर टोकती ही रहती हैं, जब मर्जी कुछ भी बोल देती हैं। ऐसा टीवी सीरियल्स में भी देखने को मिलता है। सबके अनुभव, सोचने समझने का तरीका और परिस्थितियां भी भिन्न होती हैं। इन उदाहरणों को सकारात्मक लें और बुद्धि का सही प्रयोग करें। किसी अन्य की सोच को बिना अनुभव न अपनाएं। अगर इन पूर्वाग्रहों से दूर रहकर नए माहौल और नए रिश्तों को अपनाएंगे तो रिश्ते स्वस्थ, मजबूत और मधुर बनने में मदद मिलेगी।

 

अगर आप या आपके पति दूसरे शहर में नौकरी करते हैं तो यह स्पष्ट है कि आप उन्हीं के साथ बाहर जाएंगी। माह-दो माह में जैसा आपके लिए सुविधाजनक हो, ससुराल जरूर जाएं तभी रिश्ते मधुर और दृढ़ बनते हैं। कभी कभी उन्हें भी अपने शहर में बुलाएं, घुमाएं आदि। इससे नजदीकियां बढ़ती हैं और आपसी समझ भी।

 

कई बार लड़कियां जैसा माहौल अपने मायके में देख कर आती हैं, वैसे माहौल की उमीद ससुराल वालों से रखती हैं। सभी परिवारों का अपना खान-पान, तौर-तरीके, पहनावा, त्योहार,व्रत, पूजा करने के तरीके हैं। पहले उन्हें समझने का प्रयास करें, फिर अवसर देखकर अपने तौर तरीकों की थोड़ी सी बात करें। अगर शुरू से आप चाहें कि वह सब आपके अनुसार चलें तो उनकी भावनाएं आहत होंगी और मनमुटाव बढ़ेगा। सकारात्मक बदलाव लाएं और रिश्तों की बेल को पनपने का अवसर दें।

 

परिवार के सभी सदस्यों से बात करें। स्वयं कम और मीठा बोलें। ज्यादा बोलने से कभी कभी गलत भी मुंह से निकल सकता है। अगर आपको किसी की बात अनुचित लगे तो प्यार से बिना किसी ताने के सीधे बात करें। गलतफहमी दूर हो जाएगी। अगर आप अनुचित बात को दिल में लगा लेंगी तो समस्या बढ़ सकती है।

 

सभी का खुश रहना स्वस्थ रिश्तों की पहचान है पर हर किसी को खुश रखने की जिद्द न पकड़ें। शुरू में तो आप प्रयास कर सभी को खुश रखने का प्रयास करती हैं पर बाद में उनकी उमीदें ज्यादा आप से रहने लगती हैं, अगर उमीदें पूरी न हों तो मनमुटाव बढऩे लगता है। इसलिए प्रारंभ से कम बोलें, मीठा बोलें, सबके साथ-साथ समय बिताएं, काम में हाथ बटाएं ताकि रिश्ते खुशगवार बने रहें।

 

हर परिवार में रीति रिवाज, पूजा-पाठ की विधियां अलग होती हैं और नई बहू से उन्हीं परंपराओं को आगे बढ़ाने की उमीद की जाती है। अगर आप कामकाजी हैं और आपसे ठीक से न निभ पाए तो अपनी बात को सलीके से रखें ताकि उनकी भावनाएं आहत न हों।

 

अपने मायके से ससुराल की तुलना न करें। इससे रिश्ते खराब होते हैं। यह आदत अधिकतर महिलाओं को होती है ऐसा करने से आप स्वयं को नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पाएंगी। याद रखिए मायका और ससुराल अलग परिवार हैं। सबके तौर तरीके जिंदगी के प्रति अलग हैं।

 

शादी के बाद क्यों ससुराल में नहीं रहना चाहती महिलाएं?

 

शादी के बाद हर कोई यही चाहता है कि जीवनभर सब अच्छे से और खुशी से साथ रहें। हालांकि, आजकल विवाह के बाद कपल का लड़के के पैरंट्स के घर को छोड़ अलग से रहना आम बात होती जा रही है।

अधिकांश लड़कियां शादी को लेकर किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। शहर के मेट्रिमोनी साइट्स और मैरेज ब्यूरो के रिकार्ड व आंकड़ों को देखें तो संयुक्त परिवार में न रहना इन मॉडर्न विचारों वाली लड़कियों की पहली प्राथमिकता है, क्योंकि वे आजादी से अपने मुताबिक जीवन जीना चाहती हैं। लड़कियां ऐसे लड़के चाहती हैं जो उसके पैरेंटल घर से दूर दूसरे शहर में नौकरी करते हों ताकि पेरेंटस का या अन्य किसी रिश्तेदार का उनके वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का दखल न हो।

 

संयुक्त परिवार में न रहना जहां लड़कियों की पहली प्राथमिकता है, वहीं शादी लायक लड़के-लड़कियां दोनों ही कास्ट, कम्यूनिटी व जन्मपत्री मिलान को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं। हालांकि अगर पसंद का पार्टनर समान जाति में मिल जाए तो वे उसे तवज्जो दे रहे हैं। मेट्रिमोनी साइट्स ऑपरेटर्स का कहना है आज के युवा मां बाप के दबाव में आए बिना स्वयं अपने निर्णय ले रहे हैं, जिसमें उनके लिए पार्टनर अपनी पसंद के लिए जाति और कुंडली मिलान जैसी चीजों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे।

 

लड़के और लड़कियां दोनों ही समान प्रोफेशन के पार्टनर ढूंढ रहे हैं, जिससे आपसी समझ व तालमेल बेहतर हो सके। अधिकांश लड़के गोरी, सुंदर और अच्छे फीचर्स वाली लड़की तो चाहते हैं पर उससे ज्यादा वो स्मार्ट व प्रोफेशनल लड़की को प्राथमिकता दे रहे हैं तो खुद का बिजनेस करने वाले लड़कों की पसंद घरेलू लड़की हैं।

 

शादी के लिए लड़कियों का परिवार से अलग रहने के पीछे बड़ा कारण उनका डर है। वे डरती हैं कि साथ रहने से उनकी आजादी खत्म हो जाएगी और वे लड़के के परिवार के सदस्यों के साथ तालमेल न बिठा पाऐंगी। इस तरह के बदलाव समाज को विघटन की ओर ले जा रहे हैं, जिसके दुष्प्रभाव बहुत ज्यादा हैं। आज सहायता और उत्साह बढ़ाना खत्म हो रहा है और जिम्मेदारियों का विभाजन नहीं हो रहा। अंत में यह लड़कियों में ही तनाव को बढ़ाएगा। लड़कियों में इससे सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म होती जा रही है। आगे जाकर इसका सबसे ज्यादा असर आने वाली पीढ़ी पर दिखेगा जिनकी अकेले रहने की आदत हो जाएगी और वे समाज में स्वयं को एडजस्ट नहीं कर पाएंगे।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि शादी के पहले अधिकांश युवक बहुत ही डरे सहमे व कन्फ्यूज्ड रहते हैं कि नई परिस्थितयों में किस तरह से एडजस्ट हो पाएंगे और अक्सर इसी के चलते कई रिश्ते बहुत जल्दी ही टूट जाते हैं। हर किसी को शादी से पहले काउंसलर से मिलना चाहिए ताकि वे यह जान सकें कि नए माहौल में स्वयं को कैसे एडजस्ट करना है।

 

विवाह का महत्व

 

विवाह भारतीय समाज में परम्परा के रूप एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा रहा है। बल्कि ये कहिये कि विवाह एक जन्म का नहीं बल्कि सात जन्मों का पवित्र बंधन भी माना जाता रहा है। विवाह एक नवयुवक एवं एक नवयुवती के साथ रहने जीने आगे बढ़ने का रिश्ता नहीं बल्कि यह दो परिवारों के बीच बहुमूल्य सम्बन्ध भी स्थापित करता चला आ रहा हैं। किन्तु आज की भागती दौडती जिन्दगी की तेज रफ्तार में यह रिश्ता बेहद कमजोर होता जा रहा है। यदि आंकड़ों पर नजर डाले तो इसके टूटने की संख्या पश्चिम के देशों मुकाबले कुछ कम रह गयी हैं। ये भी कह सकते है कि आज के आधुनिक समय में विवाह का महत्व दिन पर दिन कम होता जा रहा हैं।

 

यदि गंभीरता से इस विषय पर चर्चा की जाये तो यह एक ऐसी समस्या का बनती जा रही है जो आने वाले समय में समाज और परिवारों की तबाही का बड़ा कारण बनेगी। आज हो ये रहा है कि इस आधुनिक सदी में एक तो नौजवान युवक-युवती विवाह के लिए आसानी से तैयार नहीं हो रहे और जो हो रहे है उनमें से अधिकांश के जल्द ही तलाक के मामले कोर्ट में खड़े मिल रहे हैं। जहाँ तेजी से बदलते समय में आज कई चीजें बदली वहां कुछ सामाजिक प्रतिष्ठा के रूप भी बदल गये हैं। मसलन कुछ समय पहले तक लडकें-लड़कियां मां-बाप की इच्छा के अनुसार विवाह करके घर गृहस्थी बसाकर संतुष्ट हो जाया करते थे लेकिन आज ऐसा बहुत कम देखनें को मिल रहा हैं। बदलते इस दौर की बात करें तो स्वतंत्रता के साथ लड़कियों को अपने न सिर्फ पंख मिले, बल्कि उन पंखों को फैलाने के लिए आसमान भी मिला। ऐसे में शादी करके घर बसाने के कथन में बदलाव आ गया। अब सामाजिक रूप से स्थापित होने का मतलब शादी करके बच्चे पैदा करना नहीं रह गया, बल्कि एक अच्छी नौकरी,व्यवसाय या आर्थिक संपन्नता से हो गया हैं।

 

इसी विषय को यदि पलटकर लड़कों के मामले में देखें तो अधिकांश लड़के भी इससे बचने की कोशिश करते हुए लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों को प्राथमिकता दे रहे है। दिन पर दिन दहेज के बढ़ते झूठे सच्चें मुकदमों ने कानून का किसी एक पक्ष में ज्यादा झुकना और दूसरे पक्ष को इसके खतरनाक नुकसान झेलने देना भी शादी का चलन घटने का बड़ा कारण है। ऐसा कतई नहीं है कि विवाह की संस्था खोखली हो गयी है और समाज को इससे किनारा करने की जरूरत है। नहीं बल्कि यह जो कमी हो रही है आज इसमें सुधार करने की जरूरत हैं। आज जब किसी युवा से शादी के बारे में चर्चा की जाती है तो वह नकारत्मक भाव प्रकट करते हैं यानि वह इस पवित्र संस्था को एक गुलामी जिन्दगी बताकर इससे बचने का प्रयास करेंगे।

 

आज से 10 वर्ष पहले हुई शादी और पिछले दो से तीन वर्षों में हुई शादियों में काफी अंतर देखने को मिलता है मसलन दस वर्ष माता-पिता और परिवारों की सहमति से हुई शादियाँ जिनमें लड़का-लड़की, दो परिवार, रिश्तेदारों के साथ जितने सैकड़ों-हजार परिवार शामिल होते थे सभी एक तरह से इसके साक्षी बन जाते थे। ऐसे में जब कभी इस रिश्ते में कुछ समस्या उत्पन्न होती थी तो पूरा परिवार और समाज इसे बचाने की कोशिश में जुट जाता था। किन्तु प्रेम विवाह या कुछ समय में एक दूसरे से आकर्षित होकर की गयी शादियाँ जल्द टूट रही हैं।

 

सामाजिक प्रतिष्ठा का भय जो हमेशा रिश्ता बचाने में मदद करता था आज वह पूरी तरह से गायब होता जा रहा हैं। अगर अभी वर्तमान समय की बात किया जाए, तो अगर सामने वाला लड़का हो या लड़की अगर किसी से प्रेम कर लेता है, फिर वह विवाह के बंधन मे बंधने के बाद जरा सी बात पर रिश्ता तोड़ देते हैं। पिछले दिनों में ऐसे कई रिश्ते देखें एक लड़की के तलाक का कारण सिर्फ इतना था कि शादी के बाद लड़के ने उसके मुंह पर थप्पड़ मार दिया था। लड़की ने यह बात बर्दास्त नहीं की और तलाक की अर्जी डाल दी।

 

एक दूसरे लड़के ने अपनी पत्नी से सिर्फ इस बात से तलाक लिया कि वह देर रात तक सोशल मीडिया फेसबुक आदि पर अपने मित्रों से चेट किया करती थी। यानि आजकल के लोगों की धारणा संकीर्ण विचारधारा जैसी हो गई है, क्योंकि उन्हें प्यार क्या होता है? विवाह क्या होता है? और इसकी पवित्रता क्या होती है? उनके बारे में यह अभी तक अनभिज्ञ है। पहले के समय और आज के समय में यही अंतर है कि पहले के लोग विवाह को एक पवित्र रिश्ता मानकर हर सुख- दुख,उतार- चढ़ाव मैं साथ चल कर अपने रिश्ते को एक मंजिल तक पहुंचाते थे। परंतु आजकल के विवाह में अगर थोड़ा भी एक दूसरे को रोक- टोक किया या एक दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति ना कर पाए तो फिर यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता, और तलाक की नौबत आ जाती है। इसीलिए  आजकल की युवा पीढ़ी द्वारा विवाह को मजाक बनाया गया है, एहसास और रिश्ता अब पूर्ण रूप से खतम हो गया है।

 

आज-कल की लड़कियां अमीर लड़कों से शादी क्‍यूं करना चाहती हैं

पैसा, जो केवल हमारी जरूरतों को पूरा करना का एक जरीया था आज हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। वस्तुओं को इकट्ठा करके आप अपने जीवन में सुख नहीं हासिल कर सकते। एक सुखी जीवन जीने के लिए रिश्तों में प्रेम, समर्पण और भरोसा होना चाहिए। इतनी समझ होने के बावजूद महिलाएं क्यों एक अमीर पति की तलाश में रहती हैं?

जो आपके पैसों से नहीं बल्कि आप से प्यार करती हो। सामाजिक स्थिति कुछ महिलाओं को बडे लोगों के साथ उठना-बैठना अच्छा लगता है। उनके लाइफस्टाइल को अपनाने में उन्हें खुशी महसूस होती है। ऐसी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वे एक अमीर आदमी से शादी करना पसंद करती हैं। रिलेशन में माइक्रो चीटिंग से निपटने के लिए अपनाएं यह आसान उपाय वित्तीय सुरक्षा जीवन में पैसों से जुडी समस्याओं से बचने के लिए लड़कियां एक रईस लड़के की तलाश आरंभ करती हैं। पैसों के सामने वे उस व्यक्ति की शिक्षा व अज्ञानता को भी नज़रअंदाज़ कर देती हैं।

पति के साथ अधिक समय बिताना अधिक पैसों के कारण अमीरों के पास ढेरों नौकर होते हैं। अमीरों का दफ्तर और घर नौकरों के भरोसे ही चलता है। इस वजह से कपल को एक साथ समय बिताने के कई अवसर मिलते हैं। और कौन सी महिला ऐसी ऐशो आराम की जिंदगी को पाना नापसंद करेगी। प्यार

जब महिलाएं एक अमीर व्यक्ति से शादी करती है तो वह अपने पति की सफलता में वह अपनी व अपने संतान के उज्जवल भविष्य को देखती है। अतः जब महिलाएं एक अमीर घरानों में शादी करती है तो उन्हें पता होता है कि संपत्ति का बडा हिस्सा उनकी संतान को विरासत में मिलेगा। दुखद अतित जिन महिलाओं ने अपने जीवन में बहुत गरीबी देखी हो वो कभी नहीं चाहेंगी कि उनके आनेवाल कल भी उसी गरीबी में बिते। एक सुखद और आरामदायक जीवन की तलाश में वे एक अमीर पति की खोज में निकल पडती हैं। बुद्धिमान व्यक्ति पैसा विरासत में मिल सकता है लेकिन उसे संभालने या उसे दोगुना करने के लिए बुद्धि की आवश्यकता है। यदि आपके पास पैसों के साथ-साथ बुद्धि भी है तो महिलाएं आपको अपना जीवन साथी बनाना पसंद करेंगी। शानदार जीवन कौन महिला नहीं चाहती कि उसकी जिंदगी इतनी बड़ी और शानदार हो जैसे ख्वाबों की दुनिया हकिकत बनकर सामने खड़ी हो गई हो। ऐसे मधुर और सुकून भरे जीवन को पाने के लिए एक रईस आदमी ही उसकी आखरी पसंद होगा।


No comments:

Post a Comment