4/12/20

जीवाणु (Bacteria) और विषाणु (viruses)


जीवाणु (Bacteria)  और विषाणु (viruses)

बैक्टीरिया अन्य जीवों के अंदर पाए जाने वाले ऐसे कोशिकीय सूक्ष्म जीव होते हैं, जिनकी संख्या लाखों में होती है और विषाणु एक अकोशिकीय सूक्ष्म जीव है जो किसी जीवित कोशिका के सम्पर्क में आते ही जीवित होता है। दोनों में एक बड़ा अंतर है कि बैक्टीरिया कभी भी सुप्त अवस्था में नहीं रहते हैं जबकि वायरस यदि किसी जीवित कोशिका के सम्पर्क में नहीं हैं तो वे सुप्त अवस्था में सैकड़ों साल तक रहते हैं।

मानव शरीर में कोशिकाओं की तुलना में बैक्टीरिया अधिक होते हैं। बैक्टीरिया अधिकतर अच्छे होते हैं और बहुत कम मात्रा में नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन कभी-कभी ये कई बीमारियों को भी बुलावा देते हैं जबकि वायरस हमेशा संक्रमित करता है और अपने अनुसार आरएनए और डीएनए को बदलता है।

बैक्टीरिया आसपास के वातावरण में यानी हवा, पानी और मिट्टी में पाए जाते हैं। यहां तक कि ये हमारे भोजन में भी मौजूद होते हैं। ये बैक्टीरिया स्किन, मुंह, पेट और आंतों में भी रहते हैं और हमारी आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को खत्म कर देते हैं और हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होते हैं। इसके अलावा शरीर में एंजाइम और विटामिन के निर्माण में भी इनकी खास भूमिका होती है। बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया में कुछ विषैले तत्व होते हैं जिन्हें  एंडोटॉक्सिन और एक्सो‍टॉक्सिन कहा जाता है। बैक्टीरिया से होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों में बैक्टीरियल मेनिनन्जाइटिस, निमोनिया, टीबी, कॉलेरा, स्ट्रेप थ्रोट, फूड पॉइजनिंग शामिल हैं।

वहीं वायरस के कारण कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। वायरस से होने वाली कुछ बीमारियों में चेचक, सामान्य सर्दी जुकाम, चिकन पॉक्स, इन्फ्लूएंजा, जेनाइटल हर्पीस, मीजल्स, रेबीज, इबोला, पोलियो, एड्स आदि हैं। जानवरों को प्रभावित करने वाली बीमारियों में रेबीज, बर्ड फ्लू स्वाइन फ्लू शामिल हैं।

एंटीबायोटिक्स वायरल इन्फेक्शन के लिए काम नहीं करते हैं। कुछ वायरल इन्फेक्शन के इलाज के लिए एंटी वायरस दवाएं दी जाती हैं।

ऐसे बचें बैक्टीरिया और वायरस से

कई वायरल बीमारियों से बचाने में कुछ टिके उपलब्ध हैं जैसे स्माल पॉक्स। हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस से बचने के लिए आपको हाइजिन रखना जरूरी है। इसके लिए बार-बार हाथ धोएं और बैक्टीरियारोधी साबुन व गर्म पानी का इस्तेमाल करें। अपने आसपास की चीजों को साफ रखें। बीमार व्यक्ति से दूर रहें। सभी को छींकते या खांसते हुए अपना मुंह और नाक पर हाथ की बजाए कोहनी रखना चाहिए। खाना बनाने से पहले हाथ जरूर धोएं। साथ ही सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही पकाएं। निजी वस्तुओं को शेयर करने से बचें जैसे टूथब्रश, तौलिया, नेलकटर, रुमाल, रेजर आदि। इससे बैक्टीरिया फैलते हैं। अगर पशु प्रेमी हैं तो भी आपको खूब ध्यान रखने की जरूरत है। अपने पालतू जानवरों का चेकअप करवाते रहें और उनके वैक्सीनेशन का ध्यान रखें। वायरस और बैक्टीरिया यात्रा के समय आसानी से प्रभावित करते हैं। ऐसी जगह पानी न पिएं जहां आपको उसकी गुणवत्ता पर संदेह हो

जीवाणु संक्रमण अन्य संक्रमणों से भिन्न होती हैं, ये एकल कोशिका जीव हैं जो मानव, जानवरों, पौधों और ग्रह के सभी हिस्सों में प्रचुरता में रहते हैं। दो प्रकार के जीवाणु हो सकते हैं, एक अच्छे जो हमारी निकायों को ठीक से काम (पाचन से किण्वन तक) करने में मदद करते हैं और एक बुरे जीवाणु जो संक्रमण की वजह होते हैं। जैसा बताया गया है कि एक प्रतिशत से भी कम जीवाणु मनुष्यों को बीमार कर सकते हैं। जीवाणु संक्रमण की गंभीरता मुख्य रूप से जीवाणु के प्रकार, प्रभावित व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य, और अन्य कारकों पर आधारित होती है, जो संक्रमण में वृद्धि या कमी कर सकती है। जीवाणु संक्रमण मामूली बीमारियों जैसे कि गला खराब होना और कान के संक्रमण से अधिक खतरनाक स्थितियों जैसे, मेनिनजाइटिस (meningitis) और एन्सेफलाइटिस (encephalitis)

वहीं अधिकांश जीवाणु संक्रमणों का एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) की मदद से इलाज किया जा सकता है, एंटीबायोटिक्स जीवाणु के प्रकार पर आधारित होती है। और बीमारी का अंदाजा रक्त या लघुशंक की जांच से किया जा सकता है, हालांकि कभी-कभी बीमारी के लक्षणों की समीक्षा और परिस्थितियों के कारण का अनुमान लगा कर भी बीमारी का पता लगाया जाता है। यदि आप जीवाणु संक्रमण से ग्रस्त हैं, तो चिकित्सक के पास दिखाएं और चिकित्सक के निर्देश अनुसार एंटीबायोटिक दवा का चिकित्सक द्वारा निर्धारित अवधि तक लें।

ये तो हमने आपको बताया जीवाणु संक्रमण के बारे में, तो अब बात करते हैं विषाणुजनित संक्रमण के बारे में। विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। इन्हें मारना काफी मुश्किल होता है, यही कारण है कि चिकित्सा विज्ञान द्वारा अब तक पहचानी गयी यह सबसे गंभीर संक्रमणीय बीमारियों में से एक है। विषाणु आमतौर पर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर खांसी, छींक, वमन यौन संभोग या हाइपोडर्मिक (hypodermic) सुइयों को साझा करने जैसी गतिविधियों के माध्यम से संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ का शरीर पर पहुंचने से या संक्रमित जानवरों या कीड़ों के काटने के माध्यम से फैलते हैं।

जीवाणु और विषाणु में कई चीजें आम हैं, जीवाणु और विषाणु दोनों माइक्रोस्कोप (Microscope) के बिना देखा जाने के लिए बहुत छोटे होते हैं। अधिकांश जीवाणु हानिरहित होते हैं, और कुछ वास्तव में भोजन को पचाने में मदद करते हैं, जिससे बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दिया जाता है। 1% से भी कम जीवाणु लोगों में बीमारियों का कारण बनता है। विषाणु प्रोटीन का एक छोटा सा खंड है, जिसमें अनुवांशिक सामग्री होती है। यदि जीवाणु के बगल में एक विषाणु रखा जाएं, तो विषाणु जीवाणु के सामने काफी छोटा दिखायी देगा। उदाहरण के लिए, पोलियो वायरस स्ट्रेप्टोकॉक्सी (Streptococci) जीवाणु (0.003 मिमी लंबा) से लगभग 50 गुना छोटा होता है। विषाणु चार मुख्य प्रकार के होते हैं
विषाणु कोशिकाओं के अंदर छिपकर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। साथ ही इस तक एंटीबॉडी का पहुंचना काफी मुश्किल होता है। वहीं टी-लिम्फोसाइट्स (T-lymphocytes) नामक कुछ विशेष प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाएं विषाणु युक्त कोशिकाओं को पहचानती हैं और उन्हें मार देती हैं। वहीं खसरा, मम्प्स (mumps), हेपेटाइटिस (hepatitis A) और हेपेटाइटिस बी (hepatitis B) जैसे कई गंभीर विषाणुजनित संक्रमण के प्रतिकूल टीकाकरण संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की अध्यक्षता में विश्वव्यापी टीकाकरण अभियान, चेचक को खत्म करने में कामयाब रहा। हालांकि कुछ विषाणु जो सर्दी की वजह बनते हैं के प्रभाव को कम करने के लिए कोई टीकाकरण नहीं मिल पाया है क्योंकि इन विषाणुओं ने समय के साथ अपना प्रारूप बदल दिया है।


आइए जानें कुछ बैक्‍टीरिया जनित रोगों के बारे में।

बैक्‍टीरिया सूक्ष्‍म जीव हैं जिन्‍हें हम बिना माइक्रोस्‍कोप की मदद के नहीं देख सकते। यों तो प्रकृति के अलावा हमारे शरीर पर लाखों बैक्‍टीरिया रहते हैं। इनमें से अधिकतर हमारे लिए हानिकारक नहीं हैं। बल्कि कुछ तो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक भी हैं। इसके बावजूद कुछ बैक्‍टीरिया घातक बीमारियों को जन्‍म देते हैं।

बीमारी पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया में कुछ विषैले तत्‍व होते हैं जिन्‍हें एंडोटॉक्सिन और एक्‍सोटॉक्सिन कहा जाता है। आइए बैक्‍टीरिया से होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों की चर्चा करते हैं:

1. बैक्‍टीरियल मेनिनजाइटिस
बैक्‍टीरिया से होने वाली इस बीमारी में हमारे ब्रेन और रीढ़ की हड्डी को ढंकने वाली एक परत मेनिनजिस में सूजन आ जाती है। अगर समय पर इलाज न हो तो यह घातक भी साबित हो सकती है। इससे ब्रेन डैमेज यहां तक कि मौत तक हो जाती है। बैक्‍टीरिया के अलावा यह कई दूसरे सूक्ष्‍मजीवों की वजह से हो सकती है। लेकिन बड़ों में यह Neisseria meningitidis, Streptococcus pneumoniae और नवजात बच्‍चों में Group B Streptococcus, Escherichia coli और Listeria monocytogenes बैक्‍टीरिया से होती है।

2. निमोनिया
निमोनिया फेफड़ों का इन्‍फेक्‍शन है। इसमें तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्‍कत जैसे लक्षण सामने आते हैं। आमतौर पर यह Streptococcus pneumoniae नामके बैक्‍टीरिया से होता है। ऐंटीबायॉटिक लेने पर सामान्‍यत: निमोनिया सही हो जाता है। Streptococcus pneumoniae मेनिनजाइटिस के लिए भी जिम्‍मेदार है।

3. टीबी या तपेदिक
Tuberculosis या टीबी भी बैक्‍टीरिया की वजह से होने वाला संक्रामक रोग है। यह Mycobacterium tuberculosis से होता है। अगर इसका इलाज न कराया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। टीबी के इलाज के लिए ऐंटीबायॉटिक का इस्‍तेमाल किया जाता है।

4. कॉलेरा
कॉलेरा आंतों का संक्रमण है जो बैक्‍टीरिया Vibrio cholerae से होता है। यह दूषित भोजन और पानी से फैलता है। इसका भी ऐंटीबॉयोटिक्‍स की मदद से इलाज किया जाता है।



बैक्टीरिया यानी जीवाणु और वायरस यानी विषाणु का फर्क

साधारण भाषा में अगर हम आपको समझाएं तो आप इसे ऐसे समझिए कि बैक्टीरिया अच्छे और बुरे दोनों हो सकते हैं. आदतों की तरह. बैक्टीरिया हमारे शरीर का हिस्सा होते हैं. ये आंतों में रहते हैं. अच्छे बैक्टीरिया खाना पचाने में मदद करते हैं. जबकि बुरे बैक्टीरिया निमोनिया और टीबी जैसी बीमारियां दे सकते हैं. लेकिन वायरस हमेशा बुरे ही होते हैं. वायरस बैक्टीरिया पर हमला भी करते हैं.

बैक्टीरियल बीमारियों के इलाज में एंटीबॉयोटिक दवाएं काम आती हैं. दरअसल बैक्टीरिया को पहचान कर ही एंटीबॉयोटिक दवाएं बनाई जाती हैं. लेकिन वायरस की खासियत ये होती है कि उसको पहचानना या पकड़ना आसान नहीं है. वायरस अपनी संरचना बदलते रहते हैं. हमारे शरीर के डीएनए के साथ छेड़छाड़ करते हैं और अपना स्‍वरूप बदल लेते हैं. इसीलिए वायरस से होने वाली यानी वायरल बीमारियों में लक्षणों का इलाज किया जाता है. हालांकि एंटी वायरल दवाएं भी होती हैं लेकिन वो कुछ ही मामलों में कारगर होती हैं. कुछेक जाने पहचाने वायरस के खिलाफ ही काम करती हैं. क्योंकि ज्यादातर वायरस अपनी शक्लें बदलते रहते हैं.

इसीलिए जब कभी आपको वायरल बुखार हो तो आराम की सलाह दी जाती है. स्वाइन फ्लू हो या डेंगू या कोरोना वायरसये सभी वायरल बीमारियां हैं. सबसे जरूरी बात ये है कि वायरस वाली बीमारियों में एंटीबॉयोटिक दवाएं खाने से कोई फायदा नहीं होता. हां नुकसान जरूर हो सकता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि यदि भविष्य में कभी वायरस जनित बीमारी हुई तो हो सकता है कि तब काम में आने वाली एंटीबॉयोटिक दवाएं आप पर काम ना करें.


आख़िर वायरस है क्या और यह कैसे फैलता है?
 
नाम तो सुना होगा -  कोरोना वायरस जिसने सारे भारत में सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया है और लोगों को घरों में क़ैद रहने के लिए बाध्य कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोरोना वायरस है क्या बला।

कोरोना वायरस एक विषाणु है जो इतना छोटा है कि उसको आप आँखों से नहीं देख पाते, लेकिन इतना ख़तरनाक है कि आपको बीमार कर सकता है, कुछ मामलों में जान भी ले सकता है। आख़िर इतने छोटे से वायरस में ऐसी क्या शक्ति है कि दुनिया के नामी-गिरामी वैज्ञानिक उसका मुक़ाबला नहीं कर पा रहे हैं? नीचे हम इन्हीं सब बातों की चर्चा करेंगे और वह भी ऐसी भाषा में जो आपको समझ में आए।

हम जानते हैं कि सृष्टि में बहुत सारे छोटे-छोटे जीव हैं जैसे बैक्टीरिया, अमीबा आदि जिनको हम अपनी आँखों से नहीं देख सकते। इनके छोटे आकार के कारण इन्हें हम जीवाणु (जीव+अणु) कहते हैं। ऐसे बहुत सारे जीव लाखों-करोड़ों की संख्या में हमारे शरीर में भी मौजूद रहते हैं और कई तो हमारे लिए फ़ायदेमंद भी हैं। लेकिन बहुत सारे हैं जो हमें बीमार कर देते हैं। इसी कारण ऐसे जीवाणुओं को रोगाणु (रोग+अणु) भी कहा जाता है।

लेकिन वायरस इन सबसे अलग है। अलग इस क़िस्म में कि यह जीवाणु नहीं है। जीवाणु इसीलिए नहीं है कि यह जीव ही नहीं है। मगर यह निर्जीव भी नहीं है। वह मूलतः जीव और निर्जीव के बीच की कोई चीज़ है। शायद सृष्टि में जब पहला जीव बना होगा, उससे ठीक पहले की अवस्था है वायरस की।

जीव और निर्जीव में सबसे बड़ा फ़र्क़ यह है कि जीव बिना किसी दूसरे प्रकार के जीव की मदद के अपनी प्रतिलिपि यानी ड्युप्लिकट बना सकता है, निर्जीव नहीं बना सकता। जैसे आपके कमरे में रखी क़लम कभी भी अपने जैसी दूसरी क़लम नहीं बना सकती। लेकिन आपके घर में रखे मनी प्लांट का एक जड़ सहित टुकड़ा काटकर किसी गमले या पानी की बोतल में डाल दें तो नया मनी प्लांट तैयार हो जाता है।


इसी तरह बैक्टीरिया या अमीबा अपने जैसे और बैक्टीरिया या अमीबा को जन्म दे सकते हैं और अपनी टोली बढ़ा सकते हैं लेकिन एक वायरस ऐसा नहीं कर सकता। वायरस यदि कहीं पड़ा है तो हो सकता है, अनुकूल स्थितियों में वह हज़ारों सालों तक वहाँ अकेला पड़ा रहे या प्रतिकूल स्थिति में वह पल भर में नष्ट हो जाए। लेकिन हज़ारों साल तक एक ही जगह पड़ा रहने पर भी वह किसी कंकड़-पत्थर की तरह अकेला ही रहेगा, एक से दो नहीं होगा जब तक कि वह किसी जीव के संपर्क में नहीं आता।

किसी जीव के संपर्क में आते ही वायरस धड़ाधड़ अपनी संख्या बढ़ाने लगता है और इस तरह उस मेज़बान जीव के शरीर में कोहराम मचा देता है। जीव के संपर्क में आते ही उसकी संख्या क्यों बढ़ने लगती है, यह हम नीचे समझते हैं। ऊपर हमने जीव और निर्जीव के बीच एक अंतर यह देखा कि जीव अपनी प्रतिलिपि बना सकता है, निर्जीव नहीं। जीव का एक अन्य गुण यह भी है कि वह अपने आकार में वृद्धि कर सकता है।

यह शायद आप जानते हैं कि हर जीव कोशिकाओं से बना होता है। कोशिकाओं को आप किसी मकान में लगी ईंटें समझिए। अब ईंट चूँकि निर्जीव है, इसलिए एक ईंट से दो ईंटे नहीं बनेंगी और एक कमरे की दीवार यदि दस फ़ुट ऊँची है तो वह हमेशा दस फ़ुट ही रहेगी। लेकिन जीव के अंदर जो ईंट रूपी कोशिकाएँ होती हैं, वे एक से दो और दो से चार हो सकती हैं और इसी कारण उनका आकार-प्रकार बढ़ता है।

कोशिकाएँ एक से दो कैसे होती हैं, उसको वैज्ञानिक भाषा में समझाने बैठूँगा तो यह टिप्पणी लंबी और बोझिल हो जाएगी। आप बस इतना जान लीजिए कि हर जीव की कोशिका के अंदर यह क्षमता होती है कि वह एक से दो, दो से चार और चार से आठ हो जाए।

कैसे बढ़ता है वायरस?
वायरस जीव की इसी क्षमता का फ़ायदा उठाता है। वह जानता है कि जीव की कोशिका जब अपने को बाँटकर एक का दो करेगी तो अनजाने में उसको भी डबल कर देगी।

इसे आप ऑफ़िस में रखी फ़ोटोकॉपी मशीन के उदाहरण से समझें। एक कर्मचारी है जिसका काम फ़ोटोकॉपी मशीन में कागज़ डालकर ऑफ़िस के डॉक्युमेंट की कॉपियाँ निकालना है। अब अगर वह कर्मचारी उस फ़ोटोकॉपी मशीन में अपने पर्सनल डॉक्युमेंट भी डाल दे तो क्या मशीन को पता चलेगा कि ऐसा करना ग़लत है? नहीं, वह तो उसकी भी कॉपियाँ निकाल लेगी।

वायरस के मामले में भी यही होता है। शरीर की कोशिका जिसका काम फ़ोटोकॉपियर की तरह अपने अंदर मौजूद जैविक सामग्री की प्रतिलिपि बनाना यानी ख़ुद को डबल करना है, वह वायरस की जैविक सामग्री की भी कॉपी करने लगती है और इस तरह शरीर में एक वायरस से दो और दो से चार वायरस पैदा हो जाते हैं। अंत में वे उस कोशिका को भी नष्ट कर देते हैं और दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। प्रतिलिपियाँ बनने की प्रक्रिया चलती रहती है। वायरसों की संख्या बढ़ती चली जाती है।

वायरस कैसे नष्ट किया जा सकता है।

इसके दो तरीक़े हैं। पहला और बेहतर तरीक़ा तो यह है कि किसी वायरस के आपके शरीर की किसी कोशिका में प्रवेश करने से पहले ही उसे नष्ट किया जाए। बहुत सारे वायरस साबुन से नष्ट हो जाते हैं। साबुन से वे इसलिए नष्ट हो जाते हैं कि वायरस का बाहरी खोल फ़ैट यानी चिकनाई से बना होती है जो साबुन से नष्ट हो जाता है जैसे तेल वाले हाथ साबुन से साफ़ हो जाते हैं।
लेकिन एक बार यह वायरस जीवित कोशिका में प्रवेश कर गया तो उसे मारना नामुमकिन न सही, मुश्किल ज़रूर हो जाता है। शरीर वायरस के इस हमले का दो तरह से मुक़ाबला करता है। एक, वायरस के हमले के साथ ही आपके शरीर का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय हो जाता है और खोज-खोज कर वायरस को नष्ट करता है ताकि वह फैलने न पाए। जैसे संसद हमले में हमारे सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों को मारा था, वैसे ही। जब सारे आतंकी वायरस हमारे शरीर के सुरक्षाकर्मियों द्वारा मार डाले जाते हैं तो ख़तरा समाप्त हो जाता है और शरीर वायरस से मुक्त हो जाता है। दूसरा तरीक़ा यह कि वायरस ने जिन कोशिकाओं पर हमला कर उनपर नियंत्रण कर लिया हो, उन कोशिकाओं को ही नष्ट कर दिया जाए। यह तरीक़ा वैसा ही है जैसे कि कोई आतंकवादी किसी मकान में छुप जाए तो उसको मार गिराने के लिए उस मकान को ही नष्ट कर दिया जाता है। किसी जीव के लिए यह आदर्श उपाय नहीं है क्योंकि इससे उसकी अपनी कोशिकाओं का नुक़सान होता है लेकिन वायरस के विस्तार को रोकने के लिए कई बार यह अनिवार्य हो जाता है।

वायरस के हमले से हम बीमार क्यों हो जाते हैं?

जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा, जब कोई वायरस किसी जीव पर हमला करता है तो जीव के शरीर में युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। इस दौरान दो तरह की हानिकारक क्रियाएँ होती हैं। वायरस एक के बाद एक नई कोशिकाओं को संक्रमित करता, अपनी आबादी बढ़ाता हुआ मेज़बान कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है। प्रतिरोधक कोशिकाएँ वायरस से ग्रस्त कोशिकाओं पर हमला कर देती हैं। इस दौरान वायरस भी नष्ट होता है और संक्रमित कोशिकाएँ भी। यह युद्धशरीर के लिए बहुत सारी समस्याएँ पैदा कर देता है जिसका परिणाम होता है सूजन, बुख़ार, बलग़म, सिरदर्द, गले में दर्द आदि। अधिकतर मामलों में हमारा शरीर यह युद्ध जीत जाता है। मसलन फ़्लू या ज़ुकाम के वायरसों से आसानी से मुक्ति पाई जा सकती है। लेकिन कुछ वायरसों को हराना ख़ासा मुश्किल होता है, ख़ासकर उन लोगों के लिए जिनकी प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही जर्जर है।

क्या टीकों या दवाओं से वायरस-जनित बीमारियों से मुक़ाबला किया जा सकता है?

हाँ, अगर किसी व्यक्ति पर उसी वायरस का हमला हो जिसका टीका उसने पहले से लिया हुआ है। इसी तरह दवा भी उसी वायरस को हरा सकती है जिस वायरस पर उसका सफल परीक्षण हो चुका है। मामला ताले और चाबी का है। जैसे हर चाबी से हर ताला नहीं खोला जा सकता, वैसे ही हर टीके या दवा से हर वायरस का मुक़ाबला नहीं किया जा सकता। वायरस को हराने के मामले में सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि वायरस अपना स्वरूप और चरित्र बदलता रहता है। इसे आप मोबाइल नंबर से समझिए। जैसे हर मोबाइल नंबर में 0 से लेकर 9 तक के अंकों में से कोई दस अंक अलग-अलग क्रम में होते हैं और इसी कारण वे अलग-अलग नंबर बनाते हैं, वैसे ही वायरस में भी जो जैविक सामग्री होती है, वह एक ख़ास क्रम में ढली होती है। अगर उस क्रम का कोई एक हिस्सा ग़ायब हो गया या उसकी जगह कोई और जुड़ गया तो वायरस का रूप वैसे ही बदल जाता है जैसे मोबाइल नंबर में किसी एक अंक के बदलने से पूरा नंबर बदल जाता है।

कोरोना वायरस

कोरोना वायरस भी इसी तरह का एक नया वायरस है। चार कोरोना वायरस इससे पहले मौजूद थे जो उतने हानिकारक नहीं हैं। उनका इलाज भी संभव है। लेकिन 2019 में उनमें से किसी एक कोरोना वायरस की जैविक सामग्री में से कुछ घटा या कुछ जुड़ा और वह ख़तरनाक नया कोरोना वायरस बन गया। यह नया कोरोना वायरस ख़तरनाक इसलिए है कि इसका कोई टीका पहले से तैयार नहीं है न ही कोई दवा है जो इसपर असर करे। लेकिन और वायरसों की तरह यह नया कोरोना वायरस भी उतना ख़तरनाक नहीं है जितना लगता है। एम्स के एक ब्रोशर के अनुसार नए कोरोना वायरस से संक्रमित 80% लोग बिना दवा के कुछ दिनों में आसानी से ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस के जितने भी केस अब तक मिले हैं, उनमें मृतकों की संख्या 5% से ज़्यादा नहीं है। दूसरे शब्दों में 95% रोगी इस वायरस का शिकार होने के बाद भी ठीक हो रहे हैं। इसलिए कोरोना वायरस से डरें नहीं। बस सतर्क रहें। आपस में दूरी बनाए रखें और नियमित अंतराल पर हाथ साबुन से धोते रहें। लेकिन ध्यान रहे - बीस सेकंड तक रगड़-रगड़कर वरना वायरस का चिकनाई वाला खोल हटेगा नहीं। दुनिया भर में कोरोना वायरस का खौफ है। इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।


अगर आप बीते दशक का लेखा-जोखा देखें तो सार्स, मर्स, जीका और अब COVID-19 ने अटैक किया है. ये वो वायरस हैं जो जानवरों से इंसान में आए. अब ये अंतिम है, ऐसा नहीं है. हमें आगे भी तैयार रहना होगा. इसका बस यही रास्ता है कि हम इसका इलाज खोजें और इसे रोकें ताकि ये फैले न. अगर आप बीते दशक का लेखा-जोखा देखें तो सार्स, मर्स, जीका और अब COVID-19 ने अटैक किया है. ये वो वायरस हैं जो जानवरों से इंसान में आए. अब ये अंतिम है, ऐसा नहीं है. हमें आगे भी तैयार रहना होगा. इसका बस यही रास्ता है कि हम इसका इलाज खोजें और इसे फैलने से कैसे रोकें.


वायरस के बारे में रोचक तथ्य

लैटिन भाषा में वायरस’ (Virus) शब्द का अर्थ होता है विष. क्या आप जानते हैं की उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इस शब्द का प्रयोग विषाक्त (toxic) रोग पैदा करने वाले किसी भी पदार्थ के लिए किया जाता था. परन्तु अब वायरस शब्द का प्रयोग रोगजनक कणों के लिए भी किया जाता है. वायरस एक संक्रामक कण है जो जीवन और गैर-जीवन की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है. वायरस, संरचना और कार्य में पौधों, जानवरों और बैक्टीरिया से भिन्न होते हैं. वे कोशिका नहीं होते हैं और स्वयं को दोहरा नहीं सकते हैं. वायरस को ऊर्जा उत्पादन, प्रजनन और जीवित रहने के लिए होस्ट पर निर्भर रहना पड़ता है. हालांकि आम तौर पर वायरस केवल 20-400 नैनोमीटर तक होते हैं. वायरस इन्फ्लूएंजा, चिकनपॉक्स और आम सर्दी सहित कई मानव रोगों का कारण भी बनते है. रुसी वैज्ञानिक इवानोविस्की (Ivanovsky) ने सर्वप्रथम सन 1892 में यह बताया कि मोजेक (mosaic) रोग से पीड़ित तम्बाकू के पौधों की पत्तियों के स्वरस (extract) में वायरस के कण विधमान होते हैं. अधिकांश वायरस इतने छोटे होते हैं कि उनको संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा भी देख पाना असम्भव है. आइये इस लेख के माध्यम से वायरस के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर अध्ययन करते हैं.


बुरे वायरस से सम्बंधित तथ्य – Bad Virus Facts in Hindi

ज्यादातर वायरस बुरे होते हैं | बहुत बुरे !! एक बार जब कोई वायरस अपने मेजबान के अंदर पहुंच जाता है, तो वह स्वयं की प्रतियां विकसित करने और बनाने के लिए मेजबान की कोशिकाओं का उपयोग करता है। जब कोई वायरस आपके शरीर में जाता है तो किसी भी एक कोशिका से खुद को जोड़ लेता है | फिर या तो खुद के जीन को आपके कोशिका में इंजेक्ट कर देता है या आपकी कोशिका ही उस वायरस को निगल जाती है। वायरस फिर आपके कोशिका के सभी काम करने वाले भागों पर हावी हो जाता है और खुद की प्रतियां बनाना शुरू करता है | ये प्रतियां आमतौर पर, इतने सारे बना दिए जाते हैं कि आपकी कोशिका फट जाती है। ये नए वायरस बिलकुल पुराने वायरस जैसे होते हैं क्यूंकि सभी में एक ही प्रकार का जीन कोड होता है इसलिए धीरे धीरे आसपास के सभी स्वस्थ कोशिकाओ पर भी हमला कर देते हैं। आपके शरीर में बस एक वायरस खुद की हजारों प्रतियां बना सकता है और आपको बहुत बीमार कर सकता है |

कुछ वायरस ऐसी बीमारियों का कारण बनते हैं जिनके बारे में आपने सुना होगा जैसे खसरा, चिकनपॉक्स और निश्चित रूप से, फ्लू | फ्लू (इन्फ्लूएंजा) दुनिया में सबसे प्रसिद्ध वायरल रोगों में से एक है यह आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और आपको खांसी, गले में खराश, बहती नाक, सिरदर्द, बुखार, थकान और दर्द देता है | लेकिन इनके अलावा कुछ इतने खतरनाक वायरस हैं जिन्होंने बड़ी तबाही मचाई है जिनमे से एबोला, एचआईवी, डेंगू, रेबीज, स्मालपॉक्स जैसे घातक वायरस भी हैं।


वायरस वास्तव में बहुत चालाक होते हैं | वे खुद को बहुत जल्दी बदल (म्यूटेट कर) सकते हैं | जैसे ही एक नया टीका बनाया जाता है, एक नए प्रकार का फ्लू दिखाई देता है, जो पिछले से बस थोड़ा अलग होता है जब कोई वायरस आपको बीमार बनाता है, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आक्रमणकारियों से लड़ने में मदद करने के लिए एंटीबॉडी बनाती है |

यदि वायरस (Virus Facts in Hindi) बदल जाता है, भले ही यह बस थोड़ा बदल जाए, लेकिन आपके शरीर द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी इसे पहचान नहीं पाते हैं, इसलिए आपको बचाने के लिए कोई मदद नहीं कर पाते | इसीलिए वायरस के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव टीकाकरण किया जाना ही है।



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