3/25/20

कैसे बनी हमारी दुनिया


जीवन के करोड़ों स्वरूपों से दमकती इस सृष्टि को रचने वाला कौन है? कोई दैवीय शक्ति या फिर विज्ञान की वो ताकत, जो गॉड पार्टिकल में छिपी है? गॉड पार्टिकिल की कहानी करीब 14 अरब साल पहले शुरू होती है, जब इस ब्रह्मांड का जन्म हो रहा था। 14 अरब साल पहले जब ऊर्जा के महाविस्फोट के बाद पदार्थ के शुरुआती कणों ने जन्म लिया तो उन कणों का गुण-धर्म तय करने वाले कई दूसरे अनजाने कण भी अस्तित्व में आ गए मिसाल के तौर पर सिंगल टॉप क्वार्क और हिग्स बोसॉन। फिजिक्स के सिद्धांत बताते हैं कि हिग्स-बोसॉन की मौजूदगी ने ही पदार्थ के कणों में वजन पैदा किया, लेकिन हिग्स-बोसॉन इस कदर रहस्यमय हैं कि वैज्ञानिकों ने उन्हें गॉड पार्टिकल यानी ईश्वरीय कणों का नाम दिया है।

इस ब्रह्मांड की रचना गॉड पार्टिकल के बगैर मुमकिन नहीं थी। क्योंकि गॉड पार्टिकल ने ही अलग-अलग परमाणुओं को आपस में जोड़कर नए पदार्थों के अनगिनत अणुओं को जन्म दिया और इन नए अणुओं ने आपस में जुड़कर एक से बढ़कर एक पदार्थ रच डाले।   ये ब्रह्मांड और इस संपूर्ण सृष्टि का स्वरूप जैसा हमें नजर आता है, ये केवल गॉड पार्टिकल की ही देन है। गॉड पार्टिकल जितना महत्वपूर्ण है उतना ही रहस्यमय भी क्योंकि इसके निशान तो कई बार मिले, लेकिन ये अब तक हमारी निगाहों के सामने नहीं आया है।


हम अपने आस-पास पेड़-पौधे, जीव-जंतु के अलावा तरह-तरह की चीजें देखते हैं। हम आसमान में सूर्य, चांद और तारे देखते हैं। लेकिन एक समय था जब यह चीजें नहीं थीं। वह समय था बिग बैंग की घटना से पहले का। उस समय न तो समय और न ही स्थान नाम की कोई चीज होती थी। 12 से 14 अरब वर्ष पहले हमारा पूरा ब्रह्मांड एक बिंदु में सिमटा हुआ था। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दुनिया में जब कुछ मौजूद ही नहीं था, इतनी सारी चीजें अस्तित्व में कैसे आईं। इन्हीं सवालों का हम बिग बैंग और हिग्स बोसन यानी गॉड पार्टिकल के जरिए जवाब देने की कोशिश करेंगे। आइए आज जानते हैं कि कैसे एक जगह सिमटी हुई एक इकाई से दुनिया का वजूद संभव हुआ...

बिग बैंग
1927 में जॉर्जिस लेमाइटर ने बिग बैंग के सिद्धांत का प्रस्ताव रखा था। 1929 में ऐडविन हबल नाम के वैज्ञानिक ने इस सिद्धांत का विश्लेषण और अध्ययन किया। स्टीफन हॉकिंग ने इसे यूं समझाया, करीब 15 अरब साल पहले पूरा ब्रह्मांड एक बिंदु के रूप में सिमटा हुआ था। या यूं समझ लीजिए कि पूरी दुनिया की रचना जिन कणों और ऊर्जा के कारण संभव हुई, वह एक छोटे से गेंद जैसी चीज में समाए हुए थे। फिर अचानक से एक घटना हुई और बिंदु में मौजूदा कण हर तरफ फैल गए। ये कण तेजी से एक-दूसरे से दूर भागने लगे। इस घटना को ही बिग बैंग के नाम से जाना जाता है। वैसे बिग बैंग को कुछ लोग महाविस्फोट समझ लेते हैं और कहते हैं कि एक महाविस्फोट से दुनिया का जन्म हुआ है। लेकिन यह सही नहीं है। हकीकत यह है कि अचानक ब्रह्मांड के सिमटे हुए बिंदु का विस्तार शुरू हो गया था जो अब तक जारी है।

हिग्स बोसोन
दुनिया में मौजूद सभी चीजों का निर्माण कणों से हुआ है। कणों ने मिलकर चीजों को बनाया। बात इस तरह से है, हमारे ब्रह्मांड में मौजूद सभी चीजें ऐटम से मिलकर बनी हैं। एक ऐटम इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन नाम के तीन कणों से बना होता है। ये कण भी सबऐटॉमिक पार्टिकल से मिलकर बने होते हैं जिनको क्वार्क कहा जाता है। इन कणों का द्रव्यमान अब तक रहस्य बना रहा है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जैसे कणों में द्रव्यमान यानी वजन होता है जबकि फोटॉन में नहीं होता है। यह एक गुत्थी थी कि आखिर कुछ कणों में वजन होता है जबकि कुछ में नहीं। आखिर ऐसा क्यों होता है, इस गुत्थी को पीटर हिग्स और पांच अन्य वैज्ञानिकों ने साल 2012 में सुलझाने की कोशिश की। उन्होंने हिग्स बोसोन का सिद्धांत दिया। उनके सिद्धांत के मुताबिक, बिग बैंग के तुरंत बाद किसी भी कण में कोई वजन नहीं था। जब ब्रह्मांड ठंडा हुआ और तापमान एक निश्चित सीमा के नीचे गिरता चला गया तो शक्ति की एक फील्ड पूरे ब्रह्मांड में बनती चली गई। उस फील्ड के अंदर बल था और उसे हिग्स फील्ड के नाम से जाना गया। उन फील्ड्स के बीच कुछ कण थे जिनको पीटर हिग्स के सम्मान में हिग्स बोसोन के नाम से जाना गया। इसे ही गॉड पार्टिकल भी कहा जाता है। उस सिद्धांत के मुताबिक, जब कोई कण हिग्स फील्ड के प्रभाव में आता है तो हिग्स बोसोन के माध्यम से उसमें वजन आ जाता है। जो कण सबसे ज्यादा प्रभाव में आता है, उसमें सबसे ज्यादा वजन होता है और जो प्रभाव में नहीं आता है, उसमें वजन नहीं होता है। उस समय तक सिर्फ यह अनुमान था कि हिग्स बोसोन नाम का कण ब्रह्मांड में मौजूद है लेकिन जुलाई 2012 में स्विटजरलैंड में वैज्ञानिकों ने हिग्स कण के खोजने की घोषणा की।


गॉड पार्टिकल क्यों अहम है?

हमारी इस दुनिया की रचना में भार या द्रव्यमान का खास महत्व है। भार या द्रव्यमान वह चीज है जिसको किसी चीज के अंदर रखा जा सकता है। अगर कोई चीज खाली रहेगी तो उसके परमाणु अंदर में घूमते रहेंगे और आपस में जुड़ेंगे नहीं। जब परमाणु आपस में जुड़ेंगे नहीं तो कोई चीज बनेगी नहीं। जब भार आता है तो कण एक-दूसरे से जुड़ता है जिससे चीजें बनती हैं। ऐसा मानना है कि इन कणों के आपस में जुड़ने से ही चांद, तारे, आकाशगंगा और हमारे ब्रह्मांड की अन्य चीजों का निर्माण हुआ है। अगर कण आपस में नहीं मिलते तो इन चीजों का अस्तित्व नहीं होता और कणों को आपस में मिलाने के लिए भार जरूरी है।


हॉकिंग ने कहा है कि ब्रह्मांड की हर चीज (तारे, ग्रह और हम भी) मैटर यानी पदार्थ से बनी है। मैटर अणु और परमाणुओं से बना है और मास वह फिजिकल प्रॉपर्टी है, जिससे इन कणों को ठोस रूप मिलता है। मास जब ग्रैविटी से गुजरता है, तो वह भार की शक्ल में भी मापा जा सकता है, लेकिन भार अपने आप में मास नहीं होता, क्योंकि ग्रैविटी कम-ज्यादा होने से वह बदल जाता है। मास आता कहां से आता है, इसे बताने के लिए फिजिक्स में जब इन तमाम कणों को एक सिस्टम में रखने की कोशिश की गई तो फॉम्र्युले में गैप दिखने लगे। इस गैप को भरने और मास की वजह बताने के लिए 1965 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल का आइडिया पेश किया।

भार या द्र्व्यमान वो चीज है जो कोई चीज अपने अंदर रख सकता है। अगर कुछ नहीं होगा तो फिर किसी चीज के परमाणु उसके भीतर घूमते रहेंगे और जुड़ेंगे ही नहीं। इस सिद्धांत के अनुसार हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसे हिग्स फील्ड का नाम दिया गया। इस फील्ड में कण होते हैं जिन्हें हिग्स बॉसन कहा गया है। इलेक्‍ट्रॉन, प्रोटॉन और न्‍यूट्रॉन से अणु बनता है। गॉड पार्टिकल से इस अणु को भार मिलता है। जब कणों में भार आता है तो वो एक दूसरे से मिलते हैं।



यह होगा फायदा

गॉड पार्टिकल के रहस्‍य से पर्दा हटने का फौरी तौर पर फायदा यह होगा कि वैज्ञानिकों का 60 साल पुराना यह असमंजस खत्‍म हो जाएगा कि किसी चीज को आकार और द्रव्‍यमान कैसे मिलता है? इसके अलावा और भी कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब मिलने की उम्‍मीद है। यह भी पता चल सकेगा कि धरती के भीतर धधकते ज्‍वालामुखी को इतनी ऊर्जा कहां से मिलती है?



अगर गॉड पार्टिकल के मिलने का दावा सही साबित होता है, तो यह साबित हो जायेगा कि भौतिक विज्ञान सही दिशा में काम कर रहा है। इससे भौतिकी के स्टैंडर्ड मॉडल की भी पुष्टि हो जायेगी और यह भी साबित हो जायेगा कि हर चीज ठोस क्यों होती है। क्योंकि यदि हिग्स बोसोन यानी गॉड पार्टिकल का पता नहीं चलता तो स्टैंडर्ड मॉडल फेल हो जाता और हर चीज के ठोस होने की वजहों का भी पता नहीं चल पाता। विज्ञान के लिए यह बड़ा झटका होता और तब गणित पर भी सवाल उठने लगता।


गॉड पार्टिकल 2012 में खोजा गया। हॉकिंग ने कहा है कि अगर वैज्ञानिक गॉड पार्टिकल्स को हाई टेंशन (उच्च तनाव) पर रखेंगे तो इनसे 'कैटास्ट्रॉफिक वैक्यूमतैयार होगा। यानी इससे बुलबुलानुमा गैप तैयार होंगे। इससे ब्रह्मांड में गतिमान कण टूट-टूटकर उड़ने लगेंगे और आपस में टकराकर चूर-चूर हो जाएंगे। हालांकि भौतिकविदों ने इस मसले को आपदा की आशंका मानकर अभी किसी तरह का प्रयोग नहीं किया हैलेकिन प्रोफेसर हॉकिंग के इस बयान से दुनिया के वैज्ञानिकों कान खड़े हो चुके हैं।

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