12/24/19

एनपीआर, एनआरसी और सीएए में क्या फर्क है?

National Population Register (NPR)
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर

इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। लोगों के बायोमेट्रिक डाटा के जरिए योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करने में मदद मिलती है। अगर कोई बाहरी व्यक्ति देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा समय से रह रहा है, तो उसका ब्योरा भी एनपीआर में दर्ज किया जाता है। एनपीआर में लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही सही माना जाता है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता।

National Register of Citizens (NRC)
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर

इसके जरिए देश में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों की पहचान की जाती है। सरकार इसके लिए सूचना जारी करके किसी भी क्षेत्र में रहने वाले लोगों से उनकी पहचान के वैध दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहती है। इन दस्तावेजों का परीक्षण किया जाता है। इसके बाद वैध नागरिकों की सूची प्रकाशित की जाती है। इसमें दावे-आपत्ति का प्रावधान भी होता है। इसके बाद नागरिकता की अंतिम सूची जारी की जाती है। इस सूची में शामिल लोगों को ही राज्य या देश का नागरिक माना जाता है। हाल ही में असम में एनआरसी लागू की गई है।

Citizenship Amendment Act(CAA)
नागरिकता संशोधन कानून

नए कानून के तहत पाक, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। जो 31 दिसंबर 2014 से पहले आ गए हैं, उन्हें नागरिकता मिलेगी। उन्हें संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकार हासिल होंगे। सीएए सहित कोई भी कानून इन अधिकारों को नहीं छीन सकता। सीएए से मुस्लिम भी प्रभावित नहीं होंगे। किसी भी देश या धर्म का नागरिक भारत के नागरिकता कानून 1955 की धारा 6 के तहत आवेदन कर सकता है। मौजूदा संशोधन उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करता है।

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