4/23/19

मतदान आपका अधिकार भी और कर्तव्य भी

कैसे करें वोट

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप वोटिंग कर सकते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आपका नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए। यह वोटिंग की पहली अवस्था है। आप इस शर्त पर मतदान कर सकते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट (जिसे मतदाता सूची भी कहा जाता है) में है। मतदाता मतदान केंद्र, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों, चुनाव की तारीखों और समय, पहचान पत्र और ईवीएम की जानकारी भी देख सकते हैं।

1- सबसे पहले पोलिंग ऑफिशियल वोटर लिस्ट में आपका नाम चेक करेंगे। इसके बाद आपका आईडी प्रूफ चेक करेंगे। इसलिए वोट डालने के लिए जाते वक्त आईडी प्रूफ ले जाना न भूलें।
2- आइडी प्रूफ में वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारियों का आईडी कार्ड, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी किया गया फोटो आईडी कार्ड। बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी की गई फोटो वाली पासबुक, पैन कार्ड, RGI द्वारा NPR के तहत जारी किया गया स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, लेबर मिनिस्ट्री द्वारा जारी किया गया हेल्थ इंश्योरेंस स्मार्ट कार्ड, फोटो सहित पेंशन डॉक्यूमेंट्स, MPs/MLAs/MLCs के लिए जारी किया गया ऑफिशियल आईडी कार्ड और आधार कार्ड।
3- इसके बाद पोलिंग ऑफिशियल आपकी अंगुली पर इंक लाएंगे और साथ ही एक रजिस्टर (फॉर्म 17A) पर आपके साइन कराएंगे।
4- इसके बाद थर्ड पोलिंग ऑफिशियल के पास आपको अपनी स्लिप डिपॉजिट करनी होगी और अपनी इंक वाली फिंगर दिखानी होगी। इसके बाद आप बूथ में जाएंगे।
5- बूथ में जाकर आप जिस कैंडिडेट को वोट देना चाहते हैं उसके चुनाव चिह्न के सामने का बटन ईवीएम में दबाएंगे। बटन दबाते ही बीप सुनाई देगी।
6- VVPAT मशीन में लगी डिस्प्ले में आपको एक स्लिप दिखाई देगी। इसमें कैंडिडेट के सीरियल नंबर के साथ नाम और इमेज 7 सेकंड के लिए दिखाई देगी।
7- अगर आपको अपने यहां मौजूद किसी भी कैंडिडेट को वोट नहीं देना है तो आप NOTA बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ईवीएम मशीन में आखिरी बटन होता है।
8- मोबाइल फोन, कैमरा आदि पोलिंग बूथ के अंदर ले जाना मना है।
9- आपकी जगह कोई दूसरा आपका वोट डालकर नहीं आ सकता है।
10- आप अगर इससे ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो https://ecisveep.nic.in/ पर जाकर देख सकते हैं।


क्या हैं मतदाता होने के मायने

किसी भी लोकतांत्रिक देश में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मत देने का अधिकार होता है। भारतीय संविधान के अनुसार देश में 18 वर्ष की आयु के ऊपर के किसी भी जाति, समुदाय और धर्म के नागरिक को चुनाव में अपने मत के उपयोग का अधिकार है। भारतीय संविधान में नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं जिसकी जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में मतदान देश के नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

कौन कर सकता है मतदान
भारतीय संविधान के अनुसार, मतदान समिति के अंतर्गत पंजीकृत 18 वर्ष की आयु से अधिक का देश का कोई भी नागरिक मतदान के योग्य होता है।  प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय, राज्यकीय, जिला एवं अपने क्षेत्र के स्थानीय चुनाव में मतदान कर सकता है। जब तक कोई व्यक्ति अयोग्यता के नियमों की सीमा पार नहीं कर लेता उसे मतदान करने से नहीं रोका जा सकता है। प्रत्येक नागरिक को एक ही मत डालने का अधिकार है और मतदाता अपने पंजीकृत क्षेत्र में ही मतदान कर सकता है।

मतदान में अयोग्यता की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पूरे नियमों पर खरा नहीं उतरता तो उसका मतदान प्रक्रिया से बहिष्कृत करने का भी प्रावधान है। इनमें यदि कोई व्यक्ति आईपीसी की धारा 17 1E (रिश्वत संबंधी) के अंतर्गत या 17 1F (चुनाव पर अनुचित प्रभाव) का दोषी पाया जाता है तो उसे मतदान का अधिकार नहीं मिलता। एक से अधिक क्षेत्र में मतदान करने वाला व्यक्ति भी मतदान प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता है।

जानने का अधिकार
सभी मतदाताओं को चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्याशियों की जानकारी का पूरा अधिकार है। भारतीय संविधान में धारा 19 के अंतर्गत नागरिकों को ये अधिकार दिया गया है। इस अधिकार के द्वारा कोई भी व्यक्ति प्रत्याशियों के चुनाव घोषणा पत्र की जानकारी, उनका वित्तीय लेखा-जोखा और आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जान सकता है।

नोटा का अधिकार 
मतदाताओं को अपना मत न देने का भी पूरा अधिकार दिया गया है और इस बात का रिकॉर्ड भी रखा जाता है। नोटा के माध्यम से मतदाता चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में किसी को भी नहीं चुनने के अधिकार का प्रयोग करता है। इस प्रक्रिया में मतदाता मतदान करने जाता है लेकिन मतदान न करने वाले विकल्प को चुनता है।

अनपढ़ एवं अशक्त मतदाताओं को अधिकार
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे लोग जो शारीरिक रूप से मतदान केंद्र तक पहुंच सकते उनको डाक मतपत्र से मतदान करने की सुविधा होती है। वो चुनाव अधिकारी की मदद से विशेष मतदान कर चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं।

अप्रवासी भारतीयों को मताधिकार
अप्रवासी भारतीय भी चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें स्वयं को चुनाव आयोग में पंजीकृत कराना होगा।

कैदियों के बारे में
जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62(5) के तहत ऐसा कोई भी व्यक्ति जो न्यायिक हिरासत में है या फिर किसी अपराध के लिए सजा काट रहा है, वह वोट नहीं दे सकता है। सामान्य जनता के अलावा वोट सिर्फ वही दे सकते हैं, जो पुलिस हिरासत में हैं।



भारत में वोट डालते समय वोटर की पहचान करना जरूरी होता है. चुनाव आयोग की ओर से नियम बनाया गया है. भारत सरकार की ओर से सभी मतदाताओं को वोटर आईडी कार्ड जारी किए गए हैं. जिसका इस्तेमाल करके देश के नागरिक राष्ट्रीय, राज्य और निकाय चुनाव में वोट डाल सकते हैं. इसको फोटो निर्वाचन पहचान पत्र के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा चुनाव आयोग की ओर से भी जिन भी पहचान पत्र की मान्यता चुनाव आयोग की ओर से दी गई है उनको वोट देने के समय दिखाया जा सकता है.
कौन से दस्तावेजों की है मान्यता
पासपोर्ट
ड्राइविंग लाइसेंस
राज्य या केंद्र सरकार की ओर से जारी फोटो पहचान पत्र
बैंक और पोस्ट ऑफिस की ओर से जारी पासबुक
पैन कार्ड
आरजीआई और एनपीआर की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड
मनरेगा जॉब कार्ड
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी हेल्थ स्मार्ट कार्ड
सांसदों और विधायकों को जारी पहचानपत्र
आधार कार्ड



मुद्दों पर कार्य करने वाले उम्मीदवार के पक्ष में करें मतदान

हरेक व्यक्ति को मतदान करना चाहिए। हमें एक ऐसे उम्मीदवार को अपनी वोट देना चाहिए, जो हमारे मुद्दों को लेकर कार्य करे। ऐसे प्रतिनिधि को चुनकर हम अप्रत्यक्ष रूप से देश के विकास में योगदान देते हैं।

एक-एक वोट का होता विशेष महत्व :
मतदान बहुत जरूरी है और हर वोट का विशेष महत्व है। इसके जरिये न केवल हमें मतदान प्रक्रिया को जानने का मौका मिलता है, बल्कि हम अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं। हमारे एक-एक वोट से चुना गया प्रतिनिधि जब कोई भी विकास कार्य करवाता है तो उसमें हमारा भी योगदान रहता है। हमें मतदान प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

जांच परख के बाद करें मतदान
मतदान चाहे किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में करें, लेकिन इससे पहले हमें प्रत्याशी के बारे में जान लेना चाहिए। हमें उस व्यक्ति के पृष्टभूमि, व्यक्तित्व और उसके करवाए गए कार्यों पर भी गौर करनी चाहिए। पूरी जांच परख के बाद ही हमें अपना कीमती वोट किसी उम्मीदवार को देना चाहिए।

खुद मतदान के साथ दूसरों को भी करें जागरूक :
हमें खुद तो मतदान करना ही चाहिए, बल्कि दूसरों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करना चाहिए। मतदान का प्रतिशत भी हमारे देश में काफी कम रहता है। इस बार सब मिलकर प्रयास करें की इस प्रतिशतता को पहले से ज्यादा बढ़ाया जाए। इससे हमारी जागरूकता का भी पता चलेगा।

प्रलोभन देने वालों को कभी न दें वोट :
हमें कभी भी ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहिए, जो प्रलोभन देकर सत्ता में आने की कोशिश करे। ऐसे लोग अगर सत्ता में आ जाते हैं तो वे इसका दुरूपयोग करते हैं। हमें एक साफ छवि के व्यक्ति को ही अपना वोट देना चाहिए।

दबाव में न आएं वोटर :
वोटर को किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए। किसको वोट देना है, इस संबंध में एक बार अपने परिवार से सलाह मशवरा कर सकते हैं, लेकिन उसके बाद अपने विवेक से ही वोट दें। चाहे वह किसी भी राजनैतिक दल से संबंध रखता हो।

वर्तमान मुद्दों को लेकर चलने वाले प्रत्याशी को दें प्राथमिकता :
अगर कोई प्रत्याशी शिक्षा चिकित्सा और रोजगार जैसे मुद्दे लेकर मत मांगता है, तो उसके बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए। ये मुद्दे हर स्थान व समय की जरूरत हैं। ऐसी सुविधाएं जुटाने वाले प्रत्याशी को पक्ष में मतदान करना उचित है। वोट देने से पहले इन सब बातों को लेकर प्रत्याशी से बातचीत करनी चाहिए।

आपका वोट मायने रखता है

हर कोई हमेशा ये सोचता है कि उसके अकेले वोट से क्या लोकतंत्र को कोई फर्क पड़ सकता है। इसका जवाब हमेशा यही होगा कि हां फर्क पड़ता है। प्रत्येक वोट लोकतंत्र को मजबूत बनाता है और प्रत्येक ऐसा वोट जो नहीं दिया जाता वो आवाज़ न सुनने की जगह बनाता है और प्रतिनिधित्व को कमजोर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा है कि मतदान के प्रति उदासीनता रखने वालों को सरकार से सवाल करने का कोई हक नहीं है। सचमुच उन लोगों को आईना दिखाया है जो मतदान के प्रति उदासीन रहते आए हैं। हमारे लोकतंत्र में सबको समान मताधिकार है यानी प्रत्येक वोट की कीमत एक है चाहे वह अमीर हो या गरीब। देखने में यही आता है कि अपना प्रतिनिधि चुनते समय तो लोग वोट देने के लिए मतदान केन्द्र तक जाने की तकलीफ नहीं करते और जब सरकारें बन जातीं हैं तो काम न होने के लिए उनको कोसने में सबसे आगे रहते हैं।

सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि 'तथाकथित शिक्षित वर्ग' ही इस उदासीनता में सबसे ज्यादा भागीदार बनता है। यह बात सही है कि लोगों की नेताओं के प्रति उदासीनता हो सकती है। यह भी हो सकता है कि वे चुनाव में खड़े उम्मीदवारों में से किसी को पसंद नहीं करें। लेकिन, चुनाव आयोग ने ऐसे मतदाताओं को 'नोटा' (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प दे रखा है। जबसे नोटा का प्रावधान किया गया है, हमने यह देखा है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं ने वोटिंग मशीन में इस बटन का इस्तेमाल भी किया है। सही दल के सही उम्मीदवार को वोट देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अपना वोट डालना। अपना प्रतिनिधि चुनते समय आपको यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पार्टी आपकी और साथ ही दूसरे लोगों की आवश्यकताओं को समझती हो। लोकतंत्र का उद्देश्य एक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करना नहीं है, बल्कि सभी लोगों की जरूरतों को पूरा करता है। मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर ही सही मायने में लोकतंत्र को मजबूत किया जा सकता है। प्रजातंत्र की मजबूती का दायित्व प्रत्येक मतदाता को समझना होगा। मतदान केंद्र तक का सफर करने में होने वाली गर्व की अनुभूति का अहसास लेना चाहिए। जब आप अपना वोट डालते हैं तो यह भावना आती है कि वह भी इस देश के लोकतंत्र में अहम योगदान अदा कर रहे हैं। इन दिनों एक बात और महत्वपूर्ण है। आप किसी भी पार्टी का पक्ष लेने से पहले उसका घोषणा पत्र जरूर पढ़ें। मुद्दों को चिह्नित करें। इसके बाद प्रत्याशी की छवि देखें और उसके कार्यो का आंकलन करें। तमाम चीजों को कसौटी पर कसने के बाद ही अपनी पसंद से मतदान करें।


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