8/6/18

income-tax-returns in hindi


आप ये जानना जरुर चाहते होंगे कि इनकम टैक्स क्या है? और इसके क्या नियम है। कैसे इसका निर्धारण होता है।
आयकर अधिनियम 1961 के तहत, एक निश्चित आय से अधिक कमाने वाले लोगों को इनकम टैक्स भरना होता है। साल में एक बार आपको एक आईटीआर फॉर्म में सरकार को आमदनी, खर्च, निवेश और टैक्स देनदारी के बारे में ब्यौरा देना होता है इसे आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) कहते हैं. आयकर रिटर्न भरने के कई तरीके हैं, जिसमें ई-फाइलिंग से लेकर फिजिकल फॉर्म तक शामिल हैं. आप अपना आयकर रिटर्न खुद भी भर सकते हैं और किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स रिटर्न मददगार (TRP) या इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर की मदद से भर सकते हैं.


किसे टैक्स भरना जरूरी
अगर आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से फाइल किया जा सकता है। 5 लाख रुपये से ज्यादा आमदनी वालों के लिए ऑनलाइन ITR फाइल करना अनिवार्य है। सुपर सीनियर सिटीजन (जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा हो) ऑफलाइन रिटर्न भर सकते हैं। अगर आपकी टैक्सेबल इनकम सालाना 2.50 लाख रुपये से कम है तो आपके लिए ITR भरना अनिवार्य नहीं है। वैसे, आप जीरो आईटीआर भी भर सकते हैं। जीरो आईटीआर का मतलब यह है कि आप सरकार को टैक्स तो नहीं चुकाते, लेकिन अपनी आमदनी और खर्च की जानकारी दे देते हैं।

देर से भरेंगे तो नुकसान क्या?
-आपको आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। अगर इसमें देरी करते हैं तो इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।
-अगर आप आईटीआर 1 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच फाइल करते हैं तो आपको 5000 रुपये जुर्माना देना होगा। लेकिन अगर आपकी कुल सालाना आमदनी 5 लाख रुपये से कम है तो जुर्माने की रकम 1000 रुपये होगी।
-अगर आप 1 जनवरी से 31 मार्च 2019 तक रिटर्न फाइल करते हैं तो आपको 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।
- अगर आप पर इनकम टैक्स की कोई देनदारी बनती है और रिटर्न देर से फाइल करते हैं, तब पेनल्टी के साथ-साथ देनदारी पर 1% हर महीने ब्याज भी लगेगा।

नहीं भरेंगे तो नुकसान क्या?
-अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दायरे में नहीं आते: कोई चिंता नहीं।
-अगर इनकम टैक्स भरने के दायरे में आते हैं और इनकम टैक्स की कोई देनदारी नहीं है, तो ऐसे में आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से रिटर्न फाइल करने का नोटिस मिलेगा। साथ ही आपको पेनल्टी देनी होगी।
-अगर इनकम टैक्स भरने के दायरे में आते हैं और इनकम टैक्स की देनदारी है, तो न केवल आपको नोटिस मिलेगा, बल्कि आपको पेनल्टी के साथ टैक्स की देनदारी पर 1% हर महीने के हिसाब से ब्याज भी देना होगा।
-अगर इनकम टैक्स भरने के दायरे में आते हैं और रिफंड बनता है, तो आप उस रिफंड से वंचित तो होंगे ही साथ ही आपको पेनल्टी भी देनी पड़ेगी।


ITR फाइल करने के फायदे
कारोबार के लिएअहम : यदि आप अपना कारोबार शुरू करने जा रहे हैं तो आपके लिए आईटीआर बहुत महत्वपूर्ण है। यही नहीं, अगर आप कोई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना चाहते हैं तो आपको आईटीआर दिखाना पड़ेगा। किसी सरकारी विभाग में ठेका हासिल करने के लिए पिछले पांच साल का इनकम टैक्स रिटर्न दिखाना पड़ता है।
बैंक से लोन और क्रेडिट कार्ड लेना: अगर आप नियमित तौर पर आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको बैंक से कार या होम लोन, क्रेडिट कार्ड आदि आसानी से मिल जाते हैं।
ज्यादा बीमा कवर मिलने में: अगर आप एक करोड़ रुपये का इंश्योरेंस कवर (टर्म प्लान) लेना चाहते हैं तो इंश्योरेंस कंपनियां आपसे आईटीआर प्रूफ मांग सकती हैं।
वीजा पाने में सुविधा: यदि आप कारोबार या नौकरी के सिलसिले में विदेश जाना चाहते हैं तो आपके लिए आईटीआर जरूरी है। बहुत से विदेशी दूतावास वीजा एप्लिकेशन के साथ पिछले दो साल का आईटीआर मांगते हैं।
पते का पक्का सबूत: आईटीआर की कॉपी आपके लिए रेसिडेंशल प्रूफ का काम करती है। आप इसका उपयोग सभी सरकारी कामों में कर सकते हैं।

ऑनलाइन-ऑफलाइन

1. इलेक्ट्रॉनिक मोड
Online: इस प्रक्रिया में आईटीआर फाइल करने के लिए 15 मिनट का समय मिलता है। पूरा फॉर्म भरने के बाद आपको फ़ौरन जमा करना पड़ता है। इसमें समय की पाबंदी है। हालांकि इसका फायदा यह है कि रिटर्न फाइल करने का कंफर्मेशन आपको ई-वेरिफिकेशन के जरिए तुरंत मिल जाता है।
Offline: ऑफलाइन प्रक्रिया में आप आईटीआर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और आराम से बैठकर भर सकते हैं। इसमें समय की कोई पाबंदी नहीं होती। फॉर्म भरने के बाद इसे सेव करना होता है और फिर इनकम टैक्स की वेबसाइट पर लॉगइन कर इसे अपलोड कर सबमिट करना होता है।

2. व्यक्तिगत रूप से: यदि आप फॉर्म भरते समय कंप्यूटर का प्रयोग नहीं करना चाहते तो आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करके या बाजार से खरीदकर उसे भरें और फिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में व्यक्तिगत रूप से जाकर जमा कराएं और वहां से स्टांप लगवाकर रसीद ले लें। कहां आपको फॉर्म जमा करना है, उसका पता आपको आपके पैन कार्ड से मिल सकता है। इस प्रक्रिया को ऐसे समझें:
- वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- यहां लेफ्ट साइड में आपको Quick Links मिलेगा। इसमें आपको नीचे की तरफ Know Your PAN|TAN|AO का ऑप्शन मिलेगा।
- यहां AO पर क्लिक करें। अपना पैन नंबर और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर डालें।
- आपको ओटीपी मिलेगा। इसे भरकर आप अपने इनकम टैक्स ऑफिस और वार्ड का पता लगा सकते हैं।

यहां ध्यान रखें कि इनकम टैक्स ऑफिस जाकर व्यक्तिगत रूप से आईटीआर वही भर सकता है, जिसकी इनकम 50 लाख रुपये सालाना से ज्यादा हो या उम्र 80 साल से ज्यादा हो। बाकी सभी को आईटीआर इलेक्ट्रॉनिक मोड से ही भरना होगा।

लास्ट डेट का इंतजार क्यों?
अक्सर देखा जाता है कि हम लोग आईटीआर फाइल करने में देरी करते रहते हैं। सोचते हैं कि अभी तो आखिरी तारीख आने में देर है, अभी हड़बड़ी क्या है! लेकिन यह लाइन भर देंगेसे बचना चाहिए। दरअसल आखिरी समय में ई-फाइलिंग वेबसाइट के सर्वर पर ज्यादा लोड होने से आईटीआर फाइल करने में दिक्कत आ सकती है। बेहतर होगा कि आखिरी तारीख का इंतजार न करें और जल्दी से जल्दी इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन फाइल कर दें।

आईटीआर फॉर्म में इस साल हुए बदलाव
1. कई फॉर्म में मुक्ति: इस बार रिटर्न भरने के नए फॉर्म जारी किए गए हैं। सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोत के जरिए कुल 50 लाख रुपये सालाना तक की आमदनी वालों के लिए सिर्फ एक ही फॉर्म आईटीआर-1 भरना होगा।

2. सैलरी ब्रेकअप देना होगा: सैलरी वाले लोगों को इस बार आईटीआर-1 में अपना सैलरी ब्रेकअप देना होगा।

3. भत्ते और मेडिकल की जानकारी: इस बार आईटीआर फॉर्म में वेतन में दिए जाने वाले बेसिक वेतन, मकान भत्ता, वाहन भत्ता, मेडिकल, अन्य भत्ते आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। इससे पहले सिर्फ कुल वेतन की रकम दर्शानी होती थी।

मैं कौन-सा फॉर्म भरूं?
ITR 1: इसे सहज के नाम से भी जाना जाता है। यह सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोत के जरिए कुल 50 लाख रुपये सालाना तक की आय वालों के लिए होता है। पहले जानिए कि अन्य स्रोत का मतलब क्या होता है:

दरअसल, किसी भी व्यक्ति की आमदनी के पांच मुख्य स्रोत होते हैं। पहला- सैलरी। दूसरा- हाउसिंग प्रॉपर्टी में किराए से आमदनी। तीसरा- बिजनेस या प्रफेशन तरीके से इनकम। चौथा- कैपिटल गेंस (शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, हाउस प्रॉपर्टी और जूलरी बेचने आदि से हुआ प्रॉिफट) और पांचवां- इन चारों से अलग आमदनी का जो भी स्रोत होगा। यह स्रोत अन्य में आएगा।

ITR 2: यह फॉर्म उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए होता है, जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से नहीं होती। इनकी आय हाउस प्रॉपर्टी या पूंजी के जरिए अर्जित होती है। अगर किसी के पास कुछ विदेशी संपत्ति है या उसे विदेश से कमाई है, उसे आईटीआर फॉर्म 2 भरना होगा।

ITR 3: यह फॉर्म उन लोगों के लिए भरना जरूरी होता है, जो खुद बिजनेस कर रहा हो या किसी प्रफेशन से आमदनी हासिल कर रहे हों।

नोट: इनके अलावा और भी फॉर्म हैं, जिनकी जरूरत बिजनेस और अन्य से जुड़े लोगों के लिए होती है। इसके लिए एक्सपर्ट से जानकारी लें।

ITR फॉर्म डाउनलोड करना
सभी आईटीआर फॉर्म डाउनलोड कर भरे जा सकते हैं, लेकिन अगर आप आईटीआर-1 भरने जा रहे हैं, तो इसे बिना डाउनलोड किए भी भरा जा सकता है। आईटीआर फॉर्म डाउनलोड ऐसे करें:

- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- यहां आपको लेफ्ट साइड में Quick Links के नीचे Submit Returns/Forms का ऑप्शन मिलेगा। इसे क्लिक करें।
- इसके बाद आपको ऊपर की ओर Home के बराबर में Downloads का ऑप्शन मिलेगा। इसे क्लिक करें।
- अब आपको Income Tax Return Preparation Utilities का ऑप्शन मिलेगा। इसे क्लिक करें।
- यहां आपको ITR फॉर्म मिल जाएंगे। जरूरत के हिसाब से फॉर्म को डाउनलोड कर लें। आमतौर पर आपको ITR-1 ही डाउनलोड करना होगा। हो सके, तो एक्सल यूटिलिटी में फॉर्म डाउनलोड करें। इसे भरने में आसानी होती है।


कौन-से निवेश या खर्च पर इनकम टैक्स छूट मिलेगी
अगर आप इस बात से अनजान हैं कि आपकी कौन सी बचत इनकम टैक्स के किस कानून में आएगी, तो आप अपना कंफ्यूजन ऐसे दूर कर सकते हैं:

1. Section 80C
- इसके तहत कुल 1.50 लाख रुपये तक के निवेश या खर्च पर छूट पा सकते हैं। जीवन बीमा, EPF, PPF, सुकन्या समृद्धि योजना, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड, टैक्स सेविंग FD
- दो बच्चों की पढ़ाई में सिर्फ ट्यूशन फीस, होम लोन की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि।
- नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के टियर-1 अकाउंट में 50 हजार रुपये तक के निवेश पर।

2. Section 80EE
यदि आपने घर के लिए बैंक से लोन लिया है तो इसके लिए चुकाने वाले मासिक किश्त में कुल 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर छूट इस सेक्शन के तहत मिलती है।

3. Section 80D
- अगर आपने फैमिली फ्लोटिंग वाला हेल्थ इंश्योरेंस लिया है, तो प्रीमियम की रकम (25 हजार तक) पर।
- अगर आप पैरेंट्स के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं, तो उस पर भी 25 हजार रुपये के प्रीमियम पर। - यदि आपके पैरेंट्स सीनियर सिटिजन हैं और आप उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, तो 30 हजार रुपये के प्रीमियम पर। इस हिसाब से खुद और सीनियर सिटिजन पैरेंट्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर आप 55 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हैं।
- साथ ही, आप अपने, पति/पत्नी और बच्चों के हेल्थ चेक-अप के लिए 5,000 रुपये तक का बेनिफिट ले सकते हैं। लेकिन यह मेडिक्लेम की कुल सीमा के भीतर होता है।
- यदि आपके पैरेंट्स सुपर सीनियर सिटीजन (उम्र 80 से अधिक है ) हैं और उनके लिए कोई मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम नहीं लिया है, तो उन पर किए गए मेडिकल खर्चों की आपको छूट प्राप्त होगी, जो अधिकतम 30,000 तक की हो सकती है।

4. Section 80E
अगर आपने खुद अपने लिए, अपने पति/पत्नी या बच्चे की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लिया है तो इस पर लगने वाली ब्याज की पूरी रकम पर आपको सेक्शन 80E के तहत टैक्स छूट मिलती है।

5. Section 80TTA
यदि आपका अकाउंट किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में है, तो उस पर मिलने वाली ब्याज पर टैक्स लगता है। इस सेक्शन के तहत आप एक वित्त वर्ष में ब्याज पर अधिकतम 10 हजार रुपए की छूट पा सकते हैं।

नोट: इनके अलावा टैक्स सेविंग के और भी सेक्शन हैं, जो विशेष परिस्थितियों में ही लागू होते हैं ।


PAN नहीं है तो क्या करें ?
अगर आप इनकम टैक्स भरना चाहते हैं या रिटर्न फाइल करना चाहते हैं, तो आपके लिए पैन कार्ड जरूरी है। अगर आपने अभी तक पैन कार्ड नहीं बनवाया है, तो चिंता होने की बात नहीं है। आप तुरंत ही ई-पैन बनवा सकते हैं। इस सुविधा का लाभ सिर्फ इंडिविजुअल्स को ही मिल पाएगा। ई-पैन कार्ड इस तरह बना सकते हैं:
- सबसे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- यहां लेफ्ट साइड में आपको Quick Links लिखा दिखेगा। इसमें दिए सबसे पहले ऑप्शन Instant e-PAN पर क्लिक करें और दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
- ई-पैन कार्ड के लिए आपके पास आधार नंबर होना जरूरी है और इससे जुड़ा मोबाइल नंबर आपके पास ऐक्टिव स्थिति में होना चाहिए।
- यह पेपरलैस सुविधा है। आवेदकों को किसी भी प्रकार का डॉक्युमेंट भेजने की जरूरत नहीं है।
- ई-पैन के लिए आवेदक को एक वाइट पेपर पर अपना साइन कर उसे स्कैन करके अपलोड करना होगा। यह साइन JPEG मोड में और 10KB से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- एप्लिकेशन भरने और इसके सफलतापूर्वक समिट होने के बाद तुरंत पैन जेनरेट हो जाएगा। यह आपके मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी पर भेज दिया जाएगा। कुछ दिनों बाद पैन आवेदक के पते पर भेज दिया जाएगा। पैन कार्ड चाहे बाद में मिले, इससे मोबाइल पर आए नंबर की मदद से अपना रिटर्न भर सकते हैं।

कैसे करें PAN को आधार से लिंक?
ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के लिए आपका पैन और आधार एक-दूसरे से लिंक होना जरूरी है, पर अनिवार्य नहीं। सरकार ने पैन को आधार से लिंक कराने की तारीख फिर से बढ़ाकर 31 मार्च 2019 कर दी है। पैन को आधार से लिंक कराने की प्रक्रिया इस प्रकार है-
- सबसे पहले incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
- यहां लेफ्ट साइड में Quick Links दिखा मिलेगा। इस लिंक के नीचे दूसरे नंबर पर लिखे Link Aadhaar पर क्लिक करें।
- फिर आपको सबसे ऊपर Click here मिलेगा। अगर आपने पहले ही अपना पैन और आधार लिंक किया है, तो इसका स्टेटस देखने के लिए Click here पर क्लिक करें।
- अगर आपने अपना आधार पैन से लिंक नहीं किया है, तो Click here के नीचे दिए पैन, आधार नंबर और अपना नाम और इमेज में लिखे अक्षरों को टाइप करें।
- इसके बाद नीचे दिए गए आधार लिंक पर क्लिक करें।
- इसके बाद आपका पैन और आधार लिंक हो जाएगा। अगर कोई परेशानी आती है तो यहां पता चल जाएगा।
- अगर आधार में आपके नाम या जन्मतिथि से संबंधित कोई परेशानी है, तो UIDAI की वेबसाइट पर जाकर आधार में सुधार करवा लें।


कैसे करें शुरुआत
अगर आपने पहले कभी आईटीआर नहीं भरा है तो सबसे पहले खुद को रजिस्टर करें. खुद को रजिस्टर करने के लिए पैनकार्ड की जरूरत है. यहां रजिस्ट्रेशन के दौरान बाकी सभी जानकारियों के साथ आप अपना पासवर्ड भी तय करते हैं.

रजिस्टर योर सेल्फ पर क्लिक करने के बाद एक पेज खुलेगा. इसमें नाम, पैनकार्ड, जन्मतिथि की जानकारी देने के बाद आपके मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर अलग-अलग पासवर्ड आएगा. यह पासवर्ड डालने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा.

लॉगइन करके शुरू करें काम
अब आप लॉगइन करने के लिए तैयार हैं. लॉगइन आईडी आपका पैनकार्ड नंबर होगा और पासवर्ड जो आपने रजिस्ट्रेशन के दौरान तय किया है वह होगा. लॉगइन करते हुए आप असेसमेंट ईयर में वही साल डालेंगे जिस साल में आईटीआर भर रहे होंगे. मसलन इस साल आईटीआर फाइल करने के लिए असेसमेंट ईयर 2018-19 होगा. अगर आपकी कमाई का जरिया सैलरी है तो आईटीआर-1 भरना होगा. उसके बाद प्रीपेयर एंड सबमिट करें. पेज को जब नीचे स्क्रोल करेंगे तो आधार ओटीपी का ऑप्शन होगा. आधार नंबर डालकर क्लिक करें. इससे आईटीआर रिटर्न को आधार से जोड़ने का काम भी पूरा हो जाएगा.
आईटीआर फाइल करने की शुरुआत सबसे पहले जनरल इंफॉर्मेशन की साथ होती है. इसमें बर्थडे, एड्रेस, एंप्लॉयी कैटेगरी सहित कुछ दूसरी जानकारियां मुहैया करानी पड़ती है. इसके बाद दूसरे टैब पर क्लिक करें जो कंप्यूटेशन ऑफ इनकम एंड टैक्स है. इसमें आपको अपनी टैक्सेबल इनकम और निवेश की जानकारी देनी पड़ती है. इसी आधार पर यह कैलकुलेट होगा कि टैक्स कितना चुकाना होगा. इसके बाद टैक्स डिटेल का टैब क्लिक करें. इसमें आपको अपनी तरफ से कोई जानकारी नहीं देनी है. आपकी कंपनी ने जितना टैक्स काटा होगा वह यहां नजर आएगा. इसके बाद टैक्स पेड एवं वेरिफिकेशन के टैब पर क्लिक करें.

इसमें आपको नजर आएगा कि कितना टैक्स चुकाना है और कितना रिफंड है. इसी पेज के नीचे की तरफ बैंक खातों और ब्याज की जानकारी देनी होगी. अगर ब्याज 10 हजार रुपए से कम है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. आखिरी टैब में 80G है. यह सेगमेंट छूट का है. जी हां, अगर आपने किसी प्रमाणित संस्था में दान दिया है तो आपकी उस रकम पर टैक्स नहीं देना होगा. पूरा फॉर्म भरने के बाद चेक करें और सबमिट करें.

इस तरह आईटीआर सबमिट करने के बाद एक काम और बाकी है. वह है इसके वैरिफिकेशन का. माय एकाउंट के टैब पर क्लिक करे, फिर 'View e file return form' पर क्लिक करें. इसके बाद एक बॉक्स में दिए गए विकल्पों में से इनकम टैक्स रिटर्न सेलेक्ट करके क्लिक करे. आपके सामने रिटर्न वेरिफाइड का विकल्प आएगा. उस पर क्लिक करके आधार से वैरिफाइड करने का विकल्प चुनें. आपके मोबाइल पर आया कोड डालें और आपका रिटर्न का काम पूरा हुआ.

किसके लिए कौन-सा फॉर्म

सबसे पहले यह तय कीजिए कि आमदनी के सोर्स के आधार पर कौन-सा आईटीआर फॉर्म आपके लिए मुफीद है। इस साल इसके लिए 7 तरह के फॉर्म जारी किए गए हैं।

आईटीआर फॉर्म नंबर 1 से लेकर फॉर्म नंबर 4 तक इंडिविजुअल के लिए है:

ITR 1 (SAHAJ)
यह ऐसे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए है, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:

सैलरी या पेंशन या मकान के किराए से 50 लाख रुपये तक की कमाई। कमर्शल प्रॉपर्टी के किराए से अगर कमाई हो रही है तो भी यही फॉर्म है। जिन लोगों को सैलरी या पेंशन से इनकम होती है और उनके पास एक घर है या कोई घर नहीं है, वे भी इसे भरेंगे।

इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
आपकी आमदनी एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से होती हो
विदेश से कोई इनकम हो या कोई फॉरेन असेट हो
किसी सोर्स से कैपिटल गेंस हुआ हो
खेती से आय 5000 रुपये सालाना से ज्यादा हो
किसी बिजनस या प्रफेशन से आमदनी होती हो
इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में लॉस दिखाना हो

ITR 2
ऐसे टैक्सपेयर्स और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए, जिन्हें इन तरीकों से आमदनी होती है :

सैलरी या पेंशन से 50 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी
किसी सोर्स से कैपिटल गेंस हुआ हो।
दूसरे सोर्स से आमदनी, लॉटरी समेत
किसी फर्म में पार्टनरशिप से आमदनी हो
एग्रीकल्चरल इनकम सालाना 5000 रुपये से ज्यादा हो

इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
बिजनस या प्रफेशन से आमदनी

ITR 3
फर्म के ऐसे पार्टनर्स के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:
सैलरी या पेंशन
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी
कैपिटल गेंस, किसी इन्वेस्टमेंट की बिक्री से
दूसरे सोर्स से, जिसमें लॉटरी भी शामिल है।
पार्टनरशिप फर्म का प्रॉफिट

इस फॉर्म का इस्तेमाल न करें अगर...
आपके पास सोल प्रॉपराइटरशिप फर्म से इनकम है।

ITR 4
ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए, जिन्हें नीचे दिए तरीकों से आमदनी होती है:
प्रिजम्प्टिव इनकम स्कीम के तहत आने वाले बिजनस से
एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी हो

ITR फॉर्म 5 से लेकर 7 तक नॉन-इंडिविजुअल के लिए हैं।


डिडक्शंस की लिस्ट
80C, 80CCC और 80CCD में इन आइटम्स में छूट मिलती है। इसकी सीमा फाइनैंशल इयर 2016-17 के लिए 1.5 लाख रुपये तक है।

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (EPF), बैंक एफडी
दो बच्चों की ट्यूशन फीस
सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम
होम लोन के रीपेमेंट में प्रिंसिपल अमाउंट के तौर पर दी जाने वाली रकम
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए प्रीमियम जो आप चुकाते हैं।
नैशनल सेविंग्स स्कीम (NSC)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS
सुकन्या समृद्धि योजना में किया गया इन्वेस्टमेंट
नैशनल पेंशन स्कीम (NPS) में अधिकतम 50 हजार रुपये
स्टांप ड्यूटी, प्रधानमंत्री सहायता कोष में दिया गया दान (80G) में
राजनीतिक दलों को दिया गया चंदा 80GGC में

1.5 लाख के अलावा
इन आइटमों में भी छूट मिलती है, जो 1.5 लाख की सीमा से अलग है:

80D : हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम 60 साल की उम्र तक 25000 रुपये, लेकिन 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं तो 30 हजार रुपये तक।
24B : होम लोन के रीपेमेंट में ब्याज की रकम पर। इसकी सीमा 2 लाख रुपये है।
80E : हायर स्टडीज के लिए लिए गए एजुकेशन लोन के रीपेमेंट में ब्याज की रकम पर। कोई सीमा नहीं।

आईटीआर भरने के लिए इन डॉक्युमेंट की पड़ेगी जरूरत
आमतौर पर हमलोग रिटर्न भरने को बड़ा टास्क मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप कुछ शुरुआती तैयारियों के बारे में जान लें तो काम आसान हो जाएगा। रिटर्न फाइल करने में आपको इनसे मदद मिल जाएगी। रिटर्न भरने से पहले नीचे दिए गए कागजात आप अपने पास रखें। याद रखें कि रिटर्न फाइल करने के समय आपसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को कोई कागज नहीं चाहिए।

फॉर्म 16
जो सैलरीड हैं, यह फॉर्म अब तक उनके एम्प्लॉयर ने उन्हें दे दिया होगा। आपकी सैलरी से जो टीडीएस पिछले फाइनैंशल इयर में काटा गया होगा, वह इसमें दर्ज होगा।

TDS सर्टिफिकेट
अगर सैलरी के अलावा किसी दूसरे स्रोतों से भी आपको आमदनी हुई हो और उस पर टीडीएस कट चुका हो तो उस संस्था से भी टीडीएस सर्टिफिकेट ले लें। रेंटल इनकम, शेयर, एफडी वगैरह से होने वाली इनकम के मामले में टीडीएस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।

फॉर्म 26AS
फॉर्म 26 एएस से आप यह पता लगा सकते हैं कि कंपनी या बैंक ने आपका जो टीडीएस काटा है, उसे सरकार के पास जमा भी कराया है या नहीं। इससे यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपका काटा गया टीडीएस इनकम टैक्स विभाग के पास पहुंच गया है। इस टीडीएस का ब्योरा आप दो तरह से देख सकते हैं।
अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न की साइट incometaxindiaefiling.gov.in पर रजिस्टर्ड हैं तो इस वेबसाइट पर जाकर लेफ्ट साइड में View Form 26AS पर क्लिक करें। अगर बैंक पिछले फाइनैंशल आपका टीडीएस काट चुका है और आप नेट बैंकिंग इस्तेमाल करते हैं तो बैंक की वेबसाइट पर जाकर View Your Tax Credit पर क्लिक करके फॉर्म 26 एएस देख सकते हैं। यहां आपको उस बैंक में की गई एफडी आदि से जुड़ी जानकारी भी मिल जाएगी।

बैंक स्टेटमेंट्स
सभी सेविंग्स अकाउंट्स की साल भर (1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक) की स्टेटमेंट ले लें। इसकी मदद से आपको यह पता चलेगा कि इस फाइनैंशल इयर में बैंक ब्याज के तौर पर आपको कितनी आमदनी हुई। ब्याज की इस आमदनी को आपको रिटर्न में दिखाना होगा।

दूसरे जरूरी दस्तावेज
पैन नंबर और बैंक की डिटेल्स आपके पास होनी चाहिए। बैंक का IFSC नंबर रिटर्न में भरा जाता है। इसी से रिफंड का पैसा आपके अकाउंट में आता है। आपको आधार नंबर की भी जरूरत होगी। अगर आपने आधार कार्ड नहीं बनवाया है तो जल्दी से बनवा लें।

जानें कुछ मूलभूत परिभाषा

फाइनैंशल इयर
1 अप्रैल से 31 मार्च तक के समय को फाइनैंशल इयर कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक के समय को फाइनैंशल इयर 2016-17 कहा जाएगा। अभी हम जो रिटर्न भर रहे हैं, वह फाइनैंशल इयर 2016-17 के लिए है।

असेसमेंट इयर
असेसमेंट इयर फाइनैंशल इयर से आगे वाला साल होता है यानी जिस साल उस फाइनैंशल इयर के टैक्स संबंधी मामलों का असेसमेंट किया जाता है। मसलन फाइनैंशल इयर 2016-17 के लिए असेसमेंट इयर 2017-18 होगा।

डिडक्शंस
विभिन्न तरह की इन्वेस्टमेंट पर इनकम टैक्स विभाग की ओर से आपको टैक्स में छूट मिलती है। ये कई तरह के आइटम होते हैं, जहां इन्वेस्टमेंट करके टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है। मसलन सेक्शन 80सी से सेक्शन 80यू तक जो भी आइटम हैं, उन्हें डिडक्शन के तहत माना जाता है।

ग्रॉस इनकम
टैक्स-फ्री आमदनी और अलाउंसेस को छोड़कर आपकी साल की कुल आमदनी जो भी है, उसे ग्रॉस इनकम कहा जाता है। ग्रॉस इनकम हमेशा 80 सी से 80 यू तक मिलने वाले डिडक्शन से पहले वाली इनकम होती है।

टैक्सेबल इनकम
ग्रॉस इनकम में से 80 सी से 80 यू तक मिलने वाले डिडक्शन क्लेम कर लेने के बाद जो इनकम आती है, उसे टैक्सेबल इनकम कहते हैं, यानी डिडक्शन से पहले वाली इनकम ग्रॉस इनकम और डिडक्शन के बाद वाली इनकम को टैक्सेबल इनकम कहते हैं।

टीडीएस
आपकी जो भी आमदनी होती है, सरकार उस पर टैक्स काटती है। इसे टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स कहा जाता है। जो संस्था आपको पेमेंट कर रही है, वही टैक्स की इस रकम को काटकर बाकी रकम आपको पे करती है। मसलन आपकी कंपनी आपको जो सैलरी देती है, वह उस पर बनने वाले टैक्स को काटकर बाकी रकम आपके खाते में ट्रांसफर करती है। टीडीएस काटने का काम एंम्प्लॉयर या पेमेंट करने वाली संस्था का है। इसे काटना या जमा करना लेने वाले की जिम्मेदारी नहीं है। आमतौर पर जब कोई संस्था किसी काम के बदले आपको भुगतान करती है, तो वह 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटती है।

सीनियर सिटिजन
जिन लोगों की उम्र 31 मार्च 2017 को 60 साल या उससे ज्यादा थी, उन्हें सीनियर सिटिजन माना जाएगा। सुपर सीनियर सिटिजन इसी तरह जिन लोगों की उम्र 31 मार्च 2017 को 80 साल से ज्यादा थी, वे सुपर सीनियर सिटिजंस होंगे। आप जिस फाइनैंशल इयर का रिटर्न भर रहे हैं, उसके अंतिम दिन 31 मार्च को उम्र की गिनती की जाती है।

इनकम टैक्स रिफंड
अगर किसी टैक्सपेयर ने सरकार को ज्यादा टैक्स दे दिया है, तो वह उस रकम को सरकार से वापस ले सकता है। इस वापस आई रकम को ही रिफंड कहा जाता है। टैक्स रिटर्न भरकर आप इस एक्स्ट्रा रकम को इनकम टैक्स विभाग से क्लेम करते हैं। इसके बाद रिफंड की यह रकम आपको इनकम टैक्स विभाग की ओर से आपके अकाउंट में भेज दी जाती है।

फॉर्म 16A
अगर सैलरी के साथ-साथ दूसरे जरियों से भी आपको आमदनी हुई हो और उस पर टीडीएस कट चुका हो तो उस संस्था से भी टीडीएस सर्टिफिकेट ले लें। इस सर्टिफिकेट को ही फॉर्म 16ए कहा जाता है। यहां हम रेंटल इनकम, शेयर, एफडी वगैरह से होने वाली इनकम की बात कर रहे हैं। एफडी के मामले में आपका बैंक आपको यह सर्टिफिकेट देगा।

फॉर्म 16
अगर आप कहीं नौकरी करते हैं तो आपका एम्प्लॉयर आपको एक फॉर्म 16 देता है। यह फॉर्म अब तक आपके एम्प्लॉयर ने आपको दे दिया होगा। यह इस बात को साबित करता है कि एम्प्लॉयर ने आपकी सैलरी से अगर टैक्स बनता है, तो टीडीएस काटा है। इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक हर एम्प्लॉयर के लिए जरूरी है कि वह फॉर्म 16 अपने कर्मचारियों को दे। अगर आपका एम्प्लॉयर आपको यह फॉर्म नहीं दे रहा है तो आप इसकी रिक्वेस्ट उसे रजिस्टर्ड डाक से भेजें और इसका सबूत अपने पास रखें। इनकम टैक्स विभाग के पूछताछ करने पर यह सबूत दिखाया जा सकता है।

फॉर्म 26AS
फॉर्म 26एएस एक कंसॉलिडेटेड टैक्स स्टेटमेंट है। इसमें खासतौर से तीन तरह के ब्योरे होते हैं। पहला टीडीएस का ब्योरा, दूसरा टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स का ब्योरा और तीसरा टैक्सपेयर द्वारा बैंक में जमा कराया गया एडवांस टैक्स/सेल्फ असेसमेंट टैक्स का ब्योरा। फॉर्म 26 एएस से आप यह पता लगा सकते हैं कि कंपनी या बैंक ने आपका जो टीडीएस काटा है, उसे सरकार के पास जमा कराया भी है या नहीं।

आसान है इनकम टैक्स रिर्टन भरना
इनकम टैक्स रिटर्न भरना आसान है। अगर आप खुद नहीं भर सकते तो प्रफेशनल्स की मदद ले सकते हैं। आइए जानते हैं रिटर्न भरने के बारे में:

रिटर्न आप दो तरह से भर सकते हैं - मैन्युअली और ऑनलाइन। यहां आपके लिए यह जानना जरूरी है कि अगर आपकी आमदनी 5 लाख रुपये तक सालाना है और वह भी सैलरी से, तभी आप मैन्युअली रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आपको रिटर्न ऑनलाइन ही फाइल करना होगा।

मैन्युअली रिटर्न फाइल
मैन्युअली रिटर्न भरने के लिए फॉर्म किसी स्टेशनरी की दुकान से ले सकते हैं या फिर साइट www.incometaxindia.gov.in से डाउनलोड कर लें। अब सवाल यह कि रिटर्न फाइल करेगा कौन? रिटर्न आप खुद भी फाइल कर सकते हैं। सैलरीड क्लास के लिए जरूरी आईटीआर1 फॉर्म भरना आसान ही है। हालांकि दूसरे फॉर्म भी आसान ही हैं, बावजूद इसके अगर आपको लगता है कि आप खुद से फाइल नहीं कर सकते तो आप किसी सीए, इनकम टैक्स के वकील या इनकम टैक्स विभाग के Tax Return Preparer (TRP) को फीस देकर भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं।

आप इनकम टैक्स विभाग में जाकर ऑफलाइन रिटर्न जमा कर सकते हैं या करवा सकते हैं। हालांकि अब लोग ऑनलाइन ही रिटर्न फाइल करना पसंद करते हैं क्योंकि यह बेहद आसान है और समय की भी काफी बचत करता है। आप भी ऐसा कर सकते हैं।

जमा कहां करें
सैलरीड क्लास (जिनकी आमदनी 5 लाख रुपये तक है) के जो लोग ऑफलाइन रिटर्न भर रहे हैं, वे अपने शहर में असेसमेंट ऑफिसर के पास रिटर्न जमा करा सकते हैं। असेसमेंट ऑफिसर के बारे में जानने के लिए incometaxindiaefiling.gov.in/ पर जाएं और वहां ऊपर मौजूद Accessibility Options पर क्लिक करें। यहां Services में जाकर Know Your Jurisdiction AO पर क्लिक करें। नई विंडो में आपसे पैन और मोबाइल नंबर मांगा जाएगा। जानकारी देकर Submit पर क्लिक करें। अपने वॉर्ड से संबंधित पूरी जानकारी आपके सामने होगी। अगर आपने पिछले एक साल में नौकरी बदली है तो संभव है कि नए एम्प्लॉयर के हिसाब से आपका वॉर्ड बदल जाए। वेबसाइट से यह पता लगाने में दिक्कत हो और नौकरी न बदली हो तो पिछले साल भरे गए रिटर्न की रसीद से भी आप अपना वॉर्ड पता लगा सकते हैं।

ऑॅनलाइन रिटर्न ऐसे फाइल करें
ऑनलाइन रिटर्न फाइल करना बेहद आसान है। इसकी एक बड़ी खासियत यह है कि इससे रिफंड जल्दी आ जाता है। आजकल ऐसी तमाम साइट्स हैं जो ई-रिटर्न भरना आपके लिए आसान बना देती हैं, लेकिन इसके लिए आपसे पैसे भी चार्ज करती हैं। वैसे, अगर आप फ्री में ई-रिटर्न फाइल करना चाहते हैं तो इनकम टैक्स विभाग की साइट incometaxindiaefiling.gov.in से भर फाइल कर सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें :

साइट incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं। राइट साइड में Downloads के नीचे ITR Forms- AY 2017-18 मेन्यू में से जिस भी सोर्स से आपकी आमदनी है, उसके अनुसार अपना फॉर्म चुनें। यहां डाउनलोड के लिए दो ऑप्शन आपको मिलेंगे। आप जरूरी फॉर्म के सामने Excel Utility पर क्लिक करें। एक डायलॉग बॉक्स खुलेगा। उसमें Save File ऑप्शन क्लिक करें और फॉर्म को डेस्कटॉप पर सेव कर लें।

अब इस फॉर्म को ऑफलाइन ही भर लें। बीच-बीच में फॉर्म को वैलिडेट करते जाएं। इससे अगर कहीं कुछ गड़बड़ होगी तो पकड़ में आ जाएगी। फॉर्म भर लेने के बाद Generate XML पर क्लिक करके इसका एक्सएमएल वर्जन तैयार कर लें। अब आपका रिटर्न फॉर्म फाइल होने के लिए तैयार है।

अब इनकम टैक्स की साइट पर जाएं। अगर पहले से रजिस्टर्ड हैं तो अपना लॉगइन और पासवर्ड डालकर आगे बढें। अगर रजिस्टर्ड नहीं हैं तो रजिस्ट्रेशन कराएं और अकाउंट और पासवर्ड हासिल करें। इसके लिए incometaxefiling.gov.in पर जाएं। यहां राइट साइड पर New To e-Filing? के नीचे Register Youeself बटन पर क्लिक करें। यहां select User Type के नीचे दिए गए ऑप्शन में से अपने लिए सही टाइप चुनें मसलन इंडिविजुअल, एचयूएफ, कंपनी आदि में से कोई एक। इसे सिलेक्ट करने के बाद Continue पर क्लिक करें। एक नया पेज खुल जाएगा जहां आपसे पैन के साथ-साथ इंडिविजुअल या कंपनी का नाम आदि कुछ बेसिक सूचनाएं मांगकर आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

इतना कुछ करने के बाद आपको यूजर आईडी और पासवर्ड मिल चुका होगा। आप फिर से incometaxefiling.gov.in पर जाएं और आईडी और पासवर्ड की मदद से लॉगइन करें। यहां पर e-file में जाकर Upload Return पर क्लिक कर दें। रिटर्न की एक्सएमएल फाइल ब्राउज करके उसे अपलोड कर दें। फाइल अपलोड हो जाने के बाद अकनॉलिजमेंट फॉर्म आएगा। अगर आपके पास डिजिटल साइन हैं, तो डिजिटल साइन दे दीजिए। रिटर्न का प्रॉसेस यहीं पूरा हो गया।

अगर आपके पास डिजिटल साइन नहीं हैं और न ही ई वेरिफिकेशन, तो इस अकनॉलिजमेंट फॉर्म का प्रिंट लेकर उस पर अपना साइन करें और 120 दिनों के अंदर इसे साधारण पोस्ट या स्पीड पोस्ट से इस पते पर भेज दें :
CPC
Post Bag No.1,
Electronic City Post Office,
Bengaluru- 560100
Karnataka

15-20 दिन में इनकम टैक्स विभाग की तरफ से इस बात का अकनॉलिजमेंट आपके पास ई-मेल और एसएमएस से आ जाएगा कि आपका रिटर्न भरने का काम सफलतापूर्वक पूरा हो गया। अगर इतने दिनों में रिटर्न का अकनॉलिजमेंट मेल न आए तो दोबारा अकनॉलिजमेंट भेज दें। फोन नंबर 080-43456700 पर कॉल कर भी आप इससे संबंधित पूछताछ कर सकते हैं। सीपीसी सेंटर के नंबर 1800 4250 0025 पर आप सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक ई फाइलिंग का स्टेटस जान सकते हैं। सीपीसी सेंटर के एक दूसरे नंबर 1800 425 2229 पर कॉल कर आप अपने रिफंड का स्टेटस जान सकते हैं।

- अगर आपने पिछली बार ऑनलाइन रिटर्न भरा था तो इस बार भी ऑनलाइन ही भरना होगा। ऐसा करना बहुत आसान है। आपको बस आमदनी के डिटेल्स भरने होंगे। बाकी सारे डिटेल्स खुद ब खुद आ जाएंगे।

TRP की मदद से ऐसे करें फाइल
इसके लिए आपको एक टीआरपी ढूंढना होगा। इसके लिए trpscheme.com पर जाएं। यहां ऊपर ही मौजूद Locate TRP पर क्लिक करें। आपको गूगल मैप दिखेगा और उसके नीचे कुछ सूचनाएं मांगी जाएंगी। यहां ऊपरी लाइन में मौजूद State, City और Pin Code भरें और Search पर क्लिक कर दें। क्लिक करते ही आपके सामने आपके क्षेत्र के टीआरपी के नाम, पते और फोन नंबर मिल जाएंगे। आप उनमें से किसी से भी संपर्क कर सकते हैं। समय-समय पर इनकम टैक्स विभाग टीआरपी के बारे में अखबारों में भी सूचना देता रहता है। टोल-फ्री नंबर 1800-10-23738 पर कॉल करके भी टीआरपी से संबंधित सूचनाएं हासिल की जा सकती हैं। यह लाइन सोमवार से शनिवार तक सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है।

- टीआरपी फॉर्म 16 की मदद से रिटर्न भरेगा और जमा करेगा। रिटर्न जमा करने के बाद टीआरपी आपको उसकी रसीद देगा। रिटर्न भरने में कोई गड़बड़ी होती है तो इसके लिए टीआरपी जिम्मेदार होगा। याद रखें कि टीआरपी से उसका आईकार्ड जरूर मांगें और उसे डॉक्युमेंट्स की फोटोस्टेट कॉपी ही दें ऑरिजिनल नहीं।

- कोई भी टीआरपी देश में कहीं भी मौजूद आदमी का रिटर्न भर सकता है।

- टीआरपी इसके लिए मैक्सिमम 250 रुपये तक चार्ज कर सकता है।

ऑनलाइन रिटर्न फाइल का खर्च कितना :
अगर आप इनकम टैक्स की सरकारी साइट से भर रहे हैं तो कोई खर्च नहीं है। किसी प्राइवेट साइट से भरते हैं तो 100 से 750 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। पेड साइट्स की मदद से कुछ पैसे खर्च करके भी आप अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं।

बचें 10 गलतियों से:

1. रिटर्न भरने में देरी
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी न करें और बेहतर यही रहेगा कि समय रहते रिटर्न फाइल कर दें। अगले साल से तो अगर रिटर्न समय पर फाइल नहीं करेंगे तो 5000 रुपये की पेनल्टी देनी होगी।

2. रिटर्न न फाइल करना
आमतौर पर लोग सोचते हैं कि अगर टैक्स की कोई देनदारी नहीं है, तो आईटी रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है। आप भी यही सोचते हैं तो आप गलत हैं। रिटर्न भरने से आजादी सिर्फ उन लोगों को है, जिनकी सालाना ग्रॉस इनकम बेसिक एग्जेंप्शन लेवल से कम है।

3. आईटीआर फॉर्म गलत चुनना
आप देखें कि आपकी आय का जरिया क्या-क्या है। इनकम के अलग-अलग सोर्स के हिसाब से फॉर्म अलग-अलग हैं। किसे कौन-सा फॉर्म भरना है, इसके लिए बाकायदा नियम हैं। कई बार लोग गलत फॉर्म चुन लेते हैं। अपनी कैटिगरी के हिसाब से सही रिटर्न फॉर्म चुनें और उसे ही भरें। आपकी आमदनी यदि सिर्फ सैलरी से है तो ITR1 ही भरें, लेकिन यदि आमदनी का इसके अलावा भी कोई सोर्स है तो आपके लिए अलग फॉर्म होगा।

4. सोच-समझकर करें फॉर्म पर साइन
अगर आप खुद से फॉर्म नहीं भर रहे हैं तो सावधान रहें। अक्सर आपका अकाउंटेंट साइन कराकर खाली रिटर्न फॉर्म पर रख लेता है और बाद में उस फॉर्म को भरकर जमा कर देता है। खाली फॉर्म पर साइन न करें। फॉर्म भरने में अकाउंटेंट से गलती हो गई तो आपको ही दिक्कत होगी। इसलिए भरे हुए रिटर्न फॉर्म को अच्छी तरह जांचने के बाद ही उस पर साइन करें।

5. ध्यान से भरें फॉर्म
रिटर्न फॉर्म में पैन, आईएफएस कोड, अकाउंट नंबर, एम्प्लॉयर का टैन जैसी कुछ फिगर्स ऐसी होती हैं, जिन्हें भरते वक्त गलती होने की आशंका रहती है। इन नंबरों को ध्यान से भरें। फर्ज करें कि आपने अपने पैन का एक डिजिट गलत भर दिया। ऐसी स्थिति में आपका रिटर्न रिजेक्ट हो जाएगा और इसके लिए इनकम टैक्स विभाग आपके ऊपर जुर्माना लगा सकता है।

6. ई-वेरिफिकेशन नहीं तो अकनॉलिजमेंट जरूरी
आप ई-फाइलिंग कर रहे हैं, लेकिन डिजिटल साइन व ई-वेरिफिकेशन का यूज नहीं कर रहे हैं, तो आपको रिटर्न का प्रिंट लेकर बेंगलुरु भेजना जरूरी है। अक्सर लोग अकनॉलिजमेंट भेजना भूल जाते हैं और रिटर्न रिजेक्ट हो जाता है। यह काम ऑनलाइन रिटर्न भरने के 4 महीने के भीतर कर लें। अकनॉलिजमेंट फॉर्म साधारण पोस्ट या स्पीड पोस्ट से ही भेजें।

7. फॉर्म 16 जरूर लें
अगर आपने फाइनैंशल इयर के दौरान नौकरी बदली है तो अपने दोनों एम्प्लॉयर से फॉर्म 16 जरूर ले लें। अपने पहले एम्प्लॉयर के साथ काम के दौरान की गई सेविंग्स और उससे हुई आमदनी अगर आपने अपने नए एम्प्लॉयर को नहीं बताई है तो हो सकता है कि वह कम टैक्स काटे। लेकिन याद रखिए कि यह चालाकी चलेगी नहीं। संभव है कि बाद में आपको कम काटा गया टैक्स ब्याज समेत भरना पड़ेगा। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 26 एएस से आपके रिटर्न को वेरिफाई कर सकता है। 26 एएस में आपके एडवांस टैक्स, मिले ब्याज, टीडीएस और आय के अन्य स्रोतों का विवरण रहता है।

8. बैंक ब्याज का जिक्र जरूरी
कई बार लोग फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज का जिक्र अपने इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि बैंक ने टीडीएस तो काट ही लिया है इसलिए उस आमदनी को रिटर्न में दिखाने की अब उन्हें कोई जरूरत नहीं। यह सोच पूरी तरह से गलत है। आपको ब्याज का पूरा विवरण देना चाहिए। 80C में शामिल फिक्स्ड डिपॉजिट टैक्स सेविंग में मदद करता है, लेकिन इस पर मिले ब्याज पर टैक्स देना होता है। ऐसे में ब्याज को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते।
9. इनकम की क्लबिंग को नजरंदाज करना
कई लोग वाइफ और बच्चों के नाम से भी इन्वेस्टमेंट करते हैं। आप अपनी वाइफ को कितनी भी रकम दे सकते हैं, लेकिन गिफ्ट की गई रकम को आप इन्वेस्ट करते हैं तो सेक्शन 64 सामने आ जाता है। इसके मुताबिक, गिफ्ट की गई रकम से कोई आमदनी होती है तो वह आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ी जाएगी। इससे फर्क नहीं पड़ता कि पार्टनर को आमदनी होती है या नहीं।


पैन से ऐसे जोड़ें आधार को
जिनके पास पहले से आधार है, वे इस बार पैन से आधार को लिंक किए बिना रिटर्न जमा नहीं करा पाएंगे। जानते हैं कि कैसे जोड़ें इन दोनों को:

मोबाइल से
आधार नंबर और पैन कार्ड को SMS से मेसेज भेजकर भी लिंक किया जा सकता है। इसके लिए फोन से कैपिटल लेटर में UIDPAN लिखने के बाद स्पेस देकर आधार नंबर और एक स्पेस देकर फिर पैन नंबर लिखें और 567678 या 56161 पर भेज दें। यह मेसेज उसी मोबाइल नंबर से भेजना होगा जो मोबाइल नंबर आधार कार्ड के साथ रजिस्टर है। जानकारियां मैच करने पर पैन और आधार लिंक हो जाएंगे।

वेबसाइट से
1. incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
2. लेफ्ट साइड में Link Aadhaar नाम के लाल रंग के टैब पर क्लिक करें।
3. यहां पर आपको पैन नंबर, आधार नंबर और अपना नाम भर कर कैप्चा भर कर Link Aadhaar पर क्लिक करें।
4. अगर नाम में थोड़ा बहुत मिसमैच है तो पोर्टल की तरफ से ओटीपी आएगा और उसे भरने के बाद सेव करने पर आधार और पैन लिंक हो जाएगा।

ITR कर चुके हैं फाइल, तो ऐसे चेक करें स्टेटस, ये रहा पूरा प्रोसेस
इस तरह ऑनलाइन स्टेटस चेक करें
1. आईटीआर फॉर्म का स्टेटस चेक करने के लिए सबसे पहले आयकर विभाग की वेबसाइट: https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home को खोलें।
2. होमपेज पर एकदम बांई ओर सर्विस टैब के नीचे आईटीआर स्टेट्स चेक करने का टैब होगा। 
3. आईटीआर स्टेट्स ऑप्शन पर क्लिक करें। क्लिक करते ही कंप्यूटर पर एक नया पेज खुलेगा।
4. इस नए पेज पर पैन नंबर, आईटीआर एक्नोलेजमेंट नंबर और कैप्चा या ओटीपी का विकल्प  होता है।
5. सभी जानकारी सही से भरें और सबमिट टैब पर क्लिक करें। आपकी स्क्रीन पर रिटर्न का स्टेटस दिखाई देगा।
6.  रिटर्न सबमिटेड और वेरीफाई दिखाई दे तो समझ लें की रिटर्न की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
7. अगर रिफंड बनता है आपको जल्द ही यह मिल जाएगा।

स्टेटस चेक करने का दूसरा तरीका :
1. आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉगइन करें। विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण करें।
2. पंजीकरण के लिए आपका पैन, नाम, जन्म तिथि और निवास स्थिति भरनी होगी।
3. इसके बाद लॉग इन करने पर आपको डैशबोर्ड में व्यू रिटर्न फॉर्म्स का ऑप्शन दिखेगा।
4. व्यू रिटर्न फॉर्म्स पर क्लिक कर असेसमेंट का साल सलेक्ट करें और फिर सबमिट कर दें।
5. सबमिट करते हैं तो स्क्रीन पर आईटीआर वेरीफाइड हो गया है या आईटीआर भर चुका दिखाई देगा।

टैक्स रिफंड स्टेटस भी ऑनलाइन जांचें     
ऑनलाइन टैक्स रिफंड का स्टेटस चेक करने के लिए आपको आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाना होगा। इस वेबसाइट के एकदम बांई ओर चेक रिफंड डिस्पैच स्टेटस का टैब दिखाई देगा। इस टैब पर क्लिक करने पर एक नया पेज खुलेगा। उस पेज में आपको अपना पैन नंबर, असेसमेंट ईयर और कैप्चा कोड कोड डालकर सबमिट करना होगा।  इसके बाद पॉप-अप में एक मैसेज दिखाई देगा, जिसमें आपके रिफंड का मोड ऑफ पेमेंट, रेफरेंस नंबर, स्टेटस और किस रास्ते से रिफंड मिला है या मिलेगा, उसका ब्योरा होगा।

स्टेटस चेक करना क्यों है जरूरी?
टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि सभी आयकर दाता को रिटर्न भरने के बाद अपना फॉर्म का स्टेटस चेक करना चाहिए। इसकी वजह है कि आयकर दाता ने आईटीआर तो फाइल किया है लेकिन वह फॉर्म विभाग के डाटा बेस में रजिस्टर्ड हुआ है कि नहीं इसकी जानकारी स्टेटस चेक करने से ही मिलेगी। अगर, स्टेटस चेक करने पर फॉर्म नहीं दिख रहा है तो आप सीए या विभाग से समय रहते संपर्क कर सकते हैं। रिटर्न की प्रक्रिया पूरी होने पर ही आपको रिफंड मिलेगा।

No comments:

Post a Comment