7/26/18

क्या है इनकम टैक्स रिटर्न


फाइनैंशल इयर के खत्म होने के बाद ऐसे हर शख्स को इनकम टैक्स विभाग में एक फॉर्म भरकर देना पड़ता है, जिसकी सालाना आमदनी टैक्सेबल होती है। इनकम टैक्स विभाग में जमा किए जाने वाले इस फॉर्म में कोई शख्स बताता है कि पिछले फाइनैंशल इयर में उसे कुल कितनी आमदनी हुई और उसने उस आमदनी पर कितना टैक्स भरा। इसे इनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है। फाइनैंशल इयर 31 मार्च को खत्म होता है।

इनकम टैक्स रिटर्न एक तरह से जानकारी होती है जो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपनी इनकम के बारे में देते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न का फॉर्म भरकर ये जानकारी दी जाती है। आईटीआर 1 से लेकर आईटीआर 7 तक कई तरह के फॉर्म किसी व्यक्ति की इनकम से जुड़े होते हैं। इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 और इनकम टैक्स नियम 1962 के अनुसार प्रत्येक भारतीय को हर वित्त वर्ष के अंत में इनकम टैक्स रिटर्न भरना आवश्यक है।

इनकम टैक्स रिटर्न के फॉर्म कई तरह के होते हैं जो करदाता की इनकम के स्रोत और उसकी कैटिगरी पर निर्भर करता है। इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए किसी व्यक्ति के पास पैन कार्ड का होना आवश्यक है। करदाता की श्रेणी के हिसाब से इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख भी अलग-अलग होती है। व्यक्तिगत इनकम टैक्स रिटर्न की अंतिम तिथि 31 जुलाई होती है जबकि कंपनियों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की अंतिम तारीख 30 सितंबर होती है।

कई बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इन तारीखों को आगे भी बढ़ा देता है। इनकम टैक्स रिटर्न में जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को टैक्स ही देना होता है। यह एक तरह की आमदनी की जानकारी होती है जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होती है। अगर इनकम टैक्स स्लेब के भीतर है तो ठीक है अगर टैक्स स्लैब में आती है तो इनकम पर टैक्स देना होता है।

क्यों जरूरी है इनकम टैक्स रिटर्न भरना

अगर आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से फाइल किया जा सकता है। 5 लाख रुपये से ज्यादा आमदनी वालों के लिए ऑनलाइन आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है। सुपर सीनियर सिटीजन (जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा हो) ऑफलाइन रिटर्न भर सकते हैं। अगर आपकी टैक्सेबल इनकम सालाना 2.50 लाख रुपये से कम है तो आपके लिए ITR भरना अनिवार्य नहीं है। वैसे, आप जीरो आईटीआर भी भर सकते हैं। जीरो आईटीआर का मतलब यह है कि आप सरकार को टैक्स तो नहीं चुकाते, लेकिन अपनी आमदनी और खर्च की जानकारी दे देते हैं।

आपको आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। अगर इसमें देरी करते हैं तो इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। अगर आप आईटीआर 1 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच फाइल करते हैं तो आपको 5000 रुपये जुर्माना देना होगा। लेकिन अगर आपकी कुल सालाना आमदनी 5 लाख रुपये से कम है तो जुर्माने की रकम 1000 रुपये होगी। अगर आप 1 जनवरी से 31 मार्च 2019 तक रिटर्न फाइल करते हैं तो आपको 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा।

यदि आप अपना कारोबार शुरू करने जा रहे हैं तो आपके लिए आईटीआर बहुत महत्वपूर्ण है। यही नहीं, अगर आप कोई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना चाहते हैं तो आपको आईटीआर दिखाना पड़ेगा। किसी सरकारी विभाग में ठेका हासिल करने के लिए पिछले पांच साल का इनकम टैक्स रिटर्न दिखाना पड़ता है।

अगर आप नियमित तौर पर आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको बैंक से कार या होम लोन, क्रेडिट कार्ड आदि आसानी से मिल जाते हैं।

अगर आप एक करोड़ रुपये का इंश्योरेंस कवर (टर्म प्लान) लेना चाहते हैं तो इंश्योरेंस कंपनियां आपसे आईटीआर प्रूफ मांग सकती हैं।

यदि आप कारोबार या नौकरी के सिलसिले में विदेश जाना चाहते हैं तो आपके लिए आईटीआर जरूरी है। बहुत से विदेशी दूतावास वीजा एप्लिकेशन के साथ पिछले दो साल का आईटीआर मांगते हैं।
आईटीआर की कॉपी आपके लिए रेजिडेंशल प्रूफ का काम करती है। आप इसका उपयोग सभी सरकारी कामों में कर सकते हैं।


इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में हुई गलती तो ऐसे करें सुधार

वैसे तो इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करते वक्त बहुत सावधानियां बरतते हैं ताकि कोई गलती नहीं हो, फिर भी कभी-कभार कोई चूक हो ही जाती है। कभी बैंक अकाउंट नंबर गलत डल जाता है तो कभी ब्याज से हुई आय बताना भूल जाते हैं या गलत डिडक्शन क्लेम कर देते हैं। खैरियत यह है कि मौजूदा आय कर कानून हमें इन गलतियों को सुधारने की अनुमति देता है। अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद कोई गलती पकड़ में आए तो आप मौजूदा कर कानूनों के दायरे में गलतियों को सुधार सकते हैं। इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 139(5) टैक्सपेयर्स को रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके अपनी गलतियां सुधारने की अनुमति देता है।

यह सेक्शन कहता है कि जिसे गलत रिटर्न भरने का अहसास होता है, वह संबंधित आकलन वर्ष के आखिर तक या आकलन की प्रक्रिया पूरी होने से पहले, इनमें जो पहले हो, उस अवधि में रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकता है। ध्यान रहे कि आकलन वर्ष यानी असेसमेंट इयर उस वित्त वर्ष का ठीक अगला वित्त वर्ष होता है जिस वित्त वर्ष का आईटीआर हम फाइल करते हैं। यानी, अगर हम 2017-18 का रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो इसका आकलन वर्ष 2018-19 होगा। तो आइए जानते हैं कि रिवाइज्ड रिटर्न कैसे फाइल करें...
रिवाइज्ड रिटर्न क्या है?
रिवाइज्ड रिटर्न में आपको ऑरिजिनल आईटीआर में हुई गलती को सुधारने या भूले हुए तथ्य अथवा आंकड़े को बताने की अनुमित मिलती है। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने सीधा सा मतलब है कि आप आप अपना रिटर्न सुधार के साथ दोबारा फाइल कर रहे हैं। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करते वक्त आपको ऑरिजनल रिटर्न के डीटेल्स देने होते हैं।

कौन फाइल कर सकता है रिवाइज्ड रिटर्न?
आय कर कानून की धारा 139(5) रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अनुतमि उन सब टैक्सपेयर को देती है जिन्होंने अपने आईटीआर भरे हैं। पहले डेडलाइन से पहले आईटीआर फाइल कर देनेवालों को ही रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अनुमति होती थी। ऐसे में समयसीमा बीत जाने के बाद रिटर्न फाइल करनेवालों को गलतियां सुधारने का मौका नहीं मिलता था। सोनी बताते हैं कि पिछले वर्ष से डेडलाइन के बाद ऑरिजनल रिटर्न फाइल करने वालों को भी रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अनुमति मिल गई।
रिवाइज्ड रिटर्न भरने की आखिरी तारीख क्या है?
पहले टैक्स कानून संबंधित आकलन वर्ष के खत्म होने के एक साल के अंदर रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अनुमति देता था। यानी, टैक्सपेयर्स को गलती सुधारने के लिए संबंधित फाइनैंशल इयर से दो वर्ष तक का समय मिल जाता था, लेकिन पिछले वर्ष यह समयसीमा घटा दी गई। सोनी ने कहा, 'पिछले वर्ष से रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन घटा दी गई है। नए आय कर कानून के मुताबिक आपके पास संबंधित आकलन वर्ष के अंदर ही अपनी गलतियां सुधारने का मौका है।'

कैसे फाइल करें रिवाइज्ड रिटर्न?
रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करने की प्रक्रिया वही है जो ऑरिजिनल आईटीआर की। हालांकि, आपको इनकम टैक्स ऐक्ट 139(5) के अधीन रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करना होता है। 'रिटर्न फाइल्ड अंडर' वाले कॉलम से '17 - Revised u/s 139(5)' का ऑप्शन चुनना पड़ता है। रिवाइज्ड आईटीआर फॉर्म में आपको पहले भरे गए ऑरिजनल आईटीआर की जानकारियां, मसलन रिसीट नंबर, ऑरिजन आईटीआर फाइल करने की तारीख आदि, देनी होंगी।'
कितनी बार फाइल कर सकते हैं रिवाइज्ड रिटर्न?
जितनी बार गलतियां हों, उतनी बार। इसकी कोई सीमा नहीं है कि आप कितनी बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। बस, आप जितनी बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करेंगे, हर बार आपको ऑरिजिनल रिटर्न के डीटेल्स भरने होंगे। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बेखबर होकर बार-बार गलतियां करते हैं औरइस सुविधा का बेजा इस्तेमाल करें।

महत्वपूर्ण बातें
रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करने के बाद इसे वेरिफाइ करना नहीं भूलें। अगर आपने रिवाइज्ड रिटर्न वेरिफाई नहीं किया तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे स्वीकार नहीं करेगा। रिवाइज्ड रिटर्न के वेरिफिकेशन के भी वही तरीके हैं जो ऑरिजिनल रिर्टन के। यानी, आप आधार, ओटीपी आदि इलेक्ट्रॉनिक मेथड्स से ई-वेरिफिकेशन कर सकते हैं या नेट बैंकिंग के जरिए ईवीसी कर सकते हैं या फिर आईटीआर-V (अकनॉलेजमेंट रिसीट यानी प्राप्ती रसीद) की एक कॉपी पर दस्तखत करके उसे सीपीसी बेंगलुरु भेज सकते हैं। ऐसे में आपके रिवाइज्ड रिटर्न का फिजिकल वेरिफिकेशन हो जाएगा।

31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देने में ही होशियारी है क्योंकि इसके बाद आपको नोटिस मिल सकता है। तब आपको रिटर्न भरने में जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त ITR फॉर्म की शब्दावली

फाइनैंशल इयर बनाम असेसमेंट इयर
टैक्स के लिहाज से फाइनैंशल इयर वह साल होता है, जिसमें आपको आमदनी हुई हो और जिस साल आप इस आमदनी पर टैक्स चुका रहे हों। फाइनैंशल इयर 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। अगर आपने 2017-18 में काम किया हो और आपको इनकम हुई हो तो वह आपके लिए फाइनैंशल इयर माना जाएगा। दूसरी ओर असेसमेंट इयर वह साल होता है, जो फाइनैंशल इयर के बाद आता है यानी जिसमें आपकी इनकम का आकलन किया जाता है। यह भी पहली अप्रैल से 31 मार्च तक का होता है। यह वह साल होता है, जिसमें आप संबंधित फाइनैंशल इयर में चुकाए गए टैक्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं। इस उदाहरण में 2017-18 फाइनैंशल इयर है और 2018-19 असेसमेंट इयर होगा।

अडवांस टैक्स बनाम सेल्फ असेसमेंट टैक्स
अगर आप सैलरीड टैक्सपेयर हों और आपको दूसरे स्रोतों से भी इनकम होती हो यानी इंटरेस्ट इनकम जैसी आमदनी मिलती हों और फाइनैंशल इयर में आपकी टैक्स देनदारी एंप्लॉयर के टीडीएस काटने के बाद 10000 रुपये से ज्यादा हो जाती हो तो आपको अडवांस टैक्स देना होगा। इसे असेसमेंट ईयर से पहले वाले फाइनैंशल इयर में ही तीन किस्तों में चुकाना होगा। इसकी तय तारीखें 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च होती हैं और चुकाने में देरी पर तय रकम के एक पर्सेंट की पेनल्टी हर महीने के हिसाब से देनी होती है। वहीं सेल्फ असेसमेंट टैक्स का मामला यह है कि टैक्स देनदार की गणना करने के बाद अगर आपको पता चले कि टीडीएस और एडवांस टैक्स के बाद भी कुछ टैक्स देय है तो आप सेल्फ असेसमेंट टैक्स दे सकते हैं। इस टैक्स को रिटर्न फाइल करने से पहले असेसमेंट इयर में चुकाया जाता है। आपको इसके लिए एक टैक्स चालान ITNS 280 भरना होगा।

टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स बनाम टोटल टैक्स
टीडीएस वह टैक्स है जो आपकी इनकम से उस खास इनकम के सोर्स पर ही काट लिया जाता है। सैलरी से इसे चाहे एंप्लॉयर काटे या डिपॉजिट्स से बैंक काट लें। अलग-अलग स्रोतों और आमदनी के प्रकार के आधार पर डिडक्शन का रेट भी बदलता है। टीडीएस हालांकि वह टोटल टैक्स नहीं हो सकता है, जो देय हो क्योंकि आपकी दूसरी इनकम भी हो सकती हैं, जिनके चलते आप पर कहीं ज्यादा टैक्स की देनदारी बन सकती है। टोटल टैक्स वह टैक्स है, जो आप सभी स्रोतों से हासिल अपनी पूरी इनकम पर चुकाते हैं।

ग्रॉस टोटल इनकम बनाम टोटल इनकम
सैलरीड लोगों के मामले में फॉर्म 16 में दर्ज होता है कि कितनी सैलरी मिली और लागू एग्जेम्प्शंस और डिडक्शंस के बाद टैक्सेबल इनकम कितनी है। ग्रॉस टोटल इनकम हर तरह की इनकम का योग है। इसमें सैलरी, प्रॉपर्टी, बिजनेस या प्रोफेशन, प्रॉफिट या गेन्स और ब्याज आदि अन्य स्रोतों से हासिल इनकम शामिल होती है। सैलरी से सेक्शन 10 के तहत एग्जेम्प्ट अलाउंस यानी कन्वेयेंस, एलटीए और एचआरए आदि को घटाया जाता है और अन्य आमदनी को जोड़ा जाता है, तब ग्रॉस टोटल इनकम का पता चलता है। वहीं चैप्टर VI-A (इसमें सेक्शन 80सी से लेकर 80यू तक शामिल हैं) में दिए गए डिडक्शंस के बाद दिखने वाली इनकम को टोटल इनकम कहा जाता है। इस इनकम पर टैक्स लगता है। इसे टोटल टैक्सेबल इनकम भी कहा जाता है।

एग्जेम्प्शन बनाम डिडक्शन
दोनों से ही टैक्स देनदारी कम करने में मदद मिलती है, लेकिन इन्हें इनकम टैक्स एक्ट के अलग-अलग सेक्शंस के तहत लिया जा सकता है। एग्जेम्प्शन वाली रकम को ग्रॉस टोटल इनकम से हटा दिया जाता है। सेक्शन 10 या 54 के तहत उपलब्ध यह बेनेफिट सैलरी या प्रॉपर्टी की बिक्री जैसे इनकम सोर्स पर ही लिया जा सता है, न कि टोटल इनकम पर। इनमें एलटीए और टैक्स फ्री बॉन्ड्स से इंटरेस्ट को भी शामिल किया जाता है। इस रकम को टैक्स की गणना से पहले इनकम से घटाया जाता है।

वहीं डिडक्शन चैप्टर VI-A, सेक्शन 80 के तहत बेनिफिट्स के जरिए टोटल टैक्सेबल इनकम से डिडक्शन है। कुछ खास इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के जरिए यह रकम घट जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी खास लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करें या बच्चे की स्कूल टुइशन फी चुकाएं तो सेक्शन 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।

अब रिटर्न फाइल करते समय अपने पास ये दस्तावेज रख लें-
पैन नंबर, आधारकार्ड नंबर, फॉर्म 16, आपके खातों पर मिला संबंधित वित्तीय वर्ष का कुल ब्याज, टीडीएस (TDS) संबंधी डीटेल और सभी तरह के निवेशों संबंधी सबूत. होमलोन और इंश्योरेंस संबंधी डॉक्युमेंट्स भी अपने पास रखें. 

आइए जानें, कैसे भरा जाता है आयकर रिटर्न, न करने पर देनी होगी पेनल्टी
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 है। ऐसे में सुनिश्चित करें की आपकी ओर से फाइल की गई रिटर्न ठीक है।

आयकर रिटर्न दाखिल करना काफी कठिन कार्य माना जाता है। यह देखा जाता है कि अधिकांश लोग एकदम आखिरी समय मे ही इसे दाखिल करने के लिए जल्दबाजी करते हैं। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों को सहूलियत हो। समृद्धि एवं आय बढ़ने के साथ ही आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 है। ऐसे में सुनिश्चित करें की आपकी ओर से फाइल की गई रिटर्न ठीक है। रिटर्न भरते समय अब सभी टैक्सपेयर्स को अपना 12 अंकों का आधार नंबर और 28 अंकों का आधार एनरॉलमेंट नंबर भी भरना जरूरी है।

ई-फाइलिंग:
पहले लोगों को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए मीलों लंबा सफर करना पड़ता था, तथा घंटों लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता था। लेकिन कुछ वर्षों पहले आयकर विभाग ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया, जिससे लोगों को सगुमता हो सके। इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन तरीके से आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को ई-फाइलिंग भी कहा जाता है। इससे कर देने वालों को काफी सरलता पहुंची है। अब वो किसी भी समय, दुनिया के किसी भी कोने से अपना आयकर रिटर्न जमा कर सकते हैं।
कर के दायरे में आने वाले लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए तथा ऑनलाइन फाइलिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारों ने तय किया है कि वो अपने अधिकांश करों का भुगतान ऑनलाइन तरीके से लेंगी। इसमें मुख्यतः आयकर, अन्य प्रकार के कर, उत्पादन शुल्क तथा वैट शामिल हैं। वर्तमान में सभी कंपनियों तथा फर्म के लिए अनुच्छेद 44एबी के तहत सांविधिक ऑडिट तथा आयकर रिटर्न को ई-फाइल करना आवश्यक है। ई-फाइलिंग की सुविधा न्यासों के अलावा सबके लिए उपलब्ध की जा चुकी है। अगर आप ऑनलाइन माध्यम से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना चाहते हैं तो आप इसके लिए दो तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

आप इनकम टैक्स की वेबसाइट पर जाकर अपना इनकम टैक्स अकाउंट लॉग-इन करें। ऐसा करने के बाद E-Filing इनकम टैक्स रिटर्न का ऑप्शन आएगा। आप इसमें आकलन वर्ष के आधार पर डेटा भरें। इसके बाद रिटर्न सबमिट करें और फिर इसे ई-वेरिफाई करें।

ई-वेरिफिकेशन के 4 तरीके होते हैं...
1. ई-मेल ओटीपी या फिर मोबाइल ओटीपी के जरिए
2. आधार ऑथेंटिफिकेशन (ईवीसी/EVC) के जरिए
3. आप अपने बैंक अकाउंट की वेबसाइट पर जाकर भी इसे वेरिफाई करा सकते हैं
4. आपको एकनॉलेजमेंट की कॉपी निकालकर उसे बैंगलुरु स्थित आयकर भवन में भेजना होगा बैंगलुरू के आयकर भवन का पता Centralized processing center (CPC), Income tax department Bangalore-560500

दूसरा तरीका:
इनकम टैक्स की वेबसाइट पर आकर आपको XML इनकम टैक्स फॉर्म डाउनलोड करना होगा। इसको डाउनलोड करने के बाद आप फॉर्म फिल करें। फॉर्म को फिल करने के बाद इसे वैलिडेट (validate) करें। इसके बाद XML फाइल डाउनलोड होगी। इसके बाद आपको इस फाइल को इनकम टैक्स अकाउंट पर लॉग-इन कर इसे अपलोड करना होगा।

मैनुअल फाइलिंग:
यदि आप ऑनलाइन तरीके से रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं तो आपको यह प्रक्रिया मैनुअल तरीके से करनी होगी। ऑफलाइन माध्यम से आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आपको सबसे पहले फॉर्म सिलेक्ट करना होगा, जो आपके लिए भरना जरूरी है। यानी ITR-1, ITR-2, ITR-3 और ITR-4। इनमें से आपके लिए जो भी एप्लीकेबल होगा आपको वो भरना होगा। आप इसे इनकम टैक्स की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं (https://www.incometaxindia.gov.in)। यहां से फॉर्म डाउनलोड करने के बाद उसका प्रिंट निकालकर आपको फॉर्म भरना होगा। इसके बाद भरे हुए फॉर्म को आपको अपने शहर के इनकम टैक्स ऑफिस में जमा कराना होगा। यह ऑफिस आपको एक Acknowledgement Receipt देगा। जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में यह ऑफिस सिविक सेंटर में है।

31 जुलाई तक नहीं भरा तो कितनी पेनल्टी देना होगी
5 लाख रुपए से कम income है तो आपको 1 हजार रुपए की पेनल्टी।
5 लाख रुपए से ज्यादा income है तो 5 हजार रुपए की पेनल्टी।
यदि आप 31 दिसंबर तक फाइल नहीं करते हैं तो 10 हजार रुपए की पेनल्टी देना होगी

              
Income Tax Return 2018: इस तरह घर बैठे ही इनकम टैक्स रिटर्न की E-Filing कर लें
How to file Income tax Return online in hindi
 इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आपने अभी तक जरुरी डॉक्यूमेंट जुटा लिए होंगे। आमतौर पर हम रिटर्न भरने के लिए सीए की मदद लेते हैं। सीए हमसे इसकी फीस भी लेता है। आप घर बैठकर भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसे आप घर पर ही अपना रिटर्न भर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको जरुरी डॉक्यूमेंट जुटाने होंगे।सबसे पहले आपके पास फॉर्म 16 होना चाहिए। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय सबसे महत्वपूर्ण बात है साल का ध्यान रखना। अगर आप घर पर बैठकर ये काम कर रहे हैं तो ये और भी जरुरी हो जाता है। इस साल आप वित्तवर्ष 2017-18 (FY2017-18) और एसेसमेंट साल (Assessment Year) 2018-19 (AY 2018-19) का रिटर्न भरेंगे। आयकर विभाग ने अब रिटर्न भरना सरल कर दिया है। रिटर्न के लिए अब 1 ही पेज का फॉर्म 'सहज' है। अगर आपकी सैलरी और एक मकान से आय है तो ITR-1 फॉर्म आपको भरना है। इसमें 50 लाख तक की आय वाले फॉर्म भर सकेंगे। आप ITR-1 और ITR-4 फॉर्म को बिना किसी सॉफ्टवेयर की मदद से पूरी तरह ऑनलाइन भर सकते हैं। आप इनकम टैक्स रिटर्न https://portal.incometaxindiaefiling.gov.in की वेबसाइट पर जाकर भर सकते हैं। यहां आपको लेफ्ट में 'Filing of Income Tax Return' का विकल्प मिलेगा। इस पर क्लिक करते ही यूजर आईडी और लॉगिन डालना होगा।ITR filing processआप अपना पैन नंबर और जन्म तारीख और कैप्चा की जानकारी डालकर लॉगिन कर सकेंगे। इसके बाद आप e-file में जाकर इनकम टैक्स रिटर्न का विकल्प चुनें।income tax return filing onlineइसके बाद आपको एसेसमेंट साल 2018-19 सिलेक्ट करना है। इतना करने के बाद आपको ITR-1 फॉर्म चुनना है। इसके बाद आपको ITR वैरिफिकेशन का विकल्प मिलेगा। इसमें आप आधार से वैरिफिकेशन या दूसरे तरीके से वैरिफिकेशन पर क्लिक कर सकते हैं।ITR filing process onlineफिर आप एसेसमेंट साल 2018-19 के लिए ITR-1 सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें। ITR भरने के लिए आपके पास आय, टैक्स छूट, सैलरी स्लिप और फॉर्म 16 की पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपका इंटनेट धीमा है तो फॉर्म डाउनलोड कर ही रिटर्न भरें। वेबसाइट पर आपको बिना डाउनलोड किए भी रिटर्न भरने की सुविधा मिलेगी। हम आपको फॉर्म डाउनलोड कर रिटर्न भरने की प्रक्रिया बता रहे हैं ताकि आपसे ऑनलाइन कोई गलती ना हो।


ITR-1 को भरने की प्रक्रिया
ITR1 में 5 भाग A,B,C,D और E है।
पार्ट A में आपको अपनी निजी जानकारी भरनी है। इसमें नाम, पता और आधार नंबर जैसी जानकारी देनी होती है।
पार्ट B में सैलरी से आय और होम लोन के ब्याज पर दी गई रकम भरनी होती है।
पार्ट C में सेक्शन 80 सी और दूसरे डिडक्शन की जानकारी डाली जाती है।
पार्ट D में आपको आपकी कुल आय की गणना करनी होती है। इसमें से आपको डिडक्शन और कुल टैक्स की देनदारी को घटाना है।
पार्ट E में आपको बैंक अकाउंट की जानकारी देनी है।ITR Form 1 पार्ट A ऐसे भरें
पार्ट ए में आप नाम, पता और आधार नंबर जैसी निजी जानकारी भर दें।पार्ट B ऐसे भरें
स्टेप 1: आप पार्ट ए में अपनी निजी जानकारी भरने के बाद आप पार्ट बी में सैलरी से होने वाली आय की जानकारी भरे। ये आप अपनी कंपनी से मिले फॉर्म 16 से भर सकते हैं। (B1)
स्टेप 2: इसके बाद अगर आपके पास खुद की प्रॉपर्टी है तो उस बॉक्स पर टिक करें।
स्टेप 3: 'interest payable on borrowed capital' अगर आपने होम लोन लिया है तो इसमें मूल चुकाई गई मूल रकम और ब्याज की जानकारी भरें। अपने बैंक से पहले स्टेटमेंट मंगा लें। खुद के मकान की वार्षिक कीमत शून्य होगी। (B2)
स्टेप 4: इसके बाद अगर आपको दूसरे किसी स्रोत से आय है तो उसकी जानकारी 'Income from Other Sources' में भरें। इसमें एफडी और दूसरे टैक्सेबल निवेश की जानकारी होगी। (B3)
स्टेप 5: इसके बाद आप अपनी पूरी आय को जोड़ लें। (B1+B2+B3 = B4)ITR Form 1पार्ट C ऐसे भरें
स्टेप 6: पार्ट सी में आप अपने डिडक्शन की जानकारी भरें। इसमें आप 80 सी और 80 डी के तहत किए गए निवेश की जानकारी दें। इन सभी को जोड़ लें। (C1)
स्टेप 7: अब अपनी कुल आय जोड़ लें। इसके लिए आपको GTI (B4) minus C1 = C2पार्ट D को ऐसे भरें
स्टेप 8: C2 में आपकी कुल आय आ जाएगी। इस आय से आपका टैक्स की पार्ट D में गणना हो जाएगी। अगर आपकी टैक्स की देनदारी बनती है तो उसे तुरंत भर दें।
स्टेप 9: इसके बाद इनकम टैक्स रिटर्न डेटा को XML फॉर्मेट में जनरेट कर अपने डेस्कटॉप पर सेव कर लें। इसके बाद अपनी इस फाइल को अपलोड कर दें। इसके साथ ही आपको मोबाइल पर आए OTP की जानकारी देनी होगी। इतना होने के बाद अपने आधार की जानकारी से वैलिडेट करने वाले बॉक्स पर क्लिक कर सबमिट कर दें।
स्टेप 10: सफलता पूर्वक रिटर्न भरने पर आपको एकनॉलेजमेंट के तौर पर ITR-V दिखेगा। इस पर क्लिक कर इसे डाउनलोड कर लें। आयकर विभाग आपके ईमेल पर इसकी कॉपी भी भेजेगा।इनकम टैक्स रिटर्न बैंक अकाउंट नंबर से ऐसे E-Verify करेंइस तरह आप आसानी से ही घर बैठे अपना इनकम टैक्स रिटर्न भर सकेंगे। इसको आप ई-वैरिफाई भी कर सकते हैं। आप इस ITR V की कॉपी को 120 दिन के भीतर इनकम टैक्स के बंगलौर ऑफिस भेज सकते हैं। विभाग को ये कॉपी मिलने पर ही आपका रिटर्न प्रोसेस करेगा। आप अपना रिटर्न ऑनलाइन नेटबैंकिंग के जरिए भी वैलिडेट कर सकते हैं।


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