7/16/15

digital india in hindi


यह डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक कार्यक्रम है। यह 7 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान शुरू किया गया और यह कार्यक्रम 2014 वर्ष से 2018 तक चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम परिवर्तनकारी प्रकृति का है जो यह सुनिश्चित करेगा की सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से नागरिकों के लिए उपलब्ध हों।

सरकार की सारी सूचना और योजना एप्स के रूप में आपके स्मार्ट फोन पर होगी। जैसे ई-स्कॉलरशिप स्कीम के ज़रिये केंद्र और राज्य की छात्रवृत्ति योजनाओं का एक मंच पर लाया जाएगा।

डिजिटल इंडिया कैंपेन से जुड़ी मुख्य योजनाएं

>ई-लॉकर यानी डिजिटल लॉकर
इस सुविधा के तहत लोग अपने पैन, आधार कार्ड, मार्कशीट्स और अन्य जरूरी दस्तावेजों को डिजिटली स्टोर कर सकते हैं। आने वाले समय में गवर्नमेंट ऑफिसेस भी सीधे आपके डॉक्युमेंट्स को एक लिंक के द्वारा डिजिटल लॉकर में भेजेंगे। इस सुविधा के बाद आपको कहीं भी हार्ड कापी देने की जरूरत नहीं होगी।
>ई-बैग यानी ई-बस्ता
किसी भी राज्य के शिक्षा बोर्ड की किताब को छात्र कहीं से भी घर बैठे सिर्फ पढ़ ही नहीं पाएंगे, बल्कि फ्री में डाउनलोड भी कर सकेंगे। ई-बस्ता पोर्टल में सभी राज्यों के एजुकेशन बोर्ड अपनी पूरी टेक्स्टबुक ऑनलाइन रखेंगे। केंद्रीय शिक्षा बोर्ड की भी किताबें भी इसमें होगी। इससे न केवल स्टूडेंट्स के बस्ते का वजन हल्का होगा, बल्कि वे मोबाइल, टैबलेट या कम्प्यूटर पर डाउनलोड कर किताबें पढ़ सकेंगे।
>ई-हेल्थ
ई-हेल्थ में ई-हॉस्पिटल और टेली मेडिसिन जैसी फैसिलिटी शामिल हैं। टेली मेडिसिन सर्विस शुरू होने के बाद मरीजों को एम्स जैसे बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए लंबी लाइनें नहीं लगानी पड़ेंगी। मरीज देश के किसी भी कोने में बैठकर एम्स में इलाज के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट ले सकेगें। ई-हॉस्पिटल जैसी स्कीम से दूर-दराज के गांवों भी अच्छी मेडिकल सर्विस पहुंच सकेगी।

डिजिटल इंडिया के लाभ
पंचायत में इंटरनेट
पूरे देश में इंटरनेट कनेक्टीविटी के लिए सरकार हाइ-स्पीड भारत नेट को सेट कर रहा है। नेटवर्क ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का उपयोग करेगा ओर पूरे देश में सभी पंचायतों को हाइ-स्पीड वेब कनेक्टीविटी देगा। इसका मतलब यदि आप गांव में हैं तो यूट्यूब के वीडियोज का आनंद उठा सकते हैं।
ऑनलाइन बुक करें डॉक्टर के साथ अप्वाइनमेंट
सरकारी अस्पतालों को इ-सर्विसेज से कनेक्ट किया जाएगा। इस प्रोग्राम को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम नाम दिया जाएगाजिससे लोग अस्पताल का फीस भर सकेंगेडॉक्टर से मिलने का समय ले सकेंगे और संबंधित सेवाओं को एक्सेस किया जा सकेगावह भी बिना अस्पताल आए। इससे लोगों के कीमती समय की बचत तो होगी ही साथ ही एम्स जैसे अस्पतालों में ओपीडी के बाहर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा।
डॉक्यूमेंट सबमिट करने से मिलेगा छुटकारा
डिजिटल इंडिया का यह सबसे अच्छा और लाभकारी प्रभाव होगा। प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर सरकार ने डिजिलॉकर सर्विस की घोषणा की है। इससे लोग सरकार के इश्यू किए गए अपने सभी डॉक्यूमेंट्स को डिजिलॉकर में रख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सभी सरकारी डिपार्टमेंट के साथ शेयर कर सकते हैं। इसका मतलब यदि आपका पैन कार्ड डिजिलॉकर में मौजूद है तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ लॉकर से डायरेक्ट शेयर कर सकेंगे। इसके लिए आपको आइटी डिपार्टमेंट जाकर पैन कार्ड की फोटो कॉपी देने की कोई जरूरत नहीं है।
आधुनिक पोस्ट आफिस
सरकार चाहती है कि पोस्ट ऑफिस चिट्ठी-पत्री के साथ अब इंटरनेट के जरिए इमेल्स भी भेजने में मदद करे दूसरे शब्दों में जो वेब एक्सेस करने में असमर्थ हैं उनके लिए पोस्ट ऑफिस साइबर कैफे की तरह काम करे।
हर जगह होगा हॉटस्पॉट
पूरे देश में बीएसएनएल वाइ-फाइ हॉटस्पॉट सेट कर रहा है ताकि लोग लैपटॉप व स्मार्टफोन को आसानी से कनेक्ट कर वेब एकसेस कर सकें। फिलहाल बीएसएनएल ने 53 लोकेशन पर हॉटस्पॉट लगा दिया है लेकिन वर्ष के अंत तक कंपनी 250 लोकेशन और 2,500 हॉटस्पॉट कवर करना चाहती है।
ड्राइविंग लाइसेंस एप्लीकेशन के लिए लंबी लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं

इ-गवर्नेंस के हिस्से के रूप में यह कितना काम करेगाकई सरकारी विभाग अब इंटरनेट के जरिए सर्विस की डिलीवरी शुरू करने वाले हैं। इसके एक बार एनेबल हो जाने का मतलब है कि अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस सबमिट करने आरटीओ ऑफिस आने की जरूरत नहीं होगी। आप ऑनलाइन एप्लीकेशन सबमिट कर सकते हैं। डिजिटली ही यह एप्लीकेशन आपका साइन लेगा और गर्वंमेंट के इ-पे सर्विस के जरिए शुल्क भी अदा हो जाएगा।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं :
 1. ब्रॉडबैंड हाइवेज- सामान्य तौर पर ब्रॉडबैंड का मतलब दूरसंचार से है, जिसमें सूचना के संचार के लिए आवृत्तियों (फ्रीक्वेंसीज) के व्यापक बैंड उपलब्ध होते हैं। इस कारण सूचना को कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है और जुड़े हुए तमाम बैंड की विभिन्न फ्रीक्वेंसीज या चैनलों के माध्यम से भेजा जा सकता है। इसके माध्यम से एक निर्दिष्ट समयसीमा में वृहत्तर सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है। ठीक उसी तरह से जैसे किसी हाइवे पर एक से ज्यादा लेन होने से उतने ही समय में ज्यादा गाड़ियां आवाजाही कर सकती हैं। ब्रॉडबैंड हाइवे निर्माण से अगले तीन सालों के भीतर देशभर के ढाई लाख पंचायतों को इससे जोड़ा जाएगा और लोगों को सार्वजनिक सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी.

2. मोबाइल कनेक्टिविटी सभी के लिए - देशभर में तकरीबन सवा अरब की आबादी में मोबाइल फोन कनेक्शन की संख्या जून, 2014 तक करीब 80 करोड़ थी। शहरी इलाकों तक भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में अभी भी इसकी सुविधा मुहैया नहीं हो पाई है। हालांकि, बाजार में निजी कंपनियों के कारण इसकी सुविधा में पिछले एक दशक में काफी बढ़ोतरी हुई है। देश के 55,000 गांवों में अगले पांच वर्षों के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000 करोड़ के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का गठन किया गया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।

3. पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम- भविष्य में सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुंच बढ़ाई जाएगी। पोस्ट ऑफिस के लिए यह दीर्घावधि विजन वाला कार्यक्रम हो सकता है। इस प्रोग्राम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में बनाया जाएगा। नागरिकों तक सेवाएं मुहैया कराने के लिए यहां अनेक तरह की गतिविधियों को चलाया जाएगा।

4. ई-गवर्नेस- प्रौद्योगिकी के जरिए सरकार को सुधारना- सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग के ट्रांजेक्शंस में सुधार किया जाएगा। विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा, स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आइडी कार्डस आदि की जहां जरूरत पड़े, वहां इसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कार्यक्रम सेवाओं और मंचों के एकीकरण- यूआइडीएआइ (आधार), पेमेंट गेटवे (बिलों के भुगतान) आदि में मददगार साबित होगा। साथ ही सभी प्रकार के डाटाबेस और सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुहैया कराया जाएगा।

5. ई-क्रांति- सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी- इसमें अनेक बिंदुओं को फोकस किया गया है। इ-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) को मुफ्त वाइ-फाइ की सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम की योजना है। किसानों के लिए रीयल टाइम कीमत की सूचना, नकदी, कर्ज, राहत भुगतान, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल सलाह, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत मरीजों की सूचना से जुड़े एक्सचेंज की स्थापना करते हुए लोगों को इ-हेल्थकेयर की सुविधा देना। न्याय के क्षेत्र में इ-कोर्ट, इ-पुलिस, इ-जेल, इ-प्रॉसिक्यूशन की सुविधावित्तीय इंतजाम के तहत मोबाइल बैंकिंग, माइक्रो-एटीएम प्रोग्राम चलाया जाएगा।

6. सभी के लिए जानकारी- इस कार्यक्रम के तहत सूचना और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जाएगी। इसके लिए ओपन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाएगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेंगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सरकार सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय रहेगी। साथ ही, नागरिकों और सरकार के बीच दोतरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जाएगी।

7. इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी तमाम चीजों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इसके तहत नेट जीरो इंपोर्ट्सका लक्ष्य रखा गया है ताकि 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। इसके लिए आर्थिक नीतियों में संबंधित बदलाव भी किए जाएंगे। फैब-लेस डिजाइन, सेट टॉप बॉक्स, वीसेट, मोबाइल, उपभोक्ता और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट एनर्जी मीटर्स, स्मार्ट कार्डस, माइक्रो-एटीएम आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।

8. रोजगारपरक सूचना प्रौद्योगिकी - देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार से रोजगार के अधिकांश प्रारूपों में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसलिए इस प्रौद्योगिकी के अनुरूप कार्यबल तैयार करने को प्राथमिकता दी जाएगी। कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रमों को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाएगा। संचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियां ग्रामीण कार्यबल को उनकी अपनी जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित करेंगी। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आइटी से जुड़े जॉब्स के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। आइटी सेवाओं से जुड़े कारोबार के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए दूरसंचार विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
 9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स (शुरुआती कार्यक्रम के उपरांत) - डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचा बनाना होगा यानी इसकी पृष्ठभूमि तैयार करनी होगी। साथ ही, इसके लिए कुशल श्रम शक्ति की भी जरूरत पड़ेगी जिसे तैयार करना होगा।

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