1837 में जब चार्ल्स बेबेज ने जब कंप्यूटर
का इजाद किया होगा तब शायद यह नहीं अंदाज़ा लगाया होगा की उसी कंप्यूटर पर इंटरनेट
की मदद से पूरे विश्व में क्रांति लाई जा सकती है। सितम्बर 1969 में जब पहली बार इंटरनेट की मदद से एक
डेटा दूसरी जगह पंहुचा तो दुनिया को एक साथ जोड़ने का ख्वाब पूरा होता नज़र आया। इंटरनेट आने के बाद, पूरा विश्व एक घर के समान हो गया
है।इंटरनेट के जरिये हम पत्र व्यवहार, मैसेजिंग, ऑनलाइन कॉल, और यही नहीं आज आप विडियो कॉल कर सकतें
है। इस क्रांति से समय तो बचता ही है वहीँ लागत के हिसाब से भी यह वाजिब होता है। 90 के दशक में इंटरनेट ने तेज़ी से पैर
पसारने शुरु किए और एक नई दुनिया का उदय हुआ.
इंटरनेट व उसके प्रयोग
आज इन्टरनेट का नाम सभी जानते है, ये नाम हमारे लिए नया नहीं रह गया है!
आज ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है! इन्टरनेट से हमारा जीवन कितना सरल हो
गया है!
लेकिन सवाल ये उठता है कि इन्टरनेट
कहते किसे है?
सूचनाओ और दस्तावेजों के आदान-प्रदान
के लिए टी सी पी /आई पी प्रोटोकॉल का उपयोग कर के बनाया गया नेटवर्क जो वर्ल्ड
वाइड नेटवर्क के सिद्धांत पर कार्य करता है उसे इन्टरनेट कहते है! टी सी पी का अर्थ है ट्रांस्मिस्अन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल, आई पी का अर्थ है इन्टरनेट प्रोटोकॉल
इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से
है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि
किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर
सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के
लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट
प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।
इंटरनेट की सेवाएं
इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां
किया जा रहा है-
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)-
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर
नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व
संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा
सकता है। इसके द्वारा पत्र,
ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को
दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।
गोफर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है।
जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का
आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी
होती है।
वल्र्ड वाइड वेब (www)-
इसके
द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज
सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां
भी प्राप्त कर सकता है।
टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए
टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा
जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने
के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।
यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र
करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट
का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए
जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।
वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के
माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर
व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है।
इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।
आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल
(एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।
जिस तरह हर सिक्के के दो
पहलु होते है उसी तरह इन्टरनेट के भी है!
इसके कई फायदे और नुकसान भी है! अब ये
निर्भर करता है इसका उपयोग करने वाले पर की वो अपने अंदर के इंसान को जगाता है या
फिर शैतान को.................सबसे पहले हम इन्टरनेट से होने वाले फायदे के बारे
में बात करते है!
इन्टरनेट से फायदे:
कमुनिकेशन - इन्टरनेट के द्वारा हम
काफी दूर बैठे व्यक्ति से बिना किसी अतिरिक शुल्क के घंटो तक बात कर सकते है!
सूचनाओ के आदान प्रदान के लिए इ-मेल कर सकते है!
जानकारी - किसी भी तरह की जानकारी हम
सर्च इंजन के द्वारा कुछ पल में प्राप्त कर सकते है!
मनोरंजन - ये हमारी बोरियत खतम करने का
सबसे अच्छा माध्यम बनकर उभरा है! संगीत प्रेमियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, संगीत, गेम्स,फिल्म इत्यादि बिना किसी अतिरिक्त
शुल्क के डाऊनलोड कर सकते है!
सर्विसिंग – इन्टरनेट पर कई तरह की सुविधाए है जैसे
कि आनलाइन बैंकिंग, नौकरी खोज, रेलवे टिकट बुकिंग, होटल रिजर्वेशन इत्यादि सुविधायें घर
बैठे मिल जाती है!
इ-कामर्स- ये सुविधा बिसिनेस डील और
सूचनाओं के आदान-प्रदान से सम्बंधित है!
शोसल नेटवर्किंग साईट- आजकल इसका चलन
बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है! सेलिब्रिटीस तक इसका अपनी बातों को सभी तक पहुचने के
लिए जमकर उपयोग कर रहे है! इसके कई फायदे है! अलग अलग विचारों वाले दोस्त बनते है, जिनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है! ये
साईट काफी मात्रा में पठनीय सामग्री तक रखे हैं! आज ये अपनी बात दूसरों के सामने
रखने का सबसे अच्छा साधन बन रहा है!
इन्टरनेट से नुक्सान:
व्यक्तिगत जानकारी की चोरी- व्यक्तिगत
इन्फर्मेशन की चोरी के कई मामले सामने आये है जैसे की क्रेडिट कार्ड नम्बर, बैंक कार्ड नम्बर इत्यादि की चोरी!
इसका उपयोग देश की सुरक्ष्हा व्यवस्था को भेदने के लिए भी किया जाता है
स्पामिंग- ये अवांछनीय ई-मेल होती है
जिनका मकसद गोपनीय दस्तावेजों की चोरी करना होता है!
वायरस- इनका उपयोग कंप्यूटर की कार्य
प्रणाली को नुक्सान पहुचाने के लिए किया जाता है!
पोरोनोग्रफी- ये इन्टरनेट मे जहर की
तरह है! जिसमे कई लोग समाते चले जाते है! इस तरह की साईट पर ढेरो अश्लील सामग्री
रहती है,जिनको देखकर लोग बर्बादी की तरफ अग्रसर
हो रहे है और इस तरह का व्यपार चलाने वाले अच्छी आमदनी कर रहे है! ये हमारे समाज
में जहर की तरह घुल रहा है! बच्चे इसको देखकर बर्बाद हो रहे है जिससे वो कई तरह के
अपराध कर डालते है छोटी सी उम्र में ही जिसका परिणाम बेहद ही खतरनाक होता है! इसे
रोकने के लिए सख्त नियम बनने चाहिए!
पाइरेसी- इससे काफी नुकसान हो रहा है
आई.टी. जगत और फिल्म नगरी को! कोई भी सॉफ्टवेर या
मूवी हो इस पर बिना कोई कीमत दिए मुफ्त में मिल जाता है, तो फिर कोई पैसे क्यों लगाये, ये तभी रुक सकता है जब सरकारें ऐसी
वेबसाइटस पर ही पाबन्दी लगा दे अन्यथा ये कभी रुकने वाली नहीं है!
इन्टरनेट से अगर आप बन सकते है तो बिगड
भी सकते है जिस तरह एक सिक्के के दो पहलु होते है
उसी तरह इन्टरनेट के भी है इसलिए अच्छा वाला ग्रहण किया जाये और बुरा वाला त्याग
किया जाये, ये हमारे और हमारे देश दोनों के लिए
अच्छा है!
इंटरनेट का क्रमिक विकास
1969 ई.: अमेरिकी रक्षा विभाग के एडवांस्ड
रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (APRA) ने
सं.रा.अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके इंटरनेट 'अप्रानेट' (APRANET) की शुरुआत की। इसका विकास, शोध, शिक्षा और सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसका एक अन्य
उद्देश्य था आपात स्थिति में जबकि संपर्क के सभी साधन निष्क्रिय हो चुके हों, आपस में सम्पर्क स्थापित किया जा सके। 1971 तक एपीआरए नेट लगभग 2 दर्जन कम्प्यूटरों को जोड़ चुका था।
1972 ई.: इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल की
शुरुआत।
1973 ई.: ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/
इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) को डिजाइन किया गया। 1983 तक आते-आते यह इंटरनेट पर दो
कम्प्यूटरों के बीच संचार का माध्यम बन गया। इसमें से एक प्रोटोकॉल, एफ टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) की
सहायता से इंटरनेट प्रयोगकर्ता किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर
सकता है।
1983 ई.: अप्रानेट के मिलेट्री हिस्से को
मिलनेट (MILNET) में डाल दिया गया।
1986 ई.: यू. एस. नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) ने एनएसएफनेट (NSFNET) लाँच किया। यह पहला बड़े पैमाने का
नेटवर्क था, जिसमें इंटरनेट तकनीक का प्रयोग किया
गया था।
1988 ई.: फिनलैंड के जाक्र्को ओकेरीनेने ने
इंटरनेट चैटिंग का विकास किया।
1989 ई.: मैकगिल यूनीवर्सिटी, माँट्रियाल के पीटर ड्यूश ने प्रथम बार
इंटरनेट का इंडेक्स (अनुक्रमणिका) बनाने का प्रयास किया। थिंकिंग मशीन कार्पोरेशन
के ब्रिऊस्टर कहले ने एक अन्य इंडेक्सिंग सिक्सड, डब्ल्यू ए आई एस (वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सर्वर) का विकास किया।
सीईआरएन (यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पाटकल फिजिक्स) के बर्नर्स-ली ने इंटरनेट पर
सूचना के वितरण की एक नई तकनीक का विकास किया, जिसे
अंतत: वल्र्ड वाइड वेब कहा गया। यह वेब हाइपरटेक्स्ट पर आधारित है, जो कि किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को
इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डाक्यूमेंट को दूसरे से जोड़ता है। यह कार्य
हाइपरलिंक (विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफिक्स) के माध्यम से होता है।
1991 ई.: प्रथम यूज़र फ्रेंडली इंटरफेस, गोफर का मिन्नेसोटा यूनिवर्सिटी
(सं.रा. अमेरिका) में विकास। तब से गोफर सर्वाधिक विख्यात इंटरफेस बना हुआ है; एनएसएफनेट को कॉमॢशयल ट्रैफिक के लिए
खोला गया।
1993 ई.: 'नेशनल सेंटर ऑफ सुपरकम्प्यूटिंग एप्लीकेशंसÓ के मार्क एंड्रीसन ने मोजेइक नामक
नेवीगेटिंग सिस्टम का विकास किया। इस सॉफ्टवेयर के द्वारा इंटरनेट को मैगज़ीन
फॉर्मेट में पेश किया जाने लगा। इस सॉफ्टवेयर से टेक्स्ट और ग्राफिक्स इंटरनेट पर
उपलब्ध हो गए। आज भी यह वल्र्ड वाइड वेब के लिए मुख्य नेवीगेटिंग सिस्टम है।
1994 ई.: नेटस्केप कम्युनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने-अपने
ब्राउज़र बाजार में उतारे। इन ब्राउज़रों से प्रयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का
प्रयोग अत्यन्त आसान हो गया।
1995 ई.: प्रारंभिक व्यावसायिक साइट्स को
इंटरनेट पर लाँच किया गया। ई-मेल के द्वारा मास मार्केटिंग कैम्पेन चलाए जाने लगे।
1996 ई.: 1996 तक आते आते दुनिया भर में इंटरनेट को काफी लोकप्रियता हासिल हो गई।
इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या 4.5
करोड़ पहुँची।
1999 ई.: ई-कॉमर्स की अवधारणा अत्यन्त तेजी
से फैली, जिससे इंटरनेट के द्वारा खरीद-फरोख्त
लोकप्रिय हो गई।
2003 ई.: न्यूजीलैण्ड में 'नियूइ' (NIUE) ने इंटरनेट में देशव्यापी 'वायरलेस
एक्सेस' प्रणाली का प्रयोग आरंभ किया (इसमें
ङ्खद्ब-स्नद्ब तकनीक का प्रयोग किया जाता है)।
इंटरनेट से संबधित शब्दावली
प्रोटोकॉल- यह एक ऐसी मानक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर नेटवर्क में अंकीय संचार किया जाता है।
ब्राउजर- यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से यूजर सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए इंटरनेट में प्रवेश करता है।
वेब सर्वर- यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के लिए यूजर द्वारा दिए गए अनुरोध को पूरा करता है।
नेटवर्क- कई सिस्टमों को एक साथ जोड़कर बनाए गए संजाल को नेटवर्क क हते हैं। इसके द्वारा एक साथ कई जगहों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।
आन-लाइन- जब यूजर इंटरनेट पर जान-करियों व सेवाओं का अध्ययन करता है। तब कहा जाता है कि यूजर ऑन लाइन है।
होम पेज- यह किसी भी साइट का शुरूआती प्रदर्शित पेज है। जिसमें सूचनाएं हाईपरलिंक द्वारा जोड़ी जाती है।
ऑफ लाइन- इसमें यूजर इंटरनेट में मौजूद सूचनाओं को अपने अपने सिस्टम में संग्रहित कर इंटरनेट संपर्क काट देता है।
हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेंज (एचटीएमएल)- इसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। शुरूआत में इसका प्रयोग वेब पेज डिजाइन करने में किया जाता था।
हाइपर टेक्स्ट ट्रॉसंफर प्रोटोकॉल- इसका प्रयोग एचटीएमएल में संगृहित दस्तावेजों व दूसरे वेब संसाधनों कों स्थानांतरित करने में किया जाता है।
टीसीपी/आईपी- इसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान में किया जाता है।
यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर(यूआरएल)- इसका प्रयोग वेब पर किसी विशेष सूचना को संचालित करने में किया जाता है।
वेब पेज- होम पेज पर बने हाइपर लिंक पर क्लिक करने पर जो पेज हमारे सामने प्रस्तुत होता है, उसे वेब पेज कहते हैं।
वेबसाइट- वेब पेजों के समूहों को वेबसाइट कहते हैं। जिसमें आडियो, वीडियों, इमेजेस का समावेश होता है।
हाइपर लिंक- वेब पेज में मौजूद वे विशेष शब्द या चित्र जिस पर क्लिक करने पर उस शब्द या चित्र से सम्बंधित एक अलग वेब पेज पर आ जाती है। उसे वेब पेज को हाइपर लिंक कहते है।
डाउनलोड- इंटरनेट या किसी अन्य कंम्प्यूटर से प्राप्त सूचनाओं को अपने कम्प्यूटर में एकत्रित करना डाउनलोड कहलाता है।
अपलोड- अपने कम्प्यूटर से किसी अन्य कम्प्यूटर में सूचनाएं भेजना अपलोड कहलाता है। जैसे ई-मेल भेजना।
सर्वर- वह कम्प्यूटर जो इंटरनेट प्रयोग करने वाले सिस्टम को सूचनाएं प्रदान करने की क्षमताएं रखता है, सर्वर कहलाता है।
सर्फिंग- इंटरनेट के नेटवर्कों में अहम सूनचाओं को खोजने का काम सर्फिंग कहलाता है।
इंटरनेट एड्रेस- इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है। इंटरनेट से जुड़े हर कम्प्यूटर का एक अलग डोमेन होता है। जिसे डोमेन नेम सिस्टम कहते हैं। जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है।
1.जेनेरिक डोमेन
2.कंट्री डोमेन
3.इनवर्स डोमेन
इन्टरनेट कनेक्शन के प्रकार
१. अनालोग/ डायल उप
२. आई एस डी एन
३. बी आई एस डी एन
४. डी एस एल
५. केबल
६. वायरलेस इन्टरनेट कनेक्शन/ ब्रोड्बैंड
७. टी १ लाइन
८. टी ३ लाइन
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