जीवन
में आगे बढ़ने हेतु व्यक्ति निरंतर प्रयासरत रहता है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं
होता। इसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को निरंतर मेहनत करनी ही होती है। किसी
मुकाम पर पहुंचने के लिए व्यक्ति को अपनी मंजिल का भी पता होना चाहिए। इसके बगैर
किया गया प्रयास व्यक्ति को असफलता की ओर ही ले जाता है।
सफलता के मँत्र
जीवन में हर काम सोच-समझकर अपनी क्षमता के अनुसार ही चुनें और उसे पूर्ण करके ही दम लें, चाहे वह कितना ही मुश्किल क्यों ना हों।
जीवन में हर काम सोच-समझकर अपनी क्षमता के अनुसार ही चुनें और उसे पूर्ण करके ही दम लें, चाहे वह कितना ही मुश्किल क्यों ना हों।
नींद, आलस, टाइमपास जैसी आदतों को त्यागकर ही अपने
लक्ष्य की ओर कदम उठाएं। बहानेबाजी या टालते रहने की प्रवृति इंसार को कामचोर
बनाती है।
समस्या
का समाधान करें, घबराकर
उनसे भागने की कोशिष ना करें। असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। आप निरंतर
प्रयास करते रहें।
ऐसे बढ़ेंगे सफलता की ओर कदम...
1.कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
10. ईश्वर पर पुरा भरोसा रखो..!
11. प्रार्थना करना कभीमत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!
14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?
19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछकरते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है
21.आप जो भी कार्य करते हैं उससे प्यार करना सीखें और उस
कार्य को और भी बेहतर ढंग से करने की कोशिश करें।
22.ऐसे व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए जो नकारात्मक सोच वाले
हो तथा जो दूसरे के बारे में कमी निकालते हो।
23.यह याद रखना चाहिए कि भगवान जो करता है वह अच्छा करता
है।
24.दूसरे व्यक्तियों को सफलता पाने पर प्रोत्साहित करने की
आदत डालें।
25.सभी मनुष्यों को हमेशा सकारात्मक भाषा का प्रयोग करना
चाहिए तथा अच्छा बोलने की कोशिश करनी चाहिए और सकारात्मक लिखने की आदत डालनी
चाहिए।
26.किसी दूसरे व्यक्तियों के विचारों में रुचि लेनी चाहिए
तथा उनके दृष्टिकोण तथा नियमों का स्वागत करना चाहिए।
27.अपने आपको दूसरों की परिस्थिति में रखकर निर्णय लेने का
प्रयत्न करना चाहिए।
28.हमेशा आशावाद बनना चाहिए।
29.अपने अन्दर के दोषों को निकालकर उसे ठीक करना चाहिए। कभी
भी दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए।
30.छोटी-छोटी बातों को नज़र अन्दाज कर देना चाहिए।
31.यदि किसी कार्य को करने में कोई रुकावट आ रही हो तो उसके
समाधान के लिए दूसरे रास्ते खोजें या नये रास्ते तैयार करें।
32.असफलता ही सफलता की सीढ़ी होती है, जिस प्रकार बच्चा
बार-बार गिरकर चलना सीखता है, ठीक उसी प्रकार से जब
कोई व्यक्ति असफल होता है तो वह अपनी कमियों को ढूंढकर उसे दूर करके ही सफल हो
पाता है।
33. क्रोध, गुस्सा, तथा
लड़ाई झगड़ा से दूर रहें। हमेशा
शांत तथा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
34. सफलता पाने के लिए समय का महत्व समझें। उसका एक-एक पल
उपयोग में लाएं। एक से अधिक लक्ष्य होने पर प्राथमिकता के अनुसार उन्हें निश्चित करें और निष्ठा व लगनपूर्वक
हर लक्ष्य की ओर बढें ताकि सफलता मिले।
35. अच्छा समय आपके मूड के कारण रूकता नहीं है और इस प्रकार अच्छा अवसर मुठी
से रेत की तरह फिसल जाता है। इसके बाद
रह जाता है केवल पछतावा।
36. हमेशा सकारात्मक विचारधारा अपनाएं, आशावादी बनें, क्योंकि निराशावादी विचारधारा ही इंसान को कुंठित कर असफलता की ओर धकेलती जाती है।
37. ऎसे लोगों से अपना सम्बन्ध बनायें, जो आपकी तहर महत्वाकांक्षी व परिश्रमी हों तथा सच्चे व दृढ इच्छाशक्ति वाले हों। निराश व्यक्ति का साथ निराशा ही देगा। निराशा सफलता की दुश्मन है।
38. किसी काम में असफल होने पर भाग्य को दोषी ना मानकर पूरी शक्ति व निष्ठा के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जांए।
36. हमेशा सकारात्मक विचारधारा अपनाएं, आशावादी बनें, क्योंकि निराशावादी विचारधारा ही इंसान को कुंठित कर असफलता की ओर धकेलती जाती है।
37. ऎसे लोगों से अपना सम्बन्ध बनायें, जो आपकी तहर महत्वाकांक्षी व परिश्रमी हों तथा सच्चे व दृढ इच्छाशक्ति वाले हों। निराश व्यक्ति का साथ निराशा ही देगा। निराशा सफलता की दुश्मन है।
38. किसी काम में असफल होने पर भाग्य को दोषी ना मानकर पूरी शक्ति व निष्ठा के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जांए।
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