यदि मनुष्य प्राकृतिक नियमों के अनुसार अपना जीवन
यापन करता है तो उसे किसी भी प्रकार के रोग नहीं हो सकते हैं। यह भी सत्य है कि
स्वास्थ्य इस संसार में सबसे बड़ा धन होता है। इसे किसी भी कीमत पर कहीं से भी
खरीदा नहीं जा सकता है। अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा धर्म होता है। यदि हम अपने
शरीर को स्वस्थ रखते हैं तो हमें सच्चे आनन्द की प्राप्ति होती है।
स्वस्थ रहने के लिए खानपान के कुछ नियमों का पालन
करना बहुत ही आवश्यक है। इन नियमों का पालन करके ही व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। जब
कोई व्यक्ति खानपान के नियमों के विपरीत भोजन का सेवन करता है तो उसके शरीर में कई
प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण रोगी का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन
गिरने लगता है। अत: सभी व्यक्तियों को भोजन संबन्धी नियमों का पालन करना चाहिए।
भोजन संबन्धी कुछ नियम :-
1 सभी व्यक्तियों को भोजन अपनी भूख से कम ही करना
चाहिए। भोजन को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए और हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। इस
प्रकार का भोजन करने से रोगी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
2 व्यक्तियों को वही भोजन सेवन करना चाहिए जो
औषधि के सामान होता है अर्थात वही भोजन करना चाहिए जो शुद्ध हो। कभी भी ऐसा भोजन
नहीं करना चाहिए जो दूषित हो तथा शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला हो।
3 व्यक्तियों को खाना ऐसा खाना चाहिए जिससे शरीर
को लाभ मिलता हो तथा पानी वह पीना चाहिए जो शरीर को निरोगी कर दें।
4 जब तक नवजात शिशु 1 साल
का न हो जाए तब तक माता नियमित रूप से स्तनपान अवश्य कराती रहें तथा तब तक अपने
आहार का विशेष ध्यान रखें जो सात्विक एवं पौष्टिक हो।
आहार : हमें
अपनी रुचि, पाचन क्षमता और आर्थिक स्थिति के अनुसार भोजन
करना चाहिए। हमें अपने भोजन में सभी प्रकार के तत्वों को शामिल करना चाहिए।
भोजन संबन्धी 12 महीने के नियमों
को अपनाने से व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं पड़ता है क्योंकि 12
महीने में कभी ठंड का मौसम होता है तो कभी गर्मी का तो कभी बरसात का मौसम। जब कोई
व्यक्ति ठंड के मौसम में अधिक ठंडी चीजों का सेवन करता है तो उसे कई सारे रोग
जैसे-सर्दी तथा जुकाम आदि हो जाते हैं। यदि व्यक्ति गर्मी के मौसम में अधिक गर्म
चीजों का उपयोग करता है तो उसे दस्त, उल्टी आदि रोग हो जाते
हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि मनुष्य 12 महीने में भोजन
संबन्धी परहेज करके कई प्रकार के रोगों से बच सकता है।
भोजन संबन्धी बाहर महीने के नियम :-
चैत्र (मार्च-अप्रैल)- चैत्र के महीने में गुड़ का
सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। नीम की 4-5 कोमल पत्तियों को सुबह के समय में चेत्र के महीने में चबाने से बहुत अधिक
लाभ मिलता है और कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
वैशाख (अप्रैल-मई)- इस महीने में तेल का बहुत कम
उपयोग करना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से शरीर में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं।
इस महीने में बेल का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
ज्येष्ठ (मई-जून)- इस महीने में बहुत अधिक गर्मी
होती है इसलिए दोपहर के समय में कुछ घंटे सोना चाहिए। इस महीने में बासी भोजन का
सेवन न करें क्योंकि ऐसा करने से शरीर में बहुत से रोग हो सकते हैं।
आषाढ़ (जून-जुलाई) - इस महीने में सभी व्यक्तियों को
व्यायाम तथा खेल-कुछ करना चाहिए जिससे बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस महीने में बेल
का सेवन नहीं करना चाहिए।
श्रावण (जुलाई-अगस्त)- इस महीने में हरी
साग-सब्जियों तथा दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। हरड़ का सेवन इस महीने में लाभदायक
होता है।
भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर)- इस महीने में चीता औषधि
का सेवन करना चाहिए।
आश्विन (सितम्बर-अक्तूबर)- इस महीने में गुड़ का
सेवन करना लाभदायक होता है लेकिन इस महीने में करेले का सेवन हानिकारक होता है।
कार्तिक (अक्तूबर-नवम्बर)- इस महीने में मटठा पीना
हानिकारक होता है। मूली का सेवन इस महीने में लाभदायक होता है।
अगहन:( नवम्बर-दिसम्बर)- इस महीने में व्यायाम करना
लाभदायक होता है। इस महीने में अधिक ठंडी तथा गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
पौष (दिसम्बर-जनवरी)- इस महीने में दूध पीना
लाभदायक होता है लेकिन इस महीने में धनिये का सेवन नहीं करना चाहिए।
माघ (जनवरी-फरवरी)- इस महीने में घी का सेवन लाभदयक
होता है। मिश्री का सेवन इस महीने में नहीं करना चाहिए।
फाल्गुन (फरवरी-मार्च)- इस महीने में सुबह के समय
में स्नान करना लाभदायक होता है। चने का सेवन इस महीने में हानिकारक होता है।
जानकारी-
सभी व्यक्तियों को अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए
प्रत्येक महीने में प्रतिदिन सुबह के समय में व्यायाम करना चाहिए तथा दिन में कुछ
समय सोना चाहिए। रात के समय में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऐेसे खाद्य पदार्थ जिन्हें हम एक साथ
नहीं खा सकते
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका आपस में कोई तालमेल
नहीं,
तारतम्य नहीं। जिनको खाने से कोई न कोई रोग, रिएक्शन
या आपदा आ सकती है। यह जान लेने के बाद तो भूल करनी ही नहीं चाहिए। आईए। ऐसे
बेमेलस विभिन्न पदार्थों को जानें।
1 यदि कोई खिचड़ी खाते समय, साथ
ही खीरा भी खा लेगा तो उसे पेट दर्द हो जाना आम बात है।
2 आपको चाय पीनी है तो पीजिए। दूध पीना है तो
जरूर पियें। मगर इनसे तुरंत पहले या तुरंत बाद में ठंडी लस्सी या ठंडा पानी न
पियें।
3 यदि कोई व्यक्ति अंगूर खा रहा हो तो उसे इसके
साथ किसी भी रूप में शहद नहीं सेवन करना चाहिए। वरना पेट दर्द करेगा।
4 आप जान कर चकित होंगे कि दूध और शराब एक साथ
लेने से मौत भी हो सकती है। भला फिर क्यों करनी चाहिये ऐसी गलती?
5 कभी भी
चावल खाते वक्त, सिरके का सेवन न करें। यदि ऐसी गलती करेंगे
तो पेट विकार हो जाएंगे।
6 शहद और घी की समान मात्रा एक साथ खाना बड़ा
दुखदायी हो सकता है। इससे ‘फालिस’ रोग
होने की सम्भावना रहती है।
7 खरबूजा खा रहे हैं तो दही की कटोरी पास न फटकने
दें। एक साथ दोनों का सेवन पेट में दर्द कर देता है।
8 यदि आप
कालिक पेन से बचे रहना चाहते हैं तो भूल कर भी पनीर तथा दही एक साथ नहीं खाएं।
9 शहद के साथ खरबूजा खाने की मनाही है। मूली भी
शहद के साथ नहीं।
10 यदि आपने लहसुन खाया है या प्याज, फिर दूध नहीं पियें।
11 अरहर की दाल खाई हो तो दूध पीना गड़बड़ी कर
देगा।
12 कहते हैं मछली खाने का बाद गन्ने का रस,
या फिर दूध पीना अथवा शहद खाना… तीनों
अवस्थाएं बड़ी ही खतरनाक होती हैं। इससे त्वचा रोग या फिर कोढ़ हो सकता है।
13 यदि दही खाया हो तो इसके तुरंत बाद, या दही के साथ अंडा अथवा इमली का सेवन कई प्रकार की परेशानी कर सकता है।
14 खटाई खाने के तुरंत बाद शर्बत नहीं पीना चाहिए
लस्सी भी नहीं। पेट से जुड़ा कोई रोग हो जाएगा।
15 केले के साथ लस्सी अथवा दही खाना हैजा रोग भी
कर सकता है।
16 घी
तथा तेल को मिलाकर नहीं खाना चाहिये।
excellent
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