7/25/14

कैसे करें व्यक्तित्व का विकास?

सफलता की कुंजी है व्यक्तित्व विकास
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति की सोच, अनुभूति एवं व्यवहार का आईना होता है। कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व से ही  पहचाना और दूसरे व्यक्तियों से अलग किया जाता है। कार्य करने के ढंग, विभिन्न परिस्थितियों में अभिक्रिया करने के तरीके, शारीरिक हाव-भाव आदि से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व  का पता चलता है। अपने व्यक्तित्व की वजह से ही कोई व्यक्ति महान बनता है तो कोई सामान्य: कोई व्यक्ति विख्यात होता है तो कोई कुख्यात।आप अपने व्यक्तित्व  को जिस सांचे में ढालने की कोशिश करेंगे वह वैसा ही आकार लेगा।
सफलता एक ऐसा शब्द है, जो हर कोई प्राप्त करना चाहता है, लेकिन उसे कैसे प्राप्त किया जाए, यह बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल जो लोग सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें यह पता नहीं होता कि व्यक्तित्व के विकास में ही ऐसी बहुत सारी खूबियां छुपी होती हैं, जिन्हें सुधार लेने मात्र से ही आप कई सारी असफलताओं को सफलता में बदल सकते हैं।
व्यक्तित्व को कैसे निखारा जाए, यह जानने से पूर्व यहां यह जान लेना उचित होगा कि व्यक्तित्व होता क्या है। व्यक्तित्व व्यक्ति की उस सम्पूर्ण छवि का नाम होता है, जो वह दूसरों के सामने बनाता है।     
यदि आपकी छवि सकारात्मक होती है तो आप दूसरे के सामने प्रशंसा के पात्र बन जाते हैं। दूसरी तरफ यदि आपकी छवि नकारात्मक होती है तो आप अपमान के पात्र बन सकते हैं। किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उस व्यक्ति के केवल एक गुण के कारण नहीं बनता, बल्कि इसमें उस व्यक्ति की सम्पूर्ण छवियां जैसे- ज्ञान, अभिव्यक्ति, सहनशीलता, गंभीरता, प्रस्तुतीकरण आदि विद्यमान होती हैं, जिससे वह सर्वगुण संपन्न और परिपूर्ण बनता है। व्यक्तित्व भी ऐसे ही कई गुणों के समन्वय से बनता है, जिसके विभिन्न पहलू निम्नानुसार हैं-
सदैव अपने और दूसरों के बारे में सकारात्मक सोच रखें
सकारात्मक सोच के बारे में सदैव ये बात कही जाती है, ‘जो आप सोचते हैं, वही बोलते हैं। और जो आप बोलते हैं, वही आप करते हैं।मतलब यदि आप सदैव उच्च और सकारात्मक विचार रखेंगे तो हमेशा सृजनात्मक कार्य करेंगे, जिससे न सिर्फ आपको मानसिक संतुष्टि हासिल होगी, अपितु  इससे आपके भीतर एक तरह का आत्मसम्मान भी पैदा होगा।
एक अच्छा श्रोता और वक्ता बनें
भगवान ने यदि हमें दो कान और एक मुंह दिया है तो उसका  मतलब यह है कि हम कम बोलें और ज्यादा सुनें। अमिताभ बच्चान की सफलता का राज यही है कि वे अपने किसी भी कार्यक्रम में बोलते कम और सुनते ज्यादा हैं। इससे आपकी पहचान एक गंभीर और विचारवान व्यक्ति के रूप में बनती है। दूसरी तरफ जब आप अधिक से अधिक लोगों के विचार सुनते हैं तो आपके पास बहुत-सी ऐसी सामग्री का संग्रह हो जाता है, जो आपके ज्ञान और समझ को परिमार्जित करता है।
ज्ञान का विस्तार करें
हम अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में ऐसे हजारों लोगों से मिलते हैं, जो आपके सामने अवसरों का खजाना खोल सकते हैं, बशर्ते कि आप उन्हें अपनी खूबियों को बताने में सक्षम हों। उदाहरण के लिए जब आप किसी व्यक्ति अथवा समूह से मिलते हैं तो उनसे बात करते समय यदि आप ऐसी छाप छोड़ते हंै, जो उन्हें प्रभावित करती हो तो आप उनके काम के व्यक्ति हो सकते हैं, क्योंकि आज की प्रोफेशनल जिन्दगी चापलूसी से नहीं, बल्कि उपलब्धियों से चलती है और कोई भी उपलब्धि बिना ज्ञान के संभव नहीं हो सकती। 
अपना आकलन स्वयं करें
मैनेजमेंट में एक सिद्धांत है, जिसे स्वॉट’  एनालिसिस के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार अक्सर वे लोग बाजार में अथवा अपने कार्यो  में असफल होते हैंजिन्होंने अपना आकलन नहीं किया हुआ होता और उन्हें अपनी शक्ति का एहसास नहीं होता। स्वॉट का पूरा मतलब यह हुआ कि जो व्यक्ति अपनी ताकत को पहचान कर, अपनी कमजोरियों को सुधार कर, अपने सामने आए किसी भी अवसर को नहीं छोड़ता, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
अपने कर्तव्यों और सिद्धांतों के प्रति अडिग रहें
जानते हैं अब्राहम लिंकन की सफलता के पीछे सबसे बड़ा राज क्या था? वह  था अपने कर्तव्यों और सिद्धांतों से कभी समझौता न करना। वे कई बार बीमार पड़े और जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही 27 बार विभिन्न चुनावों में पराजय का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अंतत: एक दिन वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने।
शारीरिक भाषा पर ध्यान दे
व्यक्ति की शारीरिक भाषा उसके व्यक्तित्व के विषय में बहुत कुछ बयां कर देती है। आपको हमेशा कमर सीधी रखते हुए चलना चाहिए और बैठते समय उचित मुद्रा का ध्यान देना चाहिए। एक मृदु मुस्कान के साथ उचित अभिव्यक्ति आपके व्यक्तित्व को चार चांद लगा सकती है। बातचीत के दौरान आप को हंसमुख और आत्मविश्वास से लबरेज लगना चाहिए। साथ ही, एकाग्र एवं दत्तचित रहना भी जरूरी होता है। साक्षत्कार की प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार को अपनी शारीरिक गतिविधियों (जैसे हाथ-पैर हिलाना आदि)को जितना संभव हो सके, कम कर लेना चाहिए। हाथों को इधर-उधर हिलाना, पलकों को जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे करना और अजीब तरह से मुंह बनाना आदि गतिविधियां साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति के मन पर अनावश्यक रूप से गलत प्रभाव डालती हैं। इसी प्रकार की कुछ अन्य गतिधियां भी हैं, जिन पर विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की जरूरत है, जैसे दरवाजा खोलते अथवा बंद करते समय अनावश्यक आवाज करना या कुर्सी को खींचते समय चीखने जैसी आवाज उत्पन्न होना। इस प्रकार की गतिविधियों से साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति पर न केवल विपरीत प्रभाव पड़ता है,बल्कि वह चिड़चिड़ापन भी महसूस करता है और उम्मीदवार के प्रति उदासीन हो सकता है।
किसी से बात करते समय और साक्षात्कार के दौरान निम्लिखित बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
 संयमित लहजे में स्पष्ट रूप से अपनी बात कहें, आवश्यकतानुसार लहजे में परिवर्तन करें तथा एकरसता से बचें।
 बोलने से पहले थोड़ा विराम लें, एकदम बोलने से गलतियों होने की संभावना रहती है।
 सामान्य से थोड़ा धीमी आवाज में बात करें।
 बहुत ऊंचा अथवा बहुत धीमा न बोलें।
 किसी भी बिंदु पर असहमति की स्थिति में उत्तेजित न हों।
बोलते समय अपने हाथ,मुंह पर न रखें।
 बोलते समय अपनी आवाज के तारत्व का ध्यान रखें (अधिक तारत्व वाली आवाज कर्ण कटु मानी जाती है)।
आपकी आवाज में उत्साह और उत्सुकता झलकनी चाहिए।आगे की ओर झुकना,हाथ खुले रखना ,स्वीकृति में सिर को थोड़ा झुकाना आदि क्रियाएं जिम्मेदारी या उत्सुकतो को दर्शाती हैं।

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