नए वर्ष में
नए वर्ष का स्वागत आप
इतने उत्साह और शोर-शराबे के साथ हर बार इसलिए करते हैं कि आपके दिल में कुछ पाने
की उम्मीद रहती है। वे खुशियां जिनकी अपने कामना और कोशिश की पर वे न मिलीं। नया
साल शुरू होते ही वे सभी अधूरे ख्वाब पूरा करने की तमन्ना प्रबल हो जाती है। ऐसा
लगता है मानो जीवन ने आपको एक और मौका दिया है खुशियों को अपने पक्ष में करने
का।
आप इस नए वर्ष के पहले दिन पीछे मुड़कर देखना चाहते हैं कि आखिर आपसे किस-किस क्षेत्र में चूक हुई है जिसके कारण आप मंजिल से दूर रह गए। अपने स्मृति पटल पर जोर देने पर आपको अहसास होता है कि निहायत मामूली सी कमियों व कोताहियों के कारण आप वह हासिल नहीं कर सके जिसकी आपको चाह थी।
जब आप अपनी डायरी उठाकर देखते हैं तो पाते हैं कि ज्यादातर दुखों व कष्टों का जिम्मेदार कोई और नहीं, आप खुद ही थे। शक व संशय से किसी को तकलीफ या मजा चखाने जैसे विचार और प्रवृत्ति के कारण ही आपका मन ज्यादा विचलित व बेचैन हुआ था। अपनों पर भरोसा न कर किसी दुष्ट के बहकावे में आकर अपना सुख-चैन गंवाने का नतीजा हमेशा बुरा ही निकला। इस कारण न तो आपको शांति मिली और न ही स्वास्थ्य लाभ। आपकी मूल चाहत थी खुशी।
इन सारे विश्लेषणों के बाद आपके संकल्प की सूई अब कहां जाकर रुकनी चाहिए? जी हां, खुशी के लिए संकल्प का पहला सबक यही बनता है कि अपनों पर भरोसा किया जाए। अपने बच्चे, माता-पिता, साथी, दोस्त, रिश्ते, नातेदार पर भरोसा करना सीखें, न कि उन गैर चुगलखोरों की सुनें जो आपका सुकून चुराने में माहिर हैं। किसी अपने से कोई भूल हो गई है तो उसे जीवन भर का सच न मान लें। दोस्तनुमा दुश्मन के बहकावे में आकर अपनों पर निरंतर शक करने से आप उन्हें फिर गलत करने के लिए उकसाते हैं।
कुछ कारगर संकल्प इस प्रकार करें:
- बीते समय की चीर-फाड़ कर समय बर्बाद करने के बजाय भविष्य को सुधारने के बारे में आप विचार करेंगे।
- हर किसी को माफ कर देंगे ।
- बदला लेने के लिए कोई कितना भी उकसाए, ऐसा नहीं करेंगे।
- ज्यादा भावुक हुए बिना ही जिनसे प्यार है उनका साथ देंगे।
- यथार्थ व तर्क को अहमियत देते हुए भी दिल की भी सुनेंगे।
- कोशिश करें कि छोटे-मोटे अरमान पूरे करते चलें ताकि जीने का मजा मिलता रहे।
- ज्योतिष विद्या से मिली सूचनाओं पर केवल अच्छे पहलुओं पर यकीन करें और चिंता वाली बातों को झूठा मानें ताकि गंडे-तावीज के चक्कर में आपकी जेब खाली न हो।
- इंटरनेट, फेसबुक व फोन पर पूरी तरह निर्भर नहीं होकर रूबरू होकर संवाद का मजा लें।
- अपने चाहनेवालों के सीधे संपर्क में रहें ताकि हौसला बना रहे।
- नैतिकता का वही पैमाना अपने लिए भी तय करें जो दूसरों के लिए रखें।
- अपने जलनशील स्वभाव के कारण दूसरों का सुख चैन न लूटें।
- अपने को खाने-पीने से वंचित कर त्याग व बलिदान करने जैसी कसम या संकल्प न लें, यह मूलतः अपनों को प्यार नहीं सजा देने के लिए होता है।
- किसी भी प्रकार की अति से बचने की कोशिश करें।
- बार-बार अपना मन न बदलें, एक विचार पर टिककर रहें ताकि स्थिरता रहे।
मजे की बात यह है कि ज्यादातर संकल्प आप हर बार करते हैं और वे पहले ही दिन से टूटने लगते हैं। नहीं पीने या संतुलित खाने के संकल्प, आप यह कहकर तोड़ देते हैं कि अब आज तो नया वर्ष शुरू हुआ है, आज तो जश्न का दिन है, क्या सोचना। कल से देखा जाएगा और वह कल कभी नहीं आता। इसलिए कोई सख्त इरादा करना फायदेमंद नहीं होता है। केवल मोटी-मोटी बातों की गांठ अपने जीवन में बांध लेने भर से ही जीवन की नैय्या पार लग सकती है। खुद को खुश रखना। खुशी के लिए जरूरी है कि अपनी सेहत पर ध्यान दें। दूसरों का बुरा चाहने वालों की सेहत अमूमन थोड़ी नाजुक रहती है।
किसी भी घटना या बात को बहुत ज्यादा तूल न दें। खुशी हो या गम, संयम रखें और अति उत्तेजित न हों। सामाजिक मामला हो या पारीवारिक बहुत अधिक भावना में बहकर माहौल को खराब न करें। किसी पर हाथ उठाना या अपशब्द बोलना आपको अपरिपक्व साबित करता है। अपनी मस्ती, अपनी खुशी, अपनी सफलता का पैमाना खुद तय करें। जीवन के हर क्षेत्र में आपका लक्ष्य आपका अपना होना चाहिए न कि दूसरे क्या चाहते हैं। लालच से थोड़ा बचकर चलना ही सुकून देता है।
आप इस नए वर्ष के पहले दिन पीछे मुड़कर देखना चाहते हैं कि आखिर आपसे किस-किस क्षेत्र में चूक हुई है जिसके कारण आप मंजिल से दूर रह गए। अपने स्मृति पटल पर जोर देने पर आपको अहसास होता है कि निहायत मामूली सी कमियों व कोताहियों के कारण आप वह हासिल नहीं कर सके जिसकी आपको चाह थी।
जब आप अपनी डायरी उठाकर देखते हैं तो पाते हैं कि ज्यादातर दुखों व कष्टों का जिम्मेदार कोई और नहीं, आप खुद ही थे। शक व संशय से किसी को तकलीफ या मजा चखाने जैसे विचार और प्रवृत्ति के कारण ही आपका मन ज्यादा विचलित व बेचैन हुआ था। अपनों पर भरोसा न कर किसी दुष्ट के बहकावे में आकर अपना सुख-चैन गंवाने का नतीजा हमेशा बुरा ही निकला। इस कारण न तो आपको शांति मिली और न ही स्वास्थ्य लाभ। आपकी मूल चाहत थी खुशी।
इन सारे विश्लेषणों के बाद आपके संकल्प की सूई अब कहां जाकर रुकनी चाहिए? जी हां, खुशी के लिए संकल्प का पहला सबक यही बनता है कि अपनों पर भरोसा किया जाए। अपने बच्चे, माता-पिता, साथी, दोस्त, रिश्ते, नातेदार पर भरोसा करना सीखें, न कि उन गैर चुगलखोरों की सुनें जो आपका सुकून चुराने में माहिर हैं। किसी अपने से कोई भूल हो गई है तो उसे जीवन भर का सच न मान लें। दोस्तनुमा दुश्मन के बहकावे में आकर अपनों पर निरंतर शक करने से आप उन्हें फिर गलत करने के लिए उकसाते हैं।
कुछ कारगर संकल्प इस प्रकार करें:
- बीते समय की चीर-फाड़ कर समय बर्बाद करने के बजाय भविष्य को सुधारने के बारे में आप विचार करेंगे।
- हर किसी को माफ कर देंगे ।
- बदला लेने के लिए कोई कितना भी उकसाए, ऐसा नहीं करेंगे।
- ज्यादा भावुक हुए बिना ही जिनसे प्यार है उनका साथ देंगे।
- यथार्थ व तर्क को अहमियत देते हुए भी दिल की भी सुनेंगे।
- कोशिश करें कि छोटे-मोटे अरमान पूरे करते चलें ताकि जीने का मजा मिलता रहे।
- ज्योतिष विद्या से मिली सूचनाओं पर केवल अच्छे पहलुओं पर यकीन करें और चिंता वाली बातों को झूठा मानें ताकि गंडे-तावीज के चक्कर में आपकी जेब खाली न हो।
- इंटरनेट, फेसबुक व फोन पर पूरी तरह निर्भर नहीं होकर रूबरू होकर संवाद का मजा लें।
- अपने चाहनेवालों के सीधे संपर्क में रहें ताकि हौसला बना रहे।
- नैतिकता का वही पैमाना अपने लिए भी तय करें जो दूसरों के लिए रखें।
- अपने जलनशील स्वभाव के कारण दूसरों का सुख चैन न लूटें।
- अपने को खाने-पीने से वंचित कर त्याग व बलिदान करने जैसी कसम या संकल्प न लें, यह मूलतः अपनों को प्यार नहीं सजा देने के लिए होता है।
- किसी भी प्रकार की अति से बचने की कोशिश करें।
- बार-बार अपना मन न बदलें, एक विचार पर टिककर रहें ताकि स्थिरता रहे।
मजे की बात यह है कि ज्यादातर संकल्प आप हर बार करते हैं और वे पहले ही दिन से टूटने लगते हैं। नहीं पीने या संतुलित खाने के संकल्प, आप यह कहकर तोड़ देते हैं कि अब आज तो नया वर्ष शुरू हुआ है, आज तो जश्न का दिन है, क्या सोचना। कल से देखा जाएगा और वह कल कभी नहीं आता। इसलिए कोई सख्त इरादा करना फायदेमंद नहीं होता है। केवल मोटी-मोटी बातों की गांठ अपने जीवन में बांध लेने भर से ही जीवन की नैय्या पार लग सकती है। खुद को खुश रखना। खुशी के लिए जरूरी है कि अपनी सेहत पर ध्यान दें। दूसरों का बुरा चाहने वालों की सेहत अमूमन थोड़ी नाजुक रहती है।
किसी भी घटना या बात को बहुत ज्यादा तूल न दें। खुशी हो या गम, संयम रखें और अति उत्तेजित न हों। सामाजिक मामला हो या पारीवारिक बहुत अधिक भावना में बहकर माहौल को खराब न करें। किसी पर हाथ उठाना या अपशब्द बोलना आपको अपरिपक्व साबित करता है। अपनी मस्ती, अपनी खुशी, अपनी सफलता का पैमाना खुद तय करें। जीवन के हर क्षेत्र में आपका लक्ष्य आपका अपना होना चाहिए न कि दूसरे क्या चाहते हैं। लालच से थोड़ा बचकर चलना ही सुकून देता है।
खुश रहने वाले लोगों की 7 आदतें
दोस्तों, खुश रहना मनुष्य का जन्मजात स्वाभाव
होता है. आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों रहता है? क्यों हम कहते हैं कि बचपन के
दिन जीवन के सबसे अच्छे दिन होते हैं? क्योंकि हम पैदाईशी खुश होते हैं, पर जैसे -
जैसे हम बड़े होते हैं हमारा पर्यावरण, हमरा समाज हमारे अन्दर अशुद्धता घोलना शुरू
कर देता है .... और धीरे - धीरे अशुद्धता का स्तर इतना बढ़ जाता है कि खुशी का प्राकृतिक
अवस्था उदासी के प्राकृतिक राज्य में बदलने लगता है.पर ऐसा सबके साथ नहीं होता है दुनिया
में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी खुश रहने की प्राकृतिक अवस्था को बचाए रख पाते हैं
और जीवन के समय खुशहाल रहते हैं. तो क्या ऐसे व्यक्ति हमेशा खुश रहते हैं? नहीं,
औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख - सुख का आना जाना लगा रहता है, पर आम तौर पर ऐसे
व्यक्ति व्यर्थ की चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते - मुस्कुराते और खुश रहते हैं.
तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग खुश रह सकते
हैं तो बाकी सब क्यों नहीं? आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो उन्हें दुनिया भर की
टेंशन के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं?
आदत 1: खुश रहने वाले अच्छाई खोजते
हैं बुराई नहीं:
मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वो
नकारात्मकता को जल्दी पकड़ने करते हैं. मनोवैज्ञानिक इस प्रवृत्ति को "नकारात्मकता
पूर्वाग्रह" कहते हैं. अधिकतर लोग दूसरों में जो कमी होती है उसे जल्दी देख लेते
हैं और अच्छाई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते पर खुश रहने वाले तो हर एक चीज में, हर
एक स्थिति में अच्छाई खोजते हैं, वो ये मानते हैं कि जो होता है अच्छा होता है . किसी
भी व्यक्ति में अच्छाई देखना बहुत आसान है, बस आपको खुद से एक प्रश्न करना है, कि,
"आखिर क्यों यह व्यक्ति अच्छा है?", और यकीन जानिये आपका मस्तिष्क आपको ऐसी
कई अनुभव और बातें गिना देगा की आप उस व्यक्ति में अच्छाई दिखने लगेगी.
एक बात और, आपको अच्छाई सिर्फ लोगों में ही नहीं
खोजनी है, बल्कि हर एक स्थिति में आपको सकारात्मक रहना है और उसमे क्या अच्छा है ये
देखना है. उदाहरण के लिए, अगर आप किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू में चयन नहीं हुए तो आपको
ये सोचना चाहिए कि शायद भागवान ने आपके लिए उससे भी अच्छी नौकरी रखी है जो आपको देर
- सबेर मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा.
आदत 2: खुश रहने वाले माफ़ करना जानते
हैं और माफ़ी माँगना भी:
हर किसी का अपना - अपना अहंकार होता है, जो जाने
- अनजाने औरों द्वारा चोट लगी हो सकता है. पर खुश रहने वाले छोटी - मोती बातों को दिल
से नहीं लगाते वो माफ़ करना जानते हैं, सिर्फ दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी.
और इसके उलट यदि ऐसे लोगों से कोई गलती हो जाती
है, तो वो माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराते. वो जानते हैं कि व्यर्थ का अहंकार उनकी
जिंदगी को जटिल बनाएगा इसलिए वो "क्षमा" बोलने में कभी कंजूसी नहीं करते.
मुझसे भीजब गलती होती है तो मैं कभी उसे सही ठहराने की कोशिश नहीं करता और उसे स्वीकार
कर के क्षमा मांग लेता हूँ.
माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके दिमाग को हल्का
करता है, आपको बेकार की उलझन और परेशान करने वाली विचारों से बचाता है, और एक परिणाम
के रूप में आप खुश रहते हैं. शिखा जी द्वारा लिखा गया एक बेहेतरीन लेख "क्षमा
करना क्यों है ज़रूरी?" मैं आपके साथ पहले ही शेयर कर चुका हूँ. यह लेख माफी के
बारे में आपकी समझ को बेहतर बना सकता है, इसे ज़रूर पढ़ें.
आदत 3: खुश रहने वाले लोग अपने चारो
तरफ एक मजबूत समर्थन प्रणाली का विकास करते हैं:
ये समर्थन प्रणाली के दो खंभों पे टिका होता
है परिवार और मित्र (एफ एंड एफ). ज़िन्दगी में खुश रहने के लिए एफ एंड एफ का बहुत बड़ा
योगदान होता है. भले आपके पास दुनिया भर की दौलत हो, शोहरत हो लेकिन अगर एफ एंड एफ
नहीं है तो आप ज्यादा समय तक खुश नहीं रह पायेंगे.
हो सकता है ये आपको बड़ी स्पष्ट सी बात लगे,
ये लगे की आपके पास भी बड़े अच्छे दोस्त हैं और बहुत प्यार करने वाला परिवार है, लेकिन
इस पर थोडा गंभीरता से सोचिये. आपके पास ऐसे कितने दोस्त हैं, जिन्हें आप बिना किसी
झिझक के रात के 3 बजे भी फोन कर के उठा सकें या कभी भी वित्तीय मदद ले सकें?
परिवार और दोस्तों को कभी भी प्रदान के लिए नहीं
लेना चाहिए, एक मजबूत संबंध बनाने के लिए आपको अपने हितों से ऊपर उठ कर देखना होता
है. , दूसरे की देखभाल करनी होती है, और उन्हें वास्तव में पसंद करना होता है. जितना
हो सके अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं, छोटी - छोटी चीजें जैसे कि जन्मदिन की इच्छा करना,
बधाई देना, सच्ची प्रशंशा करना, मुस्कुराते हुए मिलना, गर्मजोशी से हाथ मिलाना, गले
लगना आपके संबंधों को प्रगाढ़ बनता है. और जब आप ऐसा करते हैं तो बदले में आपको भी
वही मिलता है और आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाता है.
आदत 4: खुश रहने वाले अपने मन का काम
करते हैं या जो काम करते हैं उसमे मन लगाते हैं:
यदि आप अपने हित का, अपने मन का काम करते हैं
तो निश्चित रूप से वो आपके खुशी भागफल को बढ़ाएगा, लेकिन ज्यादातर लोग इतने भाग्यशाली
नहीं होते, उन्हें ऐसी नौकरी या व्यवसाय में लगना पड़ता है जो उनके हित के हिसाब से
नहीं होतीं. पर खुश रहने वाले लोग जो काम करते हैं उसी में अपना मन लगा लेते हैं, भले
ही समानांतर वो अपना पसंदीदा काम पाने का प्रयास करते रहे.
मैंने कई बार लोगों को जहाँ काम करते हैं उस
कंपनी की बुराई करते सुना है, अपने काम को दुनिया का सबसे बेकार काम कहते सुना है,
ऐसा करना आपकी जिंदगी को और भी मुश्किल बनता है. खुश रहने वाले अपने काम की बुराई नहीं
करते, वो उसके सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उसे मजा करते हैं.
मगर, यहाँ मैं यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि यदि
हम दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों को देखें तो वो वही लोग होंगे जो अपने मन का काम करते
हैं, इसलिए यदि आप जो कर रहे हैं उसे आनंद करना, उससे सीखना अच्छी बात है पर स्टीव
जॉब्स की कही बात भी याद रखिये: "आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा,
और सचमुच संतुष्ट होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच - मुच एक बड़ा काम
समझते हों ... और बड़ा काम करने काएक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप आनंद करते
हों. "
आदत 5: खुश रहने वाले हर उस बात पर
यकीन नहीं करते जो उनके दिमाग में आती हैं:
वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा मस्तिष्क हर रोज़ 60000 विचारों का उत्पादन करता है, और एक आम आदमी के मामले में इनमे से अधिकतर विचार
नकारात्मक होती हैं. अगर आप रोजाना अपने मस्तिष्क को हज़ारों नकारात्मक विचारों से
फीड करेंगे तो खुश रहना तो मुश्किल होगा ही. इसलिए खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में
आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते. वो संदेह का लाभ देना जानते हैं,
वो जानते हैं कि हो सकता है जो वो सोच रहे हैं वो गलत हो, जिसे वो बुरा समझ रहे हैं
वो अच्छा हो. ऐसा कर के इंसान को आराम हो जाता है, दरअसल हमारी सोच के हिसाब से मस्तिष्क
में ऐसे रासायनिक रिलीज होते हैं जो हमारे मूड को खुश या दुखी करते हैं.
जब आप नकारात्मक विचारों को सच मान लेते हैं
तो आप का रक्तचाप बढ़ने लगता है और आप परेशानी हो जाते हैं, वहीँ दूसरी तरफ जब आप
उस पर शक कर देते हैं तो आप अनजाने में ही मस्तिष्क को आराम से रहने का संकेत दे देते
हैं.
आदत 6: खुश रहने वाले व्यक्ति अपने
जीवन या काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं:
एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही थी कि तभी
उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा. उसने पहले मजदूर से पूछा, "तुम क्या
कर रहे हो?", "देखती नहीं मैं ईंटे ढो रहा हूँ." उसने जवाब दिया.फिर
वो दुसरे मजदूर के पास गयी और उससे भी वही प्रश्न किया, "तुम क्या कर रहे हो?",
"मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत - मजदूरी कर रहा हूँ 'उत्तर आया?.फिर
वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया, "तुम क्या कर रहे हो? उस
व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया, "मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा
हूँ"
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन
सबसे अधिक खुश होगा!
दोस्तों, इस मजदूर की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति
अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं, और ऐसा करना वाकई उन्हें आपार
ख़ुशी देता है.
आदत 7: खुश रहने वाले व्यक्ति अपनी
जिंदगी में होने वाली चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं:
खुश रहने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी लेना जानते
हैं. अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो इसका दोष दूसरों पर नहीं लगाते, बल्कि खुद
को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं उदाहरण के लिए:. अगर वो ऑफिस के लिए देर से होते हैं
तो ट्रैफिक जाम को नहीं कोसते बल्कि ये सोचते हैं कि थोडा पहले निकलना चाहिए था.
अपनी सफलता का श्रेय दूसरों को भले दे दें लेकिन
अपनी विफलता के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें. जब आप अपने साथ होने वाली बुरी चीजों
के लिए दूसरों को दोष देते हैं तो आपके अन्दर क्रोध आता है, पर जब आप खुद को जिम्मेदार
मान लेते हैं तो आप थोडा निराश होते हैं और फिर चीजों को सही करने के प्रयास में जुट
जाते हैं. मैं खुद भी अपनी जीवन में होने वाली हर एक अच्छी - बुरी चीज के लिए खुद को
जिम्मेदार मानता हूँ. ऐसा करने से मेरी ऊर्जा दूसरों में दोष खोजने की जगह खुद को बेहतर
बनाने में करने में लगती है, और अंत में मेरी खुशी को बढाती है.
5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?
1) दूसरे की बुराई को आनंद लेना
ये तो हम
बचपन से सुनते
आ रहे हैं
की दुसरे के
सामने तीसरे की
बुराई नहीं करनी
चाहिए, पर एक
और बात जो
मुझे ज़रूरी लगती
है वो ये
कि यदि कोई
किसी और की
बुराई कर रहा
है तो हमें
उसमे ब्याज नहीं
लेना चाहिए और
उसे आनंद नहीं
करना चाहिए. अगर
आप उसमे रुचि
दिखाते हैं तो
आप भी कहीं
ना कहीं नकारात्मकता
को अपनी ओर
आकर्षित करते हैं.
बेहतर तो यही
होगा की आप
ऐसे लोगों से
दूर रहे पर
यदि साथ रहना
मजबूरी हो तो
आप ऐसे विषयों
पर बहरा और
गूंगा हो जाएं,
सामने वाला खुद
बखुद शांत हो
जायेगा. उदाहरण के लिए
यदि कोई किसी
का मज़ाक उड़ा
रहा हो और
आप उस पे
हँसे ही नहीं
तो शायद वो
अगली बार आपके
सामने ऐसा ना
करे. इस बात
को भी समझिये
की आम तौर
पर जो लोग
आपके सामने औरों
का मज़ाक उड़ाते
हैं वो औरों
के सामने आपका
भी मज़ाक उड़ाते
होंगे. इसलिए ऐसे लोगों
को हतोत्साहित करना
ही ठीक है.
2) अपने अन्दर को दूसरे के बाहर से तुलना करना
इसे इंसानी दोष कह
लीजिये या कुछ
और पर सच
ये है की
बहुत सारे दुखों
का कारण हमारा
अपना दुःख ना
हो के दूसरे
की ख़ुशी होती
है. आप इससे
ऊपर उठने की
कोशिश करिए, इतना
याद रखिये की
किसी व्यक्ति की
असलियत सिर्फ उसे ही
पता होती है,
हम लोगों के
बाहरी यानि नकली
रूप को देखते
हैं और उसे
अपने अन्दरके यानि
की असली रूप
से तुलना करते
हैं. इसलिए हमें
लगता है की
सामने वाला हमसे
ज्यादा खुश है,
पर हकीकत ये
है की ऐसे
तुलना का कोई
मतलब ही नहीं
होता है. आपको
सिर्फ अपने आप
को बेहतर बनाने
में करते जाना
है और व्यर्थ
की तुलना नहीं
करनी है.
3) किसी काम के लिए दूसरों पर निर्भर करना
मैंने कई बार
देखा है की
लोग अपने ज़रूरी
काम भी बस
इसलिए पूरा नहीं
कर पाते क्योंकि
वो किसी और
पे निर्भर करते
हैं. किसी व्यक्ति
विशेष पर निर्भर
मत रहिये. आपका
लक्ष्य, समय सीमा
के अन्दर कार्य
का पूरा करना
होना चाहिए, अब
अगर आपका सबसे
अच्छा दोस्त तत्काल
आपकी मदद नहीं
कर पा रहा
है तो आप
किसी और की
मदद ले सकते
हैं, या संभव
हो तो आप
अकेले भी वो
काम कर सकते
हैं.
ऐसा करने से
आपका आत्मविश्वास बढेगा,
ऐसे लोग जो
छोटे छोटे कामों
को करने में
आत्मनिर्भर होते हैं
वही आगे चल
कर बड़े - बड़े
चुनौतियों का भी
पार कर लेते
हैं, तो इस
चीज को अपनी
आदत में लाइए:
ये ज़रूरी है
की काम पूरा
हो ये नहीं
की किसी व्यक्ति
विशेष की मदद
से ही पूरा
हो.
4) जो बीत गया उस पर बार बार अफ़सोस करना
अगर आपके साथ
अतीत में कुछ
ऐसा हुआ है
जो आपको दुखी
करता है तो
उसके बारे में
एक बार अफ़सोस
करिए ... दो बार
करिए .... पर तीसरी
बार मत करिए.
उस घटना से
जो सीख ले
सकते हैं वो
लीजिये और आगे
का देखिये. जो
लोग अपना रोना
दूसरों के सामने
बार - बार रोते
हैं उसके साथ
लोग सहानुभूति दिखाने
की बजाये उससेकटने
लगते हैं. हर
किसी की अपनी
समस्याएं हैं और
कोई भी ऐसे
लोगों को नहीं
पसंद करता जो
जीवन को सुखी
बनाने की जगह
दुखद बनाए. और
अगर आप ऐसा
करते हैं तो
किसी और से
ज्यादा आप ही
का नुकसान होता
है. आप अतीत
में ही फंसे
रह जाते हैं,
और ना इस
पल को जी
पाते हैं और
ना भविष्य के
लिए खुद को
तैयार कर पाते
हैं.
5) जो नहीं चाहते हैं उसपर ध्यान केंद्रित करना
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम
जिस चीज पर
ध्यान केंद्रित करते
हैं उस चीज
में आश्चर्यजनक रूप
से वृद्धि होती
है. इसलिए आप
जो होते देखना
चाहते हैं उस
पर ध्यान केंद्रित
करिए, उस बारे
में बात करिए
ना की ऐसी
चीजें जो आप
नहीं चाहते हैं.
उदाहरण के लिए:
यदि आप अपनी
आय बढ़ाना चाहते
हैं तो बढती
महंगाई और खर्चों
पर हर वक़्त
मत बात कीजिये
बल्कि नयी अवसरों
और आय सृजन
विचारों पर बात
कीजिये.
इन बातों पर ध्यान
देने से आप
स्व सुधार के
रास्ते पर और
भी तेजी से
बढ़ पायेंगे और
अपनी जिंदगी को
खुशहाल बना पायेंगे.
7 विचार
1. यदि कोई मेरी आलोचना कर रहा है तो मुझमें अवश्य कोई दोष होगा.
लोग एक-दूसरे की अनेक कारणों से आलोचना करते हैं. यदि कोई आपकी आलोचना कर रहा है तो इसका मतलब यह नहीं हैकि आपमें वाकई कोई दोष या कमी है. आलोचना का एक पक्ष यह भी हो सकता है कि आपके आलोचक आपसे कुछ भिन्नविचार रखते हों. यदि ऐसा है तो यह भी संभव है कि उनके विचार वाकई बेहतर और शानदार हों. यह तो आपको मानना हीपड़ेगा कि बिना किसी मत-वैभिन्य के यह दुनिया बड़ी अजीब जगह बन जायेगी.
2. मुझे अपनी ख़ुशी के लिए अपने शुभचिंतकों की सुझाई राह पर चलना चाहिए.
बहुत से लोगों को जीवन में कभी-न-कभी ऐसा विचार आता है हांलांकि यह विचार तब घातक बन जाता है जब यह मन के सुप्तकोनों में जाकर अटक जाता है और विचलित करता रहता है. यह तय है कि आप हर किसी को हर समय खुश नहीं कर सकतेइसलिए ऐसा करने का प्रयास करने में कोई सार नहीं है. यदि आप खुश रहते हों या खुश रहना चाहते हों तो अपने ही दिल कीसुनें. दूसरों के हिसाब से ज़िंदगी जीने में कोई तुक नहीं है पर आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपके क्रियाकलापों सेकिसी को कष्ट न हो. दूसरों की बातों पर ध्यान देना अच्छी बात है पर उन्हें खुश और संतुष्ट करने के लिए यदि आप हद सेज्यादा प्रयास करेंगे तो आपको ही तकलीफ होगी.
3. यदि मुझे किसी काम को कर लेने में यकीन नहीं होगा तो मैं उसे शुरू ही नहीं करूंगा.
इस विचार से भी बहुत से लोग ग्रस्त दिखते हैं. जीवन में नई चीज़ें करते रहना बढ़ने और विकसित होने का सबसे आजमायाहुआ तरीका है. इससे व्यक्ति को न केवल दूसरों के बारे में बल्कि स्वयं को भी जानने का अवसर मिलता है. हर आदमी हर काममें माहिर नहीं हो सकता पर इसका मतलब यह नहीं है कि आपको केवल वही काम हाथ में लेने चाहिए जो आप पहले कभी करचुके हैं. वैसे भी, आपने हर काम कभी-न-कभी तो पहली बार किया ही था.
4. यदि मेरी जिंदगी मेरे मुताबिक नहीं चली तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है.
मैं कुछ कहूं? सारी गलती आपकी है. इससे आप बुरे शख्स नहीं बन जाते और इससे यह भी साबित नहीं होता कि आप असफलव्यक्ति हैं. आपका अपने विचारों पर नियंत्रण है इसलिए अपने कर्मों के लिए भी आप ही जवाबदेह हैं. आपके विचार और कर्मही आपके जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं. यदि आप अपने जीवन में चल रही गड़बड़ियों के लिए दूसरों को उत्तरदायीठहराएंगे तो मैं यह समझूंगा कि आपका जीवन वाकई दूसरों के हाथों में ही था. उनके हाथों से अपना जीवन वापस ले लें औरअपने विचारों एवं कर्मों के प्रति जवाबदेह बनें.
5. मैं सभी लोगों से कमतर हूँ.
ऐसा आपको लगता है पर यह सच नहीं है. आपमें वे काबिलियत हैं जिन्हें कोई छू भी नहीं सकता और दूसरों में वे योग्यताएं हैंजिन्हें आप नहीं पा सकते. ये दोनों ही बातें सच हैं. अपनी शक्तियों और योग्यताओं को पहचानने से आपमें आत्मविश्वासआएगा और दूसरों की सामर्थ्य और कुशलताओं को पहचानने से उनके भीतर आत्मविश्वास जगेगा. आप किसी से भी कमतरनहीं हैं पर ऐसे बहुत से काम हो सकते हैं जिन्हें दूसरे लोग वाकई कई कारणों से आपसे बेहतर कर सकते हों इसलिए अपने दिलको छोटा न करें और स्वयं को विकसित करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें.
6. मुझमें ज़रूर कोई कमी होगी तभी मुझे ठुकरा दिया गया.
यह किसी बात का हद से ज्यादा सामान्यीकरण कर देने जैसा है और ऐसा उन लोगों के साथ अक्सर होता है जो किसी के साथप्रेम-संबंध बनाना चाहते हैं. एक या दो बार ऐसा हो जाता है तो उन्हें लगने लगता है कि ऐसा हमेशा होता रहेगा और उन्हें कभीसच्चा प्यार नहीं मिल पायेगा. प्यार के मसले में लोग सामनेवाले को कई कारणों से ठुकरा देते हैं और ऐसा हर कोई करता है.इससे यह साबित नहीं होता कि आप प्यार के लायक नहीं हैं बल्कि यह कि आपका उस व्यक्ति के विचारों या उम्मीदों से मेलनहीं बैठता, बस इतना ही.
7. यदि मैं खुश रहूँगा तो मेरी खुशियों को नज़र लग जायेगी.
यह बहुत ही बेवकूफी भरी बात है. आपकी ज़िंदगी को भी खुशियों की दरकार है. आपका अतीत बीत चुका है. यदि आपके अतीतके काले साए अभी भी आपकी खुशियों के आड़े आ रहे हों तो आपको इस बारे में किसी अनुभवी और ज्ञानी व्यक्ति से खुलकरबात करनी चाहिए. अपने वर्तमान और भविष्य को अतीत की कालिख से दूर रखें अन्यथा आपका भावी जीवन उनसे दूषित होजाएगा और आप कभी भी खुश नहीं रह पायेंगे. कोई भी व्यक्ति किसी की खुशियों को नज़र नहीं लगा सकता.
Decision निर्णय
मनुष्य के जीवन
में कई ऐसे
अवसर आते हैं
जब उसे तुरंत
निर्णय लेने पड़ते
हैं. कई बार
ऐसा भी होता
है कि वह
लालच में आकर
गलत निर्णय ले
लेता है जो
परेशानी का कारण
बन जाते हैं.
इसलिए जब भी
विपरीत समय में
कोई निर्णय लेने
का अवसर आए
तो उसके उसके
दूरगामी परिणाम के बारे
में भी अवश्य
सोचें.
• जहाँ
तक संभव हो
जल्दबाजी में निर्णय
ना लें. जाहिर
है पर कई
बार ऐसा होता
है की जहाँ
हम अपने निर्णय
के लिए समय निकाल
सकते हैं वहां
भी तुरंत ही
आनन् - फानन में
कोई निर्णय ले
लेते हैं और
कहते हैं, "जो
होगा देखाजायेगा"
• कसी
भी निर्णय को
लेने से पहले
उस से सम्बंधित
अधिक से अधिक
जानकारी जुटा लें.
आम तौर पर
एक सूचित फैसला
यूँ ही लिए
गए निर्णय से
बेहतर होगा.
• जिस
क्षेत्र से संबंधित
निर्णय आपको लेना
है उसी क्षेत्र
के किसी जानकार
व्यक्ति से सलाह
लेना उचित होगा.
• याद
रखिये कि एक
ही समस्या के
कई समाधान हो
सकते हैं, अक्सर
हमारे दिमाग में
जो पहला हल
आता है हम
उसीको पकड के
बैठ जाते हैं,
जबकि और भी
कई अच्छे उपाय
हो सकते हैं.
• पार्श्व
सोच दृष्टिकोण अपना
कर एक चीज
को कई कोण
से देखा जा
सकता है, और
तब एक अभिनव
समाधान मिलने के मौके
बढ़ जाते हैं.
• कभी
भी इस अति
आत्मविश्वास में मत
रहिये कि आपका
निर्णय ही सबसे
अच्छा है. और
भी अच्छे विकल्प
हो सकते हैं.
• एक
दूसरा पहलू ये
भी है कि
हो सकता है
आपके द्वारा लिया
गया निर्णय ज्यादातर
लोगों द्वारा का
विरोध किये जानेके
बावजूद एक सही
निर्णय हो.
•काहते
हैं
की गुस्से और जल्दबाजी
मैं
कोई फैसला ना करो
और
खुशी की हालात
मुझे कोई वादा ना
करो .
ज़िंदगी जीने के लिए ज़रूरी पंद्रह सबक:
1. तुम्हारे बारे में लोग कुछ भी कहते रहें, उससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. लोगों का क्या है, वे तुम्हारे सामने याफिर पीठे पीछे कुछ-न-कुछ कहते ही रहेंगे.
2. यदि तुम लोगों से सहृदयता से पेश आओगे तो वे तुम्हें अच्छाई से ज़रूर नवाजेंगे. यह बात 99% लोगों पर ठीक बैठती है.
3. कभीकभी तुम्हारी सलाह और सुझाव सकारात्मक और प्रोत्साहक होने के बाद भी लोग तुम्हें सुनने के लिए तैयार नहींहोंगे. तुम्हें इस स्थिति को स्वीकार करना है और सामनेवाले के प्रतिरोध को दिल से नहीं लगाना है.
4. तुम्हारे सामने यह विकल्प है कि तुम किसी भी बात को सकारात्मक लो या नकारात्मक लो. तुम अपने इस अधिकार कासदैव उपयोग करो ताकि तुम्हारा जीवन खुशहाल रहे.
5. ऐसे लोग हमेशा मौजूद रहेंगे जो तुम्हें पीछे धकेलना चाहेंगे. ऐसा उनकी असुरक्षा की भावना के कारण है. वे यह नहींचाहते कि वे ठहरे हुए पानी की तरह गंदला जाएँ और दूसरे लोग आगे निकल जाएँ.
6. आज, इस वक़्त, यही तुम्हारी ज़िंदगी है. तुम इसका जितना फायदा उठा सकते हो उठा लो. तुम अपने आसपास मौजूदलोगों का दिन खुशगवार बना सकते हो और ठान लो तो लाखों-करोड़ों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश भी करसकते हो.
7. तुम अपनी राह के कंटकों और अवरोधों को नए नज़रिए से देखो. वे तुम्हारे लिए रुकने का संकेत नहीं हैं बल्कि तुम्हें यहबताते है कि तुम किसी चीज़ को कितनी शिद्दत से पाना चाहते हो.
8. तुम सदैव वह काम करो जिसे तुम करते आये हो, भले ही तुम्हें एक-जैसे परिणाम मिलें. यह कॉमन सेन्स है पर बहुत सेलोग एक ही गति पर चलकर अलग-अलग मंजिल पर पहुँचने की उम्मीद करते हैं. ऐसे लोग बहुत कम लेकिन बहुतप्रसिद्द हैं और वे इसे पागलपन कहते हैं.
9. किसी से ईर्ष्या करने पर किसी और को नहीं वरन तुम्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान होगा. अपने समय और ऊर्जा को किसीबेहतर काम में लगाओ.
10. यदि तुम्हें यात्रा में आनंद नहीं आ रहा है तो शायद तुम गलत लेन में चल रहे हो. पिछले चौराहे तक जाने में झिझको नहींऔर दोबारा कोशिश करो. गलत राह पर दूर तक बढ़ते चले जाने से बेहतर यही है.
11. अपने अहंकार को कहीं आड़े नहीं आने दो. जिन चीजों को तुम पसंद करो उन्हें लपक लो और जिन लोगों से प्रेम करोउन्हें यह जताओ. अवसर चूकने के लिए यह जीवन बहुत छोटा है. यदि लोग इस बात के लिए तुम्हारे आलोचना करें तो…यह उनकी समस्या है, तुम्हारी नहीं.
12. पुरानी कहावत है कि जिससे तुम पिंड छुडाना चाहते हो वही तुम्हारे गले पड़ता है. अतीत और भविष्य के सारे पछतावोंसे छुटकारा पाने के लिए यह ज़रूरी है कि तुम किसी से भी एक सीमा से अधिक न बंधो और स्वयं को शनैः-शनैः मुक्तकरते जाओ. हर किसी को सब कुछ नहीं मिलता.
13. तुम्हारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता हो उसपर पैनी निगाह रखो. अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को सीमायेंनहीं लांघने दो. तुम्हारी जागरूकता ही बदलते वक़्त उतार-चढ़ाव के साथ तुम्हें संयत रख सकेगी.
14. तुम्हारी समस्या जैसी भी हो, यह बहुत संभव है कि दूसरों के जीवन में भी वैसी ही समस्या आई हो और उन्होंने इसकाकोई हल निकाल लिया हो. अपने मन को दिलासा दो कि तुम अकेले नहीं हो और तुम्हारी दिक्कतों का भी कोई-न-कोईहल कहीं ज़रूर होगा.
15. हर उस बात पर सवाल उठाओ जो तुम कहीं भी पढ़ते या सुनते हो, यहाँ तक कि इन पंद्रह बिन्दुओं पर भी. महत्वपूर्णविचारों को हम बहुधा इस लिए नहीं समझ पाते क्योंकि हम उनमें छुपे हुए सत्य को देख ही नहीं पाते हैं.
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