10/30/12

merchant navy


मर्चेन्ट नेवी में सदाबहार कॅरियर
मर्चेन्ट नेवी में जहाजों के जरिये एक ही देश में या विभिन्न देशों में एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह तक कार्गो या गुड्स ट्रांसपोर्ट किये जाते हैं। इनमें प्रयुक्त जहाजों का प्रयोग आयात एवं निर्यात में व्यापक रूप से होता है जिसमें सुई से लेकर हवाई जहाज तक शामिल हैं। स्टूडेंट्स इसमें अपनी रुचि और योग्यता के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों में कॅरियर बना सकते हैं, क्योंकि मर्चेन्ट नेवी में कई विभाग होते हैं, लेकिन मुख्यतया तीन विभाग प्रमुख होते हैं- डेक डिपार्टमेंट, इंजन डिपार्टमेंट एवं हाउसकीपिंग (स्टुवर्ड) डिपार्टमेंट।
डेक डिपार्टमेंट- इस विभाग के अंतर्गत् डेक आफिसर्स आते हैं जिन्हें नेवीगेशन आफिसर्स भी कहते हैं। डेक आफिसर्स शिप के लिये जिम्मेदार होते हैं। शिप्स पर अनुशासन, वेसेल के सुरक्षित चालन, पैसेन्जर्स की सुरक्षा, आंशिक रूप से कार्गो आपरेशंस और क्रू के प्रति उत्तरदायित्व इनका प्रमुख कार्य होता है। इसके अतिरिक्त भी और भी कार्य करने होते हैं। इस विभाग में डेक कैडेट से लेकर कैप्टन तक की रैंक होती है। शिप का कैप्टन जिसे मास्टर ऑफ द शिप भी कहते हैं, शिप का इंचार्ज होता है।
इंजन डिपार्टमेंट- इस विभाग की प्रमुख तौर पर जिम्मेदारी मरीन इंजीनियर्स पर होती है। इंजीनियरिंग ऑफिसर्स पर शिप्स की हर तरह की मशीनरीज(इंजन, ब्वॉयलर, इलेक्ट्रिकल, रेफ्रिजिरेटिंग, सेनिटरी इक्विपमेंट, डेक मशीनरी और स्टीम कनेक्शन वगैरह) को मेंटेन करने से लेकर इसे संचालित करने तथा नियंत्रित करने का कार्य होता है। इस विभाग में जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक की रैंक होती है। चीफ इंजीनियर इस विभाग का प्रमुख होता है।
हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट- हाउसकीपिंग विभाग लिविंग एवं कैटरिंग सेवायें देता है। फूड एवं बेवरेज की देखरेख एवं उपलब्धता से लेकर शिप की हाउसकीपिंग तक का पूरा काम इस विभाग के अंतर्गत् होता है। इस विभाग में चीफ कुक से लेकर चीफ स्टुअर्ड तक रैंक होती है।
शैक्षिक योग्यता
इस कोर्स के लिये टेन प्लस टू या इसके समकक्ष परीक्षा भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं गणित के साथ 55 प्रतिशत अंकों के साथ पास होना जरूरी है। साथ ही अंग्रेजी विषय में भी पास होना जरूरी है। वैसे किसी भी स्ट्रीम से बैचलर डिग्री लेने के बाद मरीन इंजीनियरिंग या नॉटिकल साइंस में डिप्लोमा करके भी इस क्षेत्र में जाया जा सकता है।
इंटरमीडिएट भौतिकी, गणित, रसायन शास्त्र से उत्तीर्ण छात्र डायरेक्ट डेक कैडेट के तौर पर भी ज्वाइन कर सकता है। साथ ही जिनके पास मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग की डिग्री है वो भी मर्चेन्ट नेवी में प्री-सी ट्रेनिंग द्वारा डायरेक्ट डेक कैडेट्स के लिये ज्वाइन कर सकते हैं जो कि रिक्रूटिंग कम्पनीज स्वयं कंडक्ट करवाती हैं। प्री-सी कोर्स 9 माह का होता है जिसे एम ई आर ई कंडक्ट कराता है। सभी कोर्सेस हेतु मेडिकल फिटनेस, नेत्र क्षमता 6 बाय 6 और कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिये।
कोर्स में प्रवेश
वर्ष में एक बार आइआइटी. और इंडियन मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के जरिये मरीन इंजीनियरिंग या नॉटिकल साइंस के कोर्सेज में प्रवेश लिया जा सकता है। इन राजकीय संस्थानों में प्रवेश परीक्षा, जीडी एवं इंटरव्यू के माध्यम से प्रवेश लिया जा सकता है। मर्चेन्ट नेवी में एंट्री के लिये आई एम यू भी प्रवेश परीक्षा आयोजित कराता है। यह गवर्नमेंट बॉडी है जिसके अंतर्गत् सात कालेज आते हैं। इसके अलावा और बहुत सारे प्राइवेट कालेज हैं जहां डिप्लोमा कोर्स किये जा सकते हैं।
यू. के. एवं आस्ट्रेलियन प्रक्रिया
कैपेला मैरीटाइम कॅरियर इंस्टीट्यूट(सी. एम. सी. आई.) द्वारा चलायी जा रही यह प्रक्रिया भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य है। यह उन छात्रों के लिये अति उपयोगी है जो मेधावी होते हुये किसी कारण परीक्षा में नंबर प्राप्त नहीं कर सके। इसमें न्यूनतम योग्यता टेन प्लस टू पी. सी. एम., पी. सी. बी. 50 प्रतिशत अंकों के साथ एवं कामर्स के छात्र जिन्होंने टेन प्लस टू में गणित विषय लिया हो वो भी न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ मर्चेन्ट नेवी के लिये अप्लाई कर सकते हैं। मेडिकल फिटनेस, नेत्र क्षमता 6 बाय 6 और कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिये।
बेहतर कॅरियर का विकल्प
मर्चेन्ट नेवी के तीनों ही विभागों में जाब्स के ढेरों अवसर हैं जिसमें 15 से 2 लाख रुपए प्रतिमाह तक वेतन मिलता है। विदेशी शिपिंग कंपनीज भी अच्छे जॉब्स आफर करती हैं। विश्व की सबसे बडी शिपिंग संस्था बिम्को और इंडियन सीफरेर फेदेद्रतिओं के सर्वे के अनुसार इस क्षेत्र में सन् 2015 तक लगभग 30 हजार क्वालिटी ऑफिसर्स की कमी होने वाली है।
जॉब्स ऑनशिप
- डेक साइड जॉब- डेक कैडेट, थर्ड आफिसर, सेकेंड ऑफिसर, चीफ आफिसर, कैप्टेन।
- इंजन साइड जॉब- इंजन कैडेट, फोर्थ इंजीनियर, थर्ड इंजीनियर, सेकेंड इंजीनियर, चीफ इंजीनियर।
- जी पी रेटिंग- क्रू मेंबर।
- ऑफ शोर जाब्स: पेट्रोलियम इंजीनियरिंग या नेवेल आर्किटेक्चर, एम बी ए इन पोर्ट मैनेजमेंट या हार्बर इंजीनियरिंग इत्यादि। सी. एम. सी. आई. के द्वारा आफसोर जाब्स के लिये भी तैयारी करायी जाती है। यह उन छात्रों के लिये है जिन्हें रोमांच एवं घूमना ज्यादा पसंद नहीं है। इसमें सन् 2015 तक 27 हजार जाब्स होंगे।
मर्चेन्ट नेवी लहरों पर चलाएं करियर की नाव
मर्चेन्ट नेवी का नाम सुनते ही लोगों को ऐसा लगता है कि यह नौसेना का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है। मर्चेन्ट नेवी में जहाज सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप जहाज पर काम करना चाहते हैं, पर नौसेना में नहीं तो मर्चेन्ट नेवी आपके लिए एक बेहतर करियर विकल्प है। मर्चेन्ट नेवी में समुद्र की उछाल भरती लहरों के बीच आप भी अपने करियर को दिशा दे सकते हैं। अगर आप विदेश में घूमने के शौकीन हैं और समुद्र की लहरें आपको आकर्षित करती हैं तो मर्चेन्ट नेवी का क्षेत्र आपके लिए रोमांच और साहस से भरा एक बेहतरीन करियर साबित सकता है। बस थोड़े से सब्र और साहस के साथ कुछ नया जानने की ललक आपको करियर की बुलंदियों तक ले जा सकती है।
क्या है मर्चेन्ट नेवी 
मर्चेन्ट नेवी के बारे में सोचते ही आमतौर पर लोग इसे नौसेना का हिस्सा समझने लगते हैं, जबकि ऐसा है नहीं। मूलत: मर्चेन्ट नेवी बड़े व्यापारिक और यात्री जहाजों का बेड़ा है। मर्चेन्ट नेवी के तहत यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल और रेफ्रिजरेटेड शिप आते हैं। पहले जहां समुद्री आवागमन और व्यापार छोटी नावों से हुआ करता था, वहीं अब इन नावों की जगह बड़े समुद्री जहाजों ने ले ली है। इन जहाजों के संचालन के लिए एक ट्रेंड टीम की जरूरत होती है, जिसमें तकनीकी टीम से लेकर क्रू मेंबर तक शामिल होते हैं। शिप में काम करने वाले प्रोफेशनल्स शिप के संचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों को कई प्रकार की सेवाएं देते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है।
कैसे बनें मर्चेन्ट नेवी का हिस्सा 
यदि आप मर्चेन्ट नेवी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो इसके दो रास्ते हैं, समुद्री इंजीनियरी में बीएससी की डिग्री हासिल कर या समुद्री इंजीनियरी शाखाओं में डिग्री के उपरांत आप मर्चेन्ट नेवी में जा सकते हैं। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आप किसी जहाज में डेक कैडेट के रूप में प्रवेश ले सकते हैं। यहां आप तीन साल तक काम करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। नेविगेटिंग ऑफिसर या नौ-संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण के बाद भूतल परिवहन मंत्रलय द्वारा ली जाने वाली दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। इसके अलावा डिग्री पाठय़क्रम में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी फिट होना चाहिए। नेविगेशन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इनकी नियुक्ति कैप्टन श्रेणी के अधिकारी के रूप में होती है।
कैसी-कैसी नौकरियां
डेक विभाग- इसमें मुख्य रूप से जहाज के कप्तान, उपकप्तान, सहायक कप्तान, चालक आते हैं। कप्तान का मुख्य दायित्व जहाज तथा उसके सभी कर्मचारियों व माल आदि का सुरक्षित परिवहन है।
उपकप्तान-  जहाज का दूसरा मुख्य अधिकारी उपकप्तान होता है। कप्तान की सहायता करने के साथ-साथ इसका मुख्य कार्य डेक कर्मचारियों और माल लदान जैसी गतिविधियों पर नजर रखना होता है। यह कर्मचारियों पर भी निगाह रखता है।
सहायक कप्तान- इसका मुख्य काम फर्स्ट मेट और कप्तान को जहाज के कामकाज संचालन में सहयोग करना है। माल लादने और उतारने के समय मुख्य रूप से इसे रात्रि पाली की देखरेख करनी होती है।
थर्ड मेट- इसका मुख्य कार्य सिग्नल उपकरणों, सुरक्षा और लाइफ बोट्स आदि की देखभाल करना होता है।
पायलट ऑफ शिप- इसकी मुख्य जिम्मेदारी जहाज की गति एवं दिशा तय करने जैसे कार्य करने की होती है।
सेरंग- यह डेक कर्मचारियों पर नियंत्रण रखता है तथा सुपरवाइजरी का कार्य करता है।
इंजन विभाग- इस विभाग का मुख्य उत्तरदायित्व जहाज के इंजन तथा उस पर नियंत्रण रखने वाले उपकरणों का रखरखाव करना तथा उनकी मरम्मत आदि करना होता है।
शिप इंजीनियर- मुख्य अधिकारी होने के नाते इसे सभी इंजनों, बायलरों, इलेक्ट्रिक प्रशीतन, सेनेटरी उपकरणों, डेक मशीनरी व स्टीम कनेक्शनों के सही व सहज संचालन की जिम्मेदारी निभानी होती है। यह इंजन रूम का प्रभारी होता है।
इलेक्ट्रिकल ऑफिसर- इंजन रूम के सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखभाल करना इनका काम है।
नॉटिकल सर्वेयर- इसका मुख्य कार्य सागर के क्षेत्र विशेष के नक्शे, चार्ट आदि तैयार करना होता है, ताकि बीच समुद्र में जहाज कहीं भटक न जाए या किसी समुद्री पर्वत, टापू या चट्टान आदि से टकरा न जाए।
रेडियो ऑफिसर-मरीन रेडियो ऑफिसर के नाम से प्रसिद्घ इस पद को पाने के लिए युवा वर्ग बहुत लालायित रहता है। यह मुख्य रूप से डेक पर काम करने वालों पर नियंत्रण रखता है। इस पद के लिए वायरलेस, कम्प्यूटर तथा संदेश संप्रेषण के अन्य अत्याधुनिक उपकरणों, उनके संचालन, संदेश संप्रेषण आदि की जानकारी का होना भी जरूरी है।
सेवा विभाग- जहाज की मरम्मत करने से लेकर उस पर काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, भोजन की व्यवस्था का काम सेवा विभाग करता है। इसमें मुख्य स्टीवर्ड पूरे कामकाज की देखभाल करता है।
कौन बन सकता है मर्चेन्ट नेवी का हिस्सा और क्या हैं व्यक्तिगत गुण
रोमांच और उत्तेजनाओं से भरा क्षेत्र है, इसलिए मर्चेन्ट नेवी में साहसी युवकों की जरूरत है 
अगर आप लम्बे समय तक घर से बाहर रह सकते हैं, तभी जुडें इस क्षेत्र से 
स्वभाव से व्यावहारिक होना जरूरी है, क्योंकि आपको अलग-अलग संस्कृतियों के लोगों से मिलना होगा
खतरों से खेलने का साहस होना जरूरी है
अलग-अलग माहौल में एडजस्ट होने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए
हर तरह के भोजन को खाने के लिए तैयार रहना होगा
किस तरह के कोर्स
अगर आप मर्चेन्ट नेवी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो साइंस विषयों के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है।
नॉटिकल साइंस में तीन साल का डिग्री कोर्स 
मरीन इंजीनियरिंग में चार साल का डिग्री कोर्स 
डिप्लोमा होल्डर्स के लिए दो साल का कोर्स 
ग्रेजुएट मेकेनिकल इंजीनियर्स के लिए एक साल का कोर्स 
डेक कैडेट का तीन महीने का कोर्स
अगर आप साइंस विषयों के साथ दसवीं पास हैं तो इस तरह के कोर्स उपलब्ध हैं
जर्नल परपज के लिए प्री-सी कोर्स, जिसकी अवधि 4 महीने तय की गई है 
डेक रेटिंग में 3 महीने का कोर्स 
इंजन रेटिंग में 3 महीने का कोर्स 
सेलून रेटिंग में 4 महीने का कोर्स
इन कोर्सों में एडमिशन के लिए आपको भारत सरकार द्वारा आयोजित एक कॉमन एंट्रेस टेस्ट से गुजरना होगा। इसके बाद काउंसलिंग के बाद आपको आपके चुने हुए कॉलेज में एडमिशन मिल सकता है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आपको भारत सरकार से इंडियन सीडीसी लाइंसेस जारी होता है। इसके बाद आप किसी भी शिप कंपनी में काम करने के योग्य हो जाते हैं।
शैक्षणिक योग्यता 
विज्ञान विषयों सहित 10+2 पास युवा जेईई के माध्यम से इस प्रकार के कोर्स में प्रवेश प्राप्त करते हैं। कुछ कोर्सों के लिए 10वीं पास होना आवश्यक है। ट्रेनिंग कोर्स में दाखिला पाने की अधिकतम आयु सीमा 20 वर्ष सामान्य वर्ग के युवाओं के लिए और 25 वर्ष अनु.जाति, जनजाति के युवाओं के लिए रखी गई है। इसके अलावा इस क्षेत्र में प्रवेश पाने का दूसरा रास्ता शिपिंग कंपनियों द्वारा समय-समय पर नियुक्त किए जाने वाले डेक कैडेट्स के रूप में भी है।
रोजगार के अवसर 
भारत अतर्राष्ट्रीय व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है और व्यापार में समुद्री परिवहन हमेशा से ही सहायक की भूमिका में रहा है, इसलिए मर्चेन्ट नेवी का क्षेत्र बूम पर है। भारत के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, ग्रीस और सिंगापुर की बड़ी शिपिंग कंपनियों में ट्रेंड लोगों की भारी मांग है।
कमाई की संभावना
आप शुरुआती दिनों में 10 से 15 हजार रुपए प्रतिमाह कमा सकते हैं, लेकिन अनुभव बढ़ने के साथ-साथ सेलरी भी बढ़ जाएगी। पद और अनुभव के साथ 10-15 लाख रुपए महीना भी कमा सकते हैं। करियर के शुरुआती दौर में भारतीय कंपनियां थोड़ा कम पैसा देती हैं, लेकिन विदेशी कंपनियां अच्छा पैसा देती हैं।
प्रशिक्षण संस्थान
इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
वेबसाइट:
 www.imu.tn.nic.in
ट्रेनिंग शिप चाणक्य, नवी मुंबई
वेबसाइट
www.dgshipping.com
मरीन इंजीनियरिंग एंड रिसर्च संस्थान, कोलकाता
वेबसाइट
www.merical.ac.in
लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ एडवांस मरीनटाइम स्टडीज एंड रिसर्च, मुंबई
वेबसाइट:
 www.imu.tn.nic.in 
चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट, चेन्नई
वेबसाइट:
 www.chennaiport.gov.in
कोचीन पोर्ट ट्रस्ट, कोच्चि
वेबसाइट:
 www.cochinport.com
संपर्क करें 
अधिक जानकारी के लिए आप जहाजरानी महानिदेशालय, जहाज भवन, बालचंद-हीराचंद मार्ग, बलार्ड एस्टेट, मुम्बई तथा मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटय़ूट ताराटोला रोड, कोलकाता से भी संपर्क कर सकते हैं। आप शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट 
www.shipindia.com देख सकते हैं। इसके अलावा, इग्नू द्वारा भी बीएससी (नॉटिकल साइंस) का कोर्स कराया जाता है। आप इग्नू की वेबसाइट www.ignou.ac.in देख सकते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
मर्चेन्ट नेवी सेना का हिस्सा नहीं
प्रो़ एके सिंह,
विजिटिंग फेकल्टी, इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
भारत में मर्चेन्ट नेवी का करियर अभी नया क्षेत्र है। मर्चेन्ट नेवी के बाजार को देखते हुए भारत सरकार भी इससे जुड़ी शिक्षा पर ध्यान दे रही है। इसके लिए बाकायदा नई यूनिवर्सिटीज खोली जा रही हैं, जिनमें सामुद्रिक विज्ञान यानी मरीन साइंस से जुड़े कोर्सों के बारे में अध्ययन कराया जाएगा। हालांकि कई निजी संस्थान भी हैं, जो मर्चेन्ट नेवी से संबंधित शिक्षा दे रहे हैं।
आम लोग मर्चेन्ट नेवी को सेना का हिस्सा समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। मर्चेन्ट नेवी का मतलब है समुद्र में होने वाली व्यापारिक गतिविधि को संचालित करने वाली टीम। मर्चेन्ट नेवी से जुड़ने के इच्छुक लोगों को समझना होगा कि आप एक सामुद्रिक जहाज में तीन तरह से काम कर सकते हैं। पहला डिस्क साइट- जिसमें जहाज का चालक दल शामिल होता है। इसके अलावा दूसरा महत्वपूर्ण विभाग है इंजन साइट- इसमें जहाज से जुड़ा तकनीकी दल शामिल होता है। जहाज में काम करने वाला तीसरा दल होता है कैटरिंग दस्ता, जो चालक दल के सदस्यों, तकनीकी दल के सदस्यों और जहाज में यात्रा कर रहे अन्य सहयोगियों को खाने से लेकर कपड़े तक अन्य सुविधाएं मुहैया कराने में मदद करता है। तकनीकी टीम का हिस्सा बनने के लिए आपके पास इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा होना आवश्यक है, जबकि अन्य विभागों के लिए आपका साइंस विषयों से बारहवीं पास होना जरूरी है।
 
यह ऐसा करियर है, जिसमें होम सिकनेस हो जाती है़, इसलिए यह करियर उन लोगों के लिए ठीक नहीं है, जो लम्बे समय तक अपने घर या परिवार से दूर नहीं रह सकते।
मर्चेन्ट नेवी का हिस्सा बनने के लिए आपको भारत सरकार द्वारा कराया जाने वाला कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देना होगा। इसी टेस्ट के माध्यम से आपका एडमिशन मरीन साइंस से जुड़े किसी शैक्षणिक संस्थान में होगा।   किसी भी संस्थान में एडमिशन लेने से पहले उसकी प्रामाणिकता जांच लेना आवश्यक है।


1 comment:





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