7/26/12

Hepatitis


आम आदमी की भाषा में हेपेटाइटिस लिवर में होने वाली सूजन का नाम है। चिकित्सीय भाषा में ऐसी सूजन के सामान्य कारणों में हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी व ई को दोषी माना जाता है। इसमें वायरस के प्रभाव से लीवर काम करना बंद कर देता है और अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। हेपेटाइटिस होने के बाद इसके इलाज में कई जटिल स्थितियों का सामना करना पड़ा है, ऎसे में मरीज की मृत्यु की आशंका रहती है। लेकिन हेपेटाइटिस के टीके लगवाकर इसके होने की आशंका को नगण्य किया जा सकता है। नवजात शिशु के जन्म के बाद उसके तयशुदा समय पर हेपेटाइटिस के टीके लगवाना चाहिए। इसके अलावा लीवर के किसी अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, डायलिसिस के मरीज, पैरामेडिकल स्टाफ , लैब टेक्नीशियन, मुर्दाघर स्टाफ आदि लोगों के लिए हेपेटाइटिस के टीके लगवान जरूरी होता है। गौरतलब है कि हेपेटाइटिस सी के बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। ऎसे में बचाव के तरीकों से ही इसकी रोकथाम सम्भव है। इसके अलावा टीकों की पूरी खुराक लेना भी आवश्यक है। जैसे कि हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की तीन खुराक होती हैं-पहली दो खुराक पहले महीने में और तीसरी खुराक छह महीने बाद दी जाती है।

मुख्य लक्षण
पीलिया होना, आंखों और त्वचा का पीला होना, उल्टी आना , जी मिचलाना, निरन्तर थकावट महसूस होना, जोड़ों में दर्द, खाने में अरूचि, हल्का बुखार, कमजोरी, गहरे रंग का मूत्र आना और पेट दर्द जैसे लक्षण महसूस होने पर इसके होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
ऎसे पता करें
हेपेटाइटिस का वाइरस जब हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो जवाब में हमारा शरीर एंटीबॉडी उत्पन्न करता है जो कि एक प्रोटीन होता है। ऎसे में रक्त में एंटीबॉडी परीक्षण के जरिए हेपेटाइटिस का पता लगाया जा सकता है। 
चिकित्सक से लें परामर्श
हेपेटाइटिस के उपचार के लिए बाजार में दवाइयां उपलब्ध है और सही समय पर उपचार लेने पर हेपेटाइटिस से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस से संक्रमित हो सकते हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें और बताई गई दवाइयों का सेवन करें।
बचाव के अन्य उपाय
बच्चे की प्लानिंग करने से पहले और गर्भावस्था में हेपेटाइटिस की जांच कराएं, सुरक्षित यौन संबंध रखे।
संक्रमित व्यक्ति के रेजर, टूथब्रश व तौलिए का इस्तेमाल न करें।
यदि आप हेपेटाइटिस से संक्रमित हैं तो रक्त और अंगदान न करें।
शरीर पर टैटू अथवा छेदन के लिए साफ सुथरे औजार का उपयोग करे।
एक ही सुई का दुबारा इस्तेमाल न करे।

हेपेटाइटिस 'ए' 'बी' औरसी’  क्या है?

हेपेटाइटिस 'ए' : इसे संक्रामक और व्यापक (महामारी) रोग भी कहते हैं। यह टाइप छूत के रोग का है अतः एक रोगी से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है, जिसमें आहार व जल माध्यम का काम करते हैं। दूषित अन्न और प्रदूषित पर्यावरण इस रोग को फैलाने के मुख्य साधन हैं।इस रोग का प्रभाव एक माह तक बना रह सकता है। इसके प्रारम्भिक लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे ज्वर, ठण्ड लगना, उल्टी होना, भूख न लगना, तम्बाकू के प्रति अरुचि आदि। पीलिया होने के लगभग एक सप्ताह बाद पहले आँखों और फिर त्वचा का रंग पीला हो जाता है। पेशाब व मल का रंग भी पीला हो जाता है।
हेपेटाइटिस 'बी' : यह 'बी' टाइप के वायरस से होने वाली व्याधि है। इसे सीरम हेपेटाइटिस भी कहते हैं। यह रोग रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि से होने वाले स्राव के माध्यम से होता है।ड्रग्स लेने के आदि लोगों में या उन्मुक्त यौन सम्बन्ध और अन्य शारीरिक निकट सम्बन्ध रखने वालों को भी यह रोग हो जाता है। विशेषकर अप्राकृतिक संभोग करने वालों में यह रोग महामारी की तरह फैलता है।इस दृष्टि से टाइप 'ए' के मुकाबले टाइप 'बी' ज्यादा भयावह होता है। इस टाइप का प्रभाव यकृत (लीवर) पर ऐसा पड़ता है कि अधिकांश रोगी 'सिरोसिस ऑफ लीवर' के शिकार हो जाते हैं और 4-5 साल में मौत के मुँह में चले जाते हैं। अच्छा आचरण और उचित आहार-विहार का पालन करके ही इस भयानक रोग से बचा जा सकता है।
हेपेटाइटिस ‘सी’: एक संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी (HCV) की वजह से होता है और यकृत को प्रभावित करता है. हेपेटाइटिस सी वायरस आमतौर पर संक्रमित खून से संपर्क के माध्यम से फैलता है जो कि सर्वाधिक नसों के माध्यम से नशीली दवायें लेने के दौरान फैलता है।. शुरुआती संक्रमण के बाद अधिकांश लोगों में, यदि कोई हों, तो बहुत कम लक्षण होते हैं, हालांकि पीड़ितों में से 85% के यकृत में वायरस रह जाता है. इलाज के मानक देखभाल जैसे कि दवाइयों, पेजिन्टरफेरॉन और रिबावायरिन से स्थायी संक्रमण ठीक हो सकता है51% से ज्यादा पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. जिन्हें सिरोसिस या यकृत कैंसर हो जाता है, उन्हें यकृत के प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है तथा प्रत्यारोपण के बाद ही वायरस पूरी तरह से जाता है. किसी व्यक्ति के एक बार हेपेटाइटिस सी वायरस के संपर्क में आने के बाद, उसके रक्त में वायरस का पता लगाने में आमतौर पर एक से तीन सप्ताह का समय लग जाता है।

भारत में हेपेटाइटिस को रक्त जनित और भोजन/जलजनित दो वर्गो में बांटा जाता है। रक्त जनित में मुख्यत: हेपेटाइटिस बी व सी को रखा जाता है। संक्रमित भोजन व जल के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस ए व ई होते हैं। आज विश्व में प्रत्येक 12 में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित है। पूरे देश में हेपेटाइटिस के आंकड़े एकसमान नहीं हैं। देश के पूवरेत्तर राज्यों जैसे मणिपुर, मिजोरम आदि में जहां इंट्रावीनस (अंत:शिरा दवाओं) का इस्तेमाल अधिक होता है, वहां  इसके मामले अधिक देखने में आ रहे हैं। राज्य जहां एचआईवी पीड़ितों की संख्या अधिक है, वहां भी रक्तजनित हेपेटाइटिस के मामलों की अधिकता है। लिवर रोग की गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कई लोगों के लिवर पर  इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता, पर कुछ श्रेणियों में यह 20-30 वर्षो में लिवर सिरोसिस, लिवर का फेल होना और उसके कैंसर का कारण बन जाता है।
उपचार
हेपेटाइटिस बी के लिए दवाओं की दो श्रेणियां उपलब्ध हैं। एक मुंह से ली जाने वाली दवाएं हैं और दूसरी श्रेणी इंटरफेरोन दवाएं हैं। हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवाओं के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। यह वायरस दवाओं की अवधि और प्रकार पर निर्भर करता है। भारत में इसका टाइप 3 पाया जाता है, जो यौन संसर्ग या संक्रमित सुई या संक्रमित रक्त के शरीर में प्रवेश करने के कारण होता है। हेपेटाइटिस ए व ई को साफ-सफाई का ध्यान रख कर रोका जा सकता है।
 सावधानियां
हेपेटाइटिस सी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। दिल्ली, सिक्किम व कुछ अन्य राज्यों में नवजात शिशुओं में हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया है। सरकारी अस्पताल में पैदा होने वाले नवजात शिशु को जन्म के 48 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस सी का टीका दिया जाता है। भारत में केवल तीन राज्य हैं, जो इसका अनुसरण कर रहे हैं, जबकि शेष राज्य इसका अनुपालन नहीं कर रहे।  हेपेटाइटिस सी की कोई रोकथाम फिलहाल नहीं है। हेपेटाइटिस ए के लिए एक टीका है, लेकिन यह 1-2 वर्ष के बीच बच्चों को दिया जाता है। हेपेटाइटिस ई के लिए भी अभी तक कोई टीका नहीं है, लेकिन इसके टीके पर अभी काम हो रहा है। अभी इसकी बिक्री नहीं की जा रही, लेकिन अगले छ: महीने बाद  यह बाजार में आ जाएगी। ये टीके रोग से 95 से 96 प्रतिशत रोकथाम प्रदान करते हैं।
एचआईवी से खतरनाक  है यह वायरस
हेपेटाइटिस बी वायरस एचआईवी की तुलना में 50 से 100 गुना तक अधिक संक्रामक है। वयस्कों या बड़े बच्चों के इससे संक्रमित होने पर ठीक होने की संभावना अधिक होती है, पर छोटे बच्चों के इसके प्रभाव में आने पर इसके गंभीर रोग बनने की आशंका अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी के लिए एक प्रभावी दवा भी उपलब्ध है। हेपेटाइटिस बी टीके की 3 खुराकें इस वायरस के संक्रमण से सुरक्षा देती हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार सभी शिशुओं को हेपेटाइटिस बी का टीका दिया जाना चाहिए। बच्चों में आम तौर पर हेपेटाइटिस ए पाया जाता है, जो कि दूषित जल के संपर्क में आने से होता है। मानसून में या अत्याधिक गर्मी में बच्चों में लापरवाही वश संक्रमित पानी या वस्तु खाने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भवती मां से गर्भस्थ शिशु में भी हेपेटाइटिस बी का विस्तार होता है। गंभीर हेपेटाइटिस ए व ई जैसे मौखिक रूप से फैलने वाले रोगों की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता व टीकाकरण अपनाना चाहिए।
हेपेटाइटिस से बचने के सरल उपाय 
- रक्त जांच कराएं। नेगेटिव पाने पर डॉक्टर से टीके के बारे में बात करें। रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- गर्भवती महिलाएं हेपेटाइटिस बी की जांच कराएं।
- असुरक्षित यौन सम्पर्क से बचें।
- ड्रग्स न लें या सुइयों को शेयर न करें। किसी और के शेविंग ब्लेड का इस्तेमाल न करें। टैटू गुदवाते या टीका लगवाते समय डिस्पोजेबल सिरिंज का इस्तेमाल करें।
 तथ्य एक नजर..
- हेपेटाइटिस बी का वायरस एचआईवी से 100 गुना अधिक संक्रामक है। यह वायरस शरीर के बाहर भी कम से कम 7 दिन तक जीवित रह सकता है। 
- विश्व में प्रत्येक 12 में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित है।
- हेपेटाइटिस बी लार, वीर्य और योनि द्रव्य सहित अन्य शरीर द्रव्यों के माध्यम से भी फैल सकता है। 
- 10 में 9 वयस्कों में हेपेटाइटिस बी संक्रमण पहले छ: महीनों में स्वयं ठीक हो जाता है।
- यदि आपके परिवार का कोई सदस्य या यौन साथी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है तो आप स्वयं हेपेटाइटिस बी की जांच कराएं।
 Hepatitis is an inflammation of the liver, most commonly caused by a viral infection. There are five main hepatitis viruses, referred to as types A, B, C, D and E. These five types are of greatest concern because of the burden of illness and death they cause and the potential for outbreaks and epidemic spread. In particular, types B and C lead to chronic disease in hundreds of millions of people and, together, are the most common cause of liver cirrhosis and cancer.
Hepatitis A and E are typically caused by ingestion of contaminated food or water. Hepatitis B, C and D usually occur as a result of parental contact with infected body fluids. Common modes of transmission for these viruses include receipt of contaminated blood or blood products, invasive medical procedures using contaminated equipment and for hepatitis B transmission from mother to baby at birth, from family member to child, and also by sexual contact.

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