चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?
ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!
आप वो हैं जो आप रह चुके हैं. आप वो होंगे जो आप अभी करेंगे.
इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए.
इश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी.
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते.
स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है.
कोई भी व्यक्ति इतना धनवान नहीं कि अपना भूत खरीद सके.
1 सभी के साथ सौम्य और अपने लिए कठोर रहिये .
2 या तो आप दिन को चलते हैं या दिन आपको
3 समस्याओं की अपेक्षा कीजिये और उन्हें नास्ते मैं खाइए.
4 जो खोजेगा वो पायेगा.
5 बिना मेहनत के सिर्फ झंखाड़ उगते हैं.
6 चीजें खुद नहीं होतीं , उन्हें करना पड़ता है..
7 जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी.
8 अभी से वो होना शुरू कीजिये जो आप भविष्य में होंगे.
9 कोई भी महान व्यक्ति अवसरों की कमी के बारे में शिकायत नहीं करता.
10 एक मकान तब तक घर नहीं बन सकता जब तक उसमे दिमाग और शरीर दोनों के लिए भोजन और भभक ना हो.
11 मित्र बनाने में धीमे रहिये और बदलने में और भी
12 छोटे-छोटे खर्चों से सावधान रहिये . एक छोटा सा छेद बड़े से जहाज़ को डूबा सकता है.
13 अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं है जितना कि सीखने की इच्छा ना रखना.
14 संतोष गरीबों को अमीर बनाता है, असंतोष अमीरों को गरीब.
15 ईश्वर उसकी मदद करता है जो खुद अपनी मदद करता है.
16 अर्ध-सत्य अक्सर एक बड़ा झूठ होता है.
17 मछलियों कि तरह मेहमान भी तीन दिन बाद महकने लगते हैं.
18 जिसके पास धैर्य है वह जो चाहे वो पा सकता है.
19 जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है.जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है. यही सापेक्षता है.
20 हम जो सोचते हैं , वो बन जाते हैं.
21 शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़तम करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है.यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है.
22 सच्चे दोस्त सामने से छुरा भोंकते हैं.
23 एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाए.
24 आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्श्या कीजिये. जो दूसरों से इर्श्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती.
25 वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है.
26 हर संत एक अतीत है और हर पापी का एक भविष्य है.
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