आफ्टर 10
नींव पक्की तो ऊंची इमारत
हाईस्कूल कॅरियर की बुनियाद मानी जाती है। आने वाले दौर में आप किस क्षेत्र की ओर रुख क रेंगे, आपके स्ट्रॉन्ग प्वांइट कौन से हैं, यहां तक कि कॅरियर ग्रोथ का अंदाजा भी यहीं से लगता है। यही कारण है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में 10वीं पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। उस पर हाईस्कूल का पाठ्यक्र म भी इस तरह का होता है कि स्टूडेंट्स यहां से किसी भी क्षेत्र में अपने कॅरियर की नींव मजबूत कर सकते हैं। इस समय सही राह चुनने की चुनौती होती है।
आर्ट्स
शिक्षा क्षेत्र में आए बदलावों के बीच आर्ट्स, कॅरियर सेवी स्टूडेंट्स का नया ठिकाना बन उभरा है। इसको इस बात से भी जाना जा सकता है कि देश की नंबर एक परीक्षा आईएएस में आज भी उत्तीर्ण?होने वाले केैंडिडेट्स में आर्ट्स स्टूडेंट्स का परसेंटेज सबसे ज्यादा है। अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, लैंग्वेज जैसे बहुत से विषय इसी में आते हैं जहां न तो जॉब्स की कमी है और न ही कॅरियर ग्रोथ की।
कॉमर्स
एक रिसर्च कहती है कि आज कॉमर्स के क्षेत्र में सबसे ज्यादा जॉब ऑपच्र्युनेटीज हैं। वैसे भी भारत जैसी अर्थव्यवस्था जो अपनी विशाल आबादी, संसाधनों, पूंजी के दम पर पूरी दुनिया पर राज करने का सपना संजो रही हो, में कॉमर्स ग्रेजुएट्स के लिए अवसरों की भला कैसे कमी हो सकती है? इस माहौल में 10+2 में कॉमर्स का चयन एक सही निर्णय साबित हो सकता है। इसमें सीए, सीएस, आईसीडब्लूएआई जैसी कई च्वाइसेस उपलब्ध हैं।
साइंस
अभी भी सांइस हाईस्कूल उत्तीर्ण छात्रों की नंबर एक पंसद है। कोई भी क्षेत्र हो, कैसा भी काम हो, साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स हर जगह इंट्री ले सकते हैं।
मैथ्स- मैथ्स स्टूडेंट्स के लिए आज कॅरियर की राहें सबसे उजली हैं। इंजीनियरिंग, आईटी, डिफेंस, तकनीक से संबधित सभी क्षेत्रों में ये लोग हाथ आजमा सकते हैं।
मेडिकल- यह सांइस स्टूडेंट्स का दूसरा सबसे पंसदीदा क्षेत्र माना जाता है। बायोटेक्नोलॉजी, पैरामेडिकल, जेनेटिक्स, लाइफसाइंस, बायोटेक्नोलॉजी उनके लिए सबसे मुफीद क्षेत्र हैं।
एग्रीकल्चर- अर्थव्यवस्था का खाद पानी माने जाने वाला एग्रीकल्चर सेक्टर साइंस स्टूडेंट्स के लिए अवसरों का दूसरा नाम है। इसमें फॉरेस्ट्री, हार्टिकल्चर, स्वाइल एंड वाटर कंजर्वेशन, फिशरीज, रूरल इकोनॉमी आदि में छोटे बडे क ई मौके हैं।
अपने पैरों पर खडे हों युवा
देश में पिछले कुछ सालों में सर्विस सेक्टर मजबूत हुआ है, जिसक ा फायदा प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हमारे छात्रों को मिला है। यही कारण है कि आज संस्थान से लेदर, इलेक्ट्रीशियन, कंप्यूटर हार्डवेयर, मोबाइल रिपेयरिंग कोर्स करने वाले युवाओं की संख्या बढी है। इन शॉर्ट टर्म कोर्सेज की अवधि 1 दिन से लेकर 6 हफ्ते तक की होती है। कोर्स के उपरांत युवा अपने पैरों पर तो खडे हो ही जाते है, साथ में दूसरों के लिए भी रोजगार सृजित करते हैं। संस्थान से डिप्लोमा लेने वाले छात्रों को स्वरोजगार हेतु मिलने वाले बैंक ऋणों में भी वरीयता मिलती है।
योग्यता दसवीं पास
कोई भी क्वालिटी गिफ्टेड नहीं होती। उसे मेहनत की छेनी हथौडे से तराशना पडता है। यदि आप भी इस सिद्धांत में भरोसा करते हैं, तो 10वीं बाद करने को बहुत कुछ है. ?
कक्षा दस शक्षिक योग्यता का ऐसा मुकाम है, जिसे पार कर युवा एक बेहतर जॉब की उम्मीद कर सकते हैं। देश के बहुत से सरकारी व प्राइवेट संस्थानों?में न्यूनतम इलिजिबिलिटी क्र ाइटेरिया हाईस्कूल मांगा जाता है। यह बात इसलिए और खास हो जाती है?क्योंकि देश में सबसे बडे नियोक्ता माने जाने वाले रेलवे, सेना, एयरफोर्स में सेलेक्ट होने वालों में आज भी 10वीं पास कैंडिडेट्स की कैटेगिरी सबसे बडी है। वहीं इन दिनों तरह-तरह क बैंक लोन स्कीम्स और रोजगार परक ट्रेनिंग कोर्स भी हाईस्कूल पास युवाओं को नजर में रखकर ही तैयार किए जा रहे हैं।
रेलवे में हैं नौकरियों की बहार
ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय सामारिक अध्ययन संस्थान की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे दुनिया का दूसरा सबसे बडा नियोक्ता है। खुद रेलवे बजट-2012 में 1 लाख नई?भर्ती की योजना इस बात की तस्दीक करती है। गौरतलब है कि आज भी रेलवे में ज्यादातर तकनीकी/गैरतकनीकी पदों के लिए न्यूनतम योग्यता हाईस्कू ल है। रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड यानि (आरआरबी) समय-समय पर रेलवे में अलग-अलग पोस्ट के लिए एग्जाम कराता है। इन सबके चलते यदि रेलवे को हाईस्कूल पास युवाओं की उम्मीद कहा जाए तो कुछ गलत नहीं है।
डिफेंस में डायरेक्ट जॉब
यदि आपके पास हायर एजूकेशन नहीं है। न ही किसी तरह की तकनीकी योग्यता है तो भी आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है। भारतीय सेना, नेवी, एयरफोर्स समेत बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ समेत कई अर्धसैनिक बलों में भी 10वीं उत्तीर्ण युवाओं के लिए अच्छे मौके हैं। हां, इसके लिए आपको कडे शारीरिक मापदंडों को जरूर पार करना होगा।
डिप्लोमा कोर्स है अवसरों की चौखट
पॉलीटेक्निक डिप्लोमा- देश में पॉलीटेक्निक कॉलेज को मूल रूप से तीन हिस्सों- सरकारी, प्राइवेट, महिला कॉलेजों में बांटा गया हैं। इसमें 10वीं उत्तीर्ण (साइंस ग्रुप) प्रवेश की न्यूनतम अर्हता होती है। यहां मैकेनेकिल, टैक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्यूनिकेशन, एयरोनॉटिक्स, कंप्यूटर सांइस, ऑटोमोबाइल, सिस्टम मैनेजमेंट, जैसे बहुत से विषयों में तीन वर्षीय (हाईस्कूल पास कैंडिडेट्स हेतु) डिप्लोमा लेवल कोर्सेस संचालित होते हैं। तकनीकी क्षेत्र में ऐसे डिप्लोमाधारियों की खूब मांग है।
आईटीआई- टेक्निकल ग्राउंड में योग्यता हासिल करने के लिए आईटीआई एक बेहतर मंच है। वे युवा जो किसी कारणवश उच्च शिक्षा हासिल करने से वंचित रह गए हैं आईटीआई के जरिए जॉब ओरियेंटेड कोर्स?कर अपनी किस्मत चमका सकते हैं। आईटीआई में कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन से लेकर वेल्डर, लैब असिस्टेंट, मशीनिस्ट, प्रोडक्शन मैन्यूफैक्चरिंग, टूल एंड डाई?मेकिंग जैसे बहुत से ऑप्शन हैं। स्वरोजगार के क्षेत्र में रुझान रखने वालों के लिए ये शॉर्ट टर्म कोसर्ेस खासे उपयोगी हैं।
क्या है प्रवेश प्रक्रिया
पॉलीटेक्निक प्रवेश परीक्षा का आयोजन साल में एक बार होता है। अमूमन हर साल जनवरी माह में इससे संबधित फॉर्म निकलते हैं व मई माह में परीक्षा आयोजित होती है। परीक्षा उपरांत कांउसिल प्रक्रिया से गुजर आप मनपसंद कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। प्रश्नपत्र में हाईस्कूल स्तर की मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ जीके, रीजनिंग से जुडे कॉमन प्रश्न भी पूछे जाते हैं। प्रश्नपत्र का स्वरूप बहुविकल्पीय होता है। पॉलीटेक्निक डिप्लोमा होल्डर्स बीटेक सेकेंड इयर में प्रवेश के योग्य माने जाते हैं।
वीमेन रॉक
महिलाओं की वित्तीय आत्मनिर्भरता आज सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। महिला पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थापना सरकार की इसी मंशा को जाहिर करती है। वैसे तो इन संस्थानों में कई कोर्स संचालित होते हैं लेकिन वीमेन ओरियेंटेड कोर्सो पर सबसे ज्यादा फोकस होता है। इनमें सिलाई-बुनाई, हाउस डेकोरेशन, फैशन डिजाइनिंग, मीडिया स्टडीज, ट्रैवेल मैनेजमेंट सबसे लोकप्रिय हैं।
अवसर तराशता एनआईओएस
एनआईओएस यानि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इसकी स्थापना 1989 में भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा की गई। सभी एनआईओएस क ोर्स पत्राचार के जरिए होते हैं, यानि आप घर बैठे ही अपनी ऐकेडमिक, वोकेशनल क्षमताओं को धार दे सकते हैं। इसके अंतर्गत सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी के साथ कम्यूनिटी ओरियेंटेड, वोकेशनल, लाइफ इनरिचमेंट जैसे प्रोग्राम भी चलते हैं। एलीमेंट्री लेवल के लिए खास तौर पर डिजाइन ओपेन बेसिक एजूकेशन प्रोग्राम(ओबीई) का विकल्प भी यहां है।
कॅरियर का पावर प्ले
कॅरियर की मंजिल में कई अडचनें आती हैं, लेकिन कुछ खास चीजों को फॉलो किया जाए तो हर मुश्किल आने वाले खुशहाल कल की दस्तक बन सकती है..
हाईस्कूल पास होने व 10+2 में दाखिला लेने के बीच का समय क्रिकेट मेंपावर प्ले की तरह होता है। जिस तरह पावर प्ले में किया गया बेहतर प्रदर्शन टीम की मैच पर पकड मजबूत करता है,उसी तरह यदि कॅरियर के फ्रंट में भी इस अहम वक्त का सही इस्तेमाल किया गया तो जीत पक्की है। यहां कुछ ऐसी ही चीजें दी जा रही है, जिन्हें दिमाग में रखा गया तो नतीजे बेहतर ही मिलेंगे। आप जानते हैं खुद को बेहतर- कहा जाता है कि आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जानता। आपकी क्या खूबियां हैं, क्या खामियां हैं,आप उन्हें अच्छे ढंग से जानते हैं। ऐसे में उचित यही होगा कि आप ग्यारहवीं में प्रवेश पूर्व अपनी इसी खूाबी का इस्तेमाल करें।
न रहें मुगालते में- अक्सर छात्र हाईस्कूल में अपनी परफॉर्मेसबाद खुद से मुगालता पाल लेते हैं और अपने बस के बाहर की चीजों पर हाथ डाल देते हैं। नतीजतन उन्हें मिलती है तो सिर्फ नाकामयाबी। सफल होने के लिए जरूरी है कि वास्तविकता के करीब रहते हुए ही कोई निर्णय लें। इससे कॅरियर का कठिन दौर भी आपके लिए सहज हो जाएगा।
प्लानिंग बनेगी सहारा- पुरानी कहावत है वेल स्टार्ट हाफ डन यानि अच्छी शुरुआत लगभग आधा काम आसान बना देती है। लेकिन अच्छी शुरुआत से चला कारवां अंजाम तक तभी पहुंचेगा, जब उसके पीछे सटीक योजना भी होगी। आप भी चाहें तो हाई स्कूल बाद अपने पैरेंट्स, टीचर्स, कंसल्टेंट की मदद से एक शानदार कॅरियर प्लान कर सकते हैं।
गाइडेंस इज द की ऑफ सक्सेस- कुम्हार के सधे हाथों के स्पर्श के बगैर अच्छी गुणवत्ता की माटी भी लोंदा ही कहलाती है। उसी तरह छात्र कितना ही मेधावी क्यों न हो, बिना बेहतर गांइडेंस के शेप नहीं पा सकता। इस कारण जरूरी है कि 10 वीं बाद छात्रों को अपने अध्यापकों व अभिभावकों की पूरा गाइडेंस मिले।
रुचियों को दें वरीयता- तुम वो बनोगे जो मैं चाहूंगा जैसे डॉयलॉग सिनेमाई पर्दे तक सीमित रहे तो अच्छा है। क्योंकि आज सच्चाई है कि बच्चे अपनी रुचि वाले क्षेत्र में ही अच्छा करते हैं। ऐसे में उनको किसी खास स्ट्रीम में झोंकना ठीक न होगा। अभिभावक के तौर पर यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कॅरियर में तरक्की करे, तो अच्छा होगा कि उनके इंट्रेस्ट को सपोर्ट करें।
फॉलो नहीं एक्सप्लोर करें- दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो ज्िादगी भर दूसरों की बनाई राहों पर खुशी- खुशी चलते रहते हैं। तो दूसरे वे जो अनेक झंझावतों के बीच से अपना रास्ता खुद बनाते हैं। जाहिर है कि पहला वाला काम आसान व सुविधाजनक है तो दूसरे काम में मुसीबतें हैं। पर यह तय है कि अलग पहचान मुसीबतों की आग से तपने वालों की ही बनती है। 10वीं बाद आपको अपनी ऐसी ही अलग पहचान बनाने का पूरा मौका मिलता है। जरूरत है तो बस निडर फैसलों की।
चलें वक्त की बाहों में हाथ डालकर- कॅरियर के लिहाज से आज हमारे आस-पास बहुत सी चीजें घटित हो रही हैं, जिनका फायदा उठाना है तो उनसे अवेयर रहना ही होगा। इन दिनों 10वीं बाद ऐसे-ऐसे विकल्प तैयार हो चुके हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को कोई जानकारी ही नहीं होती। कॅरियर के नए-नए रास्तों में खुद की आजमाइश करने वालों के लिए जरूरी है? इन रास्तों की पूरी जानकारी भी ले लें।
आफ्टर 10+2
अर्ली स्टार्ट, अर्ली रिजल्ट
कहा जाता है कि अर्ली स्टार्ट तभी काम आता है, जब उसको अंजाम तक पहुंचाने की एक ठोस योजना भी आपके पास हो। इन दिनों 10+2 के बाद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए कॅरियर में अर्ली स्टार्ट मिल रहा है, जहां वे कम उम्र में ही कॅरियर को मुकाम दे सकते हैं। आज वह दौर नहीं रहा, जिसमें छात्र पहले स्कूल, फिर कॉलेज की लंबी शक्षिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद कॅरियर के बारे में सोचा करते थे। इन दिनों इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल, डिफेंस, जर्नलिज्म व लॉ जैसे क्षेत्र 10+2 पासआउट स्टूडेंट्स के लिए अवसरों की खान साबित हो रहे हैं। आज इन कोर्स के जरिए सही मायने में उच्च गुणवत्ता वाले स्टूडेंट्स तैयार किए जा रहे हैं। कोर्स?पूरा करने के बाद बेहतरीन सैलरी पैकेज, सफल व्यावसायिक जिंदगी उम्मीदवारों का स्वागत करते हैं। लेकिन बडा प्रश्न है इनकी प्रवेश परीक्षाओं में चयन का। जवाब में विशेषज्ञों व आंकडों का निचोड कहता है कि अगर स्टूडेंट्स तैयारी के दौरान अपने जुझारू तेवर कायम रख सकें तो मुश्किल कुछ भी नहीं है।
इंजीनियरिंग- 0+2 (पीसीएम ग्रुप) से पास छात्रों के लिए इंजीनियरिंग आज भी सबसे पसंदीदा च्वाइस है। यहां हर वर्ष राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर इंजीनियरिंग परीक्षाओं का आयोजन होता है। इनमें क्वालीफाइड उम्मीदवारों को उनकी मेरिट के अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेज आवंटित किए जाते हैं। यदि आप 12वीं मैथ्स ग्रुप के साथ तकनीकी मेधा से संपन्न हैं तो इंजीनियरिंग एक उम्दा राह हो सकती है।
डिजाइन में डेकोरेटिव क ॅरियर - अगर डिजाइन में रुचि है, तो आप बारहवीं के बाद इससे संबंधित कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। अमूमन डिजाइन संस्थान अंडरग्रेजुएट कोर्स ऑफर करते हैं, जिसके लिए एक प्रवेश परीक्षा होती है। अगर आप डिजाइन में कॅरियर को नई उडान देना चाहते हैं, तो आपके लिए बेहतर कॅरियर विकल्प है।
मेडिकल में कॅरियर का मरहम- 0+2 बायोस्ट्रीम के छात्रों के लिए मेडिकल परीक्षा सबसे बडा लक्ष्य होती है। मेडिकल परीक्षाओं में एआईपीएमटी, एम्स, बीएचयू सबसे अहम हैं। यही नहीं आर्म्स फोर्स मेडिकल एंट्रेस एग्जाम, मनिपाल पीएमटी, डीयू मेडिकल टेस्ट के साथ-साथ ज्यादातर राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं भी स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण पडाव साबित होती हैं। ज्यादातर मेडिकल परीक्षाओं का आयोजन अप्रैल व मई महीनों में होता है।
डिफेंस है डिपेंडेबल कॅरियर- 12वीं के बाद डिफेंस की राह चलने वालों के लिए अवसरों की कमी नहीं है। साल में दो बार आयोजित होने वाली एनडीए परीक्षा इन युवाओं का सबसे बडा लक्ष्य होता है, जिसमें सफल होकर आप तीनों ही सेनाओं में बतौर ऑफिसर काम कर सक ते हैं। जाहिर है जो रुतबा और देश के लिए कुछ करने की संतुष्टि यहां है, वह और कहीं नहीं। केवल एनडीए ही नहीं नेवी, एयरफोर्स, कोस्ट गार्ड्स में भी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल कैटेगिरी में 12वीं उत्तीर्ण कैंडिडेट्स को मौके मिलते हैं।
आप बारहवीं के बाद परीक्षा दे सकते हैं।
कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूएआई फाउंडेशन आईआईटी-जेईईई एआईईईई रेलवे एससीआरए एआईपीएमटी एम्स एमबीबीएस | आर्म्ड फोर्स मेडिकल एग्जाम एनडीए एग्जाम एयरफोर्स टेकिन्कल एग्जाम आर्मी और नेवी एग्जाम नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी नेशनल एप्टीटयूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर |
चुनो वही, जो हो सही
निर्णय लेना एक प्रक्रिया का हिस्सा है। अगर आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर राह चुनेंगे, तो कामयाबी मिथक नहीं सच्चाई बन जाएगी..
12वीं कॅरियर की वह नाजुक डोर होती है, जिसके छूने भर से कॅरियर के पूरे खाके में झनझनाहट तय है। अब यह निर्भर क रता है कि आप इस डोर को छूकर कामयाबी का मधुर संगीत पैदा करते हैं या इसके टूट की वजह बनते हैं। वैसे भी आज का दौर उस जमाने जैसा नहीं रहा, जब कॅरियर निर्माण के कु छ गिने चुने ही रास्ते हुआ करते थे। आज रास्तों का पूरा संजाल फैल चुका है, लेकिन इससे एक नई समस्या छात्रों के समक्ष उठ खडी हुई है-समस्या सही विकल्प चुनने की। इस समस्या के बीच हम कुछ ऐसी चीजें दे रहे हैं, जिन्हें फॉलो करें तो 12वीं के बाद कई समस्याओं का हल निकल सकता है।
एरिया ऑफ इंट्रेस्ट- हम कक्षाएं तो पार करते रहते हैं, लेकिन न तो हमें और न ही हमारे अभिभावकों को पता रहता है कि आखिर हमारी रुचियां किस दिशा में हैं। इस कारण जरूरी है कि हम सबसे पहले अपनी रुचियों को समझें। इससे कॅरियर चयन में काफी आसानी होती है, क्योंकि हर इंसान का अपना ही व्यक्तित्व होता है जिसके अनुरूप वह अपने आस-पास की चीजों के प्रति एक खास रवैया रख पाने के काबिल होता है। आज की तारीख में 10+2 के बाद कॅरियर की कई च्वाइसेस इसी मानव व्यक्तित्व के इर्द गिर्द?घूमती हैं।
खूबी व कमजोरी जानो
मुक्केबाजी के खेल में अपर कट की अपनी ही अहमियत है, जिसमें विपक्षी मुक्केबाज सामने वाले के आंख के ऊपरी हिस्से पर चोट पहुंचाकर उसकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि मुक्केबाज अनुभवी है तो मुकाबले के दौरान अपने इस कमजोर पक्ष को प्रोटेक्ट करता है। कॅरियर के मुकाबले में भी यह रणनीति कारगर है।
स्किल्स का नहीं कोई अल्टरनेटिव- हर कंपनी चाहती है कि उसका इम्प्लॉई कंपनी के लिए अपना शत प्रतिशत दे। पर शत प्रतिशत दे पाना तभी संभव है, जब कर्मचारी अपने काम के साथ कुछ खास स्किल्स में भी निपुण हो। कम्यूनिकेशन स्किल्स, टेक्नोसेवी, भाषा पर अच्छी पकड, पर्सुएशन पावर, लीडरशिप, राइटिंग आदि ऐसी ही स्किल्स हैं। कॅरियर की लंबी यात्रा में अपनी सीट रिजर्व कराने के लिए इनमें से किसी एक स्किल्स में परफेक्ट होना जरूरी है।
कार्य की प्रकृति समझना अहम
देश की तेज इकोनॉमिक ग्रोथ ने संस्थानों की प्रकृति के साथ वहां के वर्क कल्चर को भी बदला है। इस कारण इनमें कार्य करने वालों के लिए संस्थानों की बदली प्रकृति के साथ खुद में परिवर्तन लाना भी जरूरी हो चला है। आज मीडिया से लेकर इंडस्ट्रियल यूनिट, मार्केटिंग तक सभी का नेचर ऑफ वर्क अलग-अलग है, जिनमें देर रात तक शिफ्ट, फील्ड वर्क जैसी चीजें आम हैं। यदि आप भी 12वीं बाद कॅरियर चुनते समय कार्य का नेचर समझेंगे तो बेहतर होगा।
वित्तीय सामर्थ्य- यह ठीक है कि एजूकेशन लोन व स्कॉलरशिप्स ने छात्रों की राहें आसान की हैं। खास कॅरियर विकल्प को चुनने से पहले अपनी व अपने परिवार की आर्थिक सामर्थ्य जरूर देखें। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें छात्रों ने एकाएक किसी कॅरियर के बारे में निर्णय लिया हो और बाद में संसाधनों की कमी के चलते उन्हें पीछे हटना पडा हो। पैरेंट्स से सलाह, कॅरियर कांउसलर से बातचीत इस बारे में आपकी राह आसान कर सकती है।
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