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how to sex in hindi

कैसे करें सेक्स की शुरुआत

जब आपकी शादी होने वाली होती है, तो आने वाली जिंदगी को लेकर मन में कई सवाल उठने शुरू हो जाते हैं. जीवनसाथी के साथ सेक्स को लेकर जहन में उलझन भरे ख्याल आते हैं लेकिन झिझक की वजह से आप किसी से कुछ कह नहीं पाते. अगर आप भी ऐसे ही कुछ सवालों से घिरे हैं तो ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं.

बात से हो शुरुआत:- शादी के बाद शुरुआत बातचीत से करें. बातों के जरिए आप अपनी पत्नी को इजी फील कराएं. बातचीत नॉर्मल बातों से ही शुरू करें. धीरे-धीरे बातों का सिलसिला प्यार और सेक्स भरी बातों तक लेकर जाएं. ध्यान रहे ये शुरुआत पुरुष पार्टनर को ही करनी होगी. 
उनकी मर्जी भी जानें- अपनी पार्टनर की मर्जी का खास ख्याल रखें. सेक्स सिर्फ दो जिस्मों का मिलन नहीं होता बल्कि दिलों को करीब लाने में अहम किरदार अदा करता है. इसलिए किसी तरह का दबाव न डालें. ऐसी कोई हरकत न करें, जिससे आपके हसीन पलों में कड़वाहट भर जाए.

जल्दबाजी न करें- पुरुष अक्सर सेक्स के दौरान जल्दबाजी करते हैं. एक रिसर्च में पाया गया है कि पुरूष 15 मिनट में सेक्स ड्राइव कंप्लीट कर सकते हैं, जबकि 75 फीसद महिलाएं सेक्स की चरमसीमा तक पहुंचने में 30-45 मिनट लेती हैं. लिहाजा अपनी पाटर्नर की फीलिंग्स का ख्याल रखें. कोशिश करें कि वो भी इस खूबसूरत एहसास का भरपूर मजा उठा सकें.

फोर प्ले बेहद जरूरीः- सेक्स में मजा तब आता है, जब दोनों ही पाटर्नर की उत्तेजना चरम पर हो. इसके लिए फोर प्ले बहुत जरूरी है. शुरुआत किससे करें. उन्हें धीरे-धीरे चूमते हुए अपनी बांहों में भर लें. अपने हाथों से हल्के-हल्के उनके शरीर को मसाज करते हुए छुएं. धीरे-धीरे वाइल्ड हों. अगर वो साथ दे रही हैं तो अपने प्यार और जज्बात उन पर पूरी तरह उड़ेल दें.

कंडोम का इस्तेमाल करें- पहली ही रात में फैमिली प्लानिंग की बात करना शायद अटपटा लगे इसलिए कंडोम का इस्तेमाल करें और सेफ सेक्स का मजा लें. कंडोम के इस्तेमाल से पहले उसके कवर पर लिखे इंस्ट्रक्शन को ध्यान से पढ़ लें.

नर्वस न होः- ये आपका फर्स्ट टाइम है तो आपका नर्वस होना लाजमी है, लेकिन ज्यादा परेशान न हों. अपने पार्टनर पर तो अपनी हालत बिल्कुल भी जाहिर न होने दें. इससे आपके पार्टनर में भी घबराहट पैदा हो सकती है.

कैसे सेक्स की शुरूआत करे

सेक्स पहली बार हो या दूसरी बार लेकिन इसको सही तरीके से करना बहुत मुश्किल होता है। सेक्स करने का सही तरीका ही दोनों साथी को और ज़्यादा करीब लाता है। लेकिन सबसे मुश्किल की बात यह है कि इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही मालुम होता है। बहुत लोगों के मन में इसके बारे में बहुत सवाल होते हैं कि कैसे सेक्स की शुरूआत अच्छी तरह से की जाये। इसलिए यहाँ कुछ बातों के बारे में एक-एक करके बताया जा रहा है जिसके द्वारा आप सेक्स संबंध की शुरूआत अच्छी तरह से कर पायेंगे-
पहले इस बात का पता लगायें कि आपका साथी सेक्स करने के लिए इच्छुक है कि नहीं-
सेक्स करने का पहला नियम यह है कि आप अपने साथी के मन की बात को जानें। हर समय हर कोई सेक्स के लिए तैयार नहीं भी हो सकता है इसलिए साथी से पुछ लेना अच्छा होता है या प्यार भरे स्पर्श से भी इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वह मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार है कि नहीं।
पहले से मानसिक रूप से तैयार हो जायें-
सेक्स करना एक ऐसा अनुभव होता है जो न सिर्फ आपको आनंद प्रदान करता है बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बहुत लाभ मिलता है, जैसे- कैलोरी बर्न होता है, अवसाद से निजात मिलता है। लेकिन सावधानी की बातों पर ध्यान रखना ज़रूरी होता है नहीं तो इस आनंद का मजा किरकिरा हो सकता है, जैसे- अनचाहा गर्भ, कोई संक्रमक बीमारी आदि। इसलिए सेक्स करने के पहले कॉन्डोम या गर्भनिरोधक गोलियों का बंदोबस्त रखना ज़रूरी होता है। सेक्स करने के पहले साथी के मन की बात को समझना अच्छा होता है और यदि पत्नी बच्चा लेने के लिए तैयार नहीं है तो सेक्स करने के वक्त कॉन्डोम का इस्तेमाल ज़रूर करें। कभी भी जबरदस्ती न करें।
आराम प्रदान करने वाले जगह का चुनाव करें-
सेक्स करने के लिए ऐसे जगह का चुनाव करना चाहिए जो जगह आपके मन और शरीर दोनों को आराम पहुँचा सके। जो जगह सिर्फ आपका अपना हो वही जगह अच्छा होता है।
सेक्स करने के लिए कभी भी साथी के साथ जबरदस्ती न करें-
यौन संबंध स्थापित करने के सबसे पहला नियम है प्यार। इस नियम को कभी न भूलें क्योंकि जबरदस्ती प्यार नहीं अत्याचार होता है। आप दोनों को एक-दूसरे के इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए तभी एक अच्छा सेक्स जीवन शुरू हो सकता है। यह तभी हो सकता है जब आप एक दूसरे से खुलकर अपने मन की बात कहेंगे।
प्यार भरा स्पर्श और चुंबन (kiss) या किस करना-
शारीरिक संपर्क स्थापित करने के पहले प्यार भरा संपर्क स्थापित करना ज़रूरी होता है। ज़्यादातर महिलाओं को प्रेम संबंध स्थापित करने के पहले मानसिक रूप से तैयार होने के लिए चुंबन, उनका परवाह करना, कामुक स्पर्श करना अच्छा लगता है। इसके द्वारा वे धीरे-धीरे इस संबंध के लिए मानसिक रूप से तैयार होने लगती हैं।
फोरप्ले की महत्वपूर्ण भूमिका-
साधारणतः फोरप्ले का महत्व पुरूष नहीं देते हैं मगर महिलाओं को सेक्स के लिए उत्तेजित करने के लिए फोरप्ले बहुत ज़रूरी होता है। सेक्स करने के पहले चुंबन, आलिंगन (cuddle), आंतरिक अंगों में प्यार का स्पर्श यह सब ज़रूरी होता है। यह सब उन्हें मानसिक रूप से तृप्त करती हैं। उसी तरह पुरूषों के शरीर को भी महिलाओं के प्यार भरे स्पर्श की ज़रूरत होती है तभी उनका शरीर तृप्त होता है।
सही समय का इंतजार-
प्रेम संबंध शुरू करते ही पेनिट्रेशन करना सबसे बूरा व्यवहार होता है क्योंकि इस से दोनों के बीच प्यार का बंधन नहीं सिर्फ एक काम को करने की अनुभूति मात्र होती है। जब आपका साथी पूरी तरह से अपने चरम अवस्था में पहुँच जाये तभी पेनिट्रेशन का सुख भोग करें।
लिंग प्रवेश के पहले कुछ बातों का ध्यान रखें-
सेक्स का आनंद उठाने के लिए प्राथमिक बातों के बारे में भी जान लेना ज़रूरी होता है। महिला के योनिमार्ग के बारे में अच्छी तरह से जान लें। हो सकता है पहली बार पुरूषों को इस बात का पता नहीं होता है कि योनिमार्ग (vagina) किधर है। इसलिए बिना जाने वे लिंग का प्रवेश करने की कोशिश करते हैं जिससे महिलाओं को भीषण दर्द का अनुभव करना पड़ता है। इसलिए बिना शर्म किए अपने साथी की सहायता लें।
प्यार संबंध स्थापित करना-
पेनिट्रेशन के बाद पुरूष को अपने सुख के साथ साथी के खुशी का भी ध्यान रखना चाहिए। दोनों को अपने मन की बात एक दूसरे को बतानी चाहिए ताकि दोनों सेक्स का पूरा आनंद उठा सके और एक-दूसरे को संतुष्ट कर सके। सेक्स का आनंद उठाने के लिए एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।
सेक्स संबंध स्थापित करने के बाद-
सेक्स संबंध स्थापित करने के तुरन्त बाद ही अलग नहीं हो जाना चाहिए जैसे कि काम हो गया चलो अब चलते हैं। बल्कि एक-दूसरे को प्यार करना चाहिए, किस करना चाहिए, आलिंगन करना चाहिए इससे दोनों के बीच का संबंध और भी गहरा होता है।
प्रेम संबंध स्थापित करने के अंतिम अवस्था में-
संबंध स्थापित करने के बाद अपने खुशी को जाहिर करें। आपको इस संबंध से कितनी संतुष्टि मिली है इस बात को व्यक्त करें। सबसे ज़रूरी बात यह है कि खुद के अंतरंग अंगों को साफ कर लें। अगर आपके कॉन्डोम का इस्तेमाल किया है तो कागज में रैप करके डस्टबीन में फेंक दें।

सेक्स कैसे करें

सेक्स करने के पहले स्त्री को सहलाना चूमना इत्यादि पूर्वक्रीडाओं से उत्तेजित करें.
सीधे हमला कर देने वाली आदत से आपका पहले पात हो जायेगा और उसे मजा नही आयेगा.
दोनों जब सेक्स का पूरा आनंद ले पाते हैं तभी सेक्स लाइफ़ सही रहेगी
स्त्री जितना ज्यादा उत्तेजित होगी उतनी ही जल्दी वह स्खलित होकर चरम सुख तक पहुन्चेगी.
सेक्स में सफ़लता के लिये जरूरी है कि आपका लिंग पर्याप्त समय तक खडा रहे.
जब लिंग खडा होता है तभी वह योनि में घुस पाता है.

लिंग का खडा रहने का समय दो बातों पर निर्भर है:-
आपका आपके मन पर नियंत्रण - जब तक आप मानसिक रूप से उत्तेजित रहेंगे तब तक लिंग खडा रहेगा.
आपका शारीरिक स्वास्थ्य - आप स्वस्थ होंगे तो आपका लिंग ज्यादा समय तक खडा रहेगा.थकान तनाव तथ चिंता से लिंग खडा रहने में दिक्कत होती है.
स्त्री का सेक्स के लिये तैयार होना - स्त्रियों में सेक्स करने की इच्छा पुरूषों की तरह फ़ट से नहीं जागती. उनमें धीरे धीरे वासना जागती है. पुरुष को सेक्स के लिये लिंग का खडा होना जरूरी होता है, स्त्रियों में ऐसा कुछ नही होता. स्त्रियों को चूमने सहलाने से उनमे सेक्स करने की इच्छा जागती है. योनि का गीला होना, सिसकारी भरना, बार बार लिपटना, अपनी तरफ़ खींचना आदि उसके तैयार होने के लक्षण हैं.
ऐसा होने के बाद यदि आप लिंग को योनि में डालेंगे तो आप उसे भी संतुष्ट करके चरमसुख तक पहुंचा पायेंगे.

पहली बार ऐसे करें सेक्स

फर्स्ट टाइम सेक्स कुछ खास होना चाहिए। बहुत इंतजार के बाद आपको अपने सपनों के सौदागर के साथ प्यार के कुछ पल बिताने के मौके मिलते हैं। अब चाहे फर्स्ट टाइम सेक्स आप सुहागरात में ही करें या फिर उससे पहले, मगर इसे एक लाइफटाइम एक्सपीरिएंस होना चाहिए। जब भी आप पहली बार सेक्स के लिए तैयार हों, सारी चिंताएं छोड़कर बस उन पलों को इंजॉय करें। ये हैं फर्स्ट नाइट पर आजमाने लायक कुछ सेक्स पोजिशन:

मैन ऑन टॉप पहली बार का सेक्स स्लो ही बेहतर होता है। ज्यादा से ज्यादा फोरप्ले पर ध्यान दें। जब आप पूरी तरह से तैयार हो जाएं, तो अपनी पीठ के बल लेटकर पैरों को उपर उठा लें। उन्हें आराम से अपने अंदर आने को कहें और इस खास पल को भरपूर इंजॉय करें।

बैलेरिना स्पूनिंग पोजिशन की तरह इस पोजिशन में आपके पार्टनर के साथ आपका संपर्क बराबर बना रहता है। उनके बगल में लेटकर अपने एक पैर को उपर उठाएं। उसको अपने पैर अपने पैरों के बीच में रखने दें और फिर उसे अंदर आने को कहें। इस पोजिशन में आप स्लो मूव ज्यादा इंजॉय करेंगी।

फाइन डाइन 69 अगर फर्स्ट टाइम सेक्स का पूरा मजा लेना है तो लूब्रिकेशन पर भी फोकस करना होगा। बेहतर लूब्रिकेशन का मतलब एक स्मूद सेक्स। इस काम में 69 पोजिशन खासा मददगार साबित होता है।

द सॉफ्ट रॉक अपनी पीठ के बल लेट जाएं और अपने पार्टनर को अपनी तरफ चेहरा कर लेटने को कहें। उससे खुद को पकड़ने को कहें और अपना पूरा वेट खुद पर डालवाएं। फिर उससे धीरे-धीरे अंदर आने को कहें। हां, यह पोजिशन तभी ट्राइ करें जब आप उनका वजन संभाल सकती हों।

द ड्रैगन अपने पेट के बल लेटें और अपने पैरों को फैला लें। अपने पेट के नीचे एक तकिया रखें और अपने पार्टनर को खुद पर लेटने को कहें। जैसे ही वह आपके उपर आए उससे धीरे-धीरे अंदर आने को कहें। यह पोजिशन आप जरूर इंजॉय करेंगी।

मैजिक माउंटेन ढेर सारे तकियों के उपर अपनी बॉडी का उपरी हिस्सा टिका दें। अब अपने पार्टनर से कहें कि अपने सीने को आपकी पीठ से मिलाए और पीछे से आपके अंदर आने की कोशिश करे। खुद के सपोर्ट और घुटनों के बल होने के लिए सॉफ्ट तकिये का इस्तेमाल करें।

बिस्तर के किनारे अपने पार्टनर को बिस्तर के किनारे पर बैठा कर आप उसकी गोद में बैठ जाएं। उसके कंधों पर अपने हाथ रखें और उसकी पीठ को तकियों के सहारे सपोर्ट लेने दें। घुटनों के बल उसके उपर बैठें और उसे धीरे से अपने अंदर आने को कहें। सपोर्ट के लिए उसके सर के पीछे लगे तकिये का सहारा लें। यह आपके लिए एक यादगार अनुभव होगा।


सेक्स के बाद: क्या करें और क्या नहीं करें

सेक्स के तुरंत बाद शायद आप सोना चाहते हों या फिर वो काम जारी रखना चाहते हों जिसके बीच अचानक सेक्स शुरू हुआ थाI लेकिन यदि आप अपने पार्टनर को सचमुच अच्छा महसूस करना चाहते हैं तो हमारे इस 'क्या करें और क्या नहीं करें' पर ज़रा गौर फरमाइएI

क्या करें...

सोते समय मीठी बातें
सेक्स की दीवानगी के पलों के बाद दो लोगों के बीच ऐसा जुड़ाव होता है जो बाकी समय शायद संभव नहीं है, अपने राज़, अपनी पसंद नापसंद, अपनी मन के भाव, आप वो सब बातें इस समय कर सकते हैं जो शायद बाकी समय ना कर पाएंI सेक्स के बाद कि ये बातें, वैज्ञानिकों के अनुसार ऑक्सीटॉसिन हार्मोन का प्रवाह बढाती हैं जो आपके मन में एक दूसरे के लिए भरोसा और जुड़ाव पैदा करता हैI वजह जो भी हो, रिसर्च दर्शाती है की जो युगल सेक्स के बाद ये बातें करते हैं, वो ज़्यादा खुश और संतुष्ट होते हैंI

शारीरिक संपर्क बनाये रखें
एक बार काम ख़त्म हुआ तो ध्यान हटा लेना बिलकुल सही नहीं हैI अपने साथी को ये भरोसा दिलाने के लिए कि सेक्स के बाद भी वो आपके लिए बेहद ख़ास हैं, अपने हाथों को सक्रिय रखियेI ज़रूरी नहीं की हाथों की ये हलचल सेक्स सम्बंधित होI ये प्यार भरा स्पर्श, बालों का सहलाना भी हो सकता हैI

साथ में स्नान/शावर
अगले कदम (शरीर की सफाई) का प्यार भरा रूप साथ में शावर लेकर दिया जा सकता हैI एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाकर, हलकी मालिश कर, कौन जाने शायद एक सेक्स के एक और दौर की शुरवात बन जाये!

फिर से एक बार
पुरुष अक्सर सेक्स के बाद थकन से चूर महसूस करते हैं, लेकिन यदि आप सेक्स कि इस थकान के बाद के पलों को साथ बिताते हैं तो थकान गायब हो सकती है और प्यार का वो स्पर्श जिसकी हम पहले चर्चा कर रहे थे, अगले दौर का फोरप्ले बन सकता हैI

साथ में कुछ करिये
आप दोनों साथ में किचन में कुछ खाना बना सकते हैं, कमरे को साथ मिलकर साफ़ कर सकते हैं, साथ गाने सुन सकते हैं या आइस क्रीम खाने जा सकते हैंI महत्वपूर्ण बात है साथ मिलकर कुछ करना, सेक्स खत्म होने के बाद ये विश्वास दिलाने के लिए कि आपको एक दूसरे के जनांगों के अलावा भी एक दूसरे में दिलचस्पी हैI

अपने साथी की तारीफ करें
महिला और पुरुष दोनों अपने सेक्स के दौरान प्रदर्शन को लेकर थोड़े नर्वस रहते हैंI इसलिए उन्हें ये विश्वास दिलाना की आपके लिए सेक्स का अनुभव बहुत अच्छा था, उन्हें बेहतर महसूस करने में मदद करेगाI

खुद को छुएं
महिलाओ, अगर पहले दौर में आपको वो नहीं हासिल हुआ है जो होना चाहिए था और आपका पुरुष पार्टनर थक कर चूर हो चुका है, तो आप अपने आपको छुएं, और आपका पार्टनर चाहे तो आपका हाथ बंटा सकता हैI चाहे वो ऐसा करे या नहीं, लेकिन ये भी एक तथ्य है कि बहुत से पुरुष खुद को छूती महिलाओं को देख कर उत्तेजना महसूस करते हैंI

क्या नहीं करें...

एक दम से सो जाना
आमतौर पर लोग खासकर पुरुष, जैविक रूप से सेक्स के तुरंत बाद सो जाना पसंद करते हैंI ऐसा इसलिए है क्यूंकि ओर्गास्म के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रवाह होता है जिससे नींद आती हैI लेकिन जैविकता से परे ऐसा करके आप अपने साथी को बुरा महसूस करा सकते हैंI इस स्थिति से निबटने के लिए रामबाण ये है की ओर्गास्म के दौरान में सांस को रोक लेने की बजाय गहरी सांस लेकर देखियेI ज़रूर असर होगाI लेकिन अगर असर ना हो तो ठन्डे पानी से शावर ले लीजियेI कुछ भी कीजिये, बस अचानक सोइए मतI

इंटरनेट या फोन चेक करना
ये स्वाभाविक हैI अपने साथी को बुरा महसूस करने का इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं हैI अगर बहुत ज़रूरी हो तो भी हम कहेंगे की पहले आपका ध्यान फोन पर नहीं आपके साथी पर होना चाहिएI

अपने साथी को जाने के लिए कहना
जिन लोगों ने हाल ही में सेक्स करना शुरू किया है, उनका अपने साथी को सेक्स के बाद जाने के लिए कहना सचमुच काफी अशिष्ट होगाI उन्हें जाने के लिए कहने की बजाय उन् गतिविधियों में शामिल करिये जिनका ज़िक्र हमने ऊपर 'क्या करें' भाग में किया हैI अगर ये सेक्स सिर्फ एक रात का रिश्ता था तो भी ऐसा करना गलत हैI

तकिये की बातों का ओवरडोज़
खासकर नए रिश्तों में, अगर सेक्स के बाद के 'पिलो टॉक्स' की अति ना करेंI बड़े बोल, वादे और भावनाएं ना दिखाएँI और चाहे जो भी करें, 'आई लव यू' कहने की जल्दबाज़ी सिर्फ इसलिए ना करें क्यूंकि आप दोनों ने सेक्स कर लिया है और अब आप ये कहना अपना कर्तव्य समझ रहे हैंI

शरारती बातों को जारी रखना
अगर आपने सेक्स के दौरान काफी 'गन्दी बात' भी की है तो याद रखें की वो मदहोशी का पल थाI वो बातें उस समय सही थी, उन बातों को जारी रखकर आप अपने पार्टनर को असहज महसूस करा सकते हैंI इन् शब्दों और बातों को सेक्स के अगले दौर के लिए बचा कर रखेंI

सेक्‍स के दौरान ध्‍यान रखनें योग्‍य बातें:

सेक्स करते वक्‍त  आपका पूरा ध्यान अपने साथी पर होना चाहिए। उस समय आपको सिर्फ अपने साथी पर ध्‍यान केन्द्रित करेंइसके लिए आपको आस-पास की पूरी दुनिया को भूलाकर अपने साथी को अपनी नजदीकी का आभास होना चाहिए।

सेक्स के तुरंत बाद चिर निद्रा में मत जायें  और न ही अपने साथी से दूर होकर बैठें बल्कि अगर आप उस समय अपने साथी से बात करेंगें तो उसे ज्यादा अच्छा लगेगा।

सेक्स के बाद यदि आप रात में भोजन  करना चाहते हैं तो अपने साथी को अपने हाथों से भोजन करायें  और यदि आप सोने के मूड में हैं तो अपने साथी को एक अच्छी सी मसाज ऑफर करें उसे स्‍वर्गिक आनंद मिलेगा।

ये आवश्‍यक नहीं सेक्स हमेशा बिस्‍तर  पर ही किया जाए आप सेक्स के दौरान वाथरूम में जाकर नहा भी सकते हैं इससे आपको सेक्स के  दौरान एक ताजगी महसूस होगी और बाद में आप एक अच्छी नींद ले सकेंगें।

सेक्स के दौरान कभी अपे साथी से जबरजस्‍ती  नजदीकी बनाने का प्रयास न करें इससे सेक्स समस्याएं भी हो सकती हैं बल्कि उसे सेक्स के लिए राजी करने का सफल प्रयास  करें और ये भी ध्यान रखें कि आपका साथी मानसिक रूप से किसी प्रकार के तनाव में न हो जिससे दोनों साथी सेक्स को पूरी तरह से आनंद  ले  सकें।

सेक्स के दौरान जरूरी है कि आप इधर-उधर की बातें करने के बजाय रोमांस और प्यार की बातें करें। संभव हो तो मंदिम लाइट में हल्का संगीत भी चला सकते है जिससे सेक्स के दौरान दोनो साथी एक-दूसरे को अपने करीब पा सकें।

पुरुष सेक्स को लेकर ज्यादा उत्साहित होते हैं और इसी कारण  से वह सेक्स को अलग-अलग तरीकों से करना चाहते हैं लेकिन आमतौर पर महिलाएं सेक्स के प्रति ज्यादा रुचि नहीं लेती हैं। सेक्स के दौरान महिलाओं को ऐसा नहीं करना चाहिए उन्हें भी अपने साथी को सेक्स में पूरा अपने पार्टनर का सहयोग करना चाहिए।


कैसे बढ़ायें सेक्‍स ताकत

1) लहसून की दो-तीन  कलियां कच्ची चबाकर खाने से सेक्स पावर बढ़ता है। भोजन में भी लहसुन शामिल करें।

2) प्याज कामेच्छा जागृत करने में विशेष सहायक है। इससे लिंग पुष्ट होता है। हरे पत्तेदार प्याज ज्यादा लाभप्रद होती है।

3) सेक्स पावर बढ़ाने में शहद महत्त्वपूर्ण हैं। लगातार तीस दिनों तक शहद और पानी का सेवन से सेक्‍स पावर में वृद्धि होती। क्‍योंकि कि शहद में उच्च गुणवत्ता वाले अमीनो-एसिड और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो दंपति को लंबी यौनक्रिया के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करते हैं और आपकी सेक्स लाइफ अच्‍छी हो जाती है।

4) सेक्‍स पावर बढ़ाने में अदरक भी मददगार होता है। अदरक औषधि के रूप में भी कई रोगों का राम बाण  है। अदरक को सेक्स उत्प्रेरक भी माना जाता है। इसकी तीखी खुशबू और स्वाद का यौन भावना को जगाती है । इसमें मौजूद तत्व व्यक्ति के भीतर रक्त संचार को तेज करते

5) गाजर से पुरूषों की सेक्स ताकत बढ़ती है। गाजर पुरूषों में यौन शक्ति बढाने वाला माना जाता है। गाजर में मौजूद विटामिन्स का सामंजस्य व्यक्ति के स्त्रायु तंत्र को मजबूत करता है और व्यक्ति के जीवन में यौन सक्रियता लाता है।

6) मुनक्का ३० ग्राम गरम दूध से नित्य खावें। कब्ज मिटाकर सेक्स पावर बढाता है।

7) अखरोट और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में ३बार एक माह तक लेने से पुरुषत्व बढता है।

8) अंकुरित अनाज,हरी सब्जियां, फ़ल और सूखे मेवे प्रचुरता से भोजन में ग्रहण करें। नपुंसकता निवारण में इसके महत्व को कम नहीं आंकना चाहिये।

प्रेम करने की कला

source:-http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=9294

   एक बहुत ही मशहूर मनौवैज्ञानिक का कहना है कि संभोग क्रिया की शुरुआत करने से पहले अपनी पूरी ताकत, समझदारी या चतुराई से पहले स्त्री को इस क्रिया के लिए तैयार कर लें और फिर संभोग क्रिया करें। जो व्यक्ति संभोग क्रिया के समय सिर्फ अपना ही अपना आनंद देखता है और स्त्री की खुशी का ध्यान नहीं रखता है तो उसे इंसान कहना ही गलत है।
           Encyclopaedix of Sexual Knowledge (यौन विज्ञान का विश्व कोष) में इस विषय के बारे में कहा गया है कि कामक्रीड़ा को भोगविलास पसंद करने वाले लोगों ने नहीं बनाया गया है। यह एक शारीरिक क्रिया है और इस पर उसी तरह से विचार विमर्श करना चाहिए जिस तरह से हम दूसरे खुले काम करते हैं।
           हर युवा व्यक्ति किसी न किसी रूप में कामक्रीड़ा करता ही रहता है लेकिन फिर भी इसके बारे में लोगों को जानकारी बहुत ही कम है। इसका नतीजा यह होता है कि वह सब सीधे-साधे प्रेम-प्रसंगों या प्रेम-प्रदर्शन को गलत समझ बैठता है और उनका उपयोग करते समय उनके मन में यह डर बना रहता है कि कहीं इसका नतीजा उल्टा न निकले और इसी कारण वे अपने स्वस्थ प्रेम का प्रदर्शन भी नहीं कर पाते।
           एक बात बताना बहुत जरूरी है कि प्रेम-प्रसंगों के अलग-अलग रूपों पर व्यक्ति की अपनी रुचि-अरुचि का असर तो पड़ता ही है जैसे कोई व्यक्ति स्त्री के सिर्फ गाल और होठों के चुंबन से ही संतुष्ट हो जाता है और कोई स्त्री के इन अंगों पर दांत गड़ाकर संतुष्ट होता है। सेक्स क्रिया में एक बात और जो अक्सर सामने आती है कि एक व्यक्ति को संभोग की जिस क्रिया में बहुत आनंद आता है उसके सहभागी को उसी क्रिया से घृणा सी होती है या दर्द पंहुचता है। इस बात को तो रोज-रोज किए जाने वाले प्रयोगों और कोशिशों से ही जाना जा सकता है कि किस प्रकार की कोशिशों से अपने सहभागी को सेक्स क्रिया में ज्यादा से ज्यादा संतुष्ट करके खुद भी आनंद पाया जा सकता है।
           काम-कला में वह सारी कोशिशें आ जाती हैं जिनको करने से मन में संभोग करने की इच्छा तेज होती है और वह स्थिति आ जाती है कि जिसमें लिंग योनि में प्रवेश करता है, अलग-अलग क्रीडाओं के बाद वीर्यपात होता है और आखिर में लिंग को योनि से बाहर निकाल लिया जाता है। कहने का अर्थ यह है कि प्यार भरी बातें, आलिंगन करना, चुंबन करना और स्तनों को दबाना आदि संभोग करने से पहले की वह सारी बातें होती हैं जो संभोग के लिए स्त्री को उकसाती ही नहीं बल्कि असल में उन्हें समागम की स्थिति में लाकर जीवन को सर्वोत्कष्ट आनंद प्रदान करती हैं।
           कुछ विद्वानों के अनुसार संभोग करने से पहले की इन शुरुआती क्रियाओं को 2 भागों में बांटा जा सकता है। पहली स्थिति में स्त्री को संभोग करने के लिए तैयार करना होता है और दूसरा असली संभोग की स्थिति। लेकिन असल में इन दोनों ही के बीच में विभाजन की लकीर खींचना बहुत मुश्किल है। यह नहीं कहा जा सकता कि संभोग से पहले की प्रारंभिक स्थिति कहां समाप्त होती है और कहां से संभोग की असली स्थिति शुरू होती है। जब कोई पुरुष अपनी पत्नी के होठों को चूसता है तो वह उसमें मिलने वाले आनंद को भोगता है और जिस पत्नी के होठों को चूसता है उसे भी आनंद प्राप्त होता है। इस प्रकार इस क्रिया में दोनों ही आनंद को भोगते हैं। संभोग का असली अर्थ होता है एक ही क्रिया में दोनों को ही आनंद मिलना। इसलिए उसे संभोग से अलग किया नहीं जा सकता। इसी प्रकार संभोग की व्यवहारिक क्रिया में भी चुंबन और स्तनों को दबाना आदि आते हैं। स्तनों आदि को छूने से शरीर में जिस तरह की काम उत्तेजना जागृत होती है वैसी ही सिर्फ इस तरह की बात सुनने से भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में पूरी काम-क्रीड़ा को अलग-अलग नहीं किया जा सकता और न ही ऐसा करना सही ही रहता है।
           अक्सर देखा जाता है कि सुंदर स्त्री की बलखाती अदा, शरीर आदि को देखकर ही पुरुष के अंदर मीठी सी तरंगे बहने लगती हैं। कभी-कभी तो किसी बहुत सुंदर स्त्री को देखकर ही शरीर में इतनी तेज प्रतिक्रिया होती है कि जैसी किसी स्त्री के शरीर के किसी अंग को छूने से भी नहीं होती है। काफी बार देखा जाता है कि कोई स्त्री-पुरुष सिर्फ आपस में ही बातें करते हैं लेकिन एक-दूसरे को छूते नहीं है फिर भी उनके दिल की धड़कन तेज हो जाती है, शरीर के अंगों में बिजली सी दौड़ने लगती है, चेहरा लाल हो जाता है और दिल में ऐसा आता है कि एक-दूसरे को बांहों में ले लें। इससे पता चलता है कि संभोग करने से पहले की शुरुआती तैयारी में अवलोकन, बातचीत और ऐसी ही दूसरी बातों का कितना योगदान होता है।
           इस प्रकार की प्यार भरी बातों ही बातों में जब पुरुष के लिंग या स्त्री की योनि से चिकना सा स्राव निकलने लगे तो इसका अर्थ यह होता है कि उसके अंदर संभोग करने की इच्छा जाग उठी है। यह स्राव संभोग की इच्छा का शारीरिक लक्षण है और यह लक्षण स्त्री और पुरुष दोनों को ही हो सकता है।
           जिन व्यक्तियों को काम-क्रीड़ा का बहुत ज्यादा अनुभव होता है वह संभोग की इस शुरुआती स्थिति में संभोग करने के लिए तुरंत ही नहीं भागते। वह ऐसा तभी करते हैं जब उन्होंने अपने सहभागी के विचारों, भावनाओं और मन की स्थिति को अच्छी तरह से जान लिया हो। इसके साथ ही उन्होंने इस बात को समझ लिया होता है कि सिर्फ लिंग या योनि में से चिकना स्राव आ जाने से ही उनका सहभागी संभोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है और इसके बाद उसकी भावना को और ज्यादा जगाने की जरूरत नहीं है क्योंकि तब तक वह पूरी तरह से जाग चुकी होती है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। चिकना स्राव निकलने के बाद भी अपने सहभागी को धीरे-धीरे अलग-अलग तरीकों के द्वारा तैयार करना होता है।
           हर स्त्री इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि कितना प्रेम प्रदर्शन उसके लिए लाभकारी हो सकता है और किस प्रकार वह पुरुष को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। इसलिए परिस्थिति के अनुसार ही वह कभी वह अपना बचाव करती है, कभी थोड़ा आगे बढ़ती है और फिर अपने आपको पीछे हटा लेती है, कभी अपने होठों पर हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए अचानक ही पुरुष का चुंबन ले लेती है और दूसरे ही पल उसकी छाती में अपना चेहरा छुपा लेती है।
           लेकिन आज के समय की स्त्रियां यह सब करने से थोडा़ हिचकिचाती हैं उनके अनुसार पुरुष का स्वभाव ही स्त्री के पीछे जाना होता है उसके अंदर काम उत्तेजना जगाने की कोई जरूरत नहीं होती है इसी कारण से जब पुरुष उनके सामने आता है तो वह उसे अपनी ओर आकर्षित करने की कोई कोशिश नहीं करती है। अगर पुरुष ऐसी स्त्रियों के होठों या गालों पर चुंबन करता है या उसके किसी खास अंग को छूता है तो वह इसमें न तो कोई आपत्ति जताती है और न ही कोई और प्रतिक्रिया करती है। वह सिर्फ एक बेजान मूर्ति की तरह पड़ी रहती है। पुरुष को भी उसको देखकर ऐसा महसूस होता है जैसेकि वह किसी जीती-जागती स्त्री के साथ नहीं बल्कि बेजान किसी बुत के साथ कुछ कर रहा है और कोई भी पुरुष ऐसा नहीं चाहता कि वह किसी बेजान बुत के साथ संबंध बनाए। प्रेम का असली आनंद तो तभी आता है जब स्त्री और पुरुष दोनों ही एक-दूसरे को पूरी तरह सहयोग दें और एक-दूसरे को प्रोत्साहन दें। यह प्रोत्साहन सहयोग से भी हो सकता है और विरोध से भी और सच्चा आनंद तब आता है जब यह विरोध असली न होकर सिर्फ ऊपरी तौर पर होता है। शादी के बाद पहली रात को जब नई दुल्हन शर्माते हुए ना-नुकर करते हुए भी घूंघट खोलने देती है, पति के अपनी ओर बढ़ते हुए होठों से अपने होठों और गालों को बचाते हुए भी उसे चुंबन दे देती है, अपने स्तनों को बचाते हुए भी पुरुष को उनसे खेलने का मौका दे देती है। इस प्रकार से नई दुल्हन की ना-ना करते हुए भी दोनों पति-पत्नी संभोग के असली सुख को महसूस करते हैं।
           इसके विपरीत आज के समय की नारी की विचारधारा के हिसाब से यह बात पता चलती है कि मेरा पति मुझे चाहता है, मेरे लिए यही बहुत है इसलिए वह सोचती है कि मुझे उसकी काम उत्तेजना को जगाने की कोई जरूरत नहीं है। वैसे इस बात में कुछ दम भी हो सकता है कि अगर कोई पुरुष किसी स्त्री को चाहता है तो यही चाहत उसके लिए बहुत है और वह स्त्री द्वारा अपने में किसी तरह के प्रोत्साहन या काम उत्तेजना को जगाए बिना ही संभोग की सारी क्रियाएं पूरी तरह से संपन्न कर सकता है।
           काफी स्त्रियां ऐसी होती हैं जो यह चाहती हैं कि उनका पुरुष साथी उन्हें जबरदस्ती पकड़कर, मजबूर करके उनके साथ संभोग की क्रिया करे और वह इस बात का विरोध करती रहें। इसके विपरीत ज्यादातर स्त्रियों की यह इच्छा होती है कि उनको धीरे-धीरे प्रेम की अलग-अलग क्रियाओं के जरिए उत्तेजित किया जाए। इन क्रियाओं में  मीठी-मीठी बातें, आलिंगन और चुंबन आदि क्रियाएं आती हैं लेकिन इनके पीछे दिल में सच्ची भावना होनी चाहिए। इन क्रियाओं के फलस्वरुप स्त्री और पुरुष दोनों में ही नई चेतना पैदा होती है और इस स्थिति में पंहुच जाते हैं कि वह संभोग का असली आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
           अब बात आती है प्रेम क्रीड़ा की कि यह असल में शुरू कहां से होती है। प्रेम क्रीड़ा की सबसे पहली सीढ़ी है स्पर्श अर्थात छूना। जैसे ही किसी स्त्री और पुरुष के शरीर के अंग एक-दूसरे को छूते हैं तो स्पर्श अपना काम करना शुरू कर देता है। दोनों ही के शरीर में बिजली सी दौड़ उठती है। इसके बाद दोनों की आंखें एक-दूसरे से मिलती हैं तो पता चलता है कि इस स्पर्श के पीछे कोई संदेश है। यह स्पर्श मन में कई प्रकार की भावनाओं को जगा देता है। इसके बाद जो दूसरी सीढ़ी आती है वह है चुंबन की क्योंकि स्पर्श से या एक-दूसरे का हाथ दबाने से या पकड़ने से सिर्फ काम उत्तेजना को बल मिलता है लेकिन एक-दूसरे का चुंबन करने से यह बात पता चलती है कि यह संबंध संभोग क्रिया तक भी पंहुच सकते हैं। चुंबन संभोग की दिशा में एक बहुत कामयाब कदम माना जाता है इसलिए पहला चुंबन स्त्री और पुरुष के जीवन में बहुत खास माना जाता है। चुंबन के बारे में एक बात और कही गई है कि जो स्त्री पुरुष को अपना चुंबन लेने की इजाजत देती है वह इस बात की भी स्वीकृति देती है कि अगर पुरुष चाहे तो वह उसे अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर सकती है।
           लेकिन पूरी दुनिया और हर वर्ग की स्त्री पर यह बात लागू नहीं होती। जैसे हमारे भारत में नमस्कार किया जाता है वैसे ही बहुत से देशों में लोगों के एक-दूसरे पर मिलने चुंबन किया जाता है जैसे मां बेटे से मिलती है तो उसे चुंबन करती है, पिता पुत्री के मिलने पर चुंबन करता है आदि। इसलिए ऐसे देशों में चुंबन का कामशास्त्र की दृष्टि से कोई महत्व नहीं है।
           एक-दूसरे को प्रेम करने में चुंबन का बहुत ही महत्व माना जाता है। बहुत से विद्वानों का कहना है कि अगर स्त्री और पुरुष एक दूसरे को गहराई के साथ चुंबन नहीं करते तो मजबूत आलिंगन भी उनकी प्यास को नहीं बुझा सकता। ऐसे लोग जो कामकला में माहिर होते हैं वह चाहे अपनी सहभागी स्त्री का 100 बार चुंबन ले लें लेकिन उसको हर बार चुंबन में एक अलग प्रकार का आनंद प्राप्त होता है।
           चुंबन लेते समय पुरुष सिर्फ स्त्री के होठों को अपने होठों से नहीं दबाता बल्कि वह स्त्री के होठों के बीच से अपनी जीभ को उसके मुंह के अंदर पंहुचा देता है, उसके मुंह को अपने मुंह में इस प्रकार भर लेता है कि उसके दांत प्रेमिका के होठों पर निशान बना देते हैं लेकिन इस दौरान होने वाली पीड़ा स्त्री को बहुत ज्यादा आनंद प्रदान करती है।
           चुंबन सिर्फ स्त्री के होठों तक ही सीमित नहीं होने चाहिए बल्कि स्त्री के कान के पीछे का भाग, गाल, ठोड़ी, गर्दन, गर्दन के पीछे का भाग और उभरे हुए स्तनों का चुंबन किया जा सकता है। स्त्री के गालों और स्तनों को दांतों से दबाकर धीरे-धीरे दबाने से दोनों को ही विशेष प्रकार का आनंद मिलता है। स्तनों के निप्पलों को होठों से चूसने से स्त्री के साथ पुरुष को भी बहुत आनंद आता है।
           जो लोग कई प्रकार चुंबनों के बारे में नहीं जानते वह भी अलग-अलग प्रकार से स्त्री के अलग-अलग अंगों का चुंबन करने लगते हैं। इस चुंबन के दो मकसद होते हैं एक तो एक-दूसरे को आनंद मिलना और दूसरा एक-दूसरे को संभोग के लिए तैयार करना। एक बात को निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि स्त्री के किस अंग का चुंबन करने से उसके अंदर काम उत्तेजना तेज होती है। किसी स्त्री के गालों को चूमने से तो किसी के स्तनों को दबाने से और किसी स्त्री की जांघों के बीच में चुंबन करने से। अपने शरीर के जिस अंग का स्त्री को चुंबन कराना पसंद होता है वहां के चुंबन से तो वह बहुत ही आनंद में भर जाती है लेकिन जिस अंग का उसको चुंबन पसंद नहीं होता है उस स्थान को वह खुद ही हटा लेती है।
           एक प्रकार का चुंबन और होता है जिसे अधरामृत पान करना कहते हैं। इस प्रकार के चुंबन को करते समय पुरुष स्त्री को अपने सीने से लगाकर काफी देर तक उसके नीचे वाले होठ को अपने होठों के बीच से लेकर चूसता रहता है। इस प्रकार के चुंबन में स्त्री और पुरुष दोनों ही को बहुत अनोखा सा आनंद प्राप्त होता है। यह अधरामृत पान दूसरे चुंबनों से कुछ अलग होता है और इसकी अनुभूति भी खास तरह की होती है।
           यह बात तो अब साफ हो चुकी है कि चुंबन के कई प्रकार हैं और इनकी कोई सीमा भी नहीं है जो स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के प्यार में डूबे रहते हैं वह रोजाना नए-नए प्रकार के चुंबनों की खोज करते रहते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि रोजाना एक ही प्रकार के चुंबन कुछ ही समय में नीरस लगने लग जाते हैं इसलिए इनमें समय-समय पर बदलाव करना जरूरी होता है। चुंबन के बारे में एक बात बताना और जरूरी है कि चुंबन को लेने से ज्यादा आनंद चुंबन को चुराने में आता है। मतलब कि साधारण तौर पर चुंबन स्त्री को अपने पास बुलाकर लिया जाता है लेकिन चुराने का अर्थ यहां पर आता है कि जैसे स्त्री किसी काम में मशरूफ हो और उसका पूरा ध्यान वहां पर ही हो ऐसे में अचानक पीछे से आकर उसे अपनी बांहों में लेकर चुंबन करना। इस प्रकार का चुंबन अचानक मिलने से स्त्री के शरीर में ऊपर से लेकर नीचे तक बिजली सी दौड़ जाती है और वह आनंद से भर जाती है।
           जब कोई स्त्री और पुरुष अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं तो उस समय स्त्री शर्मो हया के कारण किसी भी प्रकार की क्रिया में खुद तो पहल नहीं करती लेकिन अपने पुरुष साथी से जरूर उम्मीद करती है कि वह आगे बढ़कर पहल करे। जब पुरुष स्त्री के पूरे शरीर पर चुंबन करने लगता है तो स्त्री मुंह से तो कुछ नहीं कहती लेकिन अपने हावभाव से उसके इस काम का पूरा स्वागत करती है। लेकिन पुरुष को एक बात जरूर समझ लेनी चाहिए कि सिर्फ चुंबन करने से ही स्त्री संभोग करने के लिए राजी नहीं हो जाती है। स्त्री और पुरुष में जो सबसे बड़ा अंतर होता है वह यह है कि पुरुष स्त्री के शरीर के किसी अंग को छूकर या कुछ चुंबन करने के बाद अपने शरीर में काम उत्तेजना को जागृत कर लेता है। उस समय पुरुष को लगता है कि जब मैं संभोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया हूं तो स्त्री भी इन क्रियाओं के द्वारा इसके लिए तैयार हो गई होगी लेकिन यह गलत है क्योंकि उसे पता होना चाहिए कि स्त्री से जल्दी पुरुष इस क्रिया के लिए तैयार हो जाता है।
           पुरुष इस बात को भूलकर स्त्री के साथ संभोग करने की तैयारी शुरू कर देता है लेकिन स्त्री संकोच के कारण पुरुष को यह नहीं बोल पाती कि वह इस क्रिया के लिए अभी तैयार नहीं हुई है जिसका नतीजा यह होता है कि स्त्री जब इस क्रिया के लिए तैयार हो रही होती है पुरुष तभी उसके साथ संभोग करना शुरू कर देता है। इससे जिस समय पुरुष का स्खलन होता है उस समय तक तो स्त्री की काम उत्तेजना जाग रही होती है। इसके बाद पुरुष को लगता है कि मै इस क्रिया के द्वारा संतुष्ट हो गया हूं तो स्त्री भी हो ही गई होगी। इस पूरी क्रिया का नतीजा यह निकलता है कि स्त्री इसमें पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाती और धीरे-धीरे उसके मन में यह बात बैठ जाती है कि मेरे पति में कुछ कमी है जबकि उस पुरुष में इस तरह की कोई कमी नहीं होती है। इसलिए जब तक पुरुष को पूरी तरह से आभास न हो जाए कि स्त्री इस क्रिया के लिए पूरी तरह से तैयार है तभी अपने लिंग को उसकी योनि में प्रवेश कराना चाहिए।
           किसी भी स्त्री के साथ संभोग करने से पहले जरूरी है कि उसकी कामोत्तेजना को जगा लिया जाए। स्त्री के किस अंग को छूने से, दबाने से या चूमने से उसके अंदर उत्तेजना जाग उठती है इसका पता तो अनुभव से ही प्राप्त हो सकता है क्योंकि अक्सर हर स्त्री में अलग-अलग अंगों को छेड़ने से उत्तेजना पैदा होती है। बहुत से मामलों में ऐसा होता कि जिस अंग को दबाने से एक स्त्री को आनंद आता है दूसरी को उसी अंग को दबाने से परेशानी सी होती है। यह दुविधा तब दूर होती है जब स्त्री निसंकोच हो जाती है और अपने अंग को खुद ही स्त्री के हाथों में दे देती है।
           स्त्री के शरीर के काम-क्रीड़ा से संबंधित अंगों के साथ क्रीड़ा करते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि कुछ स्त्रियां चाहती है कि उसके ऐसे अंगों को धीरे-धीरे से सहलाया जाए लेकिन कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो चाहती हैं कि उनके शरीर के ऐसे अंगों को जबर्दस्ती दबाया या मसला जाए इसमें उन्हें विशेष प्रकार का आनंद आता है।
           यह बात जो स्त्री के कामोत्तेजित अंगों के बारे में बताई गई है यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है  जैसे पुरुष के अंडकोष बहुत ही संवेदनशील होते हैं। इनको प्यार से छूने से पुरुष को तो भरपूर आनंद मिलता ही है साथ ही स्त्री को भी इनको स्पर्श करने से शरीर में एक अजीब सा रोमांच मिलता है। लेकिन स्त्री को चाहिए कि पुरुष के इस खास अंग को हल्के हाथ से और उंगलियों के सिरों से स्पर्श करें। ऐसा करने से स्त्री और पुरुष दोनों को ही एक विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है।
           जब स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के शरीर के काम उत्तेजक अंगों को छूते हैं तो उस समय दोनों ही के मन में बहुत ही तेज उत्तेजना पैदा हो जाती है। इसी कारण से जो स्त्री यह देखती है कि उसका प्रेमी उसके गुप्तांग को छू रहा है या जांघों के बीच में उंगलियां घूमा रहा है, वह उत्तेजना में भरकर अपने स्तनों को भी पुरुष के सामने बढ़ा देती है ताकि पुरुष उन्हें सहलाने के साथ-साथ उनको दबाने की क्रिया करे। पुरुष के द्वारा करने वाली इस क्रिया से स्त्री को असीम आनंद प्राप्त होता है।
           स्त्री की उत्तेजना को तेज करने के लिए सबसे जरूरी है कि काम-क्रीड़ा के दौरान स्त्री की योनि पर, उसके आसपास के भाग पर या फिर योनि के अंदर उंगली डालकर उसे सहलाया या गुदगुदाया जाए। कभी-कभी स्त्री भी पुरुष के लिंग को हिला-डुलाकर या उसको सहलाकर पुरुष की काम उत्तेजना को जगा सकती है। कुछ खास परिस्थितियों में ही ऐसा होना चाहिए कि जिस समय पुरुष थका हुआ हो और उसे संभोग करने का बिल्कुल मन न कर रहा हो लेकिन उस समय स्त्री की संभोग करने की इच्छा हो रही है तो ऐसे हालात में स्त्री को चाहिए कि पुरुष को काम-क्रीड़ा के द्वारा उत्तेजित करने की कोशिश करे जैसे उसके लिंग को कभी मुट्ठी में भर ले, कभी उसे दबा दें, कभी लिंग के ऊपर की त्वचा को हाथों से छेड़ती रहे। दूसरी स्थिति में अगर पुरुष के अंदर नपुंसकता के लक्षण पैदा हो रहे हो, उसका लिंग ढीला पड़ जाए और योनि में प्रवेश न कर पाए तो ऐसे में स्त्री को पहले पुरुष के लिंग को उत्तेजित करना पड़ता है। इसके अलावा सिर्फ आनंद के लिए स्त्री लिंग के साथ खेल सकती है। ऐसी दशा में पुरुष को अपनी तरफ से पहल न करके स्त्री को ही पहल करने देना चाहिए लेकिऩ वह उसे प्रोत्साहित कर सकता है। इसके लिए उसे चाहिए कि जिस समय स्त्री उसके लिंग को हाथों से पकड़े तो वह तेजी से उसके स्तनों को दबाने लगे या बांहों में भरकर उसको चूमने लगे। पुरुष के इस क्रिया को करने से स्त्री जोश में भरकर और ज्यादा तेजी से पुरुष के लिंग को दबाने लगती है।
           जिन स्त्रियों को संभोग क्रिया के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं होती है उनके साथ संभोग की शुरुआत में चुंबन आदि पर ज्यादा जोर देना चाहिए। जब स्त्री की थोड़ी बहुत झिझक आदि समाप्त होती महसूस हो तभी उसके दूसरे अंगों की तरफ बढ़ना चाहिए। अगर इसमें जल्दबाजी की जाती है तो इसका नतीजा यह होता है कि स्त्री जब तक इस क्रिया के लिए पूरी तरह से तैयार हो पाती है उससे पहले ही सारा काम समाप्त हो जाता है। पुरुष अपना काम समाप्त करके सो जाता है और स्त्री असंतुष्ट सी एक तरफ पड़ी रहती है। इसी कारण से बहुत सी स्त्रियों को अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी सेक्स में चरम सुख का आनंद प्राप्त नहीं होता है।
           बहुत से काम-शास्त्र के विद्वानों के अनुसार अगर स्त्री पुरुष से पूरी तरह से परिचित न हो, वह एक-दूसरे की भावना को अच्छी तरह से समझते न हो और अनुभवहीन नवविवाहित स्त्री काम-क्रीडा़ की बारीकियों से अच्छी तरह से परिचित न हो तब तक पुरुष को बहुत ही सोच-समझकर और सावधानी से कदम बढ़ाना चाहिए। इसके लिए सबसे जरूरी है कि स्त्री को संभोग क्रिया से कुछ समय पहले तक चुंबन आदि करना चाहिए। चुंबन का अर्थ यह नहीं कि अपनी पत्नी पर एकदम ही चुंबनों की झड़ी लगा दी जाए। बीच-बीच में किसी न किसी बहाने से स्त्री के बालों, हाथों और गालों पर स्पर्श करते रहना चाहिए। इसके बाद धीरे से उसके गले में हाथ डालकर उसके गालों को होठों से चूम लिया जाना चाहिए। बीच-बीच में उससे प्यार भरी बातें करते रहना चाहिए और मौका मिलते ही उसके होठों तथा गालों को चूमते रहना चाहिए।
           इसके बाद जब लगे कि स्त्री का संकोच कुछ दूर हो रहा है तो थोड़ी-थोड़ी देर में उसके स्तनों पर हाथ फेरते रहना चाहिए। लेकिन इन पर हाथ फेरते समय स्तनों को पकड़ना नहीं चाहिए। उन पर हाथ फेरते हुए और बाते करते-करते हाथों को कपोलों पर भी फिराते रहना चाहिए। इसी प्रक्रिया में जब स्त्री के गले में हाथ डालकर होठों को चूमते समय दूसरे हाथ को उसके स्तन पर रख दें जैसे आप उसे सहारा दे रहे हैं। कुछ समय के बाद दूसरे चुंबन के समय उसके स्तन को धीरे से पकड़ लें। इसके बाद जब स्त्री के स्तन को अगर हाथ से कसकर दबा लिया जाएगा तो वह किसी प्रकार का संकोच नहीं दिखाएगी। याद रहे कि स्तनों का यह स्पर्श या मर्दन सिर्फ स्त्री के कपड़ों के ऊपर से ही होना चाहिए उसके अंदर से नहीं और इस बीच में उससे बाते करते रहना चाहिए।
           जब आप स्त्री के स्तनों तक पहुंच जाएं और लगे कि स्त्री की झिझक लगभग दूर ही हो गई है तो इसके बाद स्त्री के गले में हाथ डालकर उसको चूम लिया जाए और इसी हाथ को थोड़ा नीचे करते हुए स्त्री के कपड़ों के अंदर स्तनों तक पंहुचा दिया जाए। यह स्त्री के स्वतंत्र स्तनों तक पंहुचने का बहुत ही सफल नुस्खा है।
           जब आप स्त्री के स्तनों तक पंहुच जाएं तो इसके बाद अपने हाथ को धीरे-धीरे उसके पेट पर, नाभि पर और जांघों पर फेरते रहना चाहिए। अंत में हाथ को योनि की तरफ बढ़ाना चाहिए। एक विद्वान के मुताबिक जब पुरुष के हाथों का नर्म स्पर्श स्त्री की जांघ के अंदरूनी भाग पर होता है तो उसकी जांघे स्वयं ही इस प्रकार खुल जाती हैं कि पुरुष का हाथ आसानी से योनि तक पंहुच जाता है। अब तक पुरुष के द्वारा की गई क्रिया का नतीजा यह निकलता है कि स्त्री की योनि गीली हो जाती है और शरीर में खून का बहाव तेज हो जाता है।
           इस स्थिति में आने पर योनि का द्वार खुद ही खुलकर फैल जाता है और पुरुष का स्पर्श उसको नई चेतना प्रदान करता है। अब तक स्त्री की भगनासा बहुत अधिक संवेदनशीलता हो चुकी होती है। अगर इसके बाद उसको दो-तीन बार और स्पर्श कर लिया जाता है तो स्त्री के लिए खुद को संभाले रखना मुश्किल हो जाता है और वह संभोग करने के लिए काफी बेचैन सी होने लगती है। इसी समय अगर पुरुष अपने लिंग को स्त्री की योनि में प्रवेश कराता है और संभोग की क्रिया शुरू करनी चाहिए। लिंग के योनि में प्रवेश करने के बाद उसे अंदर डालकर बाहर खींचने की क्रिया बहुत ही आनंददायक होती है। लिंग को बाहर की ओर खींचते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह पूरा ही बाहर न आ जाए। यह क्रिया योनि के अंदर ही होनी चाहिए।
           संभोग करने से पहले बताई गई क्रियाओं के आधार पर स्त्री की काम उत्तेजना को जगा लेना चाहिए जिससे कि लिंग और योनि का सूखापन दूर होकर उसमें गीलापन आ जाता है और लिंग को उसके प्रवेश करने में सुविधा रहती है। इस क्रिया के समय अगर स्त्री की योनि का सूखापन दूर नहीं होता तो योनि और लिंग आपस में रगड़कर खाकर छिल जाते हैं। कुछ लोग लिंग को योनि में आसानी से प्रवेश कराने के लिए किसी तरह के तेल या चिकने पदार्थ का इस्तेमाल करते हैं।
           जिन स्त्रियों ने कभी सेक्स न किया हो उनके साथ संभोग क्रिया की शुरुआत करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनको ऐसा न महसूस हो कि उसके साथ जो किया जाएगा वह उसको दर्द पंहुचाने वाला होगा। चुंबन आदि करके जहां उसके अंदर की काम उत्तेजना को जागृत किया जाए वहीं पर उसके अंदर के डर को भी पूरी तरह दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। बहुत सी स्त्रियां होती हैं जो पहली बार पुरुष के लिंग को उत्तेजित अवस्था में देखकर ही भयभीत हो जाती हैं कि इतना बड़ा लिंग जब मेरी छोटी सी योनि में जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा। कई स्त्रियां तो पुरुष के लिंग को देखकर बेहोश हो जाती हैं। इसके लिए जरूरी है कि पुरुष को अपने और स्त्री के शारीरिक अंगों के बारे में अच्छी तरह के समझा देना चाहिए और उसके मन से किसी भी तरह की डर या दुविधा को निकाल देना चाहिए।

संभोग और आसन

            संभोग करने के अलग-अलग तरीके होते हैं और हर तरीके को आसन कहा जाता है। इन आसनों का अपना विशेष महत्व है क्योंकि इनका संबंध स्त्री-पुरुष के सेक्स-स्वभाव एवं शारीरिक बनावट से होता है। यदि यह कह जाए कि सभी स्त्री-पुरुष एक ही आसन से सफलतापूर्वक एवं सुविधापूर्वक संभोग कर सकते हैं तो यह गलत होगा।
            भारतीय सेक्स ग्रंथों और कोकशास्त्रों में संभोग करने के लगभग चौरासी विभिन्न आसनों का उल्लेख किया गया है तथा अलग-अलग सेक्स स्वभाव की स्त्रियों के साथ लेटकर-बैठकर खड़े होकर आदि तरीकों से संभोग करने के बहुत ही विचित्र प्रकार के आसनों को अपनाने की सलाह दी गई है। यदि हम इन सभी आसनों के सभी पहलुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो सहज ही इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि जिन आसनों में सेक्स आसानी व पीड़ा रहित किया जा सके उनको छोड़कर शेष बनाए गए आसन लगभग व्यर्थ एवं अव्यवहारिक हैं- क्योंकि इनमें से अनेक ऐसे भी आसन है जिसमें योनि में शिश्न प्रवेश संभव ही नहीं है।
            सेक्स के विभिन्न आसनों का भी वही कार्य है जो एक साधारण आसन का होता है फर्क सिर्फ इतना होता है कि हर बार नया आसन करने से मानसिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है। जिस प्रकार मनुष्य एक ही सब्जी अथवा चावल आदि का सेवन करे तो वह बोर हो जाता है और भोजन का ग्रहण नीरस हो जाता है। इसलिए मनुष्य प्रतिदिन बदल-बदल कर भोजन की रचना करता है ताकि न केवल उसे भोजन करके पूर्ण तृप्ति प्राप्त हो, बल्कि रोज के भोजन में कुछ नया खाने को मिले जिससे खाने में नीरसता न हो।
            इसी प्रकार मनुष्य के लिए सम्भोग तो आवश्यक है ही और इसे खाने के समान रुचिकर बनाने के लिए जो विधान सामने आया है वह आसन के रूपों में हैं। मनुष्य का उद्देश्य है कि वह अलग-अलग प्रकार से सम्भोग करके मानसिक सुख प्राप्त करे।
संभोग करने के लिए आसन-
1. सामान्य आसन (स्त्री नीचे और पुरुष ऊपर की स्थिति में)- संभोग करने में यह आसन सबसे ज्यादा प्रचलित है।
            इस आसन की विशेषता यह है कि इसमें स्त्री और पुरुष लेटे रहने की स्थिति में बिल्कुल आमने-सामने रहते हैं- एक दूसरे को देख सकते हैं- एक-दूसरे के हाव-भाव महसूस कर सकते हैं- पुरुष इस स्थिति में बहुत सहजता से शिश्न योनि में डाल सकता है- वह स्त्री के होंठो एवं माथे का चुम्बन ले सकता है- स्तनों का मर्दन कर सकता है- वह स्त्री के होंठों एवं कपोलों का चुम्बन ले सकता है- स्तनों का मर्दन कर सकता है- वे दोनों एक-दूसरे को भरपूर आलिंगन में बांध सकते हैं- और सबसे बड़ी बात यह है कि इस आसन द्वारा संभोग करने में पुरुष अधिक क्रियाशील रहता है। इस प्रकार पुरुष बहुत खुलकर संभोग करने के साथ-साथ अपने अहं को भी संतुष्ट कर सकता है।
            आसनों में से शायद यही एक ऐसा आसन है जिसमें स्त्री और पुरुष शारीरिक रूप से एक-दूसरे के बहुत अधिक निकट सम्पर्क में आ सकते हैं। सेक्स के समय निकटत्तम शारीरिक सम्पर्क अधिक आनन्द एवं उत्तेजना का स्रोत माना गया है।
            क्योंकि सामान्य हालातों में पुरुष संभोग करता है और स्त्री संभोग कराती है इसलिए इस आसन में पुरुष खुले तौर पर एवं सक्रिय रूप से संभोग कर सकता है। नवविवाहित दम्पत्ति इसी आसन द्वारा संभोग करना अधिक पसंद करते हैं। यौवन की मचलती यह अवस्था सेक्स-आवेग से भरी होती है- सेक्स की चाह उत्तेजना में वृद्धि करती है- इसलिए इस आसन द्वारा वे पूर्ण रूप से सक्रिय होकर संभोग करने में अधिक आनन्द एवं संतोष अनुभव करते हैं।
            सामान्य स्त्रियां भी सेक्स-स्वभाव में एक समान नहीं होती, इसलिए कुछ स्त्रियां इस आसन से संभोग करते समय अपने ऊपर पुरुष के गहरे दबाव को पसंद करती हैं- तीव्र उत्तेजना की अवस्था में वे चाहती हैं कि पुरुष ज्यादा से ज्यादा दबाव दे। लेकिन कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं कि वे अपने ऊपर पुरुष के कम अथवा मध्यम दबाव को ही पसंद करती हैं। इस आसन की यह विशेषता है कि अलग-अलग स्वभाव की ये दोनों प्रकार की स्त्रियां मनचाहा दबाव प्राप्त कर सकती हैं। स्त्री के ऊपर लेटकर संभोग समय कंधों एवं कुहनियों के सहारे पुरुष स्त्री पर कम दबाव डाल सकता है।
            इस आसन की दूसरी मुख्य विशेषता प्राप्त होने वाले गहरे आलिंगन की है। पुरुष जब स्त्री शरीर पर लेटकर उसे पूरे आलिंगन में लेता है और साथ ही योनि में शिश्न डालने के बाद इसे गति प्रदान करता है तो स्त्री का समूचा योनि-प्रदेश दबाव और आलिंगन में आ जाता है। पुरुष यदि इस अवस्था में स्त्री को बांहों में भरता है तो स्तनों का समूचा उभार गहरे आलिंगन में बंध जाता है। सक्रिय सहयोगिनी के रूप में स्त्री भी पुरुष को अपने आलिंगन में ले सकती है। वह पुरुष के ऊपर कंधों के थोड़ा नीचे बांहों का घेरा डालन-दबाने से नाभि के निचले भाग पर आलिंगन प्राप्त कर सकती है- और यौनि में शिश्न लेने के बाद दोनों अपनी टांगों को गोलाकार में उठाकर पुरुष की जंघाओं को आलिंगन में ले सकती है।
            इस तरह यह आसन एक तेज तथा पूर्ण संभोग के लिए सबसे उपयुक्त और सर्वाधिक प्रचलित है तथा अधिकांश जोड़े इसी संभोग करते हैं।
2. सम्पुटक आसन (स्त्री-पुरुष अगल-बगल की स्थिति में)- संभोग का यह दूसरा आसन है जो पहले आसन के बाद सर्वाधिक प्रचलित है। इस आसन में स्त्री-पुरुष की स्थिति लेटे रहने की अगल-बगल की अवस्था में होती है। पहले की तुलना में इस आसन में खास अंतर यह है कि स्त्री-पुरुष लेटे हुए ऊपर-नीचे की स्थिति में नहीं, बल्कि आमने-सामने समानान्तर अवस्था में होते हैं- अर्थात स्त्री अपने दाहिने ओर पुरुष की ओर मुंह करके लेटती हैं और पुरुष बांई करवट लेकर स्त्री की तरफ मुंह करके लेट जाता है। योनि में शिश्न प्रवेश के समय स्त्री अपना निचला (दाहिना) पैर पुरुष के दोनों पांवों के बीच डाल देती है और ऊपरी (बांया) पैर घुमाकर पुरुष की दायें ओर की जांघ के ऊपर टिका देती है। इस तरह योनि ऐसी स्थिति में आ जाती है कि पुरुष आसानी से अपना शिश्न योनि में डाल सकता है। इस आसन में जहां स्त्री सक्रिय सहयोग प्रदान कर सकती है वहां पुरुष भगांकुर-मर्दन के साथ-साथ प्रायः दूसरी सभी सेक्स-क्रीड़ाएं भी कर सकती हैं।
            इसी आसन में एक स्थिति और भी होती है जब ठीक शिश्न-प्रवेश के समय स्त्री बायीं ओर को करवट बदल लेती है और पुरुष उसकी दाई जांघ को तनिक ऊपर उठाकर पीछे की ओर से योनि में शिश्न डालता है। इस अवस्था में स्त्री कम और पुरुष अधिक सक्रिय होता है। आसन की इस स्थिति में अगल-बगल लेटकर प्रायः वही दम्पत्ति संभोग करते हैं जिनका पेट बढ़ा होता है। लेटकर आमने-सामने की स्थिति में, पेट बढ़े होने के कारण, योनि में शिश्न डालने में जरा दिक्कत आती है।
            अनेक स्त्री-पुरुष जिनका विवाह हुए कुछ वर्ष बीत चुके होते हैं, इस आसन द्वारा संभोग करना पसंद करते हैं उनमें पहले जैसा सेक्स का जोश नहीं होता, बल्कि सेक्स संम्बधों में अधिक मधुरता-अधिक ठहराव और अधिक आत्मीयता पैदा हो चुकी होती है। तब यह आसन उन्हें अधिक आकर्षित करता है।
3. पुरुष नीचे और स्त्री ऊपर की स्थिति में- इस आसन को विपरीत आसन भी कहा जाता है, क्योंकि ज्यादातर स्त्री-पुरुष जब सामान्यावस्था में संभोग करते हैं तो स्त्री नीचे और पुरुष ऊपर होता है, किन्तु इस आसन में स्थिति एकदम विपरीत है। इस स्थिति में पुरुष नीचे चित्त अवस्था में लेटता है और स्त्री उसके ऊपर लेटकर संभोग करती है। पहले आसनों में संभोग पुरुष द्वारा किया जाता है, लेकिन इस आसन में संभोग स्त्री करती है।
            सेक्स-स्वभाव से तेज उत्तेजक स्त्रियों में सेक्स की दहकती ज्वाला इतनी तेज होती है कि वे उत्तेजना की चरम सीमा को पारकर संभोग कराने के स्थान पर संभोग स्वयं करना पसंद करती हैं तथा योनि में शिश्न को डालकर अत्यंत सक्रिय रूप से इसे गति प्रदान करती है। ये कहा जा सकता है कि सामान्य हालातों में संभोग-क्रिया के समय जो सभी क्रियाएं पुरुष करता है, वह सब इस स्थिति में स्त्री करती है और पुरुष सहन करता है। विपरीत आसन ऐसे संभोग के लिए उपयुक्त कहा जा सकता है क्योंकि पुरुष स्त्री के नीचे दबा निष्क्रिय रहता है और शीघ्र स्खलित नहीं होता। स्त्री भी यही चाहती है कि पुरुष तुरन्त स्खलित नहीं हो एवं संभोग-क्रिया अधिक देर तक चलती रहे। इससे स्त्री को संतुष्टि प्राप्त होती है।
            इस आसन द्वारा संभोग करने से पुरुष को यह सुविधा रहती है कि वह स्त्री शरीर के साथ सेक्स-क्रीड़ाएं कर सके लेकिन स्त्री यह सब कुछ खुद ही करती है और पुरुष को ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती।
            सभी स्त्रियां स्वभाव से तेज उत्तेजक नहीं होतीं, लेकिन सामान्य रूप में ही किसी कारण से अधिक उत्तेजना महसूस करने लगती हैं। इस हालात में कई बार पुरुष स्वयं ही उसे इस आसन द्वारा संभोग करने का निमंत्रण देता है न केवल स्त्री को अधिक समय तक सेक्स-सुख प्रदान करता है बल्कि संभोग-क्रिया में नयापन अपने आप आ जाता है।
1-स्त्री और पुरुष खड़े रहने की स्थिति में संभोग- इस आसन द्वारा स्त्री-पुरुष लगभग खड़े होकर संभोग करते हैं। स्त्री किसी दीनार आदि का सहारा लेकर, पुरुष की अपेक्षा थोड़ा ऊपर पर खड़ी होती है और पुरुष सामने से योनि में शिश्न प्रवेश कर संभोग-क्रिया करता है।
            इस आसन द्वारा किए जाने वाले संभोग को पूरा संभोग नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें स्त्री न तो पूर्ण रूप से उत्तजित होती है- न उसे चरम सुख प्राप्त होता है और न ही संतुष्टि मिलती है। पुरुष जरूर योनि में शिश्न प्रवेश कर अपने आप को स्खलित करके आत्मसुख प्राप्त कर लेता है।
            इस आसन में संभोग लगभग मजबूरी की हालत में किया जाता है जब पति सेक्स-तनाव से परेशान हो-जल्दी में हो- किसी कारणवश घर में निश्चिंत होकर संभोग करने का स्थान एवं सुविधा उस समय नहीं हो-आदि।
2- स्त्री और पुरुष आगे-पीछे की स्थिति में संभोग- संभोग का यह आसन किसी-किसी देश में व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है लेकिन कुछ देशों में यह आसन बहुत प्रचलित है।
            इस आसन में स्त्री हाथों के बल आगे की ओर झुकती है और पुरुष पीछे की ओर से योनि में शिश्न-प्रवेश करता है। इस आसन को पशु आसन भी कहा जाता है।
            इस आसन द्वारा संभोग-क्रिया करने से पूर्ण रूप से, पुरुष ही क्रियाशील रहता है तथा सभी क्रीड़ाओं एवं क्रियाओं का सम्पादन वहीं करता है। स्त्री पूर्ण रूप से निश्चेष्ट और बिना किसी क्रिया के झुकी रहती है अगर वह चाहे तो जरा सा सहयोग देने की स्थिति में नहीं होती। पुरुष के लिए सुविधा यह है कि वह योनि में शिश्न को मनचाहे ढंग से गति दे सकता है- दोनों बांहे फैलाकर, स्तनों को मसल कर, भगांकुर से छेड़छाड़ कर तथा पूरी आजादी के साथ स्त्री के शरीरे से आनन्द प्राप्त कर सकता है।
            लेकिन यह आसन असुविधाजनक भी उतना ही है। एक तो इससे स्त्री संभोग-क्रिया में कोई भाग नहीं ले सकती- दूसरे, स्त्री-पुरुष दोनों को ही झुककर लगातार खड़े रहना पड़ता है जो बाद में दोनों के लिए थकावट का कारण बन सकता है। इस आसन में सबसे बड़ी कमी यह है कि स्त्री-पुरुष आमने-सामने नहीं रहते तथा पुरुष पूरी संभोग-क्रिया के दौरान स्त्री के हाव-भाव एवं उस पर होने वाली प्रतिक्रिया को जान ही नहीं पाता। इस आसन से संभोग करने का संबंध स्त्री की मानसिकता से होता है तथा इसे तभी अपनाना चाहिए जब स्त्री इसके लिए पूरी तरह से सहमत हो।
3- स्त्री और पुरुष द्वारा बैठने की स्थिति में संभोग- यह आसन संभोग-क्रिया में नवीनता लाने के उद्देश्य से अक्सर कई लोग करना पंसद करते हैं। इसमें आम तौर से स्त्री कुछ ऊंचे फर्श पर- आरामकुर्सी, पलंग, कम ऊंचे मेज आदि पर इस प्रकार बैठती है कि उसका कमर से ऊपर वाला भाग थोड़ा पीछे की ओर झुककर टेक लगा लेता है। उसकी यह स्थिति ठीक ऐसी ही होती है कि जैसे वह आरामकुर्सी में अर्द्धलेटी अवस्था में पड़ी हो। वह कमर से नीचे का भाग आगे की ओर और कमर से ऊपर का भाग पीछे की ओर ढ़ीला छोड़ देती है। वह अपने दोनों पांव दायें एवं बायें ओर काफी अधिक फैला देती है तथा पुरुष पांवों के फैलाव के ठीक बीच में आकर अपना शिश्न स्त्री-योनि में डाल देता है। इस अवस्था में पुरुष जब अपने शिश्न को तेज गति प्रदान करता है। स्त्री दायें-बायें फैल अपने पांवों को समेटकर पुरुष की कमर के इर्द-गिर्द डालकर उसे भींचती है। ऐसा करने से उसकी पूरी योनि के आस-पास पुरुष-शरीर का दबाव पड़ता है तथा शिश्न योनि की गहराई तक पहुंचता महसूस होता है। इस प्रकार स्त्री-पुरुष दोनों ही एक नया अनुभव- एक अलग प्रकार का आनन्द अनुभव करते हैं। यही आसन स्त्री के स्थान पर और स्त्री पुरुष के स्थान पर आ जाते हैं तथा बिल्कुल पहले की भांति ही संभोग-क्रिया करते हें।
4- उत्फुल्लक आसन- इस आसन के लिए पत्नी अपनी कमर और नित्मब के नीचे एक गुदगुदा तकिया रखकर दोनों जंघाओं को ऊपर उठा ले और जब पति लिंग प्रवेश का कार्य सम्पन्न कर ले तब पत्नी पति के नितम्बों को अपने हाथों से पकड़कर संभोग कार्य में सहायता दे। इस प्रकार सम्भोग-करने से स्त्री पुरुष दोनों को ही अधिक प्राप्त होता है।
5- विजृम्भितक आसन- अगर पत्नी दोनों टांगों को घुटने से मोड़कर छाती की ओर खींचकर दोनों जांघो को खोल दे तो इसे विजृम्भितक आसन कहते हैं। ऐसा करने से योनि का मुख अण्डे के समान खुल जाता है और बड़े से बड़ा लिंग भी आसानी से प्रविष्ट हो काम-क्रीड़ा में सरसता का संचार करता है।
6- इन्द्राणिक आसन- अगर पत्नी अपनी दोनों जंघाओं को एक साथ उठाकर पति की एक जांघ पर रखे देती है और पुरुष तिरछा होकर सम्भोग करता है तो वह आसन इन्द्राणिका आसन कहलाता है।
7- पीड़ितक आसन- यह आसन का ही एक रूप है। इसमें नारी सम्पुट आसन से सम्भोग करते समय दोनों जंघाओं को कसकर दबाकर योनि को अधिक संकुचित बना देती है तो उसे पीड़ितक आसन कहते हैं।
8- वेषिटक आसन- जब नारी उत्तान सम्पुट आसन से संभोग करते समय दोनों जंघाओं को कैंची के समान फंसाकर योनि को अत्यधिक संकुचित करती है तो वेष्टिक आसन होता है।
9- वाड़वक आसन- इसमें स्त्री अपनी योनि में शिश्न प्रवेश कराकर अपनी जांघो को दबाकर योनि को संकुचित करके शिश्न को अच्छी तरह से जकड़ लेती है, क्योंकि नीरी योनि घोड़ी के समान शिश्न को कसकर पकड़ती है इसे वाड़वक आसन कहते है। इस आसन से सम्भोग करने पर पुरुष को वही सुख मिलता है जो की एक कुमारी लड़की से सम्भोग करने पर प्राप्त होता है।
10-  भुग्नक आसन- जब पुरुष स्त्री की दोनों जंघाओं को ऊपर उठाकर नीचे की ओर सम्भोग करता है तब वह भुग्नक आसन कहलाता है। इस आसन में पुरुष नारी को गोद में उठाकर खड़े-खड़े भी रतिक्रिया कर सकता है।
11-  जृम्मितक आसन- इस आसन में स्त्री अपनी दोनों टांगों को घुटने से मोड़कर पुरुष के कंधो पर रख देती है। पुरुष शरीर को धनुष की तरह  झुकाकर सम्भोग करता है।
12-  शुलचितक आसन- यदि नारी एक टांग को बिस्तर पर फैलाकर और दूसरी टांग इस प्रकार  मोड़े कि पुरुष के सिर को छूनें लगें तो उसे शूलचितंक आसन कहते है।
13- वेणुदारितक आसन- जब सत्री अपनी एक टांग को प्रेमी के कंधे पर दूसरी टांग को विस्तर पर फैलाकर रखते हुए सम्भोग क्रिया में संगग्न होती है तो इसे वेणुदारितक आसन कहते हैं।
14- पदमासन- जब स्त्री बिस्तर पर लेटकर सम्पुट आसन से संभोग करती हुई अचानक अपनी दांयी जांघ को बांयी जांघ पर चढ़ा देती है तो यह पदमासन कहलाता है।
15- उत्पीड़ित आसन- यदि स्त्री केवल टांग को सिकोड़ कर पुरुष के सीने पर रखे और दूसरी टांग को पलंग पर फैला दे तो उत्पीड़ित आसन कहलाता है।
16- परावृतक आसन- जब पुरुष सम्पुट आसन से सम्भोग करते-करते नारी को कसकर चुम्बन करे और स्त्री भी नीचे की ओर से पुरुष की बांहों को जकड़ ले तथा इसके बाद धीरे-धीरे बैठती हुई ओर पीछे की ओर घूमती हुई  जब पुरुष की गोद  में आ जाती है और पुरुषेन्द्रिय योनि के बाहर नहीं निकल पाता तब वह परावृतक आसन कहलाता है।
            संभोग-क्रिया के लिए उसी आसन का चुनाव करना चाहिए जिसके लिए पति-पत्नी दोनों ही सहमत हों। दोनों में से यदि कोई एक सहमत नहीं हो तो संभोग-क्रिया अधूरी ही रहेगी।
            शारीरिक रूप से यदि स्त्री पतली है और कूल्हे आदि में मांस नहीं है तो स्त्री नीचे पुरुष ऊपर के आसन द्वारा उसके साथ संभोग सफलतापूर्वक होने में कठिनाई हो सकती है। ऐसी स्त्री के साथ यदि इसी आसन से संभोग किया जाए तो योनि में आसानी से शिश्न-प्रवेश के लिए उसके कूल्हों के नीचे तकिया रख लेना चाहिए। इससे योनि-प्रदेश ऊपर उठ सकेगा और शिश्न-प्रवेश में कठिनाई नहीं होगी। अगल-बगल लेटकर या बैठने की स्थिति में अथवा बताए गए आसनों में से किसी दूसरे आसन द्वारा ऐसी स्त्री के साथ संभोग किया जा सकता है।
            कई बार स्त्री-योनि या शरीर की बनावट ऐसी होती है कि किसी विशेष आसन द्वारा योनि में शिश्न-प्रवेश संभव नहीं हो पाता। इस बात का पता चल जाने के बाद पुरुष को चाहिए कि वह कोई भी दूसरा आसन अपनाए जिससे सुविधापूर्वक संभोग-क्रिया संभव हो सके। किसी भी अन्य आसन का चुनाव अपने अनुभव और आवश्यकता के अनुसार किया जा सकता है।
            संभोग क्रिया के लिए कोई भी खास आसन स्त्री पर थोपना नहीं चाहिए बल्कि उसकी रुचि एवं सेक्स स्वभाव का आदर करना चाहिए। इसी प्रकार संभव हे कि स्त्री की रुचि किसी अन्य विशेष आसन द्वारा संभोग करने में हो। पुरुष को इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए


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