4/29/12

engineering

इंजीनियरिंग में करिअर की अपार संभावनाएं
इंजीनियरिंग एक ऎसा फिल्ड है जिसमें सफलता को लेकर शायद ही किसी को संदेह होगा। आर्थिक मंदी के बावजूद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करिअर की अपार संभावनाएं है। क्योंकि इंजिनियर रचनात्मक ढंग से समस्याओं का निराकरण करते है। इंजीनियरिंग एक ऎसा पेशा है जहां जरूरी शिक्षा के साथ-साथ नवीनता, रचनात्मकता, आत्मविश्वास, कुशल संवाद और नेतत्व जैसी क्षमताएं बेहतर परिणाम देती है।
भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से तरक्की कर रही है। भारत में अनेक देशी-विदेशी कंपनियां अपने उपक्रम स्थापित कर रही है। इन कंपनियों द्वारा आधुनकितम टेक्नोलाजी प्रयोग की जा रही है। प्रत्येक सेक्टर में इंजिनियरिंग की मांग बढ़ रही है।
इंजिनियरिंग किसके बाद और कब तक
इंजिनियरिंग डिप्लोमा दसवी के बाद किया जाता है और 3 वर्ष का होता है।
इंजिनियरिंग (बीई/बीटेक) - यह कोर्स 12वीं के बाद किया जाता है और 4 वर्ष का होता है।
इंजिनियरिंग (एमई/एमटेक) - यह कोर्स बीई/बीटेक के बाद किया जाता है, 2 वर्ष का होता है। 
इंटीग्रेटेड एमटेक - यह कोर्स 12वीं के बाद किया जाता है और 5 वर्ष का होता है। 

इंजीनियरिंग की शाखाएं
इंजीनियरिंग का क्षेत्र करिअर निर्माण में काफी ज्यादा अवसर प्रदान करता है। पिछले कुछ वर्षों में जहां इसकी अनेक शाखाएं विकसित हो रही है, वहीं सिविल, इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल, केमिकल,कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का क्रेज आज भी बरकरार है। इंजीनियरिंग विज्ञान के दूसरे विषयों की तूलना में ज्यादा विस्तत है। इसलिए इंजीनियरिंग को लेकर अगर आपमें जुनून है। इनमें किसी एक परीक्षा को क्वालीफाई करने के बाद आप निम्न फील्ड का चयन कर सकते हैं:-
·                     इलेक्ट्रानिक एंड कम्यूनिकेशन
·                     मैकेनिकल इंजीनियरिंग
·                     कम्प्यूटर इंजिनियरिंग
·                     सिविल इंजीनियरिंग
·                     इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
·                     प्रोडक्शन इंजिनियरिंग
·                     आटोमोबाईल इंजिनियरिंग
·                     आईटी इंजीनियरिंग
·                     एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग
·                     केमिकल इंजीनियरिंग
·                     टेक्सटाईल इंजिनियरिंग
·                     माईनिंग इंजिनियरिंग
·                     एयरोस्पेश इंजिनियरिंग
·                     आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग
·                     आटोमोटिव इंजीनियरिंग
·                     मरीन इंजीनियरिंग
·                     इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग
·                     फायर इंजीनियरिंग
·                     जेनेटीक इंजीनियरिंग
·                     पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
·                     ओशोन इंजीनियरिंग
·                     एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
·                     बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
·                     सिरैमिक इंजीनियरिंग
·                     कोस्टल इंजीनियरिंग
·                     मैन्यूफैक्चरिंग इंजीनियरिंग
·                     न्यूक्लियर इंजीनियरिंग
·                     ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग
·                     मटीरियल इंजीनियरिंग
·                     बायोकेमिकल इंजीनियरिंग
·                     कन्स्ट्रक्शन इंजीनियरिंग
·                     जियो इंजीनियरिंग
·                     जिया-टेक्निकल इंजीनियरिंग
·                     म्यूनिसिपल इंजीनियरिंग
·                     भूकंप इंजीनियरिंग
·                     ट्रफिक इंजीनियरिंग
·                     साप्टवेयर इंजीनियरिंग
·                     मिलिट्री इंजीनियरिंग
·                     इंटीग्रेटेड इंजीनियरिंग
·                     काम्पोनेंट इंजीनियरिंग
·                     वाटर रिसोर्सेज इंजीनियरिंग
·                     वाइण्ड इंजीनियरिंग

12वीं के बाद ब्राइट करियर इंजिनियरिंग में
12वीं साइंस यानी मेडिकल और इंजिनियरिंग। दोनों ही स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए ऑप्शंस की कमी नहीं है। कुछेक नए कोर्स आए दिन इस लिस्ट में जुड़ते ही रहते हैं। साइंस वालों के लिए फायदा यह भी है कि उन कोर्सेज में भी जा सकते हैं, जिन्हें आर्ट्स या कॉमर्स वाले अपना समझते हैं।

कभी किसी अच्छे कॉलेज से सिंपल ग्रैजुएशन जैसे ट्रेडिशनल कोर्स का ख्याल आता है, तो मन कभी प्रफेशनल कोसेर्ज की ओर भागता है। दरअसल, देखा जाए तो ट्रेडिशनल और प्रफेशनल और वोकेशनल कोर्सेज के इतने ऑप्शंस हैं कि मन का भटकना लाजमी है। काफी स्टूडेंट ट्रेडिशनल कोर्स इसलिए भी चुन लेते हैं कि उन्हें अपने ऑप्शंस के बारे में ठीक तरह पता नहीं होता है।

12वीं साइंस यानी मेडिकल और नॉन मेडिकल। दोनों ही स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए विकल्पों की कमी नहीं है। कुछेक नए कोर्स आए दिन इस लिस्ट में जुड़ते ही रहते हैं। साइंस वालों के लिए फायदा यह भी है कि उन कोर्सेज में भी जा सकते हैं, जिन्हें आर्ट्स या कॉमर्स वाले अपना समझते हैं। आइए देखें नॉन मेडिकल यानी इंजिनियरिंग में क्या ऑप्शन हो सकते हैं।
इंजिनियरिंग
11वीं-12वीं में मैथ्स की पढ़ाई करने वालों का पहला एम ही होता है इंजिनियरिंग करना। देश में इंजिनियरिंग की पढ़ाई का पिछले एक से डेढ़ दशक में जितना विस्तार हुआ है, उतना शायद किसी और दूसरे कोर्स का नहीं हुआ। आज इंजिनियरिंग के इतने ऑप्शंस हैं कि कोई कोई कॉलेज मिल ही जाता है। आईआईटी के बाद एआईईईई का ऑप्शन होता है। एआईईईई रैंक के जरिए तमाम कॉलेजों में एडमिशन लिया जा सकता है। ज्यादातर प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में भी एआईईईई रैंक के आधार पर ही एडमिशन दिया जाता है।

टॉप इंस्टीट्यूट्स

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी)

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी)

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजीपिलानी,

तमाम राज्यों के सरकारी  प्राइवेट कॉलेज-यूनिवर्सिटी


इंजिनियरिंग कोर्सेज

बायॉमेडिकल इंजिनियरिंग
इंजिनियरिंग की यह शाखा हेल्थकेयर सॉल्युशंस के डिवेलपमेंट से संबंधित है। मेडिकल सर्विसेज के हो रहेविस्तार के कारण आजकल इस कोर्स की काफी डिमांड है। बायॉमेडिकल इंजिनियरिंग की डिग्री रखने वालों काकाम इलाज की बेहतरी के लिए नए इक्यूपमेंट्स के विकास के साथ-साथ कृत्रिम अंगोंजैसे किडनीब्लड वेसेल्सआदि के निर्माण से जुड़ा है। क्रिएटिव और जरा हट कर सोचने वाले लोग इस फील्ड में एक्साइटिंग करियर बनासकते हैं। एडमिशन टेस्ट के आधार पर ही दिया जाता है। यह कोर्स सिविलमैकेनिकल आदि की तुलना में कमसंस्थानों में उपलब्ध है।


केमिकल इंजिनियरिंग
फिजिक्स और केमिस्ट्री के मेल से रॉ मटीरियल को इस्तेमाल लायक बनाना या उसकी उपयोगिता को बढ़ानाएक केमिकल इंजीनियर के काम में शामिल है। कहने का मतलब केमिकल इंजिनियर लैब में नए प्रॉडक्ट का भीविकास करते हैं। इस ट्रेड में इंडस्ट्रीयल केमिस्ट्रीपॉलीमर प्रोसेसिंग/टेस्टिंग और सिंथेसिस आदि पर फोकस होताहै। जॉब के लिहाज से यह ट्रेड काफी उपयुक्त है। इसकी पढ़ाई तमाम इंजिनियरिंग कॉलेजों में उपलब्ध है।आईआईटी को छोड़ देंतो एडमिशन ज्यादातर कॉलेजों में एआईईईई एग्जाम के रैंक के आधार पर ही दियाजाता है।

इन्वाइरनमेंटल इंजिनियरिंग
इस कोर्स का सीधा जुड़ाव पर्यावरण से है। इसकी पढ़ाई करने वालों को पर्यावरण की बेहतरी के लिए विज्ञान केसिद्धांतों का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है। पानीहवा और मिट्टीसब कुछ इस सब्जेक्ट में शामिल है।एडमिशन एआईईईई एग्जाम के रैंक के आधार पर ही दिया जाता है। राज्य सरकारें अपने कॉलेजों के लिए अलगटेस्ट भी आयोजित करती हैं। प्राइवेट कॉलेजों का अपना-अपना आधार है। जॉब के लिहाज से यह काफी प्रोग्रेसिवफील्ड है। विदेश तक में इसकी काफी डिमांड है।


रबड़ ऐंड प्लास्टिक इंजिनियरिंग
करीब-करीब सभी प्रकार की इंडस्ट्री में प्लास्टिक और रबड़ की उपयोगिता का फायदा रबड़ और प्लास्टिकइंडस्ट्री का मिला है। देश में इसका जम कर विकास हुआ है। अन्य इंजिनियरिंग कोर्सेज की तरह इसके लिए भी12वीं में मैथ्सफिजिक्स और केमिस्ट्री की जरूरत होती है। देश में इंडस्ट्री की बढ़ती संख्या के साथ इस कोर्स कीडिमांड भी बढ़ रही है। एक रबड़ और प्लास्टिक इंजिनियर का मुख्य काम क्वॉलिटी और कैपेसिटी के हिसाब सेनए प्रॉडक्ट का विकास करना होता है।


ऑटोमोबाइल इंजिनियरिंग
पिछले एक से डेढ़ दशक में ऑटोमेबाइल इंडस्ट्री के तेजी से हुए विकास ने इस सब्जेक्ट की डिमांड काफी बढ़ा दीहै। आज इस फील्ड में  जॉब की कमी है और  ही पैसे की। अच्छे संस्थान से डिग्री लेकर उत्तराखंड से लेकरतमिलनाडु तक में करियर बनाया जा सकता है। इस सब्जेक्ट की पढ़ाई भी करीब-करीब सभी कॉलेजों मेंउपलब्ध है। एडिमशन एआईईईई या दूसरे टेस्टों के आधार पर ही मिलता है।


एयरोस्पेस इंजिनियरिंग
एयरोस्पेस इंजिनियरिंग को कठिन और चैलेंजिंग फील्ड माना जाता है। इस फील्ड में सफल होने के लिए रियलपोटेंशियल की जरूरत होती है। एविएशनस्पेस और डिफेंस फील्ड में इस्तेमाल होने वाली टेक्नॉलजी इससब्जेक्ट में शामिल है। नौकरी भारत जैसे देश में ज्यादातर सरकारी संस्थानों में ही उपलब्ध हैलेकिन भारत सेबाहर भी आप इस फील्ड में डिग्री लेकर करियर को आकार दे सकते हैं। एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का नाम तोआपने भी सुना होगाउन्होंने बीटेक की डिग्री भारत से ही ली थी।


बीटेक सिविल/आर्किटेक्चर
सिविल इंजिनियरिंग के साथ-साथ आर्किटेक्चर भी इंजीनियरिंग की ही शाखा है। एक बिल्डिंग की डिजाइनिंग सेलेकर उसके निर्माण तक की प्रक्रिया की पढ़ाई इसी सब्जेक्ट का हिस्सा है। यह एक क्रिएटिव स्ट्रीम है। जो लोगदूसरों से अलग कुछ सोचने और करने का माद्दा रखते हैंवे इस फील्ड में नाम के साथ-साथ काफी पैसे भी बनासकते हैं। देश में रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़कपुल आदिके विकास से यह सब्जेक्ट हॉट हो गया है।विदेश में भी अच्छी संभावना है।


कंप्यूटर इंजिनियरिंग
कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत की बढ़त के कारण कंप्यूटर इंजिनियरिंग की आज भी भारी डिमांड बनीहुई है। अच्छा कॉलेज पाने के लिए एंट्रेस एग्जाम में काफी अच्छे रैंक की जरूरत होती है। इस फील्ड में बेहतरजॉब की कोई कमी नहीं है। विदेश जाने के रास्ते भी इस डिग्री के बाद आसान हो जाते हैं। सैलरी की बात करें,तो इस फील्ड में थोड़े समय के अनुभव के बाद लाखों में आप बात कर सकते हैं।


इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्युनिकेशन इंजिनियरिंग
इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्युनिकेशन इंजिनियरिंग काफी उभरता हुआ कोर्स है। इसका संबंध इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट्सकी डिजाइनिंगमैन्युफैक्चरिंग और मेनटिनेंस से है। पिछले कुछ बरसों में इस कोर्स की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ीहै। कम कॉलेजों में इसकी पढ़ाई होने के कारण एडमिशन के लिए बेहतर रैंक की जरूरत होती है। एडमिशन टेस्टके आधार पर ही दिया जाता है। इस कोर्स के बाद विदेश भी जाया जा सकता है।


टॉप बीएससी कोर्सेज

बीएससी आईटी/बीसीए
अगर आप इंजिनियरिंग में नहीं जाना चाहते या नहीं जा पाते हैंतो करियर के लिए आईटी और कंप्यूटरएप्लीकेशन कोर्सेज का ऑप्शन चुना जा सकता है। यह तीन साल का स्पेशलाइज्ड कोर्स है। आप चाहें तो इसकेबाद भी नौकरी पा सकते हैंलेकिन अगर इन सब्जेक्ट्स में आगे की पढ़ाई कर लेते हैंतो करियर का ग्राफ काफीऊंचा जा सकता है।


बीएससी स्टैट्स
बीएससी स्टैट्स डिग्री वैसे स्टूडेंट्स के लिए है जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी में मैथ्स के एप्लीकेशन में रुचि है। इससब्जेक्ट में बीएससी करने के बाद काफी स्टूडेंट एमएससी करते हैं या फिर एमबीए की राह चुनते हैं। नौकरी कीबात करें तो एमएससी करने के बाद सरकारी और एमबीए करने के बाद प्राइवेट सेक्टर में भी काम पाया जासकता है।


एविएशन
एविएशन के क्षेत्र में जाने वालों के लिए बीएससी लेवल पर बीएससी एविएशन और बीबीए एविएशन के रूप मेंदो विकल्प होते हैं। जो लोग पायलट के रूप में करियर बनाना चाहते हैंउनके लिए बीएससी एविएशन का कोर्सज्यादा उपयुक्त है और जो लोग मैनेजमेंट के क्षेत्र में जाना चाहते हैंवे बीबीए एविएशन कर सकते हैं। एडिमशनकहीं टेस्ट के आधार पर दिया जाता है तो कहीं मार्क्स बेसिस पर। 12वीं में फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ मैथ्सकी मांग की जाती है।


कंप्यूटर हार्डवेयर
12वीं के बाद अगर आप जल्द जॉब पाना चाहते हैं तो कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजिनियरिंग या इससे संबंधितडिप्लोमा कोर्सेज का भी ऑप्शन है। कंप्यूटर का इस्तेमाल जैसे-जैसे बढ़ रहा हैइससे जुड़े क्वॉलिफाइड तकनीकीप्रफेशनल्स की डिमांड भी तकनीकी खराबियों को दूर करने के लिए बढ़ रही है। जॉब के अलावा आप चाहें तोअपना काम भी शुरू कर सकते हैं।

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