पैसे से आप बिसतर खरीद सकते हैं नींद नहीं
पैसे से आप भोजन खरीद सकते हैं भूख नहीं
पैसे से आप आदमी खरीद सकते हैं वफादारी नहीं
पैसे से आप दवा खरीद सकते हैं सवासथ नहीं
पैसे से आप किताब खरीद सकते हैं ज्ञान नहीं
पैसे से आप पाउडर खरीद सकते हैं सुन्दरता नहीं
पैसे से आप औरत खरीद सकते हैं पत्नी नहीं
पैसे से आप शस्त्र खरीद सकते हैं होसला नहीं
पैसे से आप मूर्ती खरीद सकते हैं भगवान नहीं
पैसे से आप सुख साधन खरीद सकते हैं शांति नहीं
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इन बातो को बार बार गौर करे...
1.पैसे कमाने के सही साधन पैसे खर्चा करने के सही तरीके
2.आगे आने वाली मुसीबतो के लिए धन संचय करे. ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन तेजी से घटता है.
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कभी ये कहावत प्रचलित थी कि आप पैसे से
सुख-सुविधा खरीद सकते हैं, पर
सुकून नहीं। लेकिन आज के समाज में पैसे के बढ़ते महत्व ने इस कहावत को बदला तो
नहीं, पर इसके बारे
में पुनर्विचार पर अवश्य बल दिया है। कारण, आज की तारीख में सुकून से जीने के लिए हर कदम पर पैसे की आवश्यकता
महसूस की जाती है। यही कारण है कि चाहे माया के नाम पर दूसरों को भ्रमित करने वाले
बाबा हों, और
चाहे घर के छोटे-छोटे बच्चे, सभी
पैसों के पीछे भगते रहते हैं।
बढता पैसा, टूटते परिवार!
माना पैसा सुख-सुविधाएं जुटाने का माध्यम बनता
है पर कई बार ये रिश्ते बिखरने की वजह भी बन जाता है। कभी-कभी पैसे कमाने की दौ़ड
में जिंदगी इतनी आगे बढ जाती है कि रिश्ते पीछे छूट जाते हैं। आज विवाह टूटने के
मुख्य वजहों में से एक है पैसा। पहले जहां साथी को धोखा देना या उनके साथ एडजस्ट न
कर पाना विवाह टूटने के कारण हुआ करते थे। वहीं अब पैसा दूरियां पैदा करने लगा है।
अधिकांश तलाक के केस ऎसे ही हे। जहां पैसे की वजह से ही रिश्ते टूटे हैं। पैसा
बढने से प्यार कम होना स्वाभाविक ही है क्योंकि तब रिश्तों को भावनाओं के आधार पर
नहीं, बल्कि पैसे के
आधार पर आंका जाने लगता है।
बढती अस्थिरता
भारतीय परिवारों मे नए दबावों व चुनौतियो के
उभरने से वे एक तरह के बदलाव से गुजर रहे हैं। एक तरफ तो हर चीज पाने की चाह
उन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने या बहुत जल्दी अमीर बनने के लिए उकसा रही है
तो दूसरी तरफ स्थिति यह है कि भारतीय कलाकारों की परंपरागत व पाश्चात्य दोनों ही
शैलियों को अपनाने व उनके बीच सामंजस्य बैठाने के बीच झूल रहे हैं। पैसों की वजह
से संयुक्त परिवार पहले ही टूट चुके हैं। लेकिन अब इसका असर एकल परिवारों में भी
पति-पत्नी के रिश्ते के बीच दिखाई देने लगा है। तेज दौडती जिंदगी की देन है अस्थिरता, जिसकी वजह से आपसी रिश्तों मे
कम्युनिकेशन की कमी तो आई है, साथ
ही तनाव ने सेक्स जीवन को प्रभावित कर उसे भी गौण बना दिया है। पति-पत्नी के बीच
एक तालमेल विकासित हो, उससे
पहले ही संबंधों मे दरार पडने लगती है।
रिश्तों की कम होती अहमियत
कॉलेज या आईआईटी से निकलते ही या एमबीए करने के
बाद बडी-बडी मल्टीनेशनल कंपनियों में तुरंत बडा पैकेज और अन्य सुविधाएं मिलने से
नई पीढी की सोच में व्यापक अंतर आ गया है। हर महीने मिलने वाला पे पैकेज हाथ में आ
जाए तो उसकी चकाचौंध से इंसान का दिमाग केवल भौतिक सुखों का ही आनंद लेने में मग्न
हो जाता है और प्यार, स्नेह, आत्मीयता व संबंधो की गरिमा की कद्र
करना भूल जाता है। पैसा बढने के साथ उनकी अपेक्षाएं भी बढने लगती हैं, ऎसे में मोटी तनख्वाह भी उन्हें कम
लगने लगती हैं। अपने परिवार पर पैसा खर्च करना या अभिभावकों के हाथ में पैसा देने
की बात उन्हें खलने लगती है। परिणाम- मतभेद, दोषारोपण व अलगाव। विवाह होने के बाद भी अगर पति-पत्नी दोनों ही
कमाते हैं तो कई बार पैसा रिश्ते को तोडने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।
निर्णायक पहलू
आज पैसा नई पीढी के लिए मौज-मस्ती करने और सारी
भौतिक चीजें पाने का पर्याय बन चुका है, ऎसे में वह इस बात का भी निर्णायक पहलू बन गया है कि विवाह कायम
रहेगा या टूटेगा, परिवार
की क़डी जुडी रहेगी या बिखर जायेगी। सच तो यह है कि पैसा बढने के साथ-साथ उनके बीच
के फासले भी बढने लगते हैं। दोनों अपनी जिंगदी जीने की चाह रखने लगते हैं, अपने फैसले खुद करने लगते है। जब बहुत
ज्यादा पैसा हाथ में होता है, तो
जीने के मायने व शैली दोनों में ही बदलाव आ जाता है।
पैसा ये कैसा?
पैसा ये कैसा??? बीना पैसे के इस दुनिया में मुश्किल हे जीना!
ओर जीवन यापन के लिए पैसा कमाने में कोई बुराई भी नहीं हे! मगर यही पैसा जब आपको
धनवान बना देता हे! ओर आपकी आँखों के साथ दिमाग पर भी इस पैसे कि गर्मी चढ़ जाएँ
तो? पैसा चीज ही ऐसा
है , ना जाने किस - किस
के बीच में दरार डलवा देता है।
1.अगर आप मैरिड हैं , तो खासतौर पर ध्यान दें कि आपकी
खुशियों से भरी जिंदगी में ये तनाव की वजह बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप मनी
माइंडेड ना हों। आखिर , आप
दोनों को हंसी - खुशी जो जिंदगी बितानी हैं। महिलाएँ व पुरुष दोनों के नजरिये में
यदि पैसे के मामलों में फर्क हे तो यह गृह-युध्ध का एक प्रमुख कारण हो सकता
हे!विशेश्थ कम काजी महिलाओं में यह अधिक मात्रा में होता हे!ऐसी स्थिथी ना बने
इसके लिए अपने मन को उदार बनाए जिसमें यह ध्यान रहे कि दूसरे कि भावना आहत ना हो!
आजकल बड़े शहरों में शादी के बाद कम समय में ही तलाक और आपसी खिटपिट के आंकड़ें
बढ़ते जा रहे हैं। इसके कारणों में से एक कारण मियां-बीवी के पैसों के उपयोग से
जुड़ा हुआ है। आज के समय शहरों में पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं। अक्सर यह
देखा गया है कि पति-पत्नी अपने पैसों के उपयोग और उसकी बचत को एक-दूसरे से शेयर
नहीं करते। वे यह सोच लेते हैं कि अगर वे कमाते हैं तो उसे खर्च करने का पूरा
अधिकार सिर्फ उनका है। इसके बारे में अपने साथी को बताना वे जरूरी नहीं समझते। यही
बात आगे चलकर उनकी आपसी कलह का कारण बन जाती है।
2.ओर यही पैसा निकटतम रिश्तेदारों व दोस्तों
में वेमनस्य का कारण बन सकता हे! इसके लिए यथा संभव आपस में पेसो का लोएंदेन ना
करे! अत्यधिक मजबूरी हो तो व्याव्हारिकता अपनाए ओर लिया गया पैसा मई ब्याज के वापस
शिघ्रातिशिघ्र लोताए!
3.वही समान हैसियत वालों से ही रिश्तेदारी व
मित्रता करने कि हितायदे नितिग्यो द्वारा डी जाती हे ताकि दूसरे के धन को देखकर
आपमें इर्श्याभाव ना आए!
4. यदि आपके पास आपकी जरूरतों से अधिक पैसा हे
तो आप उसे फिजूलखर्ची में ना उड़कर उसका सदुपयोग करे! साथ ही अपनी हेसियतानुसार
अपने परिवार व बच्चो कि फर्माईशे पूरी कराने में कंजूसी ना करे!याद रखे;''आप जो कमाकर इकथ्था कर रहे हे!वह आपके
भग्य का नान्ही हे!''आपके
भाग्य का धन सिर्फ़ वह हे जो आप अपने हाथों से ख़ुद पर परिवार पर या सद्कार्यो में
खर्च कराते हे!''
यही पैसा तो अपनों से दूर करे है!
पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा से कम भी नहीं। शायद यही
कारण है कि एक तिहाई लोगों को नींद न आने के कारणों में पैसा अहम होता है। एक ताजा
अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है। पैसे की तंगी का असर कामकाज, रिलेशनशिप, हैल्थ और पार्टनर के खर्राटों से भी
अधिक होता है। लोगों के दिलो-दिमाग पर पैसे की कमी इस हद तक हावी हो जाती है कि
उन्हें नींद तक नहीं आती।
अध्ययन के अनुसार ब्रिटेन के एक तिहाई लोग
आर्थिक तंगी के कारण चैन भरी नींद भी नहीं ले पाते। संडे की छुट्टी तो और भी तनाव
भरी होती है, क्योंकि
इस दिन आने वाले सप्ताह को लेकर दिमाग में उलझन बनी रहती है। ज्यादातर लोग रात के
दो-तीन बजे भी उठकर बैठ जाते हैं। 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो ऊंघते रहते हैं, लेकिन टेंशन से सो नहीं पाते। जेब खाली
हो तो निजी जीवन पर भी असर पड़ता है, यही कारण है कि पांच में से एक व्यक्तियों को लव लाइफ और ब्रेक-अप की
टेंशन होती है।
प्रीमियर इन के प्रवक्ता क्लेयर हेग कहते हैं
कि-रात को नींद न आना हर किसी की जिंदगी को आज प्रभावित कर रहा है। वे बताते हैं
कि इसका असर हमारे कामकाज और प्रदर्शन पर पड़ रहा है।
क्लेयर के अनुसार लोगों को इस बाद से बेहद
तकलीफ होती है कि जो काम वे करना चाहते हैं, वह पैसे की कमी के कारण पूरा नहीं होता। रात को बिस्तर पर जब आराम
करने के लिए हम जाते हैं तो परिस्थितियां वास्तविकता से भी अधिक खराब नजर आने लगती
हैं। क्लेयर का कहना है कि रात को सोने से पहले दिन भर की बातों को भुलाकर भरपूर
नींद लेने की कोशिश करना सेहत के लिए बेहतर होता है।
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