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examination pressure


एग्जामिनेशन प्रेशर
परीक्षा चाहे कोई भी हो, उससे उत्पन्न तनाव विद्यार्थियों में एक भय का माहौल पैदा करता है। आखिर इसकी क्या वजह है? सबसे पहला कारण है बेहतर तैयारी होना। इतना ही नहीं, यदि अच्छे अंक नहीं आए तो कैरियर का क्या होगा? यह सवाल भी उन्हें परेशान करता है। अभिभावक भी बच्चों से अच्छा करने की अपेक्षा करते हैं, जो बच्चों को प्रेशर की स्थिति में लाता है। यह स्वाभाविक है, पर इससे बचना भी मुश्किल नहीं है। इन बातों पर ध्यान दें :

बेहतर तैयारी : तनाव या भय का मूल कारण है अच्छी तैयारी होना। परीक्षा करीब आने के बाद तैयारी शुरू करने पर तो तैयारी ठीक ढंग से हो पाएगी और ही तनाव से बचना संभव हो सकेगा।

दिनचर्या : सिर्फ तैयारी के बारे में सोचने से ही बात नहीं बनती। इसके लिए एक रुटीन बनाना होगा और फिर दृढ़ता के साथ उसका पालन भी करना होगा।
टाइम मैनेजमेंट : परीक्षा में उन्हें ही सफलता मिलती है, जो समय का ध्यान रखते हैं। कब, क्या पढ़ना है? किस
विषय की तैयारी में कितना वक्त लगेगा? रिवीजन के लिए कितना समय लगेगा? तैयारी को लेकर ऐसे सवालों के जवाब जरूर ढूंढ़ें।
एक्सरसाइज : मानसिक कार्य के दौरान यदि शारीरिक सक्रियता भी बनाई रखी जाए, तो इससे तनाव में राहत मिलती है।
बे्रक जरूरी : लगातार पढ़ने से बचें। जब भी लंबी अवधि के लिए पढ़ाई करनी हो तो एक-डेढ़ घंटे के बाद कुछ देर के लिए ब्रेक अवश्य लें। इस दौरान आप कुछ खा सकते हैं, टहल सकते हैं, किसी से फोन पर बात कर सकते हैं आदि।
आहार : परीक्षा के वक्त विद्यार्थी अक्सर अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देते। इससे कठिन मेहनत के वक्त शरीर को आवश्यक खनिज पदार्थ और विटामिन्स नहीं मिल पाते। इससे विद्यार्थी थकावट और तनाव महसूस करते हैं।
मनोरंजन : पूरे दिन के रुटीन में मनोरंजन को भी स्थान देना जरूरी है। इससे रिलैक्स्ड रहने में मदद मिलती है। पर इसकी अधिकता नहीं होनी चाहिए। दोस्तों से बातें जरूर करें, पर पार्टी आदि से दूर ही रहें।
सकारात्मक सोच : तनाव और भय मानसिक स्थितियां हैं, जिन पर सकारात्मक सोच से काबू पाया जा सकता है।
अच्छी नींद : दिन-रात पढ़ाई करने करने के चक्कर में पर्याप्त नींद लेना भूलें। प्रतिदिन कम-से-कम सात घंटे की नींद जरूर लें।

भाग्य तभी साथ देता है, जब आप मेहनत करते हैं

किसी भी प्रवेश परीक्षा या मंजिल को पाने के लिए मेहनत जरूरी है। भाग्य इसके बाद ही आता है। भाग्य तभी साथ देता है, जब आप मेहनत करते हैं। सुनियोजित योजना और प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर सफलता मिलती है, सफलता उसे ही मिलती है, जो सफलता की इच्छा करता है। इच्छा करने के बाद ही व्यक्ति कुछ करने के लिए प्रवृत्त होता है। मजबूत इच्छाशक्ति यानी विल पॉवर व्यक्ति को किसी भी ऊंचाई तक पहुंचा सकती है। असफल होने के बाद भी सफल वही होते हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी प्रबल इच्छाशक्ति रखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता है। 


रेगुलर स्टडी
यदि आप किसी स्कूल, कॉलेज अथवा अन्य संस्थान का सर्वे करें, तो साफ तौर पर पता चल जाएगा कि वही विद्यार्थी परीक्षाओं में अव्वल आते हैं, जो नियमित रूप से अपना अध्ययन करते हैं। किसी भी परीक्षा के लिए प्रतिस्पर्द्धा के जबरदस्त माहौल में पढ़ाई का यही ढंग आपको आगे बढ़ाने में सहायक हो सकता है। इस ढंग की स्डटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पढ़ाई कभी आपको बोझ नहीं लगती। जिस तरह बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता है, उसी तरह रोजाना थोड़ा-थोड़ा पढ़ने से ही आपकी अच्छी तैयारी हो जाती है। ऐसे में एग्जाम के दौरान आप तनाव में नहीं आते। साथ ही रिवीजन के लिए भी आपको पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए यदि परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो रेगुलर स्टडी से संबंधित इन बातों का ध्यान रखें :

अपने अध्ययन से संबंधित विषयों की पूरी प्लानिंग कर लें। फिर उनको इस ढंग से बांटें, ताकि रोजाना अध्ययन से निर्धारित समय में उनको आसानी से पूरा कवर किया जा सके।

प्रतिदिन पढ़ने का समय निर्धारित कर लें। कोशिश करें कि उस दौरान अन्य कार्यों से ध्यान हटाकर पढ़ने में मन लगाएं।

प्रतिदिन पढ़ने से आपके पास किसी विषय को गहराई से पढ़ने-समझने का पूरा वक्त मिल जाएगा। इसलिए इससे सहजता से आप उस विषय/टॉपिक की तैयारी कर लेंगे। सिर्फ एग्जाम के दौरान पढ़ाई करनेवालों को यह सुविधा कतई नहीं मिल सकती।

क्लास में जो भी पढ़ाई हो, उसको अनिवार्य रूप से उसी दिन या उसके अलगे दिन रिवाइज जरूर करें। इससे आसानी से आप विषयों को याद रख सकते हैं। इसलिए कक्षा में पढ़ाई के दौरान बेहद सतर्क रहें। द्दजब आप नियमित रूप से पढ़ाई करेंगे, तो विषयों की बेहतर जानकारी होगी। इससे अपने ज्ञान को आप अपने सहपाठियों या शिक्षकों के साथ बेहतर ढंग से बांट सकेंगे।

रेगुलर स्डटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी हॉबी, स्पोर्ट्स आदि पर भी ध्यान दे सकते हैं, क्योंकि आपको इसके लिए समय मिल मिल जाता है। वर्तमान माहौल में बेहतर पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के लिए यह बेहद जरूरी है, जो संतुलित विकास में मददगार है।


यारी और तैयारी!
हमने अक्सर लोगों को कहते सुना है कि खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदलता है। यह भी सुना है कि टोकरी में अगर एक भी सेब खराब हो, तो सभी सेब खराब हो जाते हैं।

कहने को तो यह कहावते हैं, पर इनके पीछे बहुत बड़ी बात छुपी है! चलिए आज समझने की कोशिश करते हैं कि एक इंसान के लिए उसकी संगति कितना महत्व रखती है।

एक विद्यार्थी जो पढ़ रहा है या एक युवा जो काम करता है, उसका ज्यादा से ज्यादा वक्त किसके साथ गुजरता है? अपने परिवार से कहीं ज्यादा अपने दोस्तों के साथ। विद्यार्थियों को दोस्त परिवार से कम प्रिय नहीं होते। हों भी क्यों , विद्यार्थी जीवन में अच्छे दोस्त ही होते हैं, जो बुरे वक्त और अच्छे वक्त, हर समय सहारा बनते हैं।

कहते हैं कि अगर किसी को अच्छे से जानना हो तो उसके दोस्त देख लो, आपको खुद ही उस इंसान के बारे में पता चल जाएगा। वाकई विद्यार्थियों की संगति से उनके व्यक्तित्व की संपूर्ण तस्वीर सामने जाती है। अच्छी संगति होगी, तो तस्वीर अच्छी बनेगी और खराब होगी, तो खराब बनेगी।

यदि विद्यार्थियों की समस्याओं की बात की जाए, तो स्टडी के अलावा उनकी संगत ही सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए हमेशा गुणवान, चरित्रवान दोस्तों के साथ रहने की कोशिश करें। अपने दोस्तों का समय-समय पर टेस्ट लेते रहें।

उनके सामने अपनी समस्याएं रखें और देखें कि किस तरह से वे आपकी मदद करते हैं या सलाह देते हैं। अगर उनकी सलाह प्रेरणादायक हो, जीवन में आगे बढ़ाने वाला हो, तो उनसे सावधान रहें। दोस्त वह होते हैं, जिनके संस्कार आपसे मेल खाते हों और जिनका साथ कैरियर में आपको तरक्की की राह दिखाए।

अच्छी या बुरी संगति का असर हमारे व्यक्तित्व पर स्वाभाविक रूप से पड़ने लगता है। इसके पीछे कोई सोची-समझी रणनीति नहीं होती, बल्कि इसका अच्छा या बुरा असर खुद--खुद नजर आने लगता है। इसी से संगी-साथी का महत्व स्पष्ट होता है।

एक अच्छा दोस्त खुशबू बेचने वाले जैसा होता है। जब आप उसके करीब जाते हैं, तो आप भी उस खुशबू से नहा उठते हैं। एक बेहतरीन दोस्त इससे भी बढ़कर होता है, जो आपको सुवासित तो करता ही है, आपके द्वारा की जानेवाली गलतियों से बचने का इशारा भी वह लगातार करता रहता है। ऐसे ही दोस्तों की तलाश आप भी करें!

1 comment:

  1. Integrated MBA courses are offered by many universities in India. If you don’t get admission into a reputed institution, it may be better to do your graduation first. Work for a while to gain some practical experience and then try for an MBA from a really good B-school that offers excellent placement facilities.

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