12/20/11

मासिक धर्म -menstruation cycle


मासिक धर्म -एक कुदरती प्रक्रिया

10 से 15 साल की आयु की लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।

वैसे  भी लगभग सभी को यह ज्ञात है कि यह प्रक्रिया स्त्री शरीर की एक कुदरती  प्रक्रिया है और स्वस्थ शरीर में इस प्रक्रिया के दौरान सामान्य रूटीन के कार्य करने से कोई असुविधा या हानि  नहीं होती.  हर स्त्री को इस विषय  के बारे में जानने का जितना अधिकार और आवश्यकता है ,उसी तरह हर पुरुष को भी इस प्रक्रिया को समझने की उतनी ही आवश्यकता है.


माहवारी चक्र की सामान्य अवधि क्या है?

माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं

ज्यादातर महिलाएं माहवारी (Menstrual cycle) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है. यहां समस्या बताने से पहले यह भी बता दें कि माहवारी है क्या. दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदाथॅ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।

माहवारी से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?

माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।

भारी माहवारी के स्राव के क्या कारण  हैं?

भारी माहवारी स्राव के कारणों में शामिल है

(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।

(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहा जाता है। जिस की व्याख्या नहीं हो पाई है।

(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं

(4) रक्त के थक्के बनने का रोग

(5) अंतरा गर्भाषय उपकरण

(6) दबाव।

सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है?

नहीं, चिन्ता की कोई जरूरत नहीं। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।


पीड़ा दायक माहवारी क्या होती है?

पीड़ा दायक माहवारी मे निचले उदर में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी औरत को तेज दर्द हो सकता है जो आता और जाता है या मन्द चुभने वाला दर्द हो सकता है। इन से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और माहवारी के एकदम पहले भी हो सकता है। माहवारी का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह खत्म हो जाता है।

पीड़ादायक माहवारी का आप घर पर क्या उपचार कर सकते हैं?

निम्नलिखित उपचार हो सकता है कि आपको पर्चे पर लिखी दवाओं से बचा सकें। (1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं। (2) गर्म जल से स्नान करें। (3) गर्म पेय ही पियें। (4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें। (5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें। (6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो। (7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें। (8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें। (9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।

पीड़ादायक माहवारी के लिए डाक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए?

यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए। स्कूल में जहाँ लडके -लड़कियां एक साथ पढते हैं और महिला -पुरुष अध्यापक पढाते हैं ऐसे में जब किसी लडकी को पहली बार  मासिक धर्म[Menarche ] शुरू होता है या किसी लड़की को मासिक धर्म में तेज दर्द [डीस्मेनोरिया ]अचानक उठता है  तब यह स्थिति  असहजता और शर्मिंदगी  का वातावरण न बनाये इसके लिए इस सम्बन्ध में सभी को इस का  पूर्व ज्ञान /ज्ञान होना ज़रुरी है. यही बात अन्य कार्य स्थलों के  लिए भी लागू होती है. संयुक्त अरब एमिरात में  [सरकारी नियम अनुसार ]सभी स्कूलों की  कक्षा ६ की  छात्राओं को मासिक धर्म  के बारे में व्याख्यान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दिया जाता है ताकि वे अपने शरीर में होने वाले इस परिवर्तन के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें. विवाह उपरान्त गर्भ धारण करने में /परिवार को प्लान करने में भी इस जानकारी का उपयोग किया जा सकता  है.


 मासिक धर्म या माहवारी या रजोधर्म क्या होता है ?

यह किशोर अवस्था पार कर नव यौवन में प्रवेश करने वाली सामान्यत १० से १६ वर्ष की  लड़कियों के शरीर में होने वाला एक हार्मोनल परिवर्तन  है  जो चक्र के रूप में  प्रति मास २८ से ३५  दिन की अवधि में एक बार ३ से ५ दिन के लिए  होता है .[एमिरात  में ९ वर्ष की उम्र में भी यह चक्र शुरू होते देखा गया है.कुछ स्थानों पर ऋतुस्त्राव की अवधि  २ से ७ दिनों  को  भी सामान्य माना जाता है.]

स्त्री के शरीर में दो अंडाशय और एक गर्भाशय होता है .हर माह किसी एक ओवरी से एक अंडाणु  बनता है जैसे जैसे यह अंडाणु परिपक्व होता है ,गर्भाशय की भीतरी सुरक्षा परत भी परिपक्व होती जाती है.जब अंडाणु पूरी तरह परिपक्व हो जाता है और  निषेचन योग्य बनता है .अगर यह निषेचित हो जाता है तो यह परत भी उसे  ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाती है और निषेचित अंडाणु को ग्राभाशय में स्थापित करती है जहाँ शिशु बनता है. इस का अर्थ है कि इस परत का कार्य निषेचित  अंडाणु को आरंभिक पोषण देना है. अगर अंडाणु  का निषेचन  नहीं होता तब यह परत बेकार हो जाती है तब मासिक धर्म के चक्र के अंत में इस परत के उत्तक  ,रक्त ,म्युकस का मिला जुला स्त्राव होता है . यह  रक्त मिश्रित स्त्राव के रूप में योनी से  बाहर निकलता है.जिसे मासिक स्त्राव कहते हैं .




 गर्भावस्था  के समय माहवारी क्यूँ नहीं होती?

जब यह  विकसित अंडा  शुक्राणु से निषेचित होता है तब गर्भाशय  के संस्तर से जुड़ जाता है और फिर वहीं विकसित होने लगता है जिसे गर्भ ठहराना कहते हैं .इसी के साथ अब विशेष  हार्मोन का रिसाव  होता है जो इस संस्तर को  thick कर देते हैं  जिससे स्त्राव बंद हो जाता है और साथ ही कुछ खास हार्मोन इस अवधि में अंडाशय में अंडाणु का बनना रोक देते हैं.



क्या माहवारी के समय सभी स्त्रियों को दर्द होता है ?


माहवारी शुरू होने से पहले कमर /पेडू में हल्का दर्द या बेआरामी की शिकायत आम है जिसे पूर्व माहवारी दर्द  कहते हैं. सामान्य  रूप से  इस स्त्राव के दौरान  थोड़े दर्द या बेआरामी की शिकायत  कुछ स्त्रियाँ करती हैं.तो अधिकतर कोई तकलीफ महसूस नहीं करतीं. माहवारी  के समय बहुत सी महिलाओं में सामान्य रूप से कमर में दर्द के साथ साथ पाँव में दर्द ,शरीर में भारीपन,उलटी जैसा आना,सर दर्द,दस्त लगना या कब्ज होना,स्तनों में टेंडरनेस,भारीपन  ,मूड में बदलाव देखा गया है . माहवारी के दौरान बार बार तेज असहनीय  दर्द ,अत्यधिक  स्त्राव या थक्के के रूप में खून  बहना साधारण नहीं है यह किसी सम्बंधित रोग के लक्षण हो सकते हैं .इसलिए डॉक्टर से जांच अवश्य कराएं.


क्या महिला में मानसिक तनाव या बदलते मौसम  इस के चक्र के देर से या समयावधि से पूर्व होने का कोई कारण हैं?

हाँ ,ऐसा देखा गया है परन्तु इसके कोई ठोस मेडिकल कारण ज्ञात नहीं हैं.



महावरी के दिनों में महिलाएं अक्सर चिढ चिढ़ी हो जाती हैं ,ऐसा क्यूँ?

इस का कोई ठोस कारण ज्ञात नहीं है परन्तु कुछ विशेषज्ञ इस स्वभाव परिवर्तन का कारण  चक्र के समय बहने वाले  होरमोन को मानते हैं.



क्या यह चक्र सारी उम्र चलता है ?

नहीं , यह चक्र स्त्री की ४० से ६० आयु के बीच में कभी भी  बंद हो जाता है .उम्र के अंतिम मासिक चक्र को रजोनिवृत्ति[  मेनोपोस] कहते हैं .अधिकतर स्त्रियों में रजोनिवृत्ति की औसत उम्र 51 साल  देखी गयी है.



कितना रक्त एक  चक्र में महिला के शरीर से बहता है?

एक सामान्य चक्र में  औसतन ३५ मिलीलीटर or  १५  to  ८० मिलीलीटर तक खून स्त्री के शरीर से बह जाता है.


स्त्राव के दौरान लगाये  पेड [pad ] को कितनी देर में बदलना चाहिए?


प्रस्तुत विडियो में डॉ शीला ने कहा है कि जब भी पेड पूरा गीला हो जाये बदल देना चाहिए और नहीं तो हर ८ घंटे में ,रात को सोने के बाद सुबह इसे  बदला  देना चाहिए .सारा दिन लगाये रखने से इस में  जीवाणु पनपेंगे जो दुर्गन्ध और इन्फेक्शन फैलायेंगे.इसलिए इस समय सफाई का खास ध्यान महिलाओं को रखना चाहिए .



मासिक धर्म के चक्र में गिनती कैसे की जाये?

उत्तर - २८ दिन के चक्र का पहला  दिन माना जाता है  जिस दिन स्त्राव शुरू होता है उस दिन से २८ दिन गिन कर २९ वें दिन से अगला चक्र शुरू होना चाहिए. जैसे अगर १ दिसंबर को किसी को स्त्राव शुरू हुआ है तो अगला चक्र २९ दिसंबर से होना चाहिए और उससे अगला चक्र २६ जनवरी को.

डॉ गुप्ते के अनुसार मासिक चक्र को देर से या जल्दी लाने वाली दवाएं नहीं खानी चाहिए .इसका विपरीत असर चक्र की नियमितता पर पड़ता है.ऐसी हार्मोनल दवाओं के अधिक इस्तमाल करने से रक्त के जमने पर भी  प्रतिकूल असर पड़ता है.


 Disclaimer -यहाँ दी गयी जानकारी केवल शैक्षिक एवं सूचना के प्रसार हेतु है. यह जानकारी किसी भी तरह से चिकित्सीय परामर्श या  व्यवसायिक चिकित्सा  स्वास्थ्य कर्मचारी  का विकल्प न समझी जाए.इस जानकारी  के दुरूपयोग की ज़िम्मेदारी  लेखिका की नहीं है.पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी में सम्बंधित चिकित्सा कर्मचारी से परामर्श करें.


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