What is Computer?
आज का युग कम्प्यूटर का युग है.आज कम्प्यूटर किसी ना किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है. ऐसे में मस्तिष्क में कई बार यह प्रश्न उठता है कि आखिर कम्प्यूटर है क्या? आइये इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास करते हैं.कम्प्यूटर एक ऐसा यंत्र,औजार या डिवाइस (device) है जो हमारे द्वारा दिये गये आंकड़ों (डाटा) को ग्रहण कर उस पर हमारे द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार काम करता है और हमें इच्छित परिणाम प्रदान करता है. जिन निर्देशों के आधार पर कम्प्यूटर काम करता है उन्हें हम प्रोग्राम (Program) कहते हैं.
हिन्दी में कम्प्यूटर को संगणक भी कहा जाता है.कई बार कम्प्यूटर के लिये हम लोग पी.सी.(P.C) शब्द का भी प्रयोग करते हैं. पी.सी. एक अंग्रेजी शब्द है जिसका मतलब होता है पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer) यानि व्यक्तिगत कम्प्यूटर.आपने शेयर्ड कम्प्यूटर(Shared Computer)का नाम भी सुना होगा.शेयर्ड कम्प्यूटर वह है जिसे कई भिन्न- भिन्न लोग उपयोग करते हैं.विशेष रूप से इसका तात्पर्य उस कम्प्यूटर से है, जो सार्वजनिक या साझा पहुँच के लिए उपलब्ध हों. जैसे शालाएँ, पुस्तकालय, इंटरनेट और गेमिंग कैफ़ेज़ और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पाए जाने वाले कम्प्यूटर.
कम्प्यूटर के संबंधित शब्दों से परिचय
कम्प्यूटर के विषय में और अधिक जानने से पहले आइये कम्प्यूटर से संबंधित तकनीकी शब्दावली से परिचित हो लें.
डाटा क्या है? (What is Data?)
आपने डाटा शब्द बहुत बार सुना होगा. इसका शाब्दिक अर्थ है आंकड़े लेकिन कम्प्यूटर के क्षेत्र में यह विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त होता है.इसका अर्थ है कुछ तथ्य,अंक और सांख्यिकी का समूह, जिस पर प्रक्रिया करने से अर्थपूर्ण सूचना प्राप्त होती है.जैसे आप किसी स्थान के पूरे महीने के तापमान के आंकड़े एक जगह रखें तो वह मासिक तापमान का आंकड़ा होगा, यानि टैम्परेचर डाटा.कभी कभी डाटा को रॉ डाटा (Raw
Data) भी कहा जाता है.
इसका मतलब हुआ ऐसा डाटा जिस पर अभी कोई भी प्रक्रिया नहीं हुई है. लेकिन डाटा शब्द का उपयोग हमेशा गणितीय आंकड़ों के सन्दर्भ में ही हो यह कोई आवश्यक नहीं. अक्सर चित्र (Image) , वीडियो फाइल (Video File),फोटो (Photo),डोक्यूमैंट (Documents) आदि भी डाटा कहे जाते हैं.
इसका मतलब हुआ ऐसा डाटा जिस पर अभी कोई भी प्रक्रिया नहीं हुई है. लेकिन डाटा शब्द का उपयोग हमेशा गणितीय आंकड़ों के सन्दर्भ में ही हो यह कोई आवश्यक नहीं. अक्सर चित्र (Image) , वीडियो फाइल (Video File),फोटो (Photo),डोक्यूमैंट (Documents) आदि भी डाटा कहे जाते हैं.
प्रक्रिया क्या है ? (What is Process?)
डाटा जैसे- अक्षर, अंक, सांख्यिकी या किसी चित्र को सुव्यवस्थित करने या उनकी गणना करने को प्रक्रिया कहते हैं. किसी भी डाटा को अर्थपूर्ण जानकारी में बदलने के लिये उसे प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं. इसके बाद इसे विभिन्न व्यक्ति (जिन्हें सूचना की आवश्यकता है) अपने अपने कार्य के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं. जैसे यदि हम पिछ्ले उदाहरण के मासिक तापमान के डाटा की बात करें तो इस डाटा पर प्रक्रिया कर यह पता लगा सकते हैं इस महीने सबसे अधिक तापमान या सबसे कम तापमान क्या रहा या इस महीने का औसत तापमन क्या था.प्रक्रिया में निम्नालिखित पदो का समावेश होता है.
गणना :- जोडना, घटाना, गुणा करना, भाग देना,औसत करना.
तुलना :- बराबर, बड़ा,छोटा, शून्य, धनात्मक,ऋणात्मक.
निर्णय लेना (Decision
Making) :- किसी शर्त या तर्क के आधार पर विभिन्न निर्णय लेना.
तर्क (Logic):- आवश्यक परिणाम को प्राप्त करने के लिए पदों का क्रम.
प्रक्रिया केवल संख्याओं (अंकों) की गणना को ही नहीं कहते हैं बल्कि कम्प्यूटर की सहायता से दस्तावेजों में त्रुटियाँ ढ़ूंढ़ना, टैक्ट को व्यवस्थित करना जैसे कई काम भी प्रक्रिया कहलाते हैं.
सूचना क्या है? (What is information?)
जिस डाटा पर प्रक्रिया हो चुकी हो,वह सूचना कहलाती है.अर्थपूर्ण तथ्य,अंक या सांख्यिकी सूचना होती है.दूसरो शब्दों में डाटा पर प्रक्रिया होने के बाद जो अर्थपूर्ण डाटा प्राप्त होता है, उसे ही सूचना कहते हैं.
निर्णय लेने के लिये हमें सूचना की आवश्यकता होती है. किसी भी सूचना में अग्रलिखित गुण होने चाहियेः
अर्थपूर्णता : सूचना में कुछ ना कुछ अर्थ होना चाहिये.
पूर्व जानकारी से सहमति : सूचना को किसी पूर्व जानकारी का अनुमोदन (Validation) करना चाहिये.
पूर्व जानकारी में सुधार : सूचना को किसी पूर्व जानकारी में कुछ जोड़ना चाहिये या उसे सुधारना चाहिये.
संक्षिप्तता : सूचना संक्षिप्त होनी चाहिये.
शुद्धता या यथार्थता : सूचना सही होनी चाहिये ताकि उस की आधार पर निर्णय लिये जा सकें.
कम्प्यूटरों के प्रकार (Type of Computers)
1. अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
यद्यपि कम्प्यूटर के अनेक अनुप्रयोग हैं लेकिन प्रमुख अनुप्रयोगों के आधार पर कम्प्यूटरों के तीन प्रकार होते हैं.
1. एनालॉग कम्प्यूटर
2. डिजिटल कम्प्यूटर
3. हाईब्रिड कम्प्यूटर
यद्यपि कम्प्यूटर के अनेक अनुप्रयोग हैं लेकिन प्रमुख अनुप्रयोगों के आधार पर कम्प्यूटरों के तीन प्रकार होते हैं.
1. एनालॉग कम्प्यूटर
2. डिजिटल कम्प्यूटर
3. हाईब्रिड कम्प्यूटर
2. आकार के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं –
1. माइक्रो कम्प्यूटर
2. वर्क स्टेशन
3. मिनी कम्प्यूटर
4. मेनफ्रेम कम्प्यूटर
5. सुपर कम्प्यूटर
आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं –
1. माइक्रो कम्प्यूटर
2. वर्क स्टेशन
3. मिनी कम्प्यूटर
4. मेनफ्रेम कम्प्यूटर
5. सुपर कम्प्यूटर
पर्सनल कम्प्यूटर ऐसे माइक्रो कम्प्यूटर हैं जो विशेष रूप से व्यक्तिगत अथवा छोटे समूह के द्वारा प्रयोग में लाए जाते हैं. इन कम्प्यूटरों को बनाने में माइक्रोप्रोसेसर मुख्य रूप से सहायक होते है. पर्सनल कम्प्यूटर निर्माण विशेष क्षेत्र तथा कार्य को ध्यान में रखकर किया जाता है उदाहरणार्थ- घरेलू कम्प्यूटर तथा कार्यालय में प्रयोग किये जाने वाले कम्प्यूटर. इसके बारे में विस्तार पूर्वक अलग से चर्चा करेंगे.
पर्सनल कम्प्यूटर के मुख्य कार्यो में गेम-खेलना, इन्टरनेट का प्रयोग, शब्द-प्रक्रिया इत्यादि शामिल हैं. पर्सनल कम्प्यूटर के कुछ व्यवसायिक कार्य निम्नलिखित हैं.
1. डिजाइनिंग करना
2. सेल्स,इन्वेन्ट्री तथा प्रोडक्शन कन्ट्रोल
3. स्प्रेडशीट कार्य
4. अकाउन्टिंग
5. सॉफ्टवेयर निर्माण
6. वेबसाइट डिजाइनिंग तथा निर्माण
7. सांख्यिकी गणना इत्यादि
कम्प्यूटर के विभिन्न भाग
कम्प्यूटर के मुख्यत: दो हिस्से होते हैं.
1. हार्डवेयर (Hardware)
2. सॉफ्टवेयर (Software)
हार्डवेयर : कम्प्यूटर के भौतिक हिस्से जिन्हे हम देख या छू सकते हैं वो हार्डवेयर कहलाते हैं. ये भाग मशीनी (मैकेनिकल),इलेक्ट्रीकल (electrical) या इलेक्ट्रोनिक (electronic) हो सकते हैं. हर कम्प्यूटर का हार्डवेयर अलग अलग हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कम्प्यूटर किस उद्देश्य के लिये प्रयोग में लाया जा रहा है और व्यक्ति की आवश्यकता क्या है. एक कम्प्यूटर में विभिन्न तरह के हार्डवेयर होते है जिनमें मुख्य हैं.सी.पी.यू. (CPU), हार्ड डिस्क (Hard
Disk) , रैम (RAM), प्रोसेसर (Processor)
, मॉनीटर (Monitor) , मदर बोर्ड (Mother Board) ,फ्लॉपी ड्राइव आदि. इनकी हम विस्तार से चर्चा आगे करेंगें. कम्प्यूटर के केबल, पावर सप्लाई युनिट,की बोर्ड (Keyboard),माउस (Mouse) आदि भी हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं. की बोर्ड , माउस , मॉनीटर , माइक्रोफोन , प्रिंटर आदि को कभी कभी पेरिफेरल्स (Peripherals) भी कहा जाता है.
सॉफ्टवेयर : कम्प्यूटर हमारी तरह हिन्दी या अंग्रेजी भाषा नहीं समझता.हम कम्प्यूटर को जो निर्देश देते हैं उसकी एक नियत भाषा होती है. इसे मशीन लैंग्वेज या मशीन की भाषा कहा जाता है. इसी मशीन की भाषा में दिये जाने वाले निर्देशों को प्रोग्राम (Program) कहते हैं. ‘सॉफ्टवेयर’ उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जिनको हम हार्डवेयर पर चलाते हैं और जिनके द्वारा हमारे सारे काम कराए जाते हैं बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर से कोई भी काम करा पाना असंभव है.
मुख्यत: सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं ।
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर
“सिस्टम सॉफ्टवेयर” ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जिनका काम सिस्टम अर्थात कम्प्यूटर को चलाना तथा उसे काम करने लायक बनाए रखना है.सिस्टम सॉफ्टवेयर की सहायता से ही हार्डवेयर अपना निर्धारित काम करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्पाइलर आदि सिस्टम सॉफ्यवेयर के मुख्य भाग हैं ।
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
“एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर” ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारे रोजमर्रा के कामों को कम्प्यूटर में अधिक तेजी और सरलता से करने में मदद करते हैं.आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं. जैसे लिखने के लिये, आंकड़े रखने के लिये, गाना रिकॉर्ड करने के लिये, वेतन की गणना, लेन-देन का हिसाब, वस्तुओं का स्टाक आदि रखने के लिये लिखे गए प्रोग्राम ही एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर हैं.
कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर
कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर :
सीपीयू (CPU) : सी.पी.यू. का अर्थ है सैंट्रल प्रोसेसिंग युनिट यानि ऐसा भाग जिसमें कम्प्यूटर का प्रमुख काम होता है. हिन्दी में इसे केन्द्रीय विश्लेषक इकाई भी कहा जाता है.जैसा इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह कम्प्यूटर का वह भाग है, जहां पर कम्प्यूटर प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है.इसे हम कम्प्यूटर का दिल भी कह सकते हैं. कभी कभी सीपीयू को सिर्फ प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर ही कहा जाता है.
माइक्रो प्रोसेसर: माइक्रोप्रोसेसर कम्प्यूटर का इलेक्ट्रोनिक भाग है जो हमारे निर्देश तथा प्रोग्राम का पालन करके कार्य सम्पन्न करता है.कम्प्यूटर की गति उसके प्रोसेसर की क्षमता पर ही निर्भर होती है.दुनिया में मुख्यत: दो बड़ी कंपनियां है जो माइक्रोप्रोसेसर का उत्पादन करती हैं. ये हैं इन्टैल (INTEL) और ए.एम. डी.(AMD) इनमें से इन्टैल कंपनी के प्रोसेसर ज्यादा इस्तेमाल किये जाते हैं.प्रत्येक कंपनी प्रोसेसर की तकनीक और उसकी क्षमता के अनुसार उन्हे अलग अलग कोड नाम देती हैं.जैसे इंटेल कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं पैन्टियम -1, पैन्टियम -2, पैन्टियम -3, पैन्टियम -4, सैलेरॉन,कोर टू डुयो आदि.उसी तरह ए.एम.डी. कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं के-5, के-6, ऐथेलॉन आदि. प्रोसेसर की क्षमता हर्टज में नापी जाती है.
प्रोसेसर कम्प्यूटर की मैमोरी में रखे हुए संदेशों को क्रमबद्ध तरीके से पढता है और फिर उनके अनुसार काम करता है. सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सी.पी.यू.) को पुनः तीन भागों में बांटा जा सकता है
1. कन्ट्रोल यूनिट
2. ए.एल.यू.
3. मैमोरी या स्मृति
1. कन्ट्रोल यूनिट
2. ए.एल.यू.
3. मैमोरी या स्मृति
कन्ट्रोल यूनिट
कन्ट्रोल यूनिट कम्प्यूटर की समस्त गतिविधियों को निर्देशित व नियंत्रित करता है. कन्ट्रोल यूनिट का कार्य कम्प्यूटर की इनपुट एवं आउटपुट युक्तियों को भी नियन्त्रण में रखना है. कन्ट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य है –
1. सर्वप्रथम इनपुट युक्तियों की सहायता से सूचना/डेटा को कन्ट्रोलर तक लाना.
2. कन्ट्रोलर द्वारा सूचना/डेटा को मैमोरी/स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना.
3. स्मृति से सूचना/डेटा को पुनः कन्ट्रोलर में लाना एवं इन्हें ए.एल.यू. में भेजना.
4. ए.एल.यू.से प्राप्त परिणामों को आउटपुट युक्तियों पर भेजना एवं स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना.
ए.एल.यू.
कन्ट्रोल यूनिट कम्प्यूटर की समस्त गतिविधियों को निर्देशित व नियंत्रित करता है. कन्ट्रोल यूनिट का कार्य कम्प्यूटर की इनपुट एवं आउटपुट युक्तियों को भी नियन्त्रण में रखना है. कन्ट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य है –
1. सर्वप्रथम इनपुट युक्तियों की सहायता से सूचना/डेटा को कन्ट्रोलर तक लाना.
2. कन्ट्रोलर द्वारा सूचना/डेटा को मैमोरी/स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना.
3. स्मृति से सूचना/डेटा को पुनः कन्ट्रोलर में लाना एवं इन्हें ए.एल.यू. में भेजना.
4. ए.एल.यू.से प्राप्त परिणामों को आउटपुट युक्तियों पर भेजना एवं स्मृति में उचित स्थान प्रदान करना.
ए.एल.यू.
ए.एल.यू यानि अर्थमेटिक एण्ड लॉजिकल यूनिट. यह कम्प्यूटर की वह इकाई जहां सभी प्रकार की गणनाएं की जा सकती है, जैसे जोड़ना,घटाना या गुणा-भाग करना. ए.एल.यू कंट्रोल युनिट के निर्देशों पर काम करती है.
मैमोरी/स्मृति
किसी भी निर्देश, सूचना अथवा परिणाम को संचित करके रखना ही स्मृति कहलाता है. कम्प्यूटर के सी.पी.यू. में होने वाली समस्त क्रियायें सर्वप्रथम स्मृति में जाती है. तकनीकी रूप में मेमोरी कम्प्यूटर का संग्रहदानी है. मेमोरी कम्प्यूटर का अत्यधिक महत्वपूर्ण भाग है जहां डाटा, सूचना और प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते हैं.मैमोरी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है.
1. रैम (RAM) : रैम यानि रैंडम एक्सैस मैमोरी.यह एक कार्यकारी मैमोरी है यानि यह तभी काम करती है जब आप कम्प्यूटर पर काम कर रहे होते हैं. कम्प्यूटर के बन्द करने पर रैम में संग्रहित सभी सूचनाऐं नष्ट हो जाती हैं. कम्प्यूटर के चालू रहने पर प्रोसेसर रैम में संग्रहित आंकड़ों और सूचनाओं के आधार पर काम करता है. इस मैमोरी पर संग्रहित सूचनाओं को प्रोसेसर पढ़ भी सकता है और उनको परिवर्तित भी कर सकता है.
2. रौम (ROM) : रौम यानि रीड ऑनली मैमोरी. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस मैमोरी में संग्रहित सूचना को केवल पढ़ा जा सकता है उसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता.कम्प्यूटर के बंद होने पर भी रौम में सूचनाऐं संग्रहित रहती हैं नष्ट नहीं होती.
मदरबोर्ड : यह एक तरह से कम्प्यूटर की बुनियाद है.कम्प्यूटर का प्रोसेसर, विभिन्न प्रकार के कार्ड जैसे डिस्प्ले कार्ड, साउंड कार्ड आदि मदरबोर्ड पर ही स्थापित किये जाते हैं.
पैरिफेरल्स : पैरिफैरल्स हार्डवेयर के वह इलेक्ट्रो-मैकनिकल भाग हैं जो सीपीयू में बाहर से जोड़े जाते हैं. ये सीपीयू को प्रोग्राम्ड निर्देश या आंकड़े उपलब्ध कराते हैं और सीपीयू द्वारा प्रोसेस्ड जानकारी को ग्रहण करते हैं. पैरिफैरल्स को भी अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है.
कम्प्यूटर हार्डवेयर:इनपुट,आउटपुट डिवाइस
हमने जाना कि पैरिफैरल्स (Peripherals) हार्डवेयर के वह इलेक्ट्रो-मैकनिकल भाग हैं जो सीपीयू में बाहर से जोड़े जाते हैं. ये सीपीयू को प्रोग्राम्ड निर्देश या आंकड़े उपलब्ध कराते हैं और सीपीयू द्वारा प्रोसेस्ड जानकारी को ग्रहण करते हैं. पैरिफैरल्स को मुख्यत: दो भागों में बांटा जा सकता है.
1. इनपुट डिवाइस 2. आउटपुट डिवाइस
इनपुट डिवाइस
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह वह डिवाइस है जिनके द्वारा हम कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं. इनसे संदेश लेकर कम्प्यूटर उन पर प्रोग्राम के अनुरूप काम करता है. जैसे कि की-बोर्ड,माउस,जॉय स्टिक,माइक्रोफोन आदि.
की-बोर्ड : की-बोर्ड किसी भी कम्प्यूटर की प्रमुख इनपुट डिवाइस है.कम्प्यूटर के की-बोर्ड में भी सारे अक्षर टाइपराइटर की तरह के क्रम में होते हैं.लेकिन की-बोर्ड में टाइपराइटर से ज्यादा बटन होते हैं. इसमें कुछ फंक्शन बटन होते हैं जिनको बार बार किये जाने वाले कामों के लिये पूर्वनिर्धारित किया जा सकता है. जैसे आमतौर पर F1 बटन को सहायता के लिये प्रोग्राम किया जाता है. की बोर्ड को कम्प्यूटर से जोड़ने के लिये एक विशेष जगह (पोर्ट) होती है.लेकिन आजकल बाजार में यू.एस.बी. की बोर्ड भी आ रहे हैं जो कम्प्यूटर के यू.एस.बी. पोर्ट में लग जाते हैं. इसी प्रकार वायरलैस की बोर्ड भी आते हैं जिनको कम्प्यूटर से जोड़ने की भी जरूरत नहीं होती. इस प्रकार के की-बोर्ड बैटरी से चलते हैं.
माउस : माउस भी एक इनपुट डिवाइस है लेकिन इसमें आमतौर पर तीन बटन होते हैं लैफ्ट बटन, राइट बटन और एक मिडिल व्हील.माउस के इस्तेमाल से आपको की बोर्ड के किसी बटन को याद रखने की आवश्यकता नहीं होती.बस माउस के पॉइंटर को स्क्रीन पर किसी नियत स्थान पर क्लिक करना होता है.
आउटपुट डिवाइस
जिस प्रकार इनपुट डिवाइस प्रयोक्ता
(User) से निर्देश लेने के लिये काम आती है उसी प्रकार आउटपुट डिवाइस वो डिवाइस है जिनके द्वारा हम कंम्यूटर द्वारा प्रोसेस्ड जानकारी को देखते या ग्रहण करते हैं. मुख्य रूप से स्क्रीन (मॉनीटर) एवं प्रिंटर इसके उदाहरण है.
मॉनीटर : कम्प्यूटर को हम जो भी निर्देश देते हैं या जिस प्रोसेस्ड जानकारी को हम ग्रहण करते हैं उसे हम मोनीटर पर देखते हैं.मुख्य: रूप से दो प्रकार के मॉनीटर आजकल प्रचलन में हैं.
सी.आर.टी मॉनीटर :यह मॉनीटर उसी सिद्धांत पर काम करता है जिस पर हमारे घर का पुराना वाला टीवी. इसमें एक कैथोड रे ट्यूब होती है इसीलिये इसे सी.आर.टी मॉनीटर कहा जाता है. यह थोड़ा बड़ा होता है और इसकी स्क्रीन थोड़ी मुड़ी (Curved) हुई रहती है.
टी.एफ.टी मॉनीटर : यह एक सीधा (फ्लैट) मॉनीटर होता है. यह वजन में कम होता है और जगह भी कम घेरता है. यह सी.आर.टी. मॉनीटर से अपेक्षाकृत मँहगा होता है.
प्रिंटर : आवश्यकता, कार्य क्षमता और बजट के हिसाब से प्रिंटर अलग अलग तरह के होते हैं. लेकिन घरों में मुख्यत: तीन तरह के प्रिंटर इस्तेमाल किये जाते हैं.
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर : इस प्रिंटर में रिब्बन का उपयोग होता है. यह भी 80 कॉलम और 132 कॉलम दो तरह की क्षमताओं में आते हैं. इसमें प्रिंटिंग का खर्चा बांकी प्रिंटरों की अपेक्षा कम आता है लेकिन प्रिंट की गुणवत्ता (क्वालिटी) और स्पीड दूसरे प्रिंटर्स के मुकाबले कम होती है. इसमें एक बार में केवल एक रंग का प्रिंट लिया जा सकता है.इसलिये इसे मोनो प्रिंटर भी कहते हैं.
इंकजैट प्रिंटर : यह इंकजैट टैक्नोलोज़ी पर काम करता है. इसमें मोनो और कलर्ड (रंगीन) दो तरह के प्रिंटर आते हैं.इसकी गुणवत्ता और स्पीड दोनों बेहतर होती है लेकिन इसमें प्रिंटिंग का खर्चा भी ज्यादा होता है.
लेजरजैट प्रिंटर : यह थर्मल तकनीक पर काम करता है. इसमें भी मोनो और कलर्ड (रंगीन) दो तरह के प्रिंटर आते हैं.इसकी गुणवत्ता और स्पीड बांकी प्रिटरों से बेहतर होती है.
आजकल बाजार में आल-इन-वन प्रिटर भी आते हैं जिसे आप प्रिंटर के अलावा फोटो कॉपी मशीन, स्कैनर और फैक्स की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
ये सॉफ्टवेयर क्या होता है ?
सॉफ्टवेयर
जैसा हम पहले पढ़ चुके हैं कि ‘सॉफ्टवेयर’ उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जिनको हम हार्डवेयर पर चलाते हैं.किसी भी कम्प्यूटर को चलाने के लिये जो सबसे आवश्यक सॉफ्टवेयर है वह है ऑपरेटिंग सिस्टम. ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना आप कम्प्यूटर में काम नहीं कर सकते.
ऑपरेटिंग सिस्टम
ऑपरेटिंग सिस्टम व्यवस्थित रूप से जमे हुए साफ्टवेयर का समूह है जो कि आंकडो एवं निर्देश के संचरण को नियंत्रित करता है. आपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर के बीच सेतु का कार्य करता है.कम्प्यूटर का अपने आप में कोई अस्तित्व नही है.यह केवल हार्डवेयर जैसे की-बोर्ड, मॉनिटर, सी.पी.यू इत्यादि का समूह है. आपरेटिंग सिस्टम समस्त हार्डवेयर के बीच सम्बंध स्थापित करता है.आपरेटिंग सिस्टम के कारण ही प्रयोगकर्ता को कम्प्यूटर के विभिन्न भागों की जानकारी रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.साथ ही प्रयोगकर्ता अपने सभी कार्य तनाव रहित होकर कर सकता है.यह सिस्टम के संसाधनों को बांटता एवं व्यवस्थित करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम के कई अन्य उपयोगी विभाग होते है जिनके कई काम केन्द्रिय प्रोसेसर द्वारा किए जाते है. उदाहरण के लिए आप प्रिटिंग का कोई काम करें तो केन्द्रिय प्रोसेसर आवश्यक आदेश देकर वह कार्य आपरेटिंग सिस्टम पर छोड देता है और वह स्वयं अगला कार्य करने लगता है. इसके अतिरिक्त फाइल को पुनः नाम देना, डायरेक्टरी की विषय सूची बदलना, डायरेक्टरी बदलना आदि कार्य आपरेटिंग सिस्टम के द्वारा किए जाते है.
आज जो सबसे प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम हैं वह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी द्वारा बनाये गये हैं. इनमें डॉस (DOS), विंडोज-98, विंडोज-एक्स पी, विंडोज-विस्टा प्रमुख हैं.लेकिन इन सभी को कम्प्यूटर के साथ आपको खरीदना पड़ता है. यदि आप मुफ्त का ऑपरेटिंग सिस्टम प्रयोग करना चाहते हैं तो उसके लिये लिनक्स के कई ऑपरेटिंग सिस्टम हैं जो पूरी तरह मुफ्त हैं. इनमे से कई विंडोज से कई मायने में बेहतर भी हैं लेकिन इनको सीखने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. चुंकि अभी विंडोज ही बहु-प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम है इसलिये हम उसी से संबंधित उदाहरणों का प्रयोग इस लेख में करेंगे.
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर : एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर आपके रोज मर्रा की जरूरत को पूरा करते हैं. जैसे यदि आप यदि कुछ लिखना चाहें तो उसके लिये विंडोज में नोटपैड व वर्डपैड है. इसके अलावा आप ओपन ऑफिस का प्रयोग कर सकते हैं जो मुफ्त है या माइक्रोसोफ़्ट ऑफिस खरीद सकते हैं जिसमें से आप माइक्रोसॉफ्ट वर्ड का उपयोग लिखने के लिये कर सकते हैं. इसके अलावा आप डाटा के गणितीय,सांख्यिकीय उपयोग के लिये माइक्रोसॉफ्ट एक्सल और प्रजेंटेशन बनाने के लिये पावर पॉइंन्ट का उपयोग कर सकते हैं.किसी भी प्रकार की ड्राइग के लिये विंडोज में पेन्ट नाम का सॉफ्टवेयर होता है यदि आपको एडवांस ड्राइंग करनी है तो आप गिम्प (GIMP) का प्रयोग कर सकते हैं जो कि मुफ्त है या फिर अडोब कंपनी का फोटोशॉप सॉफ्टवेयर खरीद सकते हैं.
चालू होते ही कम्प्यूटर क्या करता है!
जब आप स्टार्ट बटन (start button) दबा कर अपने कम्प्यूटर (computer) को चालू करते हैं तो कम्प्यूटर (computer) में सिलसिलेवार प्रक्रियाएँ आरम्भ हो जाती हैं जिसे किबूटिंग (booting) के नाम से जाना जाता है। बूटिंग (booting) दो चरणों में होती है जिसके प्रथम चरण में कम्प्यूटर (computer) पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test)करता है अर्थात् स्वयं को जाँचता-परखता है और दूसरे चरण में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) को लोड (Load) करता है।
कम्प्यूटर (computer) के सभी अवयव सही-सही कार्य कर रहे हैं इस बात को परखने कीएक श्रृंखलाबद्ध जांच प्रक्रिया (a series of
tests) को पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On
Self Test) कहा जाता है :
- सर्वप्रथम सी.पी.यू.
(C.P.U.) अर्थात् सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (central
processing unit) स्वयं को पुनर्स्थापित (reset) करता है।
- सी.पी.यू. (C.P.U.) स्वयं को जाँचता है और बयास (Bios) में स्थित मेमोरी (Memory) के प्रोग्राम्स (programs) को शुरू करता है।
- फिर बयास (bios) में स्थित कोड्स (codes) की सहायता से सभी घटकों (components) की जाँच करताहै।
- फिर राइटिंग और रीडिंग (writing
and reading) करके डीरैम (DRAM) की जाँच होती है।
- तत्पश्चात की-बोर्ड (keyboard) की जाँच होती है कि वह सही ढ़ंग से जुड़ा है या नही
- उसके बाद फ्लॉपी ड्राइव (floppy
drive) और हार्ड ड्राइव (Hard drive)की जाँच की जाती है।
- फिर जाँच की जाती है कि माउस (mouse) जुड़ा है या नही।
- अंततः जाँच से प्राप्त डाटा (data) का बयास (bios) में कॉन्फिगर्ड डाटा (configured
data) से मिलान किया जाता है।
- किसी भी प्रकार की गलती पाने पर कम्प्यूटर (computer) एरर मेसेज (error messege) देता है औरयदि सभी कुछ ठीक-ठाक मिले तो आपरेटिंग सिस्टम (operating system) को लोड करने की प्रक्रिया आरंभ कर देता है।
आपरेटिंग सिस्टम (operating
system) लोड होना
- सी.पी.यू. (C.P.U.) आपरेटिंग सिस्टम को फ्लॉपी (floppy), सी.डी. (CD) तथा हार्ड ड्राइव (hard drive) में खोजता है।
- आपरेटिंग सिस्टम के मिल जाने पर उसके भीतर स्थित बूट रेकार्ड को डीरैम (DRAM)में स्थानांतरित करता है।
- आपरेटिंग सिस्टम (operating system) के लोड हो जाने तक यह प्रक्रिया जारी रहती है।
- आपरेटिंग सिस्टम (operating system) पूर्णतः लोड हो जाने के बाद डेस्कटॉप दिखाई पड़ने लगता है और कम्प्यूटर (Computer) उपयोग करने लायक बन जाता है।
जानिये आपरेटिंग सिस्टम के बारे में...
किसी कम्प्यूटर को चलाने में आपरेटिंग सिस्टम (Operating
System) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल यह हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता, वह केवल मशीनी भाषा को ही समझता है जबकि हम कम्प्यूटर की भाषा को नहीं जानते। फिर हमारे और कम्प्यूटर के बीच सम्बंध को बनाये रखने वाला दुभाषिया कौन है? - यही अपना आपरेटिंग सिस्टम। यह हमारी भाषा को समझ कर उसे कम्प्यूटर की भाषा में बताता है और कम्प्यूटर की भाषा को हमारी भाषा में परिवर्तित कर के हमें समझाता है।
वैसे तो कोई भी व्यक्ति यह जाने बिना कि आपरेटिंग सिस्टम क्या है, कैसे कार्य करता है, इसकी उपयोगिता क्या है बड़ी आसानी के साथ कम्प्यूटर का प्रयोग कर सकता है किन्तु उसके लिये यह और भी अच्छी बात होगी कि वह इस बातों को जान ले।
आपरेटिंग सिस्टम क्या है
यह कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस (Hardware
Resources), जैसे- मेमोरी (Memory), प्रोसेसर (Processor) तथा इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस (Input-Output
Divices) को व्यवस्थित करने के लिये बनाया गया सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ही आपरेटिंग सिस्टम होता है। यह व्यवस्थित रूप से जमे हुए सॉफ्टवेयर्स का समूह होता है जो कि आंकडो (data) एवं निर्देश (commands) को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति का लेखा - जोखा आपरेटिंग सिस्टम ही रखता है, आपरेटिंग सिस्टम ही निर्णय करता है कि किसका, कब और कितनी देर के लिए कम्प्यूटर रिसोर्स पर नियंत्रण होगा।
आपरेटिंग सिस्टम क्यों आवश्यक है
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आपरेटिंग सिस्टम हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसके अलावा यह हार्डवेयर्स (Hardwares) तथा सॉफ्टवेयर्स (Softwares) के मध्य एक सेतु का कार्य भी करता है। आपरेटिंग सिस्टम के बिना कम्पयूटर का अपने आप मे कोई अस्तित्व ही नही है। यदि आपरेटिंग सिस्टम न हो तो कम्प्यूटर अपने हार्डवेयर्स जैसे कि कुंजीपटल (Keyboard), मानिटर (Monitor), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी सम्बंध स्थापित नहीं कर पायेगा। आपरेटिंग सिस्टम किसी कम्प्यूटर प्रयोग करने वाले को इस जहमत से बचाता है कि वह कम्यूटर के समस्त भागो की जानकारी रखे।
आपरेटिंग सिस्टम के कार्य
आपरेटिंग सिस्टम अनेक प्रकार के उपयोगी कार्य करता है जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये जा रहे हैं:
- फाइल पद्धति (File System) - फाइल बनाना, मिटाना तथा फाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना और फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित करना।
- प्रक्रिया (Processing)
- कार्यक्रमों (Programs) और आँकडों (Data) को मेमोरी मे बाँटना, प्रक्रिया(Process) को आरम्भ करके समुचित रूप से चलाना।
- इनपुट/आउटपुट (input/output) - सीपीयू और मानिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), डिस्क (Disk) आदि के बीच मध्यस्थता करना।
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
वैसे तो विभिन्न कालों में विभिन्न आपरेटिंग सिस्टमों का निर्माण हुआ पर प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाने वाले लोकप्रिय आपरेटिंग सिस्टम की सूची नीचे दी जा रही है:
- लिनक्स (Linux)
- मैक एस (MacOS)
- एमएस डाज (MS-DOS)
- आईबीएम ओएश/2 (IBM OS/2)
- यूनिक्स (Unix)
- विन्डोज सीई (Windows CE)
- विन्डोज 3.x
(Windows 3.x)
- विन्डोज 95
(Windows 95)
- विन्डोज 98
(Windows 98)
- विन्डोज 98 एस ई (Windows 98 SE)
- विन्डोज एमई (Windows ME)
- विन्डोज एनटी (Windows NT)
- विन्डोज 2000
(Windows 2000)
- विन्डोज एक्सपी (Windows XP)
- विन्डोज व्हिस्टा (Windows Vista)
पीसी के रख-रखाव के लिये ध्यान देने योग्य बातें!
अधिकतर लोग कम्प्यूटर खरीद तो लेते हैं किन्तु उसके रख-रखाव के लिये कभी भी ध्यान नहीं देते। यहाँ पर हम कुछ उन छोटी छोटी बातों का उल्लेख करेंगे जिससे आपका पीसी हमेशा टिप-टॉप बना रहे।
- वैसे तो कम्प्यूटर के लिये यूपीएस (UPS -
Uninterrupted Power Supply) का इस्तेमाल करना ही चाहिये किन्तु यदि आपके क्षेत्र में अक्सर बिजली चली जाती है तो आप अपने कम्प्यूटर के लिये यूपीएस को अत्यावश्यक ही समझें।
- हम अपने कम्प्यूटर के कैबिनेट, मॉनीटर, कीबोर्ड, माउस की सफाई तो प्रायः करते हैं किन्तु पीसी को ठंडा रखने वाले पंखे (cooling
fans) की सफाई की ओर हमारा ध्यान जाता ही नहीं है जबकि यह सबसे अधिक आवश्यक कार्य है। यदि धूल, गंदगी आदि के कारण से पंखा चलना बंद हो गया तो आपके कम्प्यूटर के पॉवर सप्लाय, ग्राफिक्स कॉर्ड, सीपीयू (CPU - Central Processing Unit) को भारी क्षतिपहुँचने का अंदेशा रहता है। इसलिये यदि आप अपने पीसी के पंखे की सफाई यदि स्वयं करना नहीं जानते तो समय समय पर (कम से कम तीन माह में एक बार) अपने सर्विस प्रोव्हाइडर से पंखे की सफाई करवाते रहिये।
- अपने हार्डवेयर्स के लिये सही और नवीनतम ड्रायव्हर्स का ही प्रयोग करें। ड्रायव्हर्स के अपडेट हार्डवेयरबनाने वाली कंपनी के वेबसाइट में मुफ्त में उपलब्ध होता है।
- अपने कम्प्यूटर को हमेशा सही अर्थिंग दें, दो पिन वाले प्लग प्रयोग न करें बल्कि अर्थिंग वाले तीन पिनवाले प्लग का ही प्रयोग करें। आवश्यक हो तो अपने इलैक्ट्रिशियन से चेक करवा लें कि सही अर्थिंग मिल रहा है या नहीं।
Search Engines
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Search Engine' एक ऐसी तकनीक है जिससे इंटरनेट पर जानकारी को खोजा जा सकता है, चाहे वह किसी भी भाषा में हो । सर्च इंजिन में एक वाक्य या कुछ शब्द लिखने होते हैं जिनको कि खोजा जाए । आजकल google का सर्च काफी लोकप्रिय है ।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हिन्दी में भी सर्च की जा सकती है । जबाब है - हां, बिल्कुल इसी तरह जैसे कि लैटिन अक्षरों में ! शर्त यही है कि आपको जो भी खोजना या 'सर्च' करना है, उसे हिन्दी में ही लिखकर 'google search' बटन को दबाना है । ऐसा करो कि जाटलैंड की कोई भी पोस्ट खोलो जो हिन्दी में है । उसके एक वाक्य को अपने mouse से highlight करके कापी करके गूगल के बाक्स में डालो और सर्च करो । आपको जाटलैंड के URL का option मिल जायेगा ।
Search Engine' एक ऐसी तकनीक है जिससे इंटरनेट पर जानकारी को खोजा जा सकता है, चाहे वह किसी भी भाषा में हो । सर्च इंजिन में एक वाक्य या कुछ शब्द लिखने होते हैं जिनको कि खोजा जाए । आजकल google का सर्च काफी लोकप्रिय है ।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हिन्दी में भी सर्च की जा सकती है । जबाब है - हां, बिल्कुल इसी तरह जैसे कि लैटिन अक्षरों में ! शर्त यही है कि आपको जो भी खोजना या 'सर्च' करना है, उसे हिन्दी में ही लिखकर 'google search' बटन को दबाना है । ऐसा करो कि जाटलैंड की कोई भी पोस्ट खोलो जो हिन्दी में है । उसके एक वाक्य को अपने mouse से highlight करके कापी करके गूगल के बाक्स में डालो और सर्च करो । आपको जाटलैंड के URL का option मिल जायेगा ।
है न अजीब पर सच ! इसीलिये सर्च इंजिन से किसी भी
भाषा में लिखे हुए पेज इंटरनेट पर खोजे जा सकते हैं - हिन्दी में भी !!
प्रश्न - क्या कम्प्यूटर भाषा को समझता है ?
उत्तर - बिल्कुल नहीं - कोई भी मशीन भाषा को नहीं समझती । कम्प्यूटर एक विशेष नम्बर या कोड को पहचानता है, जिसे आम तौर पर'binary code' कहते हैं । छोटी सी सूचना को bit कहा जाता है और आठ bit को मिलाकर एक byte बनता है । कंप्यूटर प्रोग्राम एक सूचना कोdata में परिवर्तित करता है जो कि दुबारा एक 'सूचना' में बदलता है । यदि हम 'A' टाइप करते हैं तो CPU में एक आठ bit का byte बनता है :01000001 और चित्रपट (monitor) पर 'A' दिखाई पड़ता है । हिन्दी या किसी दूसरी भाषायें भी इसी तरह के कोड से बनाई जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर समझता है । इसलिये कंप्यूटर हमारी भाषा को नहीं समझता, केवल कुछ कोड हैं जिनके द्वारा अक्षर स्क्रीन पर नजर आते हैं ।
प्रश्न - क्या कभी भविष्य में ऐसा हो सकता है कि एक कंप्यूटर भी हमारी भाषा को ऐसे ही समझने लगे जैसे आदमी का दिमाग होता है ?
उत्तर - डा. अब्दुल कलाम का कहना तो यही है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता । कारण ? मनुष्य का दिमाग लाखों-करोड़ों साल की प्रक्रिया से प्रकृति द्वारा बनाया गया है जिससे कोई भी कंप्यूटर आगे नहीं निकल सकता क्योंकि यह तो सिर्फ हमारे ही द्वारा बनाई गई एक मशीन है ।
प्रश्न - तो फिर 'voice recognition' सिस्टम में क्यों एक कंप्यूटर हमारी भाषा को पहचानता है - जैसा हम बोलते हैं, वैसे ही यह टाइप करता है ?
उत्तर - फिर वही बात लागू होती है - यह सिर्फ एक आवाज (sound) को पहचानता है, भाषा को नहीं । एक प्रोग्राम द्वारा यह आवाज को पहचानकर, कुछ code द्वारा लिखे हुए अक्षर स्क्रीन पर ले आता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं । और लिखे हुए अक्षर भाषा नहीं होते । भाषा बहुत गहरी होती है - जो लोग पढ़-लिख नहीं सकते वे भी भाषा को समझते और बोलते हैं । इसलिये कंप्यूटर और भाषा का कोई संबन्ध नहीं !
प्रश्न - क्या कम्प्यूटर भाषा को समझता है ?
उत्तर - बिल्कुल नहीं - कोई भी मशीन भाषा को नहीं समझती । कम्प्यूटर एक विशेष नम्बर या कोड को पहचानता है, जिसे आम तौर पर'binary code' कहते हैं । छोटी सी सूचना को bit कहा जाता है और आठ bit को मिलाकर एक byte बनता है । कंप्यूटर प्रोग्राम एक सूचना कोdata में परिवर्तित करता है जो कि दुबारा एक 'सूचना' में बदलता है । यदि हम 'A' टाइप करते हैं तो CPU में एक आठ bit का byte बनता है :01000001 और चित्रपट (monitor) पर 'A' दिखाई पड़ता है । हिन्दी या किसी दूसरी भाषायें भी इसी तरह के कोड से बनाई जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर समझता है । इसलिये कंप्यूटर हमारी भाषा को नहीं समझता, केवल कुछ कोड हैं जिनके द्वारा अक्षर स्क्रीन पर नजर आते हैं ।
प्रश्न - क्या कभी भविष्य में ऐसा हो सकता है कि एक कंप्यूटर भी हमारी भाषा को ऐसे ही समझने लगे जैसे आदमी का दिमाग होता है ?
उत्तर - डा. अब्दुल कलाम का कहना तो यही है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता । कारण ? मनुष्य का दिमाग लाखों-करोड़ों साल की प्रक्रिया से प्रकृति द्वारा बनाया गया है जिससे कोई भी कंप्यूटर आगे नहीं निकल सकता क्योंकि यह तो सिर्फ हमारे ही द्वारा बनाई गई एक मशीन है ।
प्रश्न - तो फिर 'voice recognition' सिस्टम में क्यों एक कंप्यूटर हमारी भाषा को पहचानता है - जैसा हम बोलते हैं, वैसे ही यह टाइप करता है ?
उत्तर - फिर वही बात लागू होती है - यह सिर्फ एक आवाज (sound) को पहचानता है, भाषा को नहीं । एक प्रोग्राम द्वारा यह आवाज को पहचानकर, कुछ code द्वारा लिखे हुए अक्षर स्क्रीन पर ले आता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं । और लिखे हुए अक्षर भाषा नहीं होते । भाषा बहुत गहरी होती है - जो लोग पढ़-लिख नहीं सकते वे भी भाषा को समझते और बोलते हैं । इसलिये कंप्यूटर और भाषा का कोई संबन्ध नहीं !
thank you sir ,,,
ReplyDeleteaapke humare taraf se bahut bahut badhai,,,
aap aise hi hume gyan batte rahiye ,, hum bhi apke sath kuch jankari lene ke liye dilchap haiiii ..
thanku again sir ji>>,,