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एमबीबीएस डॉक्टर कैसे बने

MBBS क्या होता है, MBBS करके कौन- कौन सी Post प्राप्त कर सकते है, MBBS के लिए Eiligibilty का होती है, एम.बी.बी.एस क्या होता है, MBBS का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, ऐसे सभी सवालों के जबाब आपको इस Post में मिल जायेंगे.

डॉक्टर (Doctor) कैसे बने।

दसवीं पास करें।, इंटरमीडिएट में बॉयोलॉजी विषय को चुने।, मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की परीक्षा दें।,मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर स्नातक करें।,इंटर्नशिप पूरी करें।,Doctor की प्रैक्टिस शुरू करें।

MBBS Full Form in Hindi - एम.बी.बी.एस क्या होता है

MBBS की फुल फॉर्म Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery होती है. MBBS को हिंदी में चिकित्सा स्नातक और शल्य चिकित्सा स्नातक कहते है. MBBS मेडिकल क्षेत्र मे एक Graduation Degree का Course है. यह Degree पूरा होने के लिए 5.5 साल का Time लगता है. यह एकमात्र स्नातक की Degree है जिसको पूरा करने के बाद छात्र अपने नाम के आगे Doctor शब्द का प्रयोग कर सकते है.

 

MBBS अवधि और सामाजिक प्रतिष्ठा के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा Course माना जाता है. बायोलॉजी, फिजिक्स एवं केमिस्ट्री से इंटरमीडिएट करने वाले Students की पहली पसंद MBBS होता है. भारत मे MBBS Course मे प्रवेश पाने के लिए छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान के साथ अपनी 10 + 2 शिक्षा पूरी करनी होती है और न्यूनतम 50% अंक आरक्षित वर्ग के मामले में 40% स्कोर करना होता है. MBBS करने के लिए छात्र की आयु 17 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए.

 

ऐसे कई तरीके हैं जिनके माध्यम से एक छात्र एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है. लेकिन, भारत में प्रैक्टिस करने में सक्षम होने के लिए एक आवश्यक शर्त अब MBBS के लिए NEET है. भारत में एक एमबीबीएस कोर्स पांच साल का होता है.

एमबीबीएस कोर्स करने का दूसरा तरीका विदेश में पढ़ाई है. हर साल लाखों छात्र NEET परीक्षा के लिए उपस्थित होते हैं. हालांकि वे एनईईटी परीक्षा को उत्तीर्ण करने में सक्षम होते हैं, लेकिन भारत में एक अच्छे कॉलेज में प्रवेश लेने के लक्ष्य को याद करते हैं. इसलिए उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प एक अच्छा एमबीबीएस कॉलेज में उनके संदर्भ के अनुसार विदेशों में से एक में प्रवेश लेना है. ऐसे कई देश हैं जो भारत में पेश किए जाने वाले एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पेशकश करते हैं, कुछ उदाहरण नेपाल और बांग्लादेश हैं.

 

छात्रों को उनके एमबीबीएस पाठ्यक्रम के दौरान कई विषयों का अध्ययन करना होता है. एमबीबीएस के पहले वर्ष में, 3 विषय हैं, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री. एमबीबीएस के दूसरे वर्ष में पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी और फोरेंसिक दवा है. उसके बाद, एमबीबीएस के दो और वर्षों के लिए, नैदानिक विषय हैं जो तीसरे वर्ष में निवारक और सामाजिक चिकित्सा, नेत्र विज्ञान और ईएनटी से मिलकर होते हैं. अंतिम वर्ष में, छात्र मेडिसिन, सर्जरी आर्थोपेडिक्स सहित, बाल रोग और स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान का अध्ययन करते हैं. फिर, छात्र को एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अंत में एक वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप करनी होगी. लगभग एक समान पैटर्न उन छात्रों के लिए है जो विदेशों में अध्ययन करने की इच्छा रखते हैं, हालांकि वर्षों की संख्या भिन्न हो सकती है.

 

भारत में MBBS और विदेश में MBBS के अध्ययन में क्या अंतर है?

 

यह निर्भर करता है कि आप दोनों की तुलना करते समय किन कारकों पर विचार कर रहे हैं। यदि आप अकादमिक रूप से तुलना करें, तो भारत से एमबीबीएस की स्थिति अच्छी है। लेकिन, कई अन्य कारक भी हैं जो यह तय करते हैं कि भारत या विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई अच्छी है या नहीं।

भारत-

यदि आपको एक सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिलता है, तो बधाई हो, आप अपने एमबीबीएस को वास्तव में कम लागत में पूरा करेंगे। लेकिन, यदि आप एक निजी कॉलेज में प्रवेश लेते हैं, तो आपकी कुल फीस 60 लाख से लेकर पूर्ण पाठ्यक्रम तक 1.5 करोड़ तक होती है।

 

विदेश-

एमबीबीएस की लागत उस देश पर निर्भर करती है, जिसे आप एमबीबीएस के लिए चुनते हैं।यदि आप उदाहरण के लिए रूस में एक अच्छा मेडिकल कॉलेज चुनते हैं, तो आपका पूरा एमबीबीएस 20 से 30 लाख के बीच कहीं खर्च होने वाला है। यदि आप अन्य अंग्रेजी बोलने वाले देशों को चुनते हैं, तो यह आपको करोड़ों में खर्च करेगा और जब तक आपके पास अतिरिक्त धन नहीं होगा, तब तक यह आपके एमबीबीएस पर इतना खर्च करने के लिए इसके लायक नहीं है।

एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में करीब 57 फीसदी डॉक्टर फर्जी हैं। अब जो रिपोर्ट आई है उसमें विदेश जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले भारतीयों के संबंध में खुलासा किया गया है। बताया गया है कि विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने वाले अधिकांश डॉक्टर यहां फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा पास ही नहीं कर पाते। इस परीक्षा को पास किए बिना वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्हें लाइसेंस ही नहीं मिलेगा। लेकिन इसे पास करने वालों की संख्या 15 फीसदी से भी कम है।

 

MBBS प्रवेश परीक्षा

आज के समय में MBBS प्रवेश परीक्षा का संचालन अब NEET करता है. जिसमे भारत के लगभग सभी सरकारी एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल है. लेकिन MBBS के लिए AIIMS, JIPMER और AFMC अलग से प्रवेश परीक्षा का आयोजन करते है. भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज मे प्रवेश लेने के लिए छात्रों को अब NEET प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी उसके बाद ही उसे MBBS Course मे प्रवेश मिलता है.

 

MBBS Course की अवधि

MBBS Course की अवधि 5.5 वर्ष होती है जिसमे 4.5 वर्ष की शैक्षणिक शिक्षा + 1 वर्ष अनिवार्य Internship का होता है.

 

MBBS Course Fees

भारत मे MBBS Course करने के लिए Private एवं Government College दोनों मौजूद है लेकिन इनकी फीस में बहुत अंतर होता है. Private Colleges की फीस भी राज्य सरकारे ही तय करती है. अगर सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो सबसे कम फीस AIIMS की है जिसकी फीस मात्र 1390 रुपए प्रति साल हैं जबकि Army Medical College की फीस 56500 रुपए प्रति साल है.

 

MBBS Course की फीस भारत के Private Colleges मे सबसे ज्यादा होती है और यह देखा गया है कि 9 लाख से लेकर 12 लाख रुपए प्रति वर्ष की फीस होती है. 5.5 सालों के Course में 4.5 सालों की फीस छात्र को कॉलेज को देना होता है क्योंकि एक साल का Training Program होता है जिसमें छात्रों को फीस नहीं देनी पड़ती है.

 

MBBS के बाद जॉब प्रोफ़ाइल

Physician,Physiologist,Psychiatrist,Radiologist,Bacteriologist,Cardiologist,Chiropodist,Dermatologist,Enterologist,Gynaecologist,Neurologist,Nutritionist,Obstetrician,Orthopaedist,Paediatrician,Pathologist,General Surgeon ,E.N.T Specialist, Chief Medical Officer, Gastroenterologist , General Practitioner, Hospital Administrator, Resident Medical Officer, Medical Admitting Officer, Clinical Laboratory Scientist, Anaesthetist or Anaesthesiologist

 

MBBS के बाद रोजगार के क्षेत्र

Hospitals, Polyclinics, Health Centres, Laboratories, Nursing Homes, Medical Colleges, Private Practice, Medical Foundation, Biomedical Companies, Research Institutes, Non-Profit Organizations, Pharmaceutical & Biotechnology Companies

 

Career options after mbbs in india एमबीबीएस करने के बाद करियर ऑप्शन्स

 

हॉस्पिटल मैनेजमेंट

 

हॉस्पिटल मैनेजमेंट एमबीबीएस ग्रेजुएट्स के लिए सबसे ज्यादा पसंदीदा करियर ऑप्शन के तौर पर उभरा है. यह उन कैंडिडेट्स के लिए आदर्श करियर ऑप्शन है जो किसी फिजिशियन या सर्जन के तौर पर काम नहीं करना चाहते हैं बल्कि, एक मैनेजर के तौर पर काम करना चाहते हैं. इसके अलावा, हॉस्पिटल मैनेजमेंट एक रिवार्डिंग करियर ऑप्शन है और इसके तहत वैसे सख्त कामकाज और ड्यूटीज शामिल नहीं होते हैं जो अक्सर किसी जनरल फिजिशियन या सर्जन के वर्क रोल में शामिल होते हैं. हॉस्पिटल मैनेजमेंट में सैलरी पैकेज भी काफी अच्छा होता है. आईआईएमज (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट) यह कोर्स करवाता है, जो 100% कैंपस प्लेसमेंट की गारंटी देता है. इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष की होती है.

 

क्लिनिकल प्रैक्टिस

 

क्लिनिकल प्रैक्टिस कोर्स आजकल उन एमबीबीएस ग्रेजुएट्स के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है जो आगे हायर स्टडीज नहीं करना चाहते हैं लेकिन, अपने क्लिनिक्स खोलना चाहते हैं. क्लिनिकल प्रैक्टिस केवल फाइनेंशल फ्रीडम ही नहीं देती है बल्कि, आपको अपनी गति के अनुसार काम करने की सुविधा भी प्रदान करती है. अपनी एमबीबीएस पूरी करने के बाद, आप अपने बजट, वर्क-फोर्स और स्किल सेट के मुताबिक अपना नर्सिंग होम या हॉस्पिटल खोल सकते हैं.



एमएस और एमडी में प्रमुख अंतर

एक डॉक्टर के प्रोफेशन में जाने के इच्छुक सभी लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि, एमएस जनरल सर्जरी में मास्टर डिग्री है जबकि एमडी जनरल मेडिसिन में मास्टर डिग्री है. ये दोनों ही पोस्टग्रेजुएशन कोर्सेज हैं और केवल एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद ही मेडिकल लाइन के स्टूडेंट्स अपनी इच्छा के मुताबिक इन कोर्सेज में से किसी एक कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. एमडी के स्टडी एरिया में नॉन-सर्जिकल ब्रांच शामिल है जबकि एमएस में केवल सर्जिकल स्टडीज को ही शामिल किया जाता है. इसी तरह, अगर आप एक हार्ट सर्जन या न्यूरोसर्जन बनना चाहते हैं तो आपको अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमएस कोर्स में एडमिशन लेना चाहिए. लेकिन, अगर आप जनरल फिजिशियन बनना चाहते हैं तो आपको एमडी डिग्री कोर्स में एडमिशन लेना चाहिए.

 

एमएस और एमडी में स्टडी की कई ब्रांचेज हैं. एमबीबीएस ग्रेजुएट्स अपनी पसंद और पैशन के अनुसार अपना स्टडी सब्जेक्ट और स्ट्रीम चुन सकते हैं. एमडी या एमएस कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, आप गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर के हॉस्पिटल्स में जॉब प्राप्त करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके अलावा, आप अपना क्लिनिक, नर्सिंग होम या हॉस्पिटल खोल सकते हैं. मेडिसिन ग्रेजुएट्स के लिए एक और ऑप्शन यह है कि वे एक टीचिंग फैकल्टी के तौर पर कोई मेडिकल कॉलेज ज्वाइन कर सकते हैं

 

भारत में एमएस या एमडी कोर्सेज की लोकप्रियता

अब भी, हमारे सामने वही फैक्ट मौजूद है कि स्टूडेंट्स या कैंडिडेट्स को अपने इंटरेस्ट और एप्टीट्यूड के आधार पर बहुत सावधानीपूर्वक अपनी स्टडी स्ट्रीम का चयन करना चाहिए. चाहे वह एमडी कोर्स हो या एमएस कोर्स, यह पूरी तरह कैंडिडेट्स पर निर्भर करता है कि वे बाहरी दुनिया के प्रभाव में आये बिना उक्त दोनों कोर्सेज में से अपने लिए सबसे ज्यादा सूटेबल स्टडी कोर्स ही चुनें. एक सब्जेक्ट के तौर पर एमएस कोर्स केवल वे लोग ही कर सकते हैं जिनका दिल काफी मजबूत हो और उन्हें सर्जरी कोर्स में काफी रूचि हो. इस पेशे में सफल होने के लिए आपके पास आर्टिस्टिक स्किल्स, नॉलेज, पैशन, डेडिकेशन और हार्ड वर्क जैसे सभी गुणों का उचित मिश्रण होना चाहिए. 

 

एमडी और एमएस करने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत तक़रीबन समान ही होता है. हालांकि, आजकल, एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए की पढ़ाई भी कर रहे हैं. कुछ स्टूडेंट्स आईएएस एग्जाम की भी तैयारी करते हैं ताकि एमबीबीएस डिग्री प्राप्त करने के बाद हेल्थ और मेडिकल सर्विसेज को ज्वाइन कर सकें.

 

जिस व्यक्ति ने एमएस किया है, वह सर्जन बनेगा और जिस व्यक्ति ने एमडी कोर्स किया है वह फिजिशियन बनेगा. यह बिलकुल सामान्य बात है कि किसी सर्जन की जिम्मेदारियां किसी फिजिशियन से हमेशा ज्यादा होती हैं. इसके अलावा, किसी सर्जन की कमाई किसी जनरल फिजिशियन के मुकाबले में ज्यादा होती है. फिर भी, एमएस कोर्स में इन्क्यूबेशन पीरियड एमडी कोर्स की अवधि से अधिक होता है. एक सर्जन मेडिसिन की अच्छी जानकारी रखने पर किसी जनरल फिजिशियन का काम कर सकता है लेकिन, एक फिजिशियन कभी सर्जन नहीं बन सकता है.

 

हालांकि, यह पूरी तरह किसी कैंडिडेट या छात्र के एप्टीट्यूड, पैशन और पसंद पर निर्भर करता है कि वह एमएस कोर्स करे या फिर, एमडी कोर्स. उक्त दोनों एरियाज में करियर प्रॉस्पेक्ट्स बहुत अच्छे हैं और समय बीतने के साथ ज्यादा से ज्यादा रिवार्डिंग हो जाते हैं.

 

एमएस और एमडी कोर्सेज की अवधि

 

अक्सर, एमएस या एमडी कोर्स 3 वर्ष में पूरा हो जाता है लेकिन, किसी मास्टर स्पेशलाइजेशन कोर्स के लिए कैंडिडेट को एमएस या एमडी कोर्स पूरा करने के बाद 2 वर्ष और लगाने पड़ते हैं.

 

एमडी और एमएस डिग्रीज में लोकप्रिय स्पेशलाइजेशन कोर्सेज निम्नलिखित हैं:

 

Popular specializations in MD & MS

         MD

         MS

Neurology and Anaesthesiology

Plastic surgery

Obstetrics & Gynaecology

Paediatric surgery

Cardiology

ENT

Orthopaedics

Gynaecology

Endocrinology

Cardio-thoracic surgery

Gynaecology

Ophthalmology

Internal medicine

Orthopaedics

Dermatology

Obstetrics

Pathology

Cosmetic surgery

Paediatric

Cardiac surgery

Psychiatry

Urology

Radio-Diagnosis

 

 



कम खर्च में विदेश से मेडिकल डिग्री है बढ़िया ऑप्शन

 

पूरे विश्व में डॉक्टर्स की डिमांड जिस तेजी से बढ़ रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि एमबीबीएस की स्टडी करना एक अच्छे विकल्प की ओर कदम बढ़ाने जैसा है। खास बात यह है कि विदेश में एमबीबीएस करने का क्रेज समय के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे बीमारियों का जाल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे चिकित्सा के क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं और ऐसे में मेडिकल के क्षेत्र में भी रिसर्च बेस्ड एजुकेशन की डिमांड भी बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी विदेश जाकर एमबीबीएस करना चाहते हैं, तो यूरोप, कजाकिस्तान, बेलारूस जैसे देश बेहतर डेस्टिनेशन साबित हो सकते हैं।

 इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेडिकल की स्टडी भारत में दिनों-दिन महंगी होती जा रही है। ऐसे में स्टूडेंट्स ऐसे विकल्प की ओर रुख कर रहे हैं, जहां पर उन्हें थोड़े सस्ते में बेहतर ऑप्शन मिल जाएं। ये ऐसे जगह हैं,जहां से एमबीबीएस की पढ़ाई करना किफायती है। जैसे कि भारत में डिग्री लेने के लिए आपको अच्छे खासे पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जबकि बेलारूस में इसकी पढ़ाई के लिए सरकार खर्च वहन करती है।यह सच है कि विदे शों में मेडिकल की पढ़ाई में फीस और खर्चा दोनों ही कम है। मेडिकल के लिए बाहर जाने की तैयारी करने वाले शुभम रस्तोगी कहते हैं कि मेडिकल की स्टडी के लिए बाहर जाना एक अच्छा आइडिया है। वह बताते हैं कि इन दिनों यूक्रेन, फिलिपिन्स, रूस, चीन, कजाकिस्तान और बंग्लादेश के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। वह कहते हैं कि उन्हें पता है कि स्टडी के बाद अपने देश में प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट्स एग्जाम देना जरूरी है, लेकिन एक सच यह भी है कि कम पैसों में डिग्री मिल जाएगी।

 

एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में करीब 57 फीसदी डॉक्टर फर्जी हैं। अब जो रिपोर्ट आई है उसमें विदेश जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले भारतीयों के संबंध में खुलासा किया गया है। बताया गया है कि विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने वाले अधिकांश डॉक्टर यहां फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा पास ही नहीं कर पाते। इस परीक्षा को पास किए बिना वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्हें लाइसेंस ही नहीं मिलेगा। लेकिन इसे पास करने वालों की संख्या 15 फीसदी से भी कम है।

 


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