10/9/20

आयकर रिटर्न (ITR)

साल में एक बार आपको एक आईटीआर (ITR) फॉर्म में सरकार को आमदनी, खर्च, निवेश और टैक्स देनदारी के बारे में ब्यौरा देना होता है इसे आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न या ITR) कहते हैं. आपकी आमदनी पर केंद्र सरकार कर वसूलती है, इसे ही आयकर या इनकम टैक्स (Income Tax) कहते हैं. आयकर (Income Tax) से होने वाली कमाई को सरकार अपनी गतिविधियों और जनता को सुविधा और सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल करती है.

 

आयकर रिटर्न (Income Tax Return) वास्तव में आपकी आमदनी और खर्च का लिखित हिसाब-किताब है. केंद्र सरकार को आप विस्तार से यह जानकारी देते हैं कि उस वित्त वर्ष में आपने अपनी नौकरी, कारोबार या पेशे से कितनी रकम कमाई. इसके साथ ही इसमें आप सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स बचत के विकल्प में निवेश करने, जरूरी चीजों पर खर्च करने (री इम्बर्स्मेंट या बिल जमा करने पर टैक्स छूट के बारे में) और एडवांस टैक्स (अग्रिम कर) चुकाने की जानकारी भी देते हैं.


देश के कानून के हिसाब से आयकर रिटर्न (ITR) हर व्यवसाय या व्यक्ति को भरना चाहिए. आयकर रिटर्न (ITR) भरने का मतलब सरकार को टैक्स चुकाना नहीं है. वित्त वर्ष की समाप्ति पर आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करके आप सरकार या इनकम टैक्स विभाग से यह भी कह सकते हैं कि आप इनकम टैक्स देनदारी के दायरे में नहीं आते. कोई व्यक्ति अगर करयोग्य आमदनी के दायरे में नहीं आता, तब भी वह आयकर रिटर्न (ITR)भर सकता है. नियमित रूप से आयकर रिटर्न (ITR) भरने से वास्तव में आप अपनी आमदनी का एक दस्तावेजी साक्ष्य जमा कर लेते हैं जो किसी वक्त अपनी आमदनी साबित करने में आपके काम आ सकता है.'

 

आयकर रिटर्न भरने से पहले करें ये तैयारी, इन 10 चीजों का रखें ध्यान

यहां इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से जुड़े कुछ अहम दस्तावेजों की एक सूची तैयार की गयी है। जिससे आप अपना रिटर्न भरना शुरू करने से पहले इन सभी दस्तावेजों को संभाल कर रखें। इससे आपको सही और सटीक जानकारी के लिए इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं रहेगी।

 

फॉर्म 16

 

 

फॉर्म16 एक वेतनभोगी व्यक्ति के लिए रिटर्न दाखिल करते समय अपने पास में रखना सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। फॉर्म 16 आपके नियोक्ता द्वारा प्रदान किया गया एक प्रमाण पत्र है जो आपकी आय पर टीडीएस के लिए सत्यापन के रूप में कार्य करता है।

 

अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आपको फॉर्म 16 को लेने से फाइलिंग प्रक्रिया को बड़े पैमाने पर काम करने में मदद मिल सकती है क्योंकि टैक्स की गणना और इनकम की गणना आईटीआर फॉर्म में दिए गए हैं। आप अपने सेलरी से जुड़े डेटा को भरते समय फॉर्म 16 को सही रूप में उपयोग कर लाभ इसका लाभ उठा सकते हैं।

 

26 एएस

 

फॉर्म 26AS भी आपके ITR फाइल करते समय अपने पास रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। यह एक ऐसा फॉर्म है जो उन सभी लोगों द्वारा काटे गए टीडीएस को दिखाता है जिन्होंने पूर साल के दौरान आपको भुगतान किया है। यह एक दस्तावेज के रूप में कार्य करता है जो आपके द्वारा प्राप्त की गई आय के सभी स्रोतोंसेलरी और इनकम पर काटे गए टैक्स को दर्शाता है।

 

आप अपने 26AS को TRACES वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। रिटर्न फाइल दाखिल करते समय, यह सुनिश्चित कर लें कि वास्तव में आपकी सेलरी से घटाया गया टैक्स 26AS से मेच करता है या नहीं और आपके आईटीआर आपके द्वारा बताए गए नंबर और आपके फार्म 26AS से मैच करता हो।

 

फॉर्म 16A

 

यह फॉर्म आपके बैंक द्वारा ब्याज आय पर टीडीएस कटौती (जैसे बैंक के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज) के लिए जारी किया जाता है।

 

फॉर्म 16B

 

यदि आपने वित्त वर्ष के दौरान कोई अचल संपत्ति या कोई संपत्ति बेची है, तो खरीदार ने टैक्स की राशि में कटौती करने के बाद आपको भुगतान किया होगा। खरीदार फिर आपको फॉर्म 16 बी की एक कॉपी  प्रदान करेगा जो आपकी संपत्ति की बिक्री पर टीडीएस को दर्शाता है।

 

फॉर्म 16C

फॉर्म 16 सी आमतौर पर किरायेदारों द्वारा अपने मकान मालिकों को मकान मालिक को किराए का भुगतान करते समय किए गए टीडीएस कटौती के लिए प्रदान किया जाता है।

 

 

 

कर-बचत विकल्पों के प्रमाण:

 

हर कोई अपनी कर योग्य आय और उसके बाद अपनी कर देयता को कम करने के लिए आयकर कानून के तहत प्रदान की गई कटौती का लाभ उठाना चाहता है। जबकि आमतौर पर आपके आईटीआर दाखिल करते समय इसकी मांग नहीं की जाती है, ऐसे भुगतानों का प्रमाण अपने पास में रखना सबसे अच्छा है। यह मात्रा की सटीकता के साथ-साथ प्रमाण की आवश्यकता होने पर सुविधा सुनिश्चित करता है। ऐसे दस्तावेजों के उदाहरणों में ये शामिल हैं:

 

80 सी, 80 डी, और 80 ई के तहत निवेश प्राप्तियां

बीमा प्रीमियम भुगतान प्राप्तियां

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भुगतान प्राप्तियां

ईपीएफ, पीपीएफ, टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड आदि में किए गए निवेश का प्रमाण।

होम लोन स्टेटमेंट (कुछ सीमा तक ब्याज और मूलधन का दावा कर सकते हैं), आदि।

 

पूंजीगत लाभ का विवरण:

 

हम अक्सर अपने पूंजी लेनदेन का विवरण शामिल करना भूल जाते हैं जो बाद में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। अपने वित्तीय बाजारों के लेन-देन (जैसे शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड यूनिट, ईटीएफ यूनिट इत्यादि की बिक्री), किसी भी परिसंपत्ति का विवरण जो आपने वित्त वर्ष के दौरान बेचा है, इत्यादि का विवरण रखना सबसे अच्छा है।

 

इन लेन-देन के विवरणों को दस्तावेजी सबूतों जैसे कि संपत्ति के लिए बिक्री और खरीद विलेख, दलाल लेनदेन रिपोर्ट और शेयरों के लिए होल्डिंग स्टेटमेंट, म्यूचुअल फंड हाउस से म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट आदि द्वारा समर्थित होना चाहिए।

 

सूचीबद्ध शेयरों का विवरण:

 

यदि आप एक असूचीबद्ध कंपनी के शेयर रखते हैं, तो आईटीआर-2 में इसको जानना आपके लिए अनिवार्य है। अपने पैन कार्ड की कॉपी के साथ अपने निवेश का विवरण प्रदान करना होगा।

 

ब्याज प्रमाणपत्र:

 

ब्याज प्रमाण पत्र बैंकों और डाकघरों द्वारा ग्राहकों को प्रदान किए जाते हैं। यह ग्राहक को वर्ष के लिए भुगतान की गई कुल ब्याज राशि दिखाते हैं। इन्हें अपने पास में रखने से ब्याज आय में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती है और वर्ष के दौरान प्राप्त ब्याज आय का आकलन करने में शामिल कार्य को कम कर देता है।

 

 

 

अपडेट पासबुक:

 

वित्तीय वर्ष के कम से कम 1 अप्रैल तक (1 अप्रैल 2020) तक पासबुक अपडेट होनी चाहिए। अपडेट यह सुनिश्चित करता है कि आपके पास आपके लेनदेन के सभी विवरण हैं जो आपके लिए आवश्यक हो सकते हैं।

 

पहचान प्रमाण:

 

अपना रिटर्न दाखिल करते समय आपका पैन और आधार कार्ड आपके पास होना जरूरी है। फाइलिंग के दौरान अपना आधार नंबर कोट करना अनिवार्य है।

 

बैंक खाता विवरण:

 

आईटीआर दाखिल करते समय, फाइलर को उसके द्वारा रखे और संचालित सभी बैंक खातों का खुलासा करना चाहिए। प्रदान किए जाने वाले विवरण में खाता संख्या, बैंक का नाम, बैंक IFSC और MICR शामिल हैं। हम इन विवरणों को भरते समय आपकी पासबुक को अपने पास में रखने की सलाह देते हैं।

 

PS: आपको अपने बैंक खाते को उस खाते के लिए पैन से पूर्व-लिंक करना होगा जिसमें आप चाहते हैं कि धनवापसी आईटी विभाग द्वारा प्रोसेस की जा सके।

 

 ITR (इनकम टैक्स रिटर्न)


कई लोगों की सालाना आमदनी टैक्स के दायरे में आती है। सरकार ने इसके लिए टैक्स स्लैब बना रखा है। जो इस स्लैब के दायरे में आते हैं, उन्हें हर वित्त वर्ष के खत्म होने पर इनकम टैक्स विभाग में एक फॉर्म भर कर देना पड़ता है। इस फॉर्म में बताना होता है कि पिछले वित्त वर्ष में उसे कुल कितनी आमदनी हुई और उसने अपनी आमदनी का कितना फीसदी टैक्स भरा। इसे इनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है। वित्त वर्ष 31 मार्च को खत्म होता है। 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होता है।

 

 

क्या है फाइनेंशियल ईयर और एसेसमेंट ईयर

 

भले ही नया साल एक जनवरी से शुरू होकर 31 दिसंबर को खत्म हो जाता हो लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न एक अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक कमाई का हिसाब आप से लेता है। इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक यह समय फाइनेंशियल ईयर कहलाता है। एक फाइनेंशियल ईयर में कमाई का टैक्स अगले फाइनेंशियल ईयर में लिया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो जिस साल आप कमाई करते हैं वह फाइनेंशियल ईयर कहलाता है, उसके अगले साल जब आप टैक्स भरते हैं तो वह उस साल के लिए एसेसमेंट ईयर कहलाता है।

इसे उदाहरण से समझें

 वित्त वर्ष 2013-14 में आपने जो कमाई की उस कमाई के टैक्स का आकलन 2014-15 में किया जाएगा। 2013-14 फाइनेंशियल ईयर होगा और 2014-15 उसका एसेसमेंट ईयर कहलाएगा।



 आयकर रिटर्न (ITR) विभिन्न स्रोतों से, कुल टैक्सेबल इनकम की गणना करने, टैक्स छूट का दावा करने और इनकम टैक्स विभाग को दिया जाने वाला कुल टैक्स (लाइबिलिटी) घोषित करने के लिये होता है। ITR इनकम टैक्स विभाग में एक नौकरीपेशा या स्व-नियोजित ( खुद का व्यवसाय ) व्यक्ति, HUF( हिंदू अविभाजित परिवार), कंपनियों या फर्मों द्वारा जमा की जाती है। ITR जमा करने की प्रक्रिया को इनकम टैक्स फाइलिंग के रूप में भी जाना जाता है। एक टैक्स पेयर इनकम टैक्स विभाग के ई-पोर्टल पर ITR ऑनलाइन फाइल कर सकता है। ITR ऑनलाइन फाइल करने की प्रक्रिया को ई-फाइलिंग कहा जाता है।  ई-फाइलिंग (इनकम टैक्स रिटर्न) के महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:

 

ITR किसे फाइल करना होता है?

 

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 139(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जिसकी कुल कमाई वित्तीय वर्ष (Financial Year) में टैक्स के दायरे में आती है (जो कि वित्तीय वर्ष 19 के लिए 2.5 लाख रु. से अधिक है) उसे ITR फाइल करना होता है। भारत से बाहर काम करने वाले या भारत में व्यवसाय करने वाली कोई भी निजी या सार्वजनिक कंपनी, फर्म, HUF (हिंदू अविभाजित परिवार),AOP (व्यक्तियों का संघ) , निकाय आदि जो भी वर्ष के कुल लाभ/नुकसान की घोषणा करने और अपने टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। वे सभी ITR फाइल कर सकते हैं।

 

 

इनकम टैक्स विभाग ने निम्नलिखित व्यक्तियों के लिए ITR फाइल करना अनिवार्य कर दिया है।

 

60 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्ति की वार्षिक आय अगर 2.5 लाख रु. से अधिक  हो।

60 से 80 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 3 लाख रु. या उससे  अधिक  हो।

80 वर्ष से आधिक आयु वाला व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 10 लाख से अधिक  हो।

हर कंपनी या संगठन टैक्स भरने के लिए बाध्य है, चाहें उसे लाभ हो या नुकसान।

यदि आप कोई नुकसान अगले वित्तीय वर्ष (financial Year) में ले जाना चाहते हों।

एक भारतीय निवासी जिसकी देश से बाहर भी कोई संपत्ति या कुछ कारोबार है।

किसी लोन या वीजा के लिए आवेदन करने पर भी ITR जरूरी होता है।

यदि किसी व्यक्ति को धर्म स्थान, किसी अनुसंधान, संघ, शैक्षिक केंद्र, चिकित्सा केंद्र, गैर-सरकारी विश्विद्यालय से इनकम होती है.

इसके अलावा यदि किसी NRI (अप्रवासी भारतीय) के पास भारत में इनकम के स्रोत हैं तो ITR फाइल करना जरूरी होगा ।

 

 

ITR फ़ार्म के प्रकार

 

इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर बहुत से फ़ार्म होते हैं जिनका उपयोग विभिन्न इनकम और टैक्स देने वालों के आधार पर ITR फाइल करने के लिए किया जाता है। असेसमेंट वर्ष 2019-20 में, ITR-1 से ITR-7 के लिए सात फॅार्म हैं। इनमें से कुछ फॅार्म अन्य फॅार्मों की अपेक्षा बड़े हो सकते हैं और उनके लिये अधिक जानकारी भी आवश्यक हो सकती है। इसलिए यह जानकारी लेना ज़रुरी है कि कौन सा फार्म आपके लिए उचित होगा।

 

ITR-1: इस फ़ार्म को सहजभी कहा जाता है। सहज एक ऐसे व्यक्ति द्वारा फाइल किया जाता है जो वेतन, पेंशन, एक घर संपत्ति, ब्याज या अन्य तरीको से (लॉटरी और घोड़ों की दौड़ से कमाई को छोड़कर) इनकम प्राप्त करता है और जिसकी कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है।

ITR-2: उन व्यक्तियों या HUF (हिंदू अविभाजित परिवारों) के लिए है जिनके पास इनकम तो है, लेकिन किसी व्यवसाय या अन्यथा पेशे के लाभ से नहीं है।

ITR-3: उन अलग-अलग व्यक्तियों या HUF (हिंदू अविभाजित परिवारों) के लिए है जिसकी आय का स्रोत किसी व्यवसाय या पेशे के लाभ से है।

ITR-4: यह फार्म उन लोगों के लिए है जिनके पास व्यवसाय या पेशे से अनुमानित ( तय नहीं) आय है।

ITR-5: यह फार्म व्यक्तियों, HUF (हिंदू अविभाजित परिवारों), कंपनी और फॉर्म ITR-7 फाइल करने वाले व्यक्तियों के अलावा अन्य सभी के लिए है।

ITR-6: यह फार्म उन सभी कंपनियों के लिए है जो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 11 के तहत छूट का दावा नहीं कर रहे हैं।

ITR-7: यह फार्म उन व्यवसाय सहित उन सभी लोगों के लिए है जिन्हें धारा 139(4A), धारा 139(4B), धारा 139(4C), धारा 139(4D), धारा 139 (4E) या 139 (4F) के तहत कर रिटर्न फाइल करना आवश्यक है।

 

 

क्या ITR ऑनलाइन फाइल करना अनिवार्य है?

निम्नलिखित में से किसी भी करदाता को ई-फाइलिंग के माध्यम से ही अपनी ITR फाइल करना अनिवार्य है:

 

5 लाख रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्ति या HUF (हिंदू अविभाजित परिवारों) या वो जो टैक्स रिफंड का दावा करते हैं, उन्हें ऑनलाइन ही ITR फाइल करना होगा| हालांकि, अतिवरिष्ठ नागरिक (80 या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति) ITR 1 या 4 फाइल करने के लिए मैन्युअल या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ITR फाइल का विकल्प चुन सकते हैं।

हर कंपनी को डिजिटल सिग्नेचर कर इलेक्ट्रॉनिक रूप से ITR फाइल करना जरूरी होता है।

एक फर्म या व्यक्ति या HUF (हिंदू अविभाजित परिवारों) जिसका धारा 44AB के तहत ऑडिट होना है, उस को ITR ई-फाइल ही करना है।

जिस व्यक्ति ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 90, 90a या 91 के अंतर्गत टैक्स छूट का दावा किया है, उसे ऑनलाइन ITR फाइल करना जरूरी है।

 

ITR फाइल करने के लिए ज़रुरी दस्तावेज

आयकर रिटर्न ऑनलाइन दाखिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेज निम्नलिखित हैं:

 

पैन कार्ड

बैंक स्टेटमेंट

बैंकों या डाकघरों से ब्याज प्रमाण पत्र

टैक्स-बचत निवेशों का प्रमाण

फॅार्म 16 ( नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए)

सैलरी स्लिप

TDS प्रमाणपत्र

फॉर्म 16A

फॉर्म 26AS

 

 

ITR स्टेटस की जानकारी ऑनलाइन कैसें जानें

 

एक बार जब आपने अपना ITR फाइल कर लिया है, तो आप इसका स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं. इसके निम्नलिखित दो तरीके हैं:

 

एकनॉलेजमेट नंबर से (लॉग-इन क्रेडेंशियल्स के बिना)

 

सबसे पहले इनकम टैक्स विभाग की वैबसाइट पर जाएं। ‘Services’ टैब के अंतर्गत होमपेजके बाईं ओर, ‘ITR Status’ विकल्प चुनें।

विकल्प चुनने के बाद, आपको एक नए वेबपेज पर भेजा जाएगा जहाँ आपको अपना पैन, ITR रसीद नंबर और कैप्चा कोड आदि भरना होगा।

फिर सभी जानकारी सबमिट करें और इसके बादITR की स्थिति आपके डिवाइस की स्क्रीन पर आ जाएगी।

यूज़र नेम और पासवर्ड का उपयोग कर के

 

ITR ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॅाग-इन करें।

 

 

‘Dashbord’ पर ‘‘View Returns/Forms’’ विकल्प चुनें।

ड्रॉप-डाउन मेन्यू से ITR विकल्प और मूल्यांकन वर्ष चुनें और सबमिट करें।

सभी जानकारी सबमिट होने के बाद ITR स्टेटस स्क्रीन पर दिखाई देगा।

 

 

ITR फाइल करने के लिए महत्वपूर्ण तारिख

किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की निश्चित तारीख आमतौर पर समान होती है, जो 31 जुलाई है। हालाँकि, कुछ विशेष स्तिथियों के लिए अलग-अलग तिथि भी है|


No comments:

Post a Comment